समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मजबूत करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज का दिन आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान को परखने और उसे और पैना करने का है। क्या आप समाज की संरचना, सिद्धांतों और भारतीय समाज की जटिलताओं को समझने के लिए तैयार हैं? आइए, इन 25 नए प्रश्नों के साथ अपनी तैयारी को एक नई धार दें और सफलता की ओर एक कदम और बढ़ाएँ!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र का मुख्य अध्ययन विषय माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को समाजशास्त्र के केंद्रीय अध्ययन क्षेत्र के रूप में स्थापित किया। उन्होंने इसे व्यक्तियों के बाहर विद्यमान, बाह्य दबाव डालने वाली, और सामूहिक जीवन को आकार देने वाली जीवन शैली के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय विधि के नियम” (The Rules of Sociological Method) में इस पर जोर दिया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वस्तुनिष्ठ वास्तविकताएं हैं जिन्हें अन्य सामाजिक तथ्यों से समझाया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था, मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) यानी व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर बल दिया, और हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के विकासवादी सिद्धांत दिए।
प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा सामाजिक स्तरीकरण के अध्ययन में ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) और ‘अशुद्धता’ (Impurity) पर बल देती है?
- वर्ग (Class)
- जाति (Caste)
- स्थिति समूह (Status Group)
- शक्ति (Power)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में, ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण का एक ऐसा रूप है जो जन्म पर आधारित, कठोर पदानुक्रमित, और पेशा-आधारित होता है, जिसमें ‘अशुद्धता’ (impurity) की धारणा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- संदर्भ और विस्तार: जी.एस. घुरिये और एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया है। जाति व्यवस्था में व्यावसायिक विशिष्टता और सामाजिक अलगाव भी महत्वपूर्ण हैं।
- गलत विकल्प: ‘वर्ग’ (Class) मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति पर आधारित होता है और इसमें अधिक गतिशीलता (mobility) संभव है। ‘स्थिति समूह’ (Status Group) सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान से जुड़ा है, लेकिन जाति जितनी कठोर पदानुक्रमित नहीं। ‘शक्ति’ (Power) सामाजिक संबंधों का एक पहलू है, न कि स्वयं स्तरीकरण का प्रकार।
प्रश्न 3: मैक्सीमाइजेशन ऑफ लेजर (Maximization of Leisure) किस समाजशास्त्री के सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो समाज के विकास को समझाने का प्रयास करता है?
- ई. बी. टायलर
- एल. एच. मॉर्गन
- एच. स्पेंसर
- ए. कॉम्टे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: लुईस हेनरी मॉर्गन (Lewis Henry Morgan) ने अपनी विकासवादी सिद्धांत में ‘मैक्सीमाइजेशन ऑफ लेजर’ (Maximization of Leisure) को एक महत्वपूर्ण चालक शक्ति के रूप में देखा। उनका मानना था कि जैसे-जैसे समाज तकनीकी रूप से विकसित होता है और श्रम का विभाजन बढ़ता है, लोगों के पास खाली समय बढ़ता है, जो संस्कृति और समाज के आगे विकास के लिए अवसर प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मॉर्गन ने मानव समाज को ‘वन्य अवस्था’ (Savagery), ‘आदिम अवस्था’ (Barbarism), और ‘सभ्यता’ (Civilization) में वर्गीकृत किया था। वे अमेरिका के मूल निवासियों के समाजशास्त्रीय अध्ययन के लिए भी जाने जाते हैं।
- गलत विकल्प: ई. बी. टायलर (E. B. Tylor) ने संस्कृति के विकासवादी अध्ययन पर काम किया। हर्बर्ट स्पेंसर (H. Spencer) ने ‘जैविक सादृश्य’ (Biological Analogy) का प्रयोग किया। ऑगस्ट कॉम्टे (A. Comte) को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘धनात्मकतावाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 4: “द स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन” (The Structure of Social Action) नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं, जिसने सामाजिक क्रिया के प्रकारों का विश्लेषण किया?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- अल्फ्रेड शूत्ज़
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 5: निम्न में से किस समाजशास्त्री ने ‘एशियाई उत्पादन विधि’ (Asiatic Mode of Production) की अवधारणा का प्रयोग भारतीय समाज के अध्ययन में किया?
