समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 महत्वपूर्ण प्रश्न
स्वागत है, भावी समाजशास्त्रियों! आज हम एक बार फिर आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए एक नई, गहन अभ्यास श्रृंखला लेकर आए हैं। इन 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों के माध्यम से अपनी समाजशास्त्रीय समझ को मजबूत करें और आगामी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को एक नई दिशा दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाज को व्यक्तियों के अंतर्संबंधित, स्थिर पैटर्न के रूप में देखती है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- ताल्कोट पार्सन्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ताल्कोट पार्सन्स ने ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा पर विस्तार से कार्य किया। उन्होंने इसे समाज के उन अंतर्संबंधित भागों (संस्थाओं, भूमिकाओं, प्रतिमानों) के जाल के रूप में परिभाषित किया जो एक अपेक्षाकृत स्थिर व्यवस्था बनाए रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स कार्यात्मकतावाद (Functionalism) के प्रमुख प्रस्तावक थे और उन्होंने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जिसके विभिन्न अंग मिलकर एक संतुलन बनाते हैं। उनकी कृति ‘The Social System’ में इस पर विस्तृत चर्चा है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का जोर ‘सामाजिक वर्ग’ और ‘संघर्ष’ पर था। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकजुटता’ और ‘सामूहिक चेतना’ पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘शक्ति’ जैसी अवधारणाओं को महत्व दिया।
प्रश्न 2: किस समाजशास्त्री ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी, जो समाज में भौतिक और अभौतिक संस्कृति के बीच असमान विकास की ओर इशारा करती है?
- विलियम ग्राहम समनर
- ऑगस्ट कॉम्प
- अल्बर्ट स्मॉल
- एच.जी. वेल्स
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘Folkways’ (1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब समाज के भौतिक तत्व (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक तत्वों (जैसे कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज) की तुलना में तेजी से बदलते हैं, जिससे असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: समनर ने अमेरिकी समाज में औद्योगीकरण और उसके कारण होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का अध्ययन करते हुए इस अवधारणा को विकसित किया।
- गलत विकल्प: ऑगस्त कॉम्प को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया। अल्बर्ट स्मॉल एक अमेरिकी समाजशास्त्री थे जिन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन को व्यवस्थित करने में भूमिका निभाई। एच.जी. वेल्स एक लेखक थे, समाजशास्त्री नहीं।
प्रश्न 3: निम्न में से कौन सी अवधारणा कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक द्वारा अपने श्रम, उत्पादन के साधन और स्वयं से अलगाव को दर्शाती है?
- अभिजन
- अलगाव (Alienation)
- बहिष्कार
- सामाजिक स्तरीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिक अपने कार्य की प्रक्रिया, उसके उत्पाद, अन्य मनुष्यों और अंततः अपनी मानवीय प्रकृति से कट जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से पाई जाती है। यह वर्ग संघर्ष और शोषण का एक महत्वपूर्ण परिणाम है।
- गलत विकल्प: ‘अभिजन’ (Elite) की अवधारणा विल्फ्रेडो पैरेटो और गैटानो मोस्का से जुड़ी है। ‘बहिष्कार’ (Exclusion) एक सामान्य सामाजिक प्रक्रिया है। ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) समाज के असमान विभाजन को दर्शाता है।
प्रश्न 4: एमिल दुर्खीम ने समाज को एक एकीकृत इकाई के रूप में देखने के लिए किस प्रकार की एकजुटता (Solidarity) का उल्लेख किया, जो ‘आदिम’ या ‘सरल’ समाजों में पाई जाती है?
- यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
- जैविक एकजुटता (Organic Solidarity)
- मनोवैज्ञानिक एकजुटता (Psychological Solidarity)
- तकनीकी एकजुटता (Technical Solidarity)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में ‘यांत्रिक एकजुटता’ की अवधारणा दी। यह उन समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग समान कार्य करते हैं, विश्वास साझा करते हैं और सामूहिक चेतना (collective conscience) बहुत मजबूत होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकजुटता समानता पर आधारित होती है, न कि श्रम विभाजन पर। यह पूर्व-औद्योगिक समाजों की विशेषता है।
- गलत विकल्प: ‘जैविक एकजुटता’ आधुनिक, जटिल समाजों की विशेषता है, जहाँ श्रम विभाजन के कारण व्यक्ति एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। ‘मनोवैज्ञानिक’ और ‘तकनीकी’ एकजुटता दुर्खीम द्वारा प्रयुक्त शब्द नहीं हैं।
प्रश्न 5: मैत्रेयी कृष्णन के अनुसार, भारतीय समाज में ‘स्त्रीवाद’ (Feminism) के संदर्भ में कौन सा कथन सही है?
