समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!
तैयारी के इस महत्वपूर्ण सफर में, आइए आज समाजशास्त्र की दुनिया में गहराई से उतरें! यह वो रोज़ाना की खुराक है जो आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक क्षमता को नई धार देगी। क्या आप अपनी तैयारी को परखने और अवधारणाओं को मज़बूत करने के लिए तैयार हैं? आइए, इस बौद्धिक कसरत को शुरू करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा को किसने प्रतिपादित किया, जिसका अर्थ है कि ऐसे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति के कार्य करने, सोचने और महसूस करने की क्षमता बाहरी होती है और उसमें एक बाध्यकारी शक्ति होती है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा दी। उन्होंने इसे बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक चेतना से उत्पन्न होने वाला बताया।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति से बाहर होते हैं और उनके व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज, या सामाजिक संस्थाएँ। ये व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र होते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर जोर दिया, जो व्यक्ति के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर आधारित है, न कि बाहरी सामाजिक तथ्यों पर। हरबर्ट स्पेंसर विकासवाद के समर्थक थे।
प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता कौन सी है जो इसे पारंपरिक या करिश्माई नेतृत्व से अलग करती है?
- वंशानुगत पद
- व्यक्तिगत संबंध
- अधिकार की तर्कसंगत-कानूनी (Rational-Legal) वैधता
- अस्पष्ट नियम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: वेबर के लिए, नौकरशाही की पहचान अधिकार की ‘तर्कसंगत-कानूनी’ वैधता में निहित है, जहाँ सत्ता नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होती है, न कि व्यक्तिगत वफादारी या वंशानुगत अधिकार पर।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने ‘अर्थव्यवस्था और समाज’ (Economy and Society) में आदर्श-प्रकार (ideal-type) की नौकरशाही का वर्णन किया, जिसमें पदानुक्रम, लिखित नियम, विशेषज्ञता और अवैयक्तिक संबंध शामिल हैं। तर्कसंगत-कानूनी अधिकार इस प्रणाली का आधार है।
- गलत विकल्प: वंशानुगत पद राजशाही या पारंपरिक प्राधिकरण की विशेषता है। व्यक्तिगत संबंध अनौपचारिक या पारंपरिक प्रणालियों में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। अस्पष्ट नियम नौकरशाही की अक्षमता को दर्शाते हैं, न कि उसकी विशेषता को।
प्रश्न 3: किस समाजशास्त्री ने ‘संस्कृति का निलंबन’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी, जो यह बताती है कि समाज के विभिन्न अंग (जैसे भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति) एक ही गति से नहीं बदलते?
- ए.एल. क्रॉएबर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- ए. आर. देसाई
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: विलियम एफ. ओगबर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा पेश की।
- संदर्भ एवं विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, विश्वास, कानून, संस्थाएँ) की तुलना में तेज़ी से बदलती है। इस असंतुलन से सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, नई तकनीक (जैसे इंटरनेट) का आविष्कार अभौतिक सांस्कृतिक समायोजन (जैसे गोपनीयता कानून) से पहले हो सकता है।
- गलत विकल्प: ए.एल. क्रॉएबर संस्कृति और व्यक्तित्व के अध्ययन में प्रमुख थे। रॉबर्ट रेडफील्ड ने लोक संस्कृति (folk culture) का अध्ययन किया। ए. आर. देसाई भारतीय समाज में सामाजिक परिवर्तन और उपनिवेशवाद के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 4: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संसकीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विचारों को अपनाकर किसी निम्न जाति या जनजाति का सामाजिक स्थिति में सुधार
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
- धर्मनिरपेक्षता की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 5: किस समाजशास्त्री ने ‘एनालमी’ (Anomie) की अवधारणा को सामाजिक विघटन और व्यक्तिगत निराशा की स्थिति का वर्णन करने के लिए उपयोग किया, जब समाज में नियमों और मूल्यों का अभाव हो?
