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समाजशास्त्र की दैनिक कसरत: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक कसरत: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र के गहन अध्ययन में आज आपका स्वागत है! अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। यह 25 प्रश्नों का अनूठा सेट आपको समाज के ताने-बाने को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। चलिए, अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले चलते हैं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत समाज में संघर्ष का मुख्य स्रोत क्या है?

  1. वर्ग संघर्ष
  2. धार्मिक मतभेद
  3. राष्ट्रीय पहचान
  4. नौकरशाही का विस्तार

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज के विश्लेषण में ‘वर्ग संघर्ष’ को केंद्रीय सिद्धांत माना। उनका मानना था कि उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर समाज दो मुख्य वर्गों में बंटा होता है: पूंजीपति (Bourgeoisie) और सर्वहारा (Proletariat)। इन दोनों वर्गों के हित एक-दूसरे के विपरीत होते हैं, जिससे निरंतर संघर्ष उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मार्क्स की प्रसिद्ध कृति ‘दास कैपिटल’ और ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ में विस्तृत है। यह द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism) का मूल है।
  • अincorrect विकल्प: धार्मिक मतभेद, राष्ट्रीय पहचान और नौकरशाही का विस्तार मार्क्स के अनुसार पूंजीवाद में संघर्ष के प्राथमिक स्रोत नहीं थे, हालांकि ये अप्रत्यक्ष रूप से वर्ग संरचना को प्रभावित कर सकते थे।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की क्या विशेषता बताई है?

  1. यह व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र होता है और बाहरी दबाव डालता है।
  2. यह व्यक्तिगत अनुभव और भावनाओं पर आधारित होता है।
  3. यह हमेशा सकारात्मक और प्रगतिशील होता है।
  4. यह केवल व्यक्तिगत अभ्यासों का योग होता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति से बाहरी, बाध्यकारी और सामान्यीकृत व्यवहार, विचार और भावनाएं हैं। इनका अस्तित्व व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र होता है और ये व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में प्रस्तुत की गई है। उदाहरण के लिए, कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज, या सामाजिक संस्थाएं सामाजिक तथ्य हैं।
  • अincorrect विकल्प: सामाजिक तथ्य व्यक्तिगत अनुभव या भावनाओं पर आधारित नहीं होते (b), वे सकारात्मक या नकारात्मक दोनों हो सकते हैं (c), और वे व्यक्तिगत अभ्यासों का केवल योग मात्र नहीं, बल्कि उनसे श्रेष्ठ और भिन्न होते हैं (d)।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र की किस पद्धति पर जोर दिया?

  1. वस्तुनिष्ठ अवलोकन (Objective Observation)
  2. वर्णनात्मक (Descriptive)
  3. व्याख्यात्मक (Interpretive) या ‘फेरस्टेहेन’ (Verstehen)
  4. सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को एक ‘व्याख्यात्मक विज्ञान’ (Interpretive Science) के रूप में देखा। उन्होंने ‘फेरस्टेहेन’ (Verstehen) शब्द का प्रयोग किया, जिसका अर्थ है सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्ति द्वारा लगाए गए व्यक्तिपरक अर्थों को समझना।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद (Positivism) से भिन्न है। वेबर का मानना था कि सामाजिक घटनाओं को समझने के लिए हमें कर्ताओं के इरादों, विश्वासों और मूल्यों को जानना आवश्यक है।
  • अincorrect विकल्प: हालांकि वेबर ने अन्य विधियों का भी प्रयोग किया, उनका मुख्य जोर कर्ताओं के अर्थों को समझने पर था, जो कि वस्तुनिष्ठ अवलोकन (a) से आगे की बात है। वर्णनात्मक (b) और सांख्यिकीय विश्लेषण (d) सहायक हो सकते हैं, लेकिन वेबर के लिए केंद्रीय नहीं थे।

प्रश्न 4: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. विलियम एफ. ओगबर्न
  2. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  3. रॉबर्ट ई. पार्क
  4. अल्बर्ट बंडुरा

