समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मज़बूत करें!
नमस्ते, भविष्य के समाजशास्त्रियों! क्या आप अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को तीक्ष्ण करने और प्रमुख परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को मज़बूत करने के लिए तैयार हैं? हर दिन की तरह, हम आपके लिए लाए हैं 25 नए और चुनिंदा प्रश्न, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखेंगे। आइए, आज के अभ्यास सत्र की शुरुआत करें और अपनी समझ को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “पूंजीवाद के विकास के लिए प्रोटेस्टेंट नैतिकता की भूमिका” का प्रतिपादन किस समाजशास्त्री ने किया?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपनी प्रसिद्ध कृति “द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म” (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म, विशेष रूप से केल्विनवाद, ने पूंजीवादी विकास के लिए अनुकूल एक कार्य नैतिकता और जीवन शैली को बढ़ावा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने दिखाया कि कैसे “ईश्वर द्वारा चुने जाने” की पूर्वधारणा (predestination) ने प्रोटेस्टेंटों को दुनिया में अपने भाग्य को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत और आत्म-नियंत्रण के माध्यम से “ईश्वर की महिमा” करने के लिए प्रेरित किया, जिससे धन संचय हुआ और पूंजीवाद का उदय हुआ। यह मार्क्स के आर्थिक नियतिवाद के विपरीत एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण था।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद को उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों के स्वामित्व और सर्वहारा वर्ग के शोषण के रूप में देखा। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का विचार प्रस्तुत किया।
प्रश्न 2: सामाजिक संरचना (Social Structure) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्री सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?
- जॉर्ज सिमेल
- रॉबर्ट मर्टन
- टैल्कॉट पार्सन्स
- मैन्युएल कैस्टेल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स को सामाजिक संरचना की अपनी विस्तृत सैद्धांतिक समझ के लिए जाना जाता है। उन्होंने सामाजिक प्रणाली (social system) को एक जटिल इकाई के रूप में देखा जिसमें विभिन्न परस्पर संबंधित भाग होते हैं जो एक स्थिर संपूर्ण बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल विकसित किया, जो किसी भी सामाजिक प्रणाली के चार आवश्यक कार्यात्मक पूर्व-अपेक्षाओं का वर्णन करता है। सामाजिक संरचना उनके लिए इन अंतःक्रियाओं और भूमिकाओं का एक पैटर्न था।
- गलत विकल्प: जॉर्ज सिमेल ने सूक्ष्म-समाजशास्त्र (micro-sociology) और सामाजिक रूपों (forms of social interaction) पर काम किया। रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकट’ और ‘अव्यक्त’ कार्य (manifest and latent functions) जैसी अवधारणाएं दीं और मध्य-श्रेणी सिद्धांत (middle-range theory) पर जोर दिया। मैन्युएल कैस्टेल्स सूचना युग और नेटवर्क समाज के अपने विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 3: “अभिजात वर्ग” (Elite) की अवधारणा को किसने प्रतिपादित किया, यह तर्क देते हुए कि समाज हमेशा कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा शासित होता है?
- विलफ्रेडो पारेतो
- सी. राइट मिल्स
- जी. वी. लोमबार्डो
- रॉबर्ट मिचेल्स
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलफ्रेडो पारेतो ने “अभिजात वर्ग के परिभ्रमण” (circulation of elites) के सिद्धांत का प्रस्ताव रखा। उनका मानना था कि समाज हमेशा एक “कुलीन” (governing elite) और एक “गैर-कुलीन” (non-elite) वर्ग में विभाजित होता है, और इतिहास कुलीनों के बीच परिभ्रमण की एक प्रक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: पारेतो ने अपनी पुस्तक “द माइंड एंड सोसाइटी” (The Mind and Society) में तर्क दिया कि elites, जो अपनी क्षमता के कारण सत्ता में आते हैं, समय के साथ सड़ जाते हैं और उन्हें नए, अधिक ऊर्जावान elites द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है।
- गलत विकल्प: सी. राइट मिल्स ने अमेरिकी समाज में “शक्ति अभिजात वर्ग” (power elite) की अवधारणा दी। जी. वी. लोमबार्डो और रॉबर्ट मिचेल्स (लौह कानून नियम) भी अभिजात वर्ग के सिद्धांतों से जुड़े हैं, लेकिन पारेतो को इस विचार का सबसे प्रमुख प्रारंभिक प्रतिपादक माना जाता है।
प्रश्न 4: भारतीय समाज में “जाति व्यवस्था” (Caste System) के संदर्भ में, “विवाह” (Marriage) से संबंधित कौन सा नियम कठोरता से पालन किया जाता है?
