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समाजशास्त्र की दैनिक कुलीन: 25 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

समाजशास्त्र की दैनिक कुलीन: 25 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्री! आज के इस विशेष सत्र में, अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। पेश है समाजशास्त्र की दुनिया से 25 अनूठे प्रश्न, जो आपकी परीक्षा की तैयारी को एक नया आयाम देंगे। कमर कस लीजिए और इस ज्ञानवर्धक यात्रा का हिस्सा बनिए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) का सिद्धांत किस समाजशास्त्री ने प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ है सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तिपरक अर्थों को समझना?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्रियों के लिए सामाजिक क्रियाओं में निहित व्यक्तिपरक अर्थों और इरादों को समझने की आवश्यकता पर बल देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का केंद्रीय बिंदु है और उनके कार्य ‘Economy and Society’ में विस्तार से वर्णित है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद (Positivism) के दृष्टिकोण के विपरीत है।
  • गलत विकल्प: ‘एनोमी’ (Anomie) एमिल दुर्खीम द्वारा विकसित एक अवधारणा है। ‘वर्ग संघर्ष’ (Class conflict) कार्ल मार्क्स का केंद्रीय विचार है।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित ‘संस्कृति-करण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. निम्न जाति द्वारा उच्च जाति की प्रथाओं, कर्मकांडों और मान्यताओं को अपनाकर सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने की प्रक्रिया
  3. शहरी जीवन शैली को अपनाना
  4. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘संस्कृति-करण’, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया शब्द है, जो एक निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में सबसे पहले प्रस्तुत की थी। यह संरचनात्मक गतिशीलता (structural mobility) के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने से संबंधित है, जबकि ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) एक व्यापक अवधारणा है जो तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से संबंधित है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा के लिए जाना जाता है?

  1. अगस्त कॉम्टे
  2. हरबर्ट स्पेंसर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. विलफ्रेडो पैरेटो

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: एमिल दुर्खीम ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा के लिए विख्यात हैं। उन्होंने इसे बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक चेतना से उत्पन्न होने वाली चीज़ों के रूप में परिभाषित किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Rules of Sociological Method’ में तर्क दिया कि समाजशास्त्र को सामाजिक तथ्यों का अध्ययन वस्तुनिष्ठ रूप से करना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे प्राकृतिक विज्ञान प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन करते हैं।
  • गलत विकल्प: कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है। स्पेंसर ने ‘सामाजिक डार्विनवाद’ का विचार विकसित किया। पैरेटो अपने ‘एलिट सिद्धांत’ के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 4: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों की अलगाव की स्थिति का वर्णन करती है, किस विचारक से सर्वाधिक जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. जॉर्ज सिमेल
  4. एमील दुर्खीम

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा कार्ल मार्क्स से गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीवाद के तहत, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, साथी श्रमिकों और अपनी मानवीय क्षमता से अलग हो जाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की प्रारंभिक रचनाओं, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में पाई जाती है। वे मानते थे कि अलगाव शोषण का प्रत्यक्ष परिणाम है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) पर बल दिया। सिमेल ने ‘सामाजिक अंतःक्रिया’ (Social Interaction) का अध्ययन किया। दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 5: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अंतर-विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?

  1. एक ही गोत्र में विवाह
  2. अपनी जाति/उप-जाति के भीतर विवाह करना
  3. विभिन्न जातियों के बीच विवाह
  4. एक से अधिक व्यक्ति से विवाह करना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘अंतर-विवाह’ (Endogamy) का अर्थ है किसी व्यक्ति का अपनी ही सामाजिक श्रेणी, विशेष रूप से अपनी जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह भारतीय जाति व्यवस्था का एक मूलभूत नियम है जो जाति की सीमा को बनाए रखने में मदद करता है। इसके विपरीत, ‘बहिर्विवाह’ (Exogamy) का अर्थ है कि किसी व्यक्ति को अपने गोत्र (lineage) या कुल (clan) से बाहर विवाह करना चाहिए।
  • गलत विकल्प: ‘गोत्र में विवाह’ बहिविवाह का एक रूप है। ‘विभिन्न जातियों के बीच विवाह’ अंतर-जातीय विवाह (Inter-caste marriage) कहलाता है। ‘एक से अधिक व्यक्ति से विवाह’ बहुविवाह (Polygamy) है।