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उनका मानना था कि सामाजिक परिवर्तन में, भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण) अभौतिक संस्कृति (जैसे विश्वास, मूल्य, नियम, कानून) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे एक प्रकार का विचलन या विलंब उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक परिवर्तन और आधुनिकीकरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। यह बताता है कि नई प्रौद्योगिकियां समाज की स्वीकृतियों और नियमों को समायोजित करने से पहले आ जाती हैं।
  • अincorrect विकल्प: रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक प्रकार्यवाद से संबंधित थे, पार्क शहरी समाजशास्त्र से, और बंडुरा सामाजिक अधिगम सिद्धांत से।

प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सरल समाजों में सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का आधार क्या है?

  1. यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
  2. जैविक एकजुटता (Organic Solidarity)
  3. अनुबंधात्मक एकजुटता (Contractual Solidarity)
  4. पदानुक्रमित एकजुटता (Hierarchical Solidarity)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: दुर्खीम ने ‘यांत्रिक एकजुटता’ को सरल, पूर्व-आधुनिक समाजों की विशेषता बताया, जहाँ लोग समान कार्य करते हैं, समान विश्वास और मूल्य साझा करते हैं, और उनमें सामूहिक चेतना (Collective Consciousness) तीव्र होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में पाई जाती है। यांत्रिक एकजुटता का आधार ‘समरूपता’ (Sameness) है।
  • अincorrect विकल्प: जैविक एकजुटता (b) जटिल, आधुनिक समाजों की विशेषता है, जो श्रम के विभाजन और अंतर-निर्भरता पर आधारित है। अनुबंधात्मक (c) और पदानुक्रमित (d) एकजुटता के विशिष्ट प्रकार नहीं हैं जिन्हें दुर्खीम ने इस संदर्भ में परिभाषित किया है।

प्रश्न 6: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) के अनुसार, शहरी जीवन की एक प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. गहन व्यक्तिगत संबंध
  2. भावनात्मक अलगाव और उत्तेजना की अधिकता (Blasé Attitude)
  3. सामुदायिक भावना की प्रबलता
  4. धीमी गति से सामाजिक परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: सिमेल ने अपने निबंध ‘The Metropolis and Mental Life’ में तर्क दिया कि महानगरीय या शहरी जीवन व्यक्तियों को अत्यधिक संवेदी उत्तेजनाओं (stimuli) के संपर्क में लाता है। इसके प्रतिक्रिया स्वरूप, व्यक्ति अपने अनुभवों को बचाने के लिए एक ‘ब्लेस एटीट्यूड’ (Blasé Attitude) या उदासीन दृष्टिकोण विकसित कर लेते हैं, जिससे भावनात्मक अलगाव उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो शहरीकरण के व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करता है।
  • अincorrect विकल्प: शहरी जीवन अक्सर गहन व्यक्तिगत संबंधों (a) को कम करता है और सामुदायिक भावना (c) को क्षीण करता है। शहरी जीवन सामाजिक परिवर्तन को भी तीव्र करता है (d)।

प्रश्न 7: आर. के. मर्टन (Robert K. Merton) ने ‘सुप्त कार्य’ (Latent Function) की अवधारणा को कैसे परिभाषित किया?

  1. किसी सामाजिक संस्था के स्पष्ट और अभीष्ट परिणाम।
  2. किसी सामाजिक संस्था के अनपेक्षित और अचेतन परिणाम।
  3. सामाजिक संरचना में विचलन के पैटर्न।
  4. समाज में परिवर्तन का मुख्य कारण।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मर्टन ने सामाजिक संरचनाओं के कार्यों को दो श्रेणियों में बांटा: ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions), जो किसी संस्था के स्पष्ट, अभीष्ट और पहचाने जाने योग्य परिणाम होते हैं, और ‘सुप्त कार्य’ (Latent Functions), जो अनपेक्षित, अचेतन और अक्सर अज्ञात परिणाम होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मर्टन की पुस्तक ‘Social Theory and Social Structure’ में विस्तृत है। उदाहरण के लिए, कॉलेज जाने का प्रकट कार्य शिक्षा प्राप्त करना है, जबकि सुप्त कार्य आजीवन मित्र बनाना या सामाजिक नेटवर्क विकसित करना हो सकता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) प्रकट कार्य को परिभाषित करता है। (c) विचलन के पैटर्न को दर्शाता है, और (d) सामाजिक परिवर्तन के कारणों से संबंधित है, न कि कार्यों की परिभाषा से।