- इमाइल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनालमी’ की अवधारणा का उपयोग समाज में तब होने वाली स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जब सामाजिक नियम कमजोर या अनुपस्थित होते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने अपनी कृतियों ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) और ‘आत्महत्या’ (Suicide) में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। आत्महत्या के प्रकारों में से एक ‘एनामिक आत्महत्या’ है, जो सामाजिक अनियंत्रण का परिणाम है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स सामाजिक परिवर्तन के लिए वर्ग संघर्ष को केंद्रीय मानते थे। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और सामाजिक क्रिया का अध्ययन किया। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) और ‘स्व’ (Self) के विकास की प्रक्रिया पर काम किया।
प्रश्न 6: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का क्या अर्थ है?
- समाज में लोगों के बीच व्यक्तिगत भिन्नता
- समाज में संसाधनों, विशेषाधिकारों और शक्ति के असमान वितरण के आधार पर लोगों का पदानुक्रमित विभाजन
- किसी विशेष पेशे के लिए लोगों का समूहीकरण
- सामाजिक मानदंडों के प्रति लोगों का अनुपालन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सामाजिक स्तरीकरण समाज को विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित करने की एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है, जिसमें संसाधनों, धन, शक्ति और प्रतिष्ठा का असमान वितरण होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यक्तिगत भिन्नताओं से कहीं अधिक है; यह एक सामाजिक संरचना है जो समूहों को प्रभावित करती है। स्तरीकरण प्रणालियों में दासता, जाति, वर्ग और एस्टेट शामिल हैं। इसके प्रमुख सिद्धांतकारों में कार्ल मार्क्स (वर्ग) और मैक्स वेबर (वर्ग, दर्जा, शक्ति) शामिल हैं।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत भिन्नताएँ स्तरीकरण का आधार हो सकती हैं, लेकिन स्तरीकरण स्वयं इन भिन्नताओं का एक संरचनात्मक परिणाम है। पेशे के अनुसार समूहीकरण व्यवसायीकरण है। सामाजिक मानदंडों का अनुपालन सामाजिक नियंत्रण से संबंधित है।
प्रश्न 7: सिम्बोलिक इंटरैक्शनिज़्म (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण
- व्यक्तियों के बीच आमने-सामने की अंतःक्रिया और प्रतीकों के माध्यम से अर्थ का निर्माण
- समाज के विभिन्न भागों के बीच कार्यात्मक संबंध
- सामाजिक परिवर्तन की ऐतिहासिक प्रक्रियाएँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सिम्बोलिक इंटरैक्शनिज़्म सूक्ष्म-समाजशास्त्रीय (microsociological) दृष्टिकोण है जो इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) का उपयोग करके और एक-दूसरे के साथ बातचीत करके समाज में अर्थ कैसे बनाते और साझा करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन जैसे समाजशास्त्री इस सिद्धांत से जुड़े हैं। यह सिद्धांत बताता है कि हमारा ‘स्व’ (self) और सामाजिक वास्तविकता अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होती है।
- गलत विकल्प: बड़े पैमाने पर संरचनाओं का विश्लेषण मैक्रो-समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण (जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद) से संबंधित है। समाज के विभिन्न भागों के बीच कार्यात्मक संबंध संरचनात्मक प्रकार्यवाद की मुख्य बात है। सामाजिक परिवर्तन की ऐतिहासिक प्रक्रियाएँ ऐतिहासिक समाजशास्त्र या मार्क्सवाद से संबंधित हो सकती हैं।
प्रश्न 8: ‘एलिनेशन’ (Alienation) या अलगाव की अवधारणा, विशेष रूप से औद्योगिक पूंजीवाद के संदर्भ में, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी है?
