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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!

प्रबुद्ध समाजशास्त्र के पथिकों, तैयार हो जाइए! आज का अभ्यास सत्र आपके वैचारिक ज्ञान और विश्लेषणात्मक कौशल की सीमाओं को परखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हर प्रश्न के साथ, समाज की जटिलताओं को समझने की अपनी क्षमता को और पैना करें और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में सफलता की ओर एक कदम बढ़ाएं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘क्रिया की प्रतीकात्मक अंतःक्रिया’ (Symbolic Interactionism) नामक समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य का विकास मुख्य रूप से किस अमेरिकी समाजशास्त्री से जुड़ा है?

  1. टैल्कॉट पार्सन्स
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. इर्विंग गॉफमैन
  4. रॉबर्ट के मर्टन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रणेता माना जाता है। उन्होंने यह समझाने पर जोर दिया कि व्यक्ति समाज में प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करके अपने ‘स्व’ (Self) और सामाजिक यथार्थ का निर्माण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड के विचारों को उनकी मृत्यु के बाद उनके छात्रों द्वारा “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” (Mind, Self, and Society) नामक पुस्तक में संकलित किया गया। यह परिप्रेक्ष्य सूक्ष्म-समाजशास्त्र (Micro-sociology) के अंतर्गत आता है।
  • गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जुड़े हैं, इर्विंग गॉफमैन का काम नाटकीयता (Dramaturgy) से संबंधित है, और रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद के भीतर ‘मध्य-श्रेणी सिद्धांत’ (Middle-range theory) विकसित किया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम के अनुसार सामाजिक विघटन (Social Disintegration) की स्थिति को दर्शाती है, जहाँ सामाजिक नियम या मानदंड या तो कमजोर हो जाते हैं या समाप्त हो जाते हैं?

  1. आत्मसात्तिकरण (Assimilation)
  2. परासमान्यता (Paranormality)
  3. अराजकता (Anomie)
  4. प्रभुत्व (Hegemony)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) शब्द का प्रयोग उस सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ व्यक्ति के लक्ष्य और समाज के बीच संबंध टूट जाते हैं, जिससे अनिश्चितता और दिशाहीनता की भावना पैदा होती है। यह तब होता है जब सामाजिक नियंत्रण कमजोर पड़ जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृति “द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” (The Division of Labour in Society) और “सुसाइड” (Suicide) में इस अवधारणा का विस्तार से विश्लेषण किया है। यह विशेष रूप से तीव्र सामाजिक परिवर्तनों या संकट के समय उत्पन्न होती है।
  • गलत विकल्प: आत्मसात्तिकरण एक समूह द्वारा दूसरे समूह की संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है। परासमान्यता कोई स्थापित समाजशास्त्रीय अवधारणा नहीं है। प्रभुत्व एंटोनियो ग्राम्शी से संबंधित एक मार्क्सवादी अवधारणा है।

प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में सर्वहारा वर्ग (Proletariat) द्वारा अनुभव की जाने वाली अलगाव (Alienation) का मूल कारण क्या है?

  1. राजनीतिक उत्पीड़न
  2. धार्मिक पाखंड
  3. उत्पादन के साधनों से अलगाव
  4. व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति न होना

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने तर्क दिया कि पूंजीवाद के तहत, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, श्रम की प्रक्रिया, अपनी प्रजाति-सार (species-essence) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि वे उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, मशीनें) के मालिक नहीं होते और केवल अपने श्रम को बेचते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने “इकॉनॉमिक एंड फिलॉसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844” (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में अलगाव की चार मुख्य अवस्थाओं का वर्णन किया है। अलगाव का अंतिम परिणाम वर्ग-चेतना (Class Consciousness) का विकास और क्रांति हो सकता है।
  • गलत विकल्प: जबकि राजनीतिक उत्पीड़न और धार्मिक पाखंड अलगाव में योगदान कर सकते हैं, मार्क्स के लिए केंद्रीय कारण उत्पादन की आर्थिक संरचना से उत्पन्न अलगाव था। व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं व्यक्तिगत मनोविज्ञान से संबंधित हैं, न कि मार्क्स के सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण से।

प्रश्न 4: ‘मैक्स वेबर’ द्वारा प्रस्तुत ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) का उद्देश्य क्या है?

