समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: आपकी संकल्पनाओं को परखें
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! एक नए दिन की बौद्धिक यात्रा पर आपका स्वागत है। आज की इस अभ्यास श्रृंखला के साथ अपनी समाजशास्त्रीय समझ को और गहरा करें। यह 25 प्रश्नों का सेट आपकी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार किया गया है। आइए, अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को विस्तार से प्रस्तुत करते हुए, दुर्खीम ने समाज को एक ऐसे तंत्र के रूप में देखा जहाँ व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाएँ पूर्वनिर्धारित होती हैं। इस विचार को समझने के लिए दुर्खीम ने किस प्रमुख अवधारणा का प्रयोग किया?
- सामूहिक चेतना (Collective Consciousness)
- अहस्तक्षेप (Laissez-faire)
- सामाजिक तथ्य (Social Facts)
- प्रतिनिधित्व (Representation)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ में प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि सामाजिक तथ्य व्यक्ति से बाह्य होते हैं और उन पर बाहरी दबाव डालते हैं, जैसे कि रीति-रिवाज, कानून और नैतिकता। ये सामाजिक संरचना के निर्माण खंड हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने समाज को एक ‘वास्तविकता’ के रूप में देखा जो व्यक्तियों के योग से अधिक है। सामाजिक तथ्य ही वह ‘सामग्री’ हैं जिनसे यह सामाजिक वास्तविकता निर्मित होती है।
- गलत विकल्प: (a) ‘सामूहिक चेतना’ दुर्खीम का एक महत्वपूर्ण विचार है, लेकिन यह समाज की ‘आत्मनिष्ठा’ को दर्शाता है, संरचना को नहीं। (b) ‘अहस्तक्षेप’ आर्थिक या राजनीतिक सिद्धांत से संबंधित है। (d) ‘प्रतिनिधित्व’ प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से अधिक जुड़ा है।
प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी समाज में श्रमिक वर्ग अपनी श्रम-शक्ति को बेचने के लिए मजबूर होता है, जिससे उसे अपने उत्पादित वस्तुओं से अलगाव (Alienation) का अनुभव होता है। मार्क्स ने अलगाव के कितने प्रकारों का उल्लेख किया है?
- दो
- तीन
- चार
- पाँच
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने अपनी कृति ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसोफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में अलगाव के चार प्रमुख प्रकारों का वर्णन किया है: 1. उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, 2. उत्पादन के परिणाम (उत्पाद) से अलगाव, 3. अपनी प्रजातीय प्रकृति (मानव स्वभाव) से अलगाव, और 4. अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के लिए, अलगाव पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली का एक अनिवार्य परिणाम है, जहाँ श्रमिक अपने श्रम और उसके फल पर नियंत्रण खो देता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प मार्क्स द्वारा बताए गए अलगाव के प्रकारों की संख्या से मेल नहीं खाते।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) को सत्ता के ‘तर्कसंगत-वैध’ (Rational-Legal) अधिकार का सबसे शुद्ध रूप माना है। नौकरशाही की कौन सी विशेषता वेबर के आदर्श प्रारूप (Ideal Type) का हिस्सा नहीं है?
- अधिकारों और जिम्मेदारियों का निश्चित पदानुक्रम
- नियमानुसार कार्य संचालन (Rules and Regulations)
- कर्मचारियों का स्थायी रोजगार
- भावनाओं का खुला प्रकटीकरण
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: वेबर के आदर्श प्रारूप में नौकरशाही की विशेषताओं में पदानुक्रम, लिखित नियम, विशेषज्ञता, अवैयक्तिक संबंध (impersonality) और स्थायी रोजगार शामिल हैं। भावनाओं का खुला प्रकटीकरण अवैयक्तिकता के सिद्धांत के विरुद्ध है, जो नौकरशाही की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को दक्षता और पूर्वानुमान (predictability) का प्रतीक माना, जो अवैयक्तिकता के माध्यम से संभव है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी वेबर के नौकरशाही के आदर्श प्रारूप की महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 4: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के मुख्य प्रस्तावक कौन हैं, जिन्होंने ‘स्व’ (Self) की अवधारणा को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित माना?
