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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 प्रश्नों के साथ अपनी पकड़ मज़बूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 प्रश्नों के साथ अपनी पकड़ मज़बूत करें!

आइए, आज समाजशास्त्र की दुनिया में एक और ज्ञानवर्धक यात्रा पर चलें! आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए हम लेकर आए हैं 25 नए और चुनौतीपूर्ण प्रश्न। यह सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि सीखने का एक अनूठा अवसर है। तो, कमर कस लीजिए और अपनी समाजशास्त्रीय समझ को निखारने के लिए तैयार हो जाइए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को किसने विकसित किया, जो समाज के विभिन्न भागों के बीच व्यवस्थित संबंधों पर बल देती है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. टैल्कॉट पार्सन्स
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स ने ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को अपने ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक’ सिद्धांत के एक केंद्रीय तत्व के रूप में विकसित किया। उन्होंने समाज को विभिन्न परस्पर संबंधित संस्थाओं और प्रणालियों के एक जटिल जाल के रूप में देखा, जो व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स ने अपनी रचनाओं जैसे ‘The Social System’ (1951) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उनका मानना था कि सामाजिक संरचनाएं व्यक्तियों के व्यवहार को निर्देशित करती हैं और सामाजिक व्यवस्था के लिए आवश्यक हैं।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘आधार-अधिरचना’ मॉडल पर ध्यान केंद्रित किया। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकता’ (सामाजिक एकजुटता) और ‘एनोमी’ जैसी अवधारणाओं पर काम किया। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘सत्ता’ पर ज़ोर दिया।

प्रश्न 2: किस समाजशास्त्री ने ‘समझ’ (Verstehen) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तिपरक अर्थों को समझने के महत्व पर बल देती है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. मैक्स वेबर
  4. अगस्त कॉम्त

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘Verstehen’ (जर्मन शब्द जिसका अर्थ है ‘समझना’) की अवधारणा पेश की। यह समाजशास्त्रियों को अपने अध्ययन के विषयों के दृष्टिकोण, प्रेरणाओं और विश्वासों को समझने के लिए उनकी दुनिया में झाँकने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी पुस्तक ‘Economy and Society’ में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है, जो केवल अवलोकन योग्य तथ्यों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम प्रत्यक्षवाद के समर्थक थे और ‘सामाजिक तथ्य’ को बाहरी और वस्तुनिष्ठ मानते थे। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के जनक हैं, लेकिन ‘Verstehen’ उनकी मुख्य अवधारणा नहीं थी। अगस्त कॉम्त को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने प्रत्यक्षवाद की वकालत की।

प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में अत्यधिक औद्योगिकीकरण होता है
  2. जब सामाजिक मानदंडों का टूटना होता है और व्यक्ति को मार्गदर्शन की कमी महसूस होती है
  3. जब समाज अत्यधिक रूढ़िवादी हो जाता है
  4. जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अत्यधिक प्रतिबंध होते हैं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहाँ सामाजिक नियम अप्रचलित हो जाते हैं या टूट जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता, अनिश्चितता और सामाजिक नियंत्रण की कमी का अनुभव होता है। यह अक्सर सामाजिक परिवर्तनों या संकटों के दौरान होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की पुस्तकों ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में पाई जाती है। उन्होंने तर्क दिया कि एनोमी आत्महत्या की दर में वृद्धि से जुड़ी हो सकती है।
  • गलत विकल्प: अत्यधिक औद्योगिकीकरण या व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध स्वयं एनोमी का कारण नहीं बनते, बल्कि यह तब होता है जब सामाजिक नियम स्पष्ट या प्रभावी नहीं रह जाते। अत्यधिक रूढ़िवाद सामाजिक परिवर्तन के साथ असंगतता पैदा कर सकता है, लेकिन यह सीधे एनोमी की परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में ‘अलगाव’ (Alienation) का सबसे प्रमुख रूप क्या है?