- बहिविवाह (Exogamy)
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- समगोत्र विवाह निषेध (Incest taboo)
- समरूप विवाह (Assortative mating)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था में “अंतर्विवाह” (Endogamy) का नियम सबसे महत्वपूर्ण है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जाति या उप-जाति के भीतर ही विवाह करना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नियम जाति की संरचनात्मक अखंडता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और पीढ़ियों तक जाति की पहचान को सुनिश्चित करता है। एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने इस पर विस्तार से लिखा है।
- गलत विकल्प: बहिविवाह (Exogamy) का अर्थ है समूह के बाहर विवाह करना (जैसे गोत्र या गांव के बाहर)। समगोत्र विवाह निषेध (Incest taboo) परिवार के करीबी सदस्यों के बीच विवाह पर रोक लगाता है। समरूप विवाह (Assortative mating) समान गुणों वाले व्यक्तियों के बीच विवाह को संदर्भित करता है।
प्रश्न 5: “अनाचार” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक नियमों में शिथिलता या अभाव की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?
- ए.आर. रैडक्लिफ-ब्राउन
- ए. एल. क्रोबर
- ई. एफ. बर्गिस
- ई. दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने “अनाचार” (Anomie) की अवधारणा को अपनी पुस्तक “द डिवीज़न ऑफ लेबर इन सोसाइटी” (The Division of Labour in Society) और “सुसाइड” (Suicide) में प्रमुखता से विकसित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, अनाचार तब उत्पन्न होता है जब समाज में सामान्य मानक और मूल्यों की कमी होती है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन महसूस करते हैं। यह विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तनों या तीव्र आर्थिक विकास के दौरान होता है।
- गलत विकल्प: ए.आर. रैडक्लिफ-ब्राउन और ए. एल. क्रोबर मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री थे जिन्होंने क्रमशः संरचनात्मक-प्रकार्यवादी (structural-functionalism) और संस्कृति (culture) पर काम किया। ई. एफ. बर्गिस एक शहरी समाजशास्त्री थे।
प्रश्न 6: “आत्मसात” (Assimilation) की प्रक्रिया, जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक संस्कृति के मूल्यों और व्यवहारों को अपनाता है, को किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के तहत समझा जा सकता है?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory)
- प्रजाति और जातीयता के अध्ययन (Studies of Race and Ethnicity)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आत्मसात (Assimilation) की अवधारणा मुख्य रूप से प्रजाति और जातीयता के समाजशास्त्रीय अध्ययन से संबंधित है, जहाँ यह वर्णन करती है कि कैसे अल्पसंख्यक समूह धीरे-धीरे बहुसंख्यक समाज में एकीकृत हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया अक्सर समय के साथ होती है, जिसमें भाषा, रीति-रिवाजों और यहां तक कि पहचान का भी मिश्रण शामिल होता है। इसके विपरीत, “सांस्कृतिक बहुलवाद” (cultural pluralism) वह स्थिति है जहाँ विभिन्न समूह अपनी अनूठी पहचान बनाए रखते हुए समाज में सह-अस्तित्व में रहते हैं।
- गलत विकल्प: हालांकि कार्यवाद (Functionalism) सामाजिक व्यवस्था की व्याख्या कर सकता है, आत्मसात विशेष रूप से समूह एकीकरण के मुद्दे से जुड़ा है। संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) प्रभुत्व और असमानता पर ध्यान केंद्रित करता है, जो आत्मसात के विपरीत हो सकता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) व्यक्तिगत स्तर पर अर्थ निर्माण पर केंद्रित है।
प्रश्न 7: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के संदर्भ में, “वर्ग” (Class) की अवधारणा को मुख्य रूप से किसके साथ जोड़ा जाता है?
