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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी समझ को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी समझ को परखें!

तैयारी के इस सफ़र में, निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है! आज हम आपके लिए लेकर आए हैं समाजशास्त्र के 25 चुनिंदा प्रश्न, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को एक नई धार देंगे। कमर कस लें, क्योंकि यह बौद्धिक मैराथन आपकी तैयारी को अगले स्तर पर ले जाने वाली है!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘वर्ग-संघर्ष’ (class-struggle) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से सर्वप्रमुख रूप से जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने अपने वर्ग-संघर्ष के सिद्धांत में समाज को उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर दो मुख्य वर्गों – बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक) – में विभाजित किया। उनके अनुसार, इन दोनों वर्गों के हित विपरीत होने के कारण उनके बीच निरंतर संघर्ष चलता रहता है, जो सामाजिक परिवर्तन का मूल चालक है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की कालजयी रचना ‘दास कैपिटल’ और ‘कम्युनिस्ट मैनिफ़ेस्टो’ में विस्तार से विवेचित है। मार्क्सवाद का मूल आधार ही यही वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत है।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने वर्ग, प्रतिष्ठा (status) और शक्ति (party) को सामाजिक स्तरीकरण के विभिन्न आधार माना, न कि केवल वर्ग-संघर्ष पर बल दिया। एमिल दुर्खीम ने समाज को ‘एकीकरण’ (solidarity) के आधार पर समझने का प्रयास किया, विशेषकर यांत्रिक और सावैविक एकीकरण। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास को ‘सामाजिक डार्विनवाद’ के लेंस से देखा।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम द्वारा प्रस्तुत ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?

  1. सामाजिक नियमों का अभाव या कमजोर पड़ जाना, जिससे व्यक्ति के व्यवहार का मार्गदर्शन करने वाले मानदंडों में अनिश्चितता आ जाती है।
  2. किसी समूह का उसकी अपनी संस्कृति के आधार पर मूल्यांकन करना।
  3. समाज में व्याप्त उच्च स्तर का सामाजिक नियंत्रण।
  4. पारस्परिक निर्भरता पर आधारित श्रम विभाजन।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ को एक सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहाँ समाज के सदस्यों के व्यवहार को निर्देशित करने वाले मानक या नियम कमजोर हो जाते हैं या उनका अभाव होता है। यह विशेष रूप से तब होता है जब समाज में तेजी से परिवर्तन होता है या जब व्यक्तिगत आकांक्षाएं सामाजिक अपेक्षाओं से मेल नहीं खातीं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में आत्महत्या के कारणों में से एक के रूप में विस्तृत है। एनोमी व्यक्तिगत निराशा, अपराध और सामाजिक अव्यवस्था को जन्म दे सकती है।
  • गलत विकल्प: (b) ‘एथनोसेंट्रिज्म’ (Ethnocentrism) की परिभाषा है। (c) सामाजिक नियंत्रण एनोमी का विपरीत है। (d) यह दुर्खीम के ‘सावैविक एकीकरण’ (Organic Solidarity) का हिस्सा है, एनोमी का नहीं।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक है?

  1. ताल्कोट पार्सन्स
  2. जी. एच. मीड
  3. रॉबर्ट मर्टन
  4. सोरोकिन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जी. एच. मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति अपने सामाजिक परिवेश के साथ प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से अंतःक्रिया करके अपने ‘स्व’ (self) और समाज का निर्माण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड के विचारों को उनके छात्रों ने मरणोपरांत उनकी पुस्तक ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ (Mind, Self and Society) में संकलित किया। उन्होंने ‘आइक’ (I) और ‘मी’ (Me) जैसी अवधारणाओं से समझाया कि कैसे व्यक्ति सामाजिक अनुभवों से सीखता है।
  • गलत विकल्प: ताल्कोट पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) के प्रमुख विचारक हैं। रॉबर्ट मर्टन ने भी प्रकार्यवाद में योगदान दिया लेकिन उनका दृष्टिकोण अलग था। सोरोकिन एक रूसी-अमेरिकी समाजशास्त्री थे जिन्होंने सामाजिक स्तरीकरण और संस्कृति पर कार्य किया।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘बुद्धिवाद’ (Rationalization) का क्या अर्थ है?

