समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मजबूत करें!
नमस्ते, भविष्य के समाजशास्त्रियों! आज के इस विशेष सत्र में आपका स्वागत है, जहाँ हम समाज की जटिलताओं को सुलझाने के लिए अपने ज्ञान की कसौटी पर खरे उतरेंगे। यह केवल एक प्रश्नोत्तरी नहीं है, बल्कि अवधारणाओं को गहरा करने और परीक्षा के लिए आपकी तैयारी को धार देने का एक अनूठा अवसर है। तो, अपनी कलम और दिमाग को तैयार कर लें, और इस ज्ञानवर्धक यात्रा पर चल पड़ें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- ए. एल. क्रोबर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- डेविड रेसमन
- एम.एन. श्रीनिवास
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा दी। यह अवधारणा बताती है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, मानदंड, कानून) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे असंतुलन या विलंब उत्पन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Cultural and প্রাকৃতিক (Natural) Science” (1922) में इस विचार का विस्तार से वर्णन किया। उदाहरण के लिए, तकनीकी प्रगति (जैसे इंटरनेट) बहुत तेज़ी से होती है, लेकिन उनसे निपटने के लिए हमारे सामाजिक नियम या कानूनी ढाँचे (अभौतिक संस्कृति) अक्सर पीछे रह जाते हैं।
- गलत विकल्प: ए. एल. क्रोबर संस्कृति के अध्ययन में एक प्रमुख व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने यह विशिष्ट अवधारणा नहीं दी। डेविड रेसमन ने “The Lonely Crowd” में आत्म-निर्देशित (inner-directed) और अन्य-निर्देशित (other-directed) व्यक्तित्वों का वर्णन किया। एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाजशास्त्र में “संस्कृतीकरण” (Sanskritization) जैसी अवधारणाएँ दीं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता “आदिम समाज” (Primitive Society) से संबंधित नहीं है?
- कठोर श्रम विभाजन
- अविकसित प्रौद्योगिकी
- सामूहिकता की भावना
- सरल सामाजिक संरचना
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: “कठोर श्रम विभाजन” विशेषता आदिम समाज की नहीं है, बल्कि यह आधुनिक, जटिल समाजों की पहचान है। आदिम समाजों में श्रम विभाजन लिंग और आयु पर आधारित होता है, और यह बहुत सरल होता है।
- संदर्भ और विस्तार: आदिम समाज आमतौर पर छोटे, अपेक्षाकृत सजातीय (homogeneous) समूह होते हैं जहाँ तकनीकी विकास कम होता है, सामूहिकता की भावना प्रबल होती है, और सामाजिक संरचना बहुत सरल होती है। इसके विपरीत, आधुनिक समाजों में विशेषज्ञता और जटिल श्रम विभाजन पाया जाता है।
- गलत विकल्प: अविकसित प्रौद्योगिकी, सामूहिकता की भावना और सरल सामाजिक संरचनाएँ आदिम समाजों की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 3: “आत्म-सत्ता” (Self-Identity) के निर्माण में “अन्य” (The Other) की भूमिका पर किस समाजशास्त्री ने जोर दिया?
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- चार्ल्स कूले
- इरविंग गॉफमैन
- एमाइल दुर्खीम
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के अपने सिद्धांत में इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति की आत्म-चेतना (Self-consciousness) और आत्म-सत्ता का विकास सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें “अन्य” (The Other) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, बच्चे “अन्य” (जैसे माता-पिता) की भूमिकाओं को अपनाकर और फिर “महत्वपूर्ण अन्य” (Significant Others) और “सामान्यीकृत अन्य” (Generalized Other) के दृष्टिकोण को आंतरिक बनाकर अपनी पहचान बनाते हैं। यह प्रक्रिया “I” (सहज, रचनात्मक आत्म) और “Me” (सामाजिक रूप से निर्मित आत्म) के बीच द्वंद्व के माध्यम से घटित होती है।
- गलत विकल्प: चार्ल्स कूले ने “दर्पण-आत्म” (Looking-glass Self) की अवधारणा दी, जो आत्म-चेतना के सामाजिक निर्माण से संबंधित है, लेकिन मीड ने “अन्य” की भूमिका पर अधिक विशिष्ट जोर दिया। इरविंग गॉफमैन ने “नाटकशास्त्र” (Dramaturgy) का उपयोग करके सामाजिक अंतःक्रिया का विश्लेषण किया। एमाइल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (Solidarity) और सामूहिक चेतना (Collective Consciousness) पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 4: भारतीय समाज में, “जाति” (Caste) को एक “बंद स्तरीकरण प्रणाली” (Closed System of Stratification) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसका क्या अर्थ है?