- सभी भारतीय नारीवादी आंदोलन पाश्चात्य नारीवाद से प्रेरित हैं।
- भारतीय नारीवाद का संबंध विशुद्ध रूप से लिंग समानता से है, न कि सामाजिक-आर्थिक मुद्दों से।
- भारतीय नारीवाद विविध है और यह भारतीय संदर्भों, जैसे जाति, वर्ग और धर्म को संबोधित करता है।
- भारतीय नारीवाद का मुख्य लक्ष्य पितृसत्ता को पूरी तरह से समाप्त करना है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैत्रेयी कृष्णन जैसे विद्वानों ने भारतीय नारीवाद की विशिष्टता पर बल दिया है, जो इसे पश्चिमी नारीवाद से अलग करती है। यह भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संदर्भों, जिसमें जाति, वर्ग, धर्म और उपनिवेशवाद का इतिहास शामिल है, के प्रति संवेदनशील है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय नारीवाद का उद्देश्य केवल लैंगिक समानता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, आर्थिक सशक्तिकरण और ऐतिहासिक असमानताओं को दूर करने से भी जुड़ा है।
- गलत विकल्प: भारतीय नारीवाद पूरी तरह से पाश्चात्य नारीवाद से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय मुद्दों और आंदोलनों से भी जन्मा है। इसका संबंध केवल लिंग समानता से नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक-आर्थिक न्याय से है। पितृसत्ता को समाप्त करना एक लक्ष्य हो सकता है, लेकिन यह एकमात्र या पूर्णतः परिभाषित करने वाला बिंदु नहीं है।
प्रश्न 6: मैक्स वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) को आधुनिक समाज की एक प्रमुख विशेषता के रूप में वर्णित किया। उनके अनुसार, नौकरशाही की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- अव्यक्तिगतता (Impersonality)
- पारिवारिक संबंध
- अनौपचारिक नियम
- व्यक्तिगत निर्णय
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: मैक्स वेबर के आदर्श-प्रकार (Ideal Type) नौकरशाही में ‘अव्यक्तिगतता’ (Impersonality) एक केंद्रीय तत्व है। इसका अर्थ है कि निर्णय और कार्य नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होते हैं, न कि व्यक्तिगत भावनाओं, संबंधों या पक्षपात पर।
संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-वैध सत्ता (Rational-Legal Authority) का सबसे शुद्ध रूप माना। उन्होंने इसके लक्षण के रूप में पदानुक्रम, लिखित नियम, विशिष्ट कार्य विभाजन, योग्यता-आधारित भर्ती और अव्यक्तिगतता को गिनाया।
गलत विकल्प: पारिवारिक संबंध, अनौपचारिक नियम और व्यक्तिगत निर्णय अव्यक्तिगतता के विपरीत हैं और वेबर के आदर्श नौकरशाही मॉडल में फिट नहीं बैठते।
प्रश्न 7: जी.एच. मीड (G.H. Mead) द्वारा विकसित ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के अनुसार, ‘स्व’ (Self) का विकास कैसे होता है?
- जन्म से ही निर्धारित होता है।
- केवल आनुवंशिकी से प्रभावित होता है।
- सामाजिक अंतःक्रिया और दूसरों की प्रतिक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है।
- किसी भी सामाजिक प्रभाव से स्वतंत्र होता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: जी.एच. मीड के अनुसार, ‘स्व’ (Self) एक सामाजिक उत्पाद है। यह तब विकसित होता है जब व्यक्ति दूसरों के साथ अंतःक्रिया करता है, उनकी भूमिकाओं को अपनाता है (Taking the role of the other) और समाज की अपेक्षाओं के अनुसार अपनी पहचान बनाता है।
संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘मी’ (Me) और ‘आई’ (I) की अवधारणाएं दीं। ‘मी’ समाज के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘आई’ व्यक्ति की व्यक्तिगत, प्रतिक्रियाशील भावना है। ये दोनों मिलकर ‘स्व’ का निर्माण करते हैं।
गलत विकल्प: ‘स्व’ जन्मजात या केवल आनुवंशिक नहीं होता। यह सामाजिक अंतःक्रिया के बिना विकसित नहीं हो सकता और न ही किसी सामाजिक प्रभाव से स्वतंत्र रह सकता है।
प्रश्न 8: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकृति’ (Sanskritization) की अवधारणा किस सामाजिक प्रक्रिया का वर्णन करती है?