- एम. एन. श्रीनिवास
- इरफान हबीब
- कार्ल मार्क्स
- डी. डी. कौशांबी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स (Karl Marx) ने ‘एशियाई उत्पादन विधि’ (Asiatic Mode of Production) की अवधारणा का प्रयोग प्राचीन भारतीय समाज की विशेषताओं, विशेषकर भूमि के राज्य के स्वामित्व और एक केंद्रीकृत, सिंचाई-आधारित नौकरशाही के वर्णन के लिए किया था।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने यह अवधारणा अपने कुछ लेखों में विकसित की, जहाँ उन्होंने इसे यूरोपीय सामंतवाद से भिन्न माना। यह अवधारणा विवादास्पद रही है और इस पर कई समाजशास्त्रियों व इतिहासकारों ने बहस की है।
- गलत विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने संस्कृतिकरण और दक्षिण भारत पर काम किया। इरफान हबीब (Irfan Habib) और डी. डी. कौशांबी (D.D. Kosambi) प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार हैं जिन्होंने भारतीय समाज के आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर लिखा, लेकिन मार्क्स की ‘एशियाई उत्पादन विधि’ की अवधारणा को उन्होंने अपने तरीके से व्याख्यायित किया या उस पर टिप्पणी की।
प्रश्न 6: ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और व्यक्तिगत दिशाहीनता की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से सर्वाधिक जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- इर्विंग गॉफमैन
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा को सामाजिक व्यवस्था की शिथिलता या सामाजिक मानदंडों की अनुपस्थिति के कारण उत्पन्न होने वाली व्यक्तिगत हताशा और दिशाहीनता की स्थिति के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इस अवधारणा का प्रयोग अपनी कृतियों “आत्महत्या” (Suicide) और “समाजशास्त्रीय विधि के नियम” में किया। उनके अनुसार, अनमी तब उत्पन्न होती है जब समाज के नियम अस्पष्ट हो जाते हैं या व्यक्ति उनसे तालमेल बिठाने में असमर्थ होता है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘अनमी’ शब्द का प्रयोग नहीं किया, बल्कि ‘नियम-हीनता’ (lawlessness) से जुड़े विचारों पर काम किया। इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) और ‘संस्थागत जीवन’ पर केंद्रित थे। चार्ल्स हॉर्टन कूली (Charles Horton Cooley) ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) और ‘लुक ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणाएं दीं।
- जी. एस. घुरिये
- एम. एन. श्रीनिवास
- टी. के. उन्नीकृष्णन
- वाई. वी.APPARAO
- सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने भारतीय समाज के अध्ययन में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का उपयोग किया। उन्होंने इसे ब्रिटिश शासन के प्रभाव के कारण भारतीय जीवन शैली, मूल्यों, विचारों और संस्थाओं में आए परिवर्तनों के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण को एक व्यापक प्रक्रिया माना जिसमें शिक्षा, कानून, राजनीतिक व्यवस्था, प्रौद्योगिकी और सामाजिक प्रथाओं में परिवर्तन शामिल हैं। उन्होंने इसे संस्कृतिकरण (Sanskritization) के साथ तुलनात्मक अध्ययन में भी प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: जी. एस. घुरिये (G.S. Ghurye) ने भारतीय संस्कृति, जाति और जनजातियों पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन पश्चिमीकरण की अवधारणा को श्रीनिवास जितना केंद्रीय नहीं बनाया। टी. के. उन्नीकृष्णन और वाई. वी.APPARAO अन्य भारतीय समाजशास्त्री हैं, लेकिन पश्चिमीकरण के अध्ययन के लिए एम. एन. श्रीनिवास का नाम प्रमुख है।
- कार्ल मार्क्स
- एच. स्पेंसर
- एमिल दुर्खीम
- एमिल ड्रेयमन