  1. अपने सहकर्मियों से अलगाव
  2. अपने काम की प्रक्रिया से अलगाव
  3. मानव प्रजाति या अपने वास्तविक स्व से अलगाव
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद के तहत श्रमिकों के अलगाव के चार प्रमुख रूपों की पहचान की: उत्पादन के उत्पादों से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति (मानवता) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव। ये सभी परस्पर जुड़े हुए हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने अपनी “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में अलगाव की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। उनका मानना था कि पूंजीवादी व्यवस्था में, श्रमिक अपनी मेहनत के फल पर नियंत्रण नहीं रखते, और उत्पादन की प्रक्रिया अक्सर दोहराव वाली और अर्थहीन हो जाती है, जिससे अलगाव उत्पन्न होता है।
  • गलत विकल्प: हालाँकि अलगाव के ये सभी रूप मौजूद हैं, प्रश्न अलगाव के ‘सबसे प्रमुख’ रूपों के बारे में पूछता है। मार्क्स के अनुसार, यह अलगाव का एक बहुआयामी अनुभव है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सबसे व्यापक उत्तर है।

प्रश्न 5: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के अध्ययन में, ‘गरीबी की संस्कृति’ (Culture of Poverty) की अवधारणा किसने पेश की?

  1. ऑस्कर लुईस
  2. रॉबर्ट मर्टन
  3. एमिल दुर्खीम
  4. पियरे बॉर्डियू

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: ऑस्कर लुईस, एक मानवविज्ञानी, ने ‘गरीबी की संस्कृति’ की अवधारणा विकसित की। उनका तर्क था कि गरीबी को बनाए रखने वाली विशिष्ट जीवन शैली, मूल्य और विश्वासों का एक सेट अक्सर गरीबों के बीच विकसित होता है, जो पीढ़ियों तक गरीबी के दुष्चक्र को बनाए रख सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: लुईस ने मेक्सिको और प्यूर्टो रिको में गरीबी पर अपने नृवंशविज्ञान संबंधी शोध के आधार पर यह अवधारणा पेश की। हालांकि, इस अवधारणा की आलोचना भी की गई है कि यह संरचनात्मक कारणों के बजाय व्यक्तियों को दोष देती है।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘सांस्कृतिक लक्ष्यों’ और ‘संस्थागत साधनों’ की विसंगति के माध्यम से ‘एनोमी’ की व्याख्या की। एमिल दुर्खीम ने एनोमी का संबंध सामाजिक मानदंडों के टूटने से जोड़ा। पियरे बॉर्डियू ने ‘पूंजी’ (सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक) और ‘अभिव्यक्ति’ (Habitus) जैसी अवधारणाओं पर काम किया।

प्रश्न 6: भारतीय समाज में, ‘समानता’ (Equality) के आदर्श को प्राप्त करने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक किसे माना जाता है?

  1. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  2. जाति व्यवस्था
  3. शहरीकरण की गति
  4. साक्षरता दर में वृद्धि

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: भारतीय समाज में, जाति व्यवस्था ने पारंपरिक रूप से सामाजिक स्तरीकरण, भेदभाव और अवसरों की असमानता को बनाए रखा है, जिससे समानता के आदर्श को प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है, जो लोगों को विशेष व्यवसायों, सामाजिक स्थिति और अंतःक्रियाओं तक सीमित रखती है। स्वतंत्रता के बाद, भारतीय संविधान ने छुआछूत को समाप्त कर दिया और समानता को मौलिक अधिकार घोषित किया, लेकिन जातिगत पूर्वाग्रह और भेदभाव अभी भी समाज के विभिन्न पहलुओं में व्याप्त हैं।
  • गलत विकल्प: आधुनिकीकरण, शहरीकरण और साक्षरता दर में वृद्धि को आमतौर पर समानता को बढ़ावा देने वाले कारक माना जाता है, न कि बाधाएं। ये प्रक्रियाएं सामाजिक गतिशीलता और पारंपरिक बाधाओं को कम करने में मदद कर सकती हैं।

प्रश्न 7: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकिरतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
  2. उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाकर सामाजिक स्थिति में सुधार करने की प्रक्रिया
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरी जीवन शैली को अपनाना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकिरतीकरण’ की अवधारणा पेश की, जो उन प्रक्रियाओं का वर्णन करती है जिनके द्वारा निचली या मध्य जातियों के लोग (या कभी-कभी जनजाति) उच्च, ‘शुद्ध’ जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, देवत्व और जीवन शैली को अपनाते हैं, ताकि वे जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, हालांकि यह संरचनात्मक गतिशीलता को सीधे तौर पर संबोधित नहीं करता है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति को अपनाना ‘पश्चिमीकरण’ कहलाता है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन शामिल हैं। शहरी जीवन शैली को अपनाना शहरीकरण का हिस्सा है।

प्रश्न 8: निम्नांकित में से कौन सा युग्म ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का एक उदाहरण नहीं है?

