समाजशास्त्र की दैनिक कसौटी: अपनी समझ को परखें!
तैयारी के मैदान में आपका स्वागत है, समाजशास्त्र के जिज्ञासु साधकों! आज हम आपके वैचारिक ज्ञान और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए 25 नए और चुनौतीपूर्ण प्रश्नों का एक अनूठा संकलन लेकर आए हैं। अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करें और इस दैनिक अभ्यास के माध्यम से अपने ज्ञान को और भी पैना करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को किसने सामाजिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने वाले सामाजिक संबंधों के एक जटिल जाल के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- एमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- टाम्कोट पार्सन्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टॉमकोट पार्सन्स ने “सामाजिक संरचना” को सामाजिक व्यवस्था के मूलभूत घटकों और उनके बीच स्थिर, औपचारिक संबंधों के एक पैटर्न के रूप में देखा। उन्होंने इसे सामाजिक क्रिया के विश्लेषण के लिए केंद्रीय माना।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का ‘स्ट्रक्चरल फंक्शनलिज्म’ (Structural Functionalism) का सिद्धांत उनकी रचनाओं में प्रमुख है, जैसे ‘द स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन’। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में संरचनाओं की भूमिका पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान आर्थिक संरचना और वर्ग संघर्ष पर था। एमाइल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (social solidarity) और सामाजिक तथ्यों (social facts) पर बल दिया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और नौकरशाही पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया “संस्कृतिकरण” (Sanskritization) शब्द किस सामाजिक प्रक्रिया को दर्शाता है?
- पश्चिमीकरण की प्रक्रिया
- जाति व्यवस्था के भीतर गतिशीलता की प्रक्रिया
- शहरीकरण का प्रभाव
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्कृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दिया गया एक महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय शब्द है, जो निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों की रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करता है ताकि सामाजिक पदानुक्रम में वे अपना दर्जा ऊंचा उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृतियों के तत्वों को अपनाने को संदर्भित करता है। शहरीकरण गांवों से शहरों की ओर जनसंख्या के प्रवास और संबंधित परिवर्तनों से जुड़ा है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं।
प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर समाज मुख्य रूप से किन दो वर्गों में विभाजित है?
- उच्च वर्ग और निम्न वर्ग
- बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (मजदूर वर्ग)
- प्रबंधक और श्रमिक
- जागीरदार और किसान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को मुख्य रूप से दो विरोधी वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ (Bourgeoisie), जो उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि) के मालिक हैं, और सर्वहारा (Proletariat), जो अपनी श्रम शक्ति बेचकर जीवित रहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के वर्ग संघर्ष (class struggle) के सिद्धांत का मूल है, जो ऐतिहासिक भौतिकवाद (historical materialism) का एक प्रमुख अंग है। उनका मानना था कि इन दोनों वर्गों के हित परस्पर विरोधी हैं।
- गलत विकल्प: उच्च और निम्न वर्ग एक सामान्य वर्गीकरण है लेकिन मार्क्सवादी विश्लेषण उतना विशिष्ट नहीं है। प्रबंधक और श्रमिक बुर्जुआ और सर्वहारा के भीतर उप-विभाजन हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स द्वारा पहचाने गए मुख्य वर्ग नहीं हैं। जागीरदार और किसान सामंती समाज की विशेषता हैं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था समाज में सदस्यों के समाजीकरण (socialization) और प्रजनन (reproduction) में प्राथमिक भूमिका निभाती है?
