समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!
नमस्ते, भावी समाजशास्त्री! आज के दैनिक समाजशास्त्र क्विज़ के साथ अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए। 25 नए, उच्च-गुणवत्ता वाले बहुविकल्पीय प्रश्न आपके ज्ञान की परीक्षा लेंगे और आपको विभिन्न समाजशास्त्रीय विचारों से अवगत कराएंगे। आइए, आज ही अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने समाज का अध्ययन करने के लिए बाहरी, बाध्यकारी और अवलोकन योग्य इकाई माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- Émile Durkheim
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: Émile Durkheim ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा दी। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य समाज की संरचना में मौजूद होते हैं और व्यक्तियों पर बाहरी रूप से दबाव डालते हैं, भले ही व्यक्ति उन्हें स्वीकार न करें। ये तथ्य अवलोकन और अनुभवजन्य अध्ययन द्वारा जाने जा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा डुरखीम की पुस्तक “The Rules of Sociological Method” (1895) में प्रमुखता से प्रस्तुत की गई है। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को प्राकृतिक विज्ञान की तरह वस्तुनिष्ठता के साथ सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक व्यवस्था पर था, जबकि मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए जैविक विकासवाद के सिद्धांत का उपयोग किया।
प्रश्न 2: एम. एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- किसी निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति की रीति-रिवाजों, परंपराओं और विश्वासों को अपनाकर सामाजिक स्थिति में सुधार की प्रक्रिया
- तकनीकी प्रगति के कारण समाज में होने वाले परिवर्तन
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्कृतिकरण, एम. एन. श्रीनिवास की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो भारतीय समाज में जाति व्यवस्था के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता (social mobility) की प्रक्रिया को समझाती है। यह तब होता है जब निचली जाति के लोग किसी उच्च जाति के अनुकरण से अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने की कोशिश करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” (1952) में पहली बार प्रस्तुत की थी। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक परिवर्तन का एक रूप है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने से संबंधित है, जबकि आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें आर्थिक, राजनीतिक और तकनीकी परिवर्तन शामिल हैं। शहरीकरण शहरों की ओर जनसंख्या के प्रवास को संदर्भित करता है।
प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में समाज का मुख्य विभाजन किस आधार पर होता है?
- धर्म
- जाति
- उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर (बुर्जुआ और सर्वहारा)
- शिक्षा का स्तर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित माना: बुर्जुआ (Bourgeoisie) जो उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि) के मालिक होते हैं, और सर्वहारा (Proletariat) जो अपनी श्रम शक्ति बेचकर जीवन यापन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि इन दोनों वर्गों के बीच का संघर्ष (class struggle) ही समाज में परिवर्तन का मुख्य चालक है। यह विचार उनकी कृति “Das Kapital” में विस्तार से मिलता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने धर्म, जाति या शिक्षा के स्तर को समाज के विभाजन का प्राथमिक आधार नहीं माना, बल्कि उत्पादन संबंधों को मूल कारण माना।
प्रश्न 4: ‘अमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के शिथिल होने या अभाव से उत्पन्न होती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- Émile Durkheim
- जॉर्ज सिमेल
- ऑगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: Émile Durkheim ने ‘अमी’ की अवधारणा का प्रयोग उस स्थिति को दर्शाने के लिए किया जब समाज में सामान्य नियम और मानदंड कमजोर पड़ जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अलगाव की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: डुरखीम ने अपनी पुस्तक “Suicide” (1897) में अमी आत्महत्या (anomic suicide) का विश्लेषण करते हुए इस अवधारणा को महत्वपूर्ण बनाया। यह सामाजिक नियंत्रण की कमी का परिणाम है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर का जोर व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर था, जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं के सूक्ष्म रूपों का अध्ययन किया, और ऑगस्ट कॉम्ते समाजशास्त्र के संस्थापक पिता थे जिन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (positivism) की वकालत की।
प्रश्न 5: समाजशास्त्र में ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य प्रवर्तक कौन है?
- Talcott Parsons
- George Herbert Mead
- Auguste Comte
- Herbert Spencer
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख विचारक माना जाता है। यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और कैसे इस अंतःक्रिया से स्वयं (self) और समाज का निर्माण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने अपने व्याख्यानों में इन विचारों को विकसित किया, जिन्हें मरणोपरांत “Mind, Self, and Society” (1934) नामक पुस्तक में संकलित किया गया। ‘I’ और ‘Me’ की उनकी अवधारणाएं इसी सिद्धांत का हिस्सा हैं।
- गलत विकल्प: टॉलकॉट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (structural functionalism) से जुड़े हैं, ऑगस्ट कॉम्ते प्रत्यक्षवाद के संस्थापक हैं, और हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकासवाद का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में, ‘पितृसत्ता’ (Patriarchy) का क्या अर्थ है?
