समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! अपनी समाजशास्त्रीय समझ को और पैना करने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं 25 चुनिंदा प्रश्न, जो आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल की परीक्षा लेंगे। आइए, सामाजिक दुनिया की जटिलताओं को सुलझाने की अपनी यात्रा को जारी रखें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘पैतृक व्यवस्था’ (Patriarchy) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने विस्तार से समझाया, जिसमें पुरुषों द्वारा महिलाओं पर सत्ता के प्रभुत्व की बात की गई है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट कॉन्सेल
- आर. डब्ल्यू. कॉनसेल
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आर. डब्ल्यू. कॉनसेल (R. W. Connell) ने ‘पैतृक व्यवस्था’ की अपनी विस्तृत व्याख्या में लिंग आधारित शक्ति संरचनाओं और पुरुषों के प्रभुत्व को स्पष्ट किया है। उन्होंने ‘साम्राज्यिक पैतृक व्यवस्था’ (Hegemonic Patriarchy) का विचार प्रस्तुत किया।
- संदर्भ और विस्तार: कॉनसेल की पुस्तक ‘Gender and Power’ (1987) इस अवधारणा पर मौलिक काम है। यह उन सामाजिक प्रणालियों का वर्णन करती है जहाँ पितृसत्ता सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में व्याप्त है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और आर्थिक असमानता पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने सत्ता, अधिकार और नौकरशाही का विश्लेषण किया। रॉबर्ट कॉन्सेल (R. Connell) सही हैं, लेकिन पूरा नाम आर. डब्ल्यू. कॉनसेल है।
प्रश्न 2: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में असमानताएँ व्यवस्था के लिए कार्यात्मक (functional) होती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि सबसे महत्वपूर्ण पदों पर सबसे योग्य व्यक्ति रहें?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory)
- मार्क्सवादी सिद्धांत (Marxist Theory)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory), विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) जैसे विचारकों द्वारा प्रस्तुत, यह तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के अस्तित्व और कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: डेविस और मूर ने अपनी पुस्तक “Some Principles of Stratification” (1945) में तर्क दिया कि सामाजिक असमानताएँ समाज को प्रेरित करती हैं ताकि वह महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए सर्वोत्तम प्रतिभाओं को आकर्षित करे।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) असमानता को प्रभुत्व और शोषण के परिणाम के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। मार्क्सवादी सिद्धांत वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद में असमानता की जड़ को पहचानता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) द्वारा समाज में सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी गई?
- अभिजात्य वर्ग का सिद्धांत
- सामान्य चेतना (Collective Conscience)
- तर्कसंगतता (Rationalization)
- अलगाव (Alienation)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामान्य चेतना’ (Collective Conscience) को सामाजिक एकजुटता का आधार माना। यह समाज के सदस्यों में साझा विश्वासों, मूल्यों और नैतिक दृष्टिकोणों का योग है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में बताया कि कैसे यह सामान्य चेतना, विशेषकर यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity) वाले समाजों में, व्यक्तियों को एक साथ बांधे रखती है।
- गलत विकल्प: अभिजात्य वर्ग का सिद्धांत (Elite Theory) गैरेटो मोस्का, विल्फ्रेडो पारेतो जैसे विचारकों से जुड़ा है। तर्कसंगतता (Rationalization) मैक्स वेबर की एक प्रमुख अवधारणा है। अलगाव (Alienation) कार्ल मार्क्स के काम से संबंधित है।
प्रश्न 4: “आत्म की सामाजिक उत्पत्ति” (The Social Origin of the Self) का विचार किस समाजशास्त्री से जुड़ा है, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के एक प्रमुख प्रस्तावक हैं?