- सही उत्तर: एमिल ड्रेयमन (Emile Durkheim) ने अपनी पुस्तक “द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” (The Division of Labour in Society) में समाज के विकास को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया: ‘सांत्रिक समाज’ (Societies with Mechanical Solidarity) जहाँ श्रम का विभाजन कम होता है और लोग समान कार्य करते हैं, और ‘सांगठनिक समाज’ (Societies with Organic Solidarity) जहाँ श्रम का विभाजन अधिक होता है और लोग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर ‘शिकारियों, चरवाहों, कृषकों और औद्योगिक समाजों’ में वर्गीकरण नहीं किया, यह वर्गीकरण बाद के समाजशास्त्रियों, जैसे कि फेडीनंद टौनीज़ (Ferdinand Tönnies) या लेस्टर फ. वार्ड (Lester F. Ward) के विचारों के करीब है। लेकिन यदि प्रश्नकर्ता का तात्पर्य समाजशास्त्रीय वर्गीकरण से है, तो दुर्खीम का ‘यांत्रिक और सांगठनिक एकता’ (Mechanical and Organic Solidarity) का सिद्धांत इस दिशा में महत्वपूर्ण है, भले ही वह सीधा आर्थिक स्वरूप का नहीं है। (यहां प्रश्न के प्रारूप में थोड़ी अस्पष्टता है। यदि प्रश्न का अभिप्राय सामाजिक विकास के चरणों का है, तो मॉर्गन या अन्य विकासवादी विचारकों का उल्लेख हो सकता है। लेकिन उपलब्ध विकल्पों में, दुर्खीम को उनके सामाजिक एकता के प्रकारों के कारण शामिल किया गया है। आइए, इस प्रश्न को इस व्याख्या के साथ आगे बढ़ाते हैं कि प्रश्नकर्ता समाज के संगठनात्मक सिद्धांतों पर एक वर्गीकरण चाहता है।)
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने समाजों को उनकी सामाजिक एकजुटता (social solidarity) के प्रकारों के आधार पर वर्गीकृत किया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक व्यवस्थाओं पर केंद्रित थे। एच. स्पेंसर ने विकासवादी सिद्धांत दिए। एमिल ड्रेयमन (Emile Durkheim) सही उत्तर के रूप में व्याख्यायित किया गया है, लेकिन उनके वर्गीकरण का आधार सीधा आर्थिक नहीं है। (इस प्रश्न में किसी अन्य विकल्प की अनुपलब्धता के कारण, हम दुर्खीम के सामाजिक एकता के सिद्धांत को उसके सबसे निकटतम उत्तर के रूप में चुन रहे हैं।)
- मैक्स वेबर
- जी. एच. मीड
- एमिल दुर्खीम
- इरफान हबीब
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रणेता माना जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार, समाज और स्वयं की पहचान सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से प्रतीकों (जैसे भाषा) के आदान-प्रदान से निर्मित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘सेल्फ’ (Self) और ‘माइंड’ (Mind) की अवधारणाओं का विकास किया, जो प्रतीकों के माध्यम से विकसित होते हैं। उनके विचारों को उनके छात्रों द्वारा मरणोपरांत “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” (Mind, Self, and Society) नामक पुस्तक में संकलित किया गया।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को समझने पर बल दिया, जो अंतःक्रियावाद से मिलता-जुलता है, पर वे इसके प्रणेता नहीं थे। एमिल दुर्खीम सामाजिक तथ्यों और सामूहिक चेतना पर केंद्रित थे। इरफान हबीब इतिहासकार हैं।
- बी. आर. अंबेडकर
- एम. एन. श्रीनिवास
- ई. ई. ईवांस-प्रिटचार्ड
- एस. सी. दुबे
- सही उत्तर: डॉ. बी. आर. अंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) ने ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) और जाति व्यवस्था का गहन अध्ययन किया। उन्होंने इसे केवल एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और आर्थिक समस्या के रूप में भी देखा और इसके उन्मूलन के लिए संघर्ष किया।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक “जाति का उन्मूलन” (Annihilation of Caste) इस विषय पर एक मौलिक कार्य है। उन्होंने अस्पृश्यता के मूल कारणों और इसके निवारण के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
- गलत विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने जाति का अध्ययन किया, लेकिन अस्पृश्यता पर अंबेडकर जितना ध्यान केंद्रित नहीं किया। ई. ई. ईवांस-प्रिटचार्ड (E.E. Evans-Pritchard) एक ब्रिटिश मानवविज्ञानी थे जिन्होंने नूएर (Nuer) जैसे जनजातियों का अध्ययन किया। एस. सी. दुबे (S.C. Dube) ने भारतीय गांवों और जनजातियों पर महत्वपूर्ण काम किया।
- सब-कल्चर मुख्यधारा की संस्कृति से भिन्न मूल्य साझा करता है, जबकि काउंटर-कल्चर उसका विरोध करता है।
- सब-कल्चर हमेशा मुख्यधारा की संस्कृति का विरोध करता है।
- काउंटर-कल्चर मुख्यधारा की संस्कृति के समान होता है।
