समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी वैचारिक पकड़ को मज़बूत करें!
तैयारी के मैदान में एक और दिन, एक और मौका अपनी समाजशास्त्रीय समझ को पैना करने का! क्या आप अपने मुख्य समाजशास्त्रीय सिद्धांतों, विचारकों और अवधारणाओं को लेकर आश्वस्त हैं? आइए, आज के 25 प्रश्नों के साथ अपनी क्षमता का परीक्षण करें और अपनी परीक्षा की तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (social facts) की अवधारणा का प्रतिपादन किस समाजशास्त्री ने किया था?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्प्टे
- इमाइल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने अपनी कृति “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा का प्रतिपादन किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति से बाहर होते हैं, बाह्य दबाव डालते हैं, और उन्हें सामाजिक अध्ययन का मुख्य विषय माना जाना चाहिए। ये विचार, व्यवहार और भावनाएँ हैं जो व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालती हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष और वर्ग चेतना पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या आत्मपरक समझ पर जोर दिया। ऑगस्ट कॉम्प्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उन्होंने ‘सामाजिक स्थायित्व’ और ‘सामाजिक प्रगति’ जैसे विचार दिए।
प्रश्न 2: “एमोमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और व्यक्तिगत दिशाहीनता की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- टैल्कॉट पार्सन्स
- रॉबर्ट किंग मर्टन
- इमाइल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने “आत्महत्या” (Suicide) नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में ‘एमोमी’ की अवधारणा को विकसित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने बताया कि जब समाज के सामूहिक चेतना (collective consciousness) कमजोर पड़ जाती है और सामाजिक नियम (social norms) अस्पष्ट या अनुपस्थित हो जाते हैं, तब व्यक्ति एमोमी का अनुभव करता है।
- गलत विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘सिम्बॉलिक इंटरेक्शनिज्म’ (Symbolic Interactionism) और ‘सेल्फ’ (Self) की अवधारणा पर काम किया। टैल्कॉट पार्सन्स ने ‘स्ट्रक्चरल फंक्शनलिज्म’ (Structural Functionalism) में योगदान दिया। रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘एमोमी’ को अपने ‘अनुकूलित व्यवहार’ (modes of adaptation) के सिद्धांत में विस्तार दिया, लेकिन मूल अवधारणा दुर्खीम की है।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर द्वारा प्रस्तुत “आदर्श प्ररूप” (Ideal Type) का उद्देश्य क्या है?
- सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखना
- सामाजिक यथार्थ का सरलीकरण और विश्लेषण करना
- वर्ग संघर्ष को बढ़ाना
- धर्म के प्रसार को रोकना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर के अनुसार, आदर्श प्ररूप (Ideal Type) एक वैचारिक उपकरण है जो जटिल सामाजिक यथार्थ को समझने और विश्लेषण करने के लिए बनाया जाता है। यह किसी घटना की पूर्णत: वास्तविक तस्वीर नहीं, बल्कि उसकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं का अत्यधिक सुव्यवस्थित और अमूर्त निरूपण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (bureaucracy), पूंजीवाद (capitalism) आदि के आदर्श प्ररूप प्रस्तुत किए। यह समाजशास्त्रियों को वास्तविक दुनिया की घटनाओं की तुलना करने के लिए एक मानक प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: यह सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने, वर्ग संघर्ष बढ़ाने या धर्म के प्रसार को रोकने के लिए नहीं है, बल्कि यह एक विश्लेषणात्मक उपकरण है।
प्रश्न 4: भारतीय समाज में “जाति” (Caste) व्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता इसकी पहचान नहीं है?
- जन्म पर आधारित सदस्यता
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- पेशा की रैखिकता
- सामाजिक गतिशीलता की पूर्ण स्वतंत्रता
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: जाति व्यवस्था अपनी कठोर संरचना के कारण सामाजिक गतिशीलता को अत्यंत सीमित करती है। व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, उसी में रहता है और उसकी गतिशीलता जन्म से निर्धारित होती है। इसलिए, सामाजिक गतिशीलता की पूर्ण स्वतंत्रता जाति व्यवस्था की विशेषता नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है, अंतर्विवाह (अपनी ही जाति में विवाह) का सख्ती से पालन करती है, और पारंपरिक रूप से विभिन्न जातियों से विशिष्ट पेशे जुड़े होते थे।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी जाति व्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 5: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है?