  1. परिवार
  2. विद्यालय
  3. धर्म
  4. मित्रता

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: ‘मित्रता’ एक अनौपचारिक सामाजिक संबंध है, जबकि परिवार, विद्यालय और धर्म समाज की प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं। सामाजिक संस्थाएं वे स्थापित, स्थायी और संगठित तरीके हैं जिनसे समाज अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता है; उनमें निश्चित नियम, भूमिकाएं और मूल्य होते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परिवार विवाह, वंश और पालन-पोषण से संबंधित है। विद्यालय शिक्षा प्रदान करने की एक संस्था है। धर्म विश्वासों, अनुष्ठानों और समुदायों का एक निकाय है। ये सभी समाज में विशिष्ट कार्य करते हैं और उनके अपने नियम व संरचनाएं होती हैं।
  • गलत विकल्प: परिवार, विद्यालय और धर्म, सभी स्थापित सामाजिक पैटर्न हैं जो समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और इसलिए सामाजिक संस्थाएं हैं। मित्रता, हालांकि महत्वपूर्ण है, आमतौर पर इस श्रेणी में नहीं आती क्योंकि इसमें संस्थागत संरचना का अभाव होता है।

प्रश्न 9: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन थे, जिन्होंने ‘स्व’ (Self) के विकास में प्रतीकों और अंतःक्रियाओं की भूमिका पर बल दिया?

  1. टैल्कॉट पार्सन्स
  2. चार्ल्स कूले
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. हरबर्ट ब्लूमर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अग्रणी विचारकों में से एक माना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि ‘स्व’ (Self) और ‘मन’ (Mind) सामाजिक अनुभव और बातचीत के माध्यम से विकसित होते हैं, विशेष रूप से प्रतीकों (जैसे भाषा) के उपयोग के माध्यम से।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड के विचार उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ (1934) में संकलित किए गए थे। उन्होंने ‘मुझे’ (Me) और ‘मैं’ (I) के बीच अंतर किया, जहाँ ‘मैं’ हमारी सहज प्रतिक्रिया है और ‘मुझे’ समाज द्वारा सिखाई गई भूमिकाओं और दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करता है। हरबर्ट ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित किया। चार्ल्स कूले ने ‘क.च. (looking-glass self)’ की अवधारणा दी।
  • गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण से जुड़े हैं। चार्ल्स कूले ने ‘क.च. (looking-glass self)’ की अवधारणा दी, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से संबंधित है, लेकिन मीड को इसका मुख्य प्रस्तावक माना जाता है। हरबर्ट ब्लूमर ने इस दृष्टिकोण को व्यवस्थित और लोकप्रिय बनाया, लेकिन नींव मीड द्वारा रखी गई थी।

प्रश्न 10: सामाजिक अनुसंधान में, ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का प्राथमिक उद्देश्य क्या होता है?

  1. संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और सांख्यिकीय विश्लेषण करना
  2. घटनाओं की आवृत्ति और सहसंबंध को मापना
  3. सामाजिक वास्तविकताओं की गहरी समझ, अर्थ और संदर्भ प्राप्त करना
  4. बड़ी आबादी का सामान्यीकरण करने के लिए व्यापक सर्वेक्षण करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य लक्ष्य सामाजिक घटनाओं की गहराई, जटिलता और बारीकियों को समझना है। यह लोगों के अनुभवों, दृष्टिकोणों, विश्वासों और सामाजिक संदर्भों की पड़ताल करता है, बजाय इसके कि केवल संख्यात्मक डेटा एकत्र किया जाए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: गुणात्मक विधियों में साक्षात्कार, फोकस समूह, अवलोकन और केस स्टडी शामिल हैं। वे ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • गलत विकल्प: संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और सांख्यिकीय विश्लेषण करना ‘मात्रात्मक अनुसंधान’ (Quantitative Research) का मुख्य उद्देश्य है। घटनाओं की आवृत्ति या सामान्यीकरण भी मात्रात्मक अनुसंधान के दायरे में आते हैं।

  • प्रश्न 11: निम्नांकित में से कौन सा भारतीय समाज में ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Community) की विशेषता *नहीं* है?

