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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता को परखें!

नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! एक नए दिन की शुरुआत के साथ, हम लेकर आए हैं आपके लिए समाजशास्त्र की दुनिया में गहराई तक उतरने का एक और अवसर। अपनी अवधारणात्मक पकड़ को मजबूत करने और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए। आइए, आज के इस बौद्धिक अभ्यास से अपनी तैयारी को एक नई दिशा दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: कार्ल मार्क्स के अनुसार, समाज में क्रांति के लिए निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति आवश्यक है?

  1. बुर्जुआ वर्ग का पूरी तरह से शोषक बन जाना।
  2. सर्वहारा वर्ग का अपने सामूहिक हितों के प्रति सचेत हो जाना।
  3. राज्य का अपनी सर्वव्यापी शक्ति का प्रदर्शन करना।
  4. बुद्धिजीवियों द्वारा क्रांति का नेतृत्व करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, सर्वहारा वर्ग (श्रमिक वर्ग) का अपने हितों के प्रति सचेत (class consciousness) हो जाना और एकजुट होकर बुर्जुआ वर्ग (पूंजीपति वर्ग) का विरोध करना ही क्रांति का प्रमुख कारक है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स का मानना था कि उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व ही अलगाव (alienation) और शोषण का मूल कारण है। सर्वहारा वर्ग जब अपनी दयनीय स्थिति और अपने सामूहिक हित को पहचान लेता है, तो वह क्रांति के माध्यम से उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व स्थापित करता है। यह विचार उनकी कृति ‘दास कैपिटल’ और ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ में प्रमुखता से मिलता है।
  • गलत विकल्प: (a) बुर्जुआ वर्ग का शोषक होना तो वर्तमान स्थिति है, क्रांति के लिए सर्वहारा की चेतना आवश्यक है। (c) राज्य मार्क्स के लिए बुर्जुआ वर्ग का एक उपकरण मात्र है, उसकी शक्ति का प्रदर्शन क्रांति को नहीं रोकता। (d) मार्क्स ने बुद्धिजीवियों के नेतृत्व की बजाय सर्वहारा वर्ग के स्वयं के नेतृत्व पर बल दिया।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘अनोमी’ (Anomie) की स्थिति से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अत्यधिक वृद्धि।
  2. सामाजिक मानदंडों और नियमों का कमजोर पड़ जाना या अभाव।
  3. सामाजिक वर्गों के बीच तीव्र संघर्ष।
  4. समूह के प्रति व्यक्ति का अत्यधिक समर्पण।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘अनोमी’ शब्द का प्रयोग उस सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ सामाजिक नियम या तो अपर्याप्त होते हैं, या कमजोर पड़ जाते हैं, या उनका कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होता। इससे व्यक्ति में भटकाव और दिशाहीनता की भावना उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में अनोमी की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने इसे विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक उथल-पुथल के समय में देखा, जब पुरानी व्यवस्थाएं टूट रही होती हैं और नई व्यवस्थाएं पूरी तरह स्थापित नहीं हो पातीं।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत स्वतंत्रता की वृद्धि अपने आप में अनोमी नहीं है, जब तक कि यह सामाजिक नियमों को कमजोर न करे। (c) सामाजिक वर्गों के बीच संघर्ष मार्क्स का मुख्य विषय है, दुर्खीम के लिए यह अलगाव का एक पहलू हो सकता है, लेकिन अनोमी का प्रत्यक्ष अर्थ नहीं। (d) समूह के प्रति अत्यधिक समर्पण ‘सामूहिकता’ (Collectivism) से जुड़ा है, न कि अनोमी से।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने ‘पैटर्न मेंटेनिंग भेरूक्रेटिक स्ट्रक्चर’ (Pattern-Maintaining Bureaucratic Structure) से क्या तात्पर्य बताया है?