- व्यक्ति अपनी जन्मजात जाति से ऊपर या नीचे नहीं जा सकता।
- जाति व्यवस्था केवल धार्मिक विश्वासों पर आधारित है।
- सभी जातियाँ समान सामाजिक और आर्थिक स्थिति रखती हैं।
- जाति व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त हो गई है।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: “बंद स्तरीकरण प्रणाली” का अर्थ है कि व्यक्ति की सामाजिक स्थिति उसके जन्म से निर्धारित होती है और वह जीवनकाल में अपनी स्थिति को बदल नहीं सकता, विशेष रूप से उच्चतर या निम्नतर स्थिति की ओर। भारतीय जाति व्यवस्था में, जन्म ही आपकी जाति तय करता है, और इससे बाहर निकलना या ऊपर जाना लगभग असंभव माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, “खुली स्तरीकरण प्रणाली” (जैसे वर्ग व्यवस्था) में व्यक्ति अपनी योग्यता, उपलब्धि या प्रयासों के माध्यम से अपनी सामाजिक स्थिति बदल सकता है। जाति व्यवस्था में अंतर्जातीय विवाह (Endogamy) का नियम भी इस बंद प्रकृति को सुदृढ़ करता है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था केवल धार्मिक विश्वासों पर आधारित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव भी होता है। सभी जातियों की स्थिति समान नहीं होती, बल्कि इसमें एक पदानुक्रम (Hierarchy) होता है। यद्यपि जाति व्यवस्था में बदलाव आ रहे हैं, यह पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
प्रश्न 5: “एकीकरण” (Integration) और “विनियमन” (Regulation) को आत्महत्या के प्रकारों के रूप में किसने पहचाना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमाइल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “पैटर्न व्यवस्था” (Pattern Maintenance) से संबंधित है, जैसा कि तालकॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के अपने “AGIL” मॉडल में सुझाया है?
- समाज के सदस्यों को पुरस्कृत करना।
- समूहों के लिए सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करना।
- समाज के मूल्यों और मानदंडों को बनाए रखना और प्रसारित करना।
- बाहरी वातावरण से संसाधनों को प्राप्त करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: पैटर्न व्यवस्था (Pattern Maintenance) से तात्पर्य समाज द्वारा अपने मूल मूल्यों, विश्वासों, मानदंडों और सांस्कृतिक पैटर्न को बनाए रखने और अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया से है। यह सुनिश्चित करता है कि सामाजिक व्यवस्था का अस्तित्व बना रहे।
- संदर्भ और विस्तार: तालकॉट पार्सन्स के AGIL मॉडल के अनुसार, प्रत्येक सामाजिक व्यवस्था को चार कार्यात्मक अनिवार्यताएँ पूरी करनी होती हैं: अनुकूलन (Adaptation – A), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment – G), एकीकरण (Integration – I), और पैटर्न व्यवस्था (Latency/Pattern Maintenance – L)। परिवार, शिक्षा और धर्म जैसी संस्थाएँ पैटर्न व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- गलत विकल्प: (a) पुरस्कृत करना एकीकरण (I) या लक्ष्य प्राप्ति (G) से संबंधित हो सकता है। (b) सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करना लक्ष्य प्राप्ति (G) का हिस्सा है। (d) बाहरी वातावरण से संसाधन प्राप्त करना अनुकूलन (A) का कार्य है।
प्रश्न 7: “शहरीकरण” (Urbanization) के संबंध में “पुल कारक” (Pull Factors) क्या हैं?
