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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अवधारणाओं को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अवधारणाओं को परखें!

अपनी समाजशास्त्रीय समझ को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हो जाइए! आज का मॉक टेस्ट आपके ज्ञान की गहराई को परखेगा और आपको प्रमुख समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, सिद्धांतों और विचारकों से रूबरू कराएगा। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और प्रत्येक प्रश्न के साथ अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता को मजबूत करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए कार्ल मार्क्स ने किस मुख्य कारक को उत्तरदायी ठहराया?

  1. धर्म और अनुष्ठान
  2. राजनीतिक शक्ति
  3. उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
  4. जन्म और वंशानुक्रम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, सामाजिक स्तरीकरण का मूल कारण उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने) पर स्वामित्व का वितरण है। उन्होंने समाज को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग, जिनके पास उत्पादन के साधन हैं) और सर्वहारा (मजदूर वर्ग, जिनके पास केवल अपनी श्रम शक्ति है)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने अपनी कृति ‘दास कैपिटल’ में इस विचार का विस्तृत विश्लेषण किया है। उनके लिए, यह आर्थिक असमानता ही अन्य सभी सामाजिक असमानताओं और संघर्षों की जड़ है।
  • गलत विकल्प: धर्म और अनुष्ठान (d) मैक्स वेबर के विचारों से अधिक जुड़े हैं, जबकि मार्क्स के लिए ये उपरि-संरचना का हिस्सा थे। राजनीतिक शक्ति (b) भी महत्वपूर्ण है, लेकिन मार्क्स इसे आर्थिक शक्ति का परिणाम मानते थे। जन्म और वंशानुक्रम (d) भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मार्क्सवादी विश्लेषण में आर्थिक वर्ग अधिक केंद्रीय है।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम ने समाज में व्यवस्था और एकजुटता बनाए रखने वाले प्राथमिक बल के रूप में किस अवधारणा का वर्णन किया?

  1. तार्किकता (Rationality)
  2. सामाजिक नियंत्रण (Social Control)
  3. सामूहिक चेतना (Collective Conscience)
  4. व्यक्तिगत स्वायत्तता (Individual Autonomy)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ को समाज के सदस्यों की सामान्य मान्यताओं, भावनाओं और नैतिकता का कुल योग बताया, जो समाज को एक साथ बांधे रखती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में महत्वपूर्ण है, जहाँ वे बताते हैं कि कैसे औद्योगिक समाजों में यांत्रिक एकजुटता ( gemeinschaft) से सावयवी एकजुटता (gesellschaft) की ओर बदलाव होता है, और सामूहिक चेतना की भूमिका कैसे बदलती है।
  • गलत विकल्प: तार्किकता (a) मैक्स वेबर के ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) से अधिक जुड़ी है। सामाजिक नियंत्रण (b) समाज में व्यवस्था बनाए रखने का एक तंत्र है, लेकिन दुर्खीम के अनुसार सामूहिक चेतना इसका आधार है। व्यक्तिगत स्वायत्तता (d) आधुनिक समाजों की एक विशेषता है, लेकिन यह एकजुटता का प्राथमिक बल नहीं है।

प्रश्न 3: पैट्रीशन (Patricians) और प्लेबियन (Plebeians) का विभाजन किस प्राचीन समाज में सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख रूप था?

  1. प्राचीन मिस्र
  2. प्राचीन यूनान
  3. प्राचीन रोम
  4. प्राचीन मेसोपोटामिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्राचीन रोम में, समाज को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया गया था: पैट्रीशन (कुलीन वर्ग, विशेषाधिकार प्राप्त) और प्लेबियन (आम नागरिक, व्यापारी, कारीगर, किसान)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह विभाजन राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में अंतर पर आधारित था। पैट्रीशन ऐतिहासिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग थे, जबकि प्लेबियन को धीरे-धीरे अधिक अधिकार प्राप्त हुए।
  • गलत विकल्प: प्राचीन यूनान (b) में भी वर्ग विभाजन थे (जैसे एथेंस में नागरिक, मेटिक्स, दास), लेकिन पैट्रीशन-प्लेबियन विशिष्ट रूप से रोमन विभाजन था। प्राचीन मिस्र (a) में फराओ, पुरोहित, लेखक, सैनिक, किसान और दास थे। प्राचीन मेसोपोटामिया (d) में भी एक स्तरीकृत समाज था जिसमें राजा, पुरोहित, अभिजात वर्ग, मुक्त नागरिक और दास शामिल थे।