- जन्म और वंशानुक्रम
- धार्मिक संबद्धता
- आर्थिक स्थिति और संपत्ति
- जातीयता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 8: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के संस्थापक विचारकों में से कौन हैं, जिन्होंने “स्व” (Self) और “समाज” के बीच अंतःक्रिया पर बल दिया?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक प्रमुख संस्थापक माना जाता है। उन्होंने “स्व” (Self) के विकास में सामाजिक अंतःक्रिया के महत्व पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने “टेकिंग द रोल ऑफ द अदर” (taking the role of the other) की अवधारणा दी, जिसमें बताया गया कि कैसे व्यक्ति दूसरों की भूमिकाओं और दृष्टिकोणों को अपनाकर अपने स्वयं के अर्थ और पहचान का निर्माण करते हैं। उन्होंने “मी” (Me) और “आई” (I) के बीच अंतर भी बताया।
- गलत विकल्प: पार्सन्स प्रकार्यात्मकता से जुड़े हैं। मर्टन ने मध्य-श्रेणी सिद्धांत दिया। गॉफमैन ने “नाटकशास्त्र” (dramaturgy) का विचार प्रस्तुत किया, जो मीड से प्रभावित था लेकिन अलग था।
प्रश्न 9: “संस्थागत वर्णभेद” (Institutional Discrimination) से क्या तात्पर्य है?
- व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और भेदभाव
- सरकार द्वारा लागू की गई भेदभावपूर्ण नीतियाँ
- समाज की संस्थाओं (जैसे शिक्षा, रोजगार) में अंतर्निहित असमानताएँ
- अल्पसंख्यक समूहों द्वारा बहुसंख्यक समूह के प्रति किया गया भेदभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्थागत वर्णभेद (Institutional Discrimination) से तात्पर्य समाज की प्रमुख संस्थाओं (जैसे कानूनी प्रणाली, शिक्षा प्रणाली, श्रम बाजार) की संरचनाओं, नीतियों और प्रथाओं में अंतर्निहित भेदभावपूर्ण पैटर्न से है, जो विशेष रूप से कुछ समूहों (अक्सर नस्लीय या जातीय अल्पसंख्यकों) को नुकसान पहुँचाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से भिन्न है क्योंकि यह नीतियों या प्रथाओं का प्रत्यक्ष परिणाम हो सकता है, भले ही उनमें भेदभाव का इरादा न हो। उदाहरण के लिए, ऐसी आवास नीतियां जो ऐतिहासिक रूप से कुछ समूहों को अलग-थलग करती हैं, संस्थागत वर्णभेद का एक रूप हैं।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत पूर्वाग्रह (a) व्यक्तिगत भेदभाव है। सरकार द्वारा लागू नीतियां (b) इसका एक रूप हो सकती हैं, लेकिन संस्थागत वर्णभेद अधिक व्यापक है। अल्पसंख्यकों द्वारा भेदभाव (d) “विपरीत संस्थागत भेदभाव” (reverse institutional discrimination) हो सकता है, लेकिन यह मुख्य परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 10: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा भारतीय समाज के अध्ययन में “संसकृतिकरण” (Sanskritization) की अवधारणा किस संदर्भ में प्रस्तुत की गई?
- पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों का अनुकरण
- शहरीकरण का प्रभाव
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने “संसकृतिकरण” (Sanskritization) की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो भारतीय जाति व्यवस्था में एक निम्न जाति या जनजाति के सदस्यों द्वारा एक उच्च, अक्सर “द्विजा” (twice-born) जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, जीवन शैली और विचारधारा को अपनाने की प्रक्रिया है, ताकि सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठाया जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “रिलिजन एंड सोसाइटी अमंग द कुर्ग्स ऑफ साउथ इंडिया” (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रसिद्ध हुई। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव (a) “पश्चिमीकरण” (Westernization) से संबंधित है। शहरीकरण (c) और आधुनिकीकरण (d) सामाजिक परिवर्तन की व्यापक प्रक्रियाएं हैं, लेकिन संसकृतिकरण विशेष रूप से जाति-आधारित पदानुक्रम के भीतर सांस्कृतिक अनुकरण है।
प्रश्न 11: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, साझा विश्वासों और मूल्यों पर आधारित है, को किसने विकसित किया?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कोलमन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी (Social Capital) की अवधारणा को कई समाजशास्त्रियों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से विकसित किया है, जिनमें पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu), जेम्स कोलमन (James Coleman) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) प्रमुख हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त संसाधनों के रूप में देखा। कोलमन ने इसे सामाजिक संरचनाओं में निहित क्षमता के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन से जोड़ा।
- गलत विकल्प: कोई भी विकल्प अकेले पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि तीनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रश्न 12: “परिवार” (Family) को समाज की “प्राथमिक सामाजिकरण संस्था” (Primary Socializing Agency) के रूप में कौन सी विशेषता सबसे अच्छी तरह परिभाषित करती है?
