समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मजबूत करें
तैयारी के मैदान में एक और दिन, एक और मौका अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को निखारने का! आज के प्रश्नपत्र में आपको विभिन्न अवधारणाओं, विचारकों और भारतीय समाज की गहरी समझ का परीक्षण करने का अवसर मिलेगा। क्या आप अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को चुनौती देने और अपनी तैयारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं?
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘पूंजीवाद, समाजवाद और लोकतंत्र’ के लेखक कौन हैं, जिन्होंने नौकरशाही (bureaucracy) की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: मैक्स वेबर ने अपनी रचना ‘अर्थव्यवस्था और समाज’ (Economy and Society) में नौकरशाही को एक आदर्श प्रकार (ideal type) के रूप में परिभाषित किया, जो तर्कसंगतता (rationality) और दक्षता (efficiency) पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, नौकरशाही में पदसोपान (hierarchy), नियमों का पालन, विशेषज्ञता (specialization) और व्यक्तिगत संबंधविहीनता (impersonality) जैसे लक्षण होते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीवाद के विकास के साथ नौकरशाही का उदय अपरिहार्य है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर जोर दिया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (social solidarity) और अनॉमी (anomie) पर काम किया। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज का कौन सा कार्य व्यक्तियों को समाज के साझा मूल्यों और मानदंडों में एकीकृत करता है?
- श्रम का विभाजन
- सामाजिक नियंत्रण
- सामूहिक विवेक (Collective Conscience)
- अनॉमी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: एमिल दुर्खीम के लिए, ‘सामूहिक विवेक’ समाज के सदस्यों के विश्वासों, नैतिकताओं और मनोवृत्तियों का योग है, जो व्यक्तिगत विवेक से भिन्न होता है। यह साझा चेतना ही समाज को एक इकाई के रूप में बांधती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज में श्रम का विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में यांत्रिक एकजुटता (mechanical solidarity) और कार्बनिक एकजुटता (organic solidarity) के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए सामूहिक विवेक की भूमिका बताई।
- गलत विकल्प: श्रम का विभाजन कार्बनिक एकजुटता का आधार है, न कि सामूहिक विवेक का। सामाजिक नियंत्रण समाज के मानदंडों को लागू करने की प्रक्रिया है। अनॉमी एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज के मानदंडों का अभाव होता है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है।
प्रश्न 3: एमएन श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘संसक्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं को अपनाना
- शहरीकरण की प्रक्रिया
- आधुनिकीकरण की ओर बढ़ना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: संस्क्कृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित, एक प्रक्रिया है जिसमें निम्न जातियों या जनजातियाँ उच्च जातियों की परंपराओं, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह जाति पदानुक्रम में गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाना है। शहरीकरण (Urbanization) गांवों से शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवास है। आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं।
प्रश्न 4: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच द्वंद्व से किसका निर्माण होता है?
- सामाजिक संरचना
- आत्म (Self)
- सांस्कृतिक मानदंड
- सामाजिक वर्ग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख विचारक हैं, के अनुसार ‘मैं’ (I) व्यक्ति की सहज, अप्रत्याशित प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘मुझे’ (Me) समाज द्वारा आंतरीकृत (internalized) दृष्टिकोण और अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इन दोनों के बीच अंतःक्रिया से ‘आत्म’ (Self) का विकास होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘मन, आत्म और समाज’ (Mind, Self, and Society) नामक पुस्तक में इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उन्होंने बताया कि व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाकर (taking the role of the other) अपने आत्म का विकास करता है।
- गलत विकल्प: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न तत्वों की व्यवस्था है। सांस्कृतिक मानदंड वे नियम और मूल्य हैं जो समाज द्वारा स्वीकार्य माने जाते हैं। सामाजिक वर्ग आर्थिक स्थिति पर आधारित समूह हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति, व्यक्ति के सामाजिक कार्यों के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर बल देती है?
