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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

नमस्ते, समाजशास्त्र के जिज्ञासु! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। अपनी अवधारणाओं को परखने, अपने ज्ञान को विस्तृत करने और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को एक नया आयाम देने के लिए तैयार हो जाइए। आइए, शुरू करें यह बौद्धिक यात्रा!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को किसने अपने विश्लेषण का केंद्रीय बिंदु बनाया, जिसमें उन्होंने सामाजिक संरचना को क्रियाओं के बीच संबंधों के एक प्रतिमान (pattern) के रूप में परिभाषित किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण का आधार बनाया। उन्होंने सामाजिक संरचना को व्यक्तियों के बीच बाह्य और बाध्यकारी संबंधों के एक जटिल जाल के रूप में देखा, जो व्यक्तिगत चेतना से स्वतंत्र होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों जैसे ‘The Division of Labour in Society’ और ‘The Rules of Sociological Method’ में इस पर जोर दिया। उनके लिए, सामाजिक संरचना ही समाज की स्थिरता और एकता सुनिश्चित करती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संरचना’ और ‘संघर्ष’ पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने ‘क्रिया’ और ‘अर्थ’ को महत्व दिया। टैल्कॉट पार्सन्स ने भी संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (structural-functionalism) विकसित किया, लेकिन दुर्खीम सामाजिक संरचना को व्यक्ति से स्वतंत्र बाह्य इकाई के रूप में स्थापित करने वाले पहले प्रमुख समाजशास्त्री थे।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने “नौकरशाही” (Bureaucracy) के आदर्श-प्ररूप (Ideal Type) का विस्तृत विश्लेषण किया, जिसमें उन्होंने सत्ता के वैध (legitimate) रूपों में से एक के रूप में तर्कसंगत-कानूनी सत्ता (Rational-Legal Authority) की पहचान की?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को आधुनिक समाजों में तर्कसंगत-कानूनी सत्ता के सबसे कुशल रूप के रूप में वर्णित किया। उन्होंने इसके विशिष्ट गुणों जैसे पदसोपान (hierarchy), लिखित नियम, विशेषज्ञता और अवैयक्तिकता (impersonality) का विश्लेषण किया।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक ‘Economy and Society’ में सत्ता और प्रभुत्व (domination) के विभिन्न रूपों पर चर्चा करते हुए नौकरशाही का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (social solidarity) पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने आर्थिक निर्धारणवाद और वर्ग संघर्ष को प्राथमिकता दी। मीड ने “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) विकसित किया, जो व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।

प्रश्न 3: “अलंकरण” (Alienation) की अवधारणा, जो व्यक्ति को उसके श्रम, उसके उत्पाद, उसके साथियों और उसकी मानव प्रकृति से अलग कर देती है, किस समाजशास्त्री के चिंतन का एक केंद्रीय तत्व है?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. ऑगस्ट कॉम्टे
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों के “अलंकरण” या अलगाव की चार मुख्य अवस्थाओं का वर्णन किया: श्रम के उत्पाद से अलगाव, श्रम की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-सार (species-essence) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके शुरुआती लेखन, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से मिलती है। यह पूंजीवाद की आलोचना का एक महत्वपूर्ण आधार है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता के अलगाव पर बात की, लेकिन मार्क्स का अलगाव का सिद्धांत अधिक व्यापक और आर्थिक उत्पादन से जुड़ा है। कॉम्टे ने सामाजिक व्यवस्था और प्रगति पर जोर दिया, जबकि दुर्खीम ने “एनोमी” (anomie) की बात की, जो सामाजिक विघटन से संबंधित है।

  • प्रश्न 4: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के अध्ययन में, “वर्गीकरण” (Class) को मुख्य रूप से आर्थिक आधार पर परिभाषित करने वाला समाजशास्त्री कौन है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स
    4. विलफ्रेडो पैरेटो

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने “वर्ग” को उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर परिभाषित किया। उनके अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य रूप से दो वर्ग होते हैं: बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक)।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनकी कृति ‘Das Kapital’ और ‘The Communist Manifesto’ में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है। उन्होंने वर्ग संघर्ष को इतिहास का चालक माना।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने वर्ग के साथ-साथ “दर्जा” (status) और “शक्ति” (party) को भी स्तरीकरण के महत्वपूर्ण आयाम माना। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। पैरेटो “एलिट्स के परिभ्रमण” (circulation of elites) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 5: “एनोमी” (Anomie) या “अराजकता” की स्थिति, जो तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति के लिए सामाजिक मानदंड (norms) स्पष्ट या प्रभावी नहीं रहते, किस समाजशास्त्री की देन है?