- राज्य
- परिवार
- अर्थव्यवस्था
- मीडिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: परिवार को समाज का प्राथमिक समाजीकरण एजेंट माना जाता है। यह वह पहली संस्था है जहाँ व्यक्ति भाषा, संस्कृति, मूल्य और मानदंड सीखता है, और यह मानव प्रजाति के प्रजनन और निरंतरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रारंभिक बाल्यावस्था के दौरान परिवार द्वारा प्रदान की जाने वाली नींव व्यक्ति के भविष्य के सामाजिक अनुभवों को बहुत प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: राज्य, अर्थव्यवस्था और मीडिया भी समाजीकरण में भूमिका निभाते हैं, लेकिन परिवार को आम तौर पर प्रारंभिक और सबसे प्रभावशाली समाजीकरण की एजेंसी माना जाता है।
प्रश्न 5: मैक्स वेबर के अनुसार, किस प्रकार की सत्ता (authority) “कानूनी-तर्कसंगत” (legal-rational) होती है, जो नियमों और प्रक्रियाओं के पालन पर आधारित होती है?
- पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority)
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
- नौकरशाही सत्ता (Bureaucratic Authority)
- आदेशात्मक सत्ता (Mandatory Authority)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत। कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (जिसे वे नौकरशाही से जोड़ते हैं) कानूनों, नियमों और स्थापित प्रक्रियाओं के अधिकार पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आधुनिक समाज में नौकरशाही कानूनी-तर्कसंगत सत्ता का सबसे शुद्ध रूप है, जहाँ अधिकार पद के साथ जुड़ा होता है, व्यक्ति के साथ नहीं। यह ‘Economy and Society’ में विस्तृत है।
- गलत विकल्प: पारंपरिक सत्ता विरासत या रीति-रिवाजों पर आधारित होती है। करिश्माई सत्ता किसी व्यक्ति के असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित होती है। आदेशात्मक सत्ता एक गलत वर्गीकरण है।
प्रश्न 6: “अनमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के विघटन या लुप्त होने की स्थिति को दर्शाती है, किससे संबंधित है?
- कार्ल मार्क्स
- हरबर्ट स्पेंसर
- एमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमाइल दुर्खीम ने “अनमी” की अवधारणा का उपयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहां सामाजिक नियम कमजोर हो जाते हैं या गायब हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में अनमी आत्महत्या (anomic suicide) की व्याख्या की, जो तीव्र सामाजिक परिवर्तनों या संकटों के समय उत्पन्न होती है। यह सामाजिक व्यवस्था के विघटन का परिणाम है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के विकासवादी सिद्धांत दिए। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (symbolic interactionism) और ‘सेल्फ’ (self) के विकास पर काम किया।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में “जातिगत असमानता” (Caste Inequality) का एक प्रमुख कारण क्या है?
- धार्मिक सहिष्णुता
- जन्म आधारित विशेषाधिकार और अलगाव
- खुला वर्ग विनिमय
- आर्थिक उदारीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है, जहाँ व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, व्यवसाय और अधिकार उसके जन्म से पूर्व निर्धारित हो जाते हैं। इसने सदियों से गंभीर असमानताएँ पैदा की हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था विशुद्ध रूप से धर्म या संस्कृति से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह एक कठोर सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली है जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के वितरण को प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: धार्मिक सहिष्णुता जाति व्यवस्था के प्रभाव को कम कर सकती है, लेकिन यह इसका कारण नहीं है। खुला वर्ग विनिमय और आर्थिक उदारीकरण पारंपरिक जाति संरचना को चुनौती दे सकते हैं, लेकिन वे इसके अंतर्निहित कारण नहीं हैं।
प्रश्न 8: “संस्कृति” (Culture) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?
- केवल कला और संगीत का संग्रह
- लोगों के समूह द्वारा सीखा गया ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई अन्य क्षमताएं और आदतें
- सामाजिक वर्ग की स्थिति
- व्यक्तिगत जीवन शैली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: यह परिभाषा एडवर्ड बर्नेट टायलर (E.B. Tylor) के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिन्होंने संस्कृति को एक व्यापक, सीखा हुआ और साझा किया जाने वाला व्यवहार पैटर्न माना जो किसी समाज के सदस्यों के जीवन को निर्देशित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति में भौतिक (जैसे उपकरण) और अभौतिक (जैसे मूल्य, विश्वास) दोनों पहलू शामिल होते हैं। यह वह ‘सॉफ्टवेयर’ है जो समाज को चलाता है।
- गलत विकल्प: संस्कृति केवल कला और संगीत तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक वर्ग की स्थिति या व्यक्तिगत जीवन शैली से कहीं अधिक व्यापक है।
प्रश्न 9: चार्ल्स कूली (Charles Cooley) द्वारा प्रस्तावित “प्राथमिक समूह” (Primary Group) की मुख्य विशेषता क्या है?
