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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता को परखें

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता को परखें

तैयारी के मैदान में एक और दिन, और एक और मौका अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को पैना करने का! आज के प्रश्न पत्र के साथ अपनी अवधारणात्मक समझ और विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण करें। यह 25 प्रश्नों का समूह आपको प्रमुख समाजशास्त्रियों, मौलिक अवधारणाओं और भारतीय समाज के जटिलताओं में गहराई से उतरने के लिए प्रेरित करेगा। तैयार हो जाइए, क्योंकि यह आपकी अगली बड़ी परीक्षा में सफलता की ओर एक कदम है!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सबलीकरण” (Empowerment) की अवधारणा समाजशास्त्रीय विश्लेषण में मुख्य रूप से किसके कार्य से जुड़ी है?

  1. एम. एन. श्रीनिवास
  2. ई. पी. थॉम्पसन
  3. इरफान हबीब
  4. अशोक मित्र

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास, जिन्होंने भारतीय समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, ने “सबलीकरण” (Empowerment) की अवधारणा पर काम किया, खासकर ग्रामीण और वंचित समुदायों के संदर्भ में। हालांकि यह शब्द सीधे तौर पर उनके द्वारा गढ़ा नहीं गया था, लेकिन उनके विश्लेषणों में सामाजिक गतिशीलता, दलितों के उत्थान और सकारात्मक विभेद जैसे मुद्दों को संबोधित किया गया था, जो सबलीकरण के व्यापक अर्थ में आते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास का कार्य मुख्य रूप से जाति, धर्म और सामाजिक परिवर्तन पर केंद्रित था। उन्होंने “संस्कृतिकरण” (Sanskritization) जैसी अवधारणाएं दीं, जो सामाजिक स्थिति प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है। “सबलीकरण” को अक्सर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की प्रक्रिया के रूप में समझा जाता है, जो श्रीनिवास के कार्यों के सामाजिक न्याय के पहलुओं से मेल खाता है।
  • गलत विकल्प: ई. पी. थॉम्पसन (E. P. Thompson) ब्रिटिश श्रमिक वर्ग के इतिहास के लिए जाने जाते हैं। इरफान हबीब और अशोक मित्र भारत में आर्थिक इतिहास और समाजशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन “सबलीकरण” की अवधारणा को मुख्य रूप से श्रीनिवास के सामाजिक विश्लेषण के व्यापक संदर्भ में समझा जाता है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की सबसे अच्छी व्याख्या करता है?

  1. व्यक्तियों का एकत्रीकरण और उनके व्यवहार का योग।
  2. समाज में शक्ति और विशेषाधिकार का वितरण।
  3. लोगों के बीच अंतःक्रियाओं के अपेक्षाकृत स्थायी पैटर्न और सामाजिक संबंधों की व्यवस्था।
  4. सामाजिक समूहों द्वारा अपनाए गए व्यवहार के मानक और मूल्य।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संरचना समाज के अपेक्षाकृत स्थिर पैटर्न, सामाजिक संबंधों और संस्थाओं की व्यवस्था को संदर्भित करती है। यह व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं के उन तरीकों को भी शामिल करती है जो समय के साथ बने रहते हैं और समाज को एक विशिष्ट रूप देते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम (Emile Durkheim) और टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना पर बहुत जोर दिया। दुर्खीम के लिए, सामाजिक संरचना बाहरी और बाध्यकारी थी, जबकि पार्सन्स ने इसे सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तियों का एकत्रीकरण केवल भीड़ या जनसमूह को दर्शा सकता है, संरचना को नहीं। (b) यह सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की ओर अधिक इशारा करता है। (d) यह संस्कृति (Culture) या सामाजिक मानदंडों (Social Norms) से अधिक संबंधित है।

प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, “अलगाव” (Alienation) का सबसे प्रमुख रूप उत्पादन के किस चरण में अनुभव किया जाता है?

  1. उत्पादन के साधनों का स्वामित्व
  2. उत्पादित वस्तु से अलगाव
  3. पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में कार्य से अलगाव
  4. अन्य श्रमिकों से अलगाव