- दोनों अवधारणाएं समान हैं।
- सही उत्तर: ‘सब-कल्चर’ (Sub-culture) एक बड़े, मुख्यधारा के समाज के भीतर मौजूद एक विशिष्ट समूह की संस्कृति है, जो मुख्यधारा के मूल्यों और मानदंडों के साथ-साथ अपने कुछ अलग मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को साझा करती है। इसके विपरीत, ‘काउंटर-कल्चर’ (Counter-culture) मुख्यधारा की संस्कृति के मूल्यों, मानदंडों और जीवन शैली का सक्रिय रूप से विरोध या खंडन करती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक विशिष्ट संगीत शैली को मानने वाले युवाओं का समूह एक सब-कल्चर हो सकता है, जबकि 1960 के दशक के हिप्पी आंदोलन को एक काउंटर-कल्चर माना जा सकता है जिसने तत्कालीन मुख्यधारा की पश्चिमी संस्कृति का विरोध किया।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि सब-कल्चर जरूरी नहीं कि विरोध करे। विकल्प (c) गलत है क्योंकि काउंटर-कल्चर मुख्यधारा के विपरीत होती है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि दोनों में महत्वपूर्ण अंतर है।
- एक व्यक्ति का अपने जीवनकाल में विभिन्न सामाजिक स्थितियों में ऊपर या नीचे जाना।
- एक पीढ़ी की सामाजिक स्थिति का उसकी अगली पीढ़ी की सामाजिक स्थिति से तुलना करना।
- समाज में वर्गों के बीच गतिशीलता।
- सामाजिक स्तरीकरण का अध्ययन।
- सही उत्तर: ‘अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Inter-generational Mobility) का अर्थ है एक पीढ़ी के सदस्यों की सामाजिक स्थिति की तुलना उनकी पिछली पीढ़ी (जैसे माता-पिता) की सामाजिक स्थिति से करना। यह बताता है कि क्या बच्चे अपने माता-पिता की तुलना में सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर, नीचे या उसी स्तर पर हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, ‘अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Intra-generational Mobility) एक ही व्यक्ति के अपने जीवनकाल में सामाजिक सीढ़ी पर ऊपर या नीचे जाने को संदर्भित करती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता का वर्णन करता है। विकल्प (c) केवल गतिशीलता के एक पहलू को बताता है। विकल्प (d) एक व्यापक अवधारणा है।
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- रॉबर्ट मर्टन
- सही उत्तर: मैक्स वेबर (Max Weber) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म” (1905) में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म, विशेष रूप से कैल्विनवाद (Calvinism) की कुछ मान्यताएं (जैसे पूर्वनियतिवाद – predestination, और सांसारिक सफलता को ईश्वर की कृपा का संकेत मानना), आधुनिक पूंजीवाद के उदय और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कारक थीं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने दिखाया कि कैसे इन धार्मिक मूल्यों ने कड़ी मेहनत, मितव्ययिता और धन संचय को एक नैतिक कर्तव्य बना दिया, जो पूंजीवादी उद्यमिता के लिए आवश्यक था।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद के उदय को उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व और वर्ग संघर्ष के परिणामों के रूप में समझाया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। रॉबर्ट मर्टन ने विज्ञान और समाज के बीच संबंधों पर काम किया।
- संस्कृति (Culture)
- सामाजिक भूमिका (Social Role)
- सामाजिक संस्थाएं (Social Institutions)
- उपरोक्त सभी
- सही उत्तर: सामाजिक संरचना (Social Structure) एक व्यापक अवधारणा है जिसमें समाज के विभिन्न घटक शामिल होते हैं। ‘संस्कृति’ (Culture) में साझा मूल्य, विश्वास और व्यवहार शामिल हैं, जो संरचना को प्रभावित करते हैं। ‘सामाजिक भूमिका’ (Social Role) समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति के अनुरूप अपेक्षित व्यवहार है, जो संरचना का हिस्सा है। ‘सामाजिक संस्थाएं’ (Social Institutions) जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार, समाज के प्रमुख संगठन हैं जो संरचना के मुख्य स्तंभ बनाते हैं। ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं और मिलकर सामाजिक संरचना का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन (A.R. Radcliffe-Brown) जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना को समाज के अंगों के बीच संबंधों के एक पैटर्न के रूप में देखा।