  1. ऐसी नौकरशाही जो परिवर्तन का विरोध करती है।
  2. ऐसी नौकरशाही जो स्थापित नियमों और परंपराओं को बनाए रखती है।
  3. ऐसी नौकरशाही जो दक्षता और विशेषज्ञता पर आधारित हो।
  4. ऐसी नौकरशाही जो व्यक्तिगत संबंधों पर निर्भर हो।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: वेबर के अनुसार, ‘पैटर्न मेंटेनिंग भेरूक्रेटिक स्ट्रक्चर’ (Pattern-Maintaining Bureaucratic Structure) उस नौकरशाही को संदर्भित करता है जो अपने मूल नियमों, परंपराओं और स्थापित प्रक्रियाओं को बनाए रखने पर बल देती है, बजाय इसके कि वह नए परिवर्तनों या दक्षता वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करे।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने आदर्श नौकरशाही (ideal bureaucracy) की विशेषताएं बताई थीं, जिसमें पदानुक्रम, लिखित नियम, विशेषज्ञता और अवैयक्तिकता शामिल हैं। ‘पैटर्न मेंटेनिंग’ उन नौकरशाहियों को इंगित करता है जो इन नियमों को जड़वत तरीके से पालन करती हैं, जिससे नवाचार और अनुकूलन क्षमता बाधित होती है।
  • गलत विकल्प: (a) परिवर्तन का विरोध एक परिणाम हो सकता है, लेकिन ‘पैटर्न मेंटेनिंग’ का मुख्य बल परंपराओं को बनाए रखना है। (c) दक्षता और विशेषज्ञता वेबर की आदर्श नौकरशाही की विशेषता है, न कि ‘पैटर्न मेंटेनिंग’ स्वरूप की। (d) व्यक्तिगत संबंधों पर निर्भरता अवैयक्तिकता के विपरीत है, जो नौकरशाही का एक गुण है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) का प्रमुख प्रवर्तक माना जाता है?

  1. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  2. टैल्कॉट पार्सन्स
  3. सी. राइट मिल्स
  4. इर्विंग गॉफमैन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स को संरचनात्मक प्रकार्यवाद का सबसे प्रमुख और प्रभावशाली विचारक माना जाता है। उन्होंने समाज को एक जटिल व्यवस्था के रूप में देखा जिसके विभिन्न हिस्से (संरचनाएं) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं और समाज की स्थिरता एवं संतुलन बनाए रखते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स ने ‘एजीएल’ (AGIL) नामक एक ढाँचा विकसित किया, जिसमें उन्होंने समाज की चार कार्यात्मक आवश्यकताओं – अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और अव्यवस्थाओं से निपटना (Latency) – की व्याख्या की। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन’ शामिल है।
  • गलत विकल्प: (a) जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) से संबंधित हैं। (c) सी. राइट मिल्स ने ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा दी और आलोचनात्मक सिद्धांत प्रस्तुत किया। (d) इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ के संदर्भ में ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी?

  1. ए. आर. देसाई
  2. एम. एन. श्रीनिवास
  3. इरावती कर्वे
  4. जी. एस. घुरिये

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने ‘संस्कृतीकरण’ की अवधारणा दी। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। संस्कृतीकरण सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है, लेकिन यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक स्तर पर होता है।
  • गलत विकल्प: (a) ए. आर. देसाई भारतीय समाज में ग्रामीण विकास और सामंतवाद पर अपने विचारों के लिए जाने जाते हैं। (c) इरावती कर्वे ने भारतीय परिवारों और नातेदारी व्यवस्था पर महत्वपूर्ण कार्य किया। (d) जी. एस. घुरिये ने जाति व्यवस्था, जनजातियों और भारतीय समाज पर विस्तृत लिखा, लेकिन संस्कृतीकरण की अवधारणा उनकी नहीं है।

प्रश्न 6: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के मुख्य प्रतिपादक कौन हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. अगस्त कॉम्ते

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति अपने सामाजिक व्यवहार को अर्थपूर्ण प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से कैसे निर्मित करते हैं और कैसे वे एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड का मानना था कि ‘स्व’ (self) का विकास सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होता है, खासकर ‘अन्य’ (others) की भूमिका को ग्रहण करके। उनकी मृत्यु के बाद उनके छात्रों ने उनकी शिक्षाओं को ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ नामक पुस्तक में संकलित किया।
  • गलत विकल्प: (a) कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत के प्रमुख विचारक हैं। (b) मैक्स वेबर नौकरशाही, शक्ति और अर्थव्यवस्था पर अपने विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। (d) अगस्त कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 7: मैलविन ट्यूमिन (Melvin Tumin) ने सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस पहलू की आलोचना की?