- प्रत्यक्षवाद (Positivism)
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: व्याख्यात्मक समाजशास्त्र, जिसे वेबर के ‘फेर्स्टेहेन’ (Verstehen) से प्रेरणा मिलती है, व्यक्ति के कार्यों के पीछे छिपे अर्थों, इरादों और प्रेरणाओं को समझने का प्रयास करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पद्धति व्यक्ति के दृष्टिकोण से दुनिया को देखने पर केंद्रित है, जबकि प्रत्यक्षवाद व्यक्तिनिष्ठता को कम करके वस्तुनिष्ठता पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: प्रत्यक्षवाद एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो अवलोकन योग्य तथ्यों पर आधारित है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को विभिन्न अंतर्संबंधित भागों की एक प्रणाली के रूप में देखता है। संघर्ष सिद्धांत समाज में शक्ति और संघर्ष पर केंद्रित है।
प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था का वह कौन सा सिद्धांत है जो जाति को केवल आर्थिक शोषण तक सीमित नहीं रखता, बल्कि इसे सांस्कृतिक और अनुष्ठानिक प्रभुत्व से भी जोड़ता है?
- मार्क्सवादी सिद्धांत
- श्रीनिवास का दृष्टिकोण
- अमर्त्य सेन का दृष्टिकोण
- गुन्नार मिर्डल का दृष्टिकोण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने जाति को न केवल एक आर्थिक व्यवस्था के रूप में देखा, बल्कि एक ऐसी संस्था के रूप में भी देखा जो सामाजिक, सांस्कृतिक और अनुष्ठानिक आयामों से गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने ‘रैंकिंग’ (ranking) और ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (purity-pollution) की अवधारणाओं के माध्यम से जाति के सांस्कृतिक पहलू को स्पष्ट किया।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास का विश्लेषण जाति को एक ऐसी जटिल सामाजिक संरचना के रूप में प्रस्तुत करता है जहाँ अनुष्ठानिक शुद्धता और प्रभुत्व आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के साथ मिलकर काम करते हैं।
- गलत विकल्प: मार्क्सवादी सिद्धांत मुख्य रूप से वर्ग और आर्थिक शोषण पर केंद्रित है। अमर्त्य सेन ने क्षमता (capability) और निष्पक्षता (fairness) पर जोर दिया। गुन्नार मिर्डल ने ‘एशियन ड्रामा’ में सामाजिक और आर्थिक विकास के मुद्दों पर लिखा।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘तार्किक-उन्मुख क्रिया’ (Rational Action) के प्रकारों का वर्णन करने के लिए जाना जाता है?
- ताल्कोट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- मैक्स वेबर
- इरविंग गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया के चार प्रकार बताए: उद्देश्य-तर्कसंगत क्रिया (zweckrational), मूल्य-तर्कसंगत क्रिया (wertrational), भावनात्मक क्रिया (affectual action) और पारंपरिक क्रिया (traditional action)। उन्होंने उद्देश्य-तर्कसंगत क्रिया को आधुनिक समाज की विशेषता माना।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का कार्य समाजशास्त्र को एक ‘अर्थ-निर्माण’ (meaning-making) विज्ञान के रूप में स्थापित करता है, जहाँ कर्ताओं के इरादों को समझना महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: ताल्कोट पार्सन्स ने ‘सामाजिक क्रिया सिद्धांत’ (Social Action Theory) विकसित किया। रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्य-श्रेणी सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) प्रस्तुत किया। इरविंग गॉफमैन ने ‘नाटकीयकरण’ (Dramaturgy) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 8: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा से सबसे अधिक मजबूती से कौन सा विचार जुड़ा हुआ है?
