समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 प्रश्नों के साथ अपनी समझ परखें!
आइए, आज के समाजशास्त्र के महा-मंथन में गोता लगाएँ! यह 25 प्रश्नों का विशेष सत्र आपकी अवधारणाओं की स्पष्टता, सिद्धांतों की पकड़ और विश्लेषणात्मक कौशल को चरम पर ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। क्या आप अपने ज्ञान की धार को तेज करने के लिए तैयार हैं? चलिए, शुरू करते हैं यह बौद्धिक यात्रा!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा का प्रतिपादन किस समाजशास्त्री ने किया है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा दी। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे समाज में व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करता है, और जो व्यक्ति से बाह्य होते हुए भी व्यक्ति पर दबाव डालते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया है। उनका मानना था कि समाजशास्त्री को सामाजिक तथ्यों का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह वस्तुनिष्ठता से करना चाहिए।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करते हैं, मैक्स वेबर सामाजिक क्रिया और शक्ति की अवधारणाओं के लिए जाने जाते हैं, और हर्बर्ट स्पेंसर सामाजिक विकास और ‘सबसे योग्य की उत्तरजीविता’ जैसे सिद्धांतों से जुड़े हैं।
प्रश्न 2: निम्न में से कौन सा युग्म समाजशास्त्री और उसकी प्रमुख अवधारणा के रूप में सही नहीं है?
- मैक्स वेबर – प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूँजीवाद की आत्मा
- इरावती कर्वे – किनशिप ऑर्गनाइजेशन इन इंडिया
- ऑगस्ट कॉम्ते – सामाजिक स्थैर्य और सामाजिक प्रगति
- रॉबर्ट रेडफील्ड – लोक संस्कृति (Folk Culture)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट रेडफील्ड ‘लोक संस्कृति’ (Folk Culture) या ‘लोक समाज’ (Folk Society) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं, न कि केवल ‘लोक संस्कृति’ के लिए। उन्होंने ‘गाँव और शहर’ (The Folk Village) जैसे कार्यों में इन पर प्रकाश डाला है।
- संदर्भ और विस्तार: रॉबर्ट रेडफील्ड ने लोक समाज को एक छोटे, सजातीय, घनिष्ठ संबंध वाले समुदाय के रूप में वर्णित किया है, जहाँ प्रथाएं और परंपराएं महत्वपूर्ण होती हैं।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर की पुस्तक ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ प्रसिद्ध है। इरावती कर्वे की पुस्तक ‘किनशिप ऑर्गनाइजेशन इन इंडिया’ भारतीय नातेदारी व्यवस्था पर एक मौलिक कार्य है। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने सामाजिक स्थैर्य (Social Statics) और सामाजिक प्रगति (Social Dynamics) के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया।
प्रश्न 3: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) का प्रमुख प्रतिपादक कौन है?
- सी. राइट मिल्स
- टेल्कोट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- ई.टी. हॉल
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टेल्कोट पार्सन्स को संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जिसमें विभिन्न हिस्से (संरचनाएं) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था, स्वचालन (voluntarism) और AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल जैसी अवधारणाएं दीं। उनका कार्य समाजशास्त्र में एक प्रमुख सैद्धांतिक दृष्टिकोण बन गया।
- गलत विकल्प: सी. राइट मिल्स ‘सामाजिक यथार्थवाद’ (Sociological Imagination) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं। रॉबर्ट मर्टन ने पार्सन्स के प्रकारवाद का विस्तार किया, लेकिन मुख्य प्रस्तावक पार्सन्स हैं। ई.टी. हॉल निकटता (Proxemics) के अध्ययन से जुड़े हैं।
प्रश्न 4: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज सिमेल
- ई. डि. एम. दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों के ‘अलगाव’ की अवधारणा पर जोर दिया। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव की पहचान की: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-सार से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद श्रमिकों को उनके श्रम के उत्पाद, उनके काम की प्रक्रिया, उनकी मानवता और उनके साथियों से अलग करता है। यह मुख्य रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसोफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में चर्चा की गई है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर सत्तामीमांसा (bureaucracy) और तर्कसंगतीकरण (rationalization) जैसे विषयों पर केंद्रित थे। जॉर्ज सिमेल शहरी जीवन और सामाजिक संपर्क की सूक्ष्मताओं पर काम करते थे। दुर्खीम ने ‘एनेमी’ (Anomie) की अवधारणा विकसित की।
प्रश्न 5: भारतीय समाज में ‘वर्ग’ (Class) की तुलना में ‘जाति’ (Caste) की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण क्यों मानी जाती है?