  1. सामाजिक गतिशीलता की कमी।
  2. संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता के तर्क की।
  3. जाति व्यवस्था की कठोरता की।
  4. वर्ग संघर्ष की तीव्रता की।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैलविन ट्यूमिन ने सामाजिक स्तरीकरण के संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता (Structural Functionalism) के तर्कों की आलोचना की, विशेष रूप से डेविस-मूर (Davis-Moore) सिद्धांत की। डेविस-मूर ने तर्क दिया था कि स्तरीकरण आवश्यक है क्योंकि यह समाज में महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए लोगों को प्रेरित करता है। ट्यूमिन ने इस बात पर जोर दिया कि प्रकार्यात्मकता यह समझाने में विफल रहती है कि समाज में असमानताएं क्यों बनी रहती हैं और इन असमानताओं के कारण प्रतिभा का अपव्यय कैसे होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ट्यूमिन ने अपनी पुस्तक ‘Social Stratification’ में इन तर्कों को चुनौती दी। उनका मानना था कि स्तरीकरण समाज के लिए उतना प्रकार्यात्मक नहीं है जितना माना जाता है, और यह अक्सर विशेषाधिकार प्राप्त समूहों द्वारा अपनी स्थिति बनाए रखने का एक परिणाम होता है।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक गतिशीलता की कमी स्तरीकरण का परिणाम हो सकती है, लेकिन ट्यूमिन की मुख्य आलोचना प्रकार्यात्मकता के औचित्य पर थी। (c) और (d) ये सामान्य आलोचनाएं हैं, लेकिन ट्यूमिन का विशिष्ट योगदान प्रकार्यात्मकता की आलोचना से जुड़ा है।

प्रश्न 8: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) को ‘वस्तुओं की तरह’ (as things) अध्ययन करने का सुझाव दिया?

  1. अगस्त कॉम्ते
  2. एमिल दुर्खीम
  3. हरबर्ट स्पेंसर
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने के लिए ‘सामाजिक तथ्यों’ को ‘वस्तुओं की तरह’ अध्ययन करने का आग्रह किया। उनका मानना था कि समाजशास्त्रीय विश्लेषण को व्यक्तिनिष्ठ भावनाओं या विचारों के बजाय वस्तुनिष्ठ, बाह्य सामाजिक तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द रूल्स ऑफ सोशियोलॉजिकल मेथड’ में इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति सोचने, महसूस करने और कार्य करने के लिए मजबूर होता है, और ये व्यक्ति से बाहरी होते हैं। जैसे, कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज आदि।
  • गलत विकल्प: (a) कॉम्ते ने प्रत्यक्षवाद की नींव रखी, लेकिन दुर्खीम ने इसे सामाजिक तथ्यों के अध्ययन पर लागू किया। (c) स्पेंसर ने सामाजिक विकास और ‘डार्विनवाद’ के सामाजिक अनुप्रयोग पर काम किया। (d) मार्क्स ने आर्थिक और वर्ग विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 9: ‘अधिकार का विघटन’ (Disenchantment of the World) की अवधारणा मैक्स वेबर के किस प्रमुख विचार से जुड़ी है?

  1. नौकरशाही का उदय।
  2. पूंजीवाद का विकास।
  3. तर्कसंगतता (Rationality) का प्रसार।
  4. धार्मिक विश्वासों का ह्रास।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘अधिकार का विघटन’ (Disenchantment of the World) की अवधारणा मैक्स वेबर ने पश्चिमी समाज में ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) के बढ़ते प्रसार के संदर्भ में प्रयोग की। इसका मतलब है कि जादुई, रहस्यमय या धार्मिक व्याख्याओं का स्थान तर्कसंगत, वैज्ञानिक और गणनात्मक सोच ने ले लिया है, जिससे दुनिया अपनी पुरानी ‘जादुई’ अपील खो बैठी है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने इसे आधुनिकीकरण और नौकरशाही के विकास से जोड़ा, जहाँ हर चीज को नियमों, प्रक्रियाओं और दक्षता के आधार पर देखा जाने लगा। यह विचार उनकी ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ जैसी रचनाओं में भी झलकता है।
  • गलत विकल्प: (a) नौकरशाही इसका एक प्रकटीकरण है, लेकिन मूल अवधारणा तर्कसंगतता है। (b) पूंजीवाद का विकास तर्कसंगतता का एक परिणाम या माध्यम है। (d) धार्मिक विश्वासों का ह्रास इस प्रक्रिया का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन मुख्य विचार तर्कसंगतता का प्रसार है।

प्रश्न 10: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो मार्क्सवादी सिद्धांत का एक केंद्रीय तत्व है, का क्या अर्थ है?