- Émile Durkheim
- Max Weber
- Karl Marx
- Talcott Parsons
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: कार्ल मार्क्स ने अपने प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में अलगाव की अवधारणा पर जोर दिया।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, अपनी प्रजाति-सार (species-being) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है। यह अलगाव उत्पादन के साधनों के निजी स्वामित्व और श्रम के विभाजन का परिणाम है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने एनालमी और सामाजिक एकजुटता पर काम किया। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर ध्यान केंद्रित किया। पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था पर अधिक जोर दिया।
प्रश्न 9: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के उन्मूलन के लिए संविधान के किस अनुच्छेद में विशेष प्रावधान किया गया है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 21
- अनुच्छेद 32
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को प्रतिबंधित करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद मौलिक अधिकारों का हिस्सा है और अस्पृश्यता से उत्पन्न किसी भी विकलांगता को लागू करना एक दंडनीय अपराध होगा। यह सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता प्रदान करता है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है। अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान करता है।
प्रश्न 10:TALCOTT PARSONS द्वारा प्रस्तुत ‘AGIL Schema’ किस सिद्धांत का हिस्सा है, जो समाज की निरंतरता और स्थिरता की व्याख्या करता है?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- नारो (Phenomenology)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: AGIL Schema (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency/Pattern Maintenance)TALcott Parsons का एक प्रमुख ढाँचा है जो समाज की चार आवश्यक कार्यात्मक आवश्यकताओं की व्याख्या करता है, जो सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह संरचनात्मक प्रकार्यवाद का एक केंद्रीय तत्व है, जिसके अनुसार समाज एक जटिल तंत्र है जिसके विभिन्न भाग (संरचनाएँ) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं ताकि स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन और शक्ति संघर्ष पर केंद्रित है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति-स्तर की अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। फेनोमेनोलॉजी चेतना और व्यक्तिपरक अनुभवों का अध्ययन करती है।
प्रश्न 11: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने ‘अनिवर्चनीय कार्य’ (Dysfunction) की अवधारणा दी। इसका क्या अर्थ है?
- किसी सामाजिक पैटर्न के सकारात्मक परिणाम
- किसी सामाजिक पैटर्न के नकारात्मक या विघटनकारी परिणाम
- समाज की चार कार्यात्मक आवश्यकताएँ
- सामाजिक अंतःक्रिया के बिना व्यक्ति की स्थिति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘मेनिफेस्ट फंक्शन्स’ (Manifest Functions – प्रत्यक्ष कार्य) और ‘लेटेंट फंक्शन्स’ (Latent Functions – अप्रत्यक्ष कार्य) के साथ-साथ ‘डिसफंक्शन्स’ (Dysfunctions – अनिवर्चनीय कार्य) की भी बात की। अनिवर्चनीय कार्य किसी सामाजिक पैटर्न के वे परिणाम होते हैं जो समाज के लिए हानिकारक या विघटनकारी होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने कार्यों को ‘प्रत्यक्ष’ (इच्छित और मान्यता प्राप्त) और ‘अप्रत्यक्ष’ (अनपेक्षित और अमान्यता प्राप्त) के रूप में वर्गीकृत किया। अनिवर्चनीय कार्य वे हैं जो समाज के अनुकूलन या सामंजस्य को कम करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रत्यक्ष कार्य (Manifest Functions) सामाजिक पैटर्न के इच्छित परिणाम होते हैं। अप्रत्यक्ष कार्य (Latent Functions) अनपेक्षित परिणाम होते हैं। AGIL Schema पार्सन्स का है।
प्रश्न 12: भारतीय समाज में, ‘हरिजन’ (Harijan) शब्द किसके द्वारा गढ़ा गया था और इसका क्या तात्पर्य था?