- जाति जन्म पर आधारित है, वर्ग कर्म पर।
- जाति विवाह और खान-पान पर कठोर नियम लागू करती है।
- जाति व्यवसायों को वंशानुगत बनाती है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की प्रमुखता का कारण इसके जन्म-आधारित, कठोर नियम, विवाह और खान-पान पर नियंत्रण, और व्यवसायों का वंशानुगत होना है। ये सभी कारक इसे वर्ग की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण और प्रभावी बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति के इन विभिन्न आयामों का विश्लेषण किया है। जाति भारतीय सामाजिक संरचना की रीढ़ रही है, जो सामाजिक स्तरीकरण, अंतःक्रिया और पहचान को गहराई से प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: ये सभी बिंदु जाति की प्रमुखता को स्पष्ट करते हैं, इसलिए कोई भी विकल्प अकेला पूर्ण सत्य नहीं है।
प्रश्न 6: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है?
- हरबर्ट ब्लूमर
- अल्फ्रेड शुट्ज़
- अल्फ्रेड किनसे
- इर्विंग गोफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हरबर्ट ब्लूमर को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों को व्यवस्थित किया और इस सैद्धांतिक दृष्टिकोण को ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ नाम दिया।
- संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर के अनुसार, व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं, और ये प्रतीक ही लोगों को अपने कार्यों को अर्थ देने और उसके अनुसार व्यवहार करने में मदद करते हैं।
- गलत विकल्प: अल्फ्रेड शुट्ज़ घटना विज्ञान (phenomenology) से जुड़े हैं। अल्फ्रेड किनसे यौन व्यवहार के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। इर्विंग गोफमैन ‘नाटकीयता’ (dramaturgy) के सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 7: ‘एनेमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और दिशाहीनता की स्थिति का वर्णन करती है, किससे संबंधित है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हारबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनेमी’ की अवधारणा का उपयोग सामाजिक नियमों और मानदंडों के कमजोर पड़ने की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया, जिससे व्यक्ति को दिशाहीनता और अनिश्चितता का अनुभव होता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने आत्महत्या (Suicide) और सामाजिक श्रम विभाजन (The Division of Labour in Society) जैसी अपनी रचनाओं में एनेमी की चर्चा की है। उन्होंने बताया कि कैसे तीव्र सामाजिक परिवर्तन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता में अत्यधिक वृद्धि इस स्थिति को जन्म दे सकती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष, वर्ग और शोषण पर ध्यान केंद्रित करते थे। मैक्स वेबर शक्ति, सत्ता और तर्कसंगतीकरण का अध्ययन करते थे। हर्बर्ट स्पेंसर विकास और ‘सबसे योग्य की उत्तरजीविता’ के सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 8: निम्न में से कौन एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का उदाहरण है?
- एक क्रिकेट टीम
- एक विश्वविद्यालय का व्याख्यान कक्ष
- एक परिवार
- एक राजनीतिक दल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: परिवार को प्राथमिक समूह का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। चार्ल्स कूले ने प्राथमिक समूहों को ऐसे समूहों के रूप में परिभाषित किया जहाँ आमने-सामने का घनिष्ठ संबंध और सहयोग पाया जाता है, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिकरण के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार में भावनात्मक जुड़ाव, निरंतर संपर्क और एक-दूसरे पर गहरी निर्भरता होती है।
- गलत विकल्प: क्रिकेट टीम, विश्वविद्यालय का व्याख्यान कक्ष और राजनीतिक दल आमतौर पर द्वितीयक समूह (Secondary Group) के उदाहरण हैं, जहाँ संबंध अधिक औपचारिक, उद्देश्य-उन्मुख और कम घनिष्ठ होते हैं।
प्रश्न 9: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का तात्पर्य है:
- समाज में व्यक्तियों को असमान स्तरों पर व्यवस्थित करना।
- समाज में सभी को समान अवसर प्रदान करना।
- समाज में व्यक्तियों की गतिशीलता की स्वतंत्रता।
- समाज में आदर्शों और मूल्यों का एकीकरण।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 10: ‘विभिन्नता’ (Heterogeneity) की तुलना में ‘एकरूपता’ (Homogeneity) किस प्रकार के समाज में अधिक पाई जाती है?
