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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 प्रश्नों का महासंग्राम!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 प्रश्नों का महासंग्राम!

तैयारी के मैदान में एक और दिन, एक और अभ्यास! क्या आप अपनी समाजशास्त्रीय समझ को परखने और अपने ज्ञान की गहराई को मापने के लिए तैयार हैं? आज के 25 प्रश्न आपके वैचारिक आधार को मजबूत करने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। आइए, इन चुनौतियों का सामना करें और उत्कृष्टता की ओर एक कदम और बढ़ाएं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का प्रतिपादन किस समाजशास्त्री ने किया?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. विलियम ग्राहम समनर
  4. ऑगस्ट कॉम्ते

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फोल्कवेज’ (Folkways) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा का उल्लेख किया। यह अवधारणा बताती है कि किसी समाज के भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन, अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज) में होने वाले परिवर्तनों की तुलना में तेज गति से होता है, जिससे दोनों के बीच एक अंतर या विलंब पैदा हो जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: समनर ने इसे सामाजिक तनाव और संघर्ष का स्रोत माना। उदाहरण के लिए, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में तेजी से विकास (भौतिक संस्कृति) ने स्वास्थ्य बीमा, चिकित्सा नैतिकता और पारिवारिक देखभाल (अभौतिक संस्कृति) से संबंधित सामाजिक मानदंडों में तुरंत बदलाव नहीं लाया, जिससे एक विलंब उत्पन्न हुआ।
  • गलत विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) और ‘एनोमी’ (Anomie) जैसी अवधारणाएं दीं। कार्ल मार्क्स ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) के लिए जाने जाते हैं, और ऑगस्ट कॉम्ते को प्रत्यक्षवाद (Positivism) का जनक माना जाता है।

प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सी विशेषता ‘कबीलाई समाज’ (Tribal Society) की नहीं है?

  1. रक्त संबंध आधारित समुदाय
  2. लिखित कानून और राज्य व्यवस्था
  3. सांझी भूमि और संसाधन
  4. सरल प्रौद्योगिकी और विशिष्ट जीवन शैली

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘लिखित कानून और राज्य व्यवस्था’ कबीलाई समाज की विशेषता नहीं है। कबीलाई समाज आमतौर पर अलिखित प्रथागत कानूनों, पूर्वजों द्वारा निर्धारित परंपराओं और वंशानुगत नेतृत्व या परिषद द्वारा शासित होते हैं। एक केंद्रीकृत, लिखित कानून और औपचारिक राज्य व्यवस्था अक्सर आधुनिक समाजों की पहचान होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: कबीलाई समाजों में सामुदायिक भावना, एक-दूसरे पर निर्भरता, भूमि और संसाधनों पर सामूहिक स्वामित्व, और अक्सर एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ाव पाया जाता है। उनकी जीवन शैली, रीति-रिवाज और धार्मिक मान्यताएं भी काफी विशिष्ट होती हैं।
  • गलत विकल्प: रक्त संबंध (Kinship) कबीलाई समाज का आधार होता है। भूमि और संसाधनों पर साझा स्वामित्व (Communal Ownership) भी एक प्रमुख विशेषता है। सरल प्रौद्योगिकी और विशिष्ट जीवन शैली (Simple Technology and Distinct Lifestyle) भी उन्हें अन्य समाजों से अलग करती है।

प्रश्न 3: ‘संस्कृति का प्रसार’ (Cultural Diffusion) से आपका क्या तात्पर्य है?

  1. एक समाज के सदस्यों द्वारा अपनी संस्कृति को अस्वीकार करना।
  2. एक समाज की संस्कृति का दूसरे समाज में फैलना।
  3. समाज के भीतर सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण।
  4. भौतिक संस्कृति का अभौतिक संस्कृति पर हावी होना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘संस्कृति का प्रसार’ वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक समाज के सांस्कृतिक तत्व (जैसे विचार, आविष्कार, प्रथाएं, कला) दूसरे समाज में फैलते हैं। यह संपर्क, व्यापार, प्रवास, संचार माध्यमों आदि के माध्यम से हो सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रक्रिया है जो समाजों को बदलने और एक-दूसरे से सीखने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, भारतीय व्यंजनों का पश्चिमी देशों में लोकप्रिय होना या पश्चिमी संगीत का भारत में फैलना संस्कृति के प्रसार के उदाहरण हैं।
  • गलत विकल्प: (a) अपनी संस्कृति को अस्वीकार करना ‘सांस्कृतिक अस्वीकृति’ (Cultural Rejection) या ‘सांस्कृतिक अलगाव’ (Cultural Alienation) से संबंधित हो सकता है। (c) ‘सांस्कृतिक क्षरण’ (Cultural Degradation) एक नकारात्मक प्रक्रिया है। (d) यह ‘सांस्कृतिक विलंब’ या ‘भौतिकतावाद’ (Materialism) से संबंधित है, न कि प्रसार से।

प्रश्न 4: निम्नांकित में से कौन सा मैक्स वेबर के ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है?