    1. मैक्स वेबर
    2. कार्ल मार्क्स
    3. एमिल दुर्खीम
    4. हर्बर्ट स्पेंसर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने “एनोमी” की अवधारणा को सामाजिक विघटन और अव्यवस्था की स्थिति का वर्णन करने के लिए प्रस्तुत किया, जब व्यक्ति समाज के नियमों और अपेक्षाओं से खुद को जुड़ा हुआ महसूस नहीं करता।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ जैसी कृतियों में महत्वपूर्ण है, जहाँ उन्होंने दिखाया कि कैसे सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकट एनोमी को बढ़ा सकते हैं, जिससे आत्महत्या दर बढ़ सकती है।
    • गलत विकल्प: मार्क्स ने अलगाव पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने तर्कसंगतता के कारण होने वाले असंतोष पर बात की। स्पेंसर ने विकासवादी समाजशास्त्र (evolutionary sociology) प्रस्तुत किया।

    प्रश्न 6: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के जनक कौन माने जाते हैं, जिन्होंने यह तर्क दिया कि व्यक्ति अपने सामाजिक यथार्थ का निर्माण प्रतीकों (symbols) और उनके अर्थों की व्याख्या के माध्यम से करते हैं?

    1. चार्ल्स हॉर्टन कूली
    2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
    3. हरबर्ट ब्लूमर
    4. एर्विंग गॉफमैन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने “स्व” (self) और “समाज” (society) के विकास में भाषा, प्रतीकों और अंतःक्रियाओं की भूमिका पर बल दिया।
    • संदर्भ और विस्तार: उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ उनके विचारों का सार प्रस्तुत करती है। उन्होंने “मी” (Me) और “आई” (I) के बीच अंतर करके “स्व” के विकास को समझाया।
    • गलत विकल्प: कूली ने “लुकिंग-ग्लास सेल्फ” (looking-glass self) की अवधारणा दी। ब्लूमर ने “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” शब्द गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित किया। गॉफमैन ने “नाटकीयता” (dramaturgy) के अपने सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध हैं।

    प्रश्न 7: भारतीय समाज में, “वर्ण व्यवस्था” (Varna System) की उत्पत्ति और विकास को समझाने के लिए वेदों और उत्तर-वैदिक साहित्य में पाए जाने वाले “पुरुष सूक्त” (Purusha Sukta) का संदर्भ किस अवधारणा से जुड़ा है?

    1. कर्म
    2. धर्म
    3. वर्ण-व्यवस्था का दैवीय उत्पत्ति सिद्धांत
    4. जाति व्यवस्था का अंतर्विवाह

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: पुरुष सूक्त (ऋग्वेद के दसवें मंडल का एक श्लोक) को वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के आख्यान के रूप में देखा जाता है, जहाँ ब्रह्मांडीय पुरुष (पुरूष) के विभिन्न अंगों से चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) की उत्पत्ति बताई गई है। यह व्यवस्था के दैवीय औचित्य को स्थापित करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विचार भारतीय समाजशास्त्र में ऐतिहासिक और धर्मशास्त्रीय दृष्टिकोणों के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • गलत विकल्प: कर्म और धर्म महत्वपूर्ण दार्शनिक अवधारणाएँ हैं, लेकिन प्रश्न विशेष रूप से व्यवस्था की उत्पत्ति से जुड़े दैवीय स्रोत के बारे में है। अंतर्विवाह (endogamy) जाति व्यवस्था की एक विशेषता है, न कि उसकी उत्पत्ति का कारण।

    प्रश्न 8: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित “संस्कृति-ग्रहण” (Sanskritization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?