- यह व्यक्ति के प्रारंभिक और सबसे प्रभावशाली समाजीकरण के लिए जिम्मेदार है।
- यह आर्थिक उत्पादन और उपभोग के लिए जिम्मेदार है।
- यह प्रजनन और वंशानुक्रम के लिए जिम्मेदार है।
- यह सार्वजनिक नीतियों का निर्माण करता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: परिवार को प्राथमिक सामाजिकरण संस्था इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन की शुरुआत में सबसे गहरा और सबसे प्रभावशाली प्रभाव डालता है, जहाँ बच्चा अपनी भाषा, मूल मूल्य, दृष्टिकोण और व्यवहार के पैटर्न सीखता है।
- संदर्भ और विस्तार: जबकि परिवार अन्य कार्य (जैसे आर्थिक, प्रजनन) भी करता है, प्राथमिक सामाजिकरण इसकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक है जो व्यक्ति को समाज का सदस्य बनने में सक्षम बनाती है। स्कूल और मीडिया जैसे अन्य कारक द्वितीयक सामाजिकरण संस्थाएं हैं।
- गलत विकल्प: आर्थिक उत्पादन (b), प्रजनन (c) परिवार के अन्य कार्य हैं, लेकिन प्राथमिक सामाजिकरण संस्था के रूप में परिभाषित नहीं करते। सार्वजनिक नीतियां (d) परिवार का कार्य नहीं है।
प्रश्न 13: “विखंडन” (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से श्रमिक वर्ग द्वारा अनुभव की जाने वाली, का विश्लेषण कार्ल मार्क्स ने अपने किस सिद्धांत में किया?
- वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
- अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत (Theory of Surplus Value)
- मनुष्य की जंजीरों में जकड़ी स्वतंत्रता (Human Freedom in Chains)
- कम्युनिस्ट घोषणापत्र (The Communist Manifesto)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने “विखंडन” (Alienation) की अवधारणा का विश्लेषण अपने “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) के सिद्धांत के व्यापक ढांचे के भीतर किया, विशेष रूप से “इकॉनोमिक एंड फिलोसोफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844” (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक चार तरीकों से विखंडित महसूस करते हैं: अपने श्रम के उत्पाद से, अपनी श्रम प्रक्रिया से, अपनी प्रजाति-प्रकृति (species-nature) से, और अन्य मनुष्यों से। यह अलगाव वर्ग संघर्ष की जड़ है।
- गलत विकल्प: “अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत” (b) लाभ के स्रोत की व्याख्या करता है। “कम्युनिस्ट घोषणापत्र” (d) वर्ग संघर्ष के राजनीतिक निहितार्थों का वर्णन करता है। “मनुष्य की जंजीरों में जकड़ी स्वतंत्रता” (c) सीधे तौर पर मार्क्स के कार्यों में इस रूप में नहीं मिलती, हालांकि यह विषय वस्तु से मेल खा सकता है।
प्रश्न 14: “आधुनिकीकरण सिद्धांत” (Modernization Theory) मुख्य रूप से किस प्रकार के समाजों पर केंद्रित है?
- पारंपरिक समाज (Traditional Societies)
- अविकसित या विकासशील समाज (Underdeveloped or Developing Societies)
- औद्योगिक समाज (Industrial Societies)
- उत्तर-औद्योगिक समाज (Post-Industrial Societies)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत (Modernization Theory) मुख्य रूप से पारंपरिक समाजों से आधुनिक, औद्योगिक समाजों की ओर संक्रमण का विश्लेषण करता है, विशेष रूप से उन समाजों पर ध्यान केंद्रित करता है जिन्हें अविकसित या विकासशील माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत 20वीं सदी के मध्य में प्रमुख था और इसने माना कि अविकसित समाज पश्चिम के पश्चिमीकरण (Westernization) के रास्ते पर चलकर आधुनिकीकरण प्राप्त कर सकते हैं। इसके समर्थकों में डब्ल्यू. डब्ल्यू. रोस्टो (W.W. Rostow) जैसे विद्वान शामिल हैं।
- गलत विकल्प: पारंपरिक समाज (a) आधुनिकीकरण का शुरुआती बिंदु है। औद्योगिक (c) और उत्तर-औद्योगिक (d) समाज आधुनिकीकरण के परिणाम या गंतव्य हैं, न कि मुख्य फोकस।
प्रश्न 15: “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) की अवधारणा, जिसके बारे में मार्क्स का मानना था कि यह इतिहास का इंजन है, किन दो मुख्य समूहों के बीच संघर्ष को दर्शाती है?