प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘संवर्ण’ (Savarna) शब्द किसके लिए प्रयुक्त होता है?

  1. अनुसूचित जातियां
  2. आदिवासी समूह
  3. उच्च जातियां
  4. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘संवर्ण’ उन जातियों के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें परंपरागत रूप से उच्च दर्जा प्राप्त है और जो द्विजों (Dvijas – ‘दो बार जन्मा’) की श्रेणी में आते हैं। इन्हें अक्सर ‘उच्च जातियां’ कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वर्ण व्यवस्था के संदर्भ में, ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य संवर्ण माने जाते हैं, जबकि शूद्रों को अवर्ण (Avarna) या बहिष्कृत माना जाता है।
  • अincorrect विकल्प: अनुसूचित जातियां (a) और आदिवासी समूह (b) पारंपरिक रूप से जाति व्यवस्था से बाहर माने जाते हैं या निम्न पायदान पर रखे जाते हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग (d) एक अलग श्रेणी है।

प्रश्न 9: प्रकार्यवाद (Functionalism) के अनुसार, समाज को एक व्यवस्थित इकाई के रूप में देखने का क्या अर्थ है?

  1. समाज के विभिन्न भाग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं और संतुलन बनाए रखते हैं।
  2. समाज निरंतर संघर्ष और क्रांति की स्थिति में रहता है।
  3. समाज में व्यक्तियों की भूमिकाएं पूरी तरह से व्यक्तिगत होती हैं।
  4. सामाजिक संस्थाएं केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए होती हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: प्रकार्यवाद, विशेष रूप से एमिल दुर्खीम और टैल्कॉट पार्सन्स जैसे विचारकों द्वारा विकसित, समाज को एक जीवित जीव के समान देखता है जहाँ विभिन्न अंग (संस्थाएं, संरचनाएं) एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और समाज के समग्र कामकाज और स्थिरता (संतुलन) में योगदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि प्रत्येक सामाजिक संरचना या प्रथा का एक कार्य होता है जो समाज को बनाए रखने में मदद करता है।
  • अincorrect विकल्प: (b) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का दृष्टिकोण है। (c) और (d) प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण के विपरीत व्यक्तिगत और स्वार्थी प्रेरणाओं पर जोर देते हैं।

प्रश्न 10: जी.एच. मीड (G.H. Mead) के अनुसार, ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) का विकास किस प्रक्रिया से होता है?

  1. शैशवावस्था में खेलकूद (Play)
  2. खेल (Game)
  3. भाषा का अधिग्रहण
  4. पारस्परिक क्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मीड ने सामाजिक आत्म (Social Self) के विकास में दो महत्वपूर्ण चरणों का उल्लेख किया: ‘खेल’ (Play) जहाँ बच्चा विशिष्ट व्यक्तियों (जैसे माँ, पिता) की भूमिकाएं निभाता है, और ‘खेल’ (Game) जहाँ बच्चा समूह के नियमों और अपेक्षाओं को सीखता है, और ‘अन्य’ को अपने दृष्टिकोण से देखने के बजाय, वह समूह की सामूहिक अपेक्षाओं को अपनाता है, जिसे ‘सामान्यीकृत अन्य’ कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का एक केंद्रीय सिद्धांत है, जो ‘मन, आत्म और समाज’ (Mind, Self, and Society) में विस्तृत है।
  • अincorrect विकल्प: खेल (a) केवल विशिष्ट व्यक्तियों की भूमिकाओं के अनुकरण तक सीमित है। भाषा का अधिग्रहण (c) महत्वपूर्ण है लेकिन ‘सामान्यीकृत अन्य’ के विकास के लिए खेल का चरण अधिक विशिष्ट है। पारस्परिक क्रिया (d) एक व्यापक शब्द है।

प्रश्न 11: एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द क्या दर्शाता है?