- पश्चिमीकरण
- आधुनिकीकरण
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं को अपनाना
- शहरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृति’ (Sanskritization) को उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जहाँ निचली जाति या जनजाति के लोग किसी उच्चतर, ‘द्विज’ जाति की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, पूजा-पद्धतियों और कर्मकांडों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करते हैं।
संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रमुखता से आई। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। ‘आधुनिकीकरण’ व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों को समाहित करता है। ‘शहरीकरण’ ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के प्रवास को दर्शाता है।
प्रश्न 9: इरावती कर्वे ने भारतीय समाज के नातेदारी (Kinship) व्यवस्था के अध्ययन में किस प्रमुख पहलू पर जोर दिया?
- नातेदारी की आर्थिक भूमिका
- नातेदारी समूहों की संरचना और प्रकार
- नातेदारी के मनोवैज्ञानिक प्रभाव
- नातेदारी के राजनीतिक अनुप्रयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: इरावती कर्वे, एक प्रमुख मानवशास्त्री, ने भारतीय नातेदारी व्यवस्था के विस्तृत अध्ययन में नातेदारी समूहों की संरचना, जैसे कि पितृवंशीय (Patrilineal) और मातृवंशीय (Matrilineal) वंश, और विवाह प्रथाओं के माध्यम से बनने वाले विभिन्न प्रकार के नातेदारी संबंधों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया।
संदर्भ और विस्तार: उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘Kinship Organisation in India’ नातेदारी के संरचनात्मक और प्रकार्यात्मक विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
गलत विकल्प: यद्यपि नातेदारी के अन्य पहलू भी महत्वपूर्ण हैं, कर्वे के मुख्य योगदान नातेदारी समूहों की संरचनात्मक पहचान और उनके वर्गीकरण में थे।
प्रश्न 10: समाजशास्त्र में ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और व्यक्ति में मूल्यों की कमी से उत्पन्न होने वाली स्थिति का वर्णन करती है, किससे संबंधित है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- अगस्त कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा गढ़ी गई थी। यह एक ऐसी स्थिति है जब समाज में सामान्य नियमों और मूल्यों का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों में अनिश्चितता, दिशाहीनता और सामाजिक मानदंडों से अलगाव महसूस होता है।
संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इसे आत्महत्या (Suicide) और सामाजिक अव्यवस्था (Social Disorganization) के कारणों में से एक माना। उन्होंने इसे विशेष रूप से तीव्र सामाजिक परिवर्तनों के दौर में देखा।
गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का संबंध वर्ग संघर्ष से था। मैक्स वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर काम किया। अगस्त कॉम्टे प्रत्यक्षवाद के जनक थे।
प्रश्न 11: निम्न में से कौन सा कथन ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का सबसे सटीक वर्णन करता है?
- सभी संस्कृतियाँ नैतिक रूप से समान हैं।
- प्रत्येक संस्कृति को उसके अपने मानदंडों और मूल्यों के संदर्भ में समझा जाना चाहिए, न कि किसी अन्य संस्कृति के मापदंडों से।
- कुछ संस्कृतियाँ दूसरों की तुलना में अधिक उन्नत होती हैं।
- संस्कृति का अध्ययन केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद यह सिद्धांत है कि किसी व्यक्ति की मान्यताओं, मूल्यों और प्रथाओं को उस व्यक्ति की अपनी संस्कृति के संदर्भ में समझा जाना चाहिए। कोई भी संस्कृति स्वाभाविक रूप से दूसरी से बेहतर या बदतर नहीं होती।
संदर्भ और विस्तार: यह मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों को कम करने और समाजों को उनकी अपनी विशिष्टता में समझने का प्रयास करता है।
गलत विकल्प: विकल्प (a) सांस्कृतिक सापेक्षवाद को गलत तरीके से समझाता है। विकल्प (c) सांस्कृतिक सार्वभौमिकतावाद (Ethnocentrism) की ओर ले जाता है। विकल्प (d) अध्ययन के तरीके को सीमित करता है।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता क्या है जो इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?