- गलत विकल्प: चूंकि ये सभी अवधारणाएं सामाजिक संरचना के अध्ययन में प्रासंगिक हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
- संसकृतिकरण
- पश्चिमीकरण
- स्थानीयकरण
- भूमि सुधार
- सही उत्तर: भारतीय संदर्भ में, ‘संसकृतिकरण’ (Sanskritization) एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया एक शब्द है जो निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करता है ताकि सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति सुधारी जा सके। यदि भूमि सुधारों के परिणामस्वरूप कुछ किसानों या निम्न वर्गों का आर्थिक और सामाजिक उत्थान होता है और वे उच्च जातियों के आचरण को अपनाते हैं, तो इसे एक प्रकार का संस्किृतिकरण कहा जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। ‘स्थानीयकरण’ (Localization) किसी चीज को स्थानीय संदर्भ में ढालने की प्रक्रिया है। ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) एक नीतिगत हस्तक्षेप है, न कि सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रिया।
- विलियम एफ. ऑग्बर्न
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ई.बी. टायलर
- सही उत्तर: विलियम एफ. ऑग्बर्न (William F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक संस्थाएं, नैतिकता, कानून) की तुलना में अधिक तेजी से बदलती है, जिससे समाज में असंतुलन या ‘विलंब’ पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट के विकास ने सूचना के प्रवाह को तीव्र कर दिया, लेकिन गोपनीयता और डेटा सुरक्षा से संबंधित हमारे कानून और सामाजिक मानदंड इस तकनीकी परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाने में पीछे रह गए।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर काम किया। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और पूंजीवाद पर ध्यान केंद्रित किया। ई.बी. टायलर ने संस्कृति के विकासवादी सिद्धांत पर काम किया।
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कोलमेन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
- सही उत्तर: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को कई प्रमुख समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है। पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने इसे संसाधनों के एक रूप के रूप में देखा जो सामाजिक संबंधों से प्राप्त होते हैं। जेम्स कोलमेन (James Coleman) ने इसे परिवार और समुदाय जैसे सामाजिक संरचनाओं के भीतर संबंधों के उत्पाद के रूप में समझाया। रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामाजिक विश्वास के रूप में देखा जो लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है। इसलिए, ये सभी विचारक इससे जुड़े हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक संबंधों के माध्यम से लाभ प्राप्त करने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: चूंकि सभी तीन विचारक इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण रहे हैं, (d) सही उत्तर है।
- संयुक्तता (Jointness)
- सत्तात्मकता (Patriarchy)
- विवाह की पवित्रता
- अ. और ब. दोनों
- सही उत्तर: के. एम. कपाड़िया (K.M. Kapadia) ने अपनी पुस्तक “मैरिज एंड फैमिली इन इंडिया” (Marriage and Family in India) में पारंपरिक भारतीय परिवार की मुख्य विशेषताओं के रूप में ‘संयुक्तता’ (Jointness) यानी संयुक्त परिवार प्रणाली की प्रधानता और ‘सत्तात्मकता’ (Patriarchy) यानी परिवार में पुरुषों की प्रधानता और महिलाओं की अधीनस्थ स्थिति का उल्लेख किया है। उन्होंने विवाह की संस्था के महत्व और उसके धार्मिक-सामाजिक आयामों पर भी प्रकाश डाला, लेकिन प्रश्न में विशेष रूप से “संयुक्तता” और “सत्तात्मकता” को प्रमुखता से पूछा गया है।