प्रश्न 4: आर. के. मर्टन द्वारा प्रतिपादित ‘अनुकूलित व्यवहार’ (Modes of Adaptation) की अवधारणा किस सिद्धांत से संबंधित है?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
  4. संस्कृति का सिद्धांत (Culture Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आर. के. मर्टन ने ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ के अपने विश्लेषण में ‘अनुकूलित व्यवहार’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह बताता है कि समाज में सांस्कृतिक लक्ष्य (Cultural Goals) और संस्थागत माध्यम (Institutionalized Means) के बीच विसंगति होने पर व्यक्ति विभिन्न तरीकों से प्रतिक्रिया करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने पाँच अनुकूलित व्यवहार बताए: अनुरूपता (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पलायनवाद (Retreatism), और विद्रोह (Rebellion)। उन्होंने ‘विसंगति’ (Anomie) की अवधारणा को भी नया अर्थ दिया, इसे लक्ष्यों और माध्यमों के बीच विच्छेद के रूप में परिभाषित किया।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (a) मुख्य रूप से शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (b) सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और अर्थों पर ध्यान केंद्रित करता है। संस्कृति का सिद्धांत (d) बहुत व्यापक है और मर्टन के विशिष्ट योगदान को शामिल नहीं करता।

प्रश्न 5: भारत में ‘धार्मिक अनुष्ठानों’ और ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (Purity and Pollution) की अवधारणाएँ किस सामाजिक व्यवस्था के अध्ययन में केंद्रीय हैं?

  1. ग्रामीण समाज
  2. शहरी समाज
  3. जाति व्यवस्था
  4. आदिवासी समुदाय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पवित्रता और अपवित्रता की अवधारणाएँ भारतीय जाति व्यवस्था की पदानुक्रमिक संरचना और अंतःक्रियाओं को समझने के लिए मौलिक हैं। यह उच्च जातियों को पवित्र और निम्न जातियों को अपवित्र मानने की व्यवस्था है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: एम. एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में ‘संस

    प्रश्न 6: एफ. टोनीज (F. Tönnies) ने दो प्रकार के सामाजिक संगठनों का वर्णन किया: ‘गेमाइनशाफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गेसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft)। ‘गेमाइनशाफ्ट’ का संबंध किससे है?

    1. औपचारिक, अनुबंध-आधारित संबंध
    2. पारिवारिक, सामुदायिक और निकट संबंध
    3. व्यक्तिवादी, लक्ष्य-उन्मुख व्यवहार
    4. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: एफ. टोनीज ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ में ‘गेमाइनशाफ्ट’ को ऐसे समाज के रूप में परिभाषित किया जहाँ संबंध व्यक्तिगत, भावनात्मक, स्वाभाविक और सामुदायिक होते हैं, जैसे कि परिवार, पड़ोस और पारंपरिक गाँव।
    • संदर्भ एवं विस्तार: इसके विपरीत, ‘गेसेलशाफ्ट’ को उन्होंने आधुनिक, औद्योगिक समाजों के औपचारिक, व्यक्तिवादी, अनुबंध-आधारित और लक्ष्य-उन्मुख संबंधों के रूप में वर्णित किया।
    • गलत विकल्प: औपचारिक, अनुबंध-आधारित संबंध (a) ‘गेसेलशाफ्ट’ की विशेषता है। व्यक्तिवादी, लक्ष्य-उन्मुख व्यवहार (c) भी ‘गेसेलशाफ्ट’ से जुड़ा है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (d) ‘गेसेलशाफ्ट’ के उदय से जुड़ी है, लेकिन ‘गेमाइनशाफ्ट’ का मुख्य संबंध व्यक्तिगत/सामुदायिक बंधनों से है।

    प्रश्न 7: ‘एलिनेशन’ (Alienation) या अलगाव की अवधारणा, जिसके अनुसार व्यक्ति अपने श्रम, उत्पाद, स्वयं और दूसरों से अलग-थलग महसूस करता है, किस समाजशास्त्री के विचारों का केंद्रीय तत्व है?