    1. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
    2. किसी निम्न जाति या जनजाति का उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर सामाजिक स्थिति प्राप्त करने का प्रयास
    3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
    4. शहरीकरण के कारण पारंपरिक मूल्यों का क्षरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने “संस्कृति-ग्रहण” (Sanskritization) की प्रक्रिया का वर्णन किया, जिसमें निम्न जातियाँ उच्च, विशेषकर द्विजातियों (twice-born) की जीवन शैली, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाती हैं ताकि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ सके।
    • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में विकसित किया। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) है।
    • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाना है। आधुनिकीकरण (Modernization) अधिक व्यापक है। शहरीकरण (Urbanization) ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण है।

    प्रश्न 9: “संरचनात्मक प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) के प्रमुख प्रतिपादकों में से कौन हैं, जिन्होंने समाज को एक जैविक अंग की तरह देखा, जहाँ प्रत्येक अंग (संस्था) एक विशिष्ट कार्य (function) करता है जो पूरे समाज के अस्तित्व और स्थिरता के लिए आवश्यक है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
    3. टैल्कॉट पार्सन्स
    4. इमैनुएल वालरस्टीन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स को संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख सिद्धांतकारों में से एक माना जाता है। उन्होंने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा, जिसमें विभिन्न उप-प्रणालियाँ (जैसे अर्थव्यवस्था, राजनीति, परिवार) अपने विशिष्ट कार्यों को पूरा करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स की AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) प्रतिमान सामाजिक प्रणालियों के विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी कृतियों जैसे ‘The Structure of Social Action’ में इस पर विस्तार से लिखा।
    • गलत विकल्प: मार्क्स द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (dialectical materialism) के समर्थक थे। मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं। वालरस्टीन विश्व-व्यवस्था सिद्धांत (world-systems theory) के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 10: “संस्था” (Institution) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?

    1. व्यक्तियों का एक समूह जो एक सामान्य उद्देश्य के लिए एक साथ आता है
    2. सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्थायी व्यवहार पद्धतियों (patterns) का एक समूह जो समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करता है
    3. एक औपचारिक संगठन जिसमें स्पष्ट पदानुक्रम हो
    4. ऐसी प्रक्रिया जिसके द्वारा व्यक्ति समाज में एकीकृत होता है

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: समाजशास्त्र में, एक संस्था (institution) अपेक्षाकृत स्थायी, सामाजिक रूप से स्वीकृत और संगठित व्यवहार के उन प्रतिमानों (patterns) और नियमों का समूह है जो समाज की मौलिक आवश्यकताओं (जैसे प्रजनन, शिक्षा, व्यवस्था) को पूरा करते हैं। उदाहरण: परिवार, शिक्षा, राज्य, धर्म।
    • संदर्भ और विस्तार: संस्थाएँ समाज का आधार बनती हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) एक अनौपचारिक समूह या समिति हो सकती है। (c) यह एक संगठन (organization) की परिभाषा है, जो संस्था से भिन्न है (संस्था अधिक अमूर्त और व्यापक है)। (d) यह समाजीकरण (socialization) की प्रक्रिया है।

    प्रश्न 11: “आत्मसात्करण” (Assimilation) की प्रक्रिया में, एक अल्पसंख्यक समूह अपनी सांस्कृतिक विशिष्टताओं को छोड़कर बहुसंख्यक समूह की संस्कृति को पूरी तरह से अपना लेता है। समाजशास्त्रीय संदर्भ में, यह क्या इंगित करता है?

    1. विविधीकरण (Multiculturalism)
    2. सांस्कृतिक पुनरुत्थान (Cultural Revival)
    3. सांस्कृतिक एकीकरण (Cultural Integration) का एक विशेष रूप
    4. सांस्कृतिक अलगाव (Cultural Isolation)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: आत्मसात्करण (Assimilation) सांस्कृतिक एकीकरण (Cultural Integration) का वह रूप है जहाँ एक समूह (अक्सर अल्पसंख्यक) बहुसंख्यक समूह की संस्कृति में विलीन हो जाता है, अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान को काफी हद तक खो देता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह “सांस्कृतिक मिश्रण” (Melting Pot) के विचार से जुड़ा है, जहाँ विभिन्न संस्कृतियाँ मिलकर एक नई, मिश्रित संस्कृति बनाती हैं, या जहाँ एक प्रमुख संस्कृति हावी हो जाती है।
    • गलत विकल्प: विविधीकरण (Multiculturalism) विभिन्न संस्कृतियों के सह-अस्तित्व को महत्व देता है। सांस्कृतिक पुनरुत्थान अपनी संस्कृति को फिर से जीवित करना है। सांस्कृतिक अलगाव एक समूह का अन्य समूहों से अलग रहना है।