- ए.वी. सेंट-साइमन
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- टोल्कोट पार्सन्स
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का जनक माना जाता है। उन्होंने ‘स्व’ (Self) के विकास को समाजशास्त्रीय महत्वपूर्ण माना, जो जन्म से नहीं, बल्कि दूसरों के साथ अंतःक्रिया और ‘भूमिका ग्रहण’ (taking the role of the other) के माध्यम से विकसित होता है।
संदर्भ एवं विस्तार: मीड ने ‘आई’, ‘मी’, और ‘जेनर्लाइज़्ड अदर’ (Generalized Other) की अवधारणाओं के माध्यम से बताया कि व्यक्ति कैसे समाज के नियमों और अपेक्षाओं को आत्मसात करता है।
गलत विकल्प: (a) सेंट-साइमन को समाजशास्त्र के संस्थापकों में गिना जाता है, लेकिन वे प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से नहीं जुड़े। (c) पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जुड़े हैं। (d) पार्क शिकागो स्कूल के प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के विकास में योगदान दिया, लेकिन मीड को इसका मुख्य प्रस्तावक माना जाता है।
प्रश्न 5: भारतीय समाज में जाति व्यवस्था से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत की गई, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवन शैली, रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करती है?
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- नगरीकरण (Urbanization)
- पवित्रता-अपवित्रता (Purity-Pollution)
- संस्कृतिकरण (Sanskritization)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जहाँ निम्न जातीय समूह उच्च जातियों के व्यवहार, कर्मकांड और पूजा-पद्धति को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास करते हैं।
संदर्भ एवं विस्तार: संस्कृतिकरण सामाजिक गतिशीलता (social mobility) का एक रूप है, जो सांस्कृतिक परिवर्तन पर आधारित है।
गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को दर्शाता है। (b) नगरीकरण गांवों से शहरों की ओर प्रवासन से संबंधित है। (c) पवित्रता-अपवित्रता, जाति व्यवस्था का एक मूलभूत सिद्धांत है, लेकिन यह प्रक्रिया का वर्णन नहीं करती।
प्रश्न 6: दुर्खीम के अनुसार, समाज में सामाजिक एकता (Social Solidarity) के दो मुख्य प्रकार हैं। औद्योगिक समाजों में जहाँ श्रम-विभाजन (Division of Labour) अत्यधिक विकसित होता है, कौन सा सामाजिक एकता का प्रकार प्रबल होता है?
- यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity)
- जैविक एकता (Organic Solidarity)
- पारस्परिक एकता (Reciprocal Solidarity)
- प्रतीकात्मक एकता (Symbolic Solidarity)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: दुर्खीम ने ‘जैविक एकता’ (Organic Solidarity) का वर्णन किया है जो आधुनिक, जटिल समाजों में पाई जाती है। इसमें व्यक्ति एक-दूसरे पर अपनी विशेषज्ञता और परस्पर निर्भरता के कारण जुड़े होते हैं, ठीक उसी तरह जैसे एक जैविक शरीर के विभिन्न अंग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
संदर्भ एवं विस्तार: यह यांत्रिक एकता के विपरीत है, जो सरल समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग समानता और समान विश्वासों से बंधे होते हैं।
गलत विकल्प: (a) यांत्रिक एकता सरल समाजों की विशेषता है। (c) और (d) समाजशास्त्रीय संदर्भ में दुर्खीम द्वारा परिभाषित एकता के प्रकार नहीं हैं।
प्रश्न 7: किस समाजशास्त्री ने ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की पद्धति का उपयोग करते हुए नौकरशाही, धर्म और राजनीति जैसे जटिल सामाजिक घटनाओं का विश्लेषण किया?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- अगस्त कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सामाजिक घटनाओं के अध्ययन के लिए ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) नामक एक विश्लेषणात्मक उपकरण विकसित किया। यह एक सैद्धांतिक निर्माण है जो किसी सामाजिक वास्तविकता की कुछ मुख्य विशेषताओं को अतिरंजित करके प्रस्तुत करता है, जिससे उसका अध्ययन सरल हो जाता है।
संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने इसका उपयोग नौकरशाही, पूंजीवाद, प्रोटेस्टेंट नैतिकता आदि के विश्लेषण में किया।
गलत विकल्प: (a) मार्क्स ने द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रयोग किया। (b) दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और प्रकार्यवाद पर बल दिया। (d) कॉम्ते ने प्रत्यक्षवाद (Positivism) की वकालत की।
प्रश्न 8: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के ‘प्रकार्यात्मक सिद्धांत’ (Functionalist Theory) के अनुसार, समाज में असमानता क्यों मौजूद होती है?