    1. लिखित इतिहास का अभाव
    2. समरूप संस्कृति
    3. अविच्छिन्नता (Isolation)
    4. विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: ‘समरूप संस्कृति’ (Homogeneous culture) एक विशेषता नहीं है, बल्कि कई आदिवासी समुदाय अपनी अनूठी और विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं, भाषाओं और रीति-रिवाजों के लिए जाने जाते हैं, जिनमें आंतरिक भिन्नताएं हो सकती हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: अन्य विकल्प (लिखित इतिहास का अभाव, अविच्छिन्नता, विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र) परंपरागत रूप से कई आदिवासी समुदायों से जुड़े रहे हैं, हालाँकि आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के कारण इनमें से कुछ विशेषताएँ बदल रही हैं। उदाहरण के लिए, कुछ जनजातियों ने अपनी पहचान और इतिहास को संरक्षित करने के लिए लिखित परंपराएं विकसित की हैं।
    • गलत विकल्प: ‘लिखित इतिहास का अभाव’, ‘अविच्छिन्नता’ (आमतौर पर मुख्यधारा समाज से अलगाव), और ‘विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र’ अक्सर भारतीय आदिवासी समुदायों की प्रारंभिक या पारंपरिक विशेषताओं के रूप में देखे जाते हैं, हालांकि ये सार्वभौमिक या अपरिवर्तनीय नहीं हैं।

    प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, संबंधों और विश्वास पर आधारित है, मुख्य रूप से किससे जुड़ी है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. पियरे बॉर्डियू
    3. रॉबर्ट पटनम
    4. मैक्स वेबर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: रॉबर्ट पटनम ने ‘सामाजिक पूंजी’ को लोकप्रिय बनाया, विशेष रूप से नागरिक जुड़ाव, सामाजिक नेटवर्क और सामाजिक विश्वास के संदर्भ में, जो सामुदायिक जीवन और शासन को प्रभावित करते हैं। उन्होंने इसे ‘Custom Made in America’ (2000) जैसी रचनाओं में समझाया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: हालाँकि पियरे बॉर्डियू ने भी ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा पर महत्वपूर्ण काम किया था, उन्होंने इसे मुख्य रूप से वर्ग निर्माण और सामाजिक पुनरुत्पादन के साधन के रूप में देखा, जहाँ यह संसाधनों तक पहुँचने के लिए संबंधों का उपयोग करने की क्षमता है। पटनम का ध्यान अधिक व्यापक, सार्वजनिक या सामुदायिक स्तर पर इसके प्रभाव पर था।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर की प्राथमिक अवधारणाएं सामाजिक पूंजी से संबंधित नहीं हैं, हालांकि उनके काम सामाजिक संबंधों के महत्व को दर्शाते हैं।

    प्रश्न 13: निम्नांकित में से कौन सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का एक प्रकार *नहीं* है?

    1. ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
    2. क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
    3. पारिवारिक गतिशीलता (Familial Mobility)
    4. अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: ‘पारिवारिक गतिशीलता’ सामाजिक गतिशीलता का एक स्थापित प्रकार नहीं है। सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी में जाने से है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ‘ऊर्ध्वाधर गतिशीलता’ किसी व्यक्ति की सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे जाने को दर्शाती है (जैसे, गरीबी से अमीरी)। ‘क्षैतिज गतिशीलता’ एक ही सामाजिक स्तर पर स्थिति बदलने को दर्शाती है (जैसे, एक ही स्तर के एक कारखाने से दूसरे कारखाने में काम करना)। ‘अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता’ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सामाजिक स्थिति के परिवर्तन को मापती है (जैसे, पिता की तुलना में पुत्र की सामाजिक स्थिति)।
    • गलत विकल्प: ऊर्ध्वाधर, क्षैतिज और अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता सामाजिक गतिशीलता के मान्यता प्राप्त प्रकार हैं।

    प्रश्न 14: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय समझ में, ‘भौतिक संस्कृति’ (Material Culture) से क्या तात्पर्य है?

