Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मजबूत करें!

नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। यह क्विज़ आपके सैद्धांतिक ज्ञान और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने का एक शानदार अवसर है। कमर कस लीजिए और समाजशास्त्र की गहरी समझ के लिए इस बौद्धिक यात्रा पर निकल पड़िए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाजशास्त्रियों के लिए व्यक्तियों द्वारा अपने कार्यों को दिए जाने वाले व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की आवश्यकता पर जोर देती है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका अर्थ है ‘समझना’ और यह समाजशास्त्रीय अनुसंधान में व्यक्तिपरक अर्थों, इरादों और विश्वासों को समझने पर जोर देता है, जिन्हें व्यक्ति अपने सामाजिक कार्यों में लाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का मूल है और उनकी कृति ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ में विस्तार से वर्णित है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है, जो सामाजिक तथ्यों को बाहरी और वस्तुनिष्ठ मानता है।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (anomie) की अवधारणा दी, कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ (class conflict) पर जोर दिया, और जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (symbolic interactionism) में ‘स्व’ (self) के विकास की व्याख्या की।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण
  2. तकनीकी प्रगति को अपनाना
  3. निम्न जातियाँ द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाना
  4. शहरी जीवन शैली का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: संस्कृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसमें एक निम्न जाति या जनजाति, जाति पदानुक्रम में उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए, उच्च जाति की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में इस अवधारणा को पहली बार प्रस्तावित किया था। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता का।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाना है, ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से संबंधित एक व्यापक अवधारणा है, और शहरी जीवन शैली का प्रसार एक अलग सामाजिक प्रक्रिया है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की एक विशेषता नहीं है?

  1. यह एक सामाजिक विशेषता है
  2. यह समाज के भीतर उत्पन्न होता है
  3. यह व्यक्तियों के बजाय समूहों को वर्गीकृत करता है
  4. यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदलता रहता है

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण एक समाज की स्थायी और पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली विशेषता है, न कि ऐसी चीज जो तेजी से बदलती रहती है। जबकि स्तरीकरण के भीतर स्थिति बदल सकती है, स्तरीकरण की प्रणाली स्वयं अपेक्षाकृत स्थिर रहती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज को उन समूहों में विभाजित करने की एक सार्वभौमिक, यद्यपि परिवर्तनशील, विशेषता है जो विशेषाधिकार, संपत्ति, शक्ति और प्रतिष्ठा के वितरण में भिन्नता रखते हैं। यह एक सामाजिक, सामूहिक और स्थायी घटना है, जो व्यक्तिगत जन्म पर आधारित होती है।
  • गलत विकल्प: सामाजिक स्तरीकरण एक सामाजिक विशेषता है (a), यह समाज के भीतर उत्पन्न होता है, न कि व्यक्तियों में (b), और यह मुख्य रूप से समूहों को वर्गीकृत करता है (c), न कि केवल व्यक्तियों को।

प्रश्न 4: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?

  1. विलियम ओगबर्न
  2. ई.बी. टायलर
  3. ए.एल. क्रोएबर
  4. रॉबर्ट रेडफील्ड

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विलियम ओगबर्न (William Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उन्होंने तर्क दिया कि किसी समाज के भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन, अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, रीति-रिवाज, मूल्य) की तुलना में बहुत तेज गति से होता है, जिससे दोनों के बीच एक ‘विलंब’ उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा ओगबर्न की 1922 की पुस्तक ‘सोशियोलॉजी’ और बाद में उनके लेखों में पाई जाती है। यह सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो यह समझने में मदद करता है कि नई प्रौद्योगिकियों को समाज द्वारा कैसे अपनाया जाता है और इससे क्या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • गलत विकल्प: ई.बी. टायलर ने ‘संस्कृति’ पर विस्तृत कार्य किया, ए.एल. क्रोएबर ने भी संस्कृति और सभ्यता पर महत्वपूर्ण योगदान दिया, और रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘लोक संस्कृति’ (folk culture) और ‘महान परंपरा’ (great tradition) की अवधारणाएं दीं।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘कार्यात्मकता’ (Functionalism) के परिप्रेक्ष्य को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?