    प्रश्न 12: “सापेक्षिक वंचन” (Relative Deprivation) की अवधारणा का प्रयोग समाजशास्त्र में यह समझाने के लिए किया जाता है कि कैसे:

    1. लोग जो वास्तव में गरीब हैं, वे दूसरों के मुकाबले अपनी गरीबी को कम महसूस करते हैं।
    2. लोग अपनी आय की तुलना दूसरों से करते हैं और जब वे स्वयं को कमतर पाते हैं तो असंतोष महसूस करते हैं, भले ही उनकी भौतिक स्थिति अच्छी हो।
    3. सामाजिक असमानता पूरी तरह से संरचनात्मक कारकों के कारण होती है।
    4. राज्य नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सापेक्षिक वंचन (Relative Deprivation) तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति अपनी स्थिति की तुलना उन लोगों से करता है जिन्हें वे बेहतर स्थिति में मानते हैं, जिससे असंतोष और अभाव की भावना पैदा होती है, भले ही वे निरपेक्ष रूप से (absolutely) वंचित न हों।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा अक्सर सामाजिक आंदोलनों और विरोधों की व्याख्या में उपयोगी होती है।
    • गलत विकल्प: (a) निरपेक्ष वंचन (absolute deprivation) से संबंधित हो सकता है। (c) यह असमानता के एक कारण को छोड़ देता है। (d) यह वंचन की एक संभावित अभिव्यक्ति है, लेकिन अवधारणा की व्याख्या नहीं है।

    प्रश्न 13: “सार्वजनिक क्षेत्र” (Public Sphere) की अवधारणा, जहाँ नागरिक बिना राज्य या आर्थिक शक्ति के हस्तक्षेप के सार्वजनिक मामलों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं, का विकास किस विचारक के साथ प्रमुखता से जुड़ा है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. जुरगेन हेबरमास
    3. अल्थुसर
    4. एंटोनियो ग्राम्स्की

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: जुरगेन हेबरमास ने अपनी पुस्तक ‘The Structural Transformation of the Public Sphere’ में “सार्वजनिक क्षेत्र” (Public Sphere) की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया। उन्होंने इसे मध्यम वर्ग द्वारा उदय होते बुर्जुआ समाज में स्थापित एक ऐसी जगह के रूप में देखा जहाँ वे राज्य से स्वतंत्र होकर तर्कसंगत संवाद करते थे।
    • संदर्भ और विस्तार: हेबरमास के लिए, एक स्वस्थ सार्वजनिक क्षेत्र लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: मार्क्स ने पूंजीवाद और उत्पादन संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया। अल्थुसर ने “विचारधारात्मक राज्य उपकरण” (Ideological State Apparatuses) की बात की। ग्राम्स्की ने “वर्चस्व” (Hegemony) की अवधारणा विकसित की।

    प्रश्न 14: भारतीय समाज में “जाति व्यवस्था” (Caste System) की एक मुख्य विशेषता क्या है?

    1. खुलापन और गतिशीलता
    2. व्यवसाय का अंतर्जन (Endogamy)
    3. अंतर-जातीय विवाह (Exogamy)
    4. जातिगत पहचान का महत्व न होना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: जाति व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक “अंतर्जन” (Endogamy) है, जिसका अर्थ है कि विवाह उसी जाति या उप-जाति के भीतर ही होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था को बनाए रखने और उसकी शुद्धता (purity) को सुरक्षित रखने का एक प्रमुख तंत्र है।
    • गलत विकल्प: जाति व्यवस्था परंपरागत रूप से बंद (closed) और अनम्य (rigid) रही है, इसलिए खुलापन और गतिशीलता इसकी विशेषता नहीं है। अंतर-जातीय विवाह (Exogamy) इसकी विशेषता नहीं है (विवाह तो समूह के भीतर होता है)। जातिगत पहचान का बहुत अधिक महत्व होता है।

    प्रश्न 15: “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया को किस रूप में समझा जा सकता है?