    1. लोगों के विश्वास, मूल्य और विचार
    2. लोगों द्वारा बनाई गई मूर्त वस्तुएँ, जैसे कला, उपकरण और वास्तुकला
    3. सामाजिक रीति-रिवाज और परंपराएं
    4. भाषा और संचार के तरीके

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: भौतिक संस्कृति से तात्पर्य समाज द्वारा निर्मित उन सभी मूर्त या ठोस वस्तुओं से है जो मानव निर्मित हैं। इसमें औजार, कपड़े, भवन, प्रौद्योगिकी, कलाकृतियाँ आदि शामिल हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: भौतिक संस्कृति समाज के गैर-भौतिक या अमूर्त पहलुओं (जैसे विश्वास, मूल्य, ज्ञान) को प्रतिबिंबित और प्रभावित करती है। समाजशास्त्रीय विश्लेषण में, भौतिक संस्कृति का अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि लोग अपने पर्यावरण को कैसे आकार देते हैं और वे अपनी भौतिक दुनिया से कैसे जुड़ते हैं।
    • गलत विकल्प: विश्वास, मूल्य, विचार, रीति-रिवाज, परंपराएं और भाषा ‘अभौतिक संस्कृति’ (Non-material culture) के अंतर्गत आते हैं।

    प्रश्न 15: अगस्त कॉम्त, जिन्हें समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, ने समाज के विकास को समझाने के लिए किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया?

    1. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
    2. तीन अवस्थाओं का नियम
    3. संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता
    4. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: अगस्त कॉम्त ने ‘तीन अवस्थाओं के नियम’ (Law of Three Stages) का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार मानव समाज और ज्ञान तीन अवस्थाओं से गुजरता है: ईश्वरीय (Theological), काल्पनिक (Metaphysical), और प्रत्यक्ष (Positive)।
    • संदर्भ एवं विस्तार: कॉम्त का मानना था कि प्रत्यक्ष या वैज्ञानिक अवस्था समाज का अंतिम और सबसे विकसित रूप है। उन्होंने इसी आधार पर समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया। यह सिद्धांत उनकी पुस्तक ‘A Course of Positive Philosophy’ में पाया जाता है।
    • गलत विकल्प: द्वंद्वात्मक भौतिकवाद कार्ल मार्क्स का सिद्धांत है। संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता टैल्कॉट पार्सन्स और एमिल दुर्खीम से जुड़ी है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद मीड और ब्लूमर का सिद्धांत है।

    प्रश्न 16: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) के औपचारिक साधनों में निम्नांकित में से किसका समावेश होता है?

    1. सार्वजनिक राय
    2. धर्म
    3. कानून और पुलिस
    4. शिक्षा

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: कानून, पुलिस, अदालतें और जेल सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधन हैं। इनका उपयोग समाज द्वारा स्थापित नियमों और कानूनों को लागू करने और विचलन (Deviance) को रोकने के लिए किया जाता है, और ये विशिष्ट संस्थाओं द्वारा प्रशासित होते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण प्रणाली संगठित और आधिकारिक होती है। इसके विपरीत, अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण में सार्वजनिक राय, परिवार, मित्र, धर्म और शिक्षा जैसी चीजें शामिल होती हैं, जो प्रत्यक्ष नियमों के बजाय सामाजिक दबाव और अनुमोदन के माध्यम से काम करती हैं।
    • गलत विकल्प: सार्वजनिक राय, धर्म और शिक्षा अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं, न कि औपचारिक।

    प्रश्न 17: निम्नांकित में से कौन सा ‘समूह’ (Group) की एक अनिवार्य विशेषता है?

    1. उनका एक सामान्य व्यवसाय होना
    2. आपसी पहचान और संपर्क
    3. एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना
    4. सभी सदस्यों का समान सामाजिक दर्जा होना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: समूह की सबसे मूलभूत विशेषता सदस्यों के बीच आपसी पहचान और नियमित संपर्क या अंतःक्रिया है। सदस्य खुद को समूह का हिस्सा मानते हैं और एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक संग्रह है जो एक-दूसरे के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क करते हैं, एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, और जिनमें एक साझा पहचान या उद्देश्य की भावना होती है।
    • गलत विकल्प: सामान्य व्यवसाय, एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना, या समान सामाजिक दर्जा होना समूह की आवश्यक शर्तें नहीं हैं; उदाहरण के लिए, ऑनलाइन समुदायों में लोग भौगोलिक रूप से भिन्न हो सकते हैं, या एक ही समूह में विभिन्न व्यवसाय वाले लोग हो सकते हैं।

    प्रश्न 18: ‘सामाजिक विविधीकरण’ (Social Differentiation) और ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के बीच क्या अंतर है?