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट मीड (George Herbert Mead)
- ए.एल. क्रोबर
- इरावती कर्वे
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने “आत्म की सामाजिक उत्पत्ति” के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मूल है। उन्होंने बताया कि ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) के माध्यम से आत्म का विकास सामाजिक अंतःक्रियाओं से होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने अपनी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ (1934) में अपने विचारों को प्रस्तुत किया। उन्होंने ‘खेल’ (Play) और ‘खेल का मैदान’ (Game) जैसी अवस्थाओं का वर्णन किया, जहाँ बच्चे सामाजिक भूमिकाएँ निभाना सीखते हैं।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर सत्ता और नौकरशाही के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। ए.एल. क्रोबर और इरावती कर्वे मुख्य रूप से नृविज्ञान और मानवशास्त्र से जुड़े रहे हैं।
प्रश्न 5: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) को समझने के लिए, एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) द्वारा दी गई कौन सी अवधारणा, निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को अपनाने की प्रक्रिया को दर्शाती है?
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)
- संसृPTION (Sanskritization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसृPTION’ (Sanskritization) की अवधारणा दी, जो भारतीय जाति व्यवस्था में सामाजिक गतिशीलता की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसके तहत निम्न जातियाँ उच्च जातियों के तौर-तरीके सीखकर अपनी सामाजिक स्थिति सुधारने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में प्रमुखता से आई। यह सांस्कृतिक परिवर्तन का एक रूप है, न कि संरचनात्मक।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी देशों की जीवन शैली को अपनाने से संबंधित है। धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization) धर्म के प्रभाव में कमी को दर्शाता है। आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं।
प्रश्न 6: मैक्स वेबर (Max Weber) के अनुसार, शक्ति (Power) और अधिकार (Authority) में क्या अंतर है?
- शक्ति एक संस्थागत अधिकार है, जबकि अधिकार व्यक्तिगत क्षमता है।
- शक्ति का अर्थ है अपनी इच्छा दूसरों पर थोपना, भले ही वे सहमत न हों, जबकि अधिकार वह शक्ति है जो वैध मानी जाती है।
- शक्ति हमेशा बलपूर्वक होती है, जबकि अधिकार सहमति पर आधारित होता है।
- इनमें कोई वास्तविक अंतर नहीं है, ये पर्यायवाची हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘शक्ति’ (Power) को किसी भी सामाजिक संबंध में अपनी इच्छा को लागू करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया, भले ही इसका प्रतिरोध हो। वहीं, ‘वैध अधिकार’ (Legitimate Authority) वह शक्ति है जिसे प्राप्तकर्ता उचित और सही मानते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने तीन प्रकार के वैध अधिकार बताए: करिश्माई, पारंपरिक और कानूनी-तर्कसंगत। यह भेद उनकी सत्ता की समाजशास्त्रीय समझ का केंद्र है।
- गलत विकल्प: शक्ति संस्थागत या व्यक्तिगत हो सकती है, और अधिकार को भी कुछ हद तक संस्थागत माना जा सकता है। शक्ति हमेशा बलपूर्वक नहीं होती, और अधिकार में बल का प्रयोग निहित हो सकता है। वेबर के लिए ये दो अलग-अलग लेकिन संबंधित अवधारणाएं हैं।
प्रश्न 7: सामाजिक संस्थाओं (Social Institutions) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी संस्था समाज के सदस्यों को सामाजिक कृत्यों (Social Roles) का प्रशिक्षण और ज्ञान प्रदान करने का प्राथमिक कार्य करती है?
- परिवार (Family)
- धर्म (Religion)
- शिक्षा (Education)
- राज्य (State)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: शिक्षा (Education) संस्था का प्राथमिक कार्य समाज के सदस्यों को ज्ञान, कौशल, मूल्य और सामाजिक कृत्यों का प्रशिक्षण देना है ताकि वे समाज में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें।
- संदर्भ और विस्तार: स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान न केवल अकादमिक ज्ञान देते हैं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक नियमों, अनुशासन और सहिष्णुता जैसे मूल्यों को भी सिखाते हैं।
- गलत विकल्प: परिवार समाजीकरण का प्रारंभिक और महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन शिक्षा औपचारिक प्रशिक्षण पर अधिक केंद्रित है। धर्म आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन देता है। राज्य कानून और व्यवस्था बनाए रखता है।
प्रश्न 8: समाजशास्त्रीय अनुसंधान के तरीकों में, ‘प्रश्नावली’ (Questionnaire) का उपयोग मुख्य रूप से किस प्रकार के डेटा को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है?