- संदर्भ और विस्तार: कपाड़िया ने भारतीय परिवार में हो रहे परिवर्तनों का भी विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: ‘विवाह की पवित्रता’ (Sacredness of Marriage) एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन संयुक्तता और सत्तात्मकता परिवार की संरचनात्मक विशेषताओं को बेहतर ढंग से दर्शाते हैं, जिन्हें कपाड़िया ने विशेष रूप से विश्लेषित किया। इसलिए, (d) सबसे उपयुक्त उत्तर है।
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- एच. स्पेंसर
- सही उत्तर: मैक्स वेबर (Max Weber) ने ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) को आधुनिक समाज में शक्ति और अधिकार का सबसे कुशल और तर्कसंगत रूप मानते हुए इसका ‘आदर्श-प्रारूप’ (Ideal-Type) विकसित किया। इस आदर्श-प्रारूप में पदसोपान, विशेषज्ञता, लिखित नियम, अवैयक्तिक संबंध और योग्यता के आधार पर चयन जैसे लक्षण शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि नौकरशाही तर्कसंगतता (Rationality) के प्रसार का परिणाम है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष पर था। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन का विश्लेषण किया। एच. स्पेंसर ने जैविक सादृश्य का प्रयोग किया।
- किसानों का एक संघ।
- एक स्वैच्छिक श्रम सहयोग प्रणाली।
- एक पारंपरिक प्रणाली जहाँ सेवा प्रदाता (जाजमान) और सेवा प्राप्तकर्ता (कम्बीन) के बीच जन्म-आधारित, वंशानुगत सेवा और भुगतान संबंध होते हैं।
- ग्राम सभा का गठन।
- सही उत्तर: ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) भारतीय ग्रामीण समाजों में एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था थी। इसमें सेवा प्रदाता (जैसे नाई, कुम्हार, लोहार, धोबी) और सेवा प्राप्तकर्ता (जाजमान, जो आमतौर पर एक कृषक या भूमिपति होता है) के बीच जन्म-आधारित, वंशानुगत और पारस्परिक सेवा (सेवा के बदले वस्तु या नकद भुगतान) के संबंध स्थापित होते थे।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली ने ग्रामीण समुदायों में अंतर्निर्भरता को बढ़ावा दिया और जाति व्यवस्था के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई थी। डब्ल्यू.एच. वाइस (W.H. Wiser) ने इस पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
- गलत विकल्प: (a) किसानों का संघ एक आधुनिक या राजनीतिक संगठन है। (b) यह स्वैच्छिक नहीं, बल्कि जन्म-आधारित और पारंपरिक रूप से बाध्यकारी है। (d) ग्राम सभा एक संस्थागत इकाई है।
- रॉबर्ट मर्टन
- हरबर्ट ब्लूमर
- जी. एच. मीड
- ऑगस्ट कॉम्टे
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने ‘प्रतीकों’ (Symbols) को मानव समाज और स्वयं (self) के निर्माण का आधार माना। उनके अनुसार, व्यक्ति भाषा जैसे प्रतीकों के माध्यम से दूसरों के साथ अंतःक्रिया करता है, और इसी अंतःक्रिया से वह समाज और अपनी पहचान के बारे में अर्थ विकसित करता है। हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) ने मीड के विचारों को ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) नामक एक सिद्धांत के रूप में व्यवस्थित किया। हालांकि, प्रश्न प्रतीकों की केंद्रीयता और अर्थ निर्माण पर बल देता है, जो मीड के कार्य का मूल है। (यहां मीड और ब्लूमर दोनों प्रासंगिक हैं, लेकिन मीड को इसके संस्थापक विचारों के लिए जाना जाता है)।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतीकों के माध्यम से ही हम अपने आसपास की दुनिया को समझते हैं और दूसरों के साथ संवाद स्थापित करते हैं।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ पर काम किया। ऑगस्ट कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक हैं।
- जनमत और सार्वजनिक निंदा
- पुलिस, अदालतें और कारागार
- पारिवारिक संस्कार और सामाजिक बहिष्कार
- नैतिक उपदेश और धार्मिक अनुदेश