  1. तर्कसंगत सोच और दक्षता के सिद्धांतों द्वारा सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों का आयोजन।
  2. पारंपरिक विश्वासों और प्रथाओं का महत्व बढ़ना।
  3. भावनाओं और व्यक्तिगत इच्छाओं का प्रभुत्व।
  4. समाज में अनियंत्रित और मनमाने व्यवहार का प्रसार।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: वेबर के लिए, बुद्धिवाद या प्रज्ञावाद वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज कुशलता, दक्षता, गणनात्मकता (calculability) और पूर्वानुमेयता (predictability) के सिद्धांतों पर आधारित हो जाता है। यह नौकरशाही (bureaucracy) के विकास और पारंपरिक, भावनात्मक या जादुई सोच के क्षरण की ओर ले जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इसे आधुनिक पश्चिमी समाज की एक केंद्रीय विशेषता माना, जिसका वर्णन उन्होंने ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) में भी किया है, जहाँ उन्होंने पूंजीवाद के उदय में प्रोटेस्टेंट नैतिकता की भूमिका बताई।
  • गलत विकल्प: (b) बुद्धिवाद पारंपरिक सोच को कम करता है। (c) और (d) बुद्धिवाद के विपरीत हैं, जो तर्क और व्यवस्था पर बल देता है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन द्वारा प्रस्तावित ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Theories of the Middle Range) का उदाहरण है?

  1. समाज का समग्र प्रकार्यात्मक विश्लेषण।
  2. आत्महत्या का समाजशास्त्रीय सिद्धांत।
  3. अभिजात वर्ग के सिद्धांत।
  4. जेल प्रणाली का प्रकार्यात्मक विश्लेषण।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ऐसे सिद्धांतों का प्रस्ताव दिया जो न तो अत्यंत सामान्य (जैसे समाज की व्यापक संरचना) और न ही अत्यंत विशिष्ट (जैसे किसी एक व्यक्ति का व्यवहार) थे, बल्कि मध्यम स्तर के थे। ‘आत्महत्या का समाजशास्त्रीय सिद्धांत’, जिसमें एनोमी और आत्महत्या के विभिन्न प्रकार शामिल हैं, इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन का मानना था कि व्यापक सिद्धांत (grand theory) अनुभवजन्य अनुसंधान से बहुत दूर थे, जबकि बहुत संकीर्ण सिद्धांत सामान्यीकरण में मदद नहीं करते थे। उन्होंने ‘स्पष्ट प्रकार्य’ (manifest functions) और ‘प्रसुप्त प्रकार्य’ (latent functions) जैसी अवधारणाएँ भी प्रस्तुत कीं।
  • गलत विकल्प: (a) यह एक व्यापक सिद्धांत का उदाहरण है। (c) अभिजात वर्ग के सिद्धांत (जैसे मोस्का, पैरेटो) भी व्यापक सैद्धांतिक ढांचे से जुड़े हैं। (d) जेल प्रणाली का विश्लेषण यदि बहुत सामान्य तरीके से किया जाए तो यह व्यापक हो सकता है; मर्टन के मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत अधिक विशिष्ट, अनुभवजन्य रूप से जांच योग्य होते थे।

प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?

  1. भारतीय समाज में पश्चिमी संस्कृति को अपनाना।
  2. उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को निम्न जातियों द्वारा अपनाना ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठा सकें।
  3. शहरीकरण के कारण सामाजिक संरचना में परिवर्तन।
  4. तकनीकी प्रगति के कारण समाज में होने वाला परिवर्तन।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द गढ़ा, जो भारत में जाति व्यवस्था के भीतर होने वाली सामाजिक गतिशीलता की एक प्रक्रिया है। इसमें निम्न या मध्यम जातियों द्वारा उच्च, विशेषकर ‘द्विजों’ (twice-born) की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, पूजा पद्धतियों और सामाजिक व्यवहार को अपनाना शामिल है, ताकि वे जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति सुधार सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। संस्कृतिकरण एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जो संरचनात्मक गतिशीलता से भिन्न हो सकती है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की परिभाषा है। (c) ‘शहरीकरण’ (Urbanization) का परिणाम है, प्रक्रिया नहीं। (d) ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) का दायरा बड़ा है।