- व्यक्ति की गतिशीलता की पूर्ण स्वतंत्रता
- जन्म पर आधारित सदस्यता और संलग्नता
- पेशा चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता
- खुला अंतःसमूह विवाह (Open endogamy)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: जाति व्यवस्था की सबसे मौलिक और परिभाषित विशेषता यह है कि इसकी सदस्यता व्यक्ति के जन्म से निर्धारित होती है। व्यक्ति उस जाति में जन्म लेता है जिसमें उसके माता-पिता हैं, और यह स्थिति आमतौर पर जीवन भर बनी रहती है।
संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था अंतःविवाह (Endogamy) और व्यवसाय के निर्धारण (Occupational Heredity) से भी जुड़ी है, लेकिन जन्म पर आधारित सदस्यता इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।
गलत विकल्प: जाति व्यवस्था व्यक्ति की गतिशीलता को बहुत सीमित करती है। पेशा अक्सर जन्म से निर्धारित होता था, और अंतःसमूह विवाह (Endogamy) जाति के भीतर विवाह को अनिवार्य करता है, न कि खुले विवाह को।
प्रश्न 13: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्री ‘शक्ति’ (Power) और ‘वैधता’ (Legitimacy) की अवधारणाओं के बीच संबंध का विश्लेषण करने के लिए जाना जाता है?
- ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘सत्ता’ (Authority) को ‘वैध शक्ति’ (Legitimate Power) के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने सत्ता के तीन मुख्य प्रकार बताए: पारंपरिक (Traditional), करिश्माई (Charismatic) और तर्कसंगत-वैध (Rational-Legal)।
संदर्भ और विस्तार: वेबर का विश्लेषण इस बात पर केंद्रित था कि कैसे सत्ता को समाज द्वारा स्वीकार किया जाता है और वह शक्ति किस प्रकार वैधता प्राप्त करती है।
गलत विकल्प: रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक प्रकार्यवाद से जुड़े थे। कॉम्टे और स्पेंसर समाजशास्त्र के प्रारंभिक सिद्धांतकार थे जिन्होंने सत्ता के बजाय सामाजिक विकास और व्यवस्था पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) को परिभाषित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक, जो अक्सर बाहरी होता है और नई प्रौद्योगिकियों या विचारों को लाता है, क्या कहलाता है?
- रूढ़िवाद
- प्रतिक्रिया
- नवाचार (Innovation)
- सामूहिकीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: ‘नवाचार’ (Innovation) सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख चालक है। इसमें नए विचारों, विधियों, उपकरणों या उत्पादों का निर्माण और उन्हें समाज में अपनाना शामिल है, जो प्रायः बाहरी स्रोतों से आते हैं।
संदर्भ और विस्तार: विलियम ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की चर्चा में नवाचार की भूमिका पर प्रकाश डाला था।
गलत विकल्प: ‘रूढ़िवाद’ परिवर्तन का विरोधी है। ‘प्रतिक्रिया’ (Reaction) पुराने मूल्यों की ओर वापसी है। ‘सामूहिकीकरण’ (Collectivization) एक विशेष प्रकार की सामाजिक या आर्थिक व्यवस्था है।
प्रश्न 15: किस समाजशास्त्री ने ‘संस्कृति’ (Culture) को मानव व्यवहार के सीखा हुआ और साझा किए गए पैटर्न के रूप में परिभाषित किया, जिसमें मान्यताएं, मूल्य, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएं शामिल हैं?
- एमिल दुर्खीम
- एडवर्ड टायलर
- एच.एल. मूर
- रॉबर्ट रेडक्लिफ-ब्राउन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: एडवर्ड बर्नेट टायलर (E.B. Tylor) को मानवशास्त्र में संस्कृति की सबसे प्रभावशाली प्रारंभिक परिभाषाओं में से एक देने का श्रेय दिया जाता है। उनकी परिभाषा में संस्कृति को ‘वह जटिल संपूर्णता जो ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताओं और आदतों को समाहित करती है, जिसे व्यक्ति समाज के सदस्य के रूप में अर्जित करता है।’
संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा मानवशास्त्र में संस्कृति की एक व्यापक और समग्र समझ को स्थापित करती है।
गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ पर जोर दिया। रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक प्रकार्यवाद से जुड़े थे। एच.एल. मूर एक और लेखक थे लेकिन टायलर की परिभाषा अधिक मौलिक मानी जाती है।
प्रश्न 16: ‘ग्राम समाज’ (Village Society) के अध्ययन में, जिसे अक्सर भारतीय समाज की ‘इकाई’ के रूप में देखा जाता है, किस विद्वान ने ग्राम समुदाय के अलगाव और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, हालांकि बाद के विद्वानों ने इस पर पुनर्विचार किया?