- बी. आर. अम्बेडकर; दलितों को उनके सामाजिक बहिष्कार के रूप में संबोधित करने के लिए
- महात्मा गांधी; ईश्वर के लोग (People of God) के रूप में संबोधित करने के लिए
- एम.एन. श्रीनिवास; संस्कृतिकरण प्रक्रिया के वाहक के रूप में
- ई.वी. रामासामी; ब्राह्मणवादी वर्चस्व पर कटाक्ष के रूप में
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: महात्मा गांधी ने ‘अछूतों’ के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया, जिसका अर्थ था ‘ईश्वर के लोग’ या ‘ईश्वर के बच्चे’।
- संदर्भ एवं विस्तार: गांधीजी का उद्देश्य इस शब्द के माध्यम से उनकी दिव्यता और गरिमा को उजागर करना था, उन्हें समाज के हाशिए पर धकेले जाने के बावजूद सम्मानजनक स्थान देना था। हालांकि, बाद में बी.आर. अम्बेडकर और अन्य दलित नेताओं ने इस शब्द को अस्वीकार कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि यह आत्म-सम्मान को कम करता है और एक बाहरी द्वारा दिया गया नाम है, और ‘दलित’ (दलित) शब्द को प्राथमिकता दी।
- गलत विकल्प: बी. आर. अम्बेडकर ने ‘दलित’ शब्द को लोकप्रिय बनाया। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्किृतिकरण पर काम किया। ई.वी. रामासामी ‘पेरियार’ के नाम से जाने जाते थे और उन्होंने द्रविड़ आंदोलन का नेतृत्व किया।
प्रश्न 13: ‘सांस्कृतिक आत्मसात्करण’ (Acculturation) का अर्थ क्या है?
- किसी समाज के भीतर विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व
- एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति द्वारा पूरी तरह से प्रतिस्थापन
- दो संस्कृतियों के बीच संपर्क के परिणामस्वरूप होने वाला सांस्कृतिक परिवर्तन
- अपने स्वयं के सांस्कृतिक मूल्यों को श्रेष्ठ मानना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सांस्कृतिक आत्मसात्करण तब होता है जब दो या दो से अधिक अलग-अलग संस्कृतियाँ सीधे संपर्क में आती हैं, और इसके परिणामस्वरूप उनमें से एक या दोनों में सांस्कृतिक परिवर्तन होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह एक निरंतर प्रक्रिया है जहाँ समूह एक-दूसरे से सीखते हैं और अपनी सांस्कृतिक प्रथाओं, विश्वासों या मूल्यों को संशोधित करते हैं। यह अक्सर उपनिवेशवाद, प्रवास या वैश्वीकरण के संदर्भ में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व ‘बहुसंस्कृतिवाद’ (Multiculturalism) है। एक संस्कृति का दूसरी द्वारा प्रतिस्थापन ‘सांस्कृतिक विलोपन’ (Cultural Assimilation) या ‘सांस्कृतिक एकीकरण’ (Cultural Absorption) हो सकता है। अपने मूल्यों को श्रेष्ठ मानना ‘जाति-केंद्रवाद’ (Ethnocentrism) है।
प्रश्न 14: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘स्व’ (Self) के विकास में कौन सी अवस्था महत्वपूर्ण है, जहाँ व्यक्ति दूसरों की भूमिकाओं को निभाना सीखता है?
- खेल अवस्था (Play Stage)
- सामान्यीकृत अन्य (Generalized Other)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रिया (Symbolic Interaction)
- अनुकरण अवस्था (Imitation Stage)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के ‘स्व’ के विकास के सिद्धांत में, ‘खेल अवस्था’ (Play Stage) वह चरण है जहाँ बच्चा विशिष्ट दूसरों (जैसे माता-पिता, शिक्षक) की भूमिकाएँ निभाना सीखता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह ‘खेल’ के माध्यम से होता है, जैसे डॉक्टर-डॉक्टर खेलना, जहाँ बच्चा उस व्यक्ति की भूमिका और अपेक्षित व्यवहार को आत्मसात करता है। इससे उसे यह समझने में मदद मिलती है कि दूसरों की क्या अपेक्षाएँ हो सकती हैं। इसके बाद ‘गेम स्टेज’ आती है जहाँ वे अधिक जटिल, संगठित भूमिकाएँ और ‘सामान्यीकृत अन्य’ की अवधारणा को सीखते हैं।
- गलत विकल्प: ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) अंतिम चरण है जहाँ व्यक्ति समाज की समग्र अपेक्षाओं को समझता है। ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रिया’ वह व्यापक प्रक्रिया है जिसमें ‘स्व’ का विकास होता है। ‘अनुकरण अवस्था’ (Imitation Stage) वह प्रारंभिक चरण है जहाँ बच्चा बिना भूमिका निभाए नकल करता है।
प्रश्न 15: ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology) के अध्ययन का मुख्य फोकस क्या है?