- औपचारिक और अप्रत्यक्ष संबंध
- बड़े पैमाने पर जनसंख्या
- आमने-सामने की घनिष्ठता और सहयोग
- अनाम और impersonal संबंध
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चार्ल्स कूली के अनुसार, प्राथमिक समूह वे हैं जो घनिष्ठ, आमने-सामने की बातचीत, सहयोग और “हम” की भावना के लिए जाने जाते हैं। परिवार, बचपन के मित्र समूह और पड़ोस इसके उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूली ने अपनी पुस्तक ‘Social Organization’ में इस अवधारणा का परिचय दिया। इन समूहों का व्यक्ति के व्यक्तित्व और आत्म-अवधारणा के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- गलत विकल्प: औपचारिक और अप्रत्यक्ष संबंध द्वितीयक समूहों (secondary groups) की विशेषता हैं। बड़े पैमाने पर जनसंख्या और अनाम संबंध भी द्वितीयक समूहों से जुड़े हैं।
प्रश्न 10: समाजशास्त्र में “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का क्या अर्थ है?
- समाज का वर्गीकरण
- समाज के सदस्यों को असमान स्तरों या परतों में व्यवस्थित करना
- विभिन्न संस्कृतियों का अध्ययन
- सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है जहाँ समाज अपने सदस्यों को पदानुक्रमित व्यवस्था में वर्गीकृत करता है, जो आय, धन, शिक्षा, शक्ति, जाति या वर्ग जैसे कारकों पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा हमें यह समझने में मदद करती है कि समाज में संसाधन और विशेषाधिकार कैसे वितरित होते हैं और यह समाज की संरचना को कैसे प्रभावित करता है।
- गलत विकल्प: समाज का वर्गीकरण बहुत सामान्य है। विभिन्न संस्कृतियों का अध्ययन नृविज्ञान (anthropology) का हिस्सा है। सामाजिक गतिशीलता स्तरीकरण के भीतर होने वाली एक प्रक्रिया है, न कि स्तरीकरण स्वयं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक थे?
- ऑगस्ट कॉम्टे
- इरावती कर्वे
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- एम.एन. श्रीनिवास
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनुष्य प्रतीकों (जैसे भाषा) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, और यह बातचीत ही सामाजिक वास्तविकता और स्वयं (self) का निर्माण करती है।
- संदर्भ और विस्तार: उनके विचार, जो मरणोपरांत प्रकाशित हुए, विशेष रूप से ‘Mind, Self, and Society’ में, सामाजिक मनोविज्ञान और सूक्ष्म-स्तरीय समाजशास्त्र में मौलिक हैं।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और वे प्रत्यक्षवाद (positivism) से जुड़े थे। इरावती कर्वे और एम.एन. श्रीनिवास भारतीय समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण विद्वान हैं, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के मुख्य प्रस्तावक नहीं।
प्रश्न 12: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?
- किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक वर्ग से दूसरे में जाना
- सामाजिक समूहों के बीच संबंध
- समाज में नियमों का पालन
- सामाजिक संरचना का अध्ययन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति, आय, या शक्ति में परिवर्तन का अनुभव करते हैं, या तो ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी गतिशीलता) या नीचे की ओर (अधोगामी गतिशीलता)।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक समाज की खुली या बंद प्रकृति को समझने में मदद करता है – यानी, क्या व्यक्तिगत प्रयास से सामाजिक स्थिति बदल सकती है।
- गलत विकल्प: सामाजिक समूहों के बीच संबंध, नियमों का पालन, या सामाजिक संरचना का अध्ययन गतिशीलता के परिणाम या प्रक्रिया के पहलू हो सकते हैं, लेकिन गतिशीलता स्वयं नहीं।
प्रश्न 13: किस समाजशास्त्री ने “अभिजात वर्ग के सिद्धांत” (Elite Theory) का विकास किया, जिसमें कहा गया कि समाज हमेशा शासक अभिजात वर्ग और शासित जनसमूह में विभाजित रहेगा?
- रॉबर्ट मर्टन
- विलफ्रेडो परेटो
- सी. राइट मिल्स
- ए.एल. क्रोबर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विल्फ्रेडो परेटो ने “चक्रवात का सिद्धांत” (Theory of Circulation of Elites) विकसित किया, जिसमें तर्क दिया गया कि समाज में हमेशा एक छोटा, शक्तिशाली अभिजात वर्ग (elite) होता है जो सत्ता रखता है, और यह अभिजात वर्ग समय के साथ नए अभिजात वर्ग से बदलता रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनके अनुसार, यह अभिजात वर्ग का परिवर्तन ही समाज में स्थिरता और परिवर्तन लाता है। उन्होंने ‘The Mind and Society’ में इस पर विस्तार से लिखा।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद (functionalism) और नव-नोमियोलॉजिकल (neo-nomological) दृष्टिकोण में योगदान दिया। सी. राइट मिल्स ने अमेरिकी समाज में शक्ति अभिजात वर्ग (power elite) की अवधारणा दी। ए.एल. क्रोबर एक नृविज्ञानी थे।
प्रश्न 14: “पवित्र” (Sacred) और “अपवित्र” (Profane) के बीच भेद किस समाजशास्त्री के धर्म के समाजशास्त्रीय विश्लेषण का केंद्रीय बिंदु है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमाइल दुर्खीम
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमाइल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में तर्क दिया कि धर्म की सभी अभिव्यक्तियों का मूल पवित्र और अपवित्र के बीच एक मौलिक भेद है। पवित्र वस्तुएं वे हैं जिन्हें वर्जित किया जाता है और जिन्हें अनुष्ठान द्वारा अलग रखा जाता है, जबकि अपवित्र रोजमर्रा की दुनिया से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, धर्म सामूहिक चेतना की अभिव्यक्ति है और सामाजिक एकजुटता को बनाए रखने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के बीच संबंध पर ध्यान केंद्रित किया। कार्ल मार्क्स ने धर्म को ‘जनता के लिए अफीम’ कहा। सिगमंड फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे जिन्होंने धर्म को मनोवैज्ञानिक घटना के रूप में देखा।
प्रश्न 15: भारत में “आदिवासी समुदाय” (Tribal Communities) की एक मुख्य विशेषता क्या है?
- अत्यधिक विकसित शहरीकरण
- विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान और अलगाव
- कठोर जाति पदानुक्रम
- भारी औद्योगिकीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आदिवासी समुदायों को अक्सर मुख्यधारा के समाज से अलग, विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं, भाषाओं, सामाजिक संरचनाओं और अक्सर अपनी भूमि से घनिष्ठ संबंध द्वारा पहचाना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि वे भी परिवर्तन से गुजर रहे हैं, उनकी विशिष्ट पहचान अक्सर उनकी सामाजिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू बनी रहती है।
- गलत विकल्प: अत्यधिक शहरीकरण, कठोर जाति पदानुक्रम (जो अक्सर गैर-आदिवासियों से जुड़ा होता है) और भारी औद्योगिकीकरण आमतौर पर आदिवासी समुदायों की परिभाषित विशेषताओं के बजाय बाहरी प्रभाव या परिवर्तन के परिणाम होते हैं।
प्रश्न 16: किस समाजशास्त्री ने “रिफरेंस ग्रुप” (Reference Group) की अवधारणा पेश की, जिसे लोग अपनी राय, दृष्टिकोण और व्यवहार को मापने के लिए इस्तेमाल करते हैं?