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की, विशेषकर पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत। उनके अनुसार, श्रमिक उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव का अनुभव करता है क्योंकि वह उस कार्य पर नियंत्रण नहीं रखता, कार्य उसकी अपनी रचनात्मकता को व्यक्त नहीं करता, और वह अपनी श्रम शक्ति का एक वस्तु के रूप में उपयोग कर रहा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने चार मुख्य प्रकार के अलगाव बताए: उत्पादन के साधन से अलगाव, उत्पाद से अलगाव, स्वयं के सार से अलगाव (मानवीय सार/रचनात्मकता), और अन्य मनुष्यों से अलगाव। इनमें से, उत्पादन प्रक्रिया में कार्य से अलगाव सबसे प्रत्यक्ष और मौलिक है क्योंकि यह अन्य सभी प्रकार के अलगाव को जन्म देता है।
  • गलत विकल्प: (a) उत्पादन के साधनों का स्वामित्व पूंजीपति वर्ग के पास होता है, श्रमिक के पास नहीं, लेकिन यह अलगाव का कारण है, न कि मुख्य रूप। (b) उत्पाद से अलगाव तब होता है जब श्रमिक स्वयं उत्पाद का मालिक नहीं होता। (d) अन्य श्रमिकों से अलगाव प्रतिस्पर्धा के कारण होता है, लेकिन यह मुख्य अलगाव नहीं है।

प्रश्न 4: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का तात्पर्य क्या है?

  1. एक समाज में विभिन्न सामाजिक समूहों का वितरण।
  2. एक व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में आवाजाही।
  3. एक ही सामाजिक स्थिति के भीतर व्यक्तियों का व्यवहार।
  4. सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाली संस्थाएं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह की सामाजिक पदानुक्रम (social hierarchy) में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने की प्रक्रिया है। यह ऊर्ध्वाधर (vertical) या क्षैतिज (horizontal) हो सकती है, और अंतर-पीढ़ी (inter-generational) या अंतरा-पीढ़ी (intra-generational) हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन समाजशास्त्रीय विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह समाज की खुलापन (openness) और अवसर की समानता (equality of opportunity) को समझने में मदद करता है। सामाजिक स्तरीकरण के सिद्धांतों से यह घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है।
  • गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का वर्णन करता है। (c) यह सामाजिक व्यवहार (Social Behavior) से संबंधित है। (d) यह सामाजिक संस्थानों (Social Institutions) से संबंधित है।

प्रश्न 5: मैक्स वेबर ने किस अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे व्यक्ति अपनी क्रियाओं के लिए अर्थ (Meaning) प्रदान करते हैं, जो समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है?

  1. डेफनिशेब (Definition)
  2. वर्स्तेहेन (Verstehen)
  3. एमी (Anomie)
  4. फंक्शन (Function)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने “वर्स्तेहेन” (Verstehen) नामक अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है “समझना”। यह समाजशास्त्रीय पद्धति के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह समाजशास्त्री को व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को समझने के लिए प्रोत्साहित करता है जो लोग अपनी क्रियाओं को देते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, समाजशास्त्र का उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं की व्याख्या करना है। इसके लिए, समाजशास्त्री को न केवल बाहरी व्यवहार का अवलोकन करना चाहिए, बल्कि उन प्रेरणाओं, इरादों और अर्थों को भी समझना चाहिए जो क्रियाओं के पीछे होते हैं। यह पॉज़िटिविस्ट (positivist) दृष्टिकोण से अलग है।
  • गलत विकल्प: (a) “डेफनिशेब” (Definition) एक सामान्य शब्द है, समाजशास्त्रीय अवधारणा नहीं। (c) “एमी” (Anomie) दुर्खीम की अवधारणा है जो सामाजिक मानदंडों के विघटन को दर्शाती है। (d) “फंक्शन” (Function) अक्सर संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) से जुड़ा होता है।

प्रश्न 6: भारतीय समाज में “जजमानी प्रणाली” (Jajmani System) का क्या अर्थ है?

  1. जाति पर आधारित श्रम का पारंपरिक विभाजन जहाँ सेवाएँ वस्तु-विनिमय (barter) के रूप में प्रदान की जाती हैं।
  2. कृषि भूमि का सामुदायिक स्वामित्व।
  3. ग्रामीण समुदायों में पंचायत की भूमिका।
  4. शहरी क्षेत्रों में औपचारिक श्रम बाजार।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था है जहाँ विभिन्न जातियों के बीच सेवाएं और वस्तुएं पारंपरिक, वंशानुगत संबंधों के माध्यम से प्रदान की जाती हैं। इसमें एक “जजमान” (संरक्षक) और “काम” (सेवा प्रदाता) होते हैं, जिनमें सेवाएँ प्रायः मौद्रिक भुगतान के बजाय वस्तु-विनिमय या भविष्य के दायित्वों के रूप में होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाज की एक प्रमुख विशेषता रही है और इसने जाति-आधारित सामाजिक स्तरीकरण और आर्थिक अंतर्निर्भरता को मजबूत किया है। डब्ल्यू.एच. विक्स (W.H. Wiser) ने इस प्रणाली पर विस्तृत अध्ययन किया है।
  • गलत विकल्प: (b) कृृषि भूमि का स्वामित्व व्यक्तिगत या पारिवारिक हो सकता है, सामुदायिक नहीं। (c) पंचायत की भूमिका प्रशासनिक और न्यायिक होती है, न कि सीधे जजमानी प्रणाली से संबंधित। (d) यह शहरी व्यवस्था है, जजमानी प्रणाली ग्रामीण पारंपरिक व्यवस्था है।

