समाजशास्त्र की दैनिक कसौटी: अपनी समझ को तेज करें
समाजशास्त्र के आकांक्षियों, अपनी अवधारणाओं को पैना करने और विश्लेषणात्मक कौशल को धार देने के लिए तैयार हो जाइए! यहाँ प्रस्तुत है आज का गहन अभ्यास सत्र, जो आपको मुख्य समाजशास्त्रीय सिद्धांतों, विचारकों और भारतीय समाज के पहलुओं पर आपकी पकड़ का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए, इस बौद्धिक यात्रा में अपनी समझ को परखें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाज में तकनीकी परिवर्तन की तीव्र गति और गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य) के समायोजन में धीमी गति के बीच के अंतर को दर्शाती है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- विलियम ग्राहम समनर
- ऑगस्ट कॉम्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फोल्कवेज’ (Folkways, 1906) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तकनीकी या भौतिक संस्कृति (जैसे नई मशीनरी) और गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे कानून, रीति-रिवाज, मूल्य) के बीच विकास की दर में अंतर को संदर्भित करता है, जिससे सामाजिक विघटन हो सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: समनर ने यह स्पष्ट किया कि भौतिक संस्कृति तेज़ी से बदलती है, जबकि गैर-भौतिक संस्कृति, जो जीवन के तरीके को निर्देशित करती है, धीमी गति से बदलती है। इस अंतराल के कारण सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) और सामाजिक एकता की बात की; कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद पर जोर दिया; ऑगस्ट कॉम्त समाजशास्त्र के जनक माने जाते हैं जिन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) की वकालत की।
प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, आधुनिक नौकरशाही की विशेषता निम्नलिखित में से कौन सी नहीं है?
- स्पष्ट अधिकार क्षेत्र और पदानुक्रम
- लिखित नियम और विनियम
- अस्थायी नियुक्तियाँ और कार्य-उन्मुख मूल्यांकन
- पेशेवर कर्मियों की विशेषज्ञता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: वेबर ने आधुनिक नौकरशाही को दक्षता और तर्कसंगतता का प्रतीक माना। इसकी मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट अधिकार क्षेत्र, पदानुक्रम, लिखित नियम, विशेषज्ञता और स्थायी नियुक्तियाँ हैं। अस्थायी नियुक्तियाँ नौकरशाही की विशेषता नहीं हैं; इसके विपरीत, वेबर ने स्थायित्व को दक्षता के लिए महत्वपूर्ण माना।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर की आदर्श-प्रकार (Ideal-type) की नौकरशाही की संरचना में पदोन्नति योग्यता और वरिष्ठता पर आधारित होती है, जो एक निश्चित अवधि के बाद होती है, न कि अस्थायी।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी वेबरियन नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएँ हैं। स्पष्ट अधिकार क्षेत्र, नियम और विशेषज्ञता इसे अन्य प्रकार के संगठनों से अलग करती हैं।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का एक आयाम नहीं है, जैसा कि कार्ल मार्क्स ने वर्णित किया है?
- वर्ग (Class)
- शक्ति (Power)
- प्रतिष्ठा (Prestige)
- उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 4: “सांस्कृतिक पुनरुत्पादन” (Cultural Reproduction) की अवधारणा, जो यह बताती है कि कैसे शिक्षा व्यवस्था सामाजिक असमानताओं को बनाए रखने में भूमिका निभाती है, किस फ्रांसीसी समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- रेमंड एरॉन
- पियरे बॉर्डियू
- जीन बॉड्रिलार्ड
- मिशेल फौकॉल्ट
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पियरे बॉर्डियू ने “सांस्कृतिक पुनरुत्पादन” और “आदतन” (Habitus) जैसी अवधारणाओं के माध्यम से यह समझाया कि कैसे शैक्षिक संस्थाएं, जो कथित तौर पर मेरिटोक्रेटिक होती हैं, वास्तव में उन बच्चों के लिए लाभप्रद होती हैं जिनके पास पहले से ही उच्च वर्ग का सांस्कृतिक पूँजी (Cultural Capital) होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: बॉर्डियू का तर्क है कि यह सांस्कृतिक पूँजी (जैसे भाषा, शिष्टाचार, कला का ज्ञान) को शिक्षा प्रणाली में महत्व दिया जाता है, जिससे निम्न वर्गों के छात्र पिछड़े रह जाते हैं, और इस प्रकार सामाजिक असमानताएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती हैं।
- गलत विकल्प: रेमंड एरॉन एक उदारवादी राजनीतिक टिप्पणीकार थे; जीन बॉड्रिलार्ड अनुकरण (Simulation) और सिमुलाक्रा (Simulacra) के लिए जाने जाते हैं; मिशेल फौकॉल्ट शक्ति, ज्ञान और प्रवचन (Discourse) के विश्लेषण के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम ने समाज के बदलते स्वरूपों को समझाने के लिए ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) और ‘सांविधिक एकता’ (Organic Solidarity) की अवधारणाओं का प्रयोग किया। ‘यांत्रिक एकता’ किस प्रकार के समाजों में पाई जाती है?