- समाज में पिता की भूमिका का महत्व
- पुरुषों का महिलाओं पर प्रभुत्व और नियंत्रण, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के वितरण में परिलक्षित होता है
- पारिवारिक व्यवस्था में बड़ों का सम्मान
- पुरुषों द्वारा पितृवंश का अनुगमन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पितृसत्ता एक सामाजिक व्यवस्था है जहाँ पुरुषों को सत्ता की प्राथमिक स्थिति प्राप्त होती है और वे राजनीतिक नेतृत्व, नैतिक अधिकार, सामाजिक विशेषाधिकार और संपत्ति के नियंत्रण सहित सामाजिक संस्थाओं के प्रमुख पदों पर आसीन होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय समाज में पितृसत्ता परिवार, विवाह, विरासत, शिक्षा और कार्यस्थल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में गहरी जड़ें जमाए हुए है, जो लैंगिक असमानताओं को बढ़ावा देती है।
- गलत विकल्प: पिता की भूमिका का महत्व (a) पितृसत्ता का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह पूर्ण परिभाषा नहीं है। बड़ों का सम्मान (c) और पितृवंश का अनुगमन (d) भी परिवार की संरचना से जुड़े हैं, लेकिन वे पितृसत्ता के व्यापक अर्थ को नहीं दर्शाते।
प्रश्न 7: वेबर के अनुसार, ‘सत्ता’ (Authority) और ‘शक्ति’ (Power) में मुख्य अंतर क्या है?
- सत्ता में बल का प्रयोग होता है, जबकि शक्ति में नहीं।
- शक्ति मनमानी होती है, जबकि सत्ता वैध मानी जाती है।
- शक्ति केवल आर्थिक संसाधनों से आती है, जबकि सत्ता राजनीतिक है।
- दोनों अवधारणाएं पर्यायवाची हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने शक्ति को किसी भी व्यक्ति या समूह की अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया, भले ही दूसरे व्यक्ति इसका विरोध करें। इसके विपरीत, सत्ता (Authority) शक्ति का वह रूप है जिसे प्राप्त करने वाला वैध मानता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत। वैध शक्ति को सत्ता कहा जाता है।
- गलत विकल्प: सत्ता में बल का प्रयोग हमेशा आवश्यक नहीं होता, बल्कि अक्सर वह आज्ञाकारिता के लिए स्वीकार्यता पर निर्भर करती है। शक्ति केवल आर्थिक संसाधनों से नहीं आती, और ये दोनों अवधारणाएँ पर्यायवाची नहीं हैं।
प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘अछूत’ (Untouchables) प्रथा का संबंध मुख्य रूप से किस सामाजिक व्यवस्था से है?
- धर्म
- जाति व्यवस्था
- वर्ग व्यवस्था
- गोत्र व्यवस्था
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में ‘अछूत’ प्रथा, जिसे अब दलितों के नाम से जाना जाता है, जाति व्यवस्था का एक अत्यंत गंभीर पहलू रही है। ऐतिहासिक रूप से, कुछ जातियों को ‘अशुद्ध’ माना जाता था और उन्हें सार्वजनिक स्थानों, मंदिरों और कुओं का उपयोग करने से रोका जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रथा पारंपरिक वर्ण व्यवस्था और उससे उत्पन्न हुई हजारों उप-जातियों की जटिल पदानुक्रमित संरचना का परिणाम है। भारतीय संविधान ने अस्पृश्यता (Article 17) को समाप्त कर दिया है।
- गलत विकल्प: धर्म, वर्ग व्यवस्था और गोत्र व्यवस्था भी भारतीय समाज के महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन ‘अछूत’ प्रथा सीधे तौर पर जाति व्यवस्था की कठोर और अलगाववादी प्रकृति से जुड़ी है।
प्रश्न 9: ‘प्रकार्यवाद’ (Functionalism) के अनुसार, समाज को विभिन्न संस्थाओं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) के एक जटिल तंत्र के रूप में देखा जाता है, जो सामूहिक भलाई के लिए एक साथ काम करते हैं। इस दृष्टिकोण का प्रमुख समर्थक कौन है?