प्रश्न 7: एमिल दुर्खीम के अनुसार, “एमी” (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में सामाजिक नियंत्रण मजबूत होता है।
  2. जब सामाजिक मानदंड स्पष्ट और सुसंगत होते हैं।
  3. जब सामाजिक मानदंड कमजोर या अनुपस्थित होते हैं, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता अत्यधिक बढ़ जाती है।
  4. जब व्यक्तिगत लक्ष्य समुदाय के लक्ष्यों से पूरी तरह मेल खाते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “एमी” (Anomie) का प्रयोग एक ऐसी सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज के सदस्यों को निर्देशित करने वाले पारंपरिक सामाजिक मानदंडों का क्षय या अभाव होता है। यह व्यक्तिगत अनिश्चितता, दिशाहीनता और समाज से अलगाव की भावना पैदा करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “सुसाइड” (Suicide) में आत्महत्या के प्रकारों पर चर्चा करते हुए एमी की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने इसे सामाजिक अव्यवस्था और अनिश्चितता के काल (जैसे आर्थिक संकट या अचानक समृद्धि) से जोड़ा।
  • गलत विकल्प: (a) मजबूत सामाजिक नियंत्रण से एमी नहीं, बल्कि अनुरूपता (conformity) बढ़ती है। (b) स्पष्ट और सुसंगत मानदंड एमी को रोकते हैं। (d) व्यक्तिगत लक्ष्यों का समुदाय से मेल खाना सामंजस्य (harmony) दर्शाता है, एमी नहीं।

प्रश्न 8: “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) की अवधारणा किस प्रमुख समाजशास्त्रीय सिद्धांत का केंद्रीय तत्व है?

  1. संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism) / मार्क्सवाद (Marxism)
  4. फेमिनिस्ट सिद्धांत (Feminist Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: वर्ग संघर्ष, यानी समाज के विभिन्न वर्गों (विशेषकर बुर्जुआजी और सर्वहारा) के बीच का संघर्ष, कार्ल मार्क्स के सिद्धांत का मूल है। मार्क्स का मानना था कि इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है और यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का इंजन है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने “दास कैपिटल” (Das Kapital) और “कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो” (The Communist Manifesto) जैसी अपनी रचनाओं में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने पूंजीवाद को एक ऐसे ढाँचे के रूप में देखा जहाँ बुर्जुआजी (पूंजीपति वर्ग) उत्पादन के साधनों का मालिक होता है और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) अपनी श्रम शक्ति बेचता है, जिससे अंतर्निहित संघर्ष पैदा होता है।
  • गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक-प्रकार्यवाद समाज को एक स्थिर प्रणाली के रूप में देखता है जहाँ विभिन्न अंग मिलकर कार्य करते हैं। (b) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) अंतःक्रियाओं और अर्थों पर केंद्रित है। (d) फेमिनिस्ट सिद्धांत लिंग असमानता पर केंद्रित है।

प्रश्न 9: “संस्कृति” (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल है?

  1. केवल कला, साहित्य और संगीत।
  2. समाज के सदस्यों द्वारा सीखा गया और साझा किया गया व्यवहार, विश्वास, मूल्य, ज्ञान और वस्तुएं।
  3. केवल भाषा और परंपराएं।
  4. किसी समाज का आर्थिक और राजनीतिक ढाँचा।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में, संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जिसमें समाज के सदस्यों द्वारा सीखा गया और साझा किया गया सब कुछ शामिल है। इसमें न केवल अमूर्त चीजें (जैसे मूल्य, विश्वास, भाषा) बल्कि मूर्त चीजें (जैसे उपकरण, कलाकृतियाँ) भी शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्कृति समाज के सदस्यों को एक पहचान प्रदान करती है और उनके जीवन को अर्थ देती है। यह सीखा जाता है, न कि जन्मजात होता है, और पीढ़ियों से हस्तांतरित होता है। यह समाज के एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: (a) यह संस्कृति का संकीर्ण दृष्टिकोण है (जैसे उच्च संस्कृति)। (c) यह संस्कृति के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को छोड़ देता है। (d) यह संस्कृति के बजाय समाज की संरचना (structure) से संबंधित है।

प्रश्न 10: भारतीय संदर्भ में, “हरिजन” (Harijan) शब्द का प्रयोग किसके द्वारा और किस उद्देश्य से किया गया था?