- यह शक्तिहीन वर्गों के शोषण का परिणाम है।
- यह समाज में कुछ भूमिकाओं को महत्वपूर्ण मानने और उन्हें भरने के लिए प्रेरित करने हेतु आवश्यक है।
- यह केवल ऐतिहासिक परिस्थितियों का परिणाम है।
- यह सामाजिक व्यवस्था के लिए हानिकारक है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: किलर और मूर (Kingsley Davis and Wilbert Moore) जैसे प्रकार्यवादी समाजशास्त्रियों ने तर्क दिया कि सामाजिक स्तरीकरण, जिसमें विभिन्न पदों के लिए असमान पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) शामिल हैं, समाज के सुचारू कामकाज के लिए आवश्यक है। यह सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाओं को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरने के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करता है।
संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि सभी पद समान रूप से महत्वपूर्ण नहीं होते और कुछ के लिए अधिक प्रशिक्षण और प्रतिभा की आवश्यकता होती है।
गलत विकल्प: (a) यह संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का तर्क है। (c) प्रकार्यवादियों के अनुसार यह केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि वर्तमान में भी कार्यात्मक है। (d) प्रकार्यवादियों के अनुसार यह समाज के लिए हानिकारक नहीं, बल्कि लाभदायक है।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में, ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) को सामाजिक संस्था के रूप में निम्नलिखित में से किस विशेषता से पहचाना जाता है?
- केवल माता-पिता और अविवाहित बच्चे
- तीन या अधिक पीढ़ियों का एक साथ रहना
- विवाह के बिना सहवास
- व्यक्तिगत संपत्ति पर जोर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: संयुक्त परिवार की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य, जैसे दादा-दादी, माता-पिता और बच्चे, एक साथ एक छत के नीचे रहते हैं, सामान्य रसोई साझा करते हैं और एक सामान्य संपत्ति रखते हैं।
संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय समाज में संयुक्त परिवार को सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक हस्तांतरण का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता रहा है।
गलत विकल्प: (a) यह ‘नाभिकीय परिवार’ (Nuclear Family) की परिभाषा है। (c) विवाह के बिना सहवास भारतीय सामाजिक संरचना में सामान्यतः स्वीकार्य नहीं है। (d) संयुक्त परिवार में व्यक्तिगत संपत्ति के बजाय साझा संपत्ति पर जोर दिया जाता है।
प्रश्न 10: ‘अमीबा’ (Anomie) की अवधारणा, जो समाज में सामाजिक मानदंडों के कमजोर या अनुपस्थित होने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- इर्विंग गॉफमैन
- ए.एच. हैलोज (A.H. Hollingshead)
- एमिल दुर्खीम
- चार्ल्स कूली
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘अमीबा’ (Anomie) की अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में विकसित किया। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ सामाजिक नियंत्रण के मानदंड शिथिल पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्ति में दिशाहीनता और हताशा की भावना उत्पन्न होती है।
संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या अचानक समृद्धि जैसी स्थितियाँ अमीबा को जन्म दे सकती हैं।
गलत विकल्प: (a) गॉफमैन ‘सामने का प्रदर्शन’ (Presentation of Self) से जुड़े हैं। (b) हैलोज ने सामाजिक वर्ग का अध्ययन किया। (d) कूली ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 11: समाजशास्त्र में, ‘संस्कृति’ (Culture) को व्यापक अर्थ में कैसे परिभाषित किया जाता है?