    1. ऑगस्ट कॉम्ते
    2. हरबर्ट स्पेंसर
    3. जॉर्ज सिमेल
    4. कार्ल मार्क्स

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों के अलगाव (Alienation) की बात की। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव बताए: श्रम की प्रक्रिया से अलगाव, उत्पाद से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के शुरुआती लेखन, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से मिलती है। यह उनके संघर्ष सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्ते (a) समाजशास्त्र के संस्थापक हैं और ‘प्रोजेटिविटी’ (positivism) पर जोर देते थे। हरबर्ट स्पेंसर (b) सामाजिक विकास के विकासवादी सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। जॉर्ज सिमेल (c) ने शहरी जीवन और सामाजिक रूपों पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन अलगाव की मार्क्सवादी व्याख्या उनकी नहीं थी।

प्रश्न 8: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) भारतीय समाज के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण विषय है। कौन सी विशेषता जाति व्यवस्था की ‘अनुकूलता’ (Endogamy) से संबंधित है?

  1. पेशागत विशिष्टता
  2. सदस्यों का अंतर्विवाह
  3. जन्म पर आधारित पदानुक्रम
  4. सांस्कृतिक भिन्नता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जाति व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता ‘अनुकूलता’ (Endogamy) है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जाति के भीतर ही विवाह करना होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह नियम जाति व्यवस्था की अलगाववादी प्रकृति को बनाए रखता है और रक्त संबंधों को शुद्ध रखने के विचार पर आधारित है।
  • गलत विकल्प: पेशागत विशिष्टता (a) जाति व्यवस्था की एक और विशेषता है, लेकिन यह अनुकूलता नहीं है। जन्म पर आधारित पदानुक्रम (c) भी एक मुख्य विशेषता है, लेकिन यह अंतर्विवाह का कारण है, स्वयं अंतर्विवाह नहीं। सांस्कृतिक भिन्नता (d) जातियों के बीच मौजूद हो सकती है, लेकिन यह अनुकूलता का पर्याय नहीं है।

प्रश्न 9: समाजशास्त्र में ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन माने जाते हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. इमाइल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति अपने सामाजिक परिवेश को समझने और उससे जुड़ने के लिए प्रतीकों (भाषा, हावभाव, वस्तुएं) का उपयोग करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उनके कार्य ‘Mind, Self, and Society’ में ‘सेल्फ’ (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से समझाया गया है, जहाँ व्यक्ति ‘अन्य’ (Others) की भूमिका को ग्रहण करना सीखते हैं।
  • गलत विकल्प: मार्क्स (a) और दुर्खीम (b) स्थूल-स्तरीय (macro-level) सिद्धांतकार थे। वेबर (c) भी स्थूल-स्तरीय विश्लेषण करते थे, हालांकि उन्होंने ‘Verstehen’ के माध्यम से व्यक्तिपरक अर्थों के महत्व को स्वीकार किया, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का व्यवस्थित विकास मीड द्वारा किया गया।

प्रश्न 10: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?

  1. समाज में व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि
  2. समाज में विचारों का प्रसार
  3. व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
  4. सामाजिक संरचना में बदलाव

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है व्यक्तियों या सामाजिक समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जैसे, एक गरीब परिवार में जन्मा व्यक्ति धनी हो जाए, या एक डॉक्टर अपनी प्रैक्टिस छोड़कर शिक्षक बन जाए।
  • गलत विकल्प: व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि (a) जनसंख्या वृद्धि है। विचारों का प्रसार (b) सांस्कृतिक प्रसार है। सामाजिक संरचना में बदलाव (d) अधिक व्यापक है, जो व्यक्तिगत गतिशीलता से परे है।

प्रश्न 11: किस समाजशास्त्री ने ‘तार्कसंगतता’ (Rationalization) की प्रक्रिया को आधुनिकता की केंद्रीय विशेषता बताया, जिसके तहत समाज के विभिन्न क्षेत्र (जैसे अर्थव्यवस्था, धर्म, प्रशासन) अधिकाधिक कुशल, गणना योग्य और मानकीकृत होते जाते हैं?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. जी. एच. मीड

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘तार्कसंगतता’ को आधुनिक पश्चिमी समाजों के विकास की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता के रूप में पहचाना। उन्होंने इसे नौकरशाही, पूंजीवाद और वैज्ञानिक सोच के विस्तार के रूप में देखा।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट नैतिकता ने तार्कसंगत आर्थिक व्यवहार को बढ़ावा दिया, जो अंततः पूंजीवाद के उदय का कारण बना।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम (a) ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स (c) ने वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद की आलोचना की। मीड (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से संबंधित हैं।

प्रश्न 12: ‘अभिजात वर्ग का सिद्धांत’ (Theory of the Elite) जिसे ‘परतो का नियम’ (Law of the Circulation of Elites) भी कहा जाता है, किस समाजशास्त्री से जुड़ा है?