  1. बी. आर. अंबेडकर, दलितों को पहचान देने के लिए।
  2. महात्मा गांधी, दलितों को “ईश्वर के लोग” कहकर सम्बोधित करने के लिए।
  3. एम. एन. श्रीनिवास, सामाजिक न्याय की वकालत करने के लिए।
  4. ज्योतिबा फुले, सामाजिक समानता का आह्वान करने के लिए।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: महात्मा गांधी ने “अछूतों” या दलितों को “हरिजन” (ईश्वर के लोग) कहकर सम्बोधित किया था। उनका उद्देश्य इस शब्द के माध्यम से इन समुदायों के प्रति सम्मान और गरिमा को बढ़ावा देना और जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि गांधी का इरादा नेक था, बाद में कई दलित नेताओं, विशेषकर बी. आर. अंबेडकर ने इस शब्द को अपमानजनक और पितृसत्तात्मक माना, क्योंकि यह उन्हें बाहरी लोगों द्वारा दी गई पहचान थी। उन्होंने “दलित” (दबे-कुचले) शब्द को अपनाने पर जोर दिया, जो उनकी एजेंसी और संघर्ष का प्रतीक है।
  • गलत विकल्प: (a) अंबेडकर ने “दलित” शब्द को लोकप्रिय बनाया। (c) श्रीनिवास ने “संस्कृतिकरण” जैसी अवधारणाएं दीं। (d) ज्योतिबा फुले ने “सत्यशोधक समाज” की स्थापना की और दलितों तथा महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया।

प्रश्न 11: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का सबसे आम आधार क्या माना जाता है?

  1. व्यक्तिगत योग्यता और उपलब्धि।
  2. वंशानुगत अधिकार और सामाजिक स्थिति।
  3. योग्यता और आवश्यकता के अनुसार संसाधनों का वितरण।
  4. जनसंख्या घनत्व और शहरीकरण का स्तर।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को पदानुक्रमित स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यद्यपि कई आधार (जैसे धन, शिक्षा) हो सकते हैं, कई समाजों में, विशेष रूप से पारंपरिक समाजों में, स्तरीकरण का एक प्रमुख आधार वंशानुगत अधिकार, जाति या जन्म से प्राप्त स्थिति होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण समाज में असमानता को दर्शाता है, जहाँ कुछ समूहों के पास दूसरों की तुलना में अधिक संसाधन, विशेषाधिकार और शक्ति होती है। मार्क्सवाद, वेबरवाद और कार्यात्मकता (functionalism) जैसे विभिन्न सिद्धांत स्तरीकरण की व्याख्या करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह योग्यता-आधारित (meritocratic) समाजों में अधिक प्रासंगिक है, लेकिन वंशानुगत आधार भी महत्वपूर्ण है। (c) यह एक आदर्श है, लेकिन हमेशा स्तरीकरण का आधार नहीं होता। (d) यह जनसांख्यिकी (demography) से संबंधित है, न कि सीधे स्तरीकरण से।

प्रश्न 12: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का प्रमुख केंद्र बिंदु क्या है?

  1. समाज की बड़ी संरचनाएं और संस्थाएं।
  2. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) अंतःक्रियाएं और प्रतीक।
  3. वर्ग संघर्ष और आर्थिक असमानता।
  4. सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में संस्थाओं की भूमिका।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो इस बात पर जोर देता है कि व्यक्ति अपने सामाजिक विश्व को समझने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) का उपयोग करके एक-दूसरे के साथ कैसे अंतःक्रिया करते हैं। यह व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।
  • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को इस सिद्धांत का संस्थापक माना जाता है। उनके अनुसार, “मैं” (I) और “मी” (Me) के बीच द्वंद्व के माध्यम से व्यक्ति अपने आत्म (self) का निर्माण करता है, जो सामाजिक अंतःक्रिया से विकसित होता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह संरचनात्मक-प्रकार्यवाद का क्षेत्र है। (c) यह मार्क्सवाद का क्षेत्र है। (d) यह भी संरचनात्मक-प्रकार्यवाद से संबंधित है।

प्रश्न 13: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?

  1. लेस्ली व्हाइट (Leslie White)
  2. विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn)
  3. रॉबर्ट रेडफील्ड (Robert Redfield)
  4. एल्बियन स्मॉल (Albion Small)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा पेश की। इसके अनुसार, किसी समाज की भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य, संस्थाएं) की तुलना में तेज़ी से बदलती है। इस असमान दर से परिवर्तन के कारण सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज: विद स्पेशल रेफरेंस टू चेंज इन इंस्टीट्यूशंस” (Social Change: With Special Reference to Change in Institutions) में इस विचार का वर्णन किया। उदाहरण के लिए, इंटरनेट जैसी नई तकनीकें जल्दी आती हैं, लेकिन उनसे संबंधित सामाजिक नियम, गोपनीयता कानून या नैतिक मानदंड अक्सर पीछे रह जाते हैं।
  • गलत विकल्प: लेस्ली व्हाइट सांस्कृतिक विकास के बारे में थे। रॉबर्ट रेडफील्ड ने लोक संस्कृति (folk culture) का अध्ययन किया। एल्बियन स्मॉल अमेरिका में समाजशास्त्र के अग्रणी थे।

प्रश्न 14: भारतीय समाज में “आधुनिकीकरण” (Modernization) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा परिवर्तन आमतौर पर नहीं देखा जाता है?