- ग्रामीण क्षेत्रों में कम रोजगार के अवसर।
- शहरी क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ।
- प्राकृतिक आपदाएँ जो ग्रामीण जीवन को बाधित करती हैं।
- पारिवारिक बंधन जो लोगों को गाँव में रखते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: पुल कारक वे आकर्षक विशेषताएँ हैं जो लोगों को किसी स्थान (इस मामले में, शहर) की ओर आकर्षित करती हैं। शहरीकरण के संदर्भ में, बेहतर रोजगार के अवसर, उच्च जीवन स्तर, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, मनोरंजन और सामाजिक गतिशीलता के अवसर पुल कारक के रूप में कार्य करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पुल कारकों के विपरीत, “धक्का कारक” (Push Factors) वे कारक होते हैं जो लोगों को उनके वर्तमान स्थान (जैसे गाँव) से दूर जाने के लिए मजबूर करते हैं, जैसे गरीबी, बेरोजगारी, भूमि की कमी, या सामाजिक-राजनीतिक अशांति।
- गलत विकल्प: (a) और (c) धक्का कारकों के उदाहरण हैं। (d) पारिवारिक बंधन लोगों को गाँव में रखने वाले कारक हैं, न कि शहरीकरण को बढ़ावा देने वाले पुल कारक।
प्रश्न 8: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा को किसने लोकप्रिय बनाया, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग पर आधारित है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कोलमन
- रॉबर्ट पटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विकसित करने और लोकप्रिय बनाने में पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पटनम तीनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी को “संसाधनों के एक सेट के रूप में परिभाषित किया जिसे व्यक्ति अपने सामाजिक नेटवर्क तक पहुँच के माध्यम से प्राप्त कर सकता है।” कोलमन ने इसे “सामाजिक संरचनाओं की विशेषताओं के रूप में देखा जो कुछ व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करती हैं।” पटनम ने नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन के महत्व पर जोर देते हुए इसे “सामाजिक संगठनों में मौजूद वह गुण है जो पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देता है।”
- गलत विकल्प: यद्यपि प्रत्येक ने थोड़ा अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, तीनों ने मिलकर इस अवधारणा को समाजशास्त्र में स्थापित किया।
प्रश्न 9: “अनुष्ठान” (Ritual) के समाजशास्त्रीय अध्ययन में, “अति-सामाजिक” (Oversocialized) व्यक्ति की धारणा का किसने विरोध किया?
- एमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- डेविड हम्म
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: डेविड हम्म ने अपनी पुस्तक “The Uses of Power” (1975) में इस तर्क का खंडन किया कि व्यक्ति पूरी तरह से समाज द्वारा ही निर्मित होता है (अति-सामाजिक व्यक्ति)। उन्होंने तर्क दिया कि व्यक्ति में अपनी इच्छाएँ, लक्ष्य और क्षमताएँ होती हैं जो सामाजिक संरचनाओं से स्वतंत्र भी हो सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हम्म ने विशेष रूप से सामाजिक नियंत्रण की व्याख्या करते हुए कहा कि केवल सामाजिकीकरण ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि शक्ति और अन्य तंत्र भी भूमिका निभाते हैं। वे मानते थे कि लोग केवल सामाजिक दबाव के कारण कार्य नहीं करते, बल्कि अपने स्वयं के हित या उद्देश्यों से भी प्रेरित हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर ने सामाजिकरण और सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर दिया। सी. राइट मिल्स ने शक्ति अभिजन (Power Elite) की अवधारणा दी और समाजशास्त्रीय कल्पनाशक्ति (Sociological Imagination) का महत्व बताया, लेकिन हम्म ने विशेष रूप से “अति-सामाजिक” व्यक्ति के विचार का खंडन किया।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का प्रकार नहीं है?