  1. उच्च जातियों द्वारा अपनी परंपराओं को बनाए रखना।
  2. निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवनशैली, रीति-रिवाजों और पूजा पद्धतियों को अपनाना।
  3. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण।
  4. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया जहाँ निम्न जातियों या समुदायों द्वारा उच्च जातियों (विशेष रूप से ‘द्विजातियों’ के प्रथा-रिवाजों) की जीवनशैली, अनुष्ठानों, विश्वासों और यहाँ तक कि खान-पान की आदतों को अपनाया जाता है, ताकि वे अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ा सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • अincorrect विकल्प: (a) संस्कृतिकरण का अर्थ निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों का अनुकरण है। (c) पश्चिमीकरण और (d) आधुनिकीकरण अलग-अलग अवधारणाएं हैं।

प्रश्न 12: समाजशास्त्र में ‘अजनबीपन’ (Alienation) की अवधारणा का श्रेय मुख्य रूप से किस विचारक को जाता है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिकों के ‘अजनबीपन’ या ‘अलगाव’ की अवधारणा को प्रमुखता से प्रस्तुत किया। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव बताए: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, अपनी प्रजाति-प्रकृति (species-nature) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में विस्तार से मिलती है। मार्क्स के अनुसार, यह अलगाव श्रमिक को उसके श्रम, उसके उत्पाद और स्वयं से दूर कर देता है।
  • अincorrect विकल्प: वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता से संबंधित अलगाव की बात की, लेकिन मार्क्स ने इसे पूंजीवाद के मूल में देखा। दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा दी, जो दिशाहीनता से संबंधित है। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा भारत में जाति व्यवस्था की एक विशेषता नहीं है?

  1. अंतर्विवाह (Endogamy)
  2. पेशागत विशिष्टता (Occupational Specialization)
  3. जातियों के बीच गतिशीलता (Mobility between castes)
  4. जातिगत पदानुक्रम (Caste Hierarchy)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था की मुख्य विशेषताओं में अंतर्विवाह (केवल अपनी जाति के भीतर विवाह), पेशागत विशिष्टता (प्रत्येक जाति का पारंपरिक व्यवसाय), और एक कठोर पदानुक्रम (ऊपर से नीचे की ओर जातियों का क्रम) शामिल हैं। जातियों के बीच गतिशीलता (Mobility) बहुत सीमित या नगण्य रही है, खासकर पारंपरिक रूप से।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि संस्कृतिकरण जैसी प्रक्रियाएं कुछ हद तक गतिशीलता का आभास दे सकती हैं, लेकिन जाति व्यवस्था की मूल प्रकृति में कठोरता और निम्न गतिशीलता प्रमुख है।
  • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं हैं, इसलिए (c) सही उत्तर है क्योंकि यह विशेषता नहीं है।

प्रश्न 14: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

  1. वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए मानक तय करना।
  2. यह समझना कि सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारक ज्ञान के निर्माण और प्रसार को कैसे प्रभावित करते हैं।
  3. व्यक्तिगत चेतना के मनोविज्ञान का अध्ययन करना।
  4. आर्थिक विकास के सिद्धांतों का विश्लेषण करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ज्ञान के समाजशास्त्र का केंद्रीय सरोकार इस बात की जांच करना है कि ज्ञान का निर्माण, प्रसार और स्वीकार्यता सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक संदर्भों से कैसे प्रभावित होती है। यह ज्ञान को एक सामाजिक उत्पाद के रूप में देखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मैनहाइम (Karl Mannheim) जैसे समाजशास्त्री इस क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं। यह सिद्धांत बताता है कि हमारे विचार और विश्वास समाज में हमारी स्थिति से जुड़े होते हैं।
  • अincorrect विकल्प: (a) वैज्ञानिक पद्धति का क्षेत्र है। (c) मनोविज्ञान का क्षेत्र है। (d) अर्थशास्त्र या सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांतों का क्षेत्र है।

प्रश्न 15: टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) के अनुसार, ‘समाज का क्रियात्मक उपागम’ (Functionalist Approach to Society) में ‘ए.जी.आई.एल.’ (AGIL) का क्या अर्थ है?