    1. सामाजिक विविधीकरण में पदानुक्रम शामिल है, जबकि स्तरीकरण में नहीं
    2. सामाजिक स्तरीकरण में पदानुक्रम शामिल है, जबकि विविधीकरण में नहीं
    3. दोनों समान हैं और एक ही अर्थ रखते हैं
    4. सामाजिक विविधीकरण व्यक्ति के कौशल पर आधारित है, जबकि स्तरीकरण धन पर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: सामाजिक विविधीकरण केवल समाज को विभिन्न भूमिकाओं, कार्यों या समूहों में विभाजित करना है (जैसे, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक)। यह पदानुक्रमित नहीं है। इसके विपरीत, सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को उनकी संपत्ति, शक्ति या प्रतिष्ठा के आधार पर विभिन्न स्तरों या पदानुक्रमित परतों में व्यवस्थित करना है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: विविधीकरण समाज को कार्यात्मक रूप से विभाजित करता है, जबकि स्तरीकरण इसे श्रेणीबद्ध रूप से विभाजित करता है। सभी स्तरित समाजों में विविधीकरण होता है, लेकिन सभी विभेदित समाजों में स्तरीकरण नहीं होता।
    • गलत विकल्प: यह भेद महत्वपूर्ण है: स्तरीकरण हमेशा एक पदानुक्रमित व्यवस्था है, जबकि विविधीकरण केवल विभाजन है।

    प्रश्न 19: निम्नांकित में से कौन सा ‘जनसांख्यिकी’ (Demography) का अध्ययन क्षेत्र *नहीं* है?

    1. जन्म दर
    2. मृत्यु दर
    3. प्रवास
    4. सामाजिक गतिशीलता

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: जनसांख्यिकी जनसंख्या के आकार, संरचना और वितरण, और समय के साथ इनमें होने वाले परिवर्तनों का वैज्ञानिक अध्ययन है, जो मुख्य रूप से जन्म, मृत्यु और प्रवास जैसी प्रक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं। ‘सामाजिक गतिशीलता’ का अध्ययन समाजशास्त्र का एक प्रमुख क्षेत्र है, लेकिन यह सीधे तौर पर जनसांख्यिकी का हिस्सा नहीं है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: जनसांख्यिकी जनसंख्या की गतिशीलता (जन्म, मृत्यु, प्रजनन) और संरचना (आयु, लिंग) का विश्लेषण करती है। ये कारक समाज को प्रभावित करते हैं, लेकिन सामाजिक गतिशीलता (लोगों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन) जनसांख्यिकी के प्राथमिक फोकस से बाहर है।
    • गलत विकल्प: जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास जनसांख्यिकी के केंद्रीय विषय हैं।

    प्रश्न 20: ‘पारिवारिक विघटन’ (Family Disorganization) की अवधारणा को समझाने में निम्नांकित में से कौन सा कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?

    1. महिलाओं का शिक्षा में बढ़ता प्रवेश
    2. औद्योगिकीकरण और शहरीकरण
    3. तलाक की बढ़ती दर
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: महिलाओं का शिक्षा में बढ़ता प्रवेश, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण, और तलाक की बढ़ती दर – ये सभी आधुनिक समाजों में पारिवारिक संरचना और कार्यप्रणाली में परिवर्तन लाते हैं, जिन्हें अक्सर ‘पारिवारिक विघटन’ या ‘पारिवारिक परिवर्तन’ के रूप में देखा जाता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ये कारक पारंपरिक पारिवारिक भूमिकाओं, मूल्यों और संरचनाओं को चुनौती देते हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता से विवाह के प्रति उनकी निर्भरता कम हो सकती है, और शहरीकरण से संयुक्त परिवारों का विघटन और एकाकी परिवारों का उदय होता है। तलाक की बढ़ती दर सीधे तौर पर पारंपरिक परिवार की परिभाषा को बदलती है।
    • गलत विकल्प: ये सभी कारक महत्वपूर्ण हैं और अक्सर एक साथ मिलकर परिवार के पारंपरिक स्वरूप को प्रभावित करते हैं।

    प्रश्न 21: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के समाजशास्त्रीय विश्लेषण से सबसे अधिक जुड़ा है?