प्रश्न 7: भारतीय समाजशास्त्रीय चिंतन में ‘वर्चस्वशाली जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. इरावती कर्वे
  2. गोविंद सदाशिव घुरिये
  3. एम.एन. श्रीनिवास
  4. योगेन्द्र सिंह

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय गांवों के अपने अध्ययन के आधार पर ‘वर्चस्वशाली जाति’ की अवधारणा विकसित की। उनके अनुसार, एक गाँव में वर्चस्वशाली जाति वह होती है जो गाँव की भूमि और संसाधनों पर एकाधिकार रखती है, जिसकी संख्या अधिक होती है, और जो आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उन्हें भारतीय ग्राम संरचना की गतिशीलता को समझने में मदद करती थी। यह जाति के केवल धार्मिक या अनुष्ठानिक पहलुओं के बजाय उसके सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है।
  • गलत विकल्प: इरावती कर्वे ने नातेदारी (kinship) पर काम किया। घुरिये ने जाति, जनजाति और आधुनिकता पर लिखा। योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज में परिवर्तन और आधुनिकीकरण पर कार्य किया।

प्रश्न 8: सामाजिक संरचना (Social Structure) से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?

  1. यह केवल सामाजिक अंतःक्रियाओं का योग है।
  2. यह समाज के सदस्यों के बीच अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी सामाजिक संबंधों, संस्थाओं और पदानुक्रमों को संदर्भित करता है।
  3. यह पूरी तरह से व्यक्ति के मनोविज्ञान पर निर्भर करता है।
  4. यह हमेशा गतिशील और अस्थिर होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक संरचना एक अमूर्त अवधारणा है जो समाज के विभिन्न भागों (जैसे संस्थाएँ, समूह, वर्ग) के बीच अपेक्षाकृत स्थायी और व्यवस्थित संबंधों को दर्शाती है। यह सामाजिक व्यवस्था और निरंतरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना को समाज के कार्यप्रणाली को समझने के लिए केंद्रीय माना। संरचना हमारे व्यवहार को प्रभावित करती है और समाज को व्यवस्थित रखती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह अंतःक्रियाओं से परे, संबंधों की पैटर्न है। (c) यह व्यक्ति से ऊपर एक सामाजिक वास्तविकता है। (d) इसमें स्थिरता का तत्व होता है, हालांकि यह परिवर्तित हो सकती है।

प्रश्न 9: ‘सामूहिकता’ (Collectivism) की अवधारणा, जिसके अनुसार सामाजिक समूह व्यक्तियों से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से मेल खाती है?

  1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  2. अस्तित्ववाद
  3. संरचनात्मक प्रकार्यवाद
  4. व्यक्तिवाद

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: संरचनात्मक प्रकार्यवाद, विशेष रूप से पार्सन्स के काम में, समाज को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में देखता है जहाँ प्रत्येक संस्था और उप-प्रणाली (जैसे परिवार, शिक्षा) का समाज के समग्र अस्तित्व और स्थिरता के लिए एक प्रकार्यात्मक भूमिका होती है। यह व्यक्तिगत भूमिकाओं से अधिक सामाजिक संरचना और उसके कार्यों पर बल देता है, जो एक प्रकार की सामूहिकता को दर्शाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का AGIL मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) समाज की प्रणालीगत आवश्यकताओं पर प्रकाश डालता है, जहाँ ‘एकीकरण’ (Integration) विशेष रूप से समूह के सामंजस्य और स्थिरता पर केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: (a) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति-केंद्रित है, जो प्रतीकों के माध्यम से अंतःक्रिया से समाज का निर्माण करता है। (b) अस्तित्ववाद व्यक्ति के व्यक्तिगत अनुभव और स्वतंत्रता पर बल देता है। (d) व्यक्तिवाद सीधे तौर पर सामूहिकता के विपरीत है।

प्रश्न 10: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की निम्नलिखित में से कौन सी मुख्य विशेषता है?

