समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपने ज्ञान का परीक्षण करें!
तैयारी के योद्धाओं, एक नए दिन के लिए तैयार हो जाइए! आज हम समाजशास्त्र के गहन सागर में उतरेंगे और आपके वैचारिक आधार को मजबूत करेंगे। क्या आप नवीनतम अवधारणाओं, क्लासिक सिद्धांतों और भारतीय समाज की जटिलताओं पर अपनी पकड़ परखने के लिए तैयार हैं? आइए, अपनी विश्लेषणात्मक कौशल और स्मृति का परीक्षण करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक क्रिया” (Social Action) की अवधारणा को किसने अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण का केंद्र बनाया?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने “सामाजिक क्रिया” (Social Action) को अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण की केंद्रीय इकाई माना। उनके अनुसार, समाजशास्त्र का कार्य सामाजिक क्रियाओं को समझना और उनकी व्याख्या करना है, जिसका अर्थ है कि कर्ता उस क्रिया से व्यक्तिपरक अर्थ जोड़ता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की पद्धति को “व्याख्यात्मक समाजशास्त्र” (Interpretive Sociology) या “समझ” (Verstehen) के रूप में जाना जाता है। वे सामाजिक क्रिया को ऐसी क्रिया मानते हैं जिसका कर्ता व्यक्तिगत अर्थ जोड़ता है और जिसका व्यवहार दूसरों से संबंधित होता है। यह दुर्खीम के सामाजिक तथ्यों के अध्ययन से भिन्न है।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्यों” (Social Facts) पर जोर दिया, जो बाहरी और बाध्यकारी होते हैं। कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान “वर्ग संघर्ष” (Class Conflict) और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास को जैविक विकास के अनुरूप देखा।
प्रश्न 2: एमएन श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत “संस्कृतिकरण” (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- पश्चिमी जीवन शैली का अनुकरण
- उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर निम्न जातियों द्वारा स्थिति सुधारने की प्रक्रिया
- आधुनिकीकरण की ओर बढ़ना
- शहरीकरण के कारण सामाजिक गतिशीलता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्कृतीकरण, जैसा कि एमएन श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में परिभाषित किया है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जाति या जनजाति के लोग उच्च जाति की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और देवताओं को अपनाते हैं ताकि सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जो सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए बिना व्यक्ति या समूह की स्थिति में बदलाव ला सकती है। यह भारत में सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण का अर्थ पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाना है। आधुनिकीकरण एक व्यापक अवधारणा है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। शहरीकरण से संबंधित सामाजिक गतिशीलता मौजूद हो सकती है, लेकिन संस्कृतीकरण का सीधा अर्थ यह नहीं है।
प्रश्न 3: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- यह समाज को विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित करने की एक व्यवस्था है।
- यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है, हालांकि इसके रूप अलग-अलग हो सकते हैं।
- यह पूरी तरह से व्यक्तिगत योग्यता और प्रयास पर आधारित होता है।
- यह सामाजिक असमानताओं को बनाए रखने और वैध बनाने का कार्य करता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कथन (c) गलत है। सामाजिक स्तरीकरण केवल व्यक्तिगत योग्यता या प्रयास पर आधारित नहीं होता, बल्कि यह अक्सर जन्म, वंश, जाति, वर्ग, लिंग आदि जैसे कारकों पर आधारित होता है, जो व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाजों में शक्ति, धन और प्रतिष्ठा के असमान वितरण को दर्शाता है। यह एक पदानुक्रमित व्यवस्था है जो सामाजिक गतिशीलता को प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: कथन (a), (b), और (d) सामाजिक स्तरीकरण की प्रकृति के बारे में सही हैं। यह समाज को स्तरों में बांटता है, सार्वभौमिक है, और असमानताओं को कायम रखता है।
प्रश्न 4: पैट्रीशिया हिल कॉलिन्स (Patricia Hill Collins) ने अपनी किस अवधारणा के माध्यम से अश्वेत महिलाओं के अनुभव और उत्पीड़न के बहुआयामी स्वरूप को समझाया?