- औद्योगिक समाज
- कृषि प्रधान समाज
- आदिम समाज
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आदिम समाज, जो अक्सर छोटे, अलग-थलग और पारंपरिक होते हैं, में एकरूपता (Homogeneity) अधिक पाई जाती है। यहाँ लोगों के बीच साझा विश्वास, मूल्य, जीवन शैली और कौशल अधिक होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, औद्योगिक और कृृषि प्रधान समाजों में श्रम विभाजन, शहरीकरण और विभिन्न संस्कृतियों के संपर्क के कारण विभिन्नता (Heterogeneity) अधिक होती है।
- गलत विकल्प: औद्योगिक और कृृषि प्रधान समाजों में व्यावसायिक, सांस्कृतिक और सामाजिक भिन्नताएँ अधिक स्पष्ट होती हैं, इसलिए वे आदिम समाजों की तरह एकरूप नहीं होते।
प्रश्न 11: ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का प्रतिपादन किसने किया?
- जी.एस. घुरिये
- एल.पी. विद्यानाथन
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा दी। यह उस प्रक्रिया का वर्णन करती है जहाँ निचली जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है।
- गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये ने जाति की उत्पत्ति और प्रकृति पर महत्वपूर्ण कार्य किया। एल.पी. विद्यानाथन और इरावती कर्वे भी भारतीय समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण नाम हैं, लेकिन संस्किृतिकरण का संबंध श्रीनिवास से है।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का संबंध किससे है?
- समाज में व्यक्तियों की स्थिति में परिवर्तन।
- समाज में समूहों के बीच संबंध।
- समाज में स्थापित होने वाली संस्थाएं।
- समाज में सामाजिक नियंत्रण के तरीके।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर स्थानांतरण है। यह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वमुखी) या नीचे की ओर (अधोमुखी) हो सकती है, या क्षैतिज हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाज में अवसर की समानता और स्तरीकरण की प्रकृति को समझने में सहायक है।
- गलत विकल्प: समूहों के बीच संबंध, संस्थाएं और सामाजिक नियंत्रण सामाजिक संरचना के अन्य पहलू हैं, न कि सीधे तौर पर सामाजिक गतिशीलता।
प्रश्न 13: ‘लघु परंपरा’ (Little Tradition) और ‘दीर्घ परंपरा’ (Great Tradition) की अवधारणाएँ किस समाजशास्त्री से जुड़ी हैं?
- एफ.जी. बेली
- एम.एन. श्रीनिवास
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- एन.के. बोशमन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट रेडफील्ड ने मानवशास्त्र और समाजशास्त्र में ‘लघु परंपरा’ (जैसे ग्रामीण स्तर की प्रथाएं) और ‘दीर्घ परंपरा’ (जैसे उच्च संस्कृति, धर्मग्रंथ) के बीच संबंध और निरंतरता का विश्लेषण करने के लिए इन अवधारणाओं का प्रयोग किया।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने मेक्सिको के गाँवों का अध्ययन करते हुए इन अवधारणाओं को विकसित किया। उनका मानना था कि लघु परंपराएँ दीर्घ परंपराओं से प्रभावित होती हैं और उन्हें अपने ढंग से सरल बनाती हैं।
- गलत विकल्प: एफ.जी. बेली, एम.एन. श्रीनिवास और एन.के. बोशमन भारतीय समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण विद्वान हैं, जिन्होंने विभिन्न पहलुओं पर काम किया है, लेकिन इन विशिष्ट अवधारणाओं का श्रेय रेडफील्ड को जाता है।
प्रश्न 14: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब:
- एक ही व्यक्ति से दो या दो से अधिक भूमिकाओं से जुड़ी अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।
- एक व्यक्ति को अपनी सामाजिक भूमिका निभाने में कोई कठिनाई नहीं होती।
- समाज में सामाजिक भूमिकाओं का अभाव होता है।