- रॉबर्ट मर्टन
- इरविन गोफमैन
- डेविड रेजमान
- आल्फ्रेड शुट्ज़
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने “रिफरेंस ग्रुप” की अवधारणा को विकसित किया। यह वह समूह है जिसका उपयोग व्यक्ति अपने व्यवहार, आकांक्षाओं और स्व-अवधारणा को निर्देशित करने और मूल्यांकन करने के लिए करता है, भले ही वह उस समूह का सदस्य हो या नहीं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने “सापेक्ष वंचना” (relative deprivation) की अवधारणा से भी इसे जोड़ा, जहाँ व्यक्ति अपनी स्थिति की तुलना किसी संदर्भ समूह से करता है।
- गलत विकल्प: इरविन गोफमैन ने “नाटकशास्त्र” (dramaturgy) और सामाजिक अंतःक्रिया पर काम किया। डेविड रेजमान ने “अति-अनुकूलित व्यक्ति” (over-adapted individual) की बात की। आल्फ्रेड शुट्ज़ ने फेनोमेनोलॉजी (phenomenology) को समाजशास्त्र में लागू किया।
प्रश्न 17: “सामाजिक व्यवस्था” (Social Order) बनाए रखने में “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) की क्या भूमिका है?
- अनियमित व्यवहार को बढ़ावा देना
- सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का अनुपालन सुनिश्चित करना
- वर्ग संघर्ष को बढ़ाना
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक नियंत्रण उन साधनों और प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे स्वीकृत मानदंडों और मूल्यों के अनुरूप हों, जिससे सामाजिक व्यवस्था बनी रहे।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे सामाजिक अनुमोदन, निंदा) दोनों प्रकार के तंत्र शामिल हैं।
- गलत विकल्प: सामाजिक नियंत्रण का उद्देश्य अनियमित व्यवहार को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि उसे रोकना है। यह वर्ग संघर्ष को बढ़ा नहीं सकता, बल्कि अक्सर उसे दबाने का प्रयास करता है। यद्यपि इसमें कुछ प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं, इसका प्राथमिक लक्ष्य व्यवस्था बनाए रखना है, न कि केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करना।
प्रश्न 18: भारत में “पंचायती राज” प्रणाली का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- केंद्रीय सरकार की शक्ति बढ़ाना
- स्थानीय स्वशासन और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना
- शहरी विकास को बढ़ावा देना
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पंचायती राज संस्थाएं (PRIs) भारत में स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली हैं, जिनका उद्देश्य राजनीतिक और प्रशासनिक शक्ति का विकेंद्रीकरण करना, जमीनी स्तर पर नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना और ग्रामीण विकास को गति देना है।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे यह ग्रामीण स्थानीय सरकार की एक महत्वपूर्ण संस्था बन गई।
- गलत विकल्प: इसका उद्देश्य केंद्रीय सरकार की शक्ति बढ़ाना नहीं, बल्कि विकेंद्रीकरण है। यह मुख्य रूप से ग्रामीण विकास से संबंधित है, न कि शहरी विकास से। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग इसका प्रत्यक्ष उद्देश्य नहीं है।
प्रश्न 19: “अपरिवर्तनकारी” (Manifest) और “अदृश्य” (Latent) कार्यों की अवधारणाएँ किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से जुड़ी हैं?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalism)
- नृवंशविज्ञान (Ethnography)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट के. मर्टन ने “रॉबर्ट मर्टन” के प्रकार्यवाद के अपने संस्करण में ‘अपरिवर्तनकारी’ (Manifest) और ‘अदृश्य’ (Latent) कार्यों की अवधारणाएं पेश कीं। अपरिवर्तनकारी कार्य किसी सामाजिक व्यवस्था या संस्था के इच्छित और पहचाने जाने योग्य परिणाम होते हैं, जबकि अदृश्य कार्य अनजाने या अनपेक्षित परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का अपरिवर्तनकारी कार्य शिक्षित नागरिक तैयार करना है, जबकि उसका अदृश्य कार्य सामाजिक नेटवर्क बनाना या छात्रों के लिए साथी खोजना हो सकता है।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत समाज को शक्ति और संघर्ष के संदर्भ में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रिया पर केंद्रित है। नृवंशविज्ञान सांस्कृतिक अध्ययन की एक विधि है।
प्रश्न 20: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) से आप क्या समझते हैं?