  1. ऐतिहासिक सत्यता
  2. संयोग या आकस्मिकता
  3. अतिशयोक्ति और असंगति
  4. वैज्ञानिक वस्तुनिष्ठता

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर के ‘आदर्श प्रारूप’ के निर्माण में अतिशयोक्ति (Exaggeration) और असंगति (Inconsistency) महत्वपूर्ण तत्व हैं। आदर्श प्रारूप वास्तविक दुनिया का एक तार्किक रूप से सुसंगत, अतिरंजित और व्यवस्थित निर्माण है, जो समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए एक पैमाना प्रदान करता है। यह वास्तविक दुनिया की जटिलताओं से सभी अप्रासंगिक तत्वों को हटाकर कुछ प्रमुख विशेषताओं को अत्यधिक रूप से बढ़ा देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने इसे एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में विकसित किया, न कि नैतिकता के आदर्श के रूप में। उदाहरण के लिए, नौकरशाही का आदर्श प्रारूप, जिसमें तार्किकता, पदानुक्रम, नियमों का पालन आदि को अत्यधिक बढ़ाया जाता है।
  • गलत विकल्प: ‘ऐतिहासिक सत्यता’ (Historical Truth) आदर्श प्रारूप का लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह वास्तविक ऐतिहासिक घटनाओं के विश्लेषण में सहायक होता है। ‘संयोग’ (Coincidence) या ‘आकस्मिकता’ (Chance) को व्यवस्थित रूप से शामिल नहीं किया जाता। ‘वैज्ञानिक वस्तुनिष्ठता’ (Scientific Objectivity) एक सामान्य वैज्ञानिक लक्ष्य है, लेकिन आदर्श प्रारूप के निर्माण में ‘अतिशयोक्ति’ एक विशेष विधि है।

प्रश्न 5: ‘अस्थिरता’ (Anomie) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से सर्वाधिक जुड़ी है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. हर्बर्ट स्पेंसर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘अस्थिरता’ (Anomie) की अवधारणा एमिल दुर्खीम से सर्वाधिक जुड़ी है। दुर्खीम के अनुसार, यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जिसमें सामाजिक मानक या नियम अस्पष्ट, शिथिल या अनुपस्थित होते हैं, जिससे व्यक्ति में दिशाहीनता और अलगाव की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) और ‘आत्महत्या’ (Suicide) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। यह विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तनों या संकटों के समय में उत्पन्न होती है, जब पारंपरिक नियम-कानून टूटने लगते हैं और नए नियम स्थापित नहीं हो पाते।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘अलगाव’ (Alienation) और ‘वर्ग संघर्ष’ की बात करते हैं। मैक्स वेबर ‘सत्ता’ (Authority) और ‘कैरिश्मैटिक लीडरशिप’ (Charismatic Leadership) जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हर्बर्ट स्पेंसर ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) से जुड़े हैं।

प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘द्वितीयक विवाह’ (Secondary Marriage) शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया जाता है?

  1. दो अलग-अलग जातियों के बीच विवाह
  2. विधवा पुनर्विवाह
  3. किसी अविवाहित व्यक्ति से पहली बार विवाह
  4. समान गोत्र में विवाह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय समाज में ‘द्वितीयक विवाह’ शब्द का प्रयोग प्रायः ‘विधवा पुनर्विवाह’ (Widow Remarriage) के संदर्भ में किया जाता है। यह विवाह तब होता है जब कोई व्यक्ति, विशेषकर विधवा, दूसरी बार विवाह करती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परंपरागत रूप से, कुछ समुदायों में विधवाओं के पुनर्विवाह को हतोत्साहित किया जाता रहा है। ऐसे विवाह, जो पहली बार विवाह करने से भिन्न माने जाते हैं, को सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से ‘द्वितीयक’ के रूप में देखा जा सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) दो अलग-अलग जातियों के बीच विवाह को ‘अंतरजातीय विवाह’ (Inter-caste Marriage) कहते हैं। (c) किसी अविवाहित व्यक्ति से पहली बार विवाह ‘प्राथमिक विवाह’ (Primary Marriage) होगा, न कि द्वितीयक। (d) समान गोत्र में विवाह को ‘सपिंड विवाह’ (Sagotra Marriage) कहते हैं और यह वर्जित माना जाता है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का आधार नहीं है?