- Karl Marx
- Max Weber
- Talcott Parsons
- Michel Foucault
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टॉलकॉट पार्सन्स को संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक माना जाता है। उनका मानना था कि समाज स्थिर है और उसके विभिन्न अंग (संरचनाएँ) समाज को कार्यशील रखने के लिए विशेष कार्य (functions) करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के लिए ‘AGIL’ (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल प्रस्तुत किया, जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले कार्यों का एक ढाँचा है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर संघर्ष और शक्ति के अध्ययन से जुड़े हैं। मिशेल फूको शक्ति, ज्ञान और प्रवचन (discourse) के विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 10: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ है:
- समाज में व्यक्तियों की सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया
- समाज में असमानता की एक व्यवस्थित प्रणाली, जहाँ लोगों को उनकी स्थिति के आधार पर विभिन्न स्तरों (स्तरों) में वर्गीकृत किया जाता है
- व्यक्तिगत चरित्र का निर्माण
- धार्मिक प्रथाओं का समूह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के सदस्यों को उनकी आय, धन, शिक्षा, सामाजिक स्थिति, शक्ति आदि जैसे कारकों के आधार पर पदानुक्रमित क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि जैसे विभिन्न आधारों पर असमान वितरण शामिल है। यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है, हालांकि इसके रूप भिन्न हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: सामाजिक गतिशीलता (a) स्तरीकरण का परिणाम हो सकती है, लेकिन यह स्वयं स्तरीकरण नहीं है। व्यक्तिगत चरित्र (c) और धार्मिक प्रथाएं (d) समाज के अन्य पहलू हैं।
प्रश्न 11:MRP (Model Resident Primitive) के अनुसार, जनजातीय समाजों की विशेषता क्या नहीं है?
- अविभेदित श्रम विभाजन
- सामुदायिक स्वामित्व
- लिखित इतिहास का अभाव
- बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: MRP (Model Resident Primitive) एक आदर्श प्रकार है जिसका उपयोग अक्सर जनजातीय समाजों को समझने के लिए किया जाता है। इन समाजों में आमतौर पर बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था (large-scale economy) का अभाव होता है; उनकी अर्थव्यवस्थाएँ निर्वाह-आधारित और सीमित होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जनजातीय समाजों में अक्सर अविभेदित श्रम विभाजन (जैसे उम्र और लिंग आधारित), सामुदायिक स्वामित्व (जमीनों आदि पर), और अलिखित परंपराएँ व इतिहास की विशेषताएं पाई जाती हैं।
- गलत विकल्प: अविभेदित श्रम विभाजन (a), सामुदायिक स्वामित्व (b), और लिखित इतिहास का अभाव (c) जनजातीय समाजों की सामान्य विशेषताएँ हैं, जबकि बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था (d) उनकी विशेषता नहीं है।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य है:
- समाज में प्रचलित सामाजिक समस्याओं की सूची
- समाज में विभिन्न स्तरों के बीच लोगों या समूहों के स्थान परिवर्तन की प्रक्रिया
- एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में विचारों का प्रसार
- सामाजिक नियंत्रण के विभिन्न रूप
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों के एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाने को संदर्भित करती है। यह ऊपर की ओर (ऊपरी स्तर पर) या नीचे की ओर (निचले स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह क्षैतिज (एक ही स्तर पर स्थान परिवर्तन) या ऊर्ध्वाधर (स्तरों के बीच परिवर्तन) हो सकती है। शिक्षा, पेशा, विवाह और आर्थिक परिवर्तन अक्सर सामाजिक गतिशीलता को प्रभावित करते हैं।
- गलत विकल्प: सामाजिक समस्याएं (a), सांस्कृतिक प्रसार (c), और सामाजिक नियंत्रण (d) समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण विषय हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर सामाजिक गतिशीलता को परिभाषित नहीं करते।
प्रश्न 13: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया की विशेषता क्या है?
- पारंपरिक मूल्यों और संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
- उच्च स्तर का औद्योगीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण
- ग्रामीण जीवन शैली का संरक्षण
- कठोर जाति व्यवस्था का पालन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी विकास, आर्थिक प्रगति, औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, धर्मनिरपेक्षीकरण और राजनीतिक संस्थाओं का विकास शामिल है। यह अक्सर पारंपरिक समाजों को बदल देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया पश्चिमी समाजों के अनुभव से जुड़ी है, लेकिन अब इसे वैश्विक स्तर पर देखा जाता है। यह तर्कसंगतता, नौकरशाही और व्यक्तिगतवाद को बढ़ा सकती है।
- गलत विकल्प: आधुनिकीकरण पारंपरिक मूल्यों को कमजोर करता है (a), ग्रामीण जीवन शैली को अक्सर प्रभावित करता है (c), और जाति व्यवस्था जैसी पारंपरिक संरचनाओं को चुनौती दे सकता है (d)।
प्रश्न 14: ‘एलियनेशन’ (Alienation) या अलगाव की अवधारणा, जिसे मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिक की अपने श्रम, उत्पाद, सहकर्मियों और स्वयं से अलगाव के रूप में वर्णित किया, किस पुस्तक में प्रमुखता से मिलती है?