- एक व्यक्ति अपनी भूमिका का निर्वहन ठीक से नहीं करता।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भूमिका संघर्ष तब होता है जब किसी व्यक्ति को एक ही समय में दो या दो से अधिक भूमिकाओं से संबंधित परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति एक ही समय में एक अच्छा माता-पिता (जो बच्चों के साथ समय बिताना चाहता है) और एक समर्पित कर्मचारी (जिसे लंबे समय तक काम करना पड़ता है) की भूमिकाओं में संघर्ष का अनुभव कर सकता है।
- गलत विकल्प: भूमिका निर्वहन में आसानी, भूमिकाओं का अभाव, या भूमिका का खराब निर्वहन भूमिका संघर्ष की परिभाषा नहीं हैं।
प्रश्न 15: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- शहरीकरण में वृद्धि
- पारिवारिक संरचना में परिवर्तन
- नए सामाजिक वर्गों का उदय
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: औद्योगीकरण शहरीकरण को बढ़ावा देता है, क्योंकि लोग रोजगार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन करते हैं। यह पारंपरिक संयुक्त परिवारों को विघटित करता है और नाभिकीय परिवारों को बढ़ावा देता है। साथ ही, यह पूंजीपति और श्रमिक वर्ग जैसे नए सामाजिक वर्गों को जन्म देता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये सभी परिवर्तन औद्योगीकरण के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिणाम हैं, जो समाज की संरचना और कार्यप्रणाली को मौलिक रूप से बदलते हैं।
- गलत विकल्प: ये सभी प्रभाव औद्योगीकरण के साथ जुड़े हुए हैं।
प्रश्न 16: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का सबसे प्रभावी साधन क्या है?
- पुलिस और कानून
- जनता की राय
- शिक्षा और समाजीकरण
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक नियंत्रण समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न साधनों को संदर्भित करता है। पुलिस और कानून (औपचारिक नियंत्रण) के अलावा, जनता की राय (अनौपचारिक नियंत्रण) और शिक्षा व समाजीकरण (जो व्यक्ति के मूल्यों और व्यवहार को आकार देते हैं) भी महत्वपूर्ण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने भी सामाजिक एकता और नियंत्रण के लिए सामूहिक चेतना (Collective Conscience) को महत्वपूर्ण माना। प्रभावी सामाजिक नियंत्रण के लिए अक्सर इन सभी साधनों का संयोजन आवश्यक होता है।
- गलत विकल्प: यद्यपि पुलिस और कानून प्रत्यक्ष साधन हैं, लेकिन शिक्षा और समाजीकरण व्यक्ति के व्यवहार को आंतरिक बनाने में सबसे प्रभावी भूमिका निभाते हैं, जिससे बाहरी नियंत्रण की आवश्यकता कम हो जाती है। इसलिए, सभी मिलकर सबसे प्रभावी होते हैं।
प्रश्न 17: ‘संस्था’ (Institution) को समाजशास्त्रीय अर्थ में कैसे परिभाषित किया जाएगा?
- लोगों का एक समूह जो एक साथ रहते हैं।
- सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्थापित व्यवहार के पैटर्न का एक समूह।
- एक इमारत या संगठन।
- व्यक्तिगत विश्वासों और मूल्यों का एक समुच्चय।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्र में, एक संस्था (जैसे विवाह, परिवार, शिक्षा) सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्थायी व्यवहार के पैटर्न, नियमों और प्रक्रियाओं का एक सुसंगत सेट है जो समाज की कुछ प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करती है।
- संदर्भ और विस्तार: ये व्यवहार समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाते हैं और उन्हें विशेष तरीकों से कार्य करने के लिए निर्देशित करते हैं।
- गलत विकल्प: लोगों का समूह, इमारत या संगठन और व्यक्तिगत विश्वास केवल संस्था के घटक हो सकते हैं, लेकिन संस्था की पूर्ण परिभाषा नहीं हैं।
प्रश्न 18: ‘सांस्कृतिक विलम्ब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का प्रयोग किस संदर्भ में किया जाता है?