  1. संपत्ति
  2. शक्ति
  3. प्रतिष्ठा
  4. जनसंख्या घनत्व

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘जनसंख्या घनत्व’ (Population Density) सामाजिक स्तरीकरण का आधार नहीं है। सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को उनकी आय, संपत्ति, शक्ति, शिक्षा, व्यवसाय, सामाजिक स्थिति या अन्य सामाजिक रूप से परिभाषित श्रेणियों के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संपत्ति, शक्ति और प्रतिष्ठा (Wealth, Power, and Prestige) स्तरीकरण के प्रमुख आयाम हैं, जिन्हें अक्सर मैक्स वेबर द्वारा प्रस्तावित किया गया है। ये कारक निर्धारित करते हैं कि समाज में व्यक्तियों या समूहों को कितना उच्च या निम्न स्थान प्राप्त होगा।
  • गलत विकल्प: संपत्ति (Property) धन और आर्थिक संसाधनों का वितरण स्तरीकरण का मुख्य आधार है। शक्ति (Power) व्यक्तियों या समूहों को अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करती है, जो स्तरीकरण में महत्वपूर्ण है। प्रतिष्ठा (Prestige) वह सम्मान या आदर है जो किसी व्यक्ति या समूह को उसकी सामाजिक स्थिति के कारण मिलता है।

प्रश्न 8: ‘एकीकरण’ (Integration) की अवधारणा को अपनी समाजशास्त्रीय विश्लेषण में किसने प्रमुखता से प्रयोग किया?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. तलकोट पारसन्स
  4. जी.एच. मीड

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एकीकरण’ (Integration) की अवधारणा का प्रयोग समाज के विभिन्न भागों के बीच सामंजस्य और एकता को समझाने के लिए किया। विशेष रूप से, उन्होंने यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity) और जैविक एकता (Organic Solidarity) के बीच अंतर करते हुए बताया कि कैसे श्रम विभाजन समाज को एकीकृत करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के लिए, एकीकरण वह सामाजिक गोंद है जो समाज को एक साथ बांधे रखता है। यह सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और विश्वासों की साझाता से उत्पन्न होता है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘संघर्ष’ (Conflict) और ‘अलगाव’ पर जोर देते हैं। तलकोट पारसन्स ने ‘प्रणाली सिद्धांत’ (System Theory) विकसित किया जिसमें एकीकरण एक महत्वपूर्ण कार्य (Function) है, लेकिन मूल अवधारणा दुर्खीम द्वारा प्रस्तुत की गई थी। जी.एच. मीड ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) से जुड़े हैं।

प्रश्न 9: भारतीय ग्रामीण समाजों में ‘नातेदारी’ (Kinship) व्यवस्था का अध्ययन करते समय, ‘विवाह गोत्र’ (Marriageable Lineage) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. वह गोत्र जिससे व्यक्ति का जन्म हुआ है।
  2. वह गोत्र जिससे व्यक्ति विवाह कर सकता है।
  3. वह गोत्र जो किसी व्यक्ति की मृत्यु पर उसकी अंत्येष्टि संस्कार करता है।
  4. वह गोत्र जो किसी व्यक्ति के पैतृक वंश का प्रतिनिधित्व करता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय ग्रामीण समाजों में ‘विवाह गोत्र’ (Marriageable Lineage) का अर्थ है वह गोत्र (या कुल) जिससे कोई व्यक्ति विवाह करने के लिए स्वतंत्र है, अर्थात जिससे विवाह वर्जित नहीं है। भारतीय विवाह व्यवस्था में, समान गोत्र में विवाह को वर्जित माना जाता है (Sagotra marriage is forbidden), इसलिए व्यक्ति को अपने गोत्र से भिन्न गोत्र में विवाह करना होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह ‘निषेध’ (Prohibition) का नियम है जो गोत्र व्यवस्था को सामाजिक और भावनात्मक रूप से अलग रखता है और सामाजिक संबंधों के दायरे को बढ़ाता है।
  • गलत विकल्प: (a) जिससे व्यक्ति का जन्म हुआ है वह ‘जन्म गोत्र’ (Birth Lineage) है। (c) यह ‘शोक गोत्र’ (Mourning Lineage) या अंत्येष्टि से जुड़े गोत्र को दर्शाता है। (d) यह पैतृक वंश का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन विवाह के संदर्भ में ‘विवाह गोत्र’ का अर्थ इससे भिन्न है।

प्रश्न 10: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का एक महत्वपूर्ण अनौपचारिक साधन क्या है?