- सामंत और किसान
- धर्म और राज्य
- पूंजीपति (Bourgeoisie) और श्रमिक (Proletariat)
- जाति और वर्ग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य वर्ग संघर्ष “पूंजीपति” (Bourgeoisie), जो उत्पादन के साधनों के मालिक होते हैं, और “श्रमिक” (Proletariat), जो अपनी श्रम शक्ति बेचते हैं, के बीच होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने तर्क दिया कि यह शोषणकारी संबंध अंततः क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर ले जाएगा। यह ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के उनके सिद्धांत का एक केंद्रीय स्तंभ है।
- गलत विकल्प: सामंत और किसान (a) सामंतवादी समाज की विशेषता थी। धर्म और राज्य (b) विभिन्न सामाजिक कारक हैं। जाति और वर्ग (d) भारतीय समाज के विशेष संदर्भ में महत्वपूर्ण स्तरीकरण के आधार हैं, लेकिन मार्क्स के लिए केंद्रीय वर्ग संघर्ष आर्थिक था।
प्रश्न 16: “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) में, “मात्रात्मक” (Quantitative) और “गुणात्मक” (Qualitative) पद्धतियों के बीच मुख्य अंतर क्या है?
- मात्रात्मक संख्यात्मक डेटा का उपयोग करता है, जबकि गुणात्मक गैर-संख्यात्मक डेटा (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन) का उपयोग करता है।
- मात्रात्मक छोटे नमूनों पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि गुणात्मक बड़े नमूनों पर।
- मात्रात्मक व्याख्यात्मक है, जबकि गुणात्मक वर्णनात्मक है।
- मात्रात्मक व्यक्तिपरक है, जबकि गुणात्मक वस्तुनिष्ठ है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) का मुख्य उद्देश्य संख्याओं और सांख्यिकी का उपयोग करके पैटर्न, सहसंबंध और सामान्यीकरण स्थापित करना है, जिसके लिए सर्वेक्षण, प्रयोग या बड़े पैमाने पर डेटा विश्लेषण जैसी विधियों का उपयोग किया जाता है। गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) का उद्देश्य अर्थों, अनुभवों और सामाजिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ प्राप्त करना है, जिसके लिए साक्षात्कार, फोकस समूह, नृवंशविज्ञान (ethnography) और केस स्टडी जैसी विधियों का उपयोग किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दोनों पद्धतियां समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण हैं और अक्सर पूरक होती हैं। मात्रात्मक शोध अक्सर “क्या” और “कितना” सवालों का जवाब देता है, जबकि गुणात्मक शोध “क्यों” और “कैसे” की पड़ताल करता है।
- गलत विकल्प: नमूना आकार (b) हमेशा निर्णायक नहीं होता; मात्रात्मक में बड़े नमूने आम हैं, लेकिन गुणात्मक छोटे, गहन अध्ययन पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। व्याख्यात्मक बनाम वर्णनात्मक (c) एक अति-सरलीकरण है। व्यक्तिपरक बनाम वस्तुनिष्ठ (d) भी विवादास्पद है क्योंकि दोनों पद्धतियों में अपनी-अपनी व्यक्तिपरकता और वस्तुनिष्ठता की सीमाएँ होती हैं।
प्रश्न 17: “शक्ति” (Power) के संबंध में, मैक्स वेबर ने तीन प्रकार के “आदेश” (Authority) बताए हैं। इनमें से कौन सा प्रकार “परंपरा” (Tradition) पर आधारित है?