- समूहों के बीच निरंतर संपर्क
- आय और संसाधनों का असमान वितरण
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता की वृद्धि
- सांस्कृतिक मूल्यों का मानकीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को उनकी स्थिति, शक्ति और विशेषाधिकारों के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है। यह मुख्य रूप से आय, धन, शिक्षा, व्यवसाय और शक्ति जैसे संसाधनों के असमान वितरण से उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के विभिन्न रूप हैं, जैसे वर्ग (class), जाति (caste), लिंग (gender) आदि, जो समाज में असमानता को जन्म देते हैं।
- गलत विकल्प: समूहों के बीच निरंतर संपर्क सामाजिक अंतःक्रिया (social interaction) है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सांस्कृतिक मूल्यों का मानकीकरण स्तरीकरण के प्रत्यक्ष परिणाम नहीं हैं, बल्कि अन्य सामाजिक प्रक्रियाओं से संबंधित हैं।
प्रश्न 9: रॉबर्ट मर्टन ने ‘असंतोष’ (Dysfunction) की अवधारणा का उपयोग किसके विश्लेषण के लिए किया?
- समाज की स्थिरता
- समाज पर सामाजिक पैटर्न के नकारात्मक परिणाम
- सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाले कार्य
- सांस्कृतिक अनुरूपता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) और ‘गुप्त कार्य’ (Latent Function) के साथ ‘असंतोष’ (Dysfunction) की अवधारणा दी। असंतोष समाज की संरचना या किसी सामाजिक संस्था के उन परिणामों को संदर्भित करता है जो व्यवस्था के लिए नकारात्मक या अस्थिरकारी होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक सुधार विद्यालय का प्रकट कार्य युवा अपराधियों को समाज में पुनः एकीकृत करना है, लेकिन यदि यह अपराध दर को बढ़ाता है, तो यह एक असंतोष बन जाता है।
- गलत विकल्प: समाज की स्थिरता (a) कार्यों (functions) से जुड़ी है। समाज पर सामाजिक पैटर्न के सकारात्मक परिणाम (c) कार्यों (functions) को दर्शाते हैं। सांस्कृतिक अनुरूपता (d) सामाजिक नियंत्रण से संबंधित है।
प्रश्न 10: भारतीय समाज में ‘सत्ता’ (Authority) के पारंपरिक स्रोत से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- यह करिश्माई नेतृत्व पर आधारित है।
- यह तर्कसंगत-कानूनी नियमों पर आधारित है।
- यह वंशानुगत स्थिति और रीति-रिवाजों पर आधारित है।
- यह योग्यता और कौशल पर आधारित है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: वेबर के अनुसार, पारंपरिक सत्ता (traditional authority) वंशानुगत या पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित अधिकारों और रीति-रिवाजों पर आधारित होती है, जैसे कि राजाओं, जमींदारों या परिवार के मुखिया की सत्ता।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संदर्भ में, पिता की सत्ता, मुखिया की सत्ता, या पारंपरिक जागीरदारों की सत्ता पारंपरिक सत्ता के उदाहरण हैं।
- गलत विकल्प: करिश्माई नेतृत्व (a) करिश्माई सत्ता है। तर्कसंगत-कानूनी नियम (b) तर्कसंगत-कानूनी सत्ता है। योग्यता और कौशल (d) तर्कसंगत-कानूनी सत्ता का हिस्सा हो सकते हैं।
प्रश्न 11: ‘विस्थापन’ (Alienation) की अवधारणा, जिससे मनुष्य अपनी श्रम प्रक्रिया से अलग महसूस करने लगता है, किस प्रमुख समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक के ‘विस्थापन’ (alienation) का गहन विश्लेषण किया। उनके अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, श्रम प्रक्रिया, अपनी मानव प्रजाति-सार (species-essence) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की शुरुआती रचनाओं, विशेष रूप से ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में पाई जाती है।
- गलत विकल्प: वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम ने अनॉमी और सामाजिक एकजुटता पर काम किया। सिगमंड फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे जिन्होंने मानव मन के अचेतन पहलुओं का अध्ययन किया।
प्रश्न 12: परिवार की ‘संस्थानीकरण’ (Institutionalization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- परिवार के सदस्यों की संख्या में वृद्धि
- परिवार के नियमों, भूमिकाओं और अपेक्षाओं का स्पष्ट रूप से परिभाषित और स्थापित होना
- परिवार का विघटन
- परिवार का अधिक व्यक्तिगत बनना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: किसी संस्था का संस्थानीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक सामाजिक पैटर्न या व्यवहार को समाज द्वारा स्वीकार्य, महत्वपूर्ण और स्थायी माना जाने लगता है, जिसके साथ विशिष्ट नियम, भूमिकाएँ और अपेक्षाएँ जुड़ जाती हैं। परिवार के संदर्भ में, इसका अर्थ है कि विवाह, बच्चों का पालन-पोषण, संपत्ति हस्तांतरण आदि के बारे में समाज के निश्चित नियम और अपेक्षाएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्थाएं समाज के स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
- गलत विकल्प: सदस्यों की संख्या में वृद्धि (a) केवल जनसंख्या वृद्धि है। परिवार का विघटन (c) संस्था के विपरीत है। परिवार का अधिक व्यक्तिगत बनना (d) संस्थानीकरण के बजाय ‘असंस्थानीकरण’ (de-institutionalization) का संकेत दे सकता है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social Order) को बनाए रखने के लिए ‘समूह दबाव’ (Group Pressure) और ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की भूमिका पर जोर देता है?