    1. इरावती कर्वे
    2. जी.एस. घुरिये
    3. मैक्स वेबर
    4. योगेंद्र सिंह
    5. उत्तर: (c)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने विशेष रूप से ‘बुर्जुआ पूंजीवाद’ (Bureaucratic Capitalism) के उदय और विकास के पीछे की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्तियों, जिसमें नौकरशाही और तर्कसंगतता का उदय शामिल है, का गहन समाजशास्त्रीय विश्लेषण किया, जो औद्योगीकरण से गहराई से जुड़ा हुआ है।
      • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर की पुस्तक ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ (1905) ने तर्क दिया कि कुछ प्रोटेस्टेंट नैतिकताएँ, विशेष रूप से केल्विनवाद, पूंजीवाद के उदय में सहायक थीं। उन्होंने नौकरशाही को आधुनिक औद्योगीकृत समाज की एक प्रमुख विशेषता के रूप में भी देखा।
      • गलत विकल्प: इरावती कर्वे और जी.एस. घुरिये भारतीय समाज, विशेषकर परिवार, नातेदारी और जाति पर काम करने वाले समाजशास्त्री थे। योगेंद्र सिंह भारत में सामाजिक परिवर्तन और आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण विद्वान हैं, लेकिन औद्योगीकरण के सैद्धांतिक विश्लेषण के लिए वेबर को अधिक केंद्रीय माना जाता है।

      प्रश्न 22: ‘सामाजिक समस्या’ (Social Problem) को परिभाषित करने में निम्नांकित में से कौन सा तत्व आवश्यक है?

      1. यह केवल व्यक्तिगत कठिनाई होनी चाहिए
      2. यह समाज के एक महत्वपूर्ण वर्ग द्वारा समस्या के रूप में पहचानी जानी चाहिए
      3. यह केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए
      4. यह हमेशा अपराध से संबंधित होनी चाहिए

      उत्तर: (b)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सही विकल्प: एक सामाजिक समस्या वह स्थिति है जिसे समाज के एक महत्वपूर्ण वर्ग द्वारा हानिकारक या अवांछनीय माना जाता है और जिसे सामूहिक कार्रवाई या समाधान की आवश्यकता होती है। इसमें केवल व्यक्तिगत कठिनाई शामिल नहीं होती, बल्कि यह समाज के व्यापक स्तर पर प्रभाव डालती है।
      • संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक समस्याओं की परिभाषाएँ समय और संस्कृति के अनुसार बदल सकती हैं। जो एक समाज में समस्या है, वह दूसरे में न भी हो। यह सार्वजनिक चिंता और संभवतः हस्तक्षेप का विषय बनती है।
      • गलत विकल्प: सामाजिक समस्या केवल व्यक्तिगत कठिनाई नहीं है (a)। यह आवश्यक नहीं है कि इसे केवल सरकार द्वारा ही मान्यता प्राप्त हो (c), और यह हमेशा अपराध से संबंधित नहीं होती (d), जैसे गरीबी, भेदभाव या पर्यावरणीय क्षरण।

      प्रश्न 23: निम्नांकित में से कौन सी ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का वर्णन करती है?

      1. जब समाज में तेजी से परिवर्तन होता है
      2. जब किसी समाज की अमूर्त संस्कृति (मान्यताएं, मूल्य) उसकी भौतिक संस्कृति (प्रौद्योगिकी) की तुलना में अधिक धीमी गति से बदलती है
      3. जब समाज परंपराओं से चिपका रहता है
      4. जब लोग नई तकनीक को अपनाने से इनकार करते हैं

      उत्तर: (b)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सही विकल्प: सांस्कृतिक विलंब, विलियम ओगबर्न (William Ogburn) द्वारा प्रस्तावित, उस घटना को संदर्भित करता है जहाँ किसी समाज की भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, नवाचार) अमूर्त संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य, सामाजिक संस्थाएं, कानून) की तुलना में तेजी से बदलती है। इसके परिणामस्वरूप अक्सर सामाजिक तनाव और अनुकूलन की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
      • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति (भौतिक संस्कृति) से जीवन प्रत्याशा बढ़ सकती है, लेकिन समाज को इन दीर्घायु से जुड़े नैतिक, कानूनी और सामाजिक मुद्दों (अमूर्त संस्कृति) से निपटने के लिए समय लग सकता है।
      • गलत विकल्प: तेजी से परिवर्तन (a) स्वयं सांस्कृतिक विलंब नहीं है, बल्कि इसका परिणाम हो सकता है। परंपराओं से चिपके रहना (c) या तकनीक को अपनाने से इनकार करना (d) सांस्कृतिक परिवर्तन के अन्य पहलू हैं, न कि स्वयं सांस्कृतिक विलंब।