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- हरबर्ट ब्लूमर
- अल्फ्रेड शुट्ज़
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत “संस.क्.कृतिकरण” (Sanskritization) की अवधारणा का अर्थ क्या है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
- निचली जातियों द्वारा उच्च जातियों की रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का अनुकरण करके सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाना
- आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने “संस.क्.कृतिकरण” को ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जिसमें निचली जातियों या जनजातियों के लोग उच्च, विशेषकर द्विज जातियों की जीवनशैली, अनुष्ठान, रीति-रिवाज, कर्मकांड और विचार को अपनाते हैं ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार कर सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण है, (b) शहरीकरण या आधुनिकीकरण से संबंधित है, और (d) आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना है, न कि संस्.क्.कृतिकरण।
प्रश्न 7: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य सामाजिक विभाजन किस आधार पर होता है?
- धर्म
- जाति
- उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
- शिक्षा का स्तर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ (Bourgeoisie), जो उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि) के मालिक हैं, और सर्वहारा (Proletariat), जो अपनी श्रम शक्ति बेचकर जीवित रहते हैं। यह विभाजन उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के लिए, यह वर्ग विभाजन ही समाज के संघर्ष और ऐतिहासिक परिवर्तन का मूल कारण है।
- गलत विकल्प: जबकि धर्म, जाति और शिक्षा समाज में भूमिका निभाते हैं, मार्क्स के विश्लेषण में वर्ग विभाजन का प्राथमिक आधार उत्पादन के साधन थे।
प्रश्न 8: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का तात्पर्य है:
- समाज में व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध
- समाज को विभिन्न स्तरों या स्तरीकृत समूहों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया
- सामाजिक मानदंडों का समूह
- समाजशास्त्रीय अनुसंधान की विधियाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण एक सार्वभौमिक सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें समाज के सदस्यों को उनकी स्थिति, शक्ति, विशेषाधिकार और संसाधनों के आधार पर पदानुक्रमित समूहों या स्तरों में व्यवस्थित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति, वर्ग, लिंग, आयु आदि स्तरीकरण के आधार हो सकते हैं। यह एक संरचनात्मक विशेषता है जो समाज में असमानता पैदा करती है।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत संबंधों से संबंधित है, (c) सामाजिक मानदंडों का वर्णन करता है, और (d) अनुसंधान विधियों से संबंधित है।
प्रश्न 9: इर्विंग गॉफमैन ने किस अवधारणा का उपयोग करके व्यक्ति के सामाजिक जीवन को रंगमंच के प्रदर्शन के रूप में समझाया?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संघर्ष सिद्धांत
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- नाटकीयता विश्लेषण (Dramaturgical Analysis)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक “The Presentation of Self in Everyday Life” में “नाटकीयता विश्लेषण” (Dramaturgical Analysis) की अवधारणा प्रस्तुत की।
- संदर्भ और विस्तार: इसके अनुसार, व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में विभिन्न “मंचों” (front stage, back stage) पर “अभिनय” करते हैं, जहाँ वे दूसरों पर एक विशेष “प्रभाव” (impression) डालना चाहते हैं। वे अपनी भूमिकाएँ निभाते हैं जैसे कि वे अभिनेता हों।
- गलत विकल्प: (a) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, (b) संघर्ष सिद्धांत और (c) संरचनात्मक प्रकार्यवाद, समाज को समझने के अन्य महत्वपूर्ण सैद्धांतिक दृष्टिकोण हैं, लेकिन गॉफमैन का मुख्य विश्लेषण नाटकीयता विश्लेषण पर आधारित था।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था परिवार से संबंधित नहीं है?