  1. समाज विभिन्न परस्पर विरोधी समूहों के बीच शक्ति संघर्ष का परिणाम है।
  2. सामाजिक संस्थाएं समाज के सुचारू कामकाज के लिए आवश्यक कार्य करती हैं।
  3. सामाजिक परिवर्तन संघर्ष और क्रांति के माध्यम से होता है।
  4. व्यक्ति अपनी व्याख्याओं के माध्यम से समाज का निर्माण करते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्यात्मकता (Functionalism) या संरचनात्मक कार्यात्मकता (Structural Functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखती है, जिसके विभिन्न हिस्से (जैसे संस्थाएं) मिलकर काम करते हैं ताकि समाज को एकीकृत और स्थिर बनाया जा सके। प्रत्येक संस्था का एक कार्य होता है जो पूरे समाज के अस्तित्व और संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रतिपादकों में एमिल दुर्खीम, टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन शामिल हैं। वे समाज को एक जैविक जीव से तुलना करते हैं, जहाँ प्रत्येक अंग (संस्था) एक विशिष्ट कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) को दर्शाते हैं, जबकि (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का दृष्टिकोण है।

प्रश्न 6: मैरियन जे. लेवी जूनियर (Marion J. Levy Jr.) के अनुसार, आधुनिकीकरण (Modernization) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?

  1. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
  2. औद्योगीकरण और शहरीकरण में वृद्धि
  3. उच्च स्तर की साक्षरता दर
  4. पारंपरिक समाजों का विघटन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैरियन जे. लेवी जूनियर के अनुसार, आधुनिकीकरण को ‘किसी समाज की अधिकतम गति से बदल सकने वाले परिवर्तन की क्षमता’ के रूप में परिभाषित किया गया है। उन्होंने औद्योगीकरण और उससे उत्पन्न शहरीकरण को आधुनिकीकरण की सबसे महत्वपूर्ण और सार्वभौमिक विशेषताओं के रूप में पहचाना।
  • संदर्भ और विस्तार: लेवी ने अपनी पुस्तक ‘The Structure of the Modern Nation’ में तर्क दिया कि आधुनिक समाजों की पहचान उनकी उच्च स्तर की गैर-मानवी ऊर्जा का उपयोग करने की क्षमता और परिवर्तन के प्रति लचीलापन है, जो औद्योगीकरण द्वारा संभव होता है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति को अपनाना आधुनिकीकरण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह सार्वभौमिक या केंद्रीय विशेषता नहीं है। उच्च साक्षरता और पारंपरिक समाजों का विघटन आधुनिकीकरण के परिणाम या संकेतक हो सकते हैं, लेकिन मुख्य चालक औद्योगीकरण है।

प्रश्न 7: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजीकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया में ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) के महत्व पर प्रकाश डाला। इसका क्या अर्थ है?

  1. व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत चेतना का उदय
  2. समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों, मूल्यों और मनोवृत्तियों का समुच्चय
  3. राज्य द्वारा नियंत्रित विचार
  4. धार्मिक विचारों का प्रसार

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दुर्खीम के अनुसार, सामूहिक चेतना समाज के सभी सदस्यों के बीच साझा किए गए विश्वासों, नैतिकताओं, दृष्टिकोणों और ज्ञान का वह संपूर्ण समुच्चय है जो समाज को एकीकृत करता है। यह व्यक्तिगत चेतना से अलग और श्रेष्ठ होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृति ‘The Division of Labour in Society’ में बताया कि कैसे समाज का एकीकरण सामूहिक चेतना द्वारा सुनिश्चित होता है, विशेष रूप से सरल समाजों में जहाँ यांत्रिक एकजुटता (mechanical solidarity) होती है।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत चेतना व्यक्तिगत स्तर पर होती है, (c) राज्य द्वारा नियंत्रित विचार राजनीतिक शक्ति से संबंधित हैं, और (d) धार्मिक विचारों का प्रसार एक विशिष्ट प्रकार की चेतना हो सकती है, लेकिन सामूहिक चेतना अधिक व्यापक है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) का एक महत्वपूर्ण लक्षण नहीं है?