- शहरीकरण की प्रक्रियाएँ और शहरी जीवन
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संस्थाएँ और वैश्विक रुझान
- ग्रामीण समुदायों की संरचना, संस्थाएँ, लोग और उनकी सामाजिक प्रक्रियाएँ
- संचार के माध्यम और जनमत का निर्माण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: ग्रामीण समाजशास्त्र विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों, उनके समुदायों, सामाजिक संरचनाओं, भूमि-आधारित अर्थव्यवस्थाओं, कृषि, ग्राम-पंचायतों, और ग्रामीण जीवन शैली से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसमें ग्रामीण-शहरी विभाजन, ग्रामीण विकास, कृषि संकट, भूमि सुधार, जाति और वर्ग संबंध, और प्रवासन जैसे विषय शामिल हैं।
- गलत विकल्प: शहरीकरण शहरी समाजशास्त्र का विषय है। बड़े पैमाने पर सामाजिक संस्थाएँ और वैश्विक रुझान व्यापक समाजशास्त्र का विषय हो सकते हैं। संचार माध्यम जनसंचार (Communication Studies) का विषय हैं।
प्रश्न 16: भारत में ‘आर्थिक उदारीकरण’ (Economic Liberalization) के सामाजिक प्रभाव में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल है?
- जातिगत भेदभाव में कमी
- पारंपरिक संयुक्त परिवारों का विघटन
- उपभोक्तावाद में वृद्धि और मध्यम वर्ग का विस्तार
- ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता में वृद्धि
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: 1991 के बाद भारत में आर्थिक उदारीकरण ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला, जिसमें उपभोक्तावाद में वृद्धि, ब्रांडेड उत्पादों की उपलब्धता, विज्ञापन का प्रभाव और एक बड़े, अधिक खर्च करने वाले मध्यम वर्ग का उदय प्रमुख है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसने जीवन शैली, उपभोग पैटर्न, मीडिया और यहां तक कि पारिवारिक संरचनाओं को भी प्रभावित किया है।
- गलत विकल्प: आर्थिक उदारीकरण ने सीधे तौर पर जातिगत भेदभाव को कम नहीं किया है, हालांकि सामाजिक गतिशीलता बढ़ी है। पारंपरिक संयुक्त परिवारों का विघटन कई कारकों का परिणाम है, लेकिन उदारीकरण ने शहरीकरण और व्यक्तिवाद को बढ़ावा देकर इसमें योगदान दिया है। ग्रामीण आत्मनिर्भरता में वृद्धि आर्थिक उदारीकरण का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं है, बल्कि यह कृषि नीतियों पर अधिक निर्भर है।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संबंध
- समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर तक ऊपर या नीचे की ओर बढ़ना
- सामाजिक समूहों के बीच सहयोग की प्रक्रिया
- सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन की गति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी वर्तमान सामाजिक स्थिति को बदलते हैं, चाहे वह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वाधर गतिशीलता) या नीचे की ओर (अधोमुखी गतिशीलता) हो, या एक ही सामाजिक स्थिति के भीतर एक पद से दूसरे पद पर जाना (क्षैतिज गतिशीलता)।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह किसी भी स्तरीकृत समाज की एक विशेषता है। भारत में जाति व्यवस्था गतिशीलता को सीमित करती है, जबकि वर्ग व्यवस्था अधिक गतिशीलता की अनुमति देती है।
- गलत विकल्प: वर्गों के बीच संबंध सामाजिक संरचना का हिस्सा है। सहयोग एक सामाजिक प्रक्रिया है। सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन की गति समाजशास्त्रीय परिवर्तन के अध्ययन का विषय है।
प्रश्न 18: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की अवधारणा समाजशास्त्र में किस परिवर्तन को संदर्भित करती है?