  1. उत्पादन की प्रक्रिया से श्रमिक का संबंध-विच्छेद।
  2. पूंजीवादी व्यवस्था में व्यक्ति का अन्य लोगों से पृथक हो जाना।
  3. श्रमिक का अपनी मेहनत के उत्पाद से अलग महसूस करना।
  4. उपरोक्त सभी।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक कई स्तरों पर ‘अलगाव’ का अनुभव करता है। इसमें उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव (जहाँ वह केवल एक मशीन का पुर्जा मात्र है), अपने उत्पाद से अलगाव (जो उसका अपना नहीं है), अपनी प्रजाति-प्रकृति (human nature) से अलगाव (क्योंकि वह सृजनात्मक कार्य नहीं कर पा रहा), और अन्य मनुष्यों से अलगाव (प्रतिस्पर्धा के कारण) शामिल है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की प्रारंभिक कृतियों, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में पाई जाती है। यह पूंजीवादी व्यवस्था की एक गंभीर आलोचना प्रस्तुत करती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) अलगाव के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करते हैं, जो सभी मिलकर मार्क्स के पूरे सिद्धांत को दर्शाते हैं। इसलिए, (d) सबसे व्यापक और सही उत्तर है।

प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘प्रॉक्सीमैटी’ (Proxemity) का अध्ययन, नातेदारी व्यवस्था के संदर्भ में, किसने किया?

  1. एस. सी. दुबे
  2. एन. के. बोस
  3. इरावती कर्वे
  4. एम. एन. श्रीनिवास

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: इरावती कर्वे ने भारतीय परिवारों, नातेदारी और सामाजिक संरचना पर अपने महत्वपूर्ण कार्यों में ‘प्रॉक्सीमैटी’ (निकटता) के सिद्धांत को लागू किया। उन्होंने यह समझाने की कोशिश की कि कैसे भौगोलिक और सामाजिक निकटता नातेदारी के संबंधों की प्रकृति और भूमिका को प्रभावित करती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: कर्वे की पुस्तक ‘Kinship Organisation in India’ नातेदारी संरचनाओं के तुलनात्मक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह दर्शाया कि कैसे विवाह और जन्म के माध्यम से बने संबंध, भौगोलिक दूरी के अनुसार बदलते हैं और उनके प्रति सामाजिक अपेक्षाएं भी भिन्न होती हैं।
  • गलत विकल्प: (a) एस. सी. दुबे ग्रामीण समाज और भारतीय गांव के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। (b) एन. के. बोस भारत में सांस्कृतिक परिवर्तन और भारतीय समाजशास्त्र में प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। (d) एम. एन. श्रीनिवास संस्कृतीकरण और दक्षिण भारत के कोर्गों के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 12: ‘उत्तर-आधुनिकता’ (Postmodernity) के विचार से कौन सा समाजशास्त्री मुख्य रूप से जुड़ा है?

  1. एंथोनी गिडन्स
  2. जीन बॉड्रिलार्ड
  3. पियरे बॉर्डियू
  4. जर्गेन हेबरमास

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जीन बॉड्रिलार्ड (Jean Baudrillard) को उत्तर-आधुनिकता के अध्ययन और ‘सिम्यूलेशन’ (Simulation) और ‘सिमुलैक्र्रा’ (Simulacra) जैसी अवधारणाओं के विकास से मुख्य रूप से जोड़ा जाता है। उनका तर्क है कि उत्तर-आधुनिक समाज में यथार्थता और प्रतिनिधित्व के बीच का अंतर धुंधला हो गया है, जहाँ ‘हाइपररियलिटी’ (Hyperreality) का बोलबाला है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: बॉड्रिलार्ड का मानना था कि आज के समाज में मीडिया और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से निर्मित छवियां और प्रतीक, वास्तविक दुनिया से भी अधिक प्रभावशाली हो गए हैं। उनकी पुस्तक ‘सिमुलक्रा एंड सिम्युलेशन’ इस पर प्रकाश डालती है।
  • गलत विकल्प: (a) एंथोनी गिडन्स आधुनिकता, संरचयीकरण और ‘लेट मॉडर्निटी’ पर कार्य करते हैं। (c) पियरे बॉर्डियू ‘अभ्यास’ (Habitus) और ‘क्षेत्र’ (Field) जैसी अवधारणाओं से जुड़े हैं, जो आधुनिक समाज का विश्लेषण करते हैं। (d) जर्गेन हेबरमास ‘संचारकारी क्रिया’ (Communicative Action) और आधुनिकता की ‘अपूर्ण परियोजना’ पर काम करते हैं।