    1. पारंपरिक समाजों का पश्चिमी समाजों की तरह परिवर्तन
    2. तकनीकी विकास, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण जैसी प्रक्रियाओं का एक समूह
    3. केवल आर्थिक विकास की प्रक्रिया
    4. सामाजिक परंपराओं का अंधानुकरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी नवाचार, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, नौकरशाही का विकास और धर्मनिरपेक्षीकरण (secularization) जैसे परिवर्तन शामिल हैं। यह पारंपरिक समाजों को उन विशेषताओं की ओर ले जाता है जो औद्योगिक समाजों में पाई जाती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को भी समाहित करता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह आधुनिकीकरण का एक सीमित दृष्टिकोण है, जो इसे केवल पश्चिमीकरण के बराबर मानता है। (c) यह आधुनिकीकरण के केवल एक पहलू पर केंद्रित है। (d) यह आधुनिकीकरण के विपरीत है।

    प्रश्न 16: “ग्रामीण समाजशास्त्र” (Rural Sociology) के संदर्भ में, ” gemeinschaft” (सामुदायिक जीवन) और “gesellschaft” (सामाज/एसोसिएशन) की अवधारणाएं किस समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गईं?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. फर्डिनेंड टोनीज
    4. रॉबर्ट रेडफील्ड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: फर्डिनेंड टोनीज (Ferdinand Tönnies) ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (1887) में इन दो प्रकार की सामाजिक व्यवस्थाओं को प्रस्तुत किया। “Gemeinschaft” (सामुदायिक जीवन) घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंधों पर आधारित है, जबकि “Gesellschaft” (सामाज/एसोसिएशन) अवैयक्तिक, साधन-साध्य और स्वार्थी संबंधों पर आधारित है।
    • संदर्भ और विस्तार: टोनीज ने यह तर्क दिया कि आधुनिक औद्योगिक समाज “Gesellschaft” की ओर बढ़ रहे हैं।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ने “यांत्रिक एकजुटता” (Mechanical Solidarity) और “सांगठनिक एकजुटता” (Organic Solidarity) के बीच भेद किया। वेबर ने सत्ता के प्रकारों और नौकरशाही का विश्लेषण किया। रेडफील्ड ने “लघु परंपरा” (Little Tradition) और “दीर्घ परंपरा” (Great Tradition) के बीच संबंध का अध्ययन किया।

    प्रश्न 17: “धर्मनिरपेक्षीकरण” (Secularization) की अवधारणा समाजशास्त्र में क्या दर्शाती है?

    1. सभी समाजों से धर्म का पूर्ण उन्मूलन
    2. धर्म के प्रभाव और महत्व में कमी, विशेष रूप से सार्वजनिक और राजनीतिक क्षेत्रों में
    3. केवल व्यक्तिगत धार्मिक विश्वासों का गायब होना
    4. धार्मिक अनुष्ठानों का अधिक आडंबरपूर्ण होना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा धार्मिक संस्थानों, विचारों और प्रथाओं का प्रभाव समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) से कम होने लगता है। यह धर्म के सार्वजनिक जीवन से पीछे हटने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत धार्मिक विश्वासों को पूरी तरह से समाप्त नहीं करता, बल्कि समाज में धर्म की भूमिका को सीमित करता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह धर्मनिरपेक्षीकरण का चरम रूप है, जो हमेशा आवश्यक नहीं होता। (c) यह व्यक्तिगत विश्वासों को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन मुख्य जोर सार्वजनिक क्षेत्र पर है। (d) यह धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत है।

    प्रश्न 18: “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) से आपका क्या तात्पर्य है?

    1. केवल कानून और दंड के माध्यम से व्यवहार को नियंत्रित करना
    2. समाज द्वारा अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए उपयोग की जाने वाली विधियों और प्रक्रियाओं का समूह
    3. सरकार द्वारा नागरिकों की गतिविधियों पर लगाई गई पाबंदियाँ
    4. सामाजिक नियमों का स्वतः पालन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) समाज द्वारा अपने सदस्यों के व्यवहार को अपेक्षित या स्वीकृत दिशाओं में निर्देशित करने और विचलन (deviance) को रोकने के लिए अपनाई जाने वाली सभी विधियों और तंत्रों का संग्रह है। इसमें औपचारिक (कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (सामाजिक दबाव, रीति-रिवाज) दोनों शामिल हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाज की स्थिरता और पूर्वानुमेयता (predictability) सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
    • गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक नियंत्रण का केवल एक प्रकार (औपचारिक) है। (c) यह सामाजिक नियंत्रण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन पूरी परिभाषा नहीं। (d) नियमों का पालन स्वतः नहीं होता, इसके लिए नियंत्रण तंत्र की आवश्यकता होती है।

    प्रश्न 19: “विचलित व्यवहार” (Deviant Behavior) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?