प्रश्न 6: टालकॉट पार्सन्स के ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता’ (Structural-Functionalism) के सिद्धांत के अनुसार, समाज एक जटिल प्रणाली के रूप में कार्य करता है जिसके विभिन्न भाग ___________।

  1. पारस्परिक संघर्ष में संलग्न हैं
  2. एक-दूसरे पर निर्भर हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में योगदान करते हैं
  3. किसी भी संरचना का हिस्सा नहीं हैं
  4. मुख्य रूप से व्यक्तिगत इच्छाओं से प्रेरित होते हैं

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: टालकॉट पार्सन्स ने समाज को एक प्रणाली के रूप में देखा, जिसके विभिन्न अंग (जैसे परिवार, शिक्षा, सरकार) एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं और समाज की स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखने में योगदान करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स का मानना था कि प्रत्येक सामाजिक संस्था एक निश्चित ‘प्रकार्य’ (function) करती है जो समग्र सामाजिक प्रणाली के संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है। उनकी पुस्तक ‘The Social System’ में यह सिद्धांत विस्तृत है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष, प्रकार्यवाद के बजाय मार्क्सवाद और संघर्ष सिद्धांत का केंद्रीय विचार है। व्यक्तिगत इच्छाओं के बजाय, पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण पर बल दिया।

प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर होता है?

  1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएं
  2. व्यक्तिगत और सामाजिक अंतःक्रियाओं में प्रतीकों का महत्व
  3. वर्ग संघर्ष के कारण होने वाले सामाजिक परिवर्तन
  4. समाज में शक्ति का वितरण

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसका श्रेय जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर आदि को जाता है, इस बात पर जोर देता है कि व्यक्ति अपने व्यवहार को निर्देशित करने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) का उपयोग करते हैं और इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से ही समाज का निर्माण होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह दृष्टिकोण मानता है कि व्यक्ति सामाजिक वास्तविकता को अपनी अंतःक्रियाओं के माध्यम से सक्रिय रूप से निर्मित करते हैं। यह सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्र का एक महत्वपूर्ण उपागम है।
  • गलत विकल्प: बड़े पैमाने पर संरचनाएं, प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद का विषय हैं। वर्ग संघर्ष मार्क्सवाद का मूल है। शक्ति वितरण संघर्ष सिद्धांत से अधिक जुड़ा है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘असुरक्षित वर्ग’ (Underclass) की विशेषता मानी जाती है?

  1. उच्च आय वर्ग
  2. स्थायी रूप से बेरोजगार या अल्प-रोजगार में संलग्न व्यक्ति, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से बहिष्कृत हैं
  3. उच्च शिक्षा प्राप्त पेशेवर
  4. संगठित श्रमिक वर्ग

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘असुरक्षित वर्ग’ (Underclass) उन व्यक्तियों या परिवारों के समूह को संदर्भित करता है जो स्थायी रूप से गरीबी, बेरोजगारी या अल्प-रोजगार, निम्न आय और सामाजिक बहिष्कार का अनुभव करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा अक्सर शहरी गरीबी और सामाजिक असमानता के संदर्भ में उपयोग की जाती है। यह सामाजिक स्तरीकरण (social stratification) में सबसे निम्न स्तर का प्रतिनिधित्व करता है।
  • गलत विकल्प: उच्च आय वर्ग, पेशेवर और संगठित श्रमिक वर्ग सभी ‘असुरक्षित वर्ग’ से भिन्न हैं।

प्रश्न 9: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति का वर्णन करने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया:

  1. सामाजिक व्यवस्था का अभाव
  2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अत्यधिक डिग्री
  3. परंपरागत मानदंडों का ढहना और नियमों की अनिश्चितता
  4. वर्ग चेतना का उदय

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘एनोमी’ (Anomie) दुर्खीम द्वारा वर्णित एक सामाजिक स्थिति है जिसमें समाज में साझा मानदंडों और मूल्यों का क्षरण हो जाता है, जिससे व्यक्ति में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में तर्क दिया कि एनोमी आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक हो सकता है, विशेष रूप से आर्थिक या सामाजिक उथल-पुथल के समय।
  • गलत विकल्प: सामाजिक व्यवस्था का अभाव या व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अत्यधिक डिग्री एनोमी के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन ये उसकी परिभाषा नहीं हैं। वर्ग चेतना मार्क्स से संबंधित है।