- आधुनिक औद्योगिक समाज
- उच्च श्रम विभाजन वाले समाज
- पारंपरिक, सजातीय समाज जहाँ लोग समान विश्वासों और मूल्यों को साझा करते हैं
- जटिल और विविध समाजों
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ में यांत्रिक एकता को कम श्रम विभाजन वाले, सरल और सजातीय समाजों से जोड़ा है। इन समाजों में, लोग समान अनुभवों, विश्वासों और नैतिक चेतना (Collective Conscience) को साझा करते हैं, जो एकता का आधार बनता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यांत्रिक एकता ‘समानता’ (Sameness) पर आधारित होती है। इसके विपरीत, सांविधिक एकता आधुनिक, जटिल समाजों में पाई जाती है जहाँ श्रम विभाजन उच्च होता है, और लोग एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं, जो ‘अंतर’ (Difference) पर आधारित होती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी दुर्खीम के अनुसार ‘सांविधिक एकता’ की विशेषताएँ हैं, यांत्रिक एकता की नहीं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी भारत में जाति व्यवस्था की विशेषता नहीं है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- पेशागत प्रतिबंध
- पवित्रता और प्रदूषण की अवधारणा
- बाह्यविवाह (Exogamy)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ अंतर्विवाह (अपने ही जाति समूह के भीतर विवाह), पेशागत प्रतिबंध (जाति के अनुसार व्यवसाय का निर्धारण), और पवित्रता-प्रदूषण का सिद्धांत हैं। बाह्यविवाह (Exogamy) का अर्थ है अपने वंश या गोत्र से बाहर विवाह करना, जो गोत्र या कुल (Lineage) के संदर्भ में देखा जाता है, न कि जाति के संदर्भ में।
- संदर्भ एवं विस्तार: जबकि गोत्र (Clan) के नियमों के अनुसार बाह्यविवाह की प्रथा हो सकती है, जाति व्यवस्था स्वयं अंतर्विवाह पर बल देती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी भारत में जाति व्यवस्था की परिभाषित विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 7: जी.एच. मीड (G.H. Mead) ने “मैं” (I) और “मुझे” (Me) की अवधारणाएँ विकसित कीं, जो आत्म (Self) के विकास से संबंधित हैं। “मुझे” (Me) का अर्थ क्या है?
- व्यक्ति की तात्कालिक, सहज और अप्रत्याशित प्रतिक्रियाएँ।
- समाज द्वारा आंतरिककृत सामाजिक नियम, अपेक्षाएँ और भूमिकाएँ।
- एक व्यक्ति की अद्वितीय आत्म-चेतना।
- सामाजिक संपर्क के दौरान स्वयं का प्रत्यक्ष अनुभव।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जी.एच. मीड के अनुसार, “मुझे” (Me) समाज द्वारा आत्मसात् की गई (Internalized) भूमिकाओं, अपेक्षाओं और सामाजिक नियमों का प्रतिनिधित्व करता है। यह समाज के “अन्य” (Generalized Other) को आंतरिक बनाने का परिणाम है।
- संदर्भ एवं विस्तार: “मैं” (I) व्यक्ति की तात्कालिक, सहज प्रतिक्रिया है, जबकि “मुझे” (Me) समाज के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। आत्म (Self) का विकास इन दोनों के बीच निरंतर संवाद के माध्यम से होता है।
- गलत विकल्प: (a) “मैं” (I) का वर्णन करता है; (c) और (d) आत्म के अन्य पहलुओं को इंगित करते हैं, लेकिन विशेष रूप से “मुझे” (Me) को नहीं।
प्रश्न 8: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, “आत्म-पूर्ण भविष्यवाणी” (Self-fulfilling Prophecy) की अवधारणा का अर्थ क्या है?