    1. केवल आपराधिक गतिविधियाँ
    2. उन व्यवहारों को जो समाज के स्वीकृत मानदंडों या अपेक्षाओं का उल्लंघन करते हैं
    3. ऐसी गतिविधियाँ जो व्यक्तिगत या समूह के लिए हानिकारक हों
    4. उन व्यवहारों को जो पारंपरिक मूल्यों के विरुद्ध हों

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: विचलित व्यवहार (Deviant Behavior) वह व्यवहार है जो किसी विशेष समाज या समूह के स्वीकृत सामाजिक मानदंडों (norms) और अपेक्षाओं से भिन्न होता है। यह नकारात्मक या सकारात्मक दोनों हो सकता है, और इसका मूल्यांकन संदर्भ पर निर्भर करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: विचलन (deviance) सापेक्षिक है, अर्थात जो एक समाज में विचलन है, वह दूसरे में नहीं हो सकता।
    • गलत विकल्प: (a) सभी विचलन आपराधिक नहीं होते। (c) व्यक्तिगत हानि को शामिल किया जा सकता है, लेकिन मुख्य आधार सामाजिक मानदंड हैं। (d) पारंपरिक मूल्यों के विरुद्ध होना विचलन का एक रूप हो सकता है, लेकिन यह सबसे व्यापक परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 20: “श्रम विभाजन” (Division of Labour) के सिद्धांत को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से किसने महत्व दिया और इसे समाज की “एकजुटता” (Solidarity) के प्रकारों से जोड़ा?

    1. मैक्स वेबर
    2. कार्ल मार्क्स
    3. एमिल दुर्खीम
    4. हर्बर्ट स्पेंसर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘The Division of Labour in Society’ में श्रम विभाजन का गहन विश्लेषण किया। उन्होंने तर्क दिया कि यह समाज के बढ़ते आकार और घनत्व के साथ विकसित होता है और सामाजिक एकजुटता के प्रकारों को बदलता है।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने “यांत्रिक एकजुटता” (Mechanical Solidarity) (जो समानताओं पर आधारित है, निम्न श्रम विभाजन वाले समाजों में पाई जाती है) और “सांगठनिक एकजुटता” (Organic Solidarity) (जो अंतर-निर्भरता पर आधारित है, उच्च श्रम विभाजन वाले आधुनिक समाजों में पाई जाती है) के बीच अंतर किया।
    • गलत विकल्प: मार्क्स ने श्रम विभाजन को अलगाव और शोषण के स्रोत के रूप में देखा। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर ध्यान केंद्रित किया। स्पेंसर ने जैविक विकास के मॉडल का प्रयोग किया।

    प्रश्न 21: “विश्व-व्यवस्था सिद्धांत” (World-Systems Theory) के अनुसार, वैश्वीकरण (globalization) की वर्तमान स्थिति को समझने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय समाज को किन तीन मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है?

    1. विकसित, विकासशील और अविकसित
    2. उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी
    3. केंद्र (Core), परिधि (Periphery) और अर्ध-परिधि (Semi-periphery)
    4. पूंजीवादी, समाजवादी और मिश्रित

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: विश्व-व्यवस्था सिद्धांत, विशेष रूप से इमैनुएल वालरस्टीन से जुड़ा हुआ, अंतर्राष्ट्रीय समाज को तीन मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है: केंद्र (Core) जो उच्च-तकनीकी उत्पादन और पूंजी पर हावी है, परिधि (Periphery) जो कच्चे माल का निर्यात करती है और जिसका शोषण होता है, और अर्ध-परिधि (Semi-periphery) जो केंद्र और परिधि के बीच की मध्यवर्ती स्थिति में है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं को समझने में मदद करता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) विकासशील देशों के वर्गीकरण के अन्य तरीके हैं, लेकिन विश्व-व्यवस्था सिद्धांत के अनुसार नहीं। (d) अर्थव्यवस्था के प्रकार हैं, न कि विश्व-व्यवस्था के क्षेत्र।

    प्रश्न 22: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) की अवधारणा समाजशास्त्र में क्या संदर्भित करती है?