- विवाह
- उत्तराधिकार
- लाइसेंसिंग
- पालकत्व
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: लाइसेंसिंग (जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, व्यापार लाइसेंस) एक कानूनी या प्रशासनिक प्रक्रिया है और सीधे तौर पर परिवार की प्राथमिक कार्यात्मकताओं या संरचनाओं से संबंधित नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: विवाह, उत्तराधिकार (संपत्ति का हस्तांतरण) और पालकत्व (बच्चों की देखभाल) परिवार के मुख्य कार्य और संरचनात्मक तत्व हैं, जो प्रजनन, समाजीकरण, आर्थिक सहायता और भावनात्मक समर्थन जैसे कार्यों से जुड़े हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी परिवार से घनिष्ठ रूप से संबंधित संस्थाएँ या प्रक्रियाएँ हैं।
प्रश्न 11: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, “प्रश्नावली” (Questionnaire) का उपयोग मुख्य रूप से किस डेटा संग्रह विधि के साथ किया जाता है?
- अवलोकन (Observation)
- साक्षात्कार (Interview)
- सर्वेक्षण (Survey)
- दस्तावेज़ विश्लेषण (Document Analysis)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: प्रश्नावली का उपयोग मुख्य रूप से सर्वेक्षण अनुसंधान (Survey Research) में बड़े पैमाने पर डेटा एकत्र करने के लिए किया जाता है। इसमें संरचित या अर्ध-संरचित प्रश्न होते हैं जिनका उत्तर उत्तरदाता स्वयं भरता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रश्नावली को सीधे उत्तरदाताओं को वितरित किया जा सकता है, डाक से भेजा जा सकता है, या ऑनलाइन भरा जा सकता है। यह मात्रात्मक डेटा (quantitative data) प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है।
- गलत विकल्प: अवलोकन में शोधकर्ता सीधे व्यवहारों को देखता है। साक्षात्कार में शोधकर्ता सीधे प्रश्न पूछता है। दस्तावेज़ विश्लेषण मौजूदा दस्तावेज़ों का अध्ययन करता है।
प्रश्न 12: “सामाजीकरण” (Socialization) की प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति क्या सीखता है?
- केवल अपने व्यक्तिगत लक्ष्य
- समाज के मूल्य, मानदंड, विश्वास और व्यवहार
- अपने स्वयं के जन्मजात कौशल
- समाज से अलगाव के तरीके
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सामाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति समाज का सदस्य बनता है, वह समाज के स्वीकृत मूल्यों, मानदंडों, विश्वासों, ज्ञान और व्यवहारों को सीखता और आत्मसात करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जो प्राथमिक (परिवार) और द्वितीयक (स्कूल, मीडिया, सहकर्मी समूह) समाजीकरण एजेंटों के माध्यम से होती है।
- गलत विकल्प: सामाजीकरण व्यक्तिगत लक्ष्यों, जन्मजात कौशलों या अलगाव के बजाय समाज के अनुकूल होने पर केंद्रित है।
प्रश्न 13: भारतीय समाज में “आश्रम व्यवस्था” (Ashrama System) जीवन के किस पहलू से संबंधित है?