- धार्मिक संस्थानों का प्रभाव कम होना और जीवन के गैर-धार्मिक क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा) का महत्व बढ़ना
- सभी लोगों का एक ही धर्म का पालन करना
- समाज का कृषि-आधारित से उद्योग-आधारित में परिवर्तन
- वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: धर्मनिरपेक्षीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें सार्वजनिक जीवन से धर्म की प्रधानता का क्षरण, धार्मिक संस्थाओं के प्रभाव में कमी, और जीवन के विभिन्न पहलुओं (जैसे सरकार, शिक्षा, विज्ञान) का धर्म से अलग होना शामिल है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इमाइल दुर्खीम, मैक्स वेबर और पीटर बर्जर जैसे समाजशास्त्रियों ने इस प्रक्रिया पर चर्चा की है। यह आधुनिकता और औद्योगीकरण से जुड़ी एक मुख्य विशेषता मानी जाती है।
- गलत विकल्प: सभी का एक ही धर्म का पालन करना धार्मिक एकरूपता है। कृषि से उद्योग में परिवर्तन औद्योगीकरण है। वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार आधुनिकता का एक पहलू है, लेकिन धर्मनिरपेक्षीकरण केवल इसी तक सीमित नहीं है।
प्रश्न 19: भारत में ‘जनजातीय समुदायों’ (Tribal Communities) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता आमतौर पर देखी जाती है?
- समान भाषा और लिपि
- विशिष्ट संस्कृति, अलग भू-भाग (अक्सर), और एक सामान्य पहचान
- उच्च स्तर का औद्योगीकरण
- जटिल स्तरीकृत वर्ग संरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: जनजातीय समुदायों को अक्सर अपनी विशिष्ट संस्कृति, रीति-रिवाजों, भाषाओं (हालांकि एकरूपता नहीं), और एक साझा पहचान के आधार पर परिभाषित किया जाता है। वे अक्सर मुख्यधारा के समाज से अलग, भौगोलिक रूप से भी हो सकते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: एन.के. बोस, वेरियर एल्विन और एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने भारतीय जनजातियों का अध्ययन किया है। उनकी अलगाव की डिग्री और मुख्यधारा के समाज के साथ संबंध जटिल रहा है।
- गलत विकल्प: सभी जनजातीय समुदायों की समान भाषा या लिपि नहीं होती; वे अक्सर विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं। अधिकांश जनजातीय समुदायों में औद्योगीकरण का स्तर निम्न होता है, और वे पारंपरिक जीवन शैली जीते हैं। उनकी सामाजिक संरचना सरल होती है, न कि जटिल स्तरीकृत वर्ग संरचना।
प्रश्न 20: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का सबसे व्यापक समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?
- किसी समाज के राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव
- समाज की संरचना, संस्कृति या व्यवहार पैटर्न में कोई भी महत्वपूर्ण परिवर्तन
- नए कानूनों का पारित होना
- तकनीकी नवाचारों का एक विशिष्ट सेट
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सामाजिक परिवर्तन एक व्यापक शब्द है जो समाज की संरचना (जैसे परिवार, राज्य), संस्कृति (जैसे मूल्य, विश्वास, कला) या व्यवहार पैटर्न (जैसे लोगों के बातचीत करने का तरीका) में होने वाले किसी भी महत्वपूर्ण और स्थायी बदलाव को संदर्भित करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह धीमी या तेज गति से हो सकता है और विभिन्न कारकों (जैसे प्रौद्योगिकी, विचार, संघर्ष, पर्यावरण) से प्रेरित हो सकता है।
- गलत विकल्प: राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव सामाजिक परिवर्तन का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह संपूर्ण नहीं है। नए कानूनों का पारित होना भी परिवर्तन का एक रूप है, लेकिन यह हमेशा संरचनात्मक या सांस्कृतिक परिवर्तन को आवश्यक रूप से नहीं दर्शाता। तकनीकी नवाचार परिवर्तन के चालक हो सकते हैं, लेकिन वे स्वयं सामाजिक परिवर्तन नहीं हैं।
प्रश्न 21: ‘समूह’ (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से क्या एक ‘समूह’ बनाने के लिए आवश्यक है?