  1. पुलिस और अदालतें
  2. कानून और दंड संहिता
  3. जनमत और सामाजिक बहिष्कार
  4. संवैधानिक प्रावधान

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘जनमत और सामाजिक बहिष्कार’ (Public Opinion and Social Ostracism) सामाजिक नियंत्रण के अनौपचारिक साधन हैं। अनौपचारिक नियंत्रण वे होते हैं जो संस्थागतकृत नहीं होते बल्कि समाज के सदस्यों के बीच बातचीत, स्वीकृतियों और अस्वीकृतियों के माध्यम से कार्य करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: समाज के स्वीकृत व्यवहार से विचलन करने वाले व्यक्ति को सामाजिक बहिष्कृत किया जा सकता है, या उसका जनमत के माध्यम से तिरस्कार किया जा सकता है, जो उसे अनुशासित करता है। परिवार, पड़ोस, मित्र समूह आदि अनौपचारिक नियंत्रण के महत्वपूर्ण अभिकर्ता हैं।
  • गलत विकल्प: पुलिस, अदालतें, कानून और संवैधानिक प्रावधान सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधन (Formal Means of Social Control) हैं, जो राज्य द्वारा लागू किए जाते हैं।

प्रश्न 11: ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द का प्रयोग किसने पहली बार भारतीय समाज के संदर्भ में किया?

  1. महात्मा गांधी
  2. डॉ. बी.आर. अंबेडकर
  3. ज्योतिबा फुले
  4. एम.एन. श्रीनिवास

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द का प्रयोग ऐतिहासिक रूप से दलित समुदायों के लिए किया जाता रहा है, लेकिन डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने इस शब्द के प्रयोग को न केवल स्वीकार किया बल्कि इसे अपनी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया ताकि वे अपनी व्यथा और सामाजिक बहिष्कार को दुनिया के सामने प्रभावी ढंग से रख सकें। उन्होंने इस प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठाई और इसे समाप्त करने के लिए संघर्ष किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि यह शब्द काफी पहले से प्रयोग में था, अंबेडकर ने इसे एक राजनीतिक और सामाजिक पहचान के रूप में सशक्त किया। उन्होंने ‘हरिजन’ (Harijan) शब्द को भी यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि यह बाहरी लोगों द्वारा दिया गया नाम है।
  • गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने इन समुदायों के लिए ‘हरिजन’ (ईश्वर के जन) शब्द का प्रयोग किया। ज्योतिबा फुले ने भी दलितों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया और ‘बहुजन समाज’ की बात की। एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतकरण’ (Sanskritization) जैसी अवधारणाएं दीं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सीMériage à la mode (आधुनिक विवाह) की विशेषता नहीं है, जैसा कि पश्चिमी समाजों में देखा जाता है?

  1. प्रेम और भावनात्मक लगाव पर आधारित
  2. व्यक्तिगत पसंद का महत्व
  3. आर्थिक या सामाजिक व्यवस्था का प्राथमिक आधार
  4. लिव-इन रिलेशनशिप का प्रचलन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘आर्थिक या सामाजिक व्यवस्था का प्राथमिक आधार’ (Primary basis of economic or social arrangement) आधुनिक पश्चिमी समाजों में ‘Mériage à la mode’ (आधुनिक विवाह) की प्रमुख विशेषता नहीं है। जबकि विवाह के ऐतिहासिक रूप आर्थिक और सामाजिक गठबंधन पर केंद्रित थे, आधुनिक विवाह को अक्सर प्रेम, व्यक्तिगत पसंद और भावनात्मक संतुष्टि पर अधिक केंद्रित माना जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आधुनिक विवाह में व्यक्तिगत स्वायत्तता, साथी चुनने की स्वतंत्रता, और भावनात्मक बंधन को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। लिव-इन रिलेशनशिप (Cohabitation) का बढ़ता प्रचलन भी आधुनिक विवाह की बदलती प्रकृति को दर्शाता है, जहाँ प्रतिबद्धता के पारंपरिक रूप चुनौती दिए जा रहे हैं।
  • गलत विकल्प: प्रेम और भावनात्मक लगाव (Love and Emotional Attachment) तथा व्यक्तिगत पसंद (Personal Choice) आधुनिक पश्चिमी विवाह की पहचान हैं। लिव-इन रिलेशनशिप (Living-in Relationship) का प्रचलन भी इस आधुनिक प्रवृत्ति का हिस्सा है।

प्रश्न 13: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन थे?