  1. अंतर्विवाह (Endogamy)
  2. पेशागत विशिष्टता (Occupational Specialization)
  3. नस्लीय श्रेष्ठता (Racial Superiority)
  4. निर्बंधित सामाजिक संपर्क (Restricted Social Interaction)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जाति व्यवस्था में नस्लीय श्रेष्ठता का विचार एक प्रमुख या परिभाषित लक्षण नहीं है। जबकि कुछ जातियाँ स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ मान सकती हैं, इसका आधार अक्सर अनुष्ठानिक शुद्धता (ritual purity) या सामाजिक परंपरा होती है, न कि वैज्ञानिक रूप से स्थापित नस्ल।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं हैं: अंतर्विवाह (केवल अपनी जाति के भीतर विवाह), पेशागत विशिष्टता (पारंपरिक रूप से पिता का पेशा अपनाना), सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंध (जैसे भोजन साझा करना, स्पर्श), और एक पदानुक्रमित संरचना।
  • गलत विकल्प: अंतर्विवाह (a), पेशागत विशिष्टता (b), और निर्बंधित सामाजिक संपर्क (d) सभी जाति व्यवस्था के मुख्य लक्षण हैं।

प्रश्न 9: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?

  1. समग्र समाज की संरचना और कार्य
  2. सामाजिक संस्थानों का विकास
  3. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों का महत्व
  4. शक्ति, संघर्ष और असमानता

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो इस बात पर केंद्रित है कि कैसे व्यक्ति एक-दूसरे के साथ प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से बातचीत करते हैं और कैसे इन अंतःक्रियाओं से अर्थ, आत्म-अवधारणा और सामाजिक वास्तविकता का निर्माण होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। ब्लूमर ने इस शब्द को गढ़ा और इसके तीन मुख्य अभिधारणाओं को रेखांकित किया: अर्थ, अंतःक्रिया और व्याख्या।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) बड़े पैमाने पर संरचनात्मक कार्यात्मकता और कुछ हद तक मार्क्सवाद से संबंधित हैं, जबकि (d) मुख्य रूप से संघर्ष सिद्धांत का क्षेत्र है।

प्रश्न 10: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने ‘कार्य’ (Function) के संबंध में ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Function) की अवधारणा का वर्णन कैसे किया?

  1. किसी सामाजिक पैटर्न के अपेक्षित और मान्यता प्राप्त परिणाम
  2. किसी सामाजिक पैटर्न के अनपेक्षित और अमान्यता प्राप्त परिणाम
  3. समाज के लिए हानिकारक या नकारात्मक परिणाम
  4. सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्य

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने कार्यों को दो प्रकारों में बांटा: प्रकट कार्य (Manifest Function) जो अपेक्षित और मान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं, और अव्यक्त कार्य (Latent Function) जो अनपेक्षित और अमान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘Social Theory and Social Structure’ में इन अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि इसका अव्यक्त कार्य छात्रों के लिए नए सामाजिक नेटवर्क बनाना हो सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) प्रकट कार्य को परिभाषित करता है, (c) कुकार्य (Dysfunction) का वर्णन करता है, और (d) सामान्यतः किसी भी कार्य के लिए सत्य हो सकता है, लेकिन यह अव्यक्त कार्य की विशिष्ट परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी ‘कृषि क्रांति’ (Agricultural Revolution) के सामाजिक परिणामों में से एक नहीं है?

  1. जनसंख्या में वृद्धि
  2. स्थायी बस्तियों का उदय
  3. उत्पादन अधिशेष (Surplus Production)
  4. समाज में श्रम के विभाजन में कमी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कृषि क्रांति के कारण स्थायी बस्तियों, उत्पादन अधिशेष और जनसंख्या में वृद्धि हुई, जिससे श्रम के विभाजन और विशेषज्ञता में वृद्धि हुई, न कि कमी।
  • संदर्भ और विस्तार: नवपाषाण काल ​​में कृषि की शुरुआत ने मानव समाजों में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया। इसने लोगों को एक स्थान पर बसने, भोजन का भंडारण करने और अधिक कुशलता से उत्पादन करने की अनुमति दी। इससे सामाजिक स्तरीकरण, विशेष व्यवसायों और अधिक जटिल समाजों का उदय हुआ।
  • गलत विकल्प: (a), (b) और (c) सभी कृषि क्रांति के प्रमुख सामाजिक परिणाम थे। श्रम के विभाजन में कमी (d) इस घटना का विपरीत परिणाम थी।