- वैध-तर्कसंगत आदेश (Legal-Rational Authority)
- करिश्माई आदेश (Charismatic Authority)
- पारंपरिक आदेश (Traditional Authority)
- आर्थिक आदेश (Economic Authority)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने “पारंपरिक आदेश” (Traditional Authority) की पहचान की, जो “जो हमेशा से है” और “जो हमेशा से चला आ रहा है” की मान्यता पर आधारित है। यह वंशानुगत स्थिति और सदियों पुरानी प्रथाओं पर निर्भर करता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने तीन आदर्श प्रकार के सत्ता (authority) का वर्णन किया: पारंपरिक (जैसे राजा, आदिवासी मुखिया), करिश्माई (जैसे पैगंबर, महान नेता) और वैध-तर्कसंगत (जैसे आधुनिक नौकरशाही, लोकतांत्रिक सरकारें)।
- गलत विकल्प: वैध-तर्कसंगत आदेश (a) नियमों और कानूनों पर आधारित होता है। करिश्माई आदेश (b) एक व्यक्ति के असाधारण गुणों या आकर्षण पर आधारित होता है। आर्थिक आदेश (d) वेबर द्वारा वर्णित सत्ता का प्रकार नहीं है।
प्रश्न 18: “सार्वभौमिकरण” (Universalization) की प्रक्रिया, जिसमें एक स्थानीय सांस्कृतिक तत्व (जैसे भोजन, संगीत) वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हो जाता है, को किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत के तहत समझा जा सकता है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संस्कृति का प्रसार (Cultural Diffusion)
- वैश्वीकरण (Globalization)
- विश्व-व्यवस्था सिद्धांत (World-Systems Theory)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “सार्वभौमिकरण” (Universalization) की प्रक्रिया, जिसमें स्थानीय संस्कृति वैश्विक हो जाती है, “वैश्वीकरण” (Globalization) की व्यापक घटना का एक प्रमुख पहलू है।
- संदर्भ और विस्तार: वैश्वीकरण दुनिया भर में लोगों, पूंजी, विचारों और सांस्कृतिक उत्पादों की बढ़ती अंतर्संबंधता और अंतर-निर्भरता को संदर्भित करता है। संस्कृ़ति का प्रसार (b) भी इसमें शामिल है, लेकिन वैश्वीकरण इस प्रक्रिया को बड़े पैमाने पर और तीव्र गति से परिभाषित करता है।
- गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद (a) सामाजिक व्यवस्था पर केंद्रित है। विश्व-व्यवस्था सिद्धांत (d) वैश्विक अर्थव्यवस्था में केंद्र और परिधि के बीच असमानता पर केंद्रित है, हालांकि यह वैश्वीकरण से संबंधित है।
प्रश्न 19: भारतीय समाज में “धर्मनिरपेक्षता” (Secularism) की अवधारणा किस जटिलता का सामना करती है, खासकर जब इसे “धर्म-निरपेक्षता” (Secularization) के पश्चिमी मॉडल से तुलना की जाती है?
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता राज्य और धर्म के पूर्ण अलगाव पर जोर देती है।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती है।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता केवल व्यक्तिगत विश्वासों को शामिल करती है, सार्वजनिक क्षेत्र को नहीं।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता धार्मिक संस्थानों को पूरी तरह से समाप्त करने की वकालत करती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारत में धर्मनिरपेक्षता (Secularism) को अक्सर “समान दूरी” (equal distance) या “समान सम्मान” (equal respect) के सिद्धांत के रूप में समझा जाता है, जहाँ राज्य किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेता है, बल्कि सभी धर्मों के प्रति सम्मानजनक रहता है और उन्हें फलने-फूलने का अवसर देता है। यह पश्चिमी मॉडल से भिन्न है जहाँ धर्मनिरपेक्षता का अर्थ अक्सर धर्म का सार्वजनिक क्षेत्र से अलगाव (Secularization) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय समाज की बहुलवादी और सहिष्णु प्रकृति को दर्शाता है। टी.एन. मदान जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अनूठे भारतीय मॉडल पर प्रकाश डाला है।
- गलत विकल्प: भारतीय धर्मनिरपेक्षता पूर्ण अलगाव (a) का पालन नहीं करती है, बल्कि “सकारात्मक हस्तक्षेप” (positive intervention) करती है। यह व्यक्तिगत (c) से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र को भी प्रभावित करती है और धार्मिक संस्थानों को समाप्त (d) नहीं करती।
प्रश्न 20: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) के संबंध में, रॉबर्ट पुटनम की पुस्तक “बोईंग अलोन” (Bowling Alone) मुख्य रूप से किस घटना के उदय को दर्शाती है?