- केवल एक ही स्थान पर उपस्थित होना
- आपसी पहचान और एक-दूसरे पर निर्भरता
- समान वेशभूषा पहनना
- एक ही नाम से पुकारा जाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: समाजशास्त्र में, एक समूह को व्यक्तियों के ऐसे संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक-दूसरे के साथ नियमित रूप से बातचीत करते हैं, उनमें आपसी पहचान की भावना होती है, और जो एक-दूसरे पर अपनी गतिविधियों और पहचान के लिए निर्भर होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह केवल संयोग से एक साथ आने वाले लोगों (जैसे किसी भीड़ में) से अलग है, जहाँ कोई आपसी संपर्क या पहचान नहीं होती।
- गलत विकल्प: एक ही स्थान पर उपस्थित होना (जैसे भीड़) समूह नहीं है। समान वेशभूषा समूह का हिस्सा हो सकती है, लेकिन यह समूह का निर्णायक कारक नहीं है। एक ही नाम से पुकारा जाना भी स्वयं में समूह नहीं बनाता।
प्रश्न 22: भारत में ‘विवाह’ (Marriage) के संबंध में, ‘बहुविवाह’ (Polygamy) का अर्थ है:
- एक व्यक्ति का एक ही समय में एक से अधिक साथी होना
- एक व्यक्ति का एक ही समय में एक से अधिक पत्नियों या पतियों का होना
- किसी रिश्तेदार से विवाह करना
- समान जाति या समूह के भीतर विवाह करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: बहुविवाह (Polygamy) वह प्रथा है जिसमें एक व्यक्ति एक ही समय में एक से अधिक जीवनसाथी रखता है। इसके दो मुख्य रूप हैं: बहुपतित्व (Polyandry), जिसमें एक महिला के कई पति होते हैं, और बहुपत्नीत्व (Polygyny), जिसमें एक पुरुष की कई पत्नियाँ होती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय समाज में ऐतिहासिक रूप से बहुपत्नीत्व की प्रथा कुछ समुदायों में देखी गई है, जबकि बहुपतित्व बहुत दुर्लभ है, केवल कुछ विशिष्ट जनजातियों में पाई जाती है।
- गलत विकल्प: एक से अधिक साथी होना (चाहे वह विवाहित हो या नहीं) केवल ‘साथी’ (partner) होना है, विशिष्ट रूप से ‘बहुविवाह’ नहीं। रिश्तेदार से विवाह ‘अंतरविवाह’ (Endogamy) या ‘नातेदारी’ (Kinship) के नियम हो सकते हैं। समान जाति में विवाह ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) है।
प्रश्न 23: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया का सबसे उपयुक्त वर्णन क्या है?