- सही उत्तर: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) समाज में व्यवस्था बनाए रखने और विचलन (deviance) को रोकने की प्रक्रिया है। ‘औपचारिक नियंत्रण’ (Formal Control) वह नियंत्रण है जो स्पष्ट रूप से परिभाषित नियमों, कानूनों और संस्थाओं द्वारा लागू किया जाता है। पुलिस, अदालतें, कारागार और अन्य कानूनी तथा प्रशासनिक संस्थाएं औपचारिक नियंत्रण के प्रमुख उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये नियंत्रण अक्सर राज्य या अन्य अधिकृत संगठनों द्वारा लागू किए जाते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) ‘अनौपचारिक नियंत्रण’ (Informal Control) के उदाहरण हैं, जो समाज के सदस्यों द्वारा बिना किसी स्पष्ट संस्थागत ढाँचे के, जैसे जनमत, निंदा, सामाजिक बहिष्कार, परंपराओं, नैतिकता और धर्म के माध्यम से लागू किए जाते हैं।
- राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र
- सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्र
- सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र
- मुख्य रूप से तकनीकी क्षेत्र
- सही उत्तर: टी. के. उन्नीकृष्णन (T. K. Unnikrishnan) ने भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का व्यापक विश्लेषण किया। उन्होंने पहचाना कि आधुनिकीकरण केवल तकनीकी परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ‘सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक’ क्षेत्रों में भी गहराई से परिवर्तन लाता है। इसमें शिक्षा, धर्मनिरपेक्षता, शहरीकरण, लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास और पारंपरिक मूल्यों का पुनर्मूल्यांकन शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्नीकृष्णन ने आधुनिकता और उत्तर-आधुनिकता के भारतीय संदर्भों पर भी काम किया है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) आधुनिकीकरण के पहलू हैं, लेकिन (c) इन सभी को मिलाकर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। (d) आधुनिकीकरण का केवल एक हिस्सा है।
- सामाजिक घटनाओं की मात्रात्मक माप और सांख्यिकीय विश्लेषण करना।
- सामाजिक घटनाओं के पीछे छिपे अर्थों, अनुभवों और प्रक्रियाओं को गहराई से समझना।
- एक बड़े जनसमूह का सर्वेक्षण करना।
- प्रयोगों के माध्यम से कारण-कार्य संबंधों को स्थापित करना।
- सही उत्तर: ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य किसी सामाजिक घटना के ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का पता लगाना है। यह व्यक्तिनिष्ठ अनुभवों, सामाजिक प्रक्रियाओं, अर्थों और संदर्भों को समझने पर केंद्रित होती है, न कि केवल संख्यात्मक माप पर। इसमें साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी आदि जैसी तकनीकें शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक अनुसंधान अक्सर ‘गहन समझ’ (in-depth understanding) प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: (a) यह ‘मात्रात्मक विधि’ (Quantitative Method) का उद्देश्य है। (c) सर्वेक्षण अक्सर मात्रात्मक हो सकता है, हालाँकि इसमें गुणात्मक तत्व भी हो सकते हैं। (d) यह प्रायः ‘प्रायोगिक विधि’ (Experimental Method) का उद्देश्य है।
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- अल्फ्रेड मार्शल
- सभी (a), (b) और (c)
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) ने अपनी महत्वाकांक्षी पुस्तक “द स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन” में एमिल दुर्खीम (Emile Durkheim), मैक्स वेबर (Max Weber) और अल्फ्रेड मार्शल (Alfred Marshall) जैसे महत्वपूर्ण विचारकों के कार्यों का संश्लेषण किया। उन्होंने इन सभी के विचारों से प्रेरणा लेकर अपने ‘क्रिया प्रणाली सिद्धांत’ (Action System Theory) और ‘संरचनात्मक-कार्यात्मक’ (Structural-Functional) दृष्टिकोण को विकसित किया।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने इन तीनों के सामाजिक व्यवस्था, संस्थाओं और व्यक्ति के व्यवहार को समझने के प्रयासों को एकीकृत करने का प्रयास किया।