- The Communist Manifesto
- Das Kapital
- Economic and Philosophic Manuscripts of 1844
- The German Ideology
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में अलगाव (Alienation) की अवधारणा पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम प्रक्रिया, उत्पाद, अपनी प्रजातीय प्रकृति (species-being) और अपने साथी मनुष्यों से कट जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक मार्क्स के प्रारंभिक लेखन का हिस्सा है और उनकी आलोचनात्मक सिद्धांत के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: ‘The Communist Manifesto’ (a) राजनीतिक घोषणापत्र है, ‘Das Kapital’ (b) राजनीतिक अर्थव्यवस्था की विस्तृत आलोचना है, और ‘The German Ideology’ (d) ऐतिहासिक भौतिकवाद के सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है।
प्रश्न 15: मैरिज, जिसे संस्कृत में ‘विवाह’ कहा जाता है, एक संस्था है जो:
- केवल यौन संबंधों को नियंत्रित करती है
- उत्तराधिकार, वंश और सामाजिक स्थिति को विनियमित करती है, साथ ही यौन संबंधों को भी नियंत्रित करती है
- केवल आर्थिक लेन-देन की व्यवस्था है
- व्यक्तिगत प्रेम पर आधारित है
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 16: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें शामिल हैं:
- केवल कला और साहित्य
- समाज में सीखे गए व्यवहार, मान्यताएं, मूल्य, प्रतीक और ज्ञान का समग्र योग
- केवल भौतिक वस्तुएं जैसे भवन और उपकरण
- केवल जैविक विरासत
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्कृति समाज का सीखा हुआ और साझा किया गया पहलू है। इसमें लोगों के जीने का तरीका, उनके विचार, भावनाएं, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं जो समाज के सदस्य के रूप में सीखी जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति को भौतिक (जैसे फर्नीचर, उपकरण) और अभौतिक (जैसे मूल्य, भाषा, विश्वास) भागों में बांटा जा सकता है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
- गलत विकल्प: संस्कृति केवल कला और साहित्य (a) या केवल भौतिक वस्तुएं (c) नहीं है। यह जैविक विरासत (d) से भिन्न है, क्योंकि यह सीखी जाती है, जन्मजात नहीं।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का क्या उद्देश्य है?
- समाज में अधिकतम स्वतंत्रता सुनिश्चित करना
- सामाजिक व्यवस्था, स्थिरता और पूर्वानुमेयता बनाए रखने के लिए व्यक्तियों के व्यवहार को विनियमित करना
- सभी सामाजिक नियमों को समाप्त करना
- केवल व्यक्तिगत अधिकारों को बढ़ाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करता है ताकि सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनी रहे। इसमें औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे परिवार, मित्र, सामाजिक दबाव) दोनों तरीके शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि अधिकांश लोग समाज के स्वीकृत मानदंडों और मूल्यों का पालन करें, जिससे अनिश्चितता और अराजकता कम हो।
- गलत विकल्प: सामाजिक नियंत्रण का लक्ष्य अधिकतम स्वतंत्रता (a) नहीं, बल्कि संतुलित स्वतंत्रता (नियमों के भीतर) है। यह नियमों को समाप्त (c) नहीं करता, बल्कि उन्हें लागू करता है। व्यक्तिगत अधिकारों को बढ़ाना (d) इसका प्राथमिक उद्देश्य नहीं है, बल्कि समाज की समग्र भलाई है।
प्रश्न 18: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के दृष्टिकोण से, ‘डिसफंक्शन’ (Dysfunction) का अर्थ क्या है?