- आर्थिक नियोजन
- राजनीतिक संरचना
- जीवन के विभिन्न चरणों में कर्तव्य और उद्देश्य
- विवाह की विधियाँ
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: भारतीय परंपरा के अनुसार, आश्रम व्यवस्था जीवन को चार चरणों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास) में विभाजित करती है, जिसमें प्रत्येक चरण में व्यक्ति के कर्तव्य, उद्देश्य और जीवन जीने के तरीके को परिभाषित किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था सामाजिक व्यवस्था और व्यक्तिगत विकास दोनों को सुनिश्चित करने का एक प्रयास थी।
- गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर आर्थिक नियोजन, राजनीतिक संरचना या विवाह की विधियों से संबंधित नहीं है, बल्कि जीवन के आध्यात्मिक और सामाजिक कर्तव्यों के प्रबंधन से संबंधित है।
प्रश्न 14: “रचनात्मक असंतोष” (Creative Discontent) की अवधारणा, जो सामाजिक परिवर्तन के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- हरबर्ट स्पेंसर
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- टी. वी. बोनट-स्मॉल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: हालांकि “रचनात्मक असंतोष” शब्द सीधे तौर पर मार्क्स द्वारा गढ़ा नहीं गया था, लेकिन उनके सिद्धांत का सार यह है कि मौजूदा सामाजिक व्यवस्था (पूंजीवाद) में निहित विरोधाभास और शोषण से उत्पन्न असंतोष ही क्रांति और नए समाज के निर्माण का आधार बनेगा। यह एक प्रकार का रचनात्मक असंतोष है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि पूंजीवादी व्यवस्था में मौजूद असमानताएँ और अन्याय लोगों में असंतोष पैदा करते हैं, जो अंततः व्यवस्था को बदल देते हैं।
- गलत विकल्प: स्पेंसर विकासवाद से संबंधित थे, वेबर नौकरशाही और तर्कसंगतता पर केंद्रित थे। टी.वी. बोनट-स्मॉल एक प्रमुख समाजशास्त्री हैं, लेकिन यह विशेष अवधारणा मार्क्स के विचारों से अधिक निकटता से जुड़ी है।
प्रश्न 15: “संस्कृति” (Culture) के समाजशास्त्रीय अर्थ में क्या शामिल है?
- केवल कला और साहित्य
- समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए मूल्य, विश्वास, ज्ञान, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएँ व आदतें
- केवल भौतिक वस्तुएँ (जैसे भवन, मशीनें)
- केवल सामाजिक रिश्ते
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में संस्कृति का अर्थ बहुत व्यापक है। इसमें न केवल भौतिक वस्तुएं (भौतिक संस्कृति) बल्कि गैर-भौतिक तत्व जैसे विचार, मूल्य, भाषा, मान्यताएं, मानदंड, रीति-रिवाज, नैतिकता, कानून और ज्ञान भी शामिल हैं, जो एक समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ई.बी. टेलर ने संस्कृति की एक प्रसिद्ध परिभाषा दी थी, जिसे समाजशास्त्री स्वीकार करते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) संस्कृति के केवल एक या दो पहलुओं को दर्शाते हैं, जबकि (b) एक समग्र और व्यापक परिभाषा प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 16: “विभेदित साहचर्य” (Differential Association) का सिद्धांत सामाजिक व्यवहार, विशेष रूप से अपराध के समाजशास्त्रीय अध्ययन से संबंधित है। यह सिद्धांत किसने विकसित किया?
- एमिल दुर्खीम
- एडविन सदरलैंड
- ट्रॉथ ग्रेस
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: एडविन सदरलैंड ने “विभेदित साहचर्य” का सिद्धांत विकसित किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति अपराध करना तब सीखता है जब वह दूसरों के साथ (विशेषकर निकटतम समूह में) अंतःक्रिया के दौरान अपराध के पक्ष में अधिक परिभाषाओं से जुड़ता है, बजाय इसके कि वह अपराध के विरुद्ध परिभाषाओं से जुड़े।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्य और एमोमी पर काम किया। ग्रेस और मिल्स अन्य महत्वपूर्ण समाजशास्त्री हैं, लेकिन यह सिद्धांत सदरलैंड का है।
प्रश्न 17: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आपका क्या तात्पर्य है?
- समाज में व्यक्तियों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना
- किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- समाज में सामाजिक समूहों के बीच संघर्ष
- सामाजिक मानदंडों में बदलाव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाने की प्रक्रिया से है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (एक ही स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति गरीब परिवार में जन्म लेकर अमीर बन जाता है, तो यह ऊर्ध्वाधर सामाजिक गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: (a) भौतिक गतिशीलता है। (c) सामाजिक संघर्ष है। (d) सामाजिक परिवर्तन का हिस्सा है, लेकिन गतिशीलता सीधे तौर पर लोगों की स्थिति के बदलाव से जुड़ी है।
प्रश्न 18: टैल्कॉट पार्सन्स के “संरचनात्मक प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज के विभिन्न अंग (जैसे परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) समाज को बनाए रखने के लिए कौन सा कार्य करते हैं?