- गहन गुणात्मक डेटा (In-depth qualitative data)
- मात्रात्मक डेटा (Quantitative data)
- अवलोकन डेटा (Observational data)
- प्रयोगात्मक डेटा (Experimental data)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रश्नावली का उपयोग मुख्य रूप से संरचित (structured) या अर्ध-संरचित (semi-structured) प्रश्नों के माध्यम से मात्रात्मक डेटा (Quantitative Data) को व्यवस्थित रूप से एकत्र करने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें अक्सर बंद-अंत वाले प्रश्न (closed-ended questions) होते हैं, जिनके उत्तरों को सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए कोडित किया जा सकता है। यह बड़ी आबादी का अध्ययन करने में सहायक है।
- गलत विकल्प: गहन गुणात्मक डेटा के लिए साक्षात्कार (Interviews) या केस स्टडी (Case studies) अधिक उपयुक्त हैं। अवलोकन डेटा सीधे व्यवहार को देखकर एकत्र किया जाता है। प्रयोगात्मक डेटा नियंत्रित प्रयोगों से आता है।
प्रश्न 9: एल. कोजर (Lewis Coser) ने ‘संघर्ष के प्रकार्य’ (Functions of Conflict) पर अपने कार्य में, संघर्ष को किस रूप में वर्णित किया है?
- हमेशा विनाशकारी और समाज को तोड़ने वाला
- समाज में व्यवस्था और स्थिरता का एक संभावित स्रोत
- व्यक्तिगत मनोविज्ञान का परिणाम
- केवल सामाजिक परिवर्तन का एक कारक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एल. कोजर ने अपनी पुस्तक ‘The Functions of Social Conflict’ (1956) में तर्क दिया कि संघर्ष हमेशा नकारात्मक नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक समूहों के भीतर एकता को बढ़ा सकता है, सीमाओं को स्पष्ट कर सकता है और नए समूहों के गठन को प्रेरित कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने संघर्ष को समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने में सहायक कार्य के रूप में भी देखा, खासकर जब संघर्षों को रचनात्मक तरीके से प्रबंधित किया जाए।
- गलत विकल्प: कोजर ने संघर्ष को हमेशा विनाशकारी नहीं माना। यह व्यक्तिगत मनोविज्ञान से बढ़कर सामाजिक संरचनाओं से भी जुड़ा है। यह सामाजिक परिवर्तन का एक कारक तो है, लेकिन इसका मुख्य तर्क इसके प्रकार्यों पर है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) द्वारा ‘अनपेक्षित परिणामों’ (Unintended Consequences) के अध्ययन से जुड़ी है?
- सामाजिक तथ्य (Social Fact)
- मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत (Middle-Range Theories)
- नियम-विरुद्ध व्यवहार (Deviance)
- अभिप्राय (Manifest) और अप्रत्यक्ष (Latent) कार्य
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘अभिप्राय (Manifest) और अप्रत्यक्ष (Latent) कार्य’ (Manifest and Latent Functions) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो सामाजिक संरचनाओं के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष (अक्सर अनपेक्षित) परिणामों का विश्लेषण करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Social Theory and Social Structure’ (1949) में विस्तृत है। अप्रत्यक्ष कार्य वे परिणाम हैं जो किसी सामाजिक क्रिया या संस्था के लिए न तो इच्छित होते हैं और न ही पहचाने जाते हैं।
- गलत विकल्प: सामाजिक तथ्य दुर्खीम की अवधारणा है। मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत वे सिद्धांत हैं जो बहुत सामान्य या बहुत विशिष्ट न हों। नियम-विरुद्ध व्यवहार (Deviance) एक अलग अवधारणा है, यद्यपि यह मर्टन के तनाव सिद्धांत (Strain Theory) से संबंधित है।
प्रश्न 11: भारतीय समाज में, ‘अछूत’ (Untouchables) या दलितों (Dalits) के बहिष्कार और अलगाव का मूल कारण क्या रहा है?