  1. तलकोट पारसन्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. जी.एच. मीड
  4. रॉबर्ट ई. पार्क

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने समाजशास्त्र में व्यक्ति की आत्म (Self) के विकास और सामाजिक संपर्क में प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) की भूमिका पर ज़ोर दिया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड के विचारों को उनके मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘मन, स्वयं और समाज’ (Mind, Self, and Society) में संकलित किया गया। उन्होंने बताया कि कैसे व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से अपनी पहचान और ‘स्व’ (Self) का निर्माण करता है।
  • गलत विकल्प: तलकोट पारसन्स ‘संरचनात्मक-प्रकार्यवाद’ (Structural-Functionalism) से संबंधित हैं। एमिल दुर्खीम ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के बजाय ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) और ‘सामूहिक चेतना’ पर केंद्रित थे। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल के एक प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने मीड के विचारों को आगे बढ़ाया, लेकिन मीड को संस्थापक माना जाता है।

प्रश्न 14: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की किस विशेषता को ‘अंतर्विवाही समूह’ (Endogamous Group) कहा जाता है?

  1. वह समूह जिसमें व्यक्ति को जन्म से सदस्यता मिलती है।
  2. वह समूह जिसके सदस्यों को एक-दूसरे से विवाह करने की अनुमति है।
  3. वह समूह जो किसी विशेष व्यवसाय तक सीमित है।
  4. वह समूह जो अपनी शुद्धता के लिए जाना जाता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जाति व्यवस्था में, ‘अंतर्विवाही समूह’ (Endogamous Group) का अर्थ है वह समूह जिसके सदस्यों को अपने ही समूह के भीतर विवाह करने की अनुमति है। जाति व्यवस्था की यह एक प्रमुख विशेषता है जहाँ विवाह जाति की उप-जातियाँ (Sub-castes) या जातियों के भीतर ही सीमित होते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रथा अंतरजातीय विवाह को रोकती है और जाति की पवित्रता एवं अलगाव को बनाए रखने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: (a) जन्म से सदस्यता ‘अंशदायी समूह’ (Ascribed Group) की विशेषता है। (c) व्यवसाय से जुड़ाव ‘व्यावसायिक समूह’ (Occupational Group) की विशेषता हो सकती है। (d) शुद्धता का विचार जाति व्यवस्था की एक धारणा है, लेकिन ‘अंतर्विवाही’ स्वयं विवाह से संबंधित एक नियम है।

प्रश्न 15: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से औद्योगिक समाज के संदर्भ में, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. सिगमंड फ्रायड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से औद्योगिक पूंजीवाद के संदर्भ में, कार्ल मार्क्स से सबसे अधिक जुड़ी है। मार्क्स ने तर्क दिया कि पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में, श्रमिक अपने श्रम से, उत्पाद से, अपनी प्रजाति-प्रकृति (species-nature) से और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग हो जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने अपनी प्रारंभिक रचनाओं, जैसे ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। अलगाव तब होता है जब व्यक्ति अपने श्रम पर नियंत्रण खो देता है और केवल एक वस्तु (commodity) बन जाता है।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ‘एनोमी’ (Anomie) और ‘अलगाव’ (Alienation) के बीच एक संबंध देखते हैं, लेकिन मार्क्स का विश्लेषण अधिक केंद्रीय है। मैक्स वेबर ‘शक्तिहीनता’ (Powerlessness) और ‘अकुशलता’ (Incompetence) जैसे अलगाव के पहलुओं पर बात करते हैं, लेकिन मार्क्स के अर्थ में नहीं। सिगमंड फ्रायड ‘मनोवैज्ञानिक अलगाव’ (Psychological Alienation) की बात करते हैं, जो सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था से जुड़ा नहीं है।

प्रश्न 16: ‘हरित क्रांति’ (Green Revolution) का भारतीय समाज पर निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव पड़ा?