- समाज के लिए एक आवश्यक कार्य
- समाज के लिए एक विघटनकारी या नकारात्मक परिणाम जो सामाजिक व्यवस्था या एकीकरण को बाधित करता है
- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया
- नैतिक व्यवस्था का अभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रकार्यवाद के भीतर, डिसफंक्शन उन परिणामों को संदर्भित करता है जो किसी सामाजिक संरचना या संस्था के लिए हानिकारक या अस्थिर करने वाले होते हैं। यह सामाजिक व्यवस्था और संतुलन को बनाए रखने में बाधा डालता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, भ्रष्टाचार या अत्यधिक गरीबी को समाज के लिए डिसफंक्शन माना जा सकता है।
- गलत विकल्प: एक आवश्यक कार्य (a) फंक्शन (function) कहलाता है, न कि डिसफंक्शन। सामाजिक परिवर्तन (c) एक प्रक्रिया है, परिणाम नहीं। नैतिक व्यवस्था का अभाव (d) भी एक संभावित डिसफंक्शन हो सकता है, लेकिन यह डिसफंक्शन की परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक वर्ग’ (Social Class) की अवधारणा, जिसे अक्सर आर्थिक स्थिति, व्यवसाय और शिक्षा जैसे कारकों से जोड़ा जाता है, किस समाजशास्त्री के विचारों से निकटता से संबंधित है?
- Émile Durkheim
- Max Weber
- George Herbert Mead
- Auguste Comte
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण का एक बहुआयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने वर्ग (Class) को मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति (बाजार की स्थिति) से जोड़ा, लेकिन साथ ही ‘स्टेटस’ (Status) या ‘सम्मान’ और ‘पार्टी’ (Party) या ‘शक्ति’ जैसे अन्य आयामों को भी महत्वपूर्ण माना।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, वर्ग उन लोगों का समूह है जिनकी बाज़ार की स्थितियों में समान अवसर होते हैं। यह कार्ल मार्क्स के केवल उत्पादन के साधनों पर आधारित वर्ग विभाजन से अधिक जटिल है।
- गलत विकल्प: डुरखीम का मुख्य ध्यान सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर था। मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं, और कॉम्ते समाजशास्त्र के संस्थापक हैं।
प्रश्न 20: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है, विशेषकर भारतीय संदर्भ में?
- जन्म आधारित सदस्यता और अंतर्विवाह (Endogamy)
- गतिशीलता की उच्च संभावना
- पेशा चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता
- खुला वर्ग ढाँचा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जाति व्यवस्था की प्राथमिक विशेषता इसकी जन्म आधारित सदस्यता है – एक व्यक्ति अपनी जाति जन्म से प्राप्त करता है और इसे आमतौर पर बदला नहीं जा सकता। अंतर्विवाह (Endogamy), यानी अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना, भी एक प्रमुख विशेषता है जो जाति की पहचान को बनाए रखती है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था एक पदानुक्रमित व्यवस्था है जिसमें प्रत्येक जाति को एक विशेष सामाजिक दर्जा प्राप्त होता है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था में गतिशीलता की संभावना (b) बहुत कम होती है। पेशा चुनने की स्वतंत्रता (c) सीमित होती है, और यह एक बंद (closed) वर्ग ढाँचा है, खुला (open) नहीं (d)।
प्रश्न 21: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में, ‘चर’ (Variable) से आप क्या समझते हैं?
- एक स्थिर और अपरिवर्तनीय कारक
- एक विशेषता या गुण जो विभिन्न व्यक्तियों या स्थितियों में अलग-अलग मान ले सकता है
- अनुसंधान का अंतिम परिणाम
- एक काल्पनिक अवधारणा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक अनुसंधान में, चर (Variable) कोई भी ऐसी विशेषता, गुण या मात्रा है जो बदल सकती है या भिन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, आयु, आय, लिंग, शिक्षा का स्तर, राय आदि चर हैं।
- संदर्भ और विस्तार: शोधकर्ता अक्सर स्वतंत्र चर (independent variable) और आश्रित चर (dependent variable) के बीच संबंधों का अध्ययन करते हैं।
- गलत विकल्प: चर स्थिर (a) नहीं, बल्कि परिवर्तनशील होते हैं। यह अनुसंधान का अंतिम परिणाम (c) नहीं, बल्कि विश्लेषण की इकाई है। यह एक काल्पनिक अवधारणा (d) हो सकती है, लेकिन इसकी मुख्य परिभाषा परिवर्तनशीलता है।
प्रश्न 22: ‘अभिजात वर्ग सिद्धांत’ (Elite Theory) के अनुसार, समाज में शक्ति का वितरण कैसा होता है?