      प्रश्न 24: भारतीय समाजशास्त्रीय अध्ययन में, ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया का विश्लेषण करते हुए निम्नांकित में से किस विचारक ने ‘धर्मनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्षता’ (Secular Religion) की अवधारणा का उपयोग किया?

      1. एम.एन. श्रीनिवास
      2. टी.के. उम्मेन
      3. योगेंद्र सिंह
      4. लुई डुमॉन्ट

      उत्तर: (c)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सही विकल्प: योगेंद्र सिंह, जो भारतीय समाज में सामाजिक परिवर्तन के एक प्रमुख विद्वान हैं, ने धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया का विश्लेषण करते हुए ‘धर्मनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्षता’ (Secular Religion) की अवधारणा का उपयोग किया। यह उन वैकल्पिक आदर्श प्रणालियों या विचारधाराओं को संदर्भित करता है जो पारंपरिक धर्म की जगह ले लेती हैं या उसके समानांतर कार्य करती हैं, जैसे कि राष्ट्रवाद, प्रजातंत्र, या कुछ प्रकार के सामाजिक या राजनीतिक आंदोलन।
      • संदर्भ एवं विस्तार: सिंह ने तर्क दिया कि भारत जैसे देशों में, जहाँ धर्म का गहरा प्रभाव है, धर्मनिरपेक्षीकरण का अर्थ धर्म का पूरी तरह से गायब होना नहीं है, बल्कि धर्म के विभिन्न रूपों का विकास या धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का महत्व बढ़ना है, जो कभी-कभी धर्म जैसी निष्ठा या पहचान का रूप ले लेते हैं।
      • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण और पश्चिमीकरण पर काम किया। टी.के. उम्मेन ने भारतीय समाज पर लिखा। लुई डुमॉन्ट ने जाति और भारतीय समाज के अध्ययन में ‘पवित्रता’ और ‘अपवित्रता’ जैसे विचारों का उपयोग किया।

      प्रश्न 25: निम्नांकित में से कौन सा ‘परिवार’ (Family) की एक सर्वमान्य परिभाषा का हिस्सा *नहीं* है?

      1. जैविक संबंध
      2. कानूनी संबंध
      3. आर्थिक सहयोग
      4. धार्मिक अनुष्ठानों का पालन

      उत्तर: (d)

      विस्तृत स्पष्टीकरण:

      • सही विकल्प: जबकि परिवार जैविक संबंध (जैसे माता-पिता और बच्चे), कानूनी संबंध (विवाह, गोद लेना) और आर्थिक सहयोग (साझा संसाधनों का प्रबंधन) पर आधारित होते हैं, धार्मिक अनुष्ठानों का पालन परिवार की परिभाषा का एक आवश्यक या सार्वभौमिक तत्व नहीं है।
      • संदर्भ एवं विस्तार: विभिन्न संस्कृतियों और समाजों में परिवारों की संरचनाएं और कार्य अलग-अलग होते हैं। कुछ परिवार धार्मिक अनुष्ठानों को गहराई से अपनाते हैं, जबकि अन्य नहीं। परिवार को परिभाषित करने वाले मुख्य तत्व आमतौर पर वंश, विवाह, साझा निवास और आर्थिक या भावनात्मक समर्थन से जुड़े होते हैं।
      • गलत विकल्प: जैविक और कानूनी संबंध अक्सर परिवार की परिभाषा का आधार होते हैं। आर्थिक सहयोग कई समाजों में परिवार के कार्यों का एक प्रमुख हिस्सा है। धार्मिक अनुष्ठानों का पालन परिवार का एक संभावित या सांस्कृतिक रूप से विशिष्ट कार्य हो सकता है, लेकिन इसे सार्वभौमिक रूप से आवश्यक नहीं माना जाता है।

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