- जब समाज के विभिन्न सांस्कृतिक तत्व अलग-अलग दरों से बदलते हैं।
- जब समाज के सदस्य नई प्रथाओं को आसानी से अपना लेते हैं।
- जब भौतिक संस्कृति आध्यात्मिक संस्कृति से पीछे रह जाती है।
- जब समाज परंपराओं का पालन करता रहता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सांस्कृतिक विलम्ब, जिसकी चर्चा विलियम ओगबर्न ने की थी, तब होता है जब समाज के विभिन्न सांस्कृतिक तत्व (जैसे भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति) परिवर्तन की विभिन्न दरों से गुजरते हैं, जिससे कुछ सांस्कृतिक पहलू दूसरों से पिछड़ जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, प्रौद्योगिकी (भौतिक संस्कृति) अक्सर नैतिक या कानूनी नियमों (अभौतिक संस्कृति) की तुलना में तेज़ी से विकसित होती है, जिससे विलम्ब की स्थिति उत्पन्न होती है।
- गलत विकल्प: नई प्रथाओं को आसानी से अपनाना या परंपराओं का पालन करना सांस्कृतिक विलम्ब का वर्णन नहीं करते। जबकि भौतिक संस्कृति का अभौतिक संस्कृति से पिछड़ना सांस्कृतिक विलम्ब का एक विशिष्ट रूप है, सामान्य परिभाषा विभिन्न दरों पर परिवर्तन की है।
प्रश्न 19: ‘विभेदीय साहचर्य सिद्धांत’ (Differential Association Theory) मुख्य रूप से किससे संबंधित है?
- गरीबी और अपराध
- अपराध और विचलन (Deviance)
- सामाजिक असमानता
- राजनीतिक शक्ति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एडविन सदरलैंड द्वारा विकसित विभेदीय साहचर्य सिद्धांत बताता है कि आपराधिक व्यवहार सीखा जाता है, विशेषकर निकटतम व्यक्तियों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से। लोग उन समूहों से प्रभावित होते हैं जिनके साथ वे साहचर्य करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अपराध विज्ञान (Criminology) में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो यह समझाने का प्रयास करता है कि कुछ व्यक्ति विचलनकारी व्यवहार क्यों करते हैं।
- गलत विकल्प: यह सिद्धांत सीधे तौर पर गरीबी, सामाजिक असमानता या राजनीतिक शक्ति पर केंद्रित नहीं है, हालांकि ये कारक अप्रत्यक्ष रूप से विचलन को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रश्न 20: ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का जनक किसे माना जाता है?
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्ते
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ऑगस्ट कॉम्ते को प्रत्यक्षवाद का जनक माना जाता है। उन्होंने समाज का वैज्ञानिक अध्ययन करने पर जोर दिया, जिसमें अवलोकन, प्रयोग और तुलना जैसी पद्धतियों का उपयोग किया जाए।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्ते ने समाजशास्त्र को ‘समाज का विज्ञान’ (Social Physics) कहा और इसे सबसे जटिल विज्ञान माना। उन्होंने तीन अवस्थाओं का नियम (Law of Three Stages) भी प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने प्रत्यक्षवाद के विचारों को समाजशास्त्र में लागू किया, लेकिन कॉम्ते मूल प्रस्तावक थे। मैक्स वेबर ने व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) पर जोर दिया, और हर्बर्ट स्पेंसर का विकासवाद पर अधिक ध्यान था।
प्रश्न 21: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा से कौन से समाजशास्त्री जुड़े हैं?
- पियरे बॉर्ड्यू
- जेम्स कॉल्मन
- रॉबर्ट पटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा से पियरे बॉर्ड्यू, जेम्स कॉल्मन और रॉबर्ट पटनम तीनों महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हैं। बॉर्ड्यू ने इसे संसाधनों तक पहुँच के रूप में देखा जो सामाजिक संबंधों से प्राप्त होते हैं, कॉल्मन ने इसे विभिन्न सामाजिक संरचनाओं में व्यक्त किया, और पटनम ने इसे सामुदायिक जीवन में भागीदारी से जोड़ा।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि उनके योगदान के सूक्ष्म अंतर हैं, तीनों ने यह दर्शाया कि कैसे सामाजिक संबंध, नेटवर्क और विश्वास व्यक्तियों और समूहों को लाभ पहुँचाते हैं।
- गलत विकल्प: ये सभी विचारक इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 22: ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) की अवधारणाओं का संबंध समाजशास्त्रीय अध्ययन के किस क्षेत्र से है?