- आंतरिककरण (Internalization)
- चौथा विश्व (Fourth World)
- अंतर्संबंध (Intersectionality)
- पित्रसत्ता (Patriarchy)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पैट्रीशिया हिल कॉलिन्स ने “अंतर्संबंध” (Intersectionality) की अवधारणा को विकसित किया, जिसका अर्थ है कि विभिन्न सामाजिक श्रेणियां जैसे कि जाति, वर्ग, लिंग, यौन अभिविन्यास, धर्म आदि एक-दूसरे से इस प्रकार जुड़ी हुई हैं कि वे व्यक्तिगत पहचान और सामाजिक असमानताओं को जटिल और बहुआयामी तरीके से आकार देती हैं। उन्होंने विशेष रूप से अश्वेत महिलाओं के अनुभवों का विश्लेषण करने के लिए इस अवधारणा का उपयोग किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा किम्बर्ले क्रेंशॉ (Kimberlé Crenshaw) द्वारा भी विकसित की गई थी। कॉलिन्स की पुस्तक ‘Black Feminist Thought’ में इस पर विस्तार से चर्चा की गई है।
- गलत विकल्प: आंतरिककरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बाहरी सामाजिक मानदंड और मूल्य व्यक्ति के अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं। चौथा विश्व उन देशों या समूहों को संदर्भित करता है जो विकासशील देशों के भीतर सबसे गरीब हैं। पित्रसत्ता एक सामाजिक व्यवस्था है जिसमें पुरुष प्रमुख होते हैं।
प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, “एनामी” (Anomie) की स्थिति का क्या अर्थ है?
- सामाजिक व्यवस्था का पूर्ण अभाव
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अत्यधिक भाव
- समाज में नियमों और मानदंडों का शिथिल या लुप्त हो जाना, जिससे अनिश्चितता और दिशाहीनता की भावना उत्पन्न होती है
- आत्महत्या की दर में वृद्धि
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने “एनामी” को एक ऐसी सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहां समाज के नियम कमजोर पड़ जाते हैं, स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं होते, या उनका पालन न के बराबर होता है। इससे व्यक्तियों में दिशाहीनता, मोहभंग और सामाजिक नियंत्रण में कमी महसूस होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों जैसे ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में एनामी की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने दिखाया कि कैसे सामाजिक परिवर्तन, विशेष रूप से आर्थिक या राजनीतिक उथल-पुथल, एनामी को जन्म दे सकती है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक व्यवस्था का पूर्ण अभाव अराजकता (Anarchy) हो सकता है, एनामी नहीं। (b) व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अत्यधिक भाव एनामी का परिणाम हो सकता है, लेकिन स्वयं एनामी नहीं। (d) आत्महत्या की दर में वृद्धि एनामी का एक संभावित परिणाम है, लेकिन एनामी की परिभाषा नहीं।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में “विवाह” (Marriage) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता को “संस्था” (Institution) के रूप में इसकी प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए प्रयोग किया जाता है?
- यह एक व्यक्तिगत समझौता है।
- यह दो आत्माओं का मिलन है।
- यह एक सामाजिक रूप से स्वीकृत संबंध है जिसमें अधिकार और कर्तव्य निहित होते हैं, और इसके विशिष्ट उद्देश्य होते हैं।
- यह केवल प्रेम पर आधारित होता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विवाह को एक सामाजिक संस्था के रूप में परिभाषित करने के लिए, कथन (c) सबसे उपयुक्त है। इसमें सामाजिक स्वीकृति, स्थापित अधिकार और कर्तव्य, और समाज द्वारा निर्धारित उद्देश्य (जैसे संतानोत्पत्ति, संपत्ति का हस्तांतरण, सामाजिक व्यवस्था) शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र में, संस्थाएँ वे स्थायी और सार्वभौमिक पैटर्न या संरचनाएँ हैं जो समाज के कामकाज के लिए आवश्यक हैं, जैसे परिवार, धर्म, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और विवाह।
- गलत विकल्प: (a) विवाह व्यक्तिगत से अधिक सामाजिक है। (b) यह एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति हो सकती है, लेकिन संस्थागत परिभाषा नहीं। (d) यद्यपि प्रेम महत्वपूर्ण हो सकता है, विवाह की संस्था प्रेम से कहीं अधिक व्यापक है।
प्रश्न 7: आर. के. मर्टन (R. K. Merton) के अनुसार, “कार्य” (Function) की अवधारणा के दो मुख्य प्रकार क्या हैं?