  1. जन्म पर आधारित व्यावसायिक स्वतंत्रता।
  2. जातियों के बीच सामाजिक संपर्क की पूर्ण स्वतंत्रता।
  3. अंतर्विवाह (Endogamy) और पेशागत विशिष्टता (Occupational Specialization)।
  4. जाति की सदस्यता में परिवर्तन की आसानी।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जाति व्यवस्था की दो सबसे प्रमुख विशेषताएँ अंतर्विवाह (यानी, व्यक्ति अपनी ही जाति के भीतर विवाह करता है) और पेशागत विशिष्टता (यानी, जाति का संबंध किसी विशेष पारंपरिक व्यवसाय से होता है) हैं। ये विशेषताएँ जाति को एक कठोर सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली बनाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जी.एस. घुरिये, एम.एन. श्रीनिवास और इरावती कर्वे जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति की इन और अन्य विशेषताओं (जैसे पदानुक्रम, पेशा, खान-पान के नियम) पर विस्तार से लिखा है।
  • गलत विकल्प: (a) जाति में पेशा आमतौर पर जन्म से निर्धारित होता है, न कि स्वतंत्रता से चुना जाता है। (b) जाति व्यवस्था सामाजिक संपर्क को प्रतिबंधित करती है। (d) जाति की सदस्यता जन्म से तय होती है और इसे बदलना अत्यंत कठिन है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था (Social Institution) व्यक्तिगत संबंधों के बजाय ‘समाज के पुनरुत्पादन’ (reproduction of society) पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है?

  1. परिवार
  2. शिक्षा
  3. धर्म
  4. राजनीति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: शिक्षा प्रणाली, हालांकि व्यक्तिगत विकास में योगदान करती है, मुख्य रूप से समाज के मूल्यों, ज्ञान, कौशल और मानदंडों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य करती है। इस प्रकार, यह समाज के पुनरुत्पादन और निरंतरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, शिक्षा को सामाजिकरण (socialization) के एक प्रमुख अभिकर्ता (agent) के रूप में देखा जाता है, जो व्यक्तियों को समाज में उनकी भूमिकाओं के लिए तैयार करता है।
  • गलत विकल्प: परिवार भी पुनरुत्पादन में भूमिका निभाता है, लेकिन शिक्षा का यह कार्य अधिक संस्थागत और व्यापक है। धर्म और राजनीति के अपने अलग-अलग मुख्य कार्य होते हैं, हालाँकि वे भी अप्रत्यक्ष रूप से समाज के पुनरुत्पादन में योगदान कर सकते हैं।

प्रश्न 12: इरावती कर्वे ने किस पुस्तक में भारतीय नातेदारी (Kinship) व्यवस्था का विस्तृत तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया?

  1. Religion and Society Among the Coorgs of South India
  2. The Untouchables
  3. Kinship Organisation in India
  4. Caste and Race in India

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: इरावती कर्वे की प्रसिद्ध पुस्तक ‘Kinship Organisation in India’ (1958) भारतीय समाज में नातेदारी की संरचनाओं, नियमों और संबंधों का एक मौलिक और विस्तृत तुलनात्मक अध्ययन है, जो विभिन्न क्षेत्रीय और सांस्कृतिक संदर्भों को समाहित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कर्वे ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मातृवंशीय (matrilineal) और पितृवंशीय (patrilineal) प्रणालियों, विवाह नियमों और पारिवारिक संरचनाओं की तुलना की, जिससे भारतीय समाज की जटिलताओं को समझने में मदद मिली।
  • गलत विकल्प: (a) यह एम.एन. श्रीनिवास की पुस्तक है। (b) यह डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की पुस्तक है। (d) यह जी.एस. घुरिये की पुस्तक है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्रीय शोध की ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का उदाहरण है?