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज सिमेल
- एमिल दुर्खीम
- हारबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: एमिल दुर्खीम ने समाज को एक व्यवस्थित इकाई के रूप में देखा और तर्क दिया कि सामाजिक व्यवस्था सामूहिक विवेक (collective conscience) और सामाजिक नियंत्रण के माध्यम से बनी रहती है। जब ये कमजोर पड़ते हैं, तो अनॉमी (anomie) की स्थिति उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘आत्महत्या’ (Suicide) जैसी अपनी रचनाओं में दिखाया कि कैसे सामाजिक बंधनों का टूटना व्यक्ति को समाज से अलग कर देता है, जिससे व्यक्तिगत और सामाजिक अस्थिरता आती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने समाज को संघर्ष और शक्ति के आधार पर देखा। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक रूपों और अंतःक्रियाओं के सूक्ष्म विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया। हारबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास में ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ (survival of the fittest) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 14: भारत में ‘सांप्रदायिकता’ (Communalism) की जड़ें मुख्य रूप से किसमें निहित हैं?
- केवल धार्मिक असहिष्णुता
- धार्मिक पहचान के साथ-साथ राजनीतिक और आर्थिक हितों का टकराव
- आधुनिकता का अभाव
- ग्रामीण समाज की संरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: भारत में सांप्रदायिकता केवल धार्मिक मतभेदों से परे है; यह अक्सर धार्मिक पहचान को राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने, चुनावी ध्रुवीकरण और समूहों के बीच अविश्वास को बढ़ावा देने से जुड़ी होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक जटिल सामाजिक-राजनीतिक घटना है जिसे केवल धार्मिक अतिवाद के रूप में देखना अपर्याप्त है।
- गलत विकल्प: केवल धार्मिक असहिष्णुता (a) एक सरलीकृत दृष्टिकोण है। आधुनिकता का अभाव (c) और ग्रामीण समाज की संरचना (d) सांप्रदायिकता के कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य जड़ें राजनीतिक-आर्थिक उपयोग में हैं।
प्रश्न 15: ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा, जिसका उपयोग समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए किया जाता है, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- अगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रकार’ को एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में विकसित किया। यह एक काल्पनिक, सुसंगत निर्माण है जो किसी सामाजिक घटना की कुछ विशेषताओं को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करता है, ताकि उस घटना को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: यह वास्तविक दुनिया का प्रतिबिंब नहीं है, बल्कि एक वैचारिक ढाँचा है जिसका उपयोग तुलना और विश्लेषण के लिए किया जाता है। उदाहरण: नौकरशाही का आदर्श प्रकार।
- गलत विकल्प: मार्क्स, दुर्खीम और कॉम्ते ने अपने-अपने सैद्धांतिक ढाँचे विकसित किए, लेकिन ‘आदर्श प्रकार’ वेबर की प्रमुख पद्धतिगत अवधारणा थी।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के विभिन्न प्रकारों, जैसे क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर गतिशीलता, का विश्लेषण करता है?