- नागरिक जुड़ाव में वृद्धि
- सामाजिक एकजुटता में कमी
- समुदाय की भागीदारी में वृद्धि
- तकनीकी प्रगति का प्रसार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट पुटनम ने अपनी पुस्तक “बोईंग अलोन” (Bowling Alone: The Collapse and Revival of American Community) में तर्क दिया कि 20वीं सदी के उत्तरार्ध में अमेरिकी समाज में “सामाजिक पूंजी” में महत्वपूर्ण गिरावट आई है, जिसका अर्थ है नागरिक जुड़ाव, सामुदायिक गतिविधियों और आपसी विश्वास में कमी।
- संदर्भ और विस्तार: पुटनम ने पाया कि लोग अब पहले की तरह सामुदायिक समूहों में शामिल नहीं होते, जिससे सामाजिक जुड़ाव और सामाजिक नेटवर्क कमजोर हुए हैं।
- गलत विकल्प: यह नागरिक जुड़ाव (a), समुदाय की भागीदारी (c) में वृद्धि के बजाय कमी को दर्शाता है। तकनीकी प्रगति (d) एक संबंधित कारक हो सकती है, लेकिन पुस्तक का मुख्य तर्क सामाजिक पूंजी का क्षरण है।
प्रश्न 21: “नृवंशविज्ञान” (Ethnography) अनुसंधान पद्धति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- एक बड़े नमूने से संख्यात्मक डेटा एकत्र करना
- एक विशिष्ट सांस्कृतिक समूह के जीवन का विस्तृत, गहन और प्रत्यक्ष अवलोकन और वर्णन करना
- कारण-प्रभाव संबंधों की पहचान करना
- सांख्यिकीय रुझानों का विश्लेषण करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: नृवंशविज्ञान (Ethnography) एक गुणात्मक अनुसंधान पद्धति है जिसका उद्देश्य किसी विशेष सांस्कृतिक समूह के सदस्यों के दृष्टिकोण से उनके दैनिक जीवन, विश्वासों, प्रथाओं और सामाजिक संरचनाओं का गहन और विस्तृत अध्ययन करना है। इसमें अक्सर “प्रतिभागी अवलोकन” (participant observation) शामिल होता है।
- संदर्भ और विस्तार: नृवंशविज्ञान का लक्ष्य उस समूह की संस्कृति का “अंदर से” (emic perspective) वर्णन करना होता है। यह समाजशास्त्रीय और मानवशास्त्रीय अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
- गलत विकल्प: संख्यात्मक डेटा (a), कारण-प्रभाव (c) और सांख्यिकीय रुझान (d) मात्रात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ हैं, न कि नृवंशविज्ञान की।
प्रश्न 22: “अनुकूली परिवर्तन” (Adaptive Change) की अवधारणा, जो समाजशास्त्र में सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन से जुड़ी है, का अर्थ क्या है?
- समाज में अचानक और हिंसक परिवर्तन
- समाज द्वारा अपने पर्यावरण और परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए किए गए क्रमिक परिवर्तन
- समाज द्वारा अपनी संस्थाओं को बनाए रखने के लिए किए गए प्रतिरोध
- पड़ोसी संस्कृतियों से सांस्कृतिक तत्वों को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “अनुकूली परिवर्तन” (Adaptive Change) से तात्पर्य उन परिवर्तनों से है जो किसी समाज को अपनी बदलती पर्यावरण, सामाजिक या आर्थिक परिस्थितियों के अनुकूल होने में मदद करते हैं, ताकि वह जीवित रह सके और कार्य कर सके। यह अक्सर एक क्रमिक प्रक्रिया होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने या सुधारने के लिए किया जाता है। यह क्रांति (a) से भिन्न है, जो अक्सर तेज और विघटनकारी होती है।
- गलत विकल्प: अचानक और हिंसक परिवर्तन (a) क्रांति हो सकती है। प्रतिरोध (c) परिवर्तन का विरोध है। पड़ोसियों से अपनाना (d) सांस्कृतिक प्रसार है, जो अनुकूलन का एक तरीका हो सकता है लेकिन स्वयं अनुकूलन नहीं है।
प्रश्न 23: “सामाजिक विघटन” (Social Disorganization) की अवधारणा, जो मुख्य रूप से शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों से जुड़ी है, क्या दर्शाती है?