प्रश्न 10: भारत में ‘जनजातीय समाज’ (Tribal Society) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. एक सजातीय संस्कृति और पहचान
  2. समान आर्थिक ढांचा और संस्थाएं
  3. भिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में निवास और विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान
  4. एक कठोर जाति पदानुक्रम

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: भारतीय जनजातीय समाजों की एक प्रमुख विशेषता यह है कि वे प्रायः विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में निवास करते हैं और उनकी अपनी अनूठी सांस्कृतिक पहचान, भाषा, रीति-रिवाज और सामाजिक संरचनाएं होती हैं, जो उन्हें अन्य समाजों से अलग करती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जनजाति शब्द का प्रयोग उन समुदायों के लिए किया जाता है जो मुख्यधारा के समाज से अलग-थलग रहते आए हैं और जिनकी अपनी एक अलग सांस्कृतिक पहचान है।
  • गलत विकल्प: जनजातीय समाजों में विविधता पाई जाती है, इसलिए उन्हें पूर्णतः सजातीय नहीं कहा जा सकता। उनकी आर्थिक और सामाजिक संस्थाएं भी अक्सर मुख्यधारा के समाज से भिन्न होती हैं। जाति पदानुक्रम जनजातियों की विशेषता नहीं है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति ‘क्षेत्रीय कार्य’ (Fieldwork) और ‘प्रत्यक्ष अवलोकन’ (Participant Observation) पर जोर देती है?

  1. सांख्यिकीय विश्लेषण
  2. नृवंशविज्ञान (Ethnography)
  3. ऐतिहासिक अनुसंधान
  4. मनोवैज्ञानिक सर्वेक्षण

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: नृवंशविज्ञान (Ethnography) एक गुणात्मक अनुसंधान पद्धति है जो विशेष रूप से मानव समाजों और उनकी संस्कृतियों का अध्ययन करने के लिए गहन क्षेत्रीय कार्य, प्रत्यक्ष अवलोकन और सहभागी अवलोकन पर निर्भर करती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: नृवंशविज्ञान में शोधकर्ता लंबे समय तक अध्ययन किए जाने वाले समुदाय के साथ रहता है, उनकी गतिविधियों में भाग लेता है और उनकी जीवन शैली को समझने का प्रयास करता है।
  • गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण मात्रात्मक होता है। ऐतिहासिक अनुसंधान अतीत पर केंद्रित होता है। मनोवैज्ञानिक सर्वेक्षण व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर केंद्रित हो सकता है।

प्रश्न 12: ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) शब्द का प्रयोग समाजशास्त्र में आमतौर पर किसके संदर्भ में किया जाता है?

  1. सामाजिक असमानता और शक्ति के वितरण
  2. सांस्कृतिक भिन्नताओं
  3. जनसंख्या वृद्धि दर
  4. व्यक्तिगत व्यवहार की भिन्नता

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: समाजशास्त्र में, ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) शब्द का प्रयोग सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के संदर्भ में किया जाता है, जो समाज में असमानता, शक्ति, विशेषाधिकार और दर्जे के स्तरित वितरण को दर्शाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, जाति व्यवस्था, वर्ग संरचना आदि पदानुक्रमित व्यवस्थाएं हैं जहाँ लोगों को विभिन्न स्तरों पर रखा जाता है।
  • गलत विकल्प: पदानुक्रम सीधे तौर पर सांस्कृतिक भिन्नताओं, जनसंख्या वृद्धि या व्यक्तिगत व्यवहार की भिन्नता का प्रतिनिधित्व नहीं करता, हालांकि ये प्रभावित हो सकते हैं।

प्रश्न 13: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल है?

  1. केवल कला और संगीत
  2. किसी विशेष समूह द्वारा साझा किए गए ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें
  3. केवल भौतिक वस्तुएं
  4. वंशानुगत विशेषताएं

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: समाजशास्त्र में ‘संस्कृति’ को व्यापक अर्थ में लिया जाता है, जिसमें किसी विशेष समूह के सदस्यों द्वारा साझा किए गए सभी सीखे हुए व्यवहार, विश्वास, मूल्य, कला, प्रौद्योगिकी, भाषा, रीति-रिवाज और संस्थाएं शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह एक अर्जित और साझा की गई विशेषता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है। एडवर्ड टाइलर की परिभाषा इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: संस्कृति में केवल कला-संगीत या भौतिक वस्तुएं ही नहीं, बल्कि अभौतिक तत्व भी शामिल होते हैं। यह वंशानुगत नहीं, बल्कि सीखी जाती है।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. एक समाज से दूसरे समाज में प्रवास
  2. व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना
  3. सामाजिक आंदोलनों में भागीदारी
  4. समाज में परिवर्तन की दर