- सोरोकिन
- गुन्नार मिर्डल
- अमर्त्य सेन
- पियरे बॉर्डियू
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: पिओत्रिम सोरोकिन (Pitirim Sorokin) अपनी पुस्तक ‘Social Mobility and Stratification’ में सामाजिक गतिशीलता के सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक हैं। उन्होंने गतिशीलता को ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे जाना) और क्षैतिज (समान स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना) के रूप में वर्गीकृत किया।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने यह भी विश्लेषण किया कि कैसे विभिन्न सामाजिक संरचनाएँ और संस्थाएं इस गतिशीलता को प्रभावित करती हैं।
- गलत विकल्प: मिर्डल, सेन और बॉर्डियू ने सामाजिक असमानता, विकास और पूंजी (जैसे सांस्कृतिक पूंजी) के विश्लेषण में योगदान दिया, लेकिन सोरोकिन सामाजिक गतिशीलता के अध्ययन के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
प्रश्न 17: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जहाँ भौतिक संस्कृति (material culture) अभौतिक संस्कृति (non-material culture) की तुलना में तेजी से बदलती है, का श्रेय किसे दिया जाता है?
- विलियम ग्राहम समनर
- एल्बर्ट सैमुअल्स कोहन
- ऑगस्ट कॉम्ते
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: एल्बर्ट सैमुअल्स कोहन (William Fielding Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा पेश की। उन्होंने बताया कि तकनीकी नवाचारों (भौतिक संस्कृति) के कारण सामाजिक परिवर्तन की गति तेज हो जाती है, लेकिन सामाजिक संस्थाएँ, रीति-रिवाज और मूल्य (अभौतिक संस्कृति) अक्सर पिछड़ जाते हैं, जिससे सामाजिक तनाव उत्पन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट का विकास भौतिक संस्कृति में एक तेज बदलाव है, लेकिन इसके उपयोग से संबंधित नैतिक और कानूनी नियम (अभौतिक संस्कृति) अक्सर पिछड़ जाते हैं।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ‘लोकप्रिय रूढ़ियाँ’ (Folkways) और ‘रूढ़ियाँ’ (Mores) के बीच अंतर के लिए जाने जाते हैं। कॉम्ते प्रत्यक्षवाद के जनक हैं। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर काम किया।
प्रश्न 18: भारतीय समाज में, ‘जाति-आधारित बहिष्करण’ (Caste-based Exclusion) का कौन सा पहलू इसे केवल अनुष्ठानिक अशुद्धता से परे ले जाता है?
- उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व
- जातिगत पहचान का सामाजिक-आर्थिक अवसरों पर प्रभाव
- पारंपरिक विवाह पद्धतियाँ
- धार्मिक अनुष्ठानों में भागीदारी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: जाति-आधारित बहिष्करण केवल धार्मिक या अनुष्ठानिक शुद्धता-अपवित्रता तक सीमित नहीं है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कैसे जातिगत पहचान किसी व्यक्ति की शिक्षा, रोजगार, आवास और अन्य सामाजिक-आर्थिक अवसरों तक पहुँच को निर्धारित या सीमित करती है, जिससे एक सतत असमानता बनी रहती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिकीकरण और शहरीकरण के बावजूद भारत में एक प्रमुख सामाजिक समस्या बनी हुई है।
- गलत विकल्प: उच्च जातियों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व (a) और धार्मिक अनुष्ठानों में भागीदारी (d) अनुष्ठानिक पहलुओं से जुड़ी हो सकती है। पारंपरिक विवाह पद्धतियाँ (c) अंतर्विवाह (endogamy) का एक रूप हैं जो जाति व्यवस्था को मजबूत करती हैं, लेकिन अवसर पर प्रभाव अधिक व्यापक बहिष्करण है।
प्रश्न 19: ‘समूह के भीतर’ (In-group) और ‘समूह के बाहर’ (Out-group) की अवधारणाएँ मुख्य रूप से सामाजिक पहचान और अंतःसमूह संबंधों को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह अवधारणा किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- इरविंग गॉफमैन
- विलियम ग्राहम समनर
- जॉर्ज सिमेल
- राल्फ डारेंडॉर्फ़