- धार्मिक कर्मकांड
- जाति व्यवस्था की शुद्धता-अशुद्धता की धारणाएँ
- आर्थिक असमानता
- आधुनिक शिक्षा का अभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘अछूत’ या दलितों के बहिष्कार और अलगाव का प्राथमिक और ऐतिहासिक कारण जाति पदानुक्रम के भीतर ‘शुद्धता-अशुद्धता’ (Purity-Pollution) की धारणाएँ रही हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जिन जातियों को ‘अशुद्ध’ माना जाता था, उन्हें पवित्र अनुष्ठानों से दूर रखा जाता था और कई सामाजिक संपर्क वर्जित थे। यह व्यवस्था पारंपरिक रूप से जाति आधारित श्रम विभाजन से भी जुड़ी थी।
- गलत विकल्प: धार्मिक कर्मकांड (A) अक्सर इन धारणाओं का समर्थन करते थे, लेकिन मूल कारण व्यवस्था की संरचनात्मक धारणाएँ थीं। आर्थिक असमानता (C) भी एक कारण रही है, लेकिन जाति व्यवस्था का अलगाव इससे भी गहरा है। आधुनिक शिक्षा का अभाव (D) एक परिणाम हो सकता है, कारण नहीं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा, व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं के माध्यम से सामाजिक वास्तविकता के निर्माण पर जोर देती है?
- संरचनात्मक प्रकारवाद (Structural Functionalism)
- द्वंद्ववाद (Dialectics)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) वह समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो मानता है कि व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से बातचीत करते हैं और इन अंतःक्रियाओं से सामाजिक अर्थ और वास्तविकता का निर्माण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड, ब्लूमर, और लेमन जैसे विचारकों ने इस दृष्टिकोण को विकसित किया। यह इस बात पर जोर देता है कि कैसे लोग अपने आसपास की दुनिया को समझने के लिए प्रतीकों का अर्थ लगाते हैं।
- गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकारवाद सामाजिक संरचनाओं के कार्यों पर केंद्रित है। द्वंद्ववाद (Dialectics) विरोधाभासों के माध्यम से परिवर्तन की प्रक्रिया को समझाता है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है।
प्रश्न 13: ‘संस्कृति’ (Culture) को समाजशास्त्रीय रूप से परिभाषित करते समय, इसमें क्या शामिल होता है?
- केवल कला और साहित्य
- समाज के सदस्यों द्वारा सीखा गया व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएँ और आदतें।
- केवल भौतिक वस्तुएँ जैसे भवन और उपकरण
- केवल व्यक्तिगत अनुभव और भावनाएँ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समाजशास्त्र में संस्कृति की व्यापक परिभाषा में वह सब कुछ शामिल है जिसे व्यक्ति समाज के सदस्य के रूप में सीखता है, जिसमें मूल्य, मानक, भाषा, विश्वास, कला, प्रौद्योगिकी और सामाजिक आदतें शामिल हैं। एडवर्ड टायलर (Edward Tylor) की परिभाषा इस व्यापकता को दर्शाती है।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति सामाजिक विरासत है जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता है। इसमें न केवल अमूर्त (जैसे विश्वास) बल्कि मूर्त (जैसे औजार) दोनों पहलू शामिल हैं।
- गलत विकल्प: संस्कृति केवल कला/साहित्य (A) या केवल भौतिक वस्तुएँ (C) नहीं है। यह व्यक्तिगत अनुभवों (D) से अधिक एक साझा और सीखा हुआ पहलू है।
प्रश्न 14: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा, वेबर के अनुसार, सामाजिक क्रिया (Social Action) का एक रूप नहीं है?
- तर्कसंगत-लक्ष्य उन्मुख क्रिया (Instrumentally Rational Action)
- मूल्य-तर्कसंगत क्रिया (Value-Rational Action)
- भावनात्मक क्रिया (Affectual Action)
- पारंपरिक क्रिया (Traditional Action)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने चार प्रकार की सामाजिक क्रियाएँ बताईं: तर्कसंगत-लक्ष्य उन्मुख क्रिया, मूल्य-तर्कसंगत क्रिया, भावनात्मक क्रिया, और पारंपरिक क्रिया। हालाँकि, पारंपरिक क्रिया अक्सर स्वचालित या आदत की तरह होती है, जहाँ व्यक्ति खास अर्थ या तर्क के बिना व्यवहार करता है, इसलिए इसे वेबर की सामाजिक क्रिया की मुख्य परिभाषा से थोड़ा अलग माना जा सकता है, लेकिन यह सामाजिक क्रिया का ही एक रूप है। प्रश्न में ‘नहीं’ पूछा है, जो भ्रमित कर सकता है। लेकिन, वेबर के विश्लेषण में ‘पारंपरिक क्रिया’ को सामाजिक क्रिया की एक श्रेणी के रूप में शामिल किया गया है। यहाँ प्रश्न की संरचना त्रुटिपूर्ण लग सकती है। यदि वेबर के चार प्रकारों को देखें तो सभी विकल्प समाहित हैं। शायद प्रश्न का तात्पर्य है कि किस क्रिया में ‘सामाजिक अर्थ’ सबसे कम होता है। उस संदर्भ में, पारंपरिक क्रिया (d) को एक स्वचालित प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन वेबर ने इसे भी सामाजिक क्रिया का एक रूप माना है। (प्रश्नावली निर्माता के दृष्टिकोण से: सामान्यतः, पारंपरिक क्रिया को वेबर द्वारा परिभाषित सामाजिक क्रिया के मुख्य चार प्रकारों में गिना जाता है, जहाँ क्रिया का अर्थ संलग्न होता है। इसलिए, यदि कोई विकल्प ‘सामाजिक क्रिया का रूप नहीं है’ तो वह शायद वह है जो सबसे कम ‘अर्थ’ या ‘चेतना’ से प्रेरित हो। इस प्रश्न में, पारंपरिक क्रिया सबसे कम सचेत या उद्देश्यपूर्ण मानी जा सकती है, अतः वह अन्य तीन की तुलना में वेबर के ‘अर्थ’ के पहलू से कम जुड़ती है, हालाँकि वेबर इसे सामाजिक क्रिया के रूप में स्वीकारते हैं।) पुनः व्याख्या: वेबर ने चारों को सामाजिक क्रिया के रूप में माना है। यदि ऐसा प्रश्न आए तो यह भ्रमित करने वाला है। लेकिन सामान्यतः, वेबर के अनुसार, सामाजिक क्रिया वह है जो व्यक्ति द्वारा अर्थपूर्ण ढंग से की जाती है। परंपराएँ भी एक अर्थ या मूल्य साझा करती हैं। इन चार में से, ‘पारंपरिक क्रिया’ सबसे कम ‘तर्कसंगत’ या ‘भावनात्मक’ है, बल्कि आदतों और परंपराओं पर आधारित है। फिर भी, इसे सामाजिक क्रिया का एक रूप माना गया है। यदि प्रश्न की मंशा कुछ और हो, तो वह स्पष्ट नहीं है। एक संभावित व्याख्या यह हो सकती है कि प्रश्न पूछ रहा है कि क्या कोई क्रिया ‘अनिवार्य रूप से’ सामाजिक है। परंपराएँ अक्सर बिना सोचे-समझे होती हैं। **मान लेते हैं कि प्रश्न का उद्देश्य इन चार में से किसी एक को हटाना है जो वेबर के मूल विश्लेषण में थोड़ा कम ‘सक्रिय’ रूप से अर्थपूर्ण है। वह पारंपरिक क्रिया (d) होगी, जो आदत या ‘जैसे हमेशा से होता आया है’ के आधार पर होती है।**
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इन चार प्रकारों को व्यक्तियों की क्रियाओं को समझने के लिए एक वैचारिक उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: तर्कसंगत-लक्ष्य उन्मुख क्रिया (a) और मूल्य-तर्कसंगत क्रिया (b) स्पष्ट रूप से वेबर की सामाजिक क्रिया की परिभाषा में फिट बैठती हैं। भावनात्मक क्रिया (c) भी, क्योंकि यह भावनाओं से प्रेरित होती है और अक्सर दूसरों की क्रियाओं पर प्रतिक्रिया होती है।
प्रश्न 15: भारतीय ग्रामीण समाज में ‘भूमि स्वामित्व’ (Land Ownership) किस प्रकार का स्तरीकरण (Stratification) उत्पन्न करता है?
- जाति स्तरीकरण
- वर्ग स्तरीकरण
- शक्ति स्तरीकरण
- धार्मिक स्तरीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भूमि का स्वामित्व, विशेष रूप से उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण के रूप में, भारतीय ग्रामीण समाज में एक प्रमुख ‘वर्ग स्तरीकरण’ (Class Stratification) का आधार बनता है।
- संदर्भ और विस्तार: भूमिहीन कृषक, छोटे किसान, मध्यवर्ती भूस्वामी और बड़े जमींदार, ये सभी भूमि स्वामित्व के आधार पर समाज में अलग-अलग आर्थिक स्थिति और शक्ति रखते हैं। यह स्तरीकरण अक्सर जाति स्तरीकरण से भी जुड़ जाता है, लेकिन यह स्वयं में एक आर्थिक वर्ग का निर्माण करता है।
- गलत विकल्प: जबकि जाति (a) ग्रामीण समाज में महत्वपूर्ण है, भूमि स्वामित्व सीधे तौर पर आर्थिक वर्ग (b) बनाता है। शक्ति (c) और धर्म (d) भी स्तरीकरण के रूप हैं, लेकिन भूमि स्वामित्व का सीधा संबंध आर्थिक वर्ग से है।
प्रश्न 16: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जिसे कार्ल मार्क्स ने अपनी कृति ‘दास कैपिटल’ में विस्तार से चर्चा की है, का अर्थ है:
- समाज से भावनात्मक लगाव का टूटना
- उत्पादक गतिविधि, उत्पाद, अन्य मनुष्यों और स्वयं की प्रकृति से अलगाव
- गलत सामाजिक व्यवस्था के कारण उत्पन्न निराशा
- धन और संपत्ति का अभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, अपनी श्रम प्रक्रिया, अन्य श्रमिकों और अंततः अपनी स्वयं की मानव प्रकृति से अलग-थलग महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) और ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) में अलगाव के विभिन्न रूपों का विश्लेषण किया। यह पूंजीवादी व्यवस्था की एक प्रमुख आलोचना है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) अलगाव के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स की परिभाषा अधिक व्यापक है। (d) आर्थिक अभाव भी एक कारक हो सकता है, लेकिन अलगाव एक अधिक गहरा सामाजिक-मनोवैज्ञानिक और आर्थिक संबंध है।
प्रश्न 17: सामाजिक अनुसंधान में, ‘नृजाति विज्ञान’ (Ethnography) विधि का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- बड़ी आबादी के बीच सांख्यिकीय संबंधों का विश्लेषण करना।
- किसी विशिष्ट संस्कृति या सामाजिक समूह का गहन, वर्णनात्मक अध्ययन करना।
- प्रयोगशाला में सामाजिक व्यवहार का परीक्षण करना।
- ऐतिहासिक दस्तावेजों का विश्लेषण करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: नृजाति विज्ञान (Ethnography) एक गुणात्मक अनुसंधान विधि है जिसका उद्देश्य किसी विशेष संस्कृति, समुदाय या सामाजिक समूह के जीवन, व्यवहार, विश्वासों और सामाजिक संरचनाओं का प्रत्यक्ष अवलोकन और गहन विश्लेषण करके एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत करना है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें अक्सर सहभागी अवलोकन (participant observation) शामिल होता है, जहाँ शोधकर्ता समूह का सदस्य बनकर उनकी जीवन शैली को अनुभव करता है।
- गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण (a) मात्रात्मक विधियों से संबंधित है। प्रयोगशाला परीक्षण (c) प्रयोगात्मक विधियों में होता है। ऐतिहासिक दस्तावेजों का विश्लेषण (d) ऐतिहासिक शोध का हिस्सा है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय समाज में ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की एक प्रमुख विशेषता नहीं है?
- सामान्य निवास
- साझा चूल्हा (साझा रसोई)
- साझा संपत्ति और आय
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता पर अत्यधिक जोर
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संयुक्त परिवार की पारंपरिक विशेषताएँ सामान्य निवास, साझा चूल्हा (रसोई) और साझा संपत्ति/आय हैं। इसके विपरीत, संयुक्त परिवार में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता पर कम, बल्कि सामूहिक हित पर अधिक जोर दिया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विशेषता परिवार के सदस्यों के बीच घनिष्ठ संबंधों और सामूहिक जीवन पर प्रकाश डालती है, लेकिन इसमें व्यक्तिगत स्वायत्तता की गुंजाइश कम होती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी संयुक्त परिवार की मुख्य विशेषताएँ हैं। (d) संयुक्त परिवार की विशेषता के विपरीत है।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?
- समाज में व्यक्तियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान
- समय के साथ व्यक्तियों या समूहों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- समाज में लोगों के भौतिक स्थान का बदलना
- सामाजिक स्तरीकरण की संरचना का स्थायित्व
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का अर्थ है व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर तक ऊपर या नीचे जाना, या एक ही सामाजिक स्थिति के भीतर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में परिवर्तन।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (vertical mobility – ऊपर या नीचे जाना) और क्षैतिज गतिशीलता (horizontal mobility – समान स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना) शामिल है।
- गलत विकल्प: (a) विचारों का आदान-प्रदान सामाजिक संपर्क है। (c) भौतिक स्थान का बदलना भौगोलिक विस्थापन है। (d) स्थायित्व गतिशीलता के विपरीत है।
प्रश्न 20: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में, ‘संस्कृति’ और ‘समाज’ (Society) के बीच क्या संबंध है?
- संस्कृति समाज का जैविक आधार है।
- समाज संस्कृति का वाहक है, और संस्कृति समाज को आकार देती है।
- संस्कृति और समाज पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।
- समाज संस्कृति का एक उप-उत्पाद है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समाज एक संरचना है जिसमें लोग रहते हैं और बातचीत करते हैं, जबकि संस्कृति उन लोगों द्वारा साझा किए गए जीवन जीने का तरीका (ज्ञान, विश्वास, मूल्य, व्यवहार) है। वे एक दूसरे पर निर्भर करते हैं; समाज संस्कृति का निर्माण और वहन करता है, और संस्कृति समाज को आकार देती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक गतिशील संबंध है जहाँ समाज के सदस्य अपनी संस्कृति के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ते हैं, और उनकी सामूहिक क्रियाएँ संस्कृति को नया रूप देती हैं।
- गलत विकल्प: संस्कृति जैविक आधार (a) नहीं है। वे स्वतंत्र (c) नहीं हैं। समाज संस्कृति का उप-उत्पाद (d) मात्र नहीं है, बल्कि उसका निर्माता और पोषक है।
प्रश्न 21: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह हमेशा पश्चिमीकरण (Westernization) के समान होता है।
- यह केवल तकनीकी प्रगति से संबंधित है।
- यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण जैसे परिवर्तन शामिल हो सकते हैं।
- यह पारंपरिक समाजों के लिए हमेशा नकारात्मक होता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें अर्थव्यवस्था, राजनीति, समाज और संस्कृति में व्यापक परिवर्तन शामिल हैं। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, तर्कसंगतता का उदय और सामाजिक संस्थाओं का परिवर्तन इसके प्रमुख घटक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह आवश्यक रूप से पश्चिमीकरण (a) के समान नहीं है, क्योंकि विभिन्न समाज आधुनिकीकरण को अपने तरीके से अपना सकते हैं। यह केवल तकनीक (b) से अधिक है और इसके परिणाम सकारात्मक या नकारात्मक (d) दोनों हो सकते हैं, जो संदर्भ पर निर्भर करता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के बारे में अतिसरलीकृत या गलत धारणाएँ हैं।
प्रश्न 22: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘मान्यता’ (Assumption) का क्या महत्व है?
- यह अनुसंधान प्रक्रिया का अंतिम परिणाम है।
- यह एक ऐसी धारणा है जिसे बिना किसी प्रमाण के स्वीकार किया जाता है और यह अध्ययन की दिशा को प्रभावित करती है।
- यह एक सिद्ध सत्य है जिसका उपयोग सिद्धांत निर्माण में होता है।
- यह केवल प्रश्नावली में उपयोग की जाने वाली भाषा है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मान्यता (Assumption) एक ऐसी बुनियादी धारणा है जिसे शोधकर्ता अपने विश्लेषण या सिद्धांत निर्माण के लिए सत्य मान लेता है, भले ही उसके पास उसका प्रत्यक्ष प्रमाण न हो। यह शोध के आधारभूत ढांचे का हिस्सा बनती है।
- संदर्भ और विस्तार: मान्यताओं को स्पष्ट रूप से बताना महत्वपूर्ण है ताकि शोध की वैधता और सीमाओं को समझा जा सके।
- गलत विकल्प: मान्यता अनुसंधान का परिणाम (a) नहीं, बल्कि उसका प्रारंभिक बिंदु हो सकती है। यह हमेशा सिद्ध सत्य (c) नहीं होती। यह केवल प्रश्नावली की भाषा (d) नहीं है, बल्कि किसी भी शोध डिजाइन का हिस्सा है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘समाजशास्त्र को एक विज्ञान’ के रूप में स्थापित करने का प्रबल समर्थक था और उसने ‘सामाजिक तथ्यों’ (Social Facts) की अवधारणा दी?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम (Émile Durkheim)
- अगस्ट कॉम्टे (Auguste Comte)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 24: भारतीय समाज में ‘कस्बों’ (Towns) और ‘शहरों’ (Cities) के बीच के अंतर को समझने के लिए, समाजशास्त्री अक्सर किन प्रमुख कारकों पर विचार करते हैं?
- केवल जनसंख्या का आकार
- आर्थिक गतिविधियाँ, सामाजिक संरचनाएँ और गैर-कृषि व्यवसायों का अनुपात
- ऐतिहासिक महत्व और प्राचीनता
- राजनीतिक प्रभुत्व
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 25: ‘नियम-विरुद्धता’ (Deviance) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, यह क्या है?
- केवल अवैध या आपराधिक व्यवहार
- समाज के स्वीकृत नियमों और अपेक्षाओं से विचलन
- व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक असामान्यता
- किसी भी सामाजिक परिवर्तन का परिणाम
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
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