प्रश्न 12: ‘सत्ता’ (Power) और ‘प्राधिकार’ (Authority) के बीच अंतर करने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन थे?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. थॉर्स्टेन वेबलन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सत्ता (Power) और प्राधिकार (Authority) के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर किया। सत्ता को किसी भी व्यक्ति या समूह को अपनी इच्छा को लागू करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है, भले ही इसमें प्रतिरोध हो। प्राधिकार को वैध सत्ता (legitimate power) के रूप में देखा जाता है, जहाँ अधीनस्थ लोगों का मानना ​​है कि आदेशों का पालन करना उचित है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने प्राधिकार के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत। उनकी कृति ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ में यह अवधारणा विस्तार से है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर, और वेबलन ने ‘द थ्योरी ऑफ द लेजर क्लास’ पर काम किया।

प्रश्न 13: ‘परिवार’ (Family) को एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) के रूप में किसने वर्गीकृत किया?

  1. चार्ल्स हॉर्टन कूली
  2. इरविंग गॉफमैन
  3. अल्बर्ट बंडुरा
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: चार्ल्स हॉर्टन कूली (Charles Horton Cooley) ने ‘प्राथमिक समूह’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे उन समूहों के रूप में परिभाषित किया जो आमने-सामने की अंतरंगता, सहयोग और “हम” की भावना (we-feeling) से चिह्नित होते हैं। परिवार, खेल समूह और मित्रों के समूह इसके उदाहरण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली ने अपनी पुस्तक ‘Social Organization’ (1909) में प्राथमिक समूहों के महत्व पर बल दिया, जो व्यक्ति के सामाजिक विकास और व्यक्तित्व के गठन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: गॉफमैन ने प्रस्तुति विज्ञान (dramaturgy) पर, बंडुरा ने सामाजिक शिक्षण सिद्धांत (social learning theory) पर, और सिमेल ने सामाजिक रूपों (social forms) पर काम किया।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तियों या समूहों द्वारा समाज के भीतर अपनी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
  2. किसी समाज की जनसंख्या संरचना में परिवर्तन
  3. सामाजिक मानदंडों और मूल्यों में परिवर्तन
  4. सामाजिक समस्याओं की वृद्धि

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह द्वारा एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना, जो अक्सर आय, व्यवसाय, या शिक्षा के स्तर में परिवर्तन से जुड़ा होता है। इसमें ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) और क्षैतिज (एक ही स्तर पर) गतिशीलता शामिल हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाज की खुली या बंद प्रकृति को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, जाति व्यवस्था एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है जहाँ सामाजिक गतिशीलता बहुत सीमित है, जबकि आधुनिक औद्योगिक समाजों में अधिक गतिशीलता होती है।
  • गलत विकल्प: (b) जनसांख्यिकी से संबंधित है, (c) सामाजिक परिवर्तन का एक पहलू है, और (d) सामाजिक समस्याओं से संबंधित है।

प्रश्न 15: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का उपयोग किस संदर्भ में किया?

  1. राज्य के प्रति नागरिकों का अलगाव
  2. पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक का अपने श्रम, उत्पाद, अन्य श्रमिकों और स्वयं से अलगाव
  3. शहरी जीवन में व्यक्ति का प्रकृति से अलगाव
  4. धर्म के प्रभाव से लोगों का अलगाव

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत, श्रमिक अपने श्रम, अपने द्वारा बनाए गए उत्पाद, अन्य श्रमिकों और अंततः स्वयं से अलग-थलग महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उत्पादन प्रक्रिया उनके नियंत्रण से बाहर होती है और उनका श्रम वस्तुनिष्ठ हो जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की प्रारंभिक कृतियों, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसोफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में प्रमुखता से पाई जाती है। अलगाव को मार्क्सवाद में पूंजीवाद की एक मौलिक समस्या के रूप में देखा जाता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प अलगाव के अन्य रूपों का वर्णन कर सकते हैं, लेकिन मार्क्स का ‘अलगाव’ विशेष रूप से उत्पादन की स्थितियों से संबंधित था।

प्रश्न 16: ‘आत्मसातकरण’ (Assimilation) की प्रक्रिया में क्या होता है?