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
- क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
- अन्तर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility)
- अंतरा-समूह गतिशीलता (Intra-group Mobility)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: “अंतरा-समूह गतिशीलता” (Intra-group Mobility) सामाजिक गतिशीलता का एक स्वीकृत प्रकार नहीं है। सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने से है।
- संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे जाना शामिल है (जैसे अमीर बनना या गरीब होना)। क्षैतिज गतिशीलता में समान सामाजिक स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना शामिल है (जैसे एक शिक्षक का दूसरे स्कूल में पढ़ाना)। अन्तर-पीढ़ीगत गतिशीलता तब होती है जब एक पीढ़ी की स्थिति पिछली पीढ़ी से भिन्न होती है (जैसे पिता से पुत्र की स्थिति का बदलना)।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सामाजिक गतिशीलता के मान्य प्रकार हैं।
प्रश्न 11: “संस्था” (Institution) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?
- व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह।
- समाज के स्थायी और महत्वपूर्ण पहलुओं को व्यवस्थित करने वाले नियमों, मानदंडों और भूमिकाओं का एक स्थापित ढाँचा।
- एक विशेष स्थान जहाँ लोग मिलते हैं।
- एक व्यक्तिगत विश्वास प्रणाली।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सामाजिक संस्थाएँ समाज के मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित, स्थायी और व्यवस्थित तरीके हैं, जिनमें स्पष्ट नियम, भूमिकाएँ और अपेक्षाएँ होती हैं। परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था और राजनीति प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएँ समाज में व्यवस्था, स्थायित्व और पूर्वानुमेयता सुनिश्चित करती हैं। उदाहरण के लिए, विवाह संस्था परिवार की संरचना को परिभाषित करती है, जो संतानोत्पत्ति और पालन-पोषण की भूमिकाएँ निर्धारित करती है।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तियों का अनौपचारिक समूह एक समिति या मंडली हो सकता है। (c) एक विशेष स्थान केवल एक भौतिक उपस्थिति है। (d) व्यक्तिगत विश्वास प्रणाली व्यक्तिगत है, संस्थागत नहीं।
प्रश्न 12: “सार्वभौमिकता” (Universality) और “विशिष्टता” (Particularism) का द्वंद्व सामाजिक क्रिया के किस सिद्धांत से संबंधित है?
- कार्ल मार्क्स का वर्ग संघर्ष सिद्धांत
- मैक्स वेबर की नौकरशाही की समझ
- तालकॉट पार्सन्स का संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड का प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सार्वभौमिकता बनाम विशिष्टता, और उपलब्धि (Achievement) बनाम प्रदत्त (Ascription) जैसे द्वंद्व, तालकॉट पार्सन्स के “पैटर्न चर” (Pattern Variables) का हिस्सा थे, जो विभिन्न समाजों में सामाजिक क्रिया को निर्देशित करने वाले पैटर्न का वर्णन करते थे।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, आधुनिक समाजों में सामाजिक क्रियाएँ अक्सर सार्वभौमिक नियमों (जैसे कानून) और उपलब्धि (जैसे योग्यता के आधार पर पदोन्नति) पर आधारित होती हैं, जबकि पारंपरिक समाजों में वे विशिष्ट संबंधों (जैसे परिवार) और प्रदत्त स्थिति (जैसे जन्म) पर आधारित होती हैं।
- गलत विकल्प: मार्क्स आर्थिक निर्धारणवाद पर केंद्रित थे। वेबर ने नौकरशाही के “तर्कसंगत-कानूनी” (Rational-Legal) अधिकार पर जोर दिया, जो सार्वभौमिकता से संबंधित है, लेकिन द्वंद्व को पार्सन्स ने अधिक स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। मीड अंतःक्रिया पर केंद्रित थे।
प्रश्न 13: भारतीय समाजशास्त्री एम.एन. श्रीनिवास ने किस अवधारणा का प्रयोग “निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाने की प्रक्रिया” का वर्णन करने के लिए किया?