  1. सांख्यिकीय विश्लेषण
  2. सर्वेक्षण (Survey)
  3. भागवत अवलोकन (Participant Observation)
  4. प्रायोगिक विधि (Experimental Method)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भागवत अवलोकन एक गुणात्मक शोध विधि है जिसमें शोधकर्ता स्वयं उस समूह का सदस्य बनकर या उसके बीच रहकर उसके व्यवहार, संस्कृति और सामाजिक अंतःक्रियाओं का प्रत्यक्ष अनुभव करता है और उनका अध्ययन करता है। इससे गहरी, वर्णनात्मक समझ प्राप्त होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि मानवशास्त्रीय और समाजशास्त्रीय अध्ययनों में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है, जैसे कि किसी विशेष समुदाय की जीवन शैली या व्यवहार पैटर्न को समझना।
  • गलत विकल्प: (a) सांख्यिकीय विश्लेषण मात्रात्मक शोध का हिस्सा है। (b) सर्वेक्षण में आमतौर पर संरचित प्रश्नावली का उपयोग करके संख्यात्मक डेटा एकत्र किया जाता है, जो मात्रात्मक है। (d) प्रायोगिक विधि में चरों (variables) को नियंत्रित करके कारण-प्रभाव संबंध स्थापित किए जाते हैं, जो मात्रात्मक होता है।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) से संबंधित ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के अनुसार, परिवर्तन का मुख्य चालक क्या है?

  1. समाज के विभिन्न भागों के बीच सामंजस्य और एकीकरण।
  2. विचारों और मूल्यों में प्रगतिशील विकास।
  3. समूहों के बीच शक्ति, संसाधनों और हितों के लिए संघर्ष।
  4. जनसंख्या वृद्धि और तकनीकी नवाचार।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: संघर्ष सिद्धांत, विशेष रूप से मार्क्सवादी परंपरा में, मानता है कि समाज में विभिन्न हितों वाले समूहों के बीच शक्ति, संसाधनों और प्रभुत्व के लिए निरंतर संघर्ष होता है। यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख प्रेरक बल है।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स ने वर्ग-संघर्ष को समाज के परिवर्तन का मूल कारण बताया। बाद में, अन्य समाजशास्त्रियों जैसे मैक्स वेबर ने भी शक्ति, प्रतिष्ठा और राजनीतिक संघर्षों को सामाजिक परिवर्तन के महत्वपूर्ण कारक माना।
  • गलत विकल्प: (a) यह प्रकार्यवाद (Functionalism) का दृष्टिकोण है। (b) यह विकासवादी (Evolutionary) दृष्टिकोण से अधिक मेल खाता है। (d) ये परिवर्तन के कारक हो सकते हैं, लेकिन संघर्ष सिद्धांत के अनुसार संघर्ष अधिक मौलिक है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) का प्रकार नहीं है?

  1. एकल परिवार (Nuclear Family)
  2. संयुक्त परिवार (Joint Family)
  3. विस्तारित परिवार (Extended Family)
  4. आदिम परिवार (Primitive Family)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘आदिम परिवार’ (Primitive Family) को एक विशिष्ट प्रकार की पारिवारिक संरचना के रूप में समाजशास्त्र में मान्यता प्राप्त नहीं है। यह शब्द अक्सर विकासवादी सिद्धांतों से जुड़ा होता है जो अब विवादास्पद माने जाते हैं। एकल, संयुक्त और विस्तारित परिवार पारिवारिक संरचनाओं के सामान्य रूप से स्वीकृत प्रकार हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एकल परिवार में माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे होते हैं। संयुक्त परिवार में कई पीढ़ियों के सदस्य एक साथ रहते हैं। विस्तारित परिवार में एकल परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य रिश्तेदार (जैसे चाचा, चाची, दादा-दादी) भी शामिल हो सकते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी पारिवारिक संरचनाओं के मान्यता प्राप्त प्रकार हैं।