- एक झूठी धारणा जो शुरू में गलत थी, लेकिन व्यक्ति या समूह के विश्वास के कारण सच हो जाती है।
- अनुसंधानकर्ता की व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों का अध्ययन पर प्रभाव।
- सामाजिक परिवर्तन का अनुमान लगाने की एक विधि।
- सर्वेक्षण के दौरान उत्तरदाताओं द्वारा की जाने वाली भविष्यवाणियाँ।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: “आत्म-पूर्ण भविष्यवाणी” एक ऐसी भविष्यवाणी है जो शुरू में झूठी होती है, लेकिन फिर लोगों के विश्वास करने के कारण सच हो जाती है। रॉबर्ट किंग मर्टन ने इस अवधारणा को सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझाने के लिए इस्तेमाल किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि लोग किसी बैंक के दिवालिया होने की झूठी अफवाह पर विश्वास करते हैं, तो वे अपना पैसा निकालने लगते हैं, जिससे बैंक वास्तव में दिवालिया हो जाता है।
- गलत विकल्प: (b) अनुसंधानकर्ता के पूर्वाग्रह को दर्शाता है, जो एक अलग मुद्दा है; (c) भविष्यवाणियों की विधि है; (d) सर्वेक्षण से संबंधित है, भविष्यवाणी के सत्य होने की प्रक्रिया से नहीं।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन पारसन्स के प्रकार्यवाद (Functionalism) के अनुसार समाज की एक प्रमुख सामाजिक व्यवस्था (Social System) का हिस्सा नहीं है?
- अनुकूलन (Adaptation)
- लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment)
- एकीकरण (Integration)
- संघर्ष (Conflict)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: तालकॉट पारसन्स ने समाज की चार आवश्यक क्रियाओं (AGIL मॉडल) का वर्णन किया है: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और अव्यवस्था-निवारण (Latency/Pattern Maintenance)। संघर्ष (Conflict) को वे समाज को बनाए रखने वाली व्यवस्था का हिस्सा नहीं, बल्कि एक संभावित विघटनकारी तत्व मानते थे।
- संदर्भ एवं विस्तार: AGIL मॉडल समाज के विभिन्न उप-प्रणालियों को वर्गीकृत करने के लिए एक ढाँचा प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) पारसन्स के AGIL मॉडल की मुख्य क्रियाएँ हैं।
प्रश्न 10: भारत में “पंचायती राज” व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- स्थानीय स्तर पर स्व-शासन को बढ़ावा देना और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण
- केंद्र सरकार की शक्तियों को बढ़ाना
- ग्रामीण युवाओं को रोजगार प्रदान करना
- शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास करना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर स्व-शासन को बढ़ावा देना, लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को मजबूत करना और जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक भागीदारी सुनिश्चित करना है।
- संदर्भ एवं विस्तार: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे उन्हें स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने की शक्ति मिली।
- गलत विकल्प: (b) यह केंद्र सरकार की शक्तियों को कम करता है, बढ़ाता नहीं; (c) और (d) इसके गौण या अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन मुख्य उद्देश्य नहीं हैं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सामाजिक नियंत्रण (Social Control) का एक अनौपचारिक साधन है?
- पुलिस और न्यायपालिका
- कानून और विधान
- जनमत और सामाजिक बहिष्कार
- सजा और दंड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक नियंत्रण के साधनों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है: औपचारिक और अनौपचारिक। औपचारिक साधनों में कानून, पुलिस, न्यायपालिका और दंड शामिल होते हैं, जो राज्य या संस्थागत प्राधिकरणों द्वारा लागू किए जाते हैं। जनमत, सामाजिक बहिष्कार, रीति-रिवाज, नैतिकता और शिष्टाचार जैसे साधन अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण के उदाहरण हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: ये अनौपचारिक साधन व्यक्ति को समाज के मानदंडों के अनुसार व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं, अक्सर दंड या पुरस्कार के भय या आशा के बिना, बल्कि सामाजिक स्वीकृति या अस्वीकृति के माध्यम से।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं।
प्रश्न 12: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं और संस्थानों का अध्ययन।
- सामाजिक व्यवहार को समझने के लिए व्यक्तियों के बीच अर्थों के निर्माण और साझाकरण पर जोर देना।
- समाज में शक्ति और असमानता के विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करना।
- सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में संस्थाओं की भूमिका का अध्ययन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (Micro-level) सामाजिक परिप्रेक्ष्य है जो इस बात पर जोर देता है कि व्यक्ति कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और कैसे इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से वे अर्थों का निर्माण करते हैं और समाज को आकार देते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और अर्ल्विंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। यह व्यक्ति की आत्म-अवधारणा और सामाजिक दुनिया की व्याख्या पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) वृहद-स्तरीय (Macro-level) समाजशास्त्र की ओर संकेत करते हैं, जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवाद; (c) मार्क्सवाद या संघर्ष सिद्धांत से अधिक संबंधित है।
प्रश्न 13: एम.एन. श्रीनिवास ने जिस प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए “संवर्णीकरण” (Sanskritization) शब्द गढ़ा, उसका क्या अर्थ है?
- उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों की प्रथाओं को अपनाना।
- निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च, विशेष रूप से द्विजातियों (twice-born) की प्रथाओं, अनुष्ठानों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाना ताकि उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार हो सके।
- पश्चिमी संस्कृति और जीवन शैली का अनुकरण।
- औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण होने वाले सामाजिक परिवर्तन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने “संवर्णीकरण” शब्द का प्रयोग उस सामाजिक प्रक्रिया के लिए किया जिसमें निम्न जातियों या जनजातियाँ उच्च जातियों, विशेष रूप से ब्राह्मणों या द्विजातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों, धार्मिक प्रथाओं और मूल्यों को अपनाती हैं ताकि जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रस्तुत की गई थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता (Cultural Mobility) है।
- गलत विकल्प: (a) यह संवर्णीकरण का विपरीत है; (c) पश्चिमीकरण को दर्शाता है; (d) आधुनिकीकरण से संबंधित है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी पुस्तक कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा सह-लिखित है?
- दास कैपिटल
- द पॉवर्टी ऑफ फिलॉसफी
- द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो
- द डेवलपमेंट ऑफ सोशलिज्म फ्रॉम यूटोपिया टू सायन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: “द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो” (The Communist Manifesto) कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा 1848 में सह-लिखित एक राजनीतिक पैम्फलेट है, जिसने साम्यवाद के मूल सिद्धांतों को रेखांकित किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस पुस्तक में “दुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ!” का प्रसिद्ध आह्वान शामिल है।
- गलत विकल्प: “दास कैपिटल” (Das Kapital) मुख्य रूप से मार्क्स द्वारा लिखा गया है, हालांकि एंगेल्स ने उनके निधन के बाद इसके खंडों को संपादित और प्रकाशित किया। “द पॉवर्टी ऑफ फिलॉसफी” मार्क्स की एक और महत्वपूर्ण कृति है। “द डेवलपमेंट ऑफ सोशलिज्म फ्रॉम यूटोपिया टू सायन्स” फ्रेडरिक एंगेल्स की रचना है।
प्रश्न 15: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” के संदर्भ में, “सामान्यीकृत अन्य” (Generalized Other) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- व्यक्ति के माता-पिता और परिवार के सदस्य।
- महत्वपूर्ण अन्य (Significant Others) जिनके साथ व्यक्ति सीधा संपर्क रखता है।
- समाज की समग्र अपेक्षाओं, मूल्यों और दृष्टिकोणों का एक सामान्यीकृत संकलन, जिसे व्यक्ति अपने व्यवहार को निर्देशित करने के लिए आंतरिक करता है।
- एक काल्पनिक व्यक्ति जो समाज के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने “सामान्यीकृत अन्य” की अवधारणा को प्रस्तुत किया। यह समाज के उन सामान्यीकृत दृष्टिकोणों, नियमों और अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें व्यक्ति एक समूह या समाज के सदस्य के रूप में अपने भीतर आत्मसात करता है। यह व्यक्ति को सामाजिक रूप से स्वीकार्य तरीके से व्यवहार करने में मदद करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: “सामान्यीकृत अन्य” के प्रति सचेत होना आत्म (Self) के विकास का एक महत्वपूर्ण चरण है।
- गलत विकल्प: (a) महत्वपूर्ण अन्य (Significant Others) को दर्शाता है; (b) महत्वपूर्ण अन्य (Significant Others) को दर्शाता है; (d) समाज के एक विशिष्ट प्रतिनिधित्व को दर्शाता है, सामान्यीकृत नहीं।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा शहरी समाजशास्त्र (Urban Sociology) का अध्ययन क्षेत्र नहीं है?