- केवल कला, साहित्य और संगीत
- किसी समाज द्वारा सीखा और साझा किया गया व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य और कलाकृतियाँ।
- केवल उच्च वर्ग की जीवन शैली
- सामूहिक चेतना की अव्यक्त अभिव्यक्ति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: समाजशास्त्र में संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जिसमें किसी समाज के सदस्यों द्वारा सीखा गया, साझा किया गया और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया जाने वाला सब कुछ शामिल है, जैसे कि उनके व्यवहार के तरीके, भाषा, मूल्य, विश्वास, मानदंड, कला, प्रौद्योगिकी और भौतिक वस्तुएँ।
संदर्भ एवं विस्तार: संस्कृति समाज का वह ‘नक्शा’ है जो हमें यह समझने में मदद करता है कि लोग कैसे सोचते हैं, क्या करते हैं और कैसे व्यवहार करते हैं।
गलत विकल्प: (a) यह संस्कृति का केवल एक संकीर्ण पहलू है। (c) यह सामाजिक स्तरीकरण से संबंधित है, न कि संस्कृति की पूर्ण परिभाषा से। (d) जबकि संस्कृति सामूहिक चेतना को प्रतिबिंबित कर सकती है, यह उसकी पूरी परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा सामाजिक परिवर्तन (Social Change) का एक ‘अन्तर्जात’ (Endogenous) कारण है, जो समाज के आंतरिक कारकों से उत्पन्न होता है?
- तकनीकी नवाचार (Technological Innovation)
- प्राकृतिक आपदाएँ
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन (Demographic Changes)
- पड़ोसी समाजों से सांस्कृतिक प्रसार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जैसे जनसंख्या वृद्धि, आयु संरचना में बदलाव, या जन्म/मृत्यु दर में परिवर्तन, अक्सर समाज के भीतर से उत्पन्न होते हैं और सामाजिक संरचना तथा संस्कृति में परिवर्तन लाते हैं।
संदर्भ एवं विस्तार: जबकि तकनीकी नवाचार भी समाज में परिवर्तन लाते हैं, वे अक्सर बाहरी आविष्कार या अनुकूलन से भी प्रभावित हो सकते हैं। प्राकृतिक आपदाएँ बाहरी कारक हैं। सांस्कृतिक प्रसार बाहरी समाजों से होता है।
गलत विकल्प: (a) तकनीकी नवाचार कभी-कभी बाहरी स्रोतों से भी आते हैं। (b) प्राकृतिक आपदाएँ बाहरी कारण हैं। (d) यह स्पष्ट रूप से एक बाह्य (Exogenous) कारक है।
प्रश्न 13: भारतीय समाज में, ‘विवाह’ (Marriage) को किस प्रकार की सामाजिक संस्था के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है?
- प्राथमिक संस्था
- गौण संस्था
- समर्थक संस्था
- पूरक संस्था
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: समाजशास्त्र में, विवाह को एक ‘प्राथमिक संस्था’ माना जाता है क्योंकि यह परिवार और वंश की निरंतरता सुनिश्चित करता है, जो किसी भी समाज के लिए मूलभूत हैं। परिवार, विवाह, धर्म और शिक्षा को अक्सर प्राथमिक संस्थाओं में गिना जाता है।
संदर्भ एवं विस्तार: ये संस्थाएँ समाज की मूल आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
गलत विकल्प: (b), (c), और (d) संस्थाओं के वर्गीकरण के ऐसे मानक प्रकार नहीं हैं, या वे विवाह की मूलभूत प्रकृति को पूरी तरह से नहीं दर्शाते।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ है:
- समाज में व्यक्तियों का स्थिर रहना।
- व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना।
- किसी समाज में सामाजिक मानदंडों का पालन करना।
- सामाजिक परिवर्तन को रोकना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्तरीकरण की पदानुक्रम में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में स्थानांतरण से है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
संदर्भ एवं विस्तार: यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति बदलते हैं, जो अक्सर शिक्षा, व्यवसाय, धन या विवाह जैसे कारकों से प्रभावित होती है।
गलत विकल्प: (a) सामाजिक गतिशीलता के विपरीत है। (c) और (d) सामाजिक स्थिरता या प्रतिरोध से संबंधित हैं।
प्रश्न 15: मार्क्स के अनुसार, समाज का इतिहास मुख्य रूप से किसका इतिहास है?