  1. किसानों के बीच आय असमानता में कमी
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी
  3. भूमि स्वामित्व के पैटर्न में बदलाव
  4. कृषि पर निर्भरता में वृद्धि

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: हरित क्रांति का एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव ‘भूमि स्वामित्व के पैटर्न में बदलाव’ (Changes in Land Ownership Patterns) रहा। उच्च उपज देने वाली किस्मों (HYVs) और नई तकनीकों के लिए अधिक पूंजी और ज्ञान की आवश्यकता थी, जिसने बड़े किसानों को लाभान्वित किया और छोटे किसानों को भूमि बेचने या गिरवी रखने के लिए मजबूर किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इससे भूमि का केंद्रीकरण (Concentration of land) बढ़ा और भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की संख्या में वृद्धि हुई, जिससे ग्रामीण सामाजिक संरचना में तनाव बढ़ा।
  • गलत विकल्प: हरित क्रांति ने आय असमानता को बढ़ाया, कम नहीं किया (a)। इसने कुछ क्षेत्रों में श्रमिकों की मांग बढ़ाई, कमी नहीं की (b)। इसने कृषि पर निर्भरता को कम नहीं किया, बल्कि यंत्रीकरण और व्यावसायिकता बढ़ाई (d)।

प्रश्न 17: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) की सबसे उपयुक्त परिभाषा क्या है?

  1. कुछ लोगों का एक समूह जो समान उद्देश्य के लिए मिलकर काम करते हैं।
  2. समाज द्वारा स्वीकृत और व्यवस्थित आचरण के प्रतिमानों का एक समूह।
  3. सभी सामाजिक नियमों का एक संग्रह।
  4. एक निश्चित क्षेत्र में रहने वाले लोगों का समुदाय।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) की सबसे उपयुक्त परिभाषा है – ‘समाज द्वारा स्वीकृत और व्यवस्थित आचरण के प्रतिमानों का एक समूह’ (A set of socially approved and organized patterns of conduct)। ये संस्थाएं समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित होती हैं, जैसे परिवार, विवाह, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था, राजनीति।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये संस्थाएं स्थिर, स्थायी और व्यापक होती हैं, और समाज के सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित और निर्देशित करती हैं। ये स्वयं सांस्कृतिक प्रथाओं, नियमों, विश्वासों और मूल्यों का एक जटिल ताना-बाना होती हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘समूह’ (Group) की परिभाषा है। (c) यह ‘सामाजिक नियम’ (Social Norms) का वर्णन है। (d) यह ‘समुदाय’ (Community) की परिभाषा है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘अनुकरण’ (Imitation) को सामाजिक व्यवहार के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में प्रस्तुत किया?

  1. विलियम ग्राहम समनर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. गैब्रियल टार्डे
  4. ई.ए. रॉस

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: गैब्रियल टार्डे (Gabriel Tarde) एक फ्रांसीसी समाजशास्त्री थे जिन्होंने ‘अनुकरण’ (Imitation) को समाज का आधारभूत नियम और सामाजिक गति के मुख्य तंत्र के रूप में प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि सामाजिक जीवन मूलतः अनुकरण का ही एक रूप है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: टार्डे ने अपनी पुस्तक ‘कानून का अनुकरण’ (The Laws of Imitation) में विस्तृत रूप से बताया कि कैसे आविष्कार (Inventions) समाज में फैलते हैं और कैसे नवीनता (Novelty) और अनुकरण के बीच संबंध सामाजिक परिवर्तन को संचालित करता है।
  • गलत विकल्प: समनर ‘फोल्कवेज’ और ‘मोर’ की बात करते हैं। दुर्खीम ‘सामाजिक तथ्य’ पर जोर देते हैं। ई.ए. रॉस ने ‘सामाजिक नियंत्रण’ और ‘सामाजिक प्रक्रिया’ पर काम किया।

प्रश्न 19: भारत में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) के संदर्भ में, ‘राज्य का धर्म से अलगाव’ (Separation of State from Religion) किस प्रकार की धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण है?

  1. सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता
  2. नकारात्मक धर्मनिरपेक्षता
  3. सक्रिय धर्मनिरपेक्षता
  4. सार्वभौमिक धर्मनिरपेक्षता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘राज्य का धर्म से अलगाव’ (Separation of State from Religion) ‘नकारात्मक धर्मनिरपेक्षता’ (Negative Secularism) का उदाहरण है, जैसा कि पश्चिमी (विशेषकर फ्रांसीसी) मॉडल में देखा जाता है। इस मॉडल में, राज्य धर्म के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता और सार्वजनिक जीवन से धर्म को दूर रखता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत में ‘सर्व-धर्म समभाव’ (Sarva Dharma Sama Bhava) की अवधारणा पर आधारित ‘सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता’ (Positive Secularism) है, जहाँ राज्य सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहता है और उन्हें समान संरक्षण देता है, या कभी-कभी विशेष रूप से पिछड़े या अल्पसंख्यकों के धार्मिक समूहों के उत्थान के लिए हस्तक्षेप भी कर सकता है।
  • गलत विकल्प: सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता में राज्य सभी धर्मों का समर्थन करता है। सक्रिय धर्मनिरपेक्षता (Active Secularism) शब्द का प्रयोग कम होता है, लेकिन यह सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता के करीब है। सार्वभौमिक धर्मनिरपेक्षता (Universal Secularism) एक व्यापक विचार है।