  1. वास्तविक दुनिया की पूर्ण प्रतिकृति प्रस्तुत करना
  2. सामाजिक घटनाओं को समझने के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण प्रदान करना
  3. सामाजिक समानता को बढ़ावा देना
  4. अतीत की घटनाओं का दस्तावेजीकरण करना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रारूप’ को एक वैचारिक निर्माण (conceptual construct) के रूप में परिभाषित किया, जो वास्तविकता के विभिन्न तत्वों के अतिरंजित (exaggerated) संश्लेषण से बना है। इसका उपयोग वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को व्यवस्थित करने और समझने के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में किया जाता है, न कि यथार्थ का वर्णन करने के लिए।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इसे अपनी पद्धतिगत रचनाओं में, विशेष रूप से “द ऑब्जेक्टिविटी ऑफ सोशल नॉलेज” (The Objectivity of Social Knowledge) में समझाया। उदाहरण के लिए, नौकरशाही का आदर्श प्रारूप।
  • गलत विकल्प: आदर्श प्रारूप वास्तविकता का सरलीकरण है, न कि पूर्ण प्रतिकृति। इसका उद्देश्य विश्लेषण में मदद करना है, सीधे तौर पर सामाजिक समानता को बढ़ावा देना नहीं। यह दस्तावेजीकरण से अधिक विश्लेषणात्मक है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाजशास्त्रीय अवधारणा एम. एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई है, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करती है?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. आधुनिकीकरण (Modernization)
  3. संसारीकरण (Sanskritization)
  4. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संसारीकरण’ (Sanskritization) शब्द का प्रयोग किया, जो दर्शाता है कि निचली या मध्यम जाति के समूह, सामाजिक गतिशीलता (social mobility) प्राप्त करने के लिए, उच्च, अक्सर ‘द्विजा’ (dwija) जातियों के रीति-रिवाजों, परंपराओं और जीवन शैली को अपनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक “रिलीजन एंड सोसाइटी अमंग द कुर्ग्स ऑफ साउथ इंडिया” (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रस्तुत की थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को दर्शाता है। आधुनिकीकरण तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक प्रणालियों में परिवर्तन से संबंधित एक व्यापक अवधारणा है। धर्मनिरपेक्षीकरण धर्म के प्रभाव में कमी को इंगित करता है।

प्रश्न 6: नातेदारी (Kinship) के अध्ययन में, ‘समरक्त नातेदारी’ (Consanguineal Kinship) का क्या अर्थ है?

  1. विवाह के माध्यम से स्थापित संबंध
  2. जन्म या वंश के माध्यम से स्थापित संबंध
  3. दत्तक ग्रहण (Adoption) के माध्यम से स्थापित संबंध
  4. आध्यात्मिक संबंध

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: समरक्त नातेदारी (Consanguineal Kinship) उन लोगों के बीच के संबंधों को संदर्भित करती है जो एक सामान्य पूर्वज से वंशानुगत रूप से जुड़े हुए हैं, अर्थात, जन्म या रक्त संबंध के आधार पर।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे, दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई-बहन आदि शामिल हैं। यह ‘विवाह-संबंधी नातेदारी’ (Affinal Kinship), जो विवाह से उत्पन्न होती है, से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) विवाह-संबंधी नातेदारी को परिभाषित करता है। विकल्प (c) दत्तक ग्रहण से जुड़े संबंधों का उल्लेख करता है, जो समरक्त नातेदारी के समान नहीं है। विकल्प (d) समाजशास्त्रीय नातेदारी की श्रेणी में नहीं आता।

प्रश्न 7: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का प्राथमिक उद्देश्य क्या होता है?