प्रश्न 16: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तियों के बीच सामाजिक संबंधों का जाल।
  2. समाज में व्यक्तियों और समूहों को उनकी शक्ति, संपत्ति और प्रतिष्ठा के आधार पर एक पदानुक्रमित क्रम में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया।
  3. समाज में सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का प्रसार।
  4. सामाजिक समूहों के बीच सहयोग की प्रक्रिया।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण समाज में असमानता का एक व्यवस्थित स्वरूप है, जहाँ समाज के सदस्यों को उनकी सामाजिक स्थिति के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित किया जाता है। ये स्तर अक्सर धन, शक्ति, विशेषाधिकारों और सामाजिक प्रतिष्ठा में भिन्न होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति, वर्ग, लिंग और नस्ल सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधार हो सकते हैं। डेविस और मूर जैसे समाजशास्त्रियों ने कार्यात्मक दृष्टिकोण से स्तरीकरण को समाज के लिए आवश्यक माना।
  • गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक संरचना या सामाजिक नेटवर्क का वर्णन करता है। (c) यह सामाजिकरण या सांस्कृतिक प्रसार है। (d) यह सहयोग है, स्तरीकरण नहीं।

प्रश्न 17: ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) की प्रणाली को मैक्स वेबर ने किस घटना से जोड़ा?

  1. मध्यकालीन सामंतवाद का पुनरुद्धार।
  2. प्रोटेस्टेंट नैतिकता (Protestant Ethic) का उदय।
  3. महानगरीय जीवन का प्रसार।
  4. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ में यह तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म, विशेष रूप से केल्विनवाद, ने एक विशेष प्रकार की नैतिकता (जैसे कड़ी मेहनत, मितव्ययिता, व्यक्तिगत उत्तरदायित्व) को बढ़ावा दिया, जिसने आधुनिक पूंजीवाद के उदय और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि यह “आत्मा” (spirit) या अभिवृत्ति (attitude) जिसने धन के संचय को ईश्वरीय कार्य का संकेत माना, पूंजीवादी उद्यम को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक थी।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) पूंजीवाद के विकास से उतने सीधे तौर पर संबंधित नहीं हैं जितने कि वेबर के अनुसार प्रोटेस्टेंट नैतिकता।

प्रश्न 18: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह केवल पश्चिमीकरण का एक रूप है।
  2. यह एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार और धर्मनिरपेक्षता शामिल है।
  3. यह भारत की पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं को पूरी तरह से समाप्त कर देता है।
  4. यह केवल राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन तक सीमित है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: आधुनिकीकरण एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जो समाज के विभिन्न पहलुओं में परिवर्तन लाती है, जैसे अर्थव्यवस्था (औद्योगिकीकरण), जनसांख्यिकी (शहरीकरण), ज्ञान (शिक्षा का प्रसार), और सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्य (धर्मनिरपेक्षता)। यह पश्चिमीकरण से व्यापक है, हालाँकि उसमें कुछ समानताएं हो सकती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास, योगेन्द्र सिंह और टी.के. उन्नीथन जैसे समाजशास्त्रियों ने भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया है, यह बताते हुए कि कैसे पारंपरिक और आधुनिक तत्व एक साथ मौजूद रहते हैं और परस्पर क्रिया करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह पश्चिमीकरण से व्यापक है। (c) यह पारंपरिक संरचनाओं को पूरी तरह समाप्त नहीं करता, बल्कि उन्हें परिवर्तित कर सकता है। (d) यह केवल राजनीतिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

  1. लोगों का एक-दूसरे के साथ बातचीत करने का तरीका।
  2. समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना।
  3. समाज के विभिन्न समूहों के बीच सहयोग।
  4. समाज में प्रचलित सामाजिक नियम और कानून।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता उन प्रक्रियाओं को संदर्भित करती है जिनके माध्यम से व्यक्ति या समूह एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाते हैं, चाहे वह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) हो या क्षैतिज (समान स्तर पर)। यह किसी समाज की खुलीपन या बंदपन को दर्शाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में धन, शक्ति या प्रतिष्ठा में वृद्धि या कमी शामिल है। क्षैतिज गतिशीलता में एक पद से दूसरे पद पर जाना शामिल है जो समान सामाजिक स्तर पर हो (जैसे शिक्षक से प्रोफेसर बनना)।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक अंतःक्रिया है। (c) सहयोग है। (d) सामाजिक संरचना का हिस्सा है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘समाज के एकीकरण’ (social integration) से सबसे अधिक संबंधित है?