- धर्म का समाजशास्त्र
- पॉवर का समाजशास्त्र
- अर्थव्यवस्था का समाजशास्त्र
- शहरी समाजशास्त्र
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द एलिमेंटरी फॉर्म्स ऑफ द रिलीजियस लाइफ’ में ‘पवित्र’ और ‘अपवित्र’ के बीच द्वंद्व का विश्लेषण किया, जो धर्म की समाजशास्त्रीय समझ का केंद्रीय बिंदु है। पवित्र वे वस्तुएँ या विश्वास हैं जिन्हें समाज वर्जित मानता है, जबकि अपवित्र सामान्य, लौकिक वस्तुएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, धर्म का उदय पवित्र के प्रति सामूहिक सम्मान से होता है, जो समाज की अपनी शक्ति को ही दर्शाता है।
- गलत विकल्प: ये अवधारणाएँ सीधे तौर पर शक्ति, अर्थव्यवस्था या शहरी जीवन के समाजशास्त्र से संबंधित नहीं हैं, बल्कि धर्म के अध्ययन से गहराई से जुड़ी हैं।
प्रश्न 23: भारत में ‘आदिवासी समाज’ (Tribal Society) के अध्ययन में किस समाजशास्त्री का योगदान महत्वपूर्ण है?
- इरावती कर्वे
- एन.के. बोस
- एल.पी. विद्यानाथन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इरावती कर्वे, एन.के. बोस और एल.पी. विद्यानाथन सभी ने भारतीय जनजातियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहलुओं के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कर्वे ने जनजातियों की नातेदारी व्यवस्था पर काम किया, बोस ने जनजातियों और गैर-जनजातियों के बीच संपर्क और अनुकूलन का अध्ययन किया, और विद्यानाथन ने जनजातीय सामाजिक संरचना पर प्रकाश डाला।
- संदर्भ और विस्तार: इन विद्वानों के कार्यों ने भारतीय समाज की विविधता को समझने में मदद की है।
- गलत विकल्प: ये सभी विद्वान भारतीय जनजाति अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहे हैं।
प्रश्न 24: ‘ज्ञान समाज’ (Knowledge Society) की अवधारणा किसने विकसित की?
- मैनुअल कैस्टल्स
- पीटर ड्रकर
- जुरगेन हेबरमास
- एंथोनी गिडेंस
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पीटर ड्रकर ने 1969 में ‘ज्ञान समाज’ की अवधारणा पेश की, यह बताते हुए कि आधुनिक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का मुख्य स्रोत अब श्रम या पूंजी नहीं, बल्कि ज्ञान है।
- संदर्भ और विस्तार: ड्रकर ने जोर दिया कि ज्ञान के उत्पादक, ‘ज्ञान कार्यकर्ता’ (knowledge workers), समाज के केंद्रीय तत्व बन जाएंगे।
- गलत विकल्प: मैनुअल कैस्टल्स ‘नेटवर्क सोसाइटी’ पर काम करते हैं, जुरगेन हेबरमास ‘कम्युनिकेटिव एक्शन’ और ‘पब्लिक स्फीयर’ पर, और एंथोनी गिडेंस ‘स्ट्रक्चरेशन थ्योरी’ पर।
प्रश्न 25: ‘जातिगत पंचायत’ (Caste Panchayat) भारतीय समाज में किस प्रकार की भूमिका निभाती है?
- सामाजिक नियंत्रण
- पारंपरिक न्याय प्रणाली
- नैतिक नियमन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जातिगत पंचायतें पारंपरिक रूप से अपनी जाति के सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करने, उनके बीच उत्पन्न विवादों को सुलझाने (पारंपरिक न्याय प्रणाली) और समुदाय के नैतिक व सामाजिक नियमों को बनाए रखने (नैतिक नियमन) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये स्थानीय स्तर पर सामाजिक व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने के लिए शक्तिशाली अनौपचारिक संस्थाएं रही हैं।
- गलत विकल्प: ये तीनों भूमिकाएं जातिगत पंचायतों के कार्यों के अभिन्न अंग हैं।