- शक्ति समान रूप से वितरित होती है।
- शक्ति कुछ चुनिंदा व्यक्तियों या समूहों (अभिजात वर्ग) के हाथों में केंद्रित होती है।
- शक्ति पूरी तरह से आम जनता द्वारा नियंत्रित होती है।
- शक्ति धर्म पर आधारित होती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अभिजात वर्ग सिद्धांत (जैसे Vilfredo Pareto, Gaetano Mosca, C. Wright Mills) यह तर्क देता है कि हर समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, सत्ता का एक छोटा, विशेषाधिकार प्राप्त समूह (अभिजात वर्ग) होता है जो निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक “The Power Elite” में अमेरिकी समाज में सैन्य, औद्योगिक और राजनीतिक अभिजात वर्ग के गठजोड़ का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: शक्ति समान रूप से वितरित (a) नहीं होती, न ही यह पूरी तरह से जनता (c) द्वारा नियंत्रित होती है। शक्ति का वितरण धर्म (d) से संबंधित हो सकता है, लेकिन यह अभिजात वर्ग सिद्धांत की मुख्य परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) से क्या तात्पर्य है?
- व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध
- समाज के भीतर सामाजिक संस्थाओं, समूहों और भूमिकाओं का व्यवस्थित पैटर्न जो समाज के संचालन को आकार देता है
- केवल समाज के भौतिक पहलू
- समाज के सभी अनौपचारिक नियम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न भागों (जैसे संस्थाएं, समूह, वर्ग, भूमिकाएं) के बीच अपेक्षाकृत स्थिर संबंधों और पैटर्न को संदर्भित करती है। यह वह ढाँचा प्रदान करती है जिसके भीतर सामाजिक जीवन घटित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तियों के व्यवहार और सामाजिक अंतःक्रियाओं को प्रभावित करती है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद और संघर्ष सिद्धांत दोनों ही सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर देते हैं।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत संबंध (a) सामाजिक संरचना का एक हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन पूरी संरचना नहीं। भौतिक पहलू (c) केवल संरचना का भौतिक घटक है। अनौपचारिक नियम (d) सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा हैं, लेकिन वे पूरी संरचना को परिभाषित नहीं करते।
प्रश्न 24: ‘प्रतीक’ (Symbol) की भूमिका, जैसा कि प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद में समझा जाता है, क्या है?
- संदेश भेजने का एकमात्र तरीका
- संचार का एक माध्यम जिसके द्वारा लोग अर्थ उत्पन्न और साझा करते हैं, और जिससे वे अपने स्वयं (self) और दुनिया को समझते हैं
- केवल अलंकृत वस्तुएं
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक अवांछित पहलू
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद में, प्रतीक (जैसे शब्द, इशारे, वस्तुएं) केंद्रीय होते हैं। ये प्रतीक वे माध्यम हैं जिनके द्वारा व्यक्ति एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, अर्थ बनाते हैं, और अपने सामाजिक यथार्थ का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भाषा प्रतीकों का सबसे महत्वपूर्ण रूप है। व्यक्ति प्रतीकों के माध्यम से सीखते हैं कि वे कौन हैं और समाज में उनका क्या स्थान है।
- गलत विकल्प: प्रतीक केवल संदेश भेजने का एकमात्र तरीका (a) नहीं हैं, बल्कि ये अर्थ निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे केवल अलंकृत वस्तुएं (c) नहीं हैं, और प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के लिए वे एक मूलभूत और वांछित पहलू हैं (d)।
प्रश्न 25: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) का क्या अर्थ है?
- धार्मिक संस्थानों की बढ़ती शक्ति
- धर्म का व्यक्तिगत जीवन और सार्वजनिक जीवन से प्रभाव कम होना, तर्कसंगतता और वैज्ञानिक सोच का बढ़ना
- सभी धर्मों का एक ही धर्म में विलय
- धार्मिक असहिष्णुता का बढ़ना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: धर्मनिरपेक्षीकरण से तात्पर्य समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) से धर्म के प्रभाव के कम होने से है। यह अक्सर तर्कसंगतता, वैज्ञानिक स्पष्टीकरणों और व्यक्तिगत स्वायत्तता को बढ़ावा देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया आधुनिकीकरण का एक प्रमुख घटक मानी जाती है, जहाँ पारंपरिक धार्मिक व्याख्याओं के स्थान पर अक्सर वैज्ञानिक या तर्कसंगत दृष्टिकोण हावी होने लगते हैं।
- गलत विकल्प: धर्मनिरपेक्षीकरण धार्मिक संस्थानों की शक्ति को कम करता है (a), न कि बढ़ाता है। यह धर्मों के विलय (c) या धार्मिक असहिष्णुता (d) को आवश्यक रूप से बढ़ावा नहीं देता।