- एम.एन. श्रीनिवास
- ए.आर. देसाई
- एफ.जी. बेली
- एल.एस.एस. कौटिल्य
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: एफ.जी. बेली (F.G. Bailey) जैसे विद्वानों ने एल.एस.एस. कौटिल्य (L.S.S. O’Malley) के विचारों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने पारंपरिक रूप से भारतीय ग्राम समुदाय को एक स्वायत्त और आत्मनिर्भर इकाई के रूप में चित्रित किया था। हालांकि, बाद के अध्ययनों (जैसे श्रीनिवास, बेली, देसाई द्वारा) ने दिखाया कि ये गाँव कभी भी पूरी तरह से अलग-थलग या आत्मनिर्भर नहीं थे, बल्कि बाहरी ताकतों (जैसे राज्य, बाजार) से जुड़े हुए थे।
संदर्भ और विस्तार: ‘गाँव की स्वायत्तता’ का विचार औपनिवेशिक काल के दौरान अधिक प्रमुख था।
गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘गाँव के प्रभुत्व’ (Dominant Caste) की अवधारणा दी। ए.आर. देसाई ने ग्राम समाज पर मार्क्सवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। एफ.जी. बेली ने ग्राम स्तर पर शक्ति और राजनीति का अध्ययन किया।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्री सबसे अधिक संबंधित है, जिसने समाज के नियमों और मानदंडों को बनाए रखने के तरीकों का अध्ययन किया?
- ट्रेकोटल पार्सन्स
- रॉबर्ट किंग मर्टन
- एच.एल. मूर
- विलियम ग्राहम समनर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: ताल्कोट पार्सन्स ने ‘सामाजिक नियंत्रण’ की अवधारणा पर महत्वपूर्ण काम किया। उन्होंने इसे उन प्रक्रियाओं के रूप में देखा जिनके द्वारा समाज सामाजिक व्यवस्था बनाए रखता है और विचलन (Deviance) को नियंत्रित करता है।
संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में सामाजिक संस्थाओं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) की भूमिका पर जोर दिया।
गलत विकल्प: रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) और ‘विचलनात्मकता’ (Deviance) के अपने सिद्धांत के लिए ‘तनाव सिद्धांत’ (Strain Theory) का विस्तार किया। समनर ने ‘लोक-रीति’ (Folkways) का अध्ययन किया।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की किस प्रणाली में, व्यक्ति की सामाजिक स्थिति मुख्य रूप से उसके वंशानुक्रम (Inheritance) और जन्म से तय होती है, और इसमें सामाजिक गतिशीलता के अवसर बहुत कम होते हैं?
- वर्ग (Class)
- दासता (Slavery)
- जाति (Caste)
- जागीरदारी (Estate)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: जाति (Caste) व्यवस्था को सामाजिक स्तरीकरण की सबसे बंद (Closed) प्रणाली माना जाता है, जहाँ स्थिति विशुद्ध रूप से जन्म पर आधारित होती है और सामाजिक गतिशीलता लगभग नगण्य होती है।
संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, वर्ग (Class) व्यवस्था अधिक खुली होती है, जहाँ स्थिति अर्जित की जा सकती है। दासता और जागीरदारी (Estate) भी स्तरीकरण की प्रणालियाँ हैं, लेकिन जाति का बंद स्वरूप इसे विशिष्ट बनाता है।
गलत विकल्प: वर्ग (Class) में अधिक गतिशीलता होती है। दासता में व्यक्ति को संपत्ति माना जाता है। जागीरदारी (Estate) मध्ययुगीन यूरोप में प्रचलित थी जहाँ जन्म महत्वपूर्ण था, लेकिन कुछ सीमित गतिशीलता संभव थी।
प्रश्न 19: किस समाजशास्त्री ने ‘अभिजात वर्ग के सिद्धांत’ (Theory of Elite) का प्रतिपादन किया, जिसमें तर्क दिया गया कि समाज हमेशा एक छोटे, शासक अल्पसंख्यक (Elite) और एक बहुसंख्यक शासित जनता के बीच विभाजित रहेगा?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- गैतान मोस्का और विल्फ्रेडो पैरेटो
- एच. स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: गैतान मोस्का (Gaetano Mosca) और विल्फ्रेडो पैरेटो (Vilfredo Pareto) को ‘अभिजात वर्ग के सिद्धांत’ के प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि हर समाज में, चाहे वह कितना भी जटिल या सरल हो, एक शासक वर्ग (Elite) और एक शासित वर्ग (Masses) मौजूद रहेगा।
संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने ‘अभिजातों के परिभ्रमण’ (Circulation of Elites) की बात भी कही, जिसका अर्थ है कि नई अभिजात वर्ग पुराने अभिजात वर्ग का स्थान ले सकते हैं।
गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर, और स्पेंसर ने सामाजिक विकास पर जोर दिया।
प्रश्न 20: समाजशास्त्र में ‘अनुकूलन’ (Accommodation) से क्या तात्पर्य है?