  1. अनुकूलन, लक्ष्य-प्राप्ति, एकीकरण, सामान्यीकरण (Adaptation, Goal-attainment, Integration, Latency/Pattern Maintenance)
  2. अधिकार, विकास, प्रेरणा, नेतृत्व (Authority, Growth, Motivation, Leadership)
  3. शिक्षा, अर्थव्यवस्था, प्रशासन, शिक्षा (Academics, Economy, Administration, Education)
  4. विश्लेषण, गठबंधन, कार्यान्वयन, तर्क (Analysis, Alliance, Implementation, Logic)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: पार्सन्स ने समाज को चार आवश्यक क्रियात्मक आवश्यकताओं को पूरा करना होता है: अनुकूलन (Adaptation – पर्यावरण से निपटना), लक्ष्य-प्राप्ति (Goal-attainment – सामूहिक लक्ष्यों को परिभाषित करना और प्राप्त करना), एकीकरण (Integration – विभिन्न भागों के बीच सामंजस्य), और सामान्यीकरण या पैटर्न रखरखाव (Latency/Pattern Maintenance – सामाजिक मूल्यों और मानदंडों को बनाए रखना)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मॉडल सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक मूलभूत कार्यों को समझने में मदद करता है।
  • अincorrect विकल्प: अन्य विकल्प असंगत हैं और पार्सन्स के मॉडल का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

प्रश्न 16: भारत में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा को आप किन सामाजिक पहलुओं से जोड़ेंगे?

  1. सभी धर्मों का समान सम्मान और राज्य का किसी भी धर्म के प्रति तटस्थ रहना।
  2. केवल हिंदू धर्म का राष्ट्रीय धर्म के रूप में महत्व।
  3. ईसाई धर्म को प्रमुखता देना।
  4. धर्म को पूरी तरह से सार्वजनिक जीवन से हटा देना।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता (Indian Secularism) का मॉडल पश्चिमी मॉडल से भिन्न है। यह केवल राज्य का किसी एक धर्म से अलगाव नहीं है, बल्कि यह सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान (सर्वधर्म समभाव) और राज्य द्वारा सभी धर्मों को बराबर संरक्षण देने पर जोर देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता को एक मौलिक सिद्धांत के रूप में अपनाया गया है, जिसका अर्थ है कि राज्य किसी भी विशेष धर्म को बढ़ावा नहीं देगा और सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता होगी।
  • अincorrect विकल्प: (b) और (c) धार्मिक पक्षपात को दर्शाते हैं, जो धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध है। (d) यह एक अतिवादी दृष्टिकोण है और भारतीय संदर्भ में लागू नहीं होता।

प्रश्न 17: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के अनुसार, यह क्या है?

  1. समाज में स्थिरता बनाए रखने का एक आवश्यक तंत्र।
  2. एक ऐसी व्यवस्था जो विशेषाधिकार प्राप्त समूहों द्वारा अपने प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए बनाई गई है।
  3. प्राकृतिक असमानताओं का प्रतिबिंब।
  4. सामाजिक सहयोग का परिणाम।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: संघर्ष सिद्धांतकार, जैसे मार्क्सवादी, सामाजिक स्तरीकरण को एक ऐसी व्यवस्था के रूप में देखते हैं जो समाज में शक्ति और संसाधनों पर नियंत्रण रखने वाले विशेषाधिकार प्राप्त समूहों (जैसे शासक वर्ग) द्वारा अपनी स्थिति और लाभ को बनाए रखने के लिए निर्मित की जाती है। वे इसे शोषण और असमानता का एक उपकरण मानते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि स्तरीकरण सामाजिक व्यवस्था के बजाय शक्ति, संघर्ष और असमानता पर आधारित है।
  • अincorrect विकल्प: (a) प्रकार्यात्मकता का दृष्टिकोण है। (c) यह प्राकृतिक असमानताओं को स्वीकार करता है, लेकिन संघर्ष सिद्धांत इन्हें सामाजिक-आर्थिक निर्माण मानता है। (d) सहयोग के बजाय संघर्ष पर जोर देता है।