  1. सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना
  2. कारण-कार्य संबंधों (Cause-and-effect relationships) को मापना
  3. लोगों के अनुभवों, अर्थों और सामाजिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ प्राप्त करना
  4. जनसंख्या के बड़े नमूनों से सामान्यीकरण (Generalization) करना

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य लक्ष्य सामाजिक दुनिया की गहराई, जटिलता और बारीकियों को समझना है, जो अक्सर लोगों के अनुभवों, विश्वासों, दृष्टिकोणों और उनके द्वारा अर्थों के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमता है। इसमें साक्षात्कार, समूह चर्चाएँ, अवलोकन आदि शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका मुख्य फोकस ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का पता लगाना होता है। यह अक्सर ‘मात्रात्मक अनुसंधान’ (Quantitative Research) के विपरीत होता है, जिसका लक्ष्य संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और मापना होता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (d) मात्रात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ हैं। विकल्प (b) भी मुख्य रूप से मात्रात्मक शोध का लक्ष्य होता है, हालाँकि गुणात्मक शोध कारण-कार्य की ओर संकेत कर सकता है।

प्रश्न 8: ‘प्रकार्यवादी सिद्धांत’ (Functionalist Theory) के अनुसार, समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जाता है जिसके विभिन्न भाग एक साथ मिलकर काम करते हैं ताकि समाज को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके। इस दृष्टिकोण से, ‘नकारात्मक कार्य’ (Dysfunction) का क्या अर्थ है?

  1. समाज की स्थिरता में योगदान देने वाली कोई भी क्रिया
  2. समाज की व्यवस्था को बाधित करने वाली या नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करने वाली कोई भी क्रिया
  3. समाज के सभी सदस्यों के लिए समान रूप से लाभप्रद क्रिया
  4. नई सामाजिक व्यवस्था बनाने की क्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रकार्यवादी सिद्धांत में, नकारात्मक कार्य (Dysfunction) किसी भी सामाजिक पैटर्न, संरचना या संस्थान को संदर्भित करता है जो सामाजिक व्यवस्था या संतुलन को बनाए रखने में बाधा डालता है और अप्रत्याशित या नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: रॉबर्ट के मर्टन ने स्पष्ट कार्यों (Manifest Functions) और छिपे हुए कार्यों (Latent Functions) के बीच अंतर किया, और नकारात्मक कार्यों की भी चर्चा की। उदाहरण के लिए, अत्यधिक औपचारिकता (red tape) एक नौकरशाही का नकारात्मक कार्य हो सकती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) सकारात्मक कार्य (Function) का वर्णन करता है। विकल्प (c) अतिरंजित सरलीकरण है। विकल्प (d) सामाजिक परिवर्तन से संबंधित है, न कि मौजूदा व्यवस्था के नकारात्मक कार्य से।

प्रश्न 9: भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) किस प्रकार की सामाजिक असमानता को दर्शाती है?

  1. आर्थिक असमानता
  2. राजनीतिक असमानता
  3. सामाजिक और धार्मिक असमानता
  4. शिक्षा संबंधी असमानता

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: अस्पृश्यता भारतीय जाति व्यवस्था का वह पहलू है जहाँ कुछ दलित जातियों को ‘अशुद्ध’ या ‘अछूत’ माना जाता है और उन्हें सामाजिक बहिष्कार, धार्मिक प्रतिबंधों और पवित्र/अपवित्र की कठोर श्रेणीबद्धता का सामना करना पड़ता है। यह मूलतः सामाजिक और धार्मिक भेदभाव है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान ने अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया है और इसके अभ्यास को प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन इसके सामाजिक प्रभाव अभी भी मौजूद हैं। यह जाति की पदानुक्रमित (hierarchical) और विशुद्धता-प्रदूषण (purity-pollution) की अवधारणाओं से गहराई से जुड़ी है।
  • गलत विकल्प: जबकि अस्पृश्यता का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव हो सकता है, इसका मूल स्वरूप सामाजिक और धार्मिक बहिष्करण है। शिक्षा तक पहुँच की कमी एक परिणाम हो सकती है, लेकिन कारण नहीं।

प्रश्न 10: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें निम्नलिखित में से क्या शामिल है?