  1. औद्योगिकीकरण और शहरीकरण में वृद्धि।
  2. धार्मिक कट्टरता और परंपरावाद में वृद्धि।
  3. लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का प्रसार।
  4. शिक्षा के स्तर और साक्षरता में वृद्धि।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण आमतौर पर तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षता, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और व्यक्तिवाद की ओर झुकाव को दर्शाता है। धार्मिक कट्टरता और परंपरावाद में वृद्धि को अक्सर आधुनिकीकरण के विपरीत या उसके प्रति प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है, न कि उसके घटक के रूप में।
  • संदर्भ और विस्तार: जबकि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया जटिल है और इसमें विभिन्न प्रतिक्रियाएं शामिल हो सकती हैं, मुख्यधारा के सैद्धांतिक मॉडल में, पारंपरिक मूल्यों का क्षरण और तर्कसंगत, धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण का उदय प्रमुख है।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सभी आधुनिकीकरण से जुड़े सामान्य परिवर्तन हैं। औद्योगिकीकरण और शहरीकरण आर्थिक और जनसांख्यिकीय बदलाव लाते हैं, जबकि लोकतंत्र और शिक्षा तर्कसंगतता और व्यक्तिगत अधिकारों को बढ़ावा देते हैं।

प्रश्न 15: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्री सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?

  1. पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu)
  2. एंथोनी गिडेंस (Anthony Giddens)
  3. उल्लरिक बेक (Ulrich Beck)
  4. इरविंग गोफमैन (Erving Goffman)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पियरे बॉर्डियू ने “सामाजिक पूंजी” की अवधारणा विकसित की, जिसे उन्होंने सामाजिक नेटवर्क (relationships) में अंतर्निहित संसाधनों के रूप में परिभाषित किया, जिनका उपयोग व्यक्ति या समूह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं। इसमें विश्वास, आपसी वादे, सामाजिक नेटवर्क आदि शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी को सांस्कृतिक पूंजी (habitus, ज्ञान) और आर्थिक पूंजी (धन) के साथ मिलकर सामाजिक असमानता को बनाए रखने के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा। उनके अनुसार, ये विभिन्न प्रकार की पूंजी मिलकर सामाजिक स्थिति और शक्ति का निर्धारण करती हैं।
  • गलत विकल्प: (b) गिडेंस संरचनाकरण (structuration) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। (c) बेक जोखिम समाज (risk society) की बात करते हैं। (d) गोफमैन नाट्यशास्त्र (dramaturgy) के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 16: “जाति व्यवस्था” (Caste System) की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारतीय समाजशास्त्री एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार “अस्पृश्यता” (Untouchability) के उन्मूलन के बाद भी बनी रह सकती है?

  1. जाति समूहों के बीच अंतर-विवाह (Endogamy)।
  2. जातियों के बीच खान-पान के नियम (Rules of commensality)।
  3. जातियों के बीच व्यवसाय का अंतर-विभाजन।
  4. जाति के आधार पर सामाजिक प्रतिष्ठा का क्रम (Hierarchy of prestige)।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास और अन्य समाजशास्त्रियों ने तर्क दिया है कि यद्यपि अस्पृश्यता और जाति-आधारित व्यवसाय जैसे कुछ पहलू आधुनिकता और कानूनी सुधारों के कारण कमजोर हुए हैं, फिर भी जाति के भीतर अंतर-विवाह (यानी, समान जाति के भीतर विवाह) जाति व्यवस्था का एक प्रमुख निर्धारक बना हुआ है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास के अनुसार, अंतर-विवाह जाति के रूप में समूहों की पहचान और निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण है। जबकि अन्य नियम शिथिल हो सकते हैं, विवाह के पैटर्न अक्सर जाति की पहचान बनाए रखते हैं।
  • गलत विकल्प: (b) खान-पान के नियम, (c) व्यवसाय का विभाजन, और (d) प्रतिष्ठा का क्रम, ये सभी पहलू शहरीकरण, व्यवसायों के विविधीकरण और कानूनी सुधारों के कारण काफी हद तक कमजोर हुए हैं, हालांकि वे पूरी तरह से समाप्त नहीं हुए हैं।

प्रश्न 17: “सामाजिक पूंजीवाद” (Social Capitalism) की अवधारणा का श्रेय किसे दिया जाता है, जो समाज में संबंधों और नेटवर्क के महत्व पर जोर देती है?