  1. विभेदन (Differentiation)
  2. सामूहिकता (Collectivism)
  3. एकीकरण (Integration)
  4. अस्थिरता (Instability)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘एकीकरण’ (Integration) वह प्रक्रिया या स्थिति है जिसके द्वारा समाज के विभिन्न अंग या सदस्य एक साथ मिलकर एक संपूर्ण या व्यवस्था बनाते हैं। यह समाज में सामंजस्य, एकता और स्थिरता बनाए रखने से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम ने ‘एकीकरण’ की अवधारणा को सामाजिक एकजुटता (social solidarity) के साथ जोड़ा, विशेषकर यांत्रिक और सावैविक एकीकरण में। ताल्कोट पार्सन्स ने भी इसे समाज की एक प्रमुख प्रकार्यात्मक आवश्यकता माना।
  • गलत विकल्प: (a) विभेदन (Differentiation) समाज के विभिन्न भागों के विशेषज्ञता को दर्शाता है, जो एकीकरण के साथ मिलकर काम कर सकता है, लेकिन यह स्वयं एकीकरण नहीं है। (b) सामूहिकता एक विचार हो सकता है, एकीकरण एक प्रक्रिया है। (d) अस्थिरता एकीकरण के विपरीत है।

प्रश्न 21: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  1. कृषि पर निर्भरता में वृद्धि।
  2. पारंपरिक शिल्पों का पुनरुद्धार।
  3. शहरीकरण, श्रमिक वर्ग का उदय और सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि।
  4. सामुदायिक और परिवारिक संबंधों में मजबूती।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर उत्पादन, मशीनीकरण और कारखानों पर निर्भरता को बढ़ाता है। इसके परिणामस्वरूप लोग रोजगार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन करते हैं (शहरीकरण), एक नया श्रमिक वर्ग (proletariat) उभरता है, और पारंपरिक सामाजिक बाधाओं के कमजोर पड़ने से सामाजिक गतिशीलता के अवसर बढ़ते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर, एमिल दुर्खीम और कार्ल मार्क्स जैसे कई समाजशास्त्रियों ने औद्योगीकरण के सामाजिक प्रभावों का गहन विश्लेषण किया है।
  • गलत विकल्प: (a) औद्योगीकरण कृषि पर निर्भरता कम करता है। (b) यह पारंपरिक शिल्पों को अक्सर विस्थापित करता है। (d) यह अक्सर पारंपरिक सामुदायिक और परिवारिक संबंधों को कमजोर करता है, उन्हें नए शहरी और औद्योगिक संबंधों से बदलता है।

प्रश्न 22: ‘सार्वभौमिकता’ (Universality) की अवधारणा, जो समाजशास्त्रीय अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है, का क्या अर्थ है?

  1. समाज के केवल कुछ विशिष्ट समूहों पर ध्यान केंद्रित करना।
  2. अध्ययन के निष्कर्षों को विभिन्न समाजों या परिस्थितियों पर लागू करने की क्षमता।
  3. व्यक्तिगत अनुभवों को अत्यधिक महत्व देना।
  4. सांस्कृतिक सापेक्षवाद (cultural relativism) को स्वीकार करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: समाजशास्त्र में सार्वभौमिकता का अर्थ है कि यदि किसी सिद्धांत या निष्कर्ष की वैधता अनुभवजन्य रूप से सिद्ध हो जाती है, तो उसे उन सभी समाजों या परिस्थितियों पर लागू किया जा सकता है जहाँ समान स्थितियाँ विद्यमान हों। यह सामान्यीकरण (generalization) की क्षमता से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र का लक्ष्य केवल विशेष घटनाओं का वर्णन करना नहीं है, बल्कि व्यापक पैटर्न और सिद्धांतों की पहचान करना है जो विभिन्न सामाजिक संदर्भों में मान्य हों।
  • गलत विकल्प: (a) यह विशिष्टता (particularism) है। (c) यह व्यक्तिवाद है। (d) सांस्कृतिक सापेक्षवाद यह मानता है कि प्रत्येक संस्कृति का मूल्यांकन उसके अपने मानकों के आधार पर किया जाना चाहिए, जो सार्वभौमिकता से भिन्न है।

  • प्रश्न 23: पश्चिमी समाजों में, ‘व्यक्तिवाद’ (Individualism) की प्रधानता के कारण निम्नलिखित में से किस पर अधिक बल दिया जाता है?