प्रश्न 20: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. किसी समाज का एक चरण से दूसरे चरण में परिवर्तन।
  2. समाज में लोगों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में स्थानांतरण।
  3. एक सामाजिक समूह का दूसरे समूह में विलीन हो जाना।
  4. किसी समाज के सदस्यों की गति करने की क्षमता।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में स्थानांतरण। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical) (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (Horizontal) (समान स्तर पर) हो सकती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, एक गरीब परिवार से आने वाले व्यक्ति का अमीर बनना ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (ऊपर की ओर) है, जबकि एक शिक्षक का दूसरे स्कूल में उसी पद पर जाना क्षैतिज गतिशीलता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का व्यापक अर्थ है। (c) यह ‘सामाजिक आत्मसात’ (Social Assimilation) का एक पहलू हो सकता है। (d) यह गति का एक सामान्य अर्थ है, न कि सामाजिक स्थिति के परिवर्तन का।

प्रश्न 21: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘धार्मिक जीवन का प्राथमिक कार्य’ (Primary Function of Religious Life) क्या है?

  1. मृत्यु के बाद जीवन का आश्वासन देना।
  2. लोगों को नैतिक रूप से नियंत्रित करना।
  3. समाज को एकीकृत करना और एकजुटता को बढ़ावा देना।
  4. ईश्वर की उपासना के लिए अनुष्ठान प्रदान करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘धार्मिक जीवन के प्रारंभिक रूप’ (The Elementary Forms of Religious Life) में तर्क दिया कि धर्म का प्राथमिक कार्य समाज को एकीकृत करना और सदस्यों के बीच ‘सामूहिकता की भावना’ (Sense of Collective) को बढ़ावा देना है। धर्म अनुष्ठानों और सामूहिक समारोहों के माध्यम से सामूहिक चेतना को सुदृढ़ करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के लिए, धर्म पवित्र (Sacred) और अपवित्र (Profane) के बीच अंतर पर आधारित है, और सामूहिक रूप से पवित्र वस्तुओं की पूजा करना समाज को एक साथ बांधता है।
  • गलत विकल्प: (a) मृत्यु के बाद जीवन का आश्वासन देना एक धार्मिक विश्वास है, लेकिन दुर्खीम के विश्लेषण में यह प्राथमिक सामाजिक कार्य नहीं है। (b) नैतिक नियंत्रण (Moral Regulation) एक परिणाम हो सकता है, लेकिन एकीकरण मुख्य कार्य है। (d) उपासना के लिए अनुष्ठान (Rituals for Worship) एक साधन है, लेकिन इसका अंतिम सामाजिक उद्देश्य एकीकरण है।

प्रश्न 22: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) और ‘वर्ग’ (Class) के बीच संबंध के संबंध में कौन सा कथन अधिक सटीक है?

  1. जाति और वर्ग पूरी तरह से स्वतंत्र हैं और एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते।
  2. जाति का वर्ग पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है, क्योंकि वर्ग आर्थिक कारकों पर आधारित है।
  3. जाति, वर्ग संरचना को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है, खासकर पारंपरिक भारतीय समाज में।
  4. वर्ग हमेशा जाति पर हावी रहता है और जाति की प्रासंगिकता समाप्त हो गई है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘जाति, वर्ग संरचना को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है, खासकर पारंपरिक भारतीय समाज में।’ यह कथन अधिक सटीक है। पारंपरिक रूप से, जाति ने व्यावसायिक अवसरों, आय, संपत्ति के अधिग्रहण और सामाजिक प्रतिष्ठा को सीधे तौर पर प्रभावित किया, जो वर्ग के घटक हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि आधुनिकरण और शहरीकरण के साथ वर्ग का महत्व बढ़ा है, जाति अभी भी आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता को अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। उच्च जातियों में ऐतिहासिक रूप से संपत्ति और शिक्षा का संचय अधिक रहा है, जिसने उन्हें वर्ग के रूप में लाभान्वित किया है।
  • गलत विकल्प: (a) वे स्वतंत्र नहीं हैं। (b) जाति का प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है। (d) वर्ग का प्रभाव बढ़ा है, लेकिन जाति की प्रासंगिकता पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।

प्रश्न 23: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का एक प्रमुख स्रोत निम्नलिखित में से कौन सा नहीं है?