- समाज के नियमों का पूर्ण पालन।
- सामाजिक समूहों के बीच विरोध को दूर करने या कम करने की प्रक्रिया, जिसमें वे एक साथ रहने के तरीके खोजते हैं, भले ही उनके अंतिम लक्ष्य समान न हों।
- सभी सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन।
- सामाजिक परिवर्तन को पूरी तरह से रोकना।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: अनुकूलन (Accommodation) सामाजिक अंतःक्रिया की एक प्रक्रिया है जहाँ विरोधी समूह या व्यक्ति कुछ समझौते या समायोजन करते हैं ताकि संघर्ष को समाप्त किया जा सके या उसे कम किया जा सके और समाज में सह-अस्तित्व संभव हो सके।
संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर संघर्ष के बाद की स्थिति होती है। उदाहरणों में समझौता (Compromise), मध्यस्थता (Mediation), और सहिष्णुता (Toleration) शामिल हैं।
गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) अनुकूलन की सही परिभाषा नहीं देते। पूर्ण पालन या उल्लंघन सामाजिक प्रक्रियाएं हैं, और परिवर्तन को रोकना एक अलग अवधारणा है।
प्रश्न 21: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में, ‘चर’ (Variable) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- एक स्थिर और अपरिवर्तनीय कारक।
- एक विशेषता या गुण जो भिन्न हो सकता है या बदल सकता है।
- एक सैद्धांतिक अवधारणा जिसका कोई अनुभवजन्य आधार नहीं है।
- केवल गुणात्मक डेटा को मापने का एक तरीका।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: सामाजिक अनुसंधान में, ‘चर’ (Variable) कोई भी विशेषता, गुण या मात्रा है जिसका मान भिन्न हो सकता है या बदल सकता है। ये आश्रित (Dependent) या स्वतंत्र (Independent) चर हो सकते हैं।
संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, आयु, आय, लिंग, शिक्षा का स्तर, या किसी विशेष दृष्टिकोण का होना, ये सभी चर हैं जिनका उपयोग सामाजिक घटनाओं के बीच संबंधों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
गलत विकल्प: चर स्थिर नहीं होते। उनका अनुभवजन्य आधार होता है और वे गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों प्रकार के डेटा को मापने में प्रयुक्त हो सकते हैं।
प्रश्न 22: रॉबर्ट किंग मर्टन के ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) के अनुसार, समाजशास्त्र का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
- समग्र समाज के एक बड़े, एकीकृत सिद्धांत का निर्माण।
- केवल व्यक्तिगत व्यवहार का अध्ययन करना।
- विशिष्ट, अनुभवजन्य रूप से परीक्षण योग्य परिकल्पनाओं का निर्माण जो सीमित प्रकार की सामाजिक घटनाओं की व्याख्या करती हैं।
- मानव व्यवहार के सार्वभौमिक नियमों की खोज करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ का समर्थन किया। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को बहुत व्यापक (जैसे कि पार्सन्स के Grand Theory) या बहुत संकीर्ण (जैसे केवल व्यक्तिगत व्यवहार) सिद्धांतों से बचना चाहिए। इसके बजाय, ध्यान सीमित, विशिष्ट घटनाओं या घटनाक्रमों के बारे में सिद्धांत विकसित करने पर होना चाहिए जिन्हें अनुभवजन्य रूप से जांचा जा सके।
संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘तनाव सिद्धांत’ (Strain Theory) को विचलित व्यवहार के एक मध्यम-सीमा सिद्धांत के रूप में विकसित किया।
गलत विकल्प: वे समग्र समाज के लिए एक Grand Theory के बजाय विशिष्ट सिद्धांतों के निर्माण पर जोर देते थे।
प्रश्न 23: भारत में ‘जनसंख्या विस्फोट’ (Population Explosion) के प्रमुख सामाजिक कारण क्या माने जा सकते हैं?