- लोगों का एक साथ आना और एक-दूसरे के साथ बातचीत करना
- एक व्यक्ति का समाज के मानदंडों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को सीखना और आत्मसात करना
- समाज के नियमों का पालन करने के लिए बल प्रयोग
- नई तकनीकों का आविष्कार करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: सामाजिकरण वह आजीवन प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी संस्कृति के ज्ञान, व्यवहारों, मूल्यों और विश्वासों को सीखते हैं और उन्हें आत्मसात करते हैं, जिससे वे समाज के प्रभावी सदस्य बन सकें।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह परिवार, स्कूल, साथियों के समूह, मीडिया और अन्य सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से होता है। यह सामाजिक व्यवस्था और निरंतरता के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: लोगों का एक साथ आना और बातचीत करना समूह निर्माण का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह सामाजिकरण की पूरी प्रक्रिया नहीं है। नियमों का पालन बल प्रयोग से नहीं, बल्कि सीखने से होता है। तकनीकों का आविष्कार नवाचार है।
प्रश्न 24: ‘जाति’ (Caste) की अवधारणा के संबंध में, ‘जाति-बाह्य विवाह’ (Exogamy) नियम क्या निर्देशित करता है?
- व्यक्ति को अपनी जाति के भीतर विवाह करना चाहिए।
- व्यक्ति को विवाह के लिए एक विशिष्ट समूह या वंश का चयन करना चाहिए।
- व्यक्ति को अपनी जाति के बाहर विवाह करना चाहिए।
- व्यक्ति को दो या दो से अधिक जातियों के बीच विवाह करना चाहिए।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: ‘जाति-बाह्य विवाह’ (Exogamy) वह सामाजिक नियम है जो व्यक्तियों को अपने निकटतम रिश्तेदारों (जैसे भाई-बहन, कजिन) या कभी-कभी अपनी ही जाति के कुछ उप-समूहों (गोत्र, कुल) के बाहर विवाह करने का निर्देश देता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारत में, गोत्र-बाह्य विवाह (Gotra Exogamy) एक सामान्य प्रथा है, जहाँ एक व्यक्ति को उसी गोत्र के अन्य सदस्यों से विवाह करने की अनुमति नहीं होती। इसके विपरीत, ‘जाति-अंतर्विवाह’ (Endogamy) का नियम बताता है कि विवाह अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर ही होना चाहिए।
- गलत विकल्प: अपनी जाति के भीतर विवाह करना ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) है। विशिष्ट समूह का चयन ‘अंतर्विवाह’ या ‘जाति-समूह’ पर आधारित हो सकता है। दो या दो से अधिक जातियों के बीच विवाह एक जटिल प्रक्रिया है और हमेशा ‘जाति-बाह्य विवाह’ का परिणाम नहीं होता।
प्रश्न 25: पीटर बर्जर (Peter Berger) ने ‘समाज की संरचना’ (The Social Construction of Reality) पुस्तक में समाज को कैसे वर्णित किया है?
- एक स्थिर और अपरिवर्तनीय इकाई
- एक ऐसी वास्तविकता जिसे व्यक्ति सामूहिक रूप से प्रतीकों और अंतःक्रियाओं के माध्यम से बनाते हैं
- केवल जैविक आवश्यकताओं का परिणाम
- एक ऐसी व्यवस्था जो केवल बाहरी तथ्यों से चलती है
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सहीता: पीटर बर्जर और थॉमस लुकमैन ने अपनी पुस्तक ‘द सोशल कंस्ट्रक्शन ऑफ रियलिटी’ (1966) में तर्क दिया कि सामाजिक वास्तविकता व्यक्तिपरक है और इसे व्यक्तियों द्वारा अपनी सामूहिक अंतःक्रियाओं और भाषा के माध्यम से निर्मित किया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह दृष्टिकोण प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के करीब है, जो मानता है कि समाज नियमों, संस्थाओं और अर्थों का एक मानव-निर्मित ढाँचा है, न कि कोई वस्तुनिष्ठ, पूर्वनिर्धारित वास्तविकता।
- गलत विकल्प: समाज को स्थिर या जैविक आवश्यकताओं का परिणाम मानना अति-सरलीकरण है। बाहरी तथ्यों से चलने वाली व्यवस्था दुर्खीम के ‘सामाजिक तथ्य’ से संबंधित हो सकती है, लेकिन बर्जर का जोर मानव-निर्मित अर्थों पर है।