- विचारों का संघर्ष
- वर्गों के बीच संघर्ष
- प्रौद्योगिकी का विकास
- धार्मिक विश्वासों का प्रसार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने अपने ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के सिद्धांत में बताया कि समाज का विकास उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष से संचालित होता है। पूंजीवाद में, यह बुर्जुआ (पूँजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच का संघर्ष है।
संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स का मानना था कि यह वर्ग संघर्ष ही सामाजिक क्रांति और अंततः एक वर्गहीन समाज की ओर ले जाएगा।
गलत विकल्प: (a) विचार महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मार्क्स के लिए वे उत्पादन की भौतिक स्थितियों से व्युत्पन्न होते हैं। (c) प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है, लेकिन संघर्ष का एक कारक है, न कि मुख्य संचालक। (d) धर्म को मार्क्स ने ‘जनता की अफीम’ कहा, जो व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करता है।
प्रश्न 16: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा किसने दी, जो व्यक्तिगत समस्याओं को व्यापक सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ने की क्षमता का वर्णन करती है?
- ई. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- सी. राइट मिल्स
- डेविड ई. लिलिएंटल
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: सी. राइट मिल्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Sociological Imagination’ (1959) में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। यह व्यक्तियों को उनकी व्यक्तिगत समस्याओं (जैसे बेरोजगारी, तलाक) को उनके व्यापक सामाजिक, ऐतिहासिक और संरचनात्मक संदर्भों (जैसे आर्थिक मंदी, सामाजिक परिवर्तन) से जोड़ने की क्षमता सिखाती है।
संदर्भ एवं विस्तार: मिल्स का मानना था कि यह क्षमता ही समाजशास्त्रीय अध्ययन का हृदय है, जो हमें समाज को बेहतर ढंग से समझने और उसमें अपनी भूमिका निभाने में मदद करती है।
गलत विकल्प: (a) रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से संबंधित हैं। (c) लिलिएंटल को सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में जाना जाता है। (d) पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे, लेकिन यह विशिष्ट अवधारणा मिल्स की है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारतीय ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की एक प्रमुख विशेषता नहीं है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- पदानुक्रमित व्यवस्था (Hierarchical Order)
- व्यवसाय की स्वतंत्रता
- विशिष्ट सामाजिक प्रतिबंध (Social Restrictions)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: जाति व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता यह है कि पारंपरिक रूप से व्यक्तियों का व्यवसाय उनकी जाति से जुड़ा होता था, और व्यवसाय बदलने की स्वतंत्रता बहुत सीमित थी। अन्य विकल्प (अंतर्विवाह, पदानुक्रम, और प्रतिबंध) जाति व्यवस्था की केंद्रीय विशेषताएँ हैं।
संदर्भ एवं विस्तार: जन्म के आधार पर जाति तय होती थी, और उसी के अनुसार व्यक्ति के खान-पान, विवाह और व्यवसाय के नियम निर्धारित होते थे।
गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी जाति व्यवस्था की परिभाषित विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 18: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?
- समाज को बदलना।
- व्यक्तियों का समाज के मूल्यों, मानदंडों और व्यवहारों को सीखना।
- सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजना।
- लोगों को संगठित करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: सामाजिकरण वह आजीवन प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने समाज के सांस्कृतिक ज्ञान, कौशल, मूल्य और व्यवहार सीखते हैं, जिससे वे समाज के एक कार्यात्मक सदस्य बन पाते हैं।
संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया परिवार, स्कूल, साथियों के समूह और मीडिया जैसे विभिन्न सामाजिक अभिकर्ताओं (Agents of Socialization) द्वारा संचालित होती है।
गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सामाजिकरण के प्रत्यक्ष या परिणामी पहलू हो सकते हैं, लेकिन वे स्वयं सामाजिकरण की प्रक्रिया को परिभाषित नहीं करते।
प्रश्न 19: किस समाजशास्त्री ने ‘सुपर-ईगो’ (Super-ego) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो व्यक्तित्व का वह हिस्सा है जो सामाजिक मानदंडों और नैतिकता को आंतरिक बनाता है?