    1. किसी व्यक्ति का अपने समाज के भीतर या विभिन्न समाजों के बीच स्थिति बदलना
    2. समाज में होने वाले सभी परिवर्तन
    3. व्यक्ति द्वारा सामाजिक नियमों का पालन करना
    4. सामाजिक समूहों के बीच वैचारिक भिन्नता

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) किसी व्यक्ति या समूह के समाज में सामाजिक स्थिति (जैसे आय, व्यवसाय, शिक्षा, प्रतिष्ठा) में परिवर्तन को संदर्भित करती है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है, और अंतर्-पीढ़ी (intra-generational) या अंतर-पीढ़ी (inter-generational) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाज में खुलेपन और अवसरों के स्तर को दर्शाती है।
    • गलत विकल्प: (b) सामाजिक परिवर्तन (Social Change) एक व्यापक अवधारणा है। (c) सामाजिक नियमों का पालन सामाजिक नियंत्रण से संबंधित है। (d) यह वैचारिक भिन्नता है, स्थिति परिवर्तन नहीं।

    प्रश्न 23: “समुदाय” (Community) की अवधारणा को अक्सर ” gemeinschaft” के समानांतर देखा जाता है। समाजशास्त्र में, एक समुदाय की पहचान के मुख्य तत्व क्या हैं?

    1. औपचारिक नियम और अनुबंध
    2. अवैयक्तिक संबंध और स्वार्थ
    3. एक साझा भौगोलिक क्षेत्र, साझा पहचान, और सामूहिक भावना
    4. केवल आर्थिक सहयोग

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: एक समुदाय (Community) को अक्सर एक ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक साझा भौगोलिक क्षेत्र में निवास करता है, साझा पहचान, मूल्य और मानदंड रखता है, और उनमें एक “हम” की भावना (sense of belonging) विकसित होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: समुदाय घनिष्ठता और सहयोग पर आधारित होते हैं, जो उन्हें मात्र जनसंख्या समूह या “Gesellschaft” से अलग करता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) “Gesellschaft” या औपचारिक संगठनों की विशेषताएँ हैं। (d) आर्थिक सहयोग एक पहलू हो सकता है, लेकिन समुदाय की पूरी परिभाषा नहीं।

    प्रश्न 24: “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) में “गुणात्मक विधि” (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. जनसंख्या के एक बड़े समूह से संख्यात्मक डेटा एकत्र करना
    2. सामाजिक घटनाओं के पीछे छिपे अर्थों, व्याख्याओं और अनुभवों को गहराई से समझना
    3. वैज्ञानिक नियमों के अनुसार घटनाओं का मापन और भविष्यवाणी करना
    4. सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए चर (variables) के बीच संबंधों को स्थापित करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, केस स्टडी, नृवंशविज्ञान) सामाजिक घटनाओं की गहराई, बारीकियों और संदर्भ को समझने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। इनका लक्ष्य “क्यों” और “कैसे” का उत्तर खोजना है, न कि “कितना”।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विधि व्यक्तिपरक अनुभवों (subjective experiences) और सामाजिक दुनिया की व्याख्याओं को समझने में सहायक है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) मात्रात्मक विधियों (Quantitative Methods) के उद्देश्य हैं, जो संख्यात्मक डेटा और सांख्यिकीय विश्लेषण पर निर्भर करती हैं।

    प्रश्न 25: “संस्कृति” (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें निम्नलिखित में से क्या शामिल है?

    1. केवल कला और साहित्य
    2. समाज के सदस्यों द्वारा सीखी गई और साझा की गई ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएं और आदतें
    3. केवल भाषा और धर्म
    4. प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत विशेषताएँ

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: संस्कृति (Culture) मानव समाज का एक सीखा हुआ, साझा और प्रसारित होने वाला पहलू है। इसमें वे सभी चीजें शामिल हैं जो एक समाज के सदस्य अपने जीवन में उपयोग करते हैं, जिनमें भौतिक वस्तुएं (जैसे प्रौद्योगिकी, कला) और अभौतिक तत्व (जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा, मानदंड) दोनों शामिल हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: एडवर्ड टाइलर की परिभाषा (जैसा कि विकल्प (b) में दर्शाया गया है) संस्कृति की एक शास्त्रीय समाजशास्त्रीय समझ प्रदान करती है।
    • गलत विकल्प: (a) और (c) संस्कृति के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन पूरी संस्कृति नहीं। (d) व्यक्तिगत विशेषताएँ संस्कृति का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन संस्कृति व्यक्तिगत से परे एक सामाजिक निर्माण है।

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