  1. विलफ्रेडो परेटो
  2. कार्ल मार्क्स
  3. एमिल दुर्खीम
  4. रॉबर्ट मिचेल्स

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विलफ्रेडो परेटो ने अपनी पुस्तक ‘The Mind and Society’ में तर्क दिया कि समाज हमेशा कुलीन वर्गों (The Elite) द्वारा शासित होता है, और इन अभिजात वर्गों में लगातार परिवर्तन (circulation) होता रहता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परेटो ने दो प्रकार के अभिजात वर्ग बताए: शासक अभिजात वर्ग (ruling elite) और गैर-शासक अभिजात वर्ग (non-ruling elite)। उन्होंने ‘शेरों’ (शेर-जैसे, सत्तावादी) और ‘लोमड़ियों’ (लोमड़ी-जैसे, चालाक) के अभिजात वर्ग के परिसंचरण की बात की।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स (b) ने वर्ग संघर्ष पर जोर दिया। दुर्खीम (c) ने सामाजिक एकजुटता का अध्ययन किया। रॉबर्ट मिचेल्स (d) ने ‘अल्पतंत्रवाद का लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) प्रस्तुत किया, जो संगठनों में अभिजात वर्ग के उदय को समझाता है, लेकिन परेटो का सिद्धांत व्यापक सामाजिक अभिजात वर्ग पर केंद्रित है।

प्रश्न 13: ‘अनुकूलन’ (Conformity) जो मर्टन के अनुरूपता के पांच तरीकों में से एक है, का अर्थ क्या है?

  1. सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत माध्यमों को अस्वीकार करना
  2. सांस्कृतिक लक्ष्यों को स्वीकार करना लेकिन संस्थागत माध्यमों को अस्वीकार करना
  3. सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत माध्यमों दोनों को स्वीकार करना
  4. सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत माध्यमों दोनों को अस्वीकार करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मर्टन के अनुसार, अनुकूलन (Conformity) वह स्थिति है जहाँ व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित सांस्कृतिक लक्ष्यों (जैसे सफलता, धन) को प्राप्त करने के लिए समाज द्वारा स्वीकृत संस्थागत माध्यमों (जैसे शिक्षा, कड़ी मेहनत) का पालन करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सबसे सामान्य और स्वीकृत प्रकार का अनुकूलन है, जहाँ व्यक्ति समाज के नियमों का पालन करते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) विद्रोह (Rebellion) या पलायनवाद (Retreatism) से संबंधित हैं। (b) नवाचार (Innovation) है, जहाँ लक्ष्य प्राप्त किए जाते हैं लेकिन अनैतिक तरीकों से।

प्रश्न 14: भारत में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा, विशेष रूप से सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के संदर्भ में, किसने प्रस्तुत की?

  1. डॉ. बी. आर. अंबेडकर
  2. एम. एन. श्रीनिवास
  3. ई. वी. रामासामी पेरियार
  4. श्री अरबिंदो

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज में पश्चिमीकरण की अवधारणा का उपयोग ब्रिटिश शासन के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तनों को समझाने के लिए किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पश्चिमीकरण में पश्चिमी जीवन शैली, शिक्षा, कानून, प्रौद्योगिकी और विचारों को अपनाना शामिल है। श्रीनिवास ने इसे ‘संस