  1. विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे के साथ मिलती हैं और एक नई मिश्रित संस्कृति बनती है।
  2. एक अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समूह की संस्कृति को पूरी तरह से अपना लेता है।
  3. विभिन्न सांस्कृतिक समूह अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए साथ-साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं।
  4. एक समूह अपनी संस्कृति को दूसरे पर थोपता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: आत्मसातकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक या उप-समूह बहुसंख्यक समाज की संस्कृति, मूल्यों, व्यवहारों और जीवन शैली को अपनाकर उसमें समाहित हो जाता है, जिससे उसकी अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान धीरे-धीरे लुप्त हो जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक परिवर्तन और सांस्कृतिक एकीकरण का एक रूप है। यह अक्सर उन समाजों में देखा जाता है जहाँ एक मजबूत सांस्कृतिक रूप से सजातीय बहुसंख्यक आबादी होती है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘सांस्कृतिक मिश्रण’ (Amalgamation/Melting Pot) का वर्णन करता है, (c) ‘बहुसंस्कृतिवाद’ (Multiculturalism) का, और (d) ‘अधिरोपण’ (Imposition) का।

प्रश्न 17: टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) द्वारा प्रस्तावित ‘ए.जी.आई.एल.’ (AGIL) प्रतिमान समाज के किन चार आवश्यक कार्यों (functions) का प्रतिनिधित्व करता है?

  1. अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, अव्यवस्था
  2. अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, अव्यवस्था
  3. अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, अव्यवस्था
  4. अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, अव्यवस्था

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने समाज के कामकाज के लिए चार आवश्यक क्रियात्मक पूर्व-आवश्यकताओं को ‘ए.जी.आई.एल.’ (AGIL) प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत किया: A-अनुकूलन (Adaptation), G-लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), I-एकीकरण (Integration), और L-प्रस्थिति या अव्यवस्था (Latency/Pattern Maintenance)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रतिमान समाजशास्त्रीय सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक-कार्यात्मक मॉडल है, जो बताता है कि किसी भी सामाजिक प्रणाली को जीवित रहने के लिए इन चार कार्यों को कैसे पूरा करना होता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) में अव्यवस्था (Disorder/Latenz) के स्थान पर प्रस्थिति या अव्यवस्था (Latency/Pattern Maintenance) होना चाहिए।

प्रश्न 18: ‘जनजातीय समाज’ (Tribal Society) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. लिखित कानून और जटिल संस्थाएँ
  2. विस्तृत औद्योगिक उत्पादन
  3. जाति-आधारित स्तरीकरण
  4. रक्त संबंध (Kinship) पर आधारित सामाजिक संगठन

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कई पारंपरिक जनजातीय समाजों में, रक्त संबंध (Kinship) सामाजिक संगठन का प्राथमिक आधार होता है। इसमें परिवार, कबीले और कुल (clans) जैसी इकाइयाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और ये संबंध सामाजिक व्यवस्था, अधिकार और दायित्वों को निर्धारित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जबकि कुछ जनजातियों में जटिल सामाजिक संरचनाएं हो सकती हैं, रक्त संबंध और इसके द्वारा परिभाषित नातेदारी प्रणालियाँ उनकी पहचान और सामाजिक संरचना का एक केंद्रीय तत्व हैं।
  • गलत विकल्प: लिखित कानून और जटिल संस्थाएं (a), औद्योगिक उत्पादन (b), और जाति-आधारित स्तरीकरण (c) आमतौर पर जनजातीय समाजों की प्रमुख विशेषताएं नहीं होती हैं, हालांकि कुछ अपवाद हो सकते हैं।

प्रश्न 19: ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का क्या अर्थ है?