- शिक्षा का उच्च स्तर
- कम मृत्यु दर और उच्च जन्म दर
- परिवार नियोजन विधियों का व्यापक उपयोग
- उच्च जीवन प्रत्याशा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण, सामाजिक और आर्थिक कारकों के जटिल मिश्रण के बावजूद, मुख्य रूप से कम होती मृत्यु दर (बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छता) और उच्च जन्म दर (सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराएं, जैसे कि पुत्र की इच्छा, सामाजिक सुरक्षा के रूप में बच्चे, और परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता की कमी) का संयोजन है।
संदर्भ और विस्तार: भारत में, पारंपरिक रूप से बड़े परिवारों को शुभ माना जाता था, और अभी भी ग्रामीण और कुछ शहरी क्षेत्रों में यह मानसिकता मौजूद है।
गलत विकल्प: उच्च शिक्षा, परिवार नियोजन का उपयोग और उच्च जीवन प्रत्याशा, ये सभी कारक जन्म दर को कम करने या मृत्यु दर को स्थिर रखने में योगदान करते हैं, जिससे जनसंख्या वृद्धि दर कम होती है, न कि विस्फोट होता है।
प्रश्न 24: ‘संवर्धन’ (Assimilation) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?
- दो संस्कृतियों का एक दूसरे से सीखना और प्रभावित होना।
- एक अल्पसंख्यक समूह का बहुमत संस्कृति में पूर्ण रूप से विलीन हो जाना, अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान खो देना।
- विभिन्न संस्कृतियों का एक साथ मिल जाना लेकिन अपनी पहचान बनाए रखना।
- सामाजिक समूहों के बीच केवल आर्थिक सहयोग।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: संवर्धन (Assimilation) एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह (या व्यक्ति) धीरे-धीरे बहुसंख्यक संस्कृति के मूल्यों, व्यवहारों और जीवन शैली को अपनाता है, और अंततः अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान को छोड़ देता है।
संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर तब होता है जब अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समाज में पूरी तरह से एकीकृत होने का प्रयास करते हैं।
गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘सांस्कृतिक प्रसार’ (Cultural Diffusion) या ‘सांस्कृतिक अंतःक्रिया’ (Cultural Interaction) जैसा है। विकल्प (c) ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Cultural Pluralism) या ‘सांस्कृतिक मिश्रण’ (Acculturation) जैसा है। विकल्प (d) आर्थिक सहयोग पर केंद्रित है।
प्रश्न 25: समाजशास्त्र के अध्ययन में ‘नगरीयता’ (Urbanism) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाने वाले समाजशास्त्री कौन हैं, जिन्होंने शहरी जीवन के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों का वर्णन किया?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- लुई वर्थ
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: लुई वर्थ (Louis Wirth) ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘Urbanism as a Way of Life’ (1938) में ‘नगरीयता’ की अवधारणा को विकसित किया। उन्होंने शहरी जीवन की तीन प्रमुख विशेषताओं – आकार, घनत्व और विषमता (heterogeneity) – का विश्लेषण किया और बताया कि ये विशेषताएं कैसे व्यक्तियों के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करती हैं, जिससे प्रायः अव्यक्तिगतता (impersonality), सतही संबंध और एकाकीपन (loneliness) उत्पन्न होता है।
संदर्भ और विस्तार: वर्थ शिकागो स्कूल ऑफ़ सोशियोलॉजी से जुड़े थे, जो शहरी समाजशास्त्र के अध्ययन में अग्रणी था।
गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ और ‘यांत्रिक/जैविक एकजुटता’ का अध्ययन किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने नौकरशाही और सत्ता पर काम किया।
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