    प्रश्न 15: ‘सामाजिक सिद्धांत’ (Social Theory) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. केवल ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन करना
    2. मानव व्यवहार के अवलोकन योग्य पहलुओं को मापना
    3. समाज और सामाजिक जीवन को समझने, व्याख्या करने और भविष्यवाणी करने के लिए व्यवस्थित विचार प्रस्तुत करना
    4. व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभवों का विश्लेषण करना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: सामाजिक सिद्धांत समाज को समग्र रूप से, इसके विभिन्न घटकों, उनके संबंधों और अंतःक्रियाओं को समझने के लिए एक वैचारिक ढाँचा प्रदान करता है। यह सामाजिक घटनाओं के पीछे के कारणों और प्रभावों की व्याख्या करने का प्रयास करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: सिद्धांत हमें यह भी समझने में मदद करते हैं कि भविष्य में क्या हो सकता है, हालांकि समाजशास्त्र में भविष्यवाणियाँ अक्सर संभावनाओं पर आधारित होती हैं, निश्चितताओं पर नहीं।
    • गलत विकल्प: केवल ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन (a) इतिहास का कार्य है, सिद्धांत का नहीं। केवल अवलोकन योग्य पहलुओं को मापना (b) मात्रात्मक अनुसंधान का हिस्सा है, लेकिन सिद्धांत उन अवलोकनों को एकीकृत और व्याख्यायित करता है। व्यक्तिगत भावनाओं का विश्लेषण (d) मनोविज्ञान या सामाजिक मनोविज्ञान का कार्य हो सकता है, लेकिन सामाजिक सिद्धांत का मुख्य ध्यान सामाजिक पैटर्न पर होता है।

    प्रश्न 16: ‘ग्राम पंचायत’ (Gram Panchayat) भारतीय ग्रामीण समाज में किस प्रकार की संस्था का प्रतिनिधित्व करती है?

    1. धार्मिक संस्था
    2. शैक्षणिक संस्था
    3. राजनीतिक/प्रशासनिक संस्था
    4. आर्थिक संस्था

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ग्राम पंचायत भारत में स्थानीय स्वशासन की एक बुनियादी इकाई है, जो ग्राम स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक कार्य करती है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह पंचायती राज व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो स्थानीय समुदाय के निर्णय लेने और विकास कार्यों के कार्यान्वयन में भूमिका निभाती है।
    • गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर धार्मिक (a), शैक्षणिक (b), या आर्थिक (d) संस्था नहीं है, हालांकि ये कार्य अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

    प्रश्न 17: ‘अभिज्ञान वर्ग’ (Intellectuals/Elite) के बारे में ग्राम्स्की के विचार ‘वर्चस्व’ (Hegemony) की अवधारणा से कैसे जुड़े हैं?

    1. अभिज्ञान वर्ग केवल बलपूर्वक शासन करता है।
    2. अभिज्ञान वर्ग सांस्कृतिक और वैचारिक नेतृत्व के माध्यम से सहमति का निर्माण करता है।
    3. अभिज्ञान वर्ग का समाज पर कोई प्रभाव नहीं होता।
    4. अभिज्ञान वर्ग केवल आर्थिक शक्ति पर निर्भर करता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: एंटोनियो ग्राम्स्की ने ‘वर्चस्व’ (Hegemony) की अवधारणा का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे शासक वर्ग न केवल बल (coercion) का उपयोग करता है, बल्कि सांस्कृतिक, वैचारिक और नैतिक नेतृत्व (consent) के माध्यम से भी अपनी सत्ता बनाए रखता है। अभिज्ञान वर्ग इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ग्राम्स्की ने ‘जैविक बुद्धिजीवियों’ (organic intellectuals) की बात की जो अपने वर्ग के हितों को बढ़ावा देने के लिए वैचारिक कार्य करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) वर्चस्व में सहमति भी शामिल है, न कि केवल बल। (c) यह ग्राम्स्की के विपरीत है। (d) ग्राम्स्की के अनुसार, वर्चस्व आर्थिक से अधिक सांस्कृतिक और वैचारिक होता है।

    प्रश्न 18: ‘लघु परंपरा’ (Little Tradition) और ‘दीर्घ परंपरा’ (Great Tradition) की अवधारणाएं भारतीय समाज के अध्ययन में किसने प्रस्तुत कीं?

    1. जी. एस. घुरिये
    2. ए. आर. देसाई
    3. एम. एन. श्रीनिवास
    4. रॉबर्ट रेडफील्ड

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: अमेरिकी मानवविज्ञानी रॉबर्ट रेडफील्ड ने मेक्सिको के एक गाँव का अध्ययन करते हुए ‘लघु परंपरा’ (स्थानीय, छोटे पैमाने की, अनौपचारिक परंपराएं) और ‘दीर्घ परंपरा’ (व्यापक, बड़े पैमाने की, औपचारिक परंपराएं, जैसे कि धर्मग्रंथ, दर्शन) के बीच संबंध का वर्णन किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय समाज के संदर्भ में, इन अवधारणाओं का उपयोग अक्सर गाँव और शहर के बीच, या लोकधर्म और मुख्यधारा के धर्म के बीच संबंधों को समझने के लिए किया जाता है।
    • गलत विकल्प: श्रीनिवास (c) ने संस्कृतीकरण (Sanskritization) और पश्चिमीकरण (Westernization) पर काम किया। घुरिये (a) ने जाति पर महत्वपूर्ण कार्य किया। देसाई (b) ने भारत में सामाजिक परिवर्तन और किसान आंदोलनों पर लिखा।

    प्रश्न 19: ‘नवाचार’ (Innovation), जो मर्टन के अनुरूपता के पांच तरीकों में से एक है, का क्या अर्थ है?