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
- संस्कृतीकरण (Sanskritization)
- स्थानीयकरण (Localization)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने “संस्कृतीकरण” (Sanskritization) की अवधारणा का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे भारत में निचली या मध्य जातियों ने सामाजिक-सांस्कृतिक सीढ़ी पर ऊपर चढ़ने के लिए उच्च, विशेष रूप से द्विजातीय (twice-born) जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाया।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” (1952) में प्रस्तुत की। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जिसका उद्देश्य जाति पदानुक्रम में बेहतर स्थिति प्राप्त करना है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को संदर्भित करता है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण और तर्कसंगतता शामिल है। स्थानीयकरण किसी विशेष स्थान की संस्कृति से संबंधित है।
प्रश्न 14: “ज्ञान का सामाजिक निर्माण” (Social Construction of Knowledge) का विचार किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण का मूल है?
- प्रत्यक्षवाद (Positivism)
- विवेचनात्मक सिद्धांत (Critical Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनावाद (Structuralism)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद दृष्टिकोण इस विचार पर जोर देता है कि ज्ञान, अर्थ और वास्तविकता सामाजिक अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से निर्मित होती है। व्यक्ति सामाजिक रूप से सीखी गई भाषा और प्रतीकों का उपयोग करके दुनिया को समझते हैं और व्याख्या करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन ने अपनी पुस्तक “The Social Construction of Reality” (1966) में इस विचार को और विकसित किया, जिसमें उन्होंने दिखाया कि कैसे सामाजिक संरचनाएँ और ज्ञान मानवीय क्रियाओं और अंतःक्रियाओं के उत्पाद हैं।
- गलत विकल्प: प्रत्यक्षवाद अनुभवजन्य अवलोकन पर आधारित वैज्ञानिक ज्ञान पर जोर देता है। विवेचनात्मक सिद्धांत शक्ति और सामाजिक परिवर्तन के विश्लेषण पर केंद्रित है। संरचनावाद अंतर्निहित गहरी संरचनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रश्न 15: “कृत्रिम विभेदीकरण” (Manufactured Significance) की अवधारणा, जो समाज द्वारा कुछ प्रतीकों या घटनाओं को अत्यधिक महत्व देने की प्रवृत्ति का वर्णन करती है, किसके विश्लेषण से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जीन बॉड्रिलार्ड
- पियरे बॉर्डियू
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: जीन बॉड्रिलार्ड, एक उत्तर-आधुनिकतावादी विचारक, ने “सिमुलेशन” (Simulation) और “हाइपररियलिटी” (Hyperreality) की अवधारणाओं का विश्लेषण करते हुए दिखाया कि कैसे समकालीन समाज में, “कृत्रिम विभेदीकरण” या प्रतीकों का अत्यधिक महत्व उन्हें वास्तविक दुनिया से अलग कर देता है और “सिग्निफायर” (Signifiers) “सिग्निफाइड” (Signified) से अलग हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बॉड्रिलार्ड के अनुसार, मीडिया और उपभोक्ता संस्कृति के माध्यम से, वस्तुएँ और घटनाएँ अपने वास्तविक अर्थ या कार्य से विच्छेदित होकर केवल प्रतीकात्मक मूल्य धारण कर लेती हैं, जिन्हें “सिमुलाक्रा” (Simulacra) कहा जाता है।
- गलत विकल्प: वेबर और दुर्खीम ने धर्म और संस्कृति के महत्व का विश्लेषण किया, लेकिन कृत्रिमता और हाइपररियलिटी की अवधारणाएँ बॉड्रिलार्ड से जुड़ी हैं। पियरे बॉर्डियू ने सांस्कृतिक और सामाजिक पूंजी पर काम किया।
प्रश्न 16: “शक्ति” (Power) को “किसी व्यक्ति या समूह की इच्छा को लागू करने की क्षमता, भले ही दूसरों का विरोध हो” के रूप में किसने परिभाषित किया?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- थॉमस हॉब्स
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने शक्ति (Macht) को “सामाजिक संबंध में किसी व्यक्ति की अपनी इच्छा को लागू करने की संभावना, भले ही प्रतिरोध हो” के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे सत्ता (Authority) से भी अलग किया, जो वैध शक्ति होती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के लिए, शक्ति एक सामाजिक संबंध में प्रभुत्व की क्षमता है, चाहे वह बल, अनुनय या किसी अन्य माध्यम से हो। उन्होंने वैधता के तीन आदर्श प्रकारों (परंपरागत, करिश्माई और तर्कसंगत-कानूनी) का भी विश्लेषण किया, जो शक्ति को सत्ता में बदलते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक व्यवस्था और एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने आर्थिक उत्पादन संबंधों में शक्ति को देखा। थॉमस हॉब्स ने “लेविथान” में शक्ति और संप्रभुता के बारे में लिखा, लेकिन वेबर की परिभाषा अधिक सटीक रूप से समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है।
प्रश्न 17: “पारिवारिक संरचना” (Family Structure) के अध्ययन में, “विस्तारित परिवार” (Extended Family) का क्या अर्थ है?
- केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे।
- केवल विवाहित बच्चे और उनके माता-पिता।
- दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार जो एक ही घर में या निकटता में रहते हैं और एक साथ आर्थिक और सामाजिक इकाई के रूप में कार्य करते हैं।
- एकल व्यक्ति या युगल बिना बच्चों के।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: विस्तारित परिवार में तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य या एक से अधिक परमाणु परिवार (Nuclear Family) के सदस्य एक साथ रहते हैं और साझा जीवन यापन करते हैं। इसमें माता-पिता, बच्चे, दादा-दादी, भाई-बहन, चाचा-चाची आदि शामिल हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: विस्तारित परिवार अक्सर पारंपरिक और कृषि प्रधान समाजों में पाया जाता है, जहाँ साझा संसाधन, श्रम और सामाजिक सुरक्षा महत्वपूर्ण होती है। यह नाभिकीय परिवार (Nuclear Family) के विपरीत है, जिसमें केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) नाभिकीय परिवार है। (b) केवल विवाहित बच्चे और माता-पिता भी एक प्रकार का विस्तारित या मिश्रित परिवार हो सकता है, लेकिन (c) सबसे व्यापक परिभाषा है। (d) एकल व्यक्ति या युगल बिना बच्चों के।
प्रश्न 18: “ज्ञान का समाजशास्त्र” (Sociology of Knowledge) का एक प्रमुख उद्देश्य क्या है?
- वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए नई तकनीकों का विकास करना।
- ज्ञान के उत्पादन, प्रसार और उपभोग को प्रभावित करने वाली सामाजिक परिस्थितियों का विश्लेषण करना।
- समाजशास्त्र को एक प्राकृतिक विज्ञान के रूप में स्थापित करना।
- मनोवैज्ञानिक व्यवहार के व्यक्तिगत कारणों की जाँच करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: ज्ञान का समाजशास्त्र इस बात का अध्ययन करता है कि समाज, संस्कृति, वर्ग, लिंग और शक्ति जैसे सामाजिक कारक हमारे ज्ञान, विश्वासों और विचारों को कैसे आकार देते हैं। यह पता लगाता है कि कौन सा ज्ञान “सत्य” माना जाता है और क्यों।
- संदर्भ और विस्तार: कार्ल मैनहेम (Karl Mannheim) को इस क्षेत्र का एक प्रमुख संस्थापक माना जाता है, जिन्होंने “Ideology and Utopia” (1936) में लिखा कि विचारों का उद्भव सामाजिक स्थिति से अविभाज्य है।
- गलत विकल्प: (a), (c) और (d) समाजशास्त्र के ज्ञान के समाजशास्त्र से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 19: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का क्या अर्थ है?