  1. केवल कला और साहित्य
  2. लोगों की भौतिक वस्तुएँ (Physical Objects)
  3. लोगों की जीवन जीने की समग्र रीति, जिसमें विश्वास, ज्ञान, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएँ व आदतें शामिल हैं
  4. केवल सामाजिक संस्थाएँ

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एडवर्ड बर्नेट टायलर द्वारा दी गई शास्त्रीय समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, संस्कृति में वह जटिल संपूर्ण (complex whole) शामिल है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, प्रथाएं और किसी भी अन्य क्षमताओं और आदतें शामिल हैं जो समाज के सदस्य के रूप में अर्जित की जाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक सीखा हुआ, साझा किया गया और प्रसारित होने वाला व्यवहार पैटर्न है। इसमें न केवल अमूर्त (abstract) तत्व (जैसे मूल्य, विश्वास) बल्कि भौतिक (material) तत्व (जैसे उपकरण, वास्तुकला) भी शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (d) संस्कृति के केवल विशिष्ट पहलुओं का उल्लेख करते हैं, न कि संपूर्ण अवधारणा का।

प्रश्न 11: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का क्या अर्थ है?

  1. समाज में व्यक्तियों का एक-दूसरे से संवाद करने का तरीका
  2. समाज में लोगों को उनकी सामाजिक स्थिति, शक्ति और संसाधनों के आधार पर एक पदानुक्रम (Hierarchy) में व्यवस्थित करना
  3. समाज में विभिन्न समूहों के बीच सहयोग की प्रक्रिया
  4. सामाजिक परिवर्तन की गति

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों को असमान समूहों या परतों (strata) में व्यवस्थित करता है, जो उनकी पहुँच (access) को धन, शक्ति, प्रतिष्ठा और विशेषाधिकारों जैसी सामाजिक वस्तुओं में अलग-अलग स्तरों पर आधारित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें वर्ग (class), जाति (caste), लिंग (gender), नस्ल (race) और आयु (age) जैसी व्यवस्थाएँ शामिल हैं। यह एक सार्वभौमिक (universal) सामाजिक घटना है, हालांकि इसके रूप भिन्न हो सकते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) संचार का वर्णन करता है। विकल्प (c) सहयोग को संदर्भित करता है। विकल्प (d) सामाजिक परिवर्तन की गति को दर्शाता है।

प्रश्न 12: ‘पैटर्न वेरिएशन’ (Pattern Variation) की अवधारणा, जो पैटर्सन के नागरिकता सिद्धांत से जुड़ी है, किस बारे में बात करती है?

  1. नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों में समय के साथ होने वाले परिवर्तन
  2. नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों में अलग-अलग समाजों में पाए जाने वाले अंतर
  3. समाज में नागरिकता की धारणाओं का विकास
  4. नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच अधिकारों का असमान वितरण

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: टी. एच. मार्शल (T.H. Marshall) के नागरिकता सिद्धांत के विस्तार में, पैटर्न वेरिएशन (Pattern Variation) इस बात का अध्ययन करता है कि कैसे विभिन्न देशों और समाजों में नागरिकता के अधिकार (नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक) ऐतिहासिक और सामाजिक-आर्थिक संदर्भों के आधार पर भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्शल ने नागरिकता को नागरिक, राजनीतिक और सामाजिक आयामों में विकसित होते देखा। टी. पीटरसन (T. Peterasson) और अन्य ने इस पर और काम किया, यह बताते हुए कि इन आयामों का संयोजन और उनका कार्यान्वयन विभिन्न समाजों में अलग-अलग ‘पैटर्न’ (pattern) का अनुसरण करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) ऐतिहासिक विकास पर अधिक केंद्रित है, न कि क्रॉस-सांस्कृतिक भिन्नताओं पर। विकल्प (c) एक व्यापक विचार है, जबकि पैटर्न वेरिएशन विशिष्ट भिन्नताओं पर केंद्रित है। विकल्प (d) स्तरीकरण से संबंधित है, न कि नागरिकता के समग्र पैटर्न से।

प्रश्न 13: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) से आपका क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह
  2. समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थापित, स्थायी और स्वीकृत सामाजिक प्रथाओं और व्यवहारों का एक जटिल सेट
  3. समाज का आर्थिक ढांचा
  4. व्यक्तिगत संबंध

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक संस्थाएं वे स्थापित, स्थायी और मान्यता प्राप्त सामाजिक प्रणालियाँ या पैटर्न हैं जो समाज के सदस्यों के व्यवहार को व्यवस्थित करती हैं और समाज की प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इनमें परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था जैसी संस्थाएँ शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वे नियमों, भूमिकाओं और मानदंडों का एक समूह हैं जो किसी विशेष सामाजिक कार्य को करने के लिए स्थापित होते हैं। वे समाज को स्थिर और पूर्वानुमानित (predictable) बनाने में मदद करती हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) व्यक्तियों के एक अनौपचारिक समूह को दर्शाता है। विकल्प (c) और (d) बहुत संकीर्ण या गलत परिभाषाएँ हैं।

प्रश्न 14: ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) के संदर्भ में, ‘सार्वभौमिकरण’ (Universalization) का क्या अर्थ है, जैसा कि समाजशास्त्रियों ने इसका विश्लेषण किया है?

  1. पूंजीवादी विचारों और प्रथाओं का दुनिया भर में प्रसार
  2. प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान आर्थिक अवसर
  3. सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था का पूर्ण नियंत्रण
  4. श्रमिकों का एकजुट होना

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: समाजशास्त्र में, पूंजीवाद के संदर्भ में सार्वभौमिकरण (Universalization) का तात्पर्य पूंजीवादी आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के सिद्धांतों, प्रथाओं और विचारधाराओं का वैश्विक स्तर पर प्रसार और विस्तार है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह वैश्वीकरण (globalization) की प्रक्रिया से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है, जहाँ बाज़ार अर्थव्यवस्था, प्रतिस्पर्धा और उपभोगवाद जैसी पूंजीवादी प्रवृत्तियाँ दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैल रही हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) समाजवादी आदर्शों से अधिक मेल खाता है। विकल्प (c) साम्यवाद या समाजवाद का वर्णन करता है। विकल्प (d) श्रमिक वर्ग की कार्रवाई को दर्शाता है।

प्रश्न 15: ‘रॉबर्ट पार्क’ (Robert Park) जैसे शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों ने शहरी जीवन के अध्ययन में किस पर ध्यान केंद्रित किया?

  1. ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन के आर्थिक कारण
  2. शहरों को एक ‘सामाजिक प्रयोगशाला’ (Social Laboratory) के रूप में देखना और शहरी वातावरण का व्यक्तियों के व्यवहार और सामाजिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना
  3. शहरी क्षेत्रों में नियोजन और विकास की रणनीतियाँ
  4. ग्रामीण जीवन की सादगी

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों, विशेषकर रॉबर्ट पार्क, ने शहरों को एक ‘सामाजिक प्रयोगशाला’ के रूप में देखा। उन्होंने शहरी वातावरण, मानव पारिस्थितिकी (human ecology), पड़ोस (neighborhoods), सामाजिक विघटन (social disorganization), और अप्रवासियों (immigrants) के शहरी जीवन के अनुकूलन जैसे विषयों का अध्ययन किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उनके काम ने शहरी समाजशास्त्र और मानव पारिस्थितिकी के क्षेत्र में क्रांति ला दी। उन्होंने देखा कि शहरीकरण विभिन्न सामाजिक समस्याओं को कैसे जन्म देता है और लोगों के जीवन को कैसे आकार देता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) केवल एक पहलू है। विकल्प (c) अधिक लागू-उन्मुख (applied) है। विकल्प (d) शिकागो स्कूल के शहरी अध्ययन के विपरीत है।

प्रश्न 16: ‘पैटर्न्स ऑफ कल्चर’ (Patterns of Culture) नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं, जिन्होंने सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism) की अवधारणा पर जोर दिया?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. रूट बेंडिक्ट
  4. डेविड ए. स्नो

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: रूट बेंडिक्ट (Ruth Benedict) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “पैटर्न्स ऑफ कल्चर” (1934) में सांस्कृतिक सापेक्षवाद की वकालत की। उन्होंने तर्क दिया कि प्रत्येक संस्कृति की अपनी अनूठी, आंतरिक संगति होती है, और किसी संस्कृति को उसके अपने मानदंडों और मूल्यों के संदर्भ में ही समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी मानक से।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा नृविज्ञान (anthropology) में महत्वपूर्ण है और यह समझने में मदद करती है कि विभिन्न संस्कृतियाँ अपने तरीके से ‘सामान्य’ क्यों हैं।
  • गलत विकल्प: वेबर और दुर्खीम प्रमुख समाजशास्त्री थे लेकिन इस विशेष अवधारणा और पुस्तक से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं। डेविड ए. स्नो सामाजिक आंदोलनों के समाजशास्त्र से जुड़े हैं।

प्रश्न 17: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) से क्या तात्पर्य है?

  1. किसी व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति
  2. सामाजिक संबंधों और नेटवर्कों के माध्यम से सुलभ संसाधन
  3. समाज के सदस्यों का भौतिक ढांचा
  4. शिक्षा और कौशल का स्तर

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक पूंजी का तात्पर्य सामाजिक नेटवर्कों, विश्वास, आपसी समझ और सहयोग से प्राप्त होने वाले लाभों से है। यह व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक संबंधों के माध्यम से सूचना, समर्थन और अवसरों तक पहुँचने में सक्षम बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डिऊ (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा पर विस्तार से काम किया है। यह व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर उपयोगी हो सकती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c) और (d) सामाजिक पूंजी के बजाय अन्य प्रकार की पूंजी या समाज के तत्वों का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 18: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के अनुसार, परिवर्तन का प्राथमिक चालक क्या है?

  1. सामूहिक चेतना में वृद्धि
  2. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच शक्ति और संसाधनों के लिए संघर्ष
  3. तकनीकी नवाचार
  4. जनसंख्या वृद्धि

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: संघर्ष सिद्धांत, विशेष रूप से कार्ल मार्क्स के काम से प्रेरित, तर्क देता है कि समाज में असंतोष, असमानता और शक्ति संघर्ष सामाजिक परिवर्तन के मुख्य उत्प्रेरक हैं। यह मानता है कि समाज स्थिर नहीं है, बल्कि शक्ति के लिए लगातार संघर्ष में है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत सामाजिक संरचना में निहित तनावों और विरोधी हितों पर प्रकाश डालता है।
  • गलत विकल्प: यद्यपि तकनीकी नवाचार और जनसंख्या वृद्धि सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं, संघर्ष सिद्धांत उन्हें प्राथमिक चालक नहीं मानता। सामूहिक चेतना का उदय परिवर्तन का परिणाम हो सकता है, कारण नहीं।

प्रश्न 19: ‘आधुनिकीकरण सिद्धांत’ (Modernization Theory) का मूल आधार क्या है?

  1. सभी समाज पारंपरिक अवस्थाओं से गुजरते हुए आधुनिक, औद्योगिक समाजों में परिवर्तित होते हैं
  2. आधुनिकीकरण केवल पश्चिमी देशों के लिए ही संभव है
  3. आधुनिकीकरण हमेशा विकास की ओर ले जाता है
  4. परंपराएं आधुनिकीकरण में बाधा डालती हैं

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: आधुनिकीकरण सिद्धांत, विशेष रूप से 20वीं सदी के मध्य में लोकप्रिय, यह मानता है कि सभी समाज एक रैखिक (linear) विकास पथ का अनुसरण करते हैं, जो पारंपरिक, पूर्व-औद्योगिक अवस्था से शुरू होकर औद्योगिक, आधुनिक अवस्था तक पहुँचता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसने अक्सर पश्चिमी समाजों को आधुनिकीकरण के मॉडल के रूप में देखा, और अविकसित देशों से अपेक्षा की कि वे पश्चिमीकरण की दिशा में आगे बढ़ें। हालाँकि, इस सिद्धांत की आलोचना भी हुई है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) आधुनिकीकरण सिद्धांत के अतिरंजित या दोषपूर्ण निष्कर्ष हैं। विकल्प (d) सही है कि परंपराएं भूमिका निभा सकती हैं, लेकिन यह सिद्धांत का मुख्य आधार नहीं है।

प्रश्न 20: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. समाज में लोगों के विचारों का परिवर्तन
  2. समाज में व्यक्तियों या समूहों की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में गति
  3. समाज में शक्ति का वितरण
  4. एक समूह द्वारा दूसरे समूह को अपनाना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य व्यक्तियों या समूहों द्वारा एक सामाजिक स्तर या पद से दूसरे स्तर पर जाने से है। यह क्षैतिज (horizontal – समान स्तर पर परिवर्तन) या ऊर्ध्वाधर (vertical – ऊपर या नीचे की ओर परिवर्तन) हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में वर्ग, स्थिति या धन में वृद्धि या कमी शामिल हो सकती है। यह अंतर्पीढ़ीगत (intergenerational – एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक) या अंतःपीढ़ीगत (intragenerational – एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में) हो सकती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c) और (d) सामाजिक गतिशीलता के अर्थ से भिन्न हैं।

प्रश्न 21: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जिसे विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने प्रस्तुत किया, किस बारे में बताती है?

  1. जब भौतिक संस्कृति (Material Culture) गैर-भौतिक संस्कृति (Non-material Culture) की तुलना में तेजी से बदलती है
  2. जब गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य) भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) की तुलना में तेजी से बदलती है
  3. जब समाज तकनीकी नवाचार को स्वीकार करने में धीमा होता है
  4. जब परंपराएं आधुनिकीकरण को रोकती हैं

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: विलियम एफ. ओगबर्न के अनुसार, सांस्कृतिक विलंब तब होता है जब समाज के विभिन्न अंग अलग-अलग दरों पर बदलते हैं, विशेष रूप से जब भौतिक संस्कृति (जैसे नई प्रौद्योगिकियाँ) गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मानदंड, कानून, मूल्य) की तुलना में बहुत तेजी से विकसित होती है, जिससे सामंजस्य की कमी (lack of adjustment) होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, नई संचार तकनीकें (भौतिक संस्कृति) समाज के नैतिक या कानूनी मानदंडों (गैर-भौतिक संस्कृति) को बदलने से पहले ही आ जाती हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) विपरीत स्थिति का वर्णन करता है। विकल्प (c) और (d) समस्या को अलग तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 22: ‘समानता’ (Egalitarianism) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, इसका क्या अर्थ है?

  1. समाज में सभी के लिए पूर्ण आर्थिक समानता
  2. सभी व्यक्तियों के लिए समान अवसर और व्यवहार की मान्यता, जन्म, लिंग, जाति या वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं
  3. समाज में सत्ता का केंद्रीकरण
  4. सामाजिक स्तरीकरण का मजबूत होना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: समानता का अर्थ है कि सभी व्यक्तियों को समान माना जाना चाहिए और उनके पास समान अवसर और अधिकार होने चाहिए, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। यह भेदभाव के अभाव पर जोर देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक आदर्श है जो अक्सर सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों से जुड़ा होता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) एक अतिवादी और अवास्तविक व्याख्या है। विकल्प (c) और (d) समानता के विपरीत हैं।

प्रश्न 23: ‘आदिम समाज’ (Primitive Society) का अध्ययन करते समय, समाजशास्त्रियों द्वारा उपयोग की जाने वाली ‘मानवशास्त्रीय’ (Anthropological) पद्धतियों में अक्सर क्या शामिल होता है?

  1. बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण (Surveys) और सांख्यिकीय विश्लेषण
  2. प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation) और गहन साक्षात्कार
  3. सक्रिय रूप से परिवर्तन को लागू करना
  4. केवल ऐतिहासिक दस्तावेजों का विश्लेषण

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: आदिम या जनजातीय समाजों का अध्ययन करने वाले मानवविज्ञानी अक्सर ‘प्रतिभागी अवलोकन’ का उपयोग करते हैं, जिसमें शोधकर्ता स्वयं उस समुदाय का सदस्य बनकर उनके दैनिक जीवन का अनुभव करता है। गहन साक्षात्कार भी उनकी संस्कृति, विश्वासों और सामाजिक संरचना को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि ‘अलगाव’ (detachment) से बचती है और उस संस्कृति के प्रति ‘आंतरिक दृष्टिकोण’ (insider’s perspective) प्रदान करती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) मात्रात्मक और बड़े पैमाने पर होता है। विकल्प (c) हस्तक्षेप है। विकल्प (d) केवल एक विधि है, न कि संपूर्ण पद्धति।

प्रश्न 24: ‘प्रतिष्ठा’ (Status) और ‘वर्ग’ (Class) के बीच अंतर करने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. इर्विंग गॉफमैन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण का एक बहुआयामी (multidimensional) दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने ‘वर्ग’ (Class – आर्थिक स्थिति पर आधारित) के अलावा ‘प्रतिष्ठा’ (Status – सामाजिक सम्मान या जीवन शैली पर आधारित) और ‘शक्ति’ (Party/Power – राजनीतिक प्रभाव पर आधारित) जैसी अवधारणाओं को महत्वपूर्ण माना।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, किसी व्यक्ति की स्थिति केवल उसकी आर्थिक हैसियत (वर्ग) से निर्धारित नहीं होती, बल्कि उसके सामाजिक सम्मान, जीवन शैली और समूह सदस्यता से भी प्रभावित होती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से वर्ग और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और संस्थाओं पर काम किया। गॉफमैन ने प्रतीकात्मक अंतःक्रिया और नाटकीयता पर काम किया।

प्रश्न 25: ‘सामाजिक आधुनिकीकरण’ (Social Modernization) की प्रक्रिया में प्रायः क्या शामिल होता है?

  1. कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं का औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन
  2. पारंपरिक, ग्रामीण समाज से आधुनिक, शहरी औद्योगिक समाज की ओर संक्रमण
  3. धार्मिक संस्थानों का प्रभाव बढ़ना
  4. जाति व्यवस्था का मजबूत होना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें पारंपरिक समाजों में महत्वपूर्ण संरचनात्मक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल होते हैं। इसमें अक्सर औद्योगीकरण, शहरीकरण, लोकतंत्रीकरण, शिक्षा का प्रसार, धर्मनिरपेक्षीकरण और व्यक्तिवाद का उदय जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक बहुआयामी परिवर्तन है जो केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक आयामों को भी प्रभावित करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) आधुनिकीकरण का केवल एक आर्थिक पहलू है। विकल्प (c) आधुनिकीकरण के बजाय परंपरा के सुदृढ़ीकरण का संकेत देता है (हालांकि यह जटिल है)। विकल्प (d) भी परंपरा के सुदृढ़ीकरण का संकेत देता है, जबकि आधुनिकीकरण अक्सर जाति व्यवस्था में परिवर्तन लाता है।

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