- बी.एफ. स्किनर
- सिगमंड फ्रायड
- अब्राहम मैस्लो
- कार्ल रोजर्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: सिगमंड फ्रायड, मनोविश्लेषण के जनक, ने मानव व्यक्तित्व की संरचना को ‘इड’ (Id), ‘ईगो’ (Ego) और ‘सुपर-ईगो’ (Super-ego) में विभाजित किया। सुपर-ईगो नैतिकता, आदर्शों और निषेधों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे व्यक्ति माता-पिता और समाज से सीखता है।
संदर्भ एवं विस्तार: फ्रायड के अनुसार, सुपर-ईगो सामाजिकरण की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण परिणाम है, जो व्यक्ति को समाज के नियमों के अनुसार व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है।
गलत विकल्प: (a) स्किनर व्यवहारवाद (Behaviorism) से जुड़े हैं। (c) और (d) मानविकी मनोविज्ञान (Humanistic Psychology) के समर्थक हैं।
प्रश्न 20: ‘संसाधन की कमी’ (Relative Deprivation) की अवधारणा का संबंध किस सामाजिक घटना से है?
- किसी व्यक्ति की आय में अचानक वृद्धि।
- जब व्यक्ति अपनी स्थिति की तुलना दूसरों से करता है और उन्हें स्वयं से बेहतर पाता है, तो महसूस होने वाली कमी की भावना।
- किसी समुदाय का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना।
- समाज द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: संसाधन की कमी (Relative Deprivation) वह स्थिति है जब व्यक्ति या समूह अपनी वर्तमान स्थिति को दूसरों की तुलना में खराब पाते हैं, भले ही उनकी वास्तविक स्थिति में सुधार हुआ हो। यह असंतोष और सामाजिक आंदोलनों का कारण बन सकती है।
संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा अक्सर सामाजिक आंदोलनों के अध्ययन में प्रयोग की जाती है, जैसे कि गुरिल्ला विद्रोह या क्रांतियाँ, जहाँ लोग अपेक्षाओं के पूरा न होने पर विरोध करते हैं।
गलत विकल्प: (a) यह निरपेक्ष (absolute) सुधार है। (c) यह आत्मनिर्भरता है। (d) यह आज्ञाकारिता है।
प्रश्न 21: भारत में, ‘जनजातीय समुदाय’ (Tribal Communities) की पहचान अक्सर निम्नलिखित में से किस आधार पर की जाती है?
- शहरी क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति
- उनकी विशेष भौगोलिक अलगाव, अनूठी संस्कृति और मुख्यधारा के समाज से भिन्न सामाजिक-आर्थिक संरचना।
- उच्च शिक्षा का स्तर
- औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: जनजातीय समुदायों को अक्सर भौगोलिक अलगाव, अपनी विशिष्ट भाषा, रीति-रिवाजों, विश्वासों, वेशभूषा, और सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं के आधार पर पहचाना जाता है, जो उन्हें बहुसंख्यक या मुख्यधारा के समाज से अलग करती है।
संदर्भ एवं विस्तार: भारत के संविधान में भी जनजातियों की पहचान के लिए ऐसे मापदंडों पर विचार किया गया है।
गलत विकल्प: (a), (c), और (d) जनजातियों की विशिष्ट पहचान के मुख्य आधार नहीं हैं; वास्तव में, ये कारक अक्सर उनके ‘मुख्यधारा’ से भिन्न होने को इंगित करते हैं।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- समाज में व्यवस्था बनाए रखना और अनियंत्रित व्यवहार को रोकना।
- सामाजिक असमानता को बढ़ावा देना।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह से समाप्त करना।
- केवल व्यक्तिगत समस्याओं को हल करना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण का मुख्य कार्य समाज में व्यवस्था, स्थिरता और पूर्वानुमेयता बनाए रखना है। यह अनियंत्रित, अव्यवस्थित या विध्वंसक व्यवहार को रोकने के लिए सामाजिक मानदंडों, नियमों और दंडों का उपयोग करता है।
संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक नियंत्रण औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे सामाजिक बहिष्कार, आलोचना) दोनों हो सकता है।
गलत विकल्प: (b) सामाजिक नियंत्रण का उद्देश्य असमानता को बढ़ावा देना नहीं है। (c) यह स्वतंत्रता को सीमित करता है, लेकिन समाप्त नहीं करता। (d) यह केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक समस्याओं से संबंधित है।
प्रश्न 23: ऑगस्ट कॉम्टे, जिन्हें समाजशास्त्र का ‘जनक’ माना जाता है, ने समाज के विकास को समझने के लिए किस नियम का प्रस्ताव दिया?