- सभी संस्कृतियों का मूल्यांकन पश्चिमी मानदंडों के आधार पर करना।
- यह मानना कि एक संस्कृति दूसरी संस्कृति से स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ है।
- किसी संस्कृति को उसके अपने सदस्यों के दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करना, बिना किसी बाहरी पूर्वाग्रह के।
- यह सोचना कि सभी संस्कृतियों को समान रूप से विकसित होना चाहिए।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद इस सिद्धांत को बताता है कि किसी व्यक्ति की मान्यताओं, मूल्यों और प्रथाओं को उसकी अपनी संस्कृति के संदर्भ में समझा जाना चाहिए। यह किसी संस्कृति को उसके अपने सांस्कृतिक संदर्भ में समझने का एक तरीका है, न कि किसी अन्य संस्कृति के मानदंडों से आंकने का।
- संदर्भ और विस्तार: इसे अक्सर “जातीय-केंद्रवाद” (Ethnocentrism) के विपरीत देखा जाता है, जिसमें व्यक्ति अपनी संस्कृति को अन्य संस्कृतियों के मानक के रूप में उपयोग करता है और उन्हें स्वाभाविक रूप से बेहतर मानता है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) जातीय-केंद्रवाद को दर्शाते हैं। (d) विकासवादी दृष्टिकोण से संबंधित है।
प्रश्न 20: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के “संघर्ष सिद्धांत” (Conflict Theory) के अनुसार, स्तरीकरण का मुख्य कारण क्या है?
- कार्य के लिए समाज द्वारा प्रदान की जाने वाली योग्यता और प्रेरणा।
- शक्तिशाली समूहों द्वारा संसाधनों और विशेषाधिकारों पर नियंत्रण।
- सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता।
- सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का सामान्यीकरण।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स और अन्य संघर्ष सिद्धांतकारों के अनुसार, सामाजिक स्तरीकरण संसाधनों (धन, शक्ति, प्रतिष्ठा) के असमान वितरण और शक्तिशाली elites द्वारा इन पर नियंत्रण से उत्पन्न होता है, जो अपने हितों की रक्षा के लिए सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संघर्ष सिद्धांतकार मानते हैं कि समाज विभिन्न समूहों के बीच निरंतर संघर्ष का क्षेत्र है जो सीमित संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। स्तरीकरण इस संघर्ष का परिणाम है, जहाँ शासक वर्ग अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता है।
- गलत विकल्प: (a) कार्यात्मकवादी सिद्धांत (Functionalist theory) जैसे डेविस और मूर का तर्क है कि स्तरीकरण समाज को कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। (c) और (d) भी कार्यात्मकवादी दृष्टिकोण या अन्य सिद्धांतों से संबंधित हैं।
प्रश्न 21: “आदर्श प्रकार” (Ideal Type) की अवधारणा, जिसका उपयोग सामाजिक घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए एक वैचारिक उपकरण के रूप में किया जाता है, किसने विकसित की?
- एमाइल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एच. जी. वेल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने “आदर्श प्रकार” (Ideal Type) की अवधारणा को विकसित किया। यह एक विश्लेषणात्मक निर्माण है जो किसी घटना की प्रमुख विशेषताओं को अतिरंजित करके बनाई जाती है, ताकि उस घटना को बेहतर ढंग से समझा और उसका विश्लेषण किया जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही, पूंजीवाद, और विभिन्न प्रकार के सत्ता (Authority) के लिए आदर्श प्रकार बनाए। ये वास्तविक दुनिया के सटीक चित्र नहीं हैं, बल्कि उन विशेषताओं का एक अमूर्त प्रतिनिधित्व हैं जो किसी विशेष घटना को परिभाषित करती हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (Social Facts) और सामूहिक चेतना पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) का प्रयोग किया। एच.जी. वेल्स एक लेखक थे।
प्रश्न 22: “सामाजिक न्याय” (Social Justice) के संदर्भ में, “वितरणात्मक न्याय” (Distributive Justice) का क्या अर्थ है?
- सभी व्यक्तियों के लिए समान राजनीतिक अधिकार।
- समाज में संसाधनों, लाभों और अवसरों के उचित आवंटन से संबंधित।
- कानून के समक्ष सभी की समानता।
- न्यायपालिका द्वारा अपराधों के लिए दंड का उचित निर्धारण।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: वितरणात्मक न्याय इस सिद्धांत पर आधारित है कि समाज के सदस्यों के बीच धन, आय, अवसर, विशेषाधिकार और अन्य संसाधनों का निष्पक्ष और उचित वितरण होना चाहिए। यह असमानता और गरीबी जैसे मुद्दों से जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: जॉन रॉल्स (John Rawls) जैसे दार्शनिकों ने “न्याय का सिद्धांत” (Theory of Justice) प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने “अंतर सिद्धांत” (Difference Principle) का प्रस्ताव रखा, कि सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ इस प्रकार संरचित होनी चाहिए कि वे सबसे वंचित लोगों के लाभ के लिए हों।
- गलत विकल्प: (a) राजनीतिक न्याय से संबंधित है। (c) प्रक्रियात्मक न्याय (Procedural Justice) या कानूनी न्याय से संबंधित है। (d) दंडात्मक न्याय (Retributive Justice) से संबंधित है।
प्रश्न 23: “आधुनिकीकरण सिद्धांत” (Modernization Theory) के अनुसार, विकासशील समाजों के लिए एक प्रमुख विशेषता क्या है?