  1. प्रौद्योगिकी
  2. जनसंख्या वृद्धि
  3. अधिकार की संरचना
  4. शहरीकरण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘अधिकार की संरचना’ (Structure of Authority) स्वयं सामाजिक परिवर्तन का एक कारण होने के बजाय, परिवर्तन की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला एक कारक या परिणाम हो सकता है। सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख स्रोत आमतौर पर बाहरी या आंतरिक दबाव होते हैं जो समाज की संरचना को बदलते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रौद्योगिकी (Technology) नए उत्पादक तरीके और जीवन शैली लाती है। जनसंख्या वृद्धि (Population Growth) संसाधनों पर दबाव डालती है और सामाजिक संरचनाओं को बदलती है। शहरीकरण (Urbanization) ग्रामीण से शहरी जीवन की ओर बदलाव लाता है, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी सामाजिक परिवर्तन के सिद्ध स्रोत हैं। अधिकार की संरचना, जैसे कि राजनीतिक व्यवस्था, नेतृत्व शैली, या सत्ता का वितरण, स्वयं परिवर्तन के लक्ष्यों या विधियों से संबंधित हो सकती है, लेकिन यह प्राथमिक ‘स्रोत’ नहीं है।

प्रश्न 24: ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) के दृष्टिकोण के अनुसार, समाजशास्त्र को किस प्रकार का ज्ञान उत्पन्न करना चाहिए?

  1. आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि
  2. व्यक्तिपरक अनुभव
  3. वस्तुनिष्ठ, वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित निष्कर्ष
  4. दार्शनिक तर्क

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रत्यक्षवाद (Positivism) के दृष्टिकोण के अनुसार, समाजशास्त्र को ‘वस्तुनिष्ठ, वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित निष्कर्ष’ (Objective, scientifically evidenced conclusions) उत्पन्न करने चाहिए। प्रत्यक्षवादी मानते हैं कि सामाजिक घटनाओं का अध्ययन उसी प्रकार किया जा सकता है जैसे प्राकृतिक विज्ञानों का अध्ययन किया जाता है, अर्थात अनुभवजन्य अवलोकन और मात्रात्मक विधियों (empirical observation and quantitative methods) का उपयोग करके।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ऑगस्ट कॉम्ते, जो प्रत्यक्षवाद के जनक माने जाते हैं, ने समाजशास्त्र को ‘सामाजिक भौतिकी’ (Social Physics) के रूप में देखा। इस दृष्टिकोण में, व्यक्तिपरक अर्थों या आध्यात्मिक व्याख्याओं के बजाय अवलोकन योग्य तथ्यों पर जोर दिया जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि (Spiritual Insight) प्रत्यक्षवाद का हिस्सा नहीं है। (b) व्यक्तिपरक अनुभव (Subjective Experience) को प्रत्यक्षवाद महत्वपूर्ण नहीं मानता, यह व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का हिस्सा है। (d) दार्शनिक तर्क (Philosophical Reasoning) वैज्ञानिक पद्धति का पूरक हो सकता है, लेकिन प्रत्यक्षवाद का मुख्य जोर अवलोकन योग्य तथ्यों पर है।

प्रश्न 25: भारत में ‘मार्जिनलाइजेशन’ (Marginalization) का अनुभव करने वाले प्रमुख समूह कौन से हैं?

  1. उच्च जातियों के अमीर लोग
  2. दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक
  3. केवल शहरी मध्यम वर्ग
  4. राज्य के सभी अधिकारी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारत में ‘मार्जिनलाइजेशन’ (Marginalization) या हाशियाकरण का अनुभव करने वाले प्रमुख समूह ‘दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक’ (Dalits, Tribals, and Minorities) हैं। ये समूह ऐतिहासिक रूप से सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से मुख्यधारा से बाहर रखे गए हैं या हाशिये पर धकेल दिए गए हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्जिनलाइजेशन का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह को समाज के प्रमुख सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों से बाहर या किनारे पर रखना। जातिगत भेदभाव, भूमि से बेदखली, सांस्कृतिक भिन्नता के कारण बहिष्कार आदि इसके कारण हो सकते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) उच्च जातियों के अमीर लोग आमतौर पर हाशियाकृत नहीं होते। (c) शहरी मध्यम वर्ग अपनी चिंताओं के बावजूद, आमतौर पर प्रमुख रूप से हाशियाकृत नहीं होता। (d) राज्य के अधिकारी शक्ति की स्थिति में होते हैं, हाशियाकृत नहीं।

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