प्रश्न 13: ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा, जो समाज के सदस्यों को एकजुट रखती है, किसने दी?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ की अवधारणा दी। यह समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों, मूल्यों, मनोवृत्तियों और ज्ञान का कुल योग है, जो उन्हें एक इकाई के रूप में बांधता है और सामाजिक एकजुटता (social solidarity) को बनाए रखता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने इसे ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) वाले समाजों में अधिक मजबूत पाया, जहाँ लोग समान अनुभव और विश्वास साझा करते हैं। ‘विभाजन की समाजशास्त्र’ (The Division of Labour in Society) में उन्होंने इसका विस्तार से वर्णन किया है।
  • गलत विकल्प: (a) मार्क्स ने वर्ग चेतना पर ध्यान केंद्रित किया। (b) वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर दिया। (d) मीड ने ‘सामूहिक अन्य’ (Generalized Other) की बात की, जो व्यक्ति के आत्म-विकास से संबंधित है।

प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का समाजशास्त्रीय विश्लेषण करते हुए, एस. सी. दुबे ने किन प्रमुख बदलावों की ओर इशारा किया?

  1. पारंपरिक संस्थाओं का ह्रास और आधुनिक संस्थाओं का उदय।
  2. व्यक्तिवाद का बढ़ना और सामुदायिक भावना का कम होना।
  3. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार और अंधविश्वासों में कमी।
  4. उपरोक्त सभी।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एस. सी. दुबे ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को एक व्यापक परिवर्तन के रूप में देखा, जिसमें पारंपरिक संस्थाएं (जैसे संयुक्त परिवार, जाति) बदल रही हैं और उनकी जगह आधुनिक संस्थाएं (जैसे एकल परिवार, नए आर्थिक संगठन) ले रही हैं। साथ ही, व्यक्तिवाद का उदय, वैज्ञानिक सोच का प्रसार और पारंपरिक विश्वासों का क्षरण भी इसके महत्वपूर्ण पहलू हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुबे की पुस्तक ‘India’s Changing Villages’ और ‘Modernization and Tradition’ इस प्रक्रिया के सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने आधुनिकीकरण को बहुआयामी प्रक्रिया बताया, जिसमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय आयाम हैं, जिनका एस. सी. दुबे ने अपने कार्यों में विस्तार से विश्लेषण किया है। इसलिए, (d) सही उत्तर है।

प्रश्न 15: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा किसने दी?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. सी. राइट मिल्स
  4. इर्विंग गॉफमैन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) ने अपनी प्रभावशाली पुस्तक ‘The Sociological Imagination’ में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। यह व्यक्तिगत अनुभवों को व्यापक सामाजिक संरचनाओं और ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ने की क्षमता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मिल्स का मानना था कि समाजशास्त्रीय कल्पना व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं को सार्वजनिक मुद्दों से जोड़ने में मदद करती है, और यह सामाजिक परिवर्तन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह व्यक्तिगत को ‘जीवनी’ (Biography) और व्यापक सामाजिक दुनिया को ‘इतिहास’ (History) से जोड़ता है।
  • गलत विकल्प: (a) दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों के वस्तुनिष्ठ अध्ययन पर जोर दिया। (b) वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों के अध्ययन की वकालत की। (d) गॉफमैन ने नाटकीयता के माध्यम से सामाजिक अंतःक्रिया का विश्लेषण किया।

प्रश्न 16: भारतीय समाज में ‘नगरीयकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली प्रमुख सामाजिक समस्याओं में क्या शामिल है?