- व्यक्ति का वित्तीय धन
- लोगों के बीच संबंधों, नेटवर्क और विश्वास से उत्पन्न होने वाला संसाधन
- व्यक्ति की शिक्षा का स्तर
- किसी देश की आर्थिक संपत्ति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क और पारस्परिक संबंधों से प्राप्त होते हैं। इसमें विश्वास, सहयोग और सामाजिक जुड़ाव की भावना शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित की गई है और यह सामाजिक और आर्थिक परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
- गलत विकल्प: वित्तीय धन, शिक्षा का स्तर और आर्थिक संपत्ति क्रमशः वित्तीय पूंजी, मानव पूंजी और राष्ट्रीय पूंजी के उदाहरण हैं, न कि सामाजिक पूंजी के।
प्रश्न 21: किस समाजशास्त्री ने “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा दी, जिसे समाज के बाहरी, बाध्यकारी और व्यक्तिपरक के रूप में परिभाषित किया गया है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमाइल दुर्खीम
- गिऔर्ग सिम्मेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमाइल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्यों” को समाजशास्त्रीय अध्ययन की मूल इकाई के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इन्हें “व्यवहार करने के तरीके, सोचने के तरीके और महसूस करने के तरीके जो व्यक्ति पर एक बाहरी बाध्यता थोपते हैं।”
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने तर्क दिया कि सामाजिक तथ्यों को “चीजों” के रूप में अध्ययन किया जाना चाहिए, जिसका अर्थ है कि उन्हें वस्तुनिष्ठ रूप से, बाहरी रूप से और बिना पूर्वाग्रह के देखा जाना चाहिए। यह प्रत्यक्षवादी पद्धति का आधार है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया पर ध्यान केंद्रित किया। कार्ल मार्क्स ने भौतिक और आर्थिक कारकों पर जोर दिया। गिऔर्ग सिम्मेल ने सामाजिक अंतःक्रिया के रूपों का अध्ययन किया।
प्रश्न 22: भारत में “धर्मनिरपेक्षता” (Secularism) के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा दृष्टिकोण भारतीय संदर्भ में अधिक उपयुक्त माना जाता है?
- राज्य और धर्म का पूर्ण पृथक्करण (American Model)
- राज्य द्वारा सभी धर्मों को समान संरक्षण और समान दूरी (Indian Model)
- राज्य का किसी एक धर्म का समर्थन करना (Theocratic State)
- धर्म को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह हटा देना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी मॉडल से भिन्न है, जो राज्य और धर्म के पूर्ण अलगाव की वकालत करता है। भारतीय मॉडल “समान संरक्षण” (Sarva Dharma Sama Bhava) पर आधारित है, जहाँ राज्य किसी एक धर्म का पक्ष नहीं लेता, बल्कि सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान और संरक्षण करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह “सभी के लिए एक कानून” के बजाय “सभी धर्मों के लिए समान कानून” के विचार को बढ़ावा देता है।
- गलत विकल्प: पूर्ण पृथक्करण (a) भारत की बहुलवादी प्रकृति के लिए कम उपयुक्त है। एक धर्म का समर्थन करना (c) भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के विरुद्ध है। धर्म को पूरी तरह हटा देना (d) भी भारतीय संदर्भ में संभव नहीं है।
प्रश्न 23: “नियंत्रित अवलोकन” (Controlled Observation) किस प्रकार की अनुसंधान पद्धति का हिस्सा है?
- गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research)
- मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research)
- व्यक्तिनिष्ठ अनुसंधान (Subjective Research)
- विस्तृत अनुसंधान (Exploratory Research)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: नियंत्रित अवलोकन, जहाँ शोधकर्ता एक प्रयोगशाला या नियंत्रित वातावरण में चर (variables) को व्यवस्थित और हेरफेर करता है, मात्रात्मक अनुसंधान का एक प्रमुख तरीका है। इसका उद्देश्य कारण-प्रभाव संबंधों (cause-effect relationships) को स्थापित करना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि कठोरता, पुनरुत्पादन क्षमता (reproducibility) और वस्तुनिष्ठता पर जोर देती है।
- गलत विकल्प: गुणात्मक अनुसंधान अक्सर अनियंत्रित या कम नियंत्रित वातावरण में गहन समझ प्राप्त करने पर केंद्रित होता है। व्यक्तिनिष्ठ और विस्तृत अनुसंधान भी अलग-अलग तरीकों का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 24: “अभिज्ञान और प्रतिमा” (Master-Status and Status-Set) की अवधारणाएँ सामाजिक भूमिकाओं और स्थिति के विश्लेषण में किससे संबंधित हैं?
- विभिन्न समाजों में परिवार की संरचना
- व्यक्ति की विभिन्न सामाजिक पहचानें और उनकी सापेक्ष महत्ता
- सामाजिक परिवर्तन की दर
- आर्थिक विकास के मॉडल
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: “स्टेटस-सेट” (status-set) एक व्यक्ति से जुड़ी सभी सामाजिक स्थितियों (जैसे डॉक्टर, पिता, नागरिक) का संग्रह है, जबकि “मास्टर-स्टेटस” (master-status) वह स्थिति है जो किसी व्यक्ति की पहचान और सामाजिक अंतःक्रिया पर सबसे अधिक प्रभाव डालती है। ये अवधारणाएँ समाजशास्त्रीय विश्लेषण का हिस्सा हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इन अवधारणाओं का उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि कैसे विभिन्न सामाजिक भूमिकाएँ एक व्यक्ति के जीवन में परस्पर क्रिया करती हैं और कैसे एक विशेष भूमिका प्रमुख हो सकती है।
- गलत विकल्प: परिवार की संरचना, सामाजिक परिवर्तन की दर और आर्थिक विकास के मॉडल समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण विषय हैं, लेकिन सीधे तौर पर इन अवधारणाओं से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 25: “आधुनिकता” (Modernity) की समाजशास्त्रीय व्याख्या में, निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख तत्व नहीं माना जाता है?
- तर्कसंगतता (Rationality)
- औद्योगिकीकरण (Industrialization)
- धर्म की प्रधानता (Primacy of Religion)
- पूंजीवाद (Capitalism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आधुनिकता आम तौर पर तर्कसंगतता, नौकरशाही, औद्योगिकीकरण, पूंजीवाद, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद की ओर झुकाव से जुड़ी है। धर्म की प्रधानता पारंपरिक या पूर्व-आधुनिक समाजों की एक विशेषता है, आधुनिकता अक्सर धर्मनिरपेक्षता की ओर रुझान दिखाती है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर जैसे समाजशास्त्रियों ने तर्कसंगतता और नौकरशाही को आधुनिकता की पहचान माना।
- गलत विकल्प: तर्कसंगतता, औद्योगिकीकरण और पूंजीवाद सभी आधुनिकता के महत्वपूर्ण तत्व माने जाते हैं। धर्म की प्रधानता आधुनिकता के विपरीत दिशा में एक संकेत है।