    1. सांस्कृतिक लक्ष्यों को अस्वीकार कर माध्यमों का पालन करना।
    2. सांस्कृतिक लक्ष्यों को स्वीकार कर माध्यमों को अस्वीकार करना।
    3. सांस्कृतिक लक्ष्यों और माध्यमों दोनों को अस्वीकार करना।
    4. सांस्कृतिक लक्ष्यों और माध्यमों दोनों को स्वीकार करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: मर्टन के अनुसार, नवाचार (Innovation) वह अनुकूलन है जहाँ व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित सांस्कृतिक लक्ष्यों (जैसे धन या शक्ति) को प्राप्त करना चाहता है, लेकिन उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वीकृत संस्थागत माध्यमों (जैसे कड़ी मेहनत, ईमानदारी) का पालन नहीं करता।
    • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार के माध्यम से अमीर बनना नवाचार का एक रूप है, जहाँ लक्ष्य (धन) स्वीकृत है, लेकिन साधन (रिश्वत) अस्वीकृत है।
    • गलत विकल्प: (a) अनुष्ठानवाद (Ritualism) है। (c) विद्रोह (Rebellion) है। (d) अनुकूलन (Conformity) है।

    प्रश्न 20: ‘धर्म एक अफीम है’ (Religion is the opium of the people) यह प्रसिद्ध कथन किस समाजशास्त्री का है?

    1. मैक्स वेबर
    2. एमिल दुर्खीम
    3. कार्ल मार्क्स
    4. ऑगस्ट कॉम्ते

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने धर्म की आलोचना करते हुए कहा था कि यह ‘दुखियों का श्वास’ (sigh of the oppressed creature) और ‘दुनिया का दिल’ (heart of a heartless world) है, और ‘लोगों की अफीम’ है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, धर्म शोषितों को उनकी वर्तमान पीड़ा से राहत दिलाता है और उन्हें बदलाव के लिए संघर्ष करने से रोकता है, इस प्रकार यह मौजूदा सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था (पूंजीवाद) को बनाए रखने में सहायक होता है।
    • गलत विकल्प: वेबर (a) ने धर्म और पूंजीवाद के बीच संबंध का अध्ययन किया। दुर्खीम (b) ने धर्म को सामाजिक एकजुटता के स्रोत के रूप में देखा। कॉम्ते (d) ने ‘धार्मिकता’ के स्थान पर ‘मानवता के धर्म’ का विचार दिया।

    प्रश्न 21: ‘समुदाय’ (Community) और ‘सोसाइटी’ (Society) के बीच अंतर करने वाला समाजशास्त्री कौन है?

    1. इमाइल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. फर्डिनेंड टोनीज
    4. जॉर्ज सिमेल

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: फर्डिनेंड टोनीज ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (Community and Society) में इन दो प्रमुख अवधारणाओं को परिभाषित किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ‘गेमाइनशाफ्ट’ (समुदाय) आंतरिक, भावनात्मक और जैविक संबंधों पर आधारित है (जैसे परिवार, पड़ोस), जबकि ‘गेसेलशाफ्ट’ (सोसाइटी) बाहरी, तर्कसंगत और यांत्रिक संबंधों पर आधारित है (जैसे आधुनिक शहर, राज्य, निगम)।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम (a) ने एकजुटता के प्रकारों पर काम किया। वेबर (b) ने तार्कसंगतता और सत्ता के प्रकारों पर। सिमेल (d) ने शहरी जीवन और सामाजिक अंतरंगता पर।