    1. सामूहिक कल्याण और सामुदायिक हित।
    2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता, स्वायत्तता और आत्म-अभिव्यक्ति।
    3. परंपरा और रूढ़िवादी मूल्य।
    4. सामाजिक पदानुक्रम और जन्म-आधारित अधिकार।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: व्यक्तिवाद एक ऐसा सामाजिक और दार्शनिक दृष्टिकोण है जो व्यक्ति को समाज या राज्य से अधिक महत्वपूर्ण मानता है। यह व्यक्तिगत अधिकारों, स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और आत्म-अभिव्यक्ति को प्राथमिकता देता है। पश्चिमी समाजों में इसका ऐतिहासिक रूप से गहरा प्रभाव रहा है।
    • संदर्भ और विस्तार: ज्ञानोदय (Enlightenment) के विचारकों, जैसे जॉन लॉक और जीन-जैक्स रूसो, ने व्यक्तिवाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • गलत विकल्प: (a) यह व्यक्तिवाद का विपरीत है। (c) और (d) अक्सर उन समाजों में अधिक प्रमुख होते हैं जहाँ व्यक्तिवाद की तुलना में सामूहिकता या परंपरा को अधिक महत्व दिया जाता है।

    प्रश्न 24: ‘अभिजात वर्ग के सिद्धांत’ (Theory of Elite) के अनुसार, समाज पर किसका शासन होता है?

    1. आम जनता का बहुमत।
    2. कुछ चुनिंदा, शक्तिशाली और विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों या समूहों का एक छोटा सा समूह।
    3. पूरी तरह से नौकरशाही का नियंत्रण।
    4. धार्मिक नेताओं का एक समूह।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: अभिजात वर्ग सिद्धांत (जैसे विलफ्रेडो पैरेटो, गेतानो मोस्का, सी. राइट मिल्स के विचार) का तर्क है कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक छोटा, संगठित और कुशल अल्पसंख्यक (अभिजात वर्ग) होता है जो शक्ति, संसाधनों और निर्णयों पर एकाधिकार रखता है।
    • संदर्भ और विस्तार: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘The Power Elite’ में अमेरिकी समाज के संबंध में सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक अभिजात वर्ग के बीच गठजोड़ का विश्लेषण किया।
    • गलत विकल्प: (a) यह लोकतंत्र का आदर्श है, लेकिन अभिजात वर्ग सिद्धांत इसे चुनौती देता है। (c) नौकरशाही अभिजात वर्ग का एक हिस्सा हो सकती है, लेकिन सिद्धांत इससे कहीं अधिक व्यापक है। (d) धार्मिक नेता भी अभिजात वर्ग का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन यह सिद्धांत का मुख्य आधार नहीं है।

    प्रश्न 25: ‘सामाजिक मानदंड’ (Social Norms) से आप क्या समझते हैं?

    1. समाज में व्यक्ति की स्थिति या पद।
    2. समाज में स्वीकार्य या अस्वीकार्य व्यवहार के बारे में सामान्य नियम या अपेक्षाएँ।
    3. समाज में शक्ति का वितरण।
    4. समाज के विभिन्न भागों के बीच संबंध।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक मानदंड समाज में निर्धारित नियम होते हैं जो यह बताते हैं कि किसी विशेष सामाजिक स्थिति में व्यक्ति को कैसा व्यवहार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। ये किसी भी सामाजिक समूह या समाज के सदस्यों द्वारा साझा की जाने वाली अपेक्षित व्यवहार पैटर्न हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: मानदंड लिखित (कानून) या अलिखित (शिष्टाचार, रीति-रिवाज) हो सकते हैं। इनका उल्लंघन करने पर सामाजिक दंड (जैसे आलोचना, बहिष्कार) मिल सकता है। ये सामाजिक नियंत्रण के महत्वपूर्ण साधन हैं।
    • गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक स्थिति (social status) है। (c) यह शक्ति संरचना है। (d) यह सामाजिक संरचना या संबंध है।

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