  1. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
  2. एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim)
  3. मैक्स वेबर (Max Weber)
  4. लुईस स्ट्रॉस (Claude Lévi-Strauss)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक पूंजीवाद” (Social Capitalisation) या “ईसाई समाजवाद” (Christian Socialism) जैसे विचारों का समर्थन किया, खासकर अपनी शुरुआती रचनाओं में। वह सामूहिक चेतना (collective consciousness) और सामाजिक एकजुटता (social solidarity) के महत्व पर जोर देते थे, जो समाज की पूंजी के रूप में कार्य करती है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि नैतिक समुदाय (moral community) व्यक्ति और समाज के बीच एक पुल का काम करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम “The Division of Labour in Society” में यांत्रिक एकजुटता (mechanical solidarity) और कार्बनिक एकजुटता (organic solidarity) के बीच अंतर करते हैं। हालांकि “सामाजिक पूंजी” शब्द बाद में बॉर्डियू द्वारा लोकप्रिय हुआ, दुर्खीम का काम उन सामाजिक संबंधों और नैतिक ढांचों पर केंद्रित था जो समाज को एक साथ रखते हैं, जो सामाजिक पूंजी के कुछ पहलुओं को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: (a) मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक संबंधों पर केंद्रित थे। (c) वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता का अध्ययन किया। (d) स्ट्रॉस ने संरचनावाद (structuralism) पर काम किया।

प्रश्न 18: “जनसांख्यिकीय संक्रमण” (Demographic Transition) सिद्धांत के दूसरे चरण में क्या होता है?

  1. उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर।
  2. उच्च जन्म दर और गिरती मृत्यु दर।
  3. गिरती जन्म दर और गिरती मृत्यु दर।
  4. निम्न जन्म दर और निम्न मृत्यु दर।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत के दूसरे चरण में, मृत्यु दर में गिरावट शुरू होती है (मुख्यतः स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छता और पोषण में सुधार के कारण), जबकि जन्म दर अभी भी उच्च बनी रहती है। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि कैसे समाज औद्योगिकरण और आधुनिकीकरण के माध्यम से उच्च जन्म और मृत्यु दर वाले पूर्व-औद्योगिक समाज से निम्न जन्म और मृत्यु दर वाले औद्योगिक समाज में संक्रमण करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह सिद्धांत का पहला चरण है। (c) यह सिद्धांत का तीसरा चरण है। (d) यह सिद्धांत का चौथा और अंतिम चरण है।

प्रश्न 19: “उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण” (LPG Reforms) ने भारतीय समाज में किस प्रकार के परिवर्तन को उत्प्रेरित किया?

  1. पारंपरिक जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण।
  2. ग्रामीण समुदायों का अलगाव।
  3. शहरीकरण, उपभोगवाद और सामाजिक असमानताओं में वृद्धि।
  4. जाति-आधारित हिंसा में कमी।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1991 के बाद भारत में एलपीजी सुधारों ने अर्थव्यवस्था को खोला, जिससे विदेशी निवेश, सेवा क्षेत्र का विस्तार और उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ी। इसके परिणामस्वरूप शहरीकरण में तेजी आई, उपभोगवादी संस्कृति (consumerism) बढ़ी और आय व अवसरों में असमानताएँ बढ़ीं।
  • संदर्भ और विस्तार: इन सुधारों ने पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं को भी प्रभावित किया है, लेकिन इसका सबसे प्रत्यक्ष और व्यापक प्रभाव शहरीकरण, नए व्यावसायिक अवसरों और एक उपभोक्ता-उन्मुख समाज के उदय के रूप में देखा गया है।
  • गलत विकल्प: (a) जाति व्यवस्था कमजोर हुई है, न कि सुदृढ़। (b) वैश्वीकरण ने ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। (d) सामाजिक असमानताओं में वृद्धि के साथ, जाति-आधारित तनाव और हिंसा के नए रूप भी उभर सकते हैं।

प्रश्न 20: “समुदाय” (Community) और “समाज” (Society) की अवधारणाओं में भिन्नता को सर्वप्रथम किसने स्पष्ट किया, जिसमें समुदाय को घनिष्ठ, व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित माना जाता है?