  1. बढ़ती भीड़भाड़ और आवास की समस्या।
  2. अपराध दर में वृद्धि और सामाजिक विघटन।
  3. पर्यावरण प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएं।
  4. उपरोक्त सभी।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: नगरीयकरण, शहरी क्षेत्रों की ओर जनसंख्या के प्रवास की प्रक्रिया, अक्सर तीव्र और अनियोजित तरीके से होती है, जिससे कई सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इनमें बढ़ती भीड़भाड़, अपर्याप्त आवास, सेवाओं पर दबाव, अपराध और सामाजिक विघटन की प्रवृत्ति, पर्यावरणीय गिरावट और सार्वजनिक स्वास्थ्य की चुनौतियाँ शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये समस्याएं शहरी समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए प्रभावी शहरी नियोजन और सामाजिक नीतियों की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी नगरीयकरण से जुड़ी सामान्य सामाजिक समस्याएं हैं। इसलिए, (d) सबसे उपयुक्त उत्तर है।

प्रश्न 17: ‘नवाचार’ (Innovation) और ‘अनुकूलन’ (Accommodation) सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के किस सिद्धांत से संबंधित हैं?

  1. विकासवाद (Evolutionism)
  2. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  3. प्रकार्यात्मकता (Functionalism)
  4. सामंजस्य सिद्धांत (Assimilation Theory)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner) ने सामाजिक परिवर्तन के चरणों के रूप में ‘नवाचार’, ‘अनुकूलन’ और ‘आत्मसात्करण’ (Assimilation) की चर्चा की, जो समाजशास्त्रीय विकासवाद (Sociological Evolutionism) के विचारों से प्रेरित है। नवाचार नई सामाजिक प्रथाओं या विचारों का उद्भव है, और अनुकूलन इन नवाचारों को मौजूदा सामाजिक संरचना में एकीकृत करने की प्रक्रिया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: समनर ने अपनी पुस्तक ‘Folkways’ में सामाजिक विकास में इन प्रक्रियाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। ये चरण बताते हैं कि कैसे समाज धीरे-धीरे नई स्थितियों और विचारों के प्रति प्रतिक्रिया करता है।
  • गलत विकल्प: (b) संघर्ष सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन का मुख्य कारण प्रतिस्पर्धा और संघर्ष को मानता है। (c) प्रकार्यात्मकता स्थिरता और संतुलन पर जोर देती है। (d) सामंजस्य सिद्धांत एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समूह के साथ पूरी तरह एकीकृत हो जाते हैं।

प्रश्न 18: ‘लघु परंपराएं’ (Little Traditions) और ‘दीर्घ परंपराएं’ (Great Traditions) की अवधारणाओं का उपयोग भारतीय समाज के अध्ययन में किसने किया?

  1. एम. एन. श्रीनिवास
  2. लुई ड्यूमॉन्ट
  3. रॉबर्ट रेडफील्ड
  4. इरावती कर्वे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: रॉबर्ट रेडफील्ड (Robert Redfield), एक मानवशास्त्री, ने ‘लघु परंपराएं’ और ‘दीर्घ परंपराएं’ की अवधारणाओं का उपयोग ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच सांस्कृतिक अंतर को समझने के लिए किया। लघु परंपराएं स्थानीय, अक्सर अनपढ़ समुदायों की प्रथाएं और विश्वास हैं, जबकि दीर्घ परंपराएं लिखित धर्मों, दर्शनों और कलाओं से जुड़ी हैं जो समाज के अभिजात वर्ग में प्रचलित होती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: रेडफील्ड ने अपने मेक्सिकन गांवों के अध्ययन में इन अवधारणाओं को विकसित किया और बाद में भारतीय समाज के संदर्भ में भी इसका प्रयोग किया गया। यह समझने में मदद करता है कि कैसे स्थानीय रीति-रिवाज बड़े सांस्कृतिक धाराओं के साथ बातचीत करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) एम. एन. श्रीनिवास संस्कृतीकरण के लिए जाने जाते हैं। (b) लुई ड्यूमॉन्ट ने भारतीय जाति व्यवस्था पर ‘Homos Hierarchicus’ नामक महत्वपूर्ण कार्य किया। (d) इरावती कर्वे नातेदारी व्यवस्था पर प्रमुख कार्य के लिए जानी जाती हैं।

प्रश्न 19: ‘अधीनता’ (Subordination) और ‘वर्चस्व’ (Hegemony) जैसी अवधारणाएँ ग्राम्शी के किस प्रमुख सिद्धांत से संबंधित हैं?