- ऐतिहासिक भौतिकवाद का नियम
- तीन अवस्थाओं का नियम (Law of Three Stages)
- भूमिका ग्रहण का नियम
- अलगाव का नियम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: ऑगस्ट कॉम्टे ने ‘तीन अवस्थाओं के नियम’ (Law of Three Stages) का प्रस्ताव दिया, जिसके अनुसार मानव समाज का विकास तीन चरणों से गुजरता है: 1. धर्मशास्त्रीय अवस्था (Theological Stage), 2. सत्तामीमांसीय अवस्था (Metaphysical Stage), और 3. प्रत्यक्षवादी अवस्था (Positive/Scientific Stage)।
संदर्भ एवं विस्तार: कॉम्टे का मानना था कि समाज अंततः वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित प्रत्यक्षवादी अवस्था में पहुंचेगा, और उन्होंने इसी का अध्ययन करने के लिए ‘समाजशास्त्र’ शब्द गढ़ा।
गलत विकल्प: (a) मार्क्स से संबंधित है। (c) मीड से संबंधित है। (d) दुर्खीम या मार्क्स से संबंधित है।
प्रश्न 24: ‘रचनात्मकता’ (Creativity) और ‘नवाचार’ (Innovation) को सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख तत्वों के रूप में किसने पहचाना, जो अक्सर ‘असंगत’ (Deviant) व्यवहार से जुड़े हो सकते हैं?
- रॉबर्ट के. मर्टन
- ट्रेसी आर. हार्ट (Tracy R. Hart)
- ई.टी. हिल (E.T. Hall)
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘विसंगति के संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Strain Theory of Deviance) में ‘नवाचार’ (Innovation) को एक अनुकूलन के रूप में परिभाषित किया, जहाँ व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संस्थागत साधनों का नहीं, बल्कि नए या अनौपचारिक साधनों का उपयोग करता है। यह रचनात्मकता का एक रूप हो सकता है जो कभी-कभी विसंगतिपूर्ण माना जाता है।
संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन के अनुसार, यह तब होता है जब समाज में सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच असंतुलन (strain) होता है।
गलत विकल्प: (b), (c), और (d) अन्य महत्वपूर्ण समाजशास्त्री हैं, लेकिन यह अवधारणा सीधे तौर पर मर्टन के कार्य से जुड़ी है।
प्रश्न 25: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का समाज पर क्या महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है?
- ग्रामीण जीवन शैली को मजबूत किया।
- शहरीकरण, नाभिकीय परिवारों में वृद्धि और नए सामाजिक वर्गों का उदय।
- पारंपरिक सामाजिक संस्थाओं को मजबूत किया।
- स्थिर आर्थिक विकास सुनिश्चित किया।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
सही उत्तर: औद्योगीकरण ने बड़े पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन किए हैं। इसने लोगों को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने के लिए प्रेरित किया (शहरीकरण), जिसने पारंपरिक संयुक्त परिवारों को छोटे नाभिकीय परिवारों में बदलने में योगदान दिया, और एक नई औद्योगिक पूंजीपति और श्रमिक वर्ग का उदय हुआ।
संदर्भ एवं विस्तार: औद्योगीकरण ने उत्पादन विधियों, उपभोग पैटर्न और जीवन शैली में मौलिक परिवर्तन लाए।
गलत विकल्प: (a) औद्योगीकरण ने ग्रामीण जीवन शैली को कमजोर किया। (c) इसने पारंपरिक संस्थाओं को अक्सर कमजोर किया या बदला। (d) आर्थिक विकास परिवर्तनशील रहा है, और इसने नई अस्थिरताएं भी पैदा कीं।
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