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) किसी व्यक्ति या समूह के सामाजिक सोपान (social ladder) पर ऊपर या नीचे जाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है, अर्थात् एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में परिवर्तन।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह ऊर्ध्वाधर (vertical) (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (horizontal) (समान स्तर पर) हो सकती है। इसे अंतर-पीढ़ी (inter-generational) या intra-generational भी हो सकती है।
  • गलत विकल्प: प्रवास, सामाजिक आंदोलन और परिवर्तन की दर गतिशीलता के पहलू हो सकते हैं, लेकिन स्वयं गतिशीलता नहीं हैं।

प्रश्न 15: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘शक्ति’ (Power) क्या है?

  1. केवल बल प्रयोग की क्षमता
  2. किसी सामाजिक संबंध में, अपनी इच्छा को लागू करने की संभावना, भले ही प्रतिरोध हो
  3. धन या संपत्ति का संचय
  4. किसी विशेष समूह की संख्यात्मक श्रेष्ठता

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने शक्ति को “किसी भी सामाजिक संबंध में, अपनी इच्छा को लागू करने की संभावना, भले ही प्रतिरोध हो” के रूप में परिभाषित किया। यह बल प्रयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि सहमति या प्रभाव से भी प्राप्त की जा सकती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने सत्ता (Authority) को वैध शक्ति (legitimate power) के रूप में भी वर्गीकृत किया, जिसमें पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता शामिल है।
  • गलत विकल्प: शक्ति केवल बल प्रयोग, धन या संख्यात्मक श्रेष्ठता तक सीमित नहीं है।

प्रश्न 16: ‘संस्था’ (Institution) का समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?

  1. कोई भी औपचारिक संगठन
  2. स्थापित और स्वीकृत सामाजिक पैटर्न, जो समाज की मूल आवश्यकताओं को पूरा करते हैं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म)
  3. व्यक्तिगत विश्वास और भावनाएं
  4. किसी भी प्रकार के सामाजिक समूह

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: समाजशास्त्र में ‘संस्था’ (Institution) से तात्पर्य स्थापित, सुसंगत और स्वीकृत सामाजिक पैटर्नों या सामाजिक संबंधों के समूह से है जो समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित हुए हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरणों में परिवार (प्रजनन और बाल-पालन), शिक्षा (ज्ञान हस्तांतरण), धर्म (मूल्य और विश्वास) और सरकार (व्यवस्था बनाए रखना) शामिल हैं। ये एक विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति करते हैं।
  • गलत विकल्प: यह केवल औपचारिक संगठनों, व्यक्तिगत विश्वासों या किसी भी सामाजिक समूह से अधिक विशिष्ट है; इसमें स्थायी और कार्यात्मक पैटर्न शामिल हैं।

प्रश्न 17: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा निम्नलिखित में से किस पर केंद्रित है?

  1. व्यक्तिगत पहचान का निर्माण
  2. समाज में असमानता और वर्ग, जाति, लिंग आदि के आधार पर संसाधनों का वितरण
  3. जनसंख्या का भौगोलिक वितरण
  4. सामाजिक अंतःक्रियाओं की प्रकृति

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों के पदानुक्रमित विभाजन को संदर्भित करता है, जो अक्सर धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, जाति, वर्ग, लिंग आदि जैसे कारकों पर आधारित होता है, जिससे असमानता उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह समाज की संरचना का एक मूलभूत पहलू है जो बताता है कि संसाधनों और अवसरों का वितरण कैसे असमान है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत पहचान, भौगोलिक वितरण या सामाजिक अंतःक्रियाएं सामाजिक स्तरीकरण के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन वे इसकी मुख्य परिभाषा नहीं हैं।

प्रश्न 18: रॉबर्ट मर्टन के ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) का उद्देश्य क्या था?