- गलत विकल्प: जबकि पार्सन्स का मुख्य ध्यान दुर्खीम और वेबर पर था, उन्होंने मार्शल के आर्थिक समाजशास्त्र से भी महत्वपूर्ण तत्व लिए। इसलिए, (d) सबसे सटीक उत्तर है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की प्रक्रिया का सर्वप्रथम विस्तृत अध्ययन किसने किया?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 8: “मानव समाज का वर्गीकरण, उसके आर्थिक स्वरूप के आधार पर, शिकारियों, चरवाहों, कृषकों और औद्योगिक समाजों में किसने किया?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 9: ‘सिंबॉलिक इंटरैक्शनिज़्म’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रणेता कौन है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 10: भारतीय समाज में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का अध्ययन करने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन थे?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 11: ‘सब-कल्चर’ (Sub-culture) और ‘काउंटर-कल्चर’ (Counter-culture) की अवधारणाओं में क्या अंतर है?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 12: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के संदर्भ में, ‘अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Inter-generational Mobility) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 13: “The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism” (प्रोटेस्टेंट नीतिशास्त्र और पूंजीवाद की आत्मा) नामक पुस्तक किसने लिखी?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 14: निम्न में से कौन ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा से संबंधित है, जो समाज के अंतर्संबंधित भागों के एक पैटर्न को संदर्भित करती है?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 15: भारतीय समाज में ‘कुलीनतंत्रीकरण’ (Gentrilisation) के समान, भूमि सुधारों के संदर्भ में एक विशेष वर्ग के उत्थान की प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 16: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाज में तकनीकी परिवर्तन की गति और सामाजिक-सांस्कृतिक अनुकूलन की गति के बीच अंतर को दर्शाती है?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 17: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जिसमें सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के महत्व को रेखांकित किया जाता है, किस विचारक से प्रमुख रूप से जुड़ी है?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 18: भारत में ‘परिवार’ (Family) नामक संस्था का अध्ययन करने वाले समाजशास्त्री के. एम. कपाड़िया (K.M. Kapadia) ने पारंपरिक भारतीय परिवार की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 19: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की आदर्श-प्रारूप (Ideal-Type) की अवधारणा किसने विकसित की, जिसमें पदसोपान (Hierarchy), नियम (Rules) और अवैयक्तिक संबंध (Impersonal Relations) जैसे लक्षणों का वर्णन है?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 20: ग्रामीण समाजशास्त्र के संदर्भ में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) क्या है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 21: ‘प्रतीक’ (Symbol) की केंद्रीयता का समर्थन करने वाले समाजशास्त्री ने समाज को ‘प्रतीकों के अर्थ’ (Meanings of Symbols) से निर्मित माना?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 22: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) के संबंध में, ‘औपचारिक नियंत्रण’ (Formal Control) के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 23: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का अध्ययन करते हुए, टी. के. उन्नीकृष्णन (T. K. Unnikrishnan) ने किन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का विश्लेषण किया?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 24: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) की ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 25: “द स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन” (The Structure of Social Action) पुस्तक में, टैल्कॉट पार्सन्स ने किस समाजशास्त्री के विचारों को सबसे अधिक महत्व दिया और अपने सिद्धांत को उनके संश्लेषण के रूप में प्रस्तुत किया?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण: