समाजशास्त्र की दैनिक खुराक: अपनी समझ को परखें!
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समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social fact) की अवधारणा का श्रेय किस समाजशास्त्री को दिया जाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम को ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने इसे समाजशास्त्र के अध्ययन की मूल इकाई माना।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में सामाजिक तथ्यों को “विचार, कार्य और भावना के ऐसे तरीके जो बाहरी होते हैं और व्यक्ति पर एक बाध्यकारी शक्ति रखते हैं” के रूप में परिभाषित किया। ये तथ्य व्यक्ति से स्वतंत्र होते हैं और उस पर दबाव डालते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद पर था। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर बल दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए विकासवाद के सिद्धांत का उपयोग किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा सामाजिक संरचना (social structure) से सर्वाधिक निकटता से संबंधित है?
- सामाजिक अंतःक्रिया
- सामाजिक स्तरीकरण
- सामाजिक गतिशीलता
- सामाजिक विखंडन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण (social stratification) सामाजिक संरचना का एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि यह समाज में व्यक्तियों और समूहों की पद सोपानिक व्यवस्था को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संरचना समाज के स्थिर, स्थायी पहलुओं को संदर्भित करती है, जिसमें भूमिकाएँ, पद, समूह और संस्थाएँ शामिल हैं जो सामाजिक जीवन के पैटर्न को व्यवस्थित करती हैं। स्तरीकरण (जैसे वर्ग, जाति) इस संरचना में शक्ति, विशेषाधिकार और प्रतिष्ठा के असमान वितरण को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: सामाजिक अंतःक्रिया (social interaction) सामाजिक संरचना को बनाने में योगदान देती है, लेकिन स्वयं संरचना नहीं है। सामाजिक गतिशीलता (social mobility) संरचना के भीतर व्यक्तियों की गति को दर्शाती है। सामाजिक विखंडन (social disorganization) संरचना के टूटने की स्थिति है।
प्रश्न 3: ‘संस्कृति आत्मसात’ (cultural assimilation) से आप क्या समझते हैं?
- एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति से भिन्न होना
- किसी व्यक्ति या समूह का अपनी मूल संस्कृति को पूरी तरह से त्याग कर हावी संस्कृति को अपनाना
- विभिन्न संस्कृतियों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
- एक संस्कृति के तत्वों का दूसरी संस्कृति में अनुकूलन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सांस्कृतिक आत्मसात (cultural assimilation) वह प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति या समूह, विशेष रूप से अल्पसंख्यक, अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान को छोड़ देता है और प्रमुख या मेजबान संस्कृति के मूल्यों, व्यवहारों और मानदंडों को अपना लेता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर तब होता है जब लोग नई सांस्कृतिक व्यवस्थाओं में प्रवास करते हैं। यह प्रक्रिया कई बार स्वैच्छिक हो सकती है, लेकिन अक्सर इसे सामाजिक दबाव या अनुकूलन की आवश्यकता के कारण अपनाया जाता है।
- गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक भिन्नता (cultural differentiation) का अर्थ है संस्कृतियों का अलग होना। (c) विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (cultural pluralism) कहलाता है। (d) एक संस्कृति के तत्वों का दूसरी संस्कृति में अनुकूलन ‘सांस्कृतिक प्रसार’ (cultural diffusion) या ‘सांस्कृतिक संलयन’ (cultural fusion) का हिस्सा हो सकता है।
प्रश्न 4: मेकावर और पेज के अनुसार, समाज क्या है?
- समूहों का एक जटिल जाल
- लोगों का एक बड़ा समूह जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहता है
- एक अमूर्त विचार
- केवल सामाजिक संबंधों का योग
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आर.एम. मैकावर और सी.एच. पेज ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सोसायटी: ए स्टडी ऑफ यूमन हरडशिप’ में समाज को “पारस्परिक संबंधों की एक व्यवस्था” (a system of usages and procedures, of authority and mutual dependence, of many groups and sub-ordinations) के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: उनके अनुसार, समाज केवल व्यक्तियों का एक संग्रह नहीं है, बल्कि उन अंतःक्रियाओं, संबंधों और निर्भरताओं का एक जटिल जाल है जो उन्हें एक साथ बांधते हैं। यह निरंतर परिवर्तनशील और गतिशील होता है।
- गलत विकल्प: (a) समूहों का जाल समाज का एक हिस्सा है, लेकिन यह स्वयं समाज की पूर्ण परिभाषा नहीं है। (b) भौगोलिक क्षेत्र और व्यक्तियों का बड़ा समूह ‘जनसंख्या’ (population) या ‘समुदाय’ (community) हो सकता है, लेकिन यह समाज का केवल एक पहलू है। (c) समाज एक अमूर्त विचार से कहीं अधिक है; यह मूर्त अंतःक्रियाओं पर आधारित है।
प्रश्न 5: ‘अनौमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और नियमों की कमी की स्थिति का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- राबर्ट मर्टन
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘अनौमी’ (Anomie) की अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा विकसित की गई थी। यह तब उत्पन्न होती है जब समाज में नियामक मानदंडों का अभाव होता है, जिससे व्यक्ति अपनी आकांक्षाओं और समाज द्वारा निर्धारित सीमाओं के बीच संतुलन खो देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तकों ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। वे मानते थे कि औद्योगिक समाज में पारंपरिक सामाजिक नियंत्रण के कमजोर पड़ने से अनौमी बढ़ सकती है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने सत्ता, नौकरशाही और प्रोटेस्टेंट नैतिकता पर काम किया। राबर्ट मर्टन ने अनौमी को ‘अभिनवीकरण’ (Innovation) के एक रूप के रूप में पुनर्जीवित किया, लेकिन मूल अवधारणा दुर्खीम की है। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तावित ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- भारतीय समाज का पश्चिमीकरण
- निम्न जातियों का उच्च जातियों की रीति-रिवाजों और मान्यताओं को अपनाना
- शहरीकरण की प्रक्रिया
- जाति व्यवस्था का समाप्त होना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है जिसमें निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों (विशेष रूप से द्वि-ज (Dwija) जातियाँ) की प्रथाओं, अनुष्ठानों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘दक्षिण भारत के कूर्गों के बीच धर्म और समाज’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रस्तुत की गई थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है। (c) शहरीकरण (Urbanization) गांवों से शहरों की ओर जनसंख्या के स्थानांतरण की प्रक्रिया है। (d) संस्कृतिकरण जाति व्यवस्था को समाप्त नहीं करता, बल्कि उसके भीतर गतिशीलता को दर्शाता है।
प्रश्न 7: निम्नांकित में से कौन सी एक ‘प्रारंभिक सहयोगी संस्था’ (Primary Institution) का उदाहरण है?
- पुलिस विभाग
- न्यायपालिका
- परिवार
- विश्वविद्यालय
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: परिवार को एक प्राथमिक सहयोगी संस्था माना जाता है क्योंकि यह सबसे पुरानी, सार्वभौमिक और सबसे मौलिक सामाजिक संस्था है जो व्यक्तिगत विकास और समाजीकरण के लिए प्राथमिक संबंध प्रदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक संस्थाएँ वे होती हैं जो समाज के अस्तित्व और सदस्यों के मूलभूत समाजीकरण के लिए आवश्यक होती हैं। परिवार, विवाह, रिश्तेदारी इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
- गलत विकल्प: पुलिस विभाग, न्यायपालिका और विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएँ माध्यमिक या व्युत्पन्न संस्थाएँ मानी जाती हैं, जो समाज के विकास के साथ उभरती हैं और विशिष्ट, अक्सर औपचारिक, कार्य करती हैं।
प्रश्न 8: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘चर’ (variable) का क्या अर्थ है?
- एक स्थिर और अपरिवर्तनीय विशेषता
- एक विशेषता या गुण जो भिन्न हो सकता है या जिसका मान बदल सकता है
- एक सैद्धांतिक प्रस्ताव
- अध्ययन का विषय
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 9: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य संघर्ष किस वर्ग के बीच होता है?
- कुलीन वर्ग और कृषक वर्ग
- बुर्जुआजी और सर्वहारा
- स्वामी और दास
- पुरोहित और योद्धा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज में दो मुख्य विरोधी वर्गों की पहचान की: बुर्जुआजी (Bourgeoisie), जो उत्पादन के साधनों के मालिक हैं, और सर्वहारा (Proletariat), जो अपनी श्रम शक्ति बेचकर जीवन यापन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, इन दोनों वर्गों के हित स्वाभाविक रूप से विरोधी हैं, और उनके बीच का संघर्ष (वर्ग संघर्ष) इतिहास का मुख्य संचालक है, जो अंततः साम्यवाद की ओर ले जाएगा। यह ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ और ‘दास कैपिटल’ में उनके केंद्रीय तर्क का हिस्सा है।
- गलत विकल्प: (a) कुलीन और कृषक वर्ग सामंती समाज से संबंधित थे। (c) स्वामी और दास प्राचीन समाज से संबंधित थे। (d) पुरोहित और योद्धा प्राचीन या मध्यकालीन समाजों में महत्वपूर्ण वर्ग थे।
प्रश्न 10: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का विकास मुख्य रूप से किस समाजशास्त्री से जुड़ा है?
- पियरे बॉर्डियू
- एन्थनी गिडन्स
- सिगमंड फ्रायड
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) को ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा के विकास का श्रेय दिया जाता है। वे सामाजिक पूंजी को उन संसाधनों के रूप में परिभाषित करते हैं जो किसी व्यक्ति को उसके सामाजिक नेटवर्क (संबंधों, सहयोगियों, पहचान) के माध्यम से प्राप्त होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू के अनुसार, सामाजिक पूंजी, आर्थिक पूंजी (धन) और सांस्कृतिक पूंजी (शिक्षा, ज्ञान) के साथ मिलकर, समाज में स्थिति और शक्ति को बनाए रखने या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- गलत विकल्प: एन्थनी गिडन्स ‘संरचनाकरण’ (structuration) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण के जनक हैं। इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकीयता’ (dramaturgy) के दृष्टिकोण से सामाजिक संपर्क का विश्लेषण किया।
प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की निम्नलिखित में से कौन सी प्रमुख विशेषता है?
- जन्म पर आधारित सदस्यता
- अंतर्विवाही समूह
- पेशागत विशिष्टता (आमतौर पर)
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जाति व्यवस्था की ये सभी प्रमुख विशेषताएँ हैं। सदस्यता जन्म से तय होती है, विवाह केवल अपनी जाति के भीतर (अंतर्विवाह) की अनुमति होती है, और पारंपरिक रूप से, प्रत्येक जाति एक विशिष्ट व्यवसाय से जुड़ी होती थी।
- संदर्भ और विस्तार: ये विशेषताएँ मिलकर जाति को एक कठोर और पदानुक्रमित सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली बनाती हैं, जो भारतीय समाज को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: चूंकि सभी विकल्प सही हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 12: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के प्रमुख समर्थक कौन हैं?
- कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
- एमिल दुर्खीम और रेडक्लिफ-ब्राउन
- मैक्स वेबर और जॉर्ज सिमेल
- हरबर्ट मीड और चार्ल्स कुली
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम, ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन और ब्रॉनिस्लॉ मैलिनोव्स्की संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख प्रस्तावक थे। यह सिद्धांत मानता है कि समाज विभिन्न परस्पर संबंधित भागों (संस्थाओं) से बना है, जिनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट कार्य होता है जो सामाजिक व्यवस्था और संतुलन को बनाए रखने में योगदान देता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने सामाजिक एकता (solidarity) और सामूहिक चेतना (collective consciousness) की बात की, जबकि रेडक्लिफ-ब्राउन ने सामाजिक संरचना के ‘प्रकार्यों’ (functions) पर जोर दिया जो व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
- गलत विकल्प: (a) मार्क्सवाद संघर्ष सिद्धांत का प्रतिनिधित्व करता है। (c) वेबर और सिमेल का काम प्रकार्यवाद से भिन्न है। (d) मीड और कुली प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के अग्रदूत हैं।
प्रश्न 13: ‘लोकतंत्र’ (Democracy) को एक सामाजिक व्यवस्था के रूप में अध्ययन करने के लिए किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण का उपयोग किया जा सकता है?
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- सभी उपयुक्त हैं
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: लोकतंत्र जैसे जटिल सामाजिक परिघटना का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न समाजशास्त्रीय दृष्टिकोणों का उपयोग किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक अपने अनूठे अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) शक्ति के वितरण, असमानताओं और शासक वर्ग के प्रभुत्व पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। प्रकार्यवाद (Functionalism) लोकतंत्र के विभिन्न संस्थानों (जैसे चुनाव, विधायिका) के कार्यों और समाज को स्थिर करने में उनकी भूमिका का विश्लेषण कर सकता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) राजनीतिक नेताओं, मीडिया और नागरिकों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं और प्रतीकों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- गलत विकल्प: चूंकि सभी दृष्टिकोण प्रासंगिक हैं, (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 14: ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Functions) की अवधारणा, जो एक सामाजिक प्रणाली के अनपेक्षित या अघोषित परिणाम हैं, किसने प्रस्तुत की?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- राबर्ट मर्टन
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: राबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Functions) और ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions) के बीच अंतर किया। प्रकट कार्य वे परिणाम हैं जिन्हें संस्था या सामाजिक पैटर्न प्राप्त करने का इरादा रखता है, जबकि प्रच्छन्न कार्य अनपेक्षित और अक्सर अचेतन परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि उसका प्रच्छन्न कार्य सामाजिक नेटवर्क का निर्माण करना या छात्रों के लिए जीवनसाथी ढूंढना हो सकता है। यह उनकी ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांतों’ (theories of the middle range) के हिस्से के रूप में आया।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और एकता पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर। वेबर ने नौकरशाही और सत्ता पर।
प्रश्न 15: ग्रामीण और शहरी समाज के बीच अंतर करने वाले प्रमुख समाजशास्त्रीय मापदंडों में से एक है:
- जनसंख्या का घनत्व
- पेशा का प्रकार
- सामाजिक संबंधों की प्रकृति
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ग्रामीण और शहरी समाजों के बीच अंतर करने के लिए कई मापदंडों का उपयोग किया जाता है, जिनमें जनसंख्या घनत्व (शहरी क्षेत्रों में अधिक), पेशा का प्रकार (ग्रामीण में प्राथमिक, शहरी में माध्यमिक/तृतीयक) और सामाजिक संबंधों की प्रकृति (ग्रामीण में प्राथमिक/घनिष्ठ, शहरी में द्वितीयक/औपचारिक) शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लुईस वर्थ जैसे समाजशास्त्रियों ने शहरी जीवन के मनोविज्ञान का अध्ययन करते हुए इन अंतरों को रेखांकित किया। ये सभी कारक मिलकर शहरी और ग्रामीण जीवन शैली को परिभाषित करते हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों विकल्प महत्वपूर्ण मापदंड हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 16: ‘स्व’ (Self) के विकास में ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- चार्ल्स कूले
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- एर्विंग गॉफमैन
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने ‘स्व’ (Self) के विकास में ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणा प्रस्तुत की। ‘मैं’ व्यक्ति की तत्काल, प्रतिक्रियाशील और रचनात्मक प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘मुझे’ सामाजिक अपेक्षाओं, नियमों और दूसरों के दृष्टिकोण को आत्मसात करने का परिणाम है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, हम दूसरों के साथ अंतःक्रिया करके और उनके दृष्टिकोण को अपनाकर (‘टेक द रोल ऑफ द अदर’) सीखते हैं। ‘मैं’ और ‘मुझे’ के बीच संतुलन ही सुसंगत ‘स्व’ का निर्माण करता है। यह प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक केंद्रीय विचार है।
- गलत विकल्प: चार्ल्स कूले ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-glass self) की अवधारणा दी। फ्रायड ने इड, ईगो और सुपरईगो की बात की। गॉफमैन ने नाटकीयता पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का वह रूप जिसमें सामाजिक स्थिति वंशानुगत होती है और अत्यंत कठोर होती है, क्या कहलाता है?
- वर्ग (Class)
- भूमिका (Role)
- जाति (Caste)
- समूह (Group)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जाति (Caste) स्तरीकरण का वह रूप है जो जन्म पर आधारित होता है, वंशानुगत होता है, और इसमें सामाजिक गतिशीलता (ऊपर या नीचे की ओर) अत्यंत सीमित या असंभव होती है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में व्यक्तियों को कठोर, पदानुक्रमित समूहों में विभाजित किया जाता है, जिनके बीच सामाजिक संपर्क, विवाह और पेशे पर कड़े नियम होते हैं।
- गलत विकल्प: वर्ग (Class) स्तरीकरण का एक रूप है जो आर्थिक स्थिति पर आधारित हो सकता है और जिसमें कुछ हद तक गतिशीलता संभव है। भूमिका (Role) व्यवहार का एक पैटर्न है जो एक विशेष पद से जुड़ा होता है। समूह (Group) व्यक्तियों का एक संग्रह है।
प्रश्न 18: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से श्रमिकों के उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, किसने अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण में महत्वपूर्ण माना?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- एच.एच. ब्लूमर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों के ‘अलगाव’ (Alienation) के अनुभव का गहन विश्लेषण किया। उनके अनुसार, श्रमिक उत्पादन के साधनों, उत्पादन की प्रक्रिया, अपने स्वयं के मानवीय सार (human essence) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि यह अलगाव पूंजीवाद की अंतर्निहित शोषणकारी प्रकृति का परिणाम है। यह अलगाव औद्योगिक पूंजीवाद में मानवीय अनुभव का एक केंद्रीय विषय बन गया।
- गलत विकल्प: वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर काम किया। दुर्खीम ने अनौमी और सामाजिक एकता पर। ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।
प्रश्न 19: ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का दृष्टिकोण क्या कहता है?
- सभी संस्कृतियाँ स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ होती हैं
- किसी संस्कृति को उसकी अपनी मान्यताओं और मूल्यों के संदर्भ में समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी मानक से
- पश्चिमी संस्कृति सभी संस्कृतियों के लिए आदर्श है
- संस्कृति का कोई वास्तविक मूल्य नहीं होता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद का सिद्धांत यह मानता है कि किसी भी संस्कृति के रीति-रिवाजों, विश्वासों और मूल्यों को उस संस्कृति के अपने संदर्भ में ही समझा जाना चाहिए। किसी बाहरी, अक्सर अपनी संस्कृति के, मानक के आधार पर उनका मूल्यांकन या निंदा नहीं की जानी चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण मानवविज्ञानी और समाजशास्त्रियों को विभिन्न समाजों को उनके अद्वितीय ऐतिहासिक, सामाजिक और पर्यावरणीय संदर्भों में निष्पक्ष रूप से समझने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) ‘सांस्कृतिक आधिपत्य’ (cultural ethnocentrism) या श्रेष्ठता बोध को दर्शाते हैं। (d) सांस्कृतिक सापेक्षवाद संस्कृति के मूल्य को नकारता नहीं है, बल्कि उसके मूल्यांकन के तरीके को बदलता है।
प्रश्न 20: भारत में ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) का समाजशास्त्रीय महत्व मुख्य रूप से किससे संबंधित है?
- किसानों की गरीबी कम करना
- भूमि के स्वामित्व में असमानता को कम करना
- कृषि उत्पादन बढ़ाना
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारत में भूमि सुधारों का समाजशास्त्रीय महत्व बहुआयामी है। ये किसानों की गरीबी कम करने, भूमि के स्वामित्व में ऐतिहासिक असमानताओं को दूर करने और अंततः कृषि उत्पादकता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भूमि सुधारों का प्रभाव ग्रामीण समाज की संरचना, शक्ति संबंधों और सामाजिक गतिशीलता पर पड़ता है। वे जमींदारी प्रथा को समाप्त करने, काश्तकारी सुधार, और भूमि सीमा निर्धारण जैसे उपायों से जुड़े हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि सभी विकल्प भूमि सुधारों के महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय और आर्थिक लक्ष्य हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 21: ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का विचार, जो सामाजिक घटनाओं के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक पद्धति के उपयोग पर बल देता है, किस समाजशास्त्री से जुड़ा है?
- ऑगस्ट कॉम्टे
- हरबर्ट स्पेंसर
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ऑगस्ट कॉम्टे (Auguste Comte) को समाजशास्त्र का जनक और प्रत्यक्षवाद (Positivism) का प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने जोर दिया कि समाज का अध्ययन उसी वैज्ञानिक और व्यवस्थित तरीके से किया जाना चाहिए जिस तरह से प्राकृतिक विज्ञानों का अध्ययन किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने ‘सामाजिक स्थैतिकी’ (social statics) और ‘सामाजिक गतिकी’ (social dynamics) की बात की, और विश्वास किया कि समाज विकास के विभिन्न चरणों से गुजरता है, जिसमें प्रत्यक्षवादी चरण अंतिम और उच्चतम है।
- गलत विकल्प: स्पेंसर ने विकासवाद का उपयोग किया। मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद का। वेबर ने व्याख्यात्मक समाजशास्त्र का।
प्रश्न 22: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो तब उत्पन्न होती है जब समाज के कुछ पहलू (जैसे प्रौद्योगिकी) अन्य पहलुओं (जैसे सामाजिक मानदंडों) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलते हैं, किसने प्रस्तुत की?
- एल्बैन स्मॉली
- विलियम ग्राहम समनर
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विलियम एफ. ओग्बर्न (William F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का विकास किया। उन्होंने तर्क दिया कि भौतिक संस्कृति (जैसे मशीनें, प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे विश्वास, मूल्य, कानून) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक समायोजन में कठिनाई उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, नई प्रौद्योगिकियों (जैसे इंटरनेट) के आगमन के बाद, उनसे संबंधित सामाजिक नियम और नैतिकता (जैसे ऑनलाइन गोपनीयता) को विकसित होने में समय लगता है।
- गलत विकल्प: स्मॉली और समनर जैसे समाजशास्त्रियों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन यह अवधारणा ओग्बर्न की है। दुर्खीम ने अनौमी पर काम किया।
प्रश्न 23: भारतीय संदर्भ में, ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण पहलू है?
- पारंपरिक मान्यताओं को पूर्णतः अस्वीकार करना
- लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का प्रसार
- शहरीकरण और औद्योगिकीकरण
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई परस्पर संबंधित पहलू शामिल हैं। इसमें पारंपरिक मान्यताओं और संस्थानों का धीरे-धीरे क्षरण, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसे नए राजनीतिक मूल्यों का उदय, और आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन के रूप में शहरीकरण और औद्योगिकीकरण शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया बहुआयामी रही है, जिसमें पश्चिम के प्रभाव के साथ-साथ स्वदेशी पारंपरिक तत्वों का भी एकीकरण हुआ है।
- गलत विकल्प: चूंकि आधुनिकीकरण इन सभी पहलुओं को समाहित करता है, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य है:
- समाज का एक स्थिर अवस्था में रहना
- व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में स्थानांतरण
- सामाजिक अंतःक्रिया का विश्लेषण
- सामाजिक स्तरीकरण का अध्ययन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपने सामाजिक पदानुक्रम में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में बढ़ते या गिरते हैं। यह ऊर्ध्वाधर (vertical), क्षैतिज (horizontal), अंतर-पीढ़ी (inter-generational) या अंतः-पीढ़ी (intra-generational) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज की खुली या बंद प्रकृति को समझने में मदद करती है। एक खुले समाज में अधिक सामाजिक गतिशीलता की संभावना होती है।
- गलत विकल्प: (a) स्थिरता सामाजिक गतिशीलता के विपरीत है। (c) सामाजिक अंतःक्रिया गतिशीलता में भूमिका निभा सकती है, लेकिन यह स्वयं गतिशीलता नहीं है। (d) सामाजिक स्तरीकरण गतिशीलता का ढाँचा प्रदान करता है, लेकिन यह गतिशीलता का अर्थ नहीं है।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का अध्ययन करने के लिए निम्न में से कौन सा समाजशास्त्रीय सिद्धांत सबसे उपयुक्त है?
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रकार्यवाद
- विकासवादी सिद्धांत
- सभी उपयुक्त हैं
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक परिवर्तन एक व्यापक और बहुआयामी विषय है, और इसके विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए विभिन्न समाजशास्त्रीय सिद्धांत उपयोगी हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) अक्सर सामाजिक परिवर्तन के ड्राइवरों के रूप में असमानताओं, शक्ति संघर्षों और क्रांति पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रकार्यवाद (Functionalism) परिवर्तन के प्रति समाज की अनुकूलन क्षमता और स्थिरता बनाए रखने के तरीकों की जांच कर सकता है। विकासवादी सिद्धांत (Evolutionary Theory) समाज में क्रमिक, दिशात्मक परिवर्तनों के पैटर्न का पता लगाता है। इसलिए, एक पूर्ण समझ के लिए इन सभी दृष्टिकोणों का एक साथ उपयोग किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: क्योंकि तीनों सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन के लिए प्रासंगिक हैं, (d) सबसे अच्छा उत्तर है।