    प्रश्न 22: सामाजिक अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और सांख्यिकीय विश्लेषण करना।
    2. सामाजिक घटनाओं के पीछे के अर्थ, व्याख्या और अनुभव को समझना।
    3. बड़े पैमाने पर जनसंख्या के बारे में सामान्यीकरण करना।
    4. कार्य-कारण संबंधों को सटीक रूप से मापना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: गुणात्मक विधियाँ, जैसे कि साक्षात्कार, अवलोकन, और केस स्टडी, सामाजिक घटनाओं की गहराई, जटिलता और संदर्भ को समझने पर केंद्रित होती हैं, जहाँ संख्यात्मक डेटा पर्याप्त नहीं होता।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह विधियाँ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजने में सहायक होती हैं, और लोगों के दृष्टिकोण, भावनाओं और अनुभवों को समझने पर जोर देती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) मात्रात्मक विधि का उद्देश्य है। (c) यह भी मात्रात्मक विधियों का एक सामान्य लक्ष्य है। (d) कार्य-कारण संबंध (causality) को अक्सर मात्रात्मक विधियों से अधिक मजबूती से स्थापित किया जा सकता है, हालांकि गुणात्मक विधियाँ भी अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती हैं।

    प्रश्न 23: ‘संस्कृति का प्रसार’ (Cultural Diffusion) से क्या तात्पर्य है?

    1. एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति पर प्रभुत्व।
    2. एक संस्कृति के तत्वों का दूसरी संस्कृति में फैलाना और अपनाना।
    3. सांस्कृतिक तत्वों का आंतरिक विकास।
    4. संस्कृति का पूरी तरह से समाप्त हो जाना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: सांस्कृतिक प्रसार तब होता है जब एक समाज या संस्कृति के आविष्कार, विचार, रीति-रिवाज या व्यवहार दूसरे समाज या संस्कृति में फैलते हैं और अपनाए जाते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: जैसे, पास्ता का इटली से पूरी दुनिया में फैलना, या स्मार्टफोन तकनीक का वैश्विक प्रसार।
    • गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक प्रसार से भिन्न है, यद्यपि यह कभी-कभी साथ-साथ हो सकता है। (c) आंतरिक विकास आत्मसात (indigenous development) है। (d) यह सांस्कृतिक लुप्तप्रायता (cultural extinction) है।

    प्रश्न 24: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?

    1. किसी भी सामाजिक समूह के सदस्य।
    2. मानव व्यवहार के पैटर्न जो समाज द्वारा स्वीकृत और पुनरुत्पादित होते हैं।
    3. सामाजिक समस्याओं का समाधान।
    4. राजनीतिक सत्ता के केंद्र।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: सामाजिक संस्थाएं व्यवहार के अपेक्षाकृत स्थिर और सुस्थापित पैटर्न हैं जो किसी समाज की मूलभूत आवश्यकताओं (जैसे परिवार, विवाह, शिक्षा, धर्म, सरकार) को पूरा करने के लिए विकसित होते हैं। वे सामाजिक व्यवस्था और निरंतरता सुनिश्चित करती हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ये संस्थाएं विशेष नियम, भूमिकाएं और अपेक्षाएं निर्धारित करती हैं, जैसे कि विवाह संस्था में पति-पत्नी की भूमिकाएं।
    • गलत विकल्प: (a) सदस्यों का समूह है, संस्था नहीं। (c) सामाजिक संस्थाएं समस्याओं का समाधान करती हैं, लेकिन वे स्वयं समाधान नहीं हैं। (d) केवल कुछ संस्थाएं (जैसे सरकार) राजनीतिक सत्ता से संबंधित हैं।

    प्रश्न 25: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularization) का क्या अर्थ है?

    1. सभी धर्मों का अंत।
    2. समाज में धर्म के सार्वजनिक प्रभाव और भूमिका में कमी।
    3. केवल एक विशिष्ट धर्म का प्रभुत्व।
    4. पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों का सख्ती से पालन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: समाजशास्त्र में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह नहीं है कि धर्म पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, बल्कि यह कि समाज के सार्वजनिक क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) में धर्म का प्रभाव कम हो जाता है और व्यक्तिगत जीवन तक सीमित हो जाता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह अक्सर आधुनिकीकरण, तर्कसंगतता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार से जुड़ा होता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह धर्मनिरपेक्षता की अतिवादी व्याख्या है। (c) यह धार्मिक राष्ट्रवाद या अधिनायकवाद से संबंधित हो सकता है, धर्मनिरपेक्षता से नहीं। (d) यह पारंपरिकता (traditionalism) है, न कि धर्मनिरपेक्षता।

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