  1. फर्डिनेंड टोनीस (Ferdinand Tönnies)
  2. एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim)
  3. मैक्स वेबर (Max Weber)
  4. जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जर्मन समाजशास्त्री फर्डिनेंड टोनीस ने अपनी पुस्तक “Gemeinschaft und Gesellschaft” (समुदाय और समाज) में ” Gemeinschaft” (समुदाय) और “Gesellschaft” (समाज) के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर किया। उन्होंने समुदाय को घनिष्ठ, भावनात्मक, पारिवारिक और पड़ोस-आधारित संबंधों के रूप में परिभाषित किया, जबकि समाज को अधिक औपचारिक, तर्कसंगत और व्यक्तिगत हित-आधारित संबंधों के रूप में।
  • संदर्भ और विस्तार: टोनीस का कार्य समाजशास्त्रीय सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण योगदान था, जिसने औद्योगिक क्रांति के कारण सामाजिक जीवन में आए परिवर्तनों को समझने में मदद की। उन्होंने दिखाया कि कैसे पारंपरिक समुदाय आधुनिक, बड़े पैमाने के समाजों में बदल रहे थे।
  • गलत विकल्प: (b) दुर्खीम ने एकजुटता (solidarity) के विभिन्न रूपों पर जोर दिया। (c) वेबर ने नौकरशाही और औपचारिकता पर काम किया। (d) सिमेल ने शहरी जीवन और सामाजिक अंतःक्रिया के सूक्ष्म पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 21: “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) में “गुणात्मक विधि” (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?

  1. सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना।
  2. सामाजिक घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभवों और संदर्भों को गहराई से समझना।
  3. वैज्ञानिक प्रयोगों के माध्यम से कारण-प्रभाव संबंध स्थापित करना।
  4. बड़े नमूना आकार से सामान्यीकरण (generalization) करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुणात्मक अनुसंधान विधियों (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, फोकस समूह) का उद्देश्य सामाजिक घटनाओं की गहराई से समझ प्राप्त करना है। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ के सवालों का जवाब देने पर ध्यान केंद्रित करता है, लोगों के दृष्टिकोण, प्रेरणाओं और उनके अनुभवों के अर्थ को समझने का प्रयास करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि अक्सर वर्णनात्मक (descriptive) होती है और इसमें संदर्भ-विशिष्ट निष्कर्ष (context-specific findings) निकाले जाते हैं, न कि व्यापक सामान्यीकरण। यह वर्स्तेहेन (Verstehen) के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
  • गलत विकल्प: (a) यह मात्रात्मक अनुसंधान (quantitative research) का मुख्य उद्देश्य है। (c) यह प्रायः प्रयोगात्मक अनुसंधान (experimental research) का लक्ष्य होता है। (d) बड़े नमूना आकार से सामान्यीकरण मात्रात्मक अनुसंधान की विशेषता है।

प्रश्न 22: “संरचनात्मक-प्रकार्यवाद” (Structural-Functionalism) के अनुसार, समाज में “प्रकट कार्य” (Manifest Function) क्या होते हैं?

  1. अज्ञात या अनपेक्षित परिणाम जो किसी सामाजिक पैटर्न या संस्था से उत्पन्न होते हैं।
  2. समाज में विघटनकारी या नकारात्मक परिणाम।
  3. किसी सामाजिक पैटर्न या संस्था के इच्छित, पहचाने गए और प्रत्यक्ष परिणाम।
  4. सामाजिक परिवर्तन को रोकने वाली प्रक्रियाएं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रॉबर्ट के. मर्टन (Robert K. Merton) ने प्रकट कार्य (Manifest Functions) और अप्रकट कार्य (Latent Functions) के बीच अंतर किया। प्रकट कार्य वे हैं जो किसी सामाजिक पैटर्न या संस्था के प्रत्यक्ष, इच्छित और पहचाने गए परिणाम होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य छात्रों को शिक्षा और डिग्री प्रदान करना है। अप्रकट कार्य सामाजिक नेटवर्क का निर्माण या कैरियर के अवसर हो सकते हैं जो स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय का उद्देश्य नहीं हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह अप्रकट कार्य (Latent Function) की परिभाषा है। (b) यह प्रकार्यवाद की दृष्टि से “दुष्कार्य” (Dysfunction) कहलाता है। (d) यह सामाजिक परिवर्तन के विरोध से संबंधित हो सकता है, लेकिन प्रकार्यवाद के कार्यों का हिस्सा नहीं।

प्रश्न 23: भारतीय समाजशास्त्री बी. आर. अंबेडकर के अनुसार, जाति व्यवस्था का मूल कारण क्या था?