- पारंपरिक मूल्यों और संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण।
- उच्च स्तर का सामाजिक गतिशीलता और व्यक्तिवाद।
- ग्रामीण जीवन शैली का महत्व बढ़ना।
- स्थानीय परंपराओं पर अत्यधिक निर्भरता।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत तर्क देता है कि विकासशील समाज पारंपरिक, कृषि प्रधान अवस्थाओं से प्रगतिशील, औद्योगिक और पश्चिमी समाजों के समान अवस्थाओं की ओर बढ़ते हैं। इस प्रक्रिया में, व्यक्तिवाद, तकनीकी उन्नति, धर्मनिरपेक्षीकरण और सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि होती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, आधुनिकीकरण का अर्थ अक्सर पश्चिमी यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी समाजों के अनुभव के माध्यम से एक रेखीय प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। इसमें शिक्षा का प्रसार, शहरीकरण और नई प्रौद्योगिकियों का अपनाना शामिल है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) पारंपरिक या गैर-आधुनिक समाजों की विशेषताएँ हैं, न कि आधुनिकीकरण की।
प्रश्न 24: “धर्म का समाजशास्त्र” (Sociology of Religion) में, “पवित्र” (Sacred) और “अपवित्र” (Profane) की अवधारणाएँ किसने प्रस्तुत कीं?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमाइल दुर्खीम
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एमाइल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” (1912) में पवित्र और अपवित्र की द्विभाजन (Dichotomy) को धर्मशास्त्र का केंद्रीय तत्व बताया। उन्होंने तर्क दिया कि सभी धर्म, चाहे वे कितने भी सरल क्यों न हों, पवित्र वस्तुओं (जो वर्जित और पूजनीय होती हैं) को अपवित्र वस्तुओं (जो रोजमर्रा की चीजें होती हैं) से अलग करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, धर्म समाज को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और पवित्र वस्तुएँ सामूहिक चेतना और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक बन जाती हैं।
- गलत विकल्प: वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के बीच संबंध का अध्ययन किया। मार्क्स ने धर्म को “जनता के लिए अफीम” कहा। फ्रायड ने धर्म को एक भ्रम (Illusion) के रूप में देखा।
प्रश्न 25: “समाजशास्त्र” शब्द का प्रयोग सबसे पहले किसने किया?
- ऑगस्ट कॉम्प्टे
- हरबर्ट स्पेंसर
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: फ्रांसीसी दार्शनिक ऑगस्ट कॉम्प्टे को “समाजशास्त्र का जनक” माना जाता है, जिन्होंने 1838 में “समाजशास्त्र” (Sociology) शब्द गढ़ा था। उन्होंने समाज का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए “समाजशास्त्र” शब्द का प्रयोग किया।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्प्टे ने “सकारात्मक दर्शन” (Positive Philosophy) के अपने सिद्धांत में तर्क दिया कि मानव समाज सामाजिक भौतिकी (Social Physics) नामक विज्ञान के माध्यम से अपने विकास के उच्चतम चरण में पहुँच गया है, जिसे बाद में उन्होंने समाजशास्त्र नाम दिया। उनका उद्देश्य समाज की वैज्ञानिक समझ विकसित करना था ताकि सामाजिक सुधार किया जा सके।
- गलत विकल्प: हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद पर काम किया। कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष सिद्धांत दिया। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और सत्ता जैसे विषयों का अध्ययन किया।