- समाज में बढ़ती व्यवस्था और सामंजस्य
- सामाजिक नियंत्रण में शिथिलता के कारण अपराध और विचलन में वृद्धि
- व्यक्तिगत मनोविज्ञानिक समस्याएं
- सामाजिक संरचनाओं का पूर्ण पतन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “सामाजिक विघटन” (Social Disorganization) की अवधारणा, जो शिकागो स्कूल के शहरी समाजशास्त्रियों (जैसे क्लिफोर्ड शॉ और हेनरी मैके) द्वारा विकसित की गई, यह बताती है कि कैसे कुछ शहरी क्षेत्रों में, सामाजिक नियंत्रण के पारंपरिक संस्थानों (जैसे परिवार, पड़ोस) की शिथिलता या कमजोरी से अपराध, विचलन और सामाजिक समस्याएं बढ़ती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि अपराध को सामाजिक वातावरण के परिणाम के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि केवल व्यक्तिगत दोष के रूप में।
- गलत विकल्प: बढ़ती व्यवस्था (a) विपरीत है। व्यक्तिगत मनोविज्ञान (c) इस सिद्धांत का फोकस नहीं है। पूर्ण पतन (d) एक अतिरंजित स्थिति है; यह अक्सर विघटन के बजाय नियंत्रण में कमी को दर्शाता है।
प्रश्न 24: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का सिद्धांत क्या कहता है?
- सभी संस्कृतियाँ स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ होती हैं।
- किसी संस्कृति को उसके अपने संदर्भ में समझा और मूल्यांकित किया जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी मानक के आधार पर।
- पश्चिमी संस्कृति सभी संस्कृतियों के लिए आदर्श है।
- सभी संस्कृतियों को एक ही तरीके से विकसित होना चाहिए।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism) यह विचार है कि किसी व्यक्ति की मान्यताओं, मूल्यों और प्रथाओं को उसके अपने ही समाज के संदर्भ में समझा जाना चाहिए। यह किसी संस्कृति के व्यवहारों को दूसरे संस्कृति के मानदंडों के आधार पर आंकने (Ethnocentrism) का खंडन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह मानवशास्त्र और समाजशास्त्र में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है। फ्रांज बोआस (Franz Boas) इसके प्रमुख समर्थकों में से थे।
- गलत विकल्प: श्रेष्ठता (a) या पश्चिमी आदर्श (c) सांस्कृतिक सापेक्षवाद के विपरीत हैं। समान विकास (d) भी इस सिद्धांत के अंतर्गत नहीं आता।
प्रश्न 25: “उत्तर-औद्योगीकरण” (Post-Industrialism) की अवधारणा, जो आधुनिक समाजों के विश्लेषण से जुड़ी है, निम्नलिखित में से किस पर सबसे अधिक जोर देती है?
- कृषि उत्पादन में वृद्धि
- विनिर्माण (Manufacturing) पर आधारित अर्थव्यवस्था
- ज्ञान, सूचना और सेवा क्षेत्र का प्रभुत्व
- श्रम का केंद्रीकृत संगठन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: उत्तर-औद्योगीकरण (Post-Industrialism) की अवधारणा, जिसे डैनियल बेल (Daniel Bell) जैसे विचारकों ने विकसित किया, उन समाजों का वर्णन करती है जहाँ अर्थव्यवस्था का आधार विनिर्माण से हटकर सेवाओं, सूचनाओं और ज्ञान पर आधारित हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के समाज में, वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान उत्पादन का केंद्रीय स्रोत बन जाता है, और सेवा क्षेत्र (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त, सूचना प्रौद्योगिकी) प्रमुख आर्थिक गतिविधि बन जाती है।
- गलत विकल्प: कृषि (a) और विनिर्माण (b) औद्योगिक समाजों की विशेषताएँ हैं। श्रम का केंद्रीकृत संगठन (d) भी औद्योगिक उत्पादन से अधिक जुड़ा है, जबकि उत्तर-औद्योगिक समाजों में काम अधिक विकेन्द्रीकृत और ज्ञान-आधारित हो सकता है।