  1. समाज के एक बड़े, समग्र सिद्धांत का निर्माण करना
  2. समाज के व्यापक सिद्धांतों और अनुभवजन्य अनुसंधान के बीच एक कड़ी स्थापित करना
  3. केवल अमूर्त समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का विश्लेषण करना
  4. ऐतिहासिक समाजशास्त्र पर ध्यान केंद्रित करना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने समाजशास्त्र में ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) की वकालत की। इसका उद्देश्य समाज के अत्यंत सामान्य सिद्धांतों (जैसे पार्सन्स के) और विशिष्ट, अनुभवजन्य रूप से परीक्षण योग्य शोधों के बीच एक पुल बनाना था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन का मानना था कि समाजशास्त्र को उन सिद्धांतों पर काम करना चाहिए जो कुछ निश्चित सामाजिक घटनाओं (जैसे सापेक्ष वंचना, अननुमेय कार्य) की व्याख्या करते हैं, बजाय कि पूरे समाज की एक ही बार में व्याख्या करने के।
  • गलत विकल्प: उनका लक्ष्य समाज के समग्र सिद्धांत का निर्माण करना नहीं था, बल्कि अधिक विशिष्ट, परीक्षण योग्य सिद्धांतों का विकास करना था।

प्रश्न 19: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज में नए सदस्यों को शामिल करना
  2. व्यक्तियों द्वारा समाज के मानदंडों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को सीखने की आजीवन प्रक्रिया
  3. केवल बच्चों का पालन-पोषण
  4. सामाजिक वर्गों के बीच आदान-प्रदान

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: सामाजिकरण एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने समाज के सांस्कृतिक तत्वों, सामाजिक अपेक्षाओं और व्यवहार के तरीकों को सीखते हैं, जिससे वे समाज के सदस्य बन पाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह परिवार, स्कूल, साथियों के समूह और मीडिया जैसे विभिन्न अभिकर्ताओं (agents) के माध्यम से होता है। यह समाज में व्यवस्था और निरंतरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: यह केवल बच्चों के पालन-पोषण से कहीं अधिक है और यह समाज में नए सदस्यों को शामिल करने की एक औपचारिकता मात्र नहीं है।

प्रश्न 20: भारत में ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था का अध्ययन करते समय, ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (Purity-Pollution) की अवधारणा किससे संबंधित है?

  1. जातियों के बीच भोजन साझा करने के नियम
  2. जातियों के बीच शारीरिक संपर्क और पेशा आधारित पदानुक्रम
  3. जातियों के बीच विवाह संबंधी नियम
  4. जातियों के बीच राजनीतिक संबंध

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: भारतीय जाति व्यवस्था में ‘पवित्रता-अपवित्रता’ की अवधारणा जातियों के बीच सामाजिक अलगाव, स्पर्श-निषेध (touch-taboo) और व्यवसायों के आधार पर एक पदानुक्रमित व्यवस्था से गहराई से जुड़ी हुई है। उच्च जातियां स्वयं को अधिक ‘शुद्ध’ मानती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: एल. डोउमॉन्ट जैसे विद्वानों ने इस अवधारणा के माध्यम से जाति व्यवस्था की संरचना को समझाया है। यह शुद्धि और अशुद्धि के प्रतीकात्मक विभाजन पर आधारित है।
  • गलत विकल्प: जबकि भोजन और विवाह भी प्रभावित होते हैं, पवित्रता-अपवित्रता की मुख्य अवधारणा व्यापक सामाजिक संपर्क और व्यवसाय से जुड़ी है।

प्रश्न 21: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब किसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी भूमिकाएं निभाए
  2. जब कोई व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिका स्वीकार नहीं करता
  3. जब व्यक्ति एक ही भूमिका में बहुत अधिक प्रतिबद्ध हो
  4. जब सामाजिक व्यवस्था बिगड़ जाती है

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति को उन विभिन्न भूमिकाओं से जुड़ी अपेक्षाओं को पूरा करने में कठिनाई होती है जो वह विभिन्न सामाजिक समूहों में निभाता है, और ये अपेक्षाएं आपस में टकराती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, एक कामकाजी मां के लिए पेशेवर अपेक्षाओं और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संतुलित करना भूमिका संघर्ष का कारण बन सकता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्ति की भूमिका को अस्वीकार करना या एक ही भूमिका में अत्यधिक प्रतिबद्ध होना भूमिका संघर्ष की परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 22: ‘कुलिनीकरण’ (Gentilisation) या ‘कुलीनता’ (Gentility) की अवधारणा, जिसे अक्सर मैरियट या अन्य ब्रिटिश समाजशास्त्रियों ने भारतीय संदर्भ में इस्तेमाल किया, किससे संबंधित है?