- सकारात्मक कार्य और नकारात्मक कार्य
- प्रकट कार्य और अप्रकट कार्य
- सामाजिक कार्य और व्यक्तिगत कार्य
- अनुकूली कार्य और विचलित कार्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आर. के. मर्टन ने समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए “प्रकट कार्य” (Manifest Function) और “अप्रकट कार्य” (Latent Function) की अवधारणा पेश की। प्रकट कार्य किसी सामाजिक घटना या संस्था के उद्देश्यपूर्ण और पहचाने जाने योग्य परिणाम होते हैं, जबकि अप्रकट कार्य अनपेक्षित और अक्सर अनजाने परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी कृति ‘Social Theory and Social Structure’ में इन अवधारणाओं की व्याख्या की है। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि अप्रकट कार्य सामाजिक नेटवर्क बनाना या विवाह के अवसर प्रदान करना हो सकता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प मर्टन द्वारा बताई गई कार्य की विशिष्ट श्रेणियां नहीं हैं।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा एक “सामाजिक परिवर्तन” (Social Change) का बाहरी कारक नहीं है?
- प्रौद्योगिकी में नवाचार
- जनसंख्या वृद्धि
- पर्यावरणीय घटनाएँ
- सांस्कृतिक मूल्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सांस्कृतिक मूल्य (Cultural Values) को सामाजिक परिवर्तन का एक आंतरिक या परिणामी कारक माना जा सकता है, न कि एक विशुद्ध बाहरी कारक। जबकि बाहरी कारक (जैसे प्रौद्योगिकी, पर्यावरण) परिवर्तन लाते हैं, सांस्कृतिक मूल्य उन परिवर्तनों को कैसे ग्रहण किया जाता है या विरोध किया जाता है, इसे प्रभावित करते हैं और स्वयं भी परिवर्तन का स्रोत बन सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक परिवर्तन बाहरी और आंतरिक दोनों कारकों से प्रभावित होता है। बाहरी कारक वे हैं जो समाज के बाहर से आते हैं या भौतिक दुनिया से संबंधित होते हैं, जबकि आंतरिक कारक समाज के भीतर की प्रक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं।
- गलत विकल्प: प्रौद्योगिकी, जनसंख्या वृद्धि और पर्यावरणीय घटनाएँ (जैसे जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ) स्पष्ट रूप से बाहरी कारक हैं जो समाजों को महत्वपूर्ण रूप से बदलते हैं।
प्रश्न 9: “अभिजन सिद्धांत” (Elite Theory) के अनुसार, समाज में शक्ति का अधिकांश भाग किस समूह के हाथों में केंद्रित होता है?
- आम जनता
- बहुसंख्यक वर्ग
- एक छोटा, विशेषाधिकार प्राप्त और शक्तिशाली अल्पसंख्यक समूह
- विशेषज्ञों का समूह
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अभिजन सिद्धांत (जिसे गैटानो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो और सी. राइट मिल्स जैसे विचारकों ने विकसित किया) यह तर्क देता है कि किसी भी समाज में, शक्ति का अधिकांश भाग एक छोटे, सुसंगत और शक्तिशाली अल्पसंख्यक समूह के हाथों में केंद्रित होता है, जिसे “अभिजन” कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि शक्ति का वितरण स्वाभाविक रूप से असमान होता है और अभिजन वर्ग अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए अक्सर जटिल तंत्र का उपयोग करता है। सी. राइट मिल्स ने अमेरिकी समाज में “शक्ति अभिजन” (Power Elite) की अवधारणा दी।
- गलत विकल्प: ये विकल्प अभिजन सिद्धांत के विपरीत हैं, जो शक्ति के अल्पमत-केंद्रित वितरण पर बल देता है।
प्रश्न 10: भारतीय समाज में “जाति व्यवस्था” (Caste System) के संबंध में “आत्मसात” (Assimilation) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- एक निम्न जाति का उच्च जाति के रीति-रिवाजों को अपनाना
- जातिगत पहचान का धीरे-धीरे मिटना और मुख्यधारा की संस्कृति में घुल-मिल जाना
- जाति के भीतर उप-जातियों का निर्माण
- जाति आधारित भेदभाव का बढ़ना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आत्मसात (Assimilation) एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके तहत एक अल्पसंख्यक समूह या व्यक्ति धीरे-धीरे बहुसंख्यक समूह की संस्कृति, मूल्यों और व्यवहारों को अपनाता है, और परिणामस्वरूप अपनी मूल पहचान को कम कर देता है या खो देता है। जाति व्यवस्था के संदर्भ में, इसका अर्थ होगा जातिगत पहचान का कमजोर पड़ना और मुख्यधारा की सामाजिक संरचना में विलीन हो जाना।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृतीकरण (Sanskritization) के विपरीत, जो ऊपर उठने के लिए उच्च जाति के तत्वों को अपनाना है, आत्मसात में अपनी विशिष्ट पहचान को खोकर मुख्यधारा में मिलना होता है।
- गलत विकल्प: (a) संस्कृतीकरण का वर्णन करता है। (c) जातिगत विभाजन से संबंधित है, आत्मसात से नहीं। (d) जातिगत भेदभाव को बढ़ा सकता है, लेकिन आत्मसात की परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 11: सामाजिक व्यवस्था में “प्रतीक” (Symbols) के महत्व पर किसने विशेष बल दिया, जिनके माध्यम से लोग अर्थ का निर्माण और संचार करते हैं?