- सदस्यों के बीच संघर्ष पैदा करना
- समाज के लिए महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करना
- समाज को विघटित करना
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: संरचनात्मक प्रकार्यवाद मानता है कि समाज एक जटिल प्रणाली है जिसके विभिन्न अंग (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था) एक साथ मिलकर काम करते हैं ताकि समाज की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके और उसकी स्थिरता (equilibrium) बनी रहे। प्रत्येक अंग समाज के लिए एक विशिष्ट कार्य (function) करता है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल प्रस्तुत किया, जो बताते हैं कि किसी भी सामाजिक प्रणाली को जीवित रहने के लिए इन चार कार्यों को पूरा करना होता है।
- गलत विकल्प: संघर्ष पैदा करना, विघटन करना या केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करना प्रकार्यवाद का उद्देश्य नहीं है; बल्कि यह स्थिरता और सुचारू कार्यप्रणाली पर जोर देता है।
प्रश्न 19: भारतीय संदर्भ में “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया में क्या शामिल नहीं है?
- औद्योगिकीकरण
- शहरीकरण
- तर्कसंगतता और नौकरशाही का प्रसार
- पारंपरिक जातियों की शक्ति में निरंतर वृद्धि
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया आम तौर पर पारंपरिक संरचनाओं और मूल्यों को कमजोर करती है, जिसमें जाति व्यवस्था की पारंपरिक शक्ति और प्रभाव भी शामिल है। इसलिए, पारंपरिक जातियों की शक्ति में निरंतर वृद्धि आधुनिकीकरण का परिणाम नहीं, बल्कि उसके विपरीत है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण में औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण, शिक्षा का प्रसार, तर्कसंगतता और नौकरशाही का उदय जैसी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण घटक हैं।
प्रश्न 20: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा का श्रेय किस समाजशास्त्री को जाता है?
- विलियम ग्राहम समनर
- अल्बर्ट स्मॉल
- एल. एल. थर्स्टन
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक “Folkways” (1906) में “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा का वर्णन किया।
- संदर्भ और विस्तार: समनर ने बताया कि किसी समाज की भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, मानदंड, संस्थाएँ) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे एक ‘विलंब’ या ‘गैप’ पैदा होता है। इस विलंब से सामाजिक तनाव और समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- गलत विकल्प: अल्बर्ट स्मॉल, थर्स्टन और दुर्खीम अन्य महत्वपूर्ण समाजशास्त्री हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलंब की अवधारणा समनर से जुड़ी है।
प्रश्न 21: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, “राजनीतिक दल” (Political Party) किस प्रकार की भूमिका निभाते हैं?
- केवल सामाजिक मनोरंजन
- समूहों के बीच मध्यस्थता और शासन के लिए लोगों को संगठित करना
- आर्थिक संसाधनों का वितरण
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: राजनीतिक दल समाज में महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं जिनका मुख्य कार्य लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए संगठित करना, सत्ता प्राप्त करने का प्रयास करना और शासन में लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करना है। वे विभिन्न समूहों की मांगों को शासन तक पहुंचाने में मध्यस्थता करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वे सरकार बनाने, नीतियाँ बनाने और जनमत को प्रभावित करने में भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: वे केवल मनोरंजन, केवल आर्थिक वितरण या केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए नहीं हैं, बल्कि एक व्यापक राजनीतिक और सामाजिक भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 22: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, जिसका अनुभव व्यक्ति तब करता है जब वह अपने श्रम, स्वयं, दूसरों और प्रकृति से कटा हुआ महसूस करता है, किस विचारक के सिद्धांत का केंद्रीय तत्व है?
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों द्वारा अनुभव किए जाने वाले अलगाव (Alienation) की अवधारणा को अपने शुरुआती लेखन, विशेष रूप से “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में विस्तार से समझाया।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद श्रमिकों को उनके श्रम के उत्पाद, श्रम प्रक्रिया, उनकी स्वयं की मानवता (मानव सार) और अन्य मनुष्यों से अलग कर देता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने एमोमी की बात की। वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही के प्रभाव की चर्चा की। सिमेल ने सामाजिक रूपों और धन के दर्शन पर काम किया।
प्रश्न 23: भारतीय समाज में “आदिवासी समुदाय” (Tribal Communities) की एक विशिष्ट विशेषता क्या है?