  1. यह विश्वास कि एक संस्कृति दूसरों से स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ है।
  2. यह दृष्टिकोण कि किसी संस्कृति को उसी संस्कृति के मानकों के भीतर समझना और आंकना चाहिए।
  3. सभी संस्कृतियों को पश्चिमी संस्कृति के मानकों पर मापना।
  4. यह विचार कि केवल प्रमुख संस्कृति ही मायने रखती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद एक ऐसा दृष्टिकोण है जो मानता है कि किसी व्यक्ति के विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं को उस व्यक्ति की अपनी संस्कृति के संदर्भ में समझा जाना चाहिए। यह किसी भी संस्कृति को बाहरी मानकों, विशेष रूप से अपनी संस्कृति के मानकों के आधार पर श्रेष्ठ या हीन मानने से इनकार करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: फ्रैंज बोआस (Franz Boas) को इस अवधारणा का प्रस्तावक माना जाता है। यह मानव विज्ञान और समाजशास्त्र में एक महत्वपूर्ण नैतिक और पद्धतिगत सिद्धांत है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘सांस्कृतिक आधिपत्य’ (Ethnocentrism) को दर्शाता है, (c) ‘सांस्कृतिक साम्राज्यवाद’ (Cultural Imperialism) का एक रूप है, और (d) एक संकीर्ण दृष्टिकोण है।

प्रश्न 20: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनामी’ (Anomie) की स्थिति क्या है?

  1. समाज में अत्यधिक नियम और प्रतिबंध
  2. समाज में नियमों की कमी, अनिश्चितता और सामूहिक चेतना का क्षरण
  3. व्यक्ति का अपनी पहचान के प्रति आत्मविश्वास
  4. सामाजिक व्यवस्था की मजबूत भावना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम के अनुसार, एनामी एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ समाज में नियमों और मूल्यों का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता, अनिश्चितता और नैतिक शून्यता की भावना पैदा होती है। यह तब होता है जब पुरानी व्यवस्थाएं टूट जाती हैं और नई व्यवस्थाएं स्थापित नहीं होतीं, या जब समाज अपने सदस्यों के लिए स्पष्ट लक्ष्य और दिशा प्रदान करने में विफल रहता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में एनामी की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने इसे आत्महत्या के कारणों में से एक के रूप में पहचाना।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) अत्यधिक विनियमन या व्यवस्था को दर्शाते हैं, (c) व्यक्तिगत मनोविज्ञान से संबंधित है, जबकि एनामी एक सामाजिक स्थिति है।

प्रश्न 21: ‘सामूहिक प्रतिनिधित्व’ (Collective Representations) की अवधारणा का प्रयोग किस समाजशास्त्री ने किया?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक प्रतिनिधित्व’ की अवधारणा का उपयोग उन विश्वासों, विचारों और नैतिकताओं के लिए किया जो समाज के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से साझा किए जाते हैं और जो सामाजिक एकजुटता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये समाज के ‘सामूहिक चेतना’ का हिस्सा हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने माना कि ये प्रतिनिधित्व समाज की संरचना और उसके सदस्यों के व्यवहार को आकार देते हैं। यह अवधारणा उनके समाजशास्त्रीय पद्धति के लिए महत्वपूर्ण थी, जिसमें समाजशास्त्र को ‘सामाजिक तथ्यों’ का अध्ययन करना चाहिए, जो व्यक्तिपरक चेतना से स्वतंत्र होते हैं।
  • गलत विकल्प: वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ पर, मार्क्स ने ‘अलगाव’ और ‘वर्ग चेतना’ पर, और मीड ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ पर बल दिया।

प्रश्न 22: इरविंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने ‘सामाजिक अंतःक्रिया’ (Social Interaction) को समझने के लिए किस उपमा का उपयोग किया?

  1. नाटकीय प्रस्तुति (Dramaturgy)
  2. एक जेल की कोठरी
  3. एक भीड़ भरी सड़क
  4. एक परिवार का रात्रिभोज

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: इरविंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में सामाजिक अंतःक्रिया को समझने के लिए ‘नाटकीय प्रस्तुति’ (Dramaturgy) का उपयोग किया। उन्होंने माना कि लोग दैनिक जीवन में मंच पर अभिनेताओं की तरह व्यवहार करते हैं, अपनी ‘छवि’ को प्रबंधित करते हैं और दूसरों पर एक विशिष्ट प्रभाव डालने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें ‘मंच’ (stage), ‘दर्शक’ (audience), ‘मुखौटे’ (masks), ‘वेश-भूषा’ (costumes) और ‘परिचय’ (impression management) जैसी अवधारणाएं शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक अंतःक्रिया के परिदृश्य हो सकते हैं, लेकिन गॉफमैन ने विशेष रूप से रंगमंच की उपमा का उपयोग किया।

प्रश्न 23: भारत में ‘धर्मांतरण’ (Religious Conversion) से जुड़े सामाजिक पहलुओं का अध्ययन करने वाले प्रमुख समाजशास्त्रियों में से एक कौन हैं?