- शहरीकरण की प्रक्रिया और उसके सामाजिक परिणाम।
- शहरी नियोजन और सार्वजनिक नीति।
- ग्रामीण-शहरी प्रवासन के पैटर्न।
- शहरों में पारिस्थितिकी और पर्यावरण क्षरण।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शहरी समाजशास्त्र मुख्य रूप से शहरी जीवन, शहरीकरण की प्रक्रियाओं, शहरी सामाजिक संरचनाओं, शहरी वातावरण के सामाजिक प्रभावों, और शहरी नियोजन से संबंधित है। जबकि पर्यावरणीय क्षरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, यह मुख्य रूप से शहरी समाजशास्त्र का मूल अध्ययन क्षेत्र नहीं है; यह पर्यावरण समाजशास्त्र या शहरी भूगोल का अधिक केंद्र बिंदु हो सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: शहरी समाजशास्त्रCities as social phenomena का अध्ययन करता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी शहरी समाजशास्त्र के मुख्य अध्ययन क्षेत्र हैं।
प्रश्न 17: “प्रथा” (Norm) के सामाजिक महत्व के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- प्रथाएँ वे अनौपचारिक अपेक्षाएँ हैं जो व्यवहार को निर्देशित करती हैं।
- प्रथाएँ हमेशा स्पष्ट और लिखित होती हैं।
- प्रथाएँ केवल व्यक्तिगत व्यवहार को नियंत्रित करती हैं, न कि समूह के व्यवहार को।
- प्रथाओं का टूटना कभी भी नकारात्मक परिणाम नहीं देता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक प्रथाएँ (Norms) वे नियम या अपेक्षाएँ हैं जो किसी विशेष समाज या समूह के सदस्यों के लिए स्वीकार्य व्यवहार को परिभाषित करती हैं। ये अलिखित हो सकती हैं और सामाजिक नियंत्रण के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में कार्य करती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रथाओं के उल्लंघन पर अक्सर सामाजिक प्रतिबंध (जैसे निंदा, बहिष्कार) लग सकते हैं।
- गलत विकल्प: (b) प्रथाएँ अक्सर अनौपचारिक और अलिखित होती हैं; (c) प्रथाएँ समूह व्यवहार को भी नियंत्रित करती हैं; (d) प्रथाओं का टूटना अक्सर नकारात्मक सामाजिक परिणामों को जन्म देता है।
प्रश्न 18: भारत में “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) के संदर्भ में, “संवर्णीकरण” (Sanskritization) का मुख्य रूप क्या है?
- संरचनात्मक गतिशीलता (Structural Mobility)
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
- समूह गतिशीलता (Group Mobility)
- व्यक्तिगत गतिशीलता (Individual Mobility)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संवर्णीकरण (Sanskritization) को आमतौर पर समूह गतिशीलता (Group Mobility) का एक रूप माना जाता है, क्योंकि इसमें संपूर्ण जाति समूह (या उसके एक बड़े हिस्से) अपनी प्रथाओं और जीवन शैली को बदलकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करता है, न कि केवल एक व्यक्ति।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह ऊर्ध्वाधर गतिशीलता का एक रूप है क्योंकि इसमें स्थिति में ऊपर की ओर परिवर्तन शामिल है, लेकिन यह व्यक्तिगत नहीं बल्कि समूह-आधारित है। संरचनात्मक गतिशीलता व्यापक सामाजिक संरचना में परिवर्तन को संदर्भित करती है।
- गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक गतिशीलता व्यापक सामाजिक संरचना के परिवर्तन से संबंधित है; (d) व्यक्तिगत गतिशीलता एक व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन है; (b) ऊर्ध्वाधर गतिशीलता एक परिणाम है, लेकिन गतिशीलता का मुख्य ‘रूप’ समूह-आधारित है।
प्रश्न 19: आर. के. मर्टन के अनुसार, “एकीकरण” (Integration) से संबंधित सामाजिक विघटन का क्या कारण हो सकता है?
- समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए मूल्यों और मानदंडों में विरोधाभास।
- तकनीकी प्रगति में अत्यधिक तेज़ी।
- मानदंडों की अनुपस्थिति (Anomie)।
- अत्यधिक रूढ़िवादी सामाजिक संरचना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आर. के. मर्टन ने “विसंगति सिद्धांत” (Strain Theory) में बताया कि जब समाज के लक्ष्यों और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के वैध साधनों के बीच बेमेल होता है, तो सामाजिक विघटन हो सकता है। हालांकि, व्यापक अर्थ में, समाज के विभिन्न हिस्सों या सदस्यों द्वारा साझा किए गए मूल्यों और मानदंडों में विरोधाभास या असंगति भी सामाजिक एकता (Integration) को कमजोर कर सकती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ को मानदंडहीनता के रूप में परिभाषित किया, जो सामाजिक विघटन का कारण बनती है। मर्टन ने इस विचार को आगे बढ़ाया कि जब सांस्कृतिक लक्ष्य और संस्थागत साधन असंतुलित होते हैं, तो यह विभिन्न प्रकार के विसंगतिपूर्ण व्यवहारों को जन्म दे सकता है।
- गलत विकल्प: (b) सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag) से संबंधित हो सकता है; (c) दुर्खीम की अवधारणा है; (d) अनम्यता (Rigidity) के अपने मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन मूल्यों में विरोधाभास एकीकरण को सीधे तौर पर बाधित करता है।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “पावर, इंटरेस्ट एंड एफर्ट” (Power, Interest and Effort) जैसे लेखों के लिए जाना जाता है और सामाजिक संघर्ष के सिद्धांत को विश्लेषणात्मक रूप से प्रस्तुत किया?
- रॉल्फ डाहरेंडॉर्फ़ (Ralf Dahrendorf)
- लुईस अल्थुसर (Louis Althusser)
- एंथोनी गिडेंस (Anthony Giddens)
- सिगमंड बाऊमन (Zygmunt Bauman)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: राल्फ डाहरेंडॉर्फ़ एक प्रमुख मार्क्सवादी-व्युत्पन्न समाजशास्त्री थे जिन्होंने आधुनिक समाजों में संघर्ष के सिद्धांतों को विकसित किया। उन्होंने कार्ल मार्क्स के इस विचार को चुनौती दी कि केवल उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व ही संघर्ष का आधार है, और इसके बजाय, सत्ता (Authority) के वितरण को आधुनिक समाज में संघर्ष का मुख्य स्रोत माना।
- संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने “क्लास एंड क्लास कॉन्फ्लिक्ट इन इंडस्ट्रियल सोसाइटी” (Class and Class Conflict in Industrial Society, 1959) जैसी पुस्तकें लिखीं, जहाँ उन्होंने तर्क दिया कि संघर्ष समाज का एक स्थायी और कार्यात्मक पहलू है।
- गलत विकल्प: लुईस अल्थुसर मार्क्सवादी संरचनावाद से जुड़े हैं; एंथनी गिडेंस संरचनाकरण (Structuration) सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं; सिगमंड बाऊमन तरलता (Liquid) आधुनिकता पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 21: “सामुदायिक संगठन” (Community Organization) के क्षेत्र में, “समूह गतिशीलता” (Group Dynamics) का क्या अर्थ है?
- किसी समुदाय के भीतर व्यक्तियों की व्यक्तिगत गतिशीलता।
- किसी समुदाय में सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का विकास।
- किसी समूह के सदस्यों के बीच होने वाली अंतःक्रियाएँ, संबंध और समूह के विकास की प्रक्रियाएँ।
- एक समुदाय से दूसरे समुदाय में जनसंख्या का स्थानांतरण।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समूह गतिशीलता (Group Dynamics) उन प्रक्रियाओं और अंतःक्रियाओं का अध्ययन है जो समूहों के भीतर घटित होती हैं। इसमें समूह के निर्माण, संचालन, नेतृत्व, निर्णय लेने, संघर्ष प्रबंधन और समूह के सदस्यों के बीच संबंधों का विश्लेषण शामिल है।
- संदर्भ एवं विस्तार: कर्ट लेविन (Kurt Lewin) को समूह गतिशीलता के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। यह सामुदायिक विकास और सामाजिक कार्य में महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत गतिशीलता है; (b) सामाजिक मानदंडों का विकास है, न कि गतिशीलता; (d) जनसंख्या स्थानांतरण है।
प्रश्न 22: भारत में “जाति पंचायत” (Jati Panchayat) मुख्य रूप से किस प्रकार की भूमिका निभाती है?
- राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्रदान करना।
- जाति के सदस्यों के बीच सामाजिक नियंत्रण और अनुशासन बनाए रखना।
- आर्थिक विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध स्थापित करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जाति पंचायतें पारंपरिक रूप से किसी विशेष जाति या उप-जाति के भीतर सामाजिक नियंत्रण और अनुशासन बनाए रखने का कार्य करती हैं। वे जाति के सदस्यों के बीच विवादों का निपटारा करती हैं, रीति-रिवाजों का पालन सुनिश्चित करती हैं, और उल्लंघन करने वालों को दंडित भी कर सकती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: ये ग्रामीण भारत में एक महत्वपूर्ण अनौपचारिक संस्था रही हैं, जो सामाजिक व्यवस्था और पहचान को बनाए रखने में सहायक होती हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) जाति पंचायतों की प्राथमिक भूमिकाएँ नहीं हैं; उनका मुख्य कार्य आंतरिक सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना है।
प्रश्न 23: “अभिजन सिद्धांत” (Elite Theory) के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक, विल्फ्रेडो परेटो (Vilfredo Pareto), के अनुसार समाज पर किसका शासन होता है?
- जनसंख्या का विशाल बहुमत
- कुलीन वर्ग (The Elite)
- सैन्य नेतृत्व
- धार्मिक नेता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विल्फ्रेडो परेटो ने “अभिजन वर्ग के परिभ्रमण” (Circulation of Elites) का सिद्धांत दिया। उनके अनुसार, समाज में हमेशा एक छोटा, शक्तिशाली और प्रभावशाली समूह होता है जिसे ‘अभिजन’ कहा जाता है, जो समाज पर शासन करता है। इस अभिजन वर्ग में समय के साथ परिवर्तन (परिभ्रमण) होता रहता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: परेटो ने अभिजन वर्ग को दो भागों में बाँटा: शासक अभिजन (Governing Elite) और गैर-शासक अभिजन (Non-governing Elite)।
- गलत विकल्प: (a) परेटो का तर्क है कि बहुमत शासन नहीं करता; (c) और (d) अभिजन वर्ग के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन अभिजन सिद्धांत स्वयं इन समूहों के बजाय व्यापक ‘शासन करने वाले अल्पसंख्यकों’ पर केंद्रित है।
प्रश्न 24: समाजशास्त्र में “अनुसंधान की नैतिकता” (Ethics in Research) का अर्थ क्या है?
- अनुसंधान के लिए आवश्यक सभी विधियों का उपयोग करना, चाहे परिणाम कुछ भी हो।
- उत्तरदाताओं की गोपनीयता, सूचित सहमति और गरिमा का सम्मान करना।
- केवल उन विषयों पर शोध करना जो पहले से सिद्ध हो चुके हैं।
- अनुसंधान के परिणामों को छुपाना ताकि जनता भ्रमित न हो।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में नैतिकता का अर्थ है कि अनुसंधान को इस तरह से आयोजित किया जाना चाहिए जो भाग लेने वाले व्यक्तियों के अधिकारों, कल्याण और गरिमा की रक्षा करे। इसमें सूचित सहमति (informed consent), गोपनीयता (confidentiality) और गुमनामी (anonymity) का पालन करना शामिल है।
- संदर्भ एवं विस्तार: उत्तरदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि उन पर क्या शोध किया जा रहा है और वे भाग लेने या न लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
- गलत विकल्प: (a) अनैतिक हो सकता है; (c) अनुसंधान को सीमित करता है; (d) डेटा को जानबूझकर छुपाना अनैतिक है।
प्रश्न 25: भारत में “कृषि संकट” (Agrarian Crisis) से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कारक नहीं माना जाता है?
- छोटे और खंडित भू-जोत
- बाजार की अनिश्चितता और मूल्य अस्थिरता
- कृषि श्रमिकों का बढ़ता पलायन
- कुटीर उद्योगों का पुनरुद्धार
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में कृषि संकट के कारणों में छोटे और खंडित भू-जोत, बढ़ती लागत, सिंचाई सुविधाओं का अभाव, बाजार की अनिश्चितता, सरकारी नीतियों की कमियाँ, और ऋणग्रस्तता शामिल हैं। कृषि श्रमिकों का पलायन भी संकट का परिणाम या कारक हो सकता है। कुटीर उद्योगों का पुनरुद्धार (Revival of Cottage Industries) आम तौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आय के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करने के लिए एक सकारात्मक कदम है, न कि कृषि संकट का कारण।
- संदर्भ एवं विस्तार: ग्रामीण विकास और कृषि अर्थशास्त्र में, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना अक्सर संकट से निपटने की रणनीति का हिस्सा होता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी भारत में कृषि संकट के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कारक हैं।