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘Folkways’ (1906) में ‘इन-ग्रुप’ (हम समूह) और ‘आउट-ग्रुप’ (वे समूह) के बीच अंतर स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि कैसे इन-ग्रुप के सदस्य एक-दूसरे के प्रति अधिक एकजुटता और अपनेपन का भाव रखते हैं, जबकि आउट-ग्रुप के प्रति पूर्वाग्रह और अविश्वास रख सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह विभेदन सामाजिक संबंध, संघर्ष और पहचान के निर्माण में एक मौलिक भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: गॉफमैन नाटकीयकरण के लिए जाने जाते हैं। सिमेल ने सामाजिक रूपों का अध्ययन किया। डारेंडॉर्फ़ ने संघर्ष सिद्धांत पर काम किया।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा परिप्रेक्ष्य समाज को एक प्रणाली के रूप में देखता है जहाँ विभिन्न भाग (जैसे परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और समाज की स्थिरता में योगदान करते हैं?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संघर्ष सिद्धांत
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- नारियोंवाद (Feminism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसमें विभिन्न संरचनाएँ (परिवार, धर्म, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) होती हैं, और प्रत्येक संरचना का एक विशिष्ट ‘कार्य’ (function) होता है जो समाज की समग्र स्थिरता और संतुलन को बनाए रखने में योगदान देता है।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम और ताल्कोट पार्सन्स इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं।
- गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति और सूक्ष्म स्तर की अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर आधारित है। नारियोंवाद लैंगिक असमानता पर केंद्रित है।
प्रश्न 21: इरविंग गॉफमैन ने ‘नाटक’ (Dramaturgy) की अवधारणा का उपयोग करके व्यक्ति की सामाजिक अंतःक्रियाओं को कैसे समझाया?
- यह समझाने के लिए कि लोग सामाजिक नियमों का पालन कैसे करते हैं
- यह समझाने के लिए कि लोग मंच पर अभिनय करते हुए अपनी ‘स्व’ (Self) की छवि को कैसे प्रबंधित करते हैं
- यह समझाने के लिए कि समाज कैसे बदलता है
- यह समझाने के लिए कि व्यक्ति अपने लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करते हैं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: इरविंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में ‘नाटकीयकरण’ (Dramaturgy) की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने सामाजिक अंतःक्रियाओं की तुलना एक मंच पर होने वाले नाटक से की, जहाँ व्यक्ति (‘अभिनेता’) दूसरों पर एक विशेष प्रभाव डालने के लिए अपनी ‘छवि’ (impression) को प्रबंधित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वे ‘सामने का पर्दा’ (front stage) और ‘पीछे का पर्दा’ (back stage) जैसे रूपकों का उपयोग करते हैं।
- गलत विकल्प: सामाजिक नियमों का पालन (a) सामाजिक नियंत्रण का हिस्सा है। समाज का बदलना (c) सामाजिक परिवर्तन का विषय है। लक्ष्यों की प्राप्ति (d) व्यक्तिगत मनोविज्ञान या अन्य सिद्धांतों से संबंधित हो सकती है।
प्रश्न 22: भारत में ‘आदिवासी समाज’ (Tribal Society) की मुख्य विशेषताओं में से एक क्या है?
- जटिल स्तरीकृत सामाजिक संरचना
- लिखित संविधान और विस्तृत कानून
- सामुदायिक स्वामित्व और निकट संबंध
- उच्च स्तर का शहरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: आदिवासी समाजों की एक प्रमुख विशेषता उनकी ‘सामुदायिक भावना’ (sense of community) है, जिसमें भूमि, संसाधन और उत्पादन के साधनों का सामूहिक स्वामित्व आम होता है। उनके बीच घनिष्ठ नातेदारी (kinship) संबंध और समूह के प्रति निष्ठा भी महत्वपूर्ण होती है।
- संदर्भ और विस्तार: ये समाज अक्सर मुख्यधारा के समाजों से भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से भिन्न होते हैं।
- गलत विकल्प: जटिल स्तरीकृत संरचना (a) अक्सर मुख्यधारा के समाजों में पाई जाती है। लिखित संविधान (b) और उच्च शहरीकरण (d) आदिवासी समाजों की विशेषता नहीं हैं, बल्कि आधुनिक औद्योगिक समाजों की हैं।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में, ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का प्राथमिक लक्ष्य क्या होता है?
- संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और उसका सांख्यिकीय विश्लेषण करना
- किसी घटना के अंतर्निहित अर्थों, अनुभवों और संदर्भों को समझना
- पैटर्न और सहसंबंधों की पहचान करना
- किसी सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए एक बड़ी नमूना आकार का उपयोग करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: गुणात्मक विधियाँ, जैसे कि गहन साक्षात्कार (in-depth interviews), अवलोकन (observation) और केस स्टडी (case studies), किसी सामाजिक घटना के ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का पता लगाने के लिए गहराई से समझने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। ये विधियाँ व्यक्तियों के अनुभवों, दृष्टिकोणों और सामाजिक संदर्भों की पड़ताल करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य घटनाओं का वर्णन और व्याख्या करना होता है, न कि उनका परिमाणीकरण (quantification) करना।
- गलत विकल्प: संख्यात्मक डेटा एकत्र करना (a) और सांख्यिकीय विश्लेषण (c) मात्रात्मक विधियों (quantitative methods) की विशेषताएँ हैं। एक बड़े नमूना आकार का उपयोग (d) भी आमतौर पर मात्रात्मक शोध में किया जाता है।
प्रश्न 24: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे अधिक उपयुक्त है?
- यह केवल पश्चिमीकरण का पर्याय है।
- यह तकनीकी विकास और पारंपरिक संस्थाओं में परिवर्तन का एक जटिल मेल है।
- यह हमेशा धर्मनिरपेक्षीकरण (secularization) की ओर ले जाता है।
- यह ग्रामीण समुदायों को सीधे शहरी बनाता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें आर्थिक औद्योगीकरण, राजनीतिक संस्थाओं का विकास, शिक्षा का प्रसार, धर्मनिरपेक्षीकरण और सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन शामिल हो सकता है। यह जरूरी नहीं कि यह पश्चिमीकरण का पर्याय हो और यह हमेशा धर्मनिरपेक्षीकरण की ओर नहीं ले जाता, तथा यह ग्रामीण समुदायों को सीधे शहरी नहीं बनाता, बल्कि परिवर्तन की एक क्रमिक प्रक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया अपनी अनूठी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भों के कारण जटिल और विविध रही है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (a) आधुनिकीकरण का केवल एक पहलू हो सकता है। धर्मनिरपेक्षीकरण (c) हमेशा नहीं होता, क्योंकि आधुनिकीकरण के साथ धर्म की भूमिका बदल सकती है। ग्रामीण समुदायों को सीधे शहरी बनाना (d) भी एक अतिसरलीकरण है।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के महत्व पर जोर देती है, का संबंध किस विचारक से है?
- पियरे बॉर्डियू
- रॉबर्ट पटनम
- जेम्स कॉलमैन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही विकल्प: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विभिन्न समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है। पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने इसे सामाजिक संबंधों से प्राप्त होने वाले संसाधनों के रूप में देखा। रॉबर्ट पटनम (Robert Putnam) ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामाजिक विश्वास से जोड़ा, जबकि जेम्स कॉलमैन (James Coleman) ने इसे सामाजिक संरचनाओं के कार्य के रूप में विश्लेषण किया। इन तीनों ने ही इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी व्यक्ति और समुदायों को लाभ पहुँचाने वाले सामाजिक नेटवर्कों के माध्यम से निर्मित होती है।
- गलत विकल्प: केवल एक विचारक का नाम लेना इस अवधारणा की बहुआयामी प्रकृति को सीमित करेगा।