  1. वर्ग संघर्ष
  2. नागरिक समाज
  3. सांस्कृतिक प्रभुत्व
  4. राज्य और शक्ति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एंटोनियो ग्राम्शी (Antonio Gramsci) ने ‘वर्चस्व’ (Hegemony) की अवधारणा के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया कि कैसे शासक वर्ग केवल बल प्रयोग के बजाय, सांस्कृतिक और वैचारिक साधनों का उपयोग करके जनसाधारण की सहमति प्राप्त करता है और उन्हें नियंत्रित करता है। ‘अधीनता’ इस प्रभुत्व का परिणाम है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ग्राम्शी ने ‘कैदखाने की किताबें’ (Prison Notebooks) में इन विचारों को विकसित किया। उनके अनुसार, वर्चस्व वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शासक वर्ग अपनी विचारधारा को ‘सामान्य ज्ञान’ (common sense) के रूप में स्थापित करता है, जिससे लोगों को अपनी अधीनता स्वाभाविक लगने लगती है।
  • गलत विकल्प: (a) वर्ग संघर्ष मार्क्स का केंद्रीय विचार है, हालांकि ग्राम्शी इसे विस्तार देते हैं। (b) नागरिक समाज (Civil Society) भी ग्राम्शी के विश्लेषण का हिस्सा है, लेकिन वर्चस्व सांस्कृतिक पहलू पर अधिक केंद्रित है। (d) राज्य और शक्ति ग्राम्शी के काम का हिस्सा हैं, लेकिन वर्चस्व विशेष रूप से सांस्कृतिक और वैचारिक शक्ति पर केंद्रित है।

प्रश्न 20: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के अनुसार, बच्चे के ‘स्व’ (Self) का विकास कैसे होता है?

  1. जन्मजात प्रवृत्ति के कारण।
  2. माता-पिता से प्राप्त आनुवंशिक लक्षणों के कारण।
  3. सामाजिक अंतःक्रिया और दूसरों की भूमिकाओं को अपनाने से।
  4. स्कूल में औपचारिक शिक्षा से।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, व्यक्ति का ‘स्व’ (Self) एक जन्मजात गुण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है। जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, बच्चे दूसरों (जैसे माता-पिता, साथियों) की भूमिकाओं को अपनाकर सीखते हैं और यह सीखते हैं कि दूसरे उन्हें कैसे देखते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड ने ‘खेल चरण’ (Play Stage) और ‘गेम चरण’ (Game Stage) का वर्णन किया। खेल चरण में बच्चा विशिष्ट ‘अन्य’ (Significant Other) की भूमिका अपनाता है, और गेम चरण में वह ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) यानी समाज की समग्र अपेक्षाओं को समझना शुरू करता है, जिससे उसके ‘स्व’ का विकास होता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) जैविक या आनुवंशिक कारणों पर आधारित हैं, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद की मुख्य दलील नहीं है। (d) स्कूल महत्वपूर्ण है, लेकिन स्व का विकास उससे कहीं पहले और व्यापक सामाजिक अंतःक्रिया से शुरू हो जाता है।

प्रश्न 21: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?

  1. किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत संपत्ति और वित्तीय संसाधन।
  2. किसी व्यक्ति के सामाजिक संबंधों का जाल और उन संबंधों से मिलने वाले लाभ।
  3. किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल।
  4. किसी समुदाय की भौतिक अवसंरचना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी (Social Capital) का तात्पर्य व्यक्ति या समूह के सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, विश्वास और सहयोग से है, जो उन्हें किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है। यह मूर्त संपत्ति नहीं, बल्कि सामाजिक संबंधों की एक अमूर्त संपत्ति है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक पूंजी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से काम किया है। बॉर्डियू के लिए, यह ‘अभ्यास’ (Habitus) का एक महत्वपूर्ण घटक है जो सामाजिक स्थिति को बनाए रखने में मदद करता है।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत संपत्ति ‘आर्थिक पूंजी’ है। (c) शिक्षा और कौशल ‘मानव पूंजी’ हैं। (d) भौतिक अवसंरचना ‘भौतिक पूंजी’ है।

प्रश्न 22: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने ‘मानसिक अस्पताल’ (Mental Hospitals) के अपने अध्ययन में ‘संस्थागत वातावरण’ (Institutional Environments) का वर्णन करने के लिए किस शब्द का प्रयोग किया?