- अगस्ट कॉम्टे
- हरबर्ट ब्लूमर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का एक प्रमुख विचारक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानव व्यवहार को समझने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) और उनके माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं का अध्ययन आवश्यक है। उन्होंने ‘Self’ और ‘Society’ के निर्माण में प्रतीकों की भूमिका बताई।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का काम उनके मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ में संकलित किया गया है। हरबर्ट ब्लूमर ने मीड के विचारों को आगे बढ़ाया और “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” शब्द गढ़ा।
- गलत विकल्प: अगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद पर काम किया। ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जुड़े थे।
प्रश्न 12: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) से क्या तात्पर्य है?
- व्यक्तियों के बीच की अनौपचारिक बातचीत
- समाज के विभिन्न भागों (जैसे संस्थाएँ, भूमिकाएँ, समूह) के बीच अपेक्षाकृत स्थायी पैटर्न और संबंध
- व्यक्तिगत मनोवृत्तियाँ और विश्वास
- आर्थिक उत्पादन की विधियाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज के विभिन्न तत्वों (जैसे संस्थाएँ, सामाजिक समूह, भूमिकाएँ, नातेदारी प्रणालियाँ, शक्ति संरचनाएँ) के बीच के अपेक्षाकृत स्थिर और व्यवस्थित पैटर्न एवं संबंधों से है। ये संरचनाएँ व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करती हैं और समाज को एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करने में मदद करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स जैसे कई समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना की अवधारणा का उपयोग किया है। यह समाज का “ढाँचा” है जो इसके सदस्यों के व्यवहार को आकार देता है।
- गलत विकल्प: (a) अनौपचारिक बातचीत व्यक्तिपरक है। (c) व्यक्तिगत मनोवृत्तियाँ संरचना का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन स्वयं संरचना नहीं। (d) उत्पादन की विधियाँ सामाजिक संरचना का एक महत्वपूर्ण तत्व हो सकती हैं, लेकिन पूरी संरचना नहीं।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा “आधुनिकता” (Modernity) का एक प्रमुख लक्षण नहीं माना जाता है?
- तर्कसंगतता (Rationality) का उदय
- धर्म और परंपरा का बढ़ता प्रभुत्व
- राष्ट्र-राज्यों (Nation-States) का गठन
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकता का एक प्रमुख लक्षण अक्सर धर्म और परंपरा के प्रभाव में कमी आना और तर्कसंगतता, वैज्ञानिकता और व्यक्तिवाद का बढ़ना है। इसलिए, धर्म और परंपरा का बढ़ता प्रभुत्व आधुनिकता का लक्षण नहीं है, बल्कि इसका विपरीत है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकता को सामान्यतः औद्योगिकरण, शहरीकरण, पूंजीवाद, धर्मनिरपेक्षीकरण, राष्ट्र-राज्यों का उदय, तर्कसंगतता और विज्ञान के प्रसार जैसी प्रक्रियाओं से जोड़ा जाता है।
- गलत विकल्प: तर्कसंगतता, राष्ट्र-राज्यों का गठन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधुनिकता के प्रमुख लक्षण हैं।
प्रश्न 14: “परोपकार” (Altruism) की अवधारणा, जिसमें व्यक्ति निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करता है, को किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से जोड़ा जा सकता है?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- प्रकार्यवाद (Functionalism)
- नार्र्स (Feminism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रकार्यवाद (Functionalism) मानता है कि समाज विभिन्न परस्पर संबंधित भागों से बना है, और प्रत्येक भाग समाज की स्थिरता और भलाई में योगदान देता है। परोपकारिता जैसे व्यवहार, जो सामाजिक एकता और सहयोग को बढ़ावा देते हैं, को प्रकार्यवाद के दृष्टिकोण से सामाजिक व्यवस्था के लिए कार्यात्मक (Functional) माना जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) की बात की, जिसमें परोपकारिता जैसे मूल्य भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत शक्ति और संघर्ष पर केंद्रित है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिपरक अर्थों और अंतःक्रियाओं पर जोर देता है। नारीवाद लिंग असमानताओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रश्न 15: भारत में “आदिवासियों” (Tribes) के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान से सर्वाधिक जुड़ी है?
- जाति
- विशेषाधिकार
- अलगाव (Isolation) और विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषताएँ
- वर्ग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय आदिवासी समुदायों को अक्सर उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषताएँ, भाषा, रीति-रिवाज और मुख्यधारा के समाज से अपेक्षाकृत अलगाव (Isolation) के आधार पर पहचाना जाता है। हालांकि यह अलगाव अब कम हो रहा है, यह उनकी पहचान का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पहलू रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: आदिवासियों की अपनी अलग जीवन शैली, सामाजिक संगठन और प्रकृति से संबंध होता है, जो उन्हें अन्य समुदायों से भिन्न करता है।
- गलत विकल्प: (a) जाति व्यवस्था मुख्य रूप से हिंदू समाज से जुड़ी है, आदिवासियों की अपनी अलग संरचनाएँ होती हैं। (b) विशेषाधिकार एक सापेक्ष अवधारणा है। (d) वर्ग भी मुख्यधारा के समाज से संबंधित है, हालांकि आदिवासियों में भी आर्थिक भिन्नताएँ देखी जाती हैं।
प्रश्न 16: “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) से क्या तात्पर्य है?
- समाज के सदस्यों को नियमों, मानदंडों और मूल्यों के अनुसार व्यवहार करने के लिए प्रेरित या बाध्य करने की प्रक्रिया
- सरकार द्वारा बनाए गए कानून
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन
- केवल दंडात्मक उपाय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से समाज अपने सदस्यों को यथास्थिति बनाए रखने या वांछित व्यवहार पैटर्न का पालन करने के लिए प्रभावित करता है। इसमें औपचारिक (कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (सामाजिक दबाव, नैतिकता, परिवार) दोनों तंत्र शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज को सुचारू रूप से चलाने और अव्यवस्था को रोकने के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: (b) कानून सामाजिक नियंत्रण का एक रूप है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया नहीं है। (c) सामाजिक नियंत्रण का उद्देश्य अव्यवस्था रोकना है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करना नहीं (हालांकि कभी-कभी ऐसा हो सकता है)। (d) दंडात्मक उपाय सामाजिक नियंत्रण का केवल एक हिस्सा हैं।
प्रश्न 17: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
- एक समाज के भीतर विभिन्न समूहों के बीच संबंध
- किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- समाज की संरचनात्मक परिवर्तन की प्रक्रिया
- सामाजिक असमानता का वितरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह के एक सामाजिक स्तर (जैसे वर्ग, आय, प्रतिष्ठा) से दूसरे स्तर पर जाने की प्रक्रिया है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अध्ययन करता है कि लोग अपनी सामाजिक स्थिति कैसे बदलते हैं और कौन से कारक इसमें भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक संबंध है। (c) सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है, विशेष रूप से संरचनात्मक। (d) यह गतिशीलता का एक परिणाम या संदर्भ हो सकता है।
प्रश्न 18: “पित्रसत्ता” (Patriarchy) की अवधारणा को कौन सा समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य सबसे अधिक महत्व देता है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- नार्र्स (Feminism)
- मार्क्सवाद
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: नारीवादी (Feminist) परिप्रेक्ष्य पित्रसत्ता की अवधारणा को केंद्रीय मानता है। वे समाज को एक ऐसी प्रणाली के रूप में देखते हैं जहाँ पुरुषों को महिलाओं पर व्यवस्थित रूप से शक्ति और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जो लिंग आधारित असमानताओं को जन्म देता है।
- संदर्भ और विस्तार: नारीवादी सिद्धांतकार विश्लेषण करते हैं कि कैसे परिवार, कार्यस्थल, राजनीति और संस्कृति में पित्रसत्तात्मक संरचनाएँ काम करती हैं।
- गलत विकल्प: प्रकार्यवाद सामाजिक व्यवस्था और संतुलन पर केंद्रित है। मार्क्सवाद वर्ग संघर्ष पर केंद्रित है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिपरक अर्थों पर केंद्रित है।
प्रश्न 19: “सामाजिकरण” (Socialization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, “द्वितीयक समाजीकरण” (Secondary Socialization) का सबसे अच्छा उदाहरण क्या है?
- बचपन में माता-पिता से सीखना
- स्कूल में नए नियम और व्यवहार सीखना
- शिशु अवस्था में भाषा सीखना
- पड़ोसियों से खेलना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्राथमिक समाजीकरण मुख्य रूप से बचपन में परिवार के भीतर होता है। द्वितीयक समाजीकरण उन प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जो व्यक्ति के जीवन में बाद में तब होती हैं जब वह परिवार के बाहर की संस्थाओं (जैसे स्कूल, कार्यस्थल, सहकर्मी समूह) के संपर्क में आता है और नए मानदंड, मूल्य और व्यवहार सीखता है। स्कूल इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्ति को समाज की विभिन्न भूमिकाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए तैयार करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) प्राथमिक समाजीकरण के उदाहरण हैं। (d) पड़ोसियों से खेलना प्राथमिक समाजीकरण का हिस्सा हो सकता है।
प्रश्न 20: “सामाजिक सर्वेक्षण” (Social Survey) जैसे शोध विधि का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
- किसी घटना की गहन, गुणात्मक समझ प्राप्त करना
- किसी विशिष्ट व्यक्ति के जीवन का विस्तृत अध्ययन करना
- बड़ी संख्या में लोगों से व्यवस्थित रूप से डेटा एकत्र करके सामाजिक पैटर्न और प्रवृत्तियों की पहचान करना
- प्रयोगशाला में नियंत्रित प्रयोग करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक सर्वेक्षण एक मात्रात्मक (Quantitative) शोध विधि है जिसमें प्रश्नावली, साक्षात्कार आदि के माध्यम से बड़ी आबादी से डेटा एकत्र किया जाता है। इसका उद्देश्य सामाजिक पैटर्न, दृष्टिकोण, व्यवहार और प्रवृत्तियों का अध्ययन करना और सामान्यीकरण करना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विशिष्ट प्रकार के प्रश्नों (जैसे जनसांख्यिकी, राय) के उत्तर खोजने में उपयोगी है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) गुणात्मक (Qualitative) विधियों (जैसे केस स्टडी, एथनोग्राफी) की विशेषताएँ हैं। (d) नियंत्रित प्रयोग आमतौर पर प्राकृतिक विज्ञानों में अधिक प्रयुक्त होते हैं, हालांकि समाजशास्त्र में भी इनका उपयोग होता है, लेकिन यह सर्वेक्षण का उद्देश्य नहीं है।
प्रश्न 21: “आर्थिक निर्धारणवाद” (Economic Determinism) की अवधारणा, जिसके अनुसार समाज का ढाँचा मुख्य रूप से आर्थिक व्यवस्था द्वारा निर्धारित होता है, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- अगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने “ऐतिहासिक भौतिकवाद” (Historical Materialism) के अपने सिद्धांत में यह तर्क दिया कि समाज के उत्पादन के साधन (Mode of Production) और उत्पादन संबंध (Relations of Production) उसके राजनीतिक, कानूनी, सांस्कृतिक और सामाजिक ढांचे को निर्धारित करते हैं। इसे ही आर्थिक निर्धारणवाद कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, अधिरचना (Superstructure) (राजनीति, कानून, संस्कृति, धर्म) आधार (Base) (अर्थव्यवस्था) द्वारा निर्धारित होती है।
- गलत विकल्प: वेबर ने आर्थिक कारकों के साथ-साथ शक्ति और प्रतिष्ठा के महत्व पर भी जोर दिया। दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे ने प्रत्यक्षवाद का विकास किया।
प्रश्न 22: “औद्योगीकरण” (Industrialization) के कारण भारतीय समाज में निम्नलिखित में से किस परिवर्तन का अनुभव नहीं किया गया?
- शहरीकरण में वृद्धि
- पारंपरिक संयुक्त परिवार का विघटन
- पारंपरिक शिल्प और कुटीर उद्योगों का पतन
- जाति व्यवस्था का पूर्ण रूप से उन्मूलन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: औद्योगीकरण ने निश्चित रूप से शहरीकरण को बढ़ाया, संयुक्त परिवार को कमजोर किया और पारंपरिक उद्योगों को प्रभावित किया, लेकिन इसने भारत में जाति व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया है। जाति अभी भी भारतीय समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, हालांकि इसके रूपों में परिवर्तन आया है।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण ने नई आर्थिक संरचनाएँ और अवसर पैदा किए, जिन्होंने पारंपरिक सामाजिक व्यवस्थाओं को चुनौती दी, लेकिन जाति जैसी गहरी जड़ें जमा चुकी व्यवस्थाओं को पूरी तरह से मिटाना मुश्किल रहा है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) औद्योगीकरण के प्रमुख सामाजिक प्रभाव हैं।
प्रश्न 23: “सामाजिक प्रतिमान” (Social Norms) क्या हैं?
- समाज के सबसे महत्वपूर्ण नियम
- समाज द्वारा स्वीकार्य या अस्वीकार्य व्यवहार के बारे में अपेक्षाएँ और दिशानिर्देश
- व्यक्तिगत इच्छाएँ और लक्ष्य
- संगठित सामाजिक आंदोलन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक प्रतिमान वे नियम, मानक या अपेक्षाएँ हैं जो निर्धारित करते हैं कि किसी विशेष स्थिति या समाज में व्यवहार कैसा होना चाहिए। वे स्वीकार्य और अस्वीकार्य व्यवहार के बीच अंतर करते हैं और सामाजिक नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतिमान औपचारिक (जैसे कानून) या अनौपचारिक (जैसे शिष्टाचार, रीति-रिवाज) हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) नियम महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन सभी प्रतिमान सबसे महत्वपूर्ण नियम नहीं होते। (c) व्यक्तिगत इच्छाएँ प्रतिमानों से भिन्न होती हैं। (d) सामाजिक आंदोलन प्रतिमानों को चुनौती दे सकते हैं या स्थापित कर सकते हैं, लेकिन स्वयं प्रतिमान नहीं हैं।
प्रश्न 24: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से कार्ल मार्क्स के काम में, उत्पादन की किन स्थितियों से जुड़ी हुई है?
- जब मजदूर अपने उत्पाद से, अपनी श्रम प्रक्रिया से, स्वयं से और अन्य मनुष्यों से अलग महसूस करते हैं
- जब व्यक्ति समाज में अपनी भूमिकाओं से संतुष्ट होता है
- जब उत्पादन के साधन सार्वजनिक स्वामित्व में होते हैं
- जब काम सुखद और रचनात्मक होता है
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, अपनी श्रम प्रक्रिया (जो उनके नियंत्रण में नहीं है), अपने स्वयं के वास्तविक स्व (जो श्रम में व्यक्त होना चाहिए), और साथी मनुष्यों (जो प्रतिस्पर्धा के कारण शत्रु बन जाते हैं) से अलग-थलग महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अलगाव (Alienation) श्रमिक की शक्तिहीनता, अर्थहीनता, अलगाव और आत्म-विस्मृति की भावना है, जो उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों के स्वामित्व का परिणाम है।
- गलत विकल्प: ये सभी विकल्प अलगाव की विपरीत या असंगत स्थितियाँ हैं।
प्रश्न 25: “समूह” (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता एक “समूह” को परिभाषित करने के लिए आवश्यक है?
- लोगों का केवल एक संग्रह जो एक स्थान पर इकट्ठा हो
- दो या दो से अधिक लोग जो एक-दूसरे को पहचानते हैं, एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं, और अंतःक्रिया करते हैं
- समान रुचि वाले लोगों का एक बड़ा समुदाय
- समान राष्ट्रीयता वाले लोग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में, एक समूह को व्यक्तियों के ऐसे संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक-दूसरे के प्रति सचेत होते हैं, एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, और एक-दूसरे के साथ नियमित रूप से अंतःक्रिया करते हैं। यह अंतःक्रिया और आपसी पहचान समूह को केवल लोगों के संग्रह से अलग करती है।
- संदर्भ और विस्तार: समूह प्राथमिक (जैसे परिवार) या द्वितीयक (जैसे कार्यस्थल) हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) केवल एक साथ होना समूह नहीं बनाता। (c) समान रुचि एक समूह का आधार हो सकती है, लेकिन आपसी अंतःक्रिया और पहचान महत्वपूर्ण है। (d) समान राष्ट्रीयता एक साझा पहचान देती है, लेकिन जरूरी नहीं कि वे एक समूह बनाते हों जब तक कि वे अंतःक्रिया न करें।