- अत्यधिक विकसित शहरीकरण
- जाति पर आधारित सामाजिक संरचना
- आम तौर पर अलग-थलग भौगोलिक क्षेत्र, अनूठी संस्कृति और विशिष्ट सामाजिक-राजनीतिक संगठन
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में पूर्ण एकीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: आदिवासी समुदाय आमतौर पर अपने विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में निवास करते हैं, उनकी एक अनूठी सांस्कृतिक पहचान, भाषा, रीति-रिवाज और सामाजिक-राजनीतिक संगठन होते हैं, जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से कुछ हद तक अलग करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि आधुनिकता ने कई आदिवासी समुदायों को प्रभावित किया है, फिर भी उनकी अलग पहचान बनी हुई है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) आदिवासी समुदायों की विशिष्ट पहचान नहीं हैं; वे शहरीकरण, जाति व्यवस्था और मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से भिन्न होते हैं।
प्रश्न 24: “ज्ञान का समाजशास्त्र” (Sociology of Knowledge) का क्षेत्र क्या अध्ययन करता है?
- ज्ञान की प्रकृति और उसके विकास की सामाजिक परिस्थितियाँ
- व्यक्तिगत ज्ञान की वृद्धि
- मनोवैज्ञानिक सीखने की प्रक्रियाएँ
- केवल भौतिक विज्ञान के सिद्धांत
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: ज्ञान का समाजशास्त्र यह जांच करता है कि समाज में ज्ञान कैसे उत्पन्न होता है, कैसे प्रसारित होता है, कैसे स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है, और सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियाँ ज्ञान के निर्माण और प्रसार को कैसे प्रभावित करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह मानता है कि ज्ञान केवल निष्पक्ष नहीं होता, बल्कि सामाजिक रूप से निर्मित होता है। कार्ल मैन्हेम इस क्षेत्र के प्रमुख विचारकों में से एक हैं।
- गलत विकल्प: (b), (c), और (d) व्यक्तिगत ज्ञान, मनोवैज्ञानिक सीखने या केवल भौतिक विज्ञान पर केंद्रित हैं, जबकि ज्ञान का समाजशास्त्र ज्ञान के सामाजिक आयामों पर जोर देता है।
प्रश्न 25: “समुदाय” (Community) की अवधारणा को आमतौर पर कैसे समझा जाता है?
- किसी भी बड़े शहर के निवासी
- लोगों का एक समूह जो साझा क्षेत्र, सामाजिक संबंध और एक साझा पहचान या “हम” की भावना साझा करते हैं
- एक ऑनलाइन फ़ोरम के सदस्य
- एक ही उद्योग में काम करने वाले लोग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही उत्तर: समुदाय की अवधारणा में आमतौर पर एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों का समूह शामिल होता है, जिनके बीच घनिष्ठ सामाजिक संबंध होते हैं और जो एक साझा पहचान या “हम” की भावना (sense of belonging) साझा करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द पारंपरिक रूप से गाँव या छोटे शहर जैसे संदर्भों में इस्तेमाल होता था, लेकिन अब इसका विस्तार व्यापक अर्थों में किया जाता है, जिसमें गैर-भौगोलिक समुदाय (जैसे ऑनलाइन समुदाय) भी शामिल हो सकते हैं, बशर्ते उनमें साझा पहचान और संबंध हों।
- गलत विकल्प: (a) केवल शहर के निवासी समुदाय नहीं होते; (c) ऑनलाइन फोरम के सदस्य तभी समुदाय का हिस्सा माने जाएंगे जब उनमें साझा पहचान और संबंध हों; (d) एक ही उद्योग में काम करने वाले लोग केवल पेशेवर रूप से जुड़े होते हैं, जरूरी नहीं कि वे समुदाय बनाते हों।