  1. नाटकीय प्रस्तुति (Dramatic Presentation)
  2. संपूर्ण संस्था (Total Institution)
  3. सांकेतिक अंतःक्रिया (Symbolic Interaction)
  4. सामाजिक तथ्य (Social Fact)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘Asylums: Essays on the Social Situation of Mental Patients and Other Inmates’ में ‘संपूर्ण संस्था’ (Total Institution) की अवधारणा दी। यह एक ऐसी संस्था है जहाँ जीवन का एक बड़ा हिस्सा, एक ही स्थान पर, समान स्थिति वाले व्यक्तियों के साथ, एक अधिकारी द्वारा आयोजित और नियंत्रित किया जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: गॉफमैन ने ऐसे स्थानों में व्यक्ति के ‘आत्म’ (Self) के क्षरण या पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का विश्लेषण किया। जेल, सैन्य बैरक, कॉन्वेंट और मानसिक अस्पताल इसके उदाहरण हैं, जहाँ बाहरी दुनिया से अलगाव होता है और संस्था के अपने नियम हावी होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) नाटकीय प्रस्तुति गॉफमैन की ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) का हिस्सा है, लेकिन संस्था के समग्र स्वरूप का वर्णन नहीं है। (c) सांकेतिक अंतःक्रिया प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का सिद्धांत है। (d) सामाजिक तथ्य दुर्खीम की अवधारणा है।

प्रश्न 23: भारतीय समाज में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसके काम से जुड़ी है, खासकर जब प्रौद्योगिकी और सामाजिक मूल्यों के बीच असंतुलन की बात आती है?

  1. एम. एन. श्रीनिवास
  2. एस. सी. दुबे
  3. जी. एस. घुरिये
  4. विलियम एफ. ऑग्बर्न

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम एफ. ऑग्बर्न (William F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी। यह तब होता है जब समाज के भौतिक या तकनीकी पहलू (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक पहलुओं (जैसे सामाजिक मूल्य, कानून, रीति-रिवाज) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलते हैं, जिससे दोनों के बीच असंतुलन पैदा होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ऑग्बर्न ने इसे औद्योगीकरण और शहरीकरण के युग में महत्वपूर्ण माना। उदाहरण के लिए, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति (जैसे जीवन रक्षक उपकरण) ने मृत्यु दर को कम किया, लेकिन समाज के मृत्यु को स्वीकार करने और अंतिम संस्कार की प्रथाओं को अनुकूलित करने में समय लगा।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) भारतीय समाजशास्त्र के प्रमुख विद्वान हैं जिन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलंब की अवधारणा विशेष रूप से ऑग्बर्न से जुड़ी है।

प्रश्न 24: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) को ‘सामाजिक संबंधों का जाल’ (Network of Social Relationships) के रूप में किसने परिभाषित किया?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. हर्बर्ट स्पेंसर
  4. जॉन हबर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: हर्बर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) ने समाज को एक ‘जैविक अंग’ (Social Organism) के रूप में देखा और सामाजिक संरचना को विभिन्न परस्पर संबंधित ‘अंगों’ या ‘उपांगों’ (जैसे परिवार, धर्म, अर्थव्यवस्था) के एक जटिल जाल के रूप में वर्णित किया, जो समाज को बनाए रखने के लिए एक साथ काम करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: स्पेंसर ने ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) के विचारों को भी बढ़ावा दिया, यह तर्क देते हुए कि समाज विकासवादी प्रक्रिया से गुजरता है। उनका सामाजिक संरचना का विचार समाज के विभिन्न भागों के बीच संबंधों और उनके कार्यों पर केंद्रित था।
  • गलत विकल्प: (a) दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और एकजुटता पर जोर दिया। (b) वेबर ने शक्ति, नौकरशाही और व्यक्तिपरक अर्थों का विश्लेषण किया। (d) मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद और ‘स्व’ के विकास पर काम किया।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद अस्पृश्यता (Untouchability) के उन्मूलन और इसके किसी भी रूप में अभ्यास को प्रतिबंधित करता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 17
  4. अनुच्छेद 18

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को प्रतिबंधित करता है। अस्पृश्यता के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव कानून द्वारा दंडनीय अपराध है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद भारतीय समाज में जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के संवैधानिक प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह जाति व्यवस्था के सबसे दमनकारी पहलुओं में से एक का उन्मूलन सुनिश्चित करता है।
  • गलत विकल्प: (a) अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता की गारंटी देता है। (b) अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। (d) अनुच्छेद 18 उपाधियों के उन्मूलन से संबंधित है।

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