  1. टी.एन. मदन
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. इरावती कर्वे
  4. अमिताभ घोष

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: टी.एन. मदन (T.N. Madan) ने भारत में धर्म, विवाह, मृत्यु अनुष्ठानों और सामाजिक परिवर्तन जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने विशेष रूप से भारत में धर्मांतरण और धर्मनिरपेक्षता के सामाजिक अर्थों की जांच की है।
  • संदर्भ और विस्तार: मदन का कार्य अक्सर यह दर्शाता है कि कैसे धर्म और सामाजिक संस्थाएं भारतीय समाज में परस्पर जुड़ी हुई हैं और समय के साथ कैसे बदलती हैं।
  • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण पर, इरावती कर्वे ने नातेदारी और सामाजिक संरचना पर, और अमिताभ घोष एक लेखक हैं जिनका कार्य सीधे तौर पर इस विषय पर समाजशास्त्रीय विश्लेषण केंद्रित नहीं करता।

प्रश्न 24: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) के संबंध में ‘पैरिश’ (Parish) का उपयोग किस संदर्भ में किया जाता है?

  1. एक प्राचीन शहरी नियोजन मॉडल
  2. मध्ययुगीन यूरोप में एक प्रशासनिक और धार्मिक क्षेत्र
  3. आधुनिक शहरी क्षेत्रों में आवास की इकाई
  4. शहरी गरीबी को मापने का एक पैमाना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ‘पैरिश’ (Parish) शब्द का मूल रूप से अर्थ मध्ययुगीन यूरोप में एक चर्च के अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाला एक प्रशासनिक और अक्सर भौगोलिक क्षेत्र था। शहरीकरण के ऐतिहासिक अध्ययन में, यह शब्द शहरी विकास के प्रारंभिक चरणों में एक स्थानीय इकाई के रूप में समझा जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालाँकि यह शब्द सीधे तौर पर आधुनिक शहरीकरण की प्रक्रियाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, यह मध्यकालीन शहरी संरचनाओं को समझने के लिए एक प्रासंगिक ऐतिहासिक शब्दावली है।
  • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) आधुनिक या गलत संदर्भ प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 25: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘सांकेतिक चर’ (Dummy Variable) का उपयोग किस लिए किया जाता है?

  1. चरों के बीच कार्यात्मक संबंध स्थापित करने के लिए
  2. गुणात्मक डेटा का विश्लेषण करने के लिए
  3. श्रेणीबद्ध (Categorical) या गुणात्मक (Qualitative) चर को संख्यात्मक रूप में प्रस्तुत करने के लिए
  4. सहसंबंध की शक्ति को मापने के लिए

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक अनुसंधान में, सांकेतिक चर (Dummy Variable) का उपयोग उन चरों को संख्यात्मक रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है जिनके मान श्रेणीबद्ध या गुणात्मक होते हैं, जैसे ‘लिंग’ (पुरुष/महिला), ‘वैवाहिक स्थिति’ (विवाहित/अविवाहित/विधवा), या ‘क्षेत्र’ (ग्रामीण/शहरी)। आमतौर पर, प्रत्येक श्रेणी को एक बाइनरी (0 या 1) मान दिया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सांख्यिकीय विश्लेषण (जैसे रिग्रेशन विश्लेषण) में सहायक होता है, जहाँ मॉडल में श्रेणीबद्ध चर को शामिल करने के लिए उन्हें संख्यात्मक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) सहसंबंध या कार्यात्मक संबंध से संबंधित हैं, जबकि (b) डेटा के प्रकार का वर्णन करता है, न कि चर को संख्यात्मक बनाने की विधि का।

Leave a Comment