  1. धार्मिक कट्टरता
  2. पश्चिमीकरण की प्रक्रिया
  3. उच्च जातियों के रीति-रिवाजों और जीवन शैली का अनुकरण, विशेष रूप से ब्राह्मणों का
  4. शहरीकरण की प्रक्रिया

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: ‘कुलिनीकरण’ (Gentilisation) भारतीय संदर्भ में, विशेष रूप से एम.एन. श्रीनिवास के ‘संस्कृति-करण’ से मिलता-जुलता है, जो निम्न या मध्य जातियों द्वारा उच्च जातियों, विशेष रूप से ब्राह्मणों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, खान-पान और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह एक सांस्कृतिक अनुकूलन है जिसका उद्देश्य जाति पदानुक्रम में उन्नयन प्राप्त करना है।
  • गलत विकल्प: यह धार्मिक कट्टरता, पश्चिमीकरण या केवल शहरीकरण से भिन्न है, हालांकि ये प्रक्रियाएं प्रभावित कर सकती हैं।

प्रश्न 23: समाजशास्त्र में ‘समूह’ (Group) की परिभाषा के लिए कौन सा मानदंड आवश्यक है?

  1. समान भौगोलिक क्षेत्र में निवास
  2. आपसी पहचान, अंतःक्रिया और सामान्य उद्देश्य या हित
  3. एक सामान्य सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
  4. केवल व्यक्तियों की बड़ी संख्या

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: एक सामाजिक समूह की पहचान के लिए आवश्यक है कि उसके सदस्यों के बीच ‘आपसी पहचान’ (mutual awareness) हो, वे नियमित रूप से ‘अंतःक्रिया’ (interaction) करते हों, और उनके कुछ ‘सामान्य उद्देश्य’ या हित हों।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, एक फुटबॉल टीम, एक अध्ययन समूह, या एक परिवार सभी सामाजिक समूह हैं क्योंकि उनमें ये तत्व मौजूद होते हैं।
  • गलत विकल्प: समान भौगोलिक क्षेत्र या सामान्य सांस्कृतिक पृष्ठभूमि समूह की एक विशेषता हो सकती है, लेकिन यह एक समूह को परिभाषित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। केवल बड़ी संख्या समूह नहीं बनाती।

प्रश्न 24: ‘नगरीयता’ (Urbanism) की अवधारणा, जैसा कि लुईस वर्थ ने परिभाषित किया है, मुख्य रूप से निम्नलिखित में से किस पर जोर देती है?

  1. ग्रामीण जीवन की सादगी
  2. शहरी जीवन की विशिष्ट विशेषताएं, जैसे बड़े पैमाने पर आबादी, घनत्व और विषमता, जो लोगों के व्यवहार और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करती हैं
  3. शहरी नियोजन और वास्तुकला
  4. ग्रामीण-शहरी विभाजन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: लुईस वर्थ ने ‘नगरीयता’ को शहरी जीवन की एक विशिष्ट जीवन शैली के रूप में परिभाषित किया, जो बड़े पैमाने पर आबादी, उच्च घनत्व और सामाजिक विषमता (heterogeneity) के तीन मुख्य कारकों द्वारा उत्पन्न होती है। ये कारक व्यक्तियों के बीच संबंधों, व्यक्तित्व और संगठन को प्रभावित करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वर्थ का मानना था कि ये शहरी कारक अधिक बेमेलता, व्यक्तित्व की सतहीता और अमूर्त संबंधों को जन्म देते हैं।
  • गलत विकल्प: वर्थ का ध्यान ग्रामीण जीवन या नियोजन पर नहीं था, बल्कि शहरी जीवन के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर था।

प्रश्न 25: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) की समाजशास्त्रीय समझ में निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है?

  1. केवल व्यक्तिगत इच्छाएँ
  2. समाज की संरचना, संस्कृति, मूल्यों और व्यवहारों में होने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तन
  3. मौसम में बदलाव
  4. केवल प्रौद्योगिकी का विकास

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही विकल्प: सामाजिक परिवर्तन से तात्पर्य समाज की संरचना, संस्कृति, सामाजिक संबंधों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों में होने वाले किसी भी महत्वपूर्ण और स्थायी परिवर्तन से है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें तकनीकी परिवर्तन, आर्थिक विकास, राजनीतिक क्रांतियाँ, सांस्कृतिक प्रसार और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: सामाजिक परिवर्तन केवल व्यक्तिगत इच्छाओं या मौसम में बदलाव से नहीं होता, और जबकि प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है, यह एकमात्र कारण नहीं है।

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