  1. धर्म और कर्म का सिद्धांत।
  2. जाति-आधारित श्रम विभाजन।
  3. जाति के भीतर अंतर-विवाह (Endogamy) को बनाए रखना।
  4. भूमि का असमान वितरण।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने अपनी कृति “जाति का उन्मूलन” (Annihilation of Caste) में तर्क दिया कि जाति व्यवस्था की जड़ “जाति के भीतर अंतर-विवाह” (Endogamy) है। उनके अनुसार, जब तक यह प्रथा बनी रहेगी, तब तक जाति एक सामाजिक इकाई के रूप में बनी रहेगी, भले ही व्यवसाय या प्रतिष्ठा के अन्य पहलू बदल जाएं।
  • संदर्भ और विस्तार: अंबेडकर ने जाति को एक सामाजिक बुराई माना और इसके उन्मूलन के लिए कड़े कानूनी और सामाजिक सुधारों की वकालत की। उन्होंने जाति को अन्य समाजों से अलग करके देखा, विशेषकर भारत के विशेष संदर्भ में।
  • गलत विकल्प: (a) जबकि धर्म और कर्म ने जाति को वैचारिक समर्थन दिया, अंबेडकर ने इसे मूल कारण नहीं माना। (b) श्रम विभाजन जाति का एक परिणाम था, न कि मूल कारण। (d) भूमि वितरण महत्वपूर्ण था, लेकिन जाति व्यवस्था की जड़ नहीं।

प्रश्न 24: “धर्मनिरपेक्षता” (Secularization) की समाजशास्त्रीय अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. सभी समाजों का पूरी तरह से नास्तिक हो जाना।
  2. राज्य का चर्च या किसी अन्य धार्मिक संस्था से अलगाव, और सार्वजनिक जीवन में धर्म की घटती भूमिका।
  3. व्यक्तिगत जीवन से धर्म का पूरी तरह समाप्त हो जाना।
  4. धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न धर्मों का सह-अस्तित्व।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: धर्मनिरपेक्षता का अर्थ केवल नास्तिकता या सभी धर्मों का अंत नहीं है। यह मुख्य रूप से दो पहलुओं को संदर्भित करता है: पहला, राजनीतिक क्षेत्र में धर्म का अलगाव (राज्य और चर्च का अलग होना), और दूसरा, सामाजिक जीवन में धर्म की प्रभावशीलता और शक्ति में कमी आना, जहाँ तर्कसंगतता, विज्ञान और नागरिक संस्थाएं अधिक प्रमुख हो जाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा आधुनिकता (modernity) के अध्ययन से जुड़ी हुई है। विभिन्न समाजशास्त्रियों जैसे पीटर बर्जर (Peter Berger) ने धर्मनिरपेक्षता की प्रक्रिया का विश्लेषण किया है, हालांकि इसके विस्तार और प्रकृति पर बहस जारी है।
  • गलत विकल्प: (a) यह एक अतिवादी व्याख्या है। (c) व्यक्तिगत जीवन से धर्म का अंत आवश्यक नहीं है। (d) धार्मिक सहिष्णुता धर्मनिरपेक्षता का एक पहलू हो सकती है, लेकिन इसका मुख्य अर्थ नहीं है।

प्रश्न 25: “नगरीयता” (Urbanism) की अवधारणा, जो शहरी जीवन के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों का वर्णन करती है, का मुख्य योगदानकर्ता कौन है?

  1. अल्बर्ट स्मॉल (Albert Small)
  2. लुई विर्थ (Louis Wirth)
  3. गैरेट हार्डिन (Garrett Hardin)
  4. जेन एडम्स (Jane Addams)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लुई विर्थ (Louis Wirth) ने अपने प्रभावशाली निबंध “शहरीता: एक सामुदायिक अध्ययन के रूप में” (Urbanism as a Way of Life) में “नगरीयता” (Urbanism) की अवधारणा को परिभाषित किया। उन्होंने तर्क दिया कि बड़े आकार, उच्च घनत्व और विषम (heterogeneous) जनसंख्या जैसी शहरी विशेषताओं के कारण व्यक्तियों के बीच रिश्ते अधिक क्षणिक, सतही और अमूर्त हो जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: विर्थ ने शहरी जीवन के व्यक्ति पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर प्रकाश डाला, जैसे कि अलगाव, व्यक्तिवाद और व्यक्तिगत संबंधों में कमी। यह शिकागो स्कूल ऑफ सोशियोलॉजी (Chicago School of Sociology) का एक महत्वपूर्ण योगदान था।
  • गलत विकल्प: (a) अल्बर्ट स्मॉल को शहरी समाजशास्त्र में प्रारंभिक योगदान के लिए जाना जाता है। (c) गैरेट हार्डिन “ट्रॉजेडी ऑफ द कॉमन्स” (Tragedy of the Commons) के लिए जाने जाते हैं। (d) जेन एडम्स एक सामाजिक कार्यकर्ता और समाजशास्त्री थीं जिन्होंने सामुदायिक कार्य किया।

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