प्रश्न 18: ‘पावर एलीट’ (Power Elite) की अवधारणा किसने दी, जिसमें समाज पर कुछ चुनिंदा और शक्तिशाली व्यक्तियों के समूह के नियंत्रण का वर्णन किया गया है?

  1. सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills)
  2. ए. टॉफलर (A. Toffler)
  3. मैनुअल कैस्टल्स (Manuel Castells)
  4. इमाइल दुर्खीम (Émile Durkheim)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: अमेरिकी समाजशास्त्री सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘The Power Elite’ (1956) में ‘पावर एलीट’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने तर्क दिया कि आधुनिक अमेरिकी समाज में, राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक क्षेत्रों के शीर्ष पर बैठे मुट्ठी भर लोग मिलकर एक शक्तिशाली अभिजात वर्ग बनाते हैं जो राष्ट्रीय निर्णयों को प्रभावित और नियंत्रित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मिल्स के अनुसार, ये अभिजात वर्ग आपस में जुड़े हुए हैं और राष्ट्रीय हितों के बजाय अपने स्वयं के हितों को साधते हैं।
  • अincorrect विकल्प: टॉफलर भविष्यवाद से, कैस्टल्स सूचना समाज से, और दुर्खीम सामाजिक व्यवस्था और एकजुटता से जुड़े हैं।

प्रश्न 19: सामाजिक अनुसंधान में ‘वैधता’ (Validity) का क्या अर्थ है?

  1. शोध के निष्कर्षों की सटीकता और सत्यता।
  2. शोध में बार-बार समान परिणाम प्राप्त करने की क्षमता।
  3. शोध की प्रक्रिया में पूर्वाग्रह की अनुपस्थिति।
  4. शोध के लिए आवश्यक धन की उपलब्धता।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: सामाजिक अनुसंधान में वैधता का तात्पर्य है कि एक शोध विधि या माप वास्तव में उसी चीज को माप रहा है जिसे मापने का इरादा है। यह शोध की सटीकता और सत्यता से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: वैधता दो प्रकार की हो सकती है: आंतरिक वैधता (Internal Validity) यह सुनिश्चित करना कि चर के बीच संबंध कारण-कार्य का है, और बाह्य वैधता (External Validity) यह सुनिश्चित करना कि निष्कर्षों को बड़ी आबादी पर लागू किया जा सके।
  • अincorrect विकल्प: (b) विश्वसनीयता (Reliability) से संबंधित है, जो बार-बार समान परिणाम देने की क्षमता है। (c) निष्पक्षता (Objectivity) से संबंधित है। (d) व्यावहारिक पहलू है।

प्रश्न 20: भारतीय समाज में ‘आदिवासी’ (Tribal) समुदायों की एक मुख्य चुनौती क्या रही है?

  1. आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाना
  2. मुख्यधारा के समाज द्वारा सांस्कृतिक और आर्थिक अलगाव
  3. भूमि और संसाधनों का अत्यधिक संरक्षण
  4. शिक्षा के उच्च स्तर

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ऐतिहासिक रूप से, भारतीय आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा के समाज, विशेष रूप से बाहरी लोगों (जैसे साहूकार, व्यापारी, सरकारी अधिकारी) द्वारा शोषण, सांस्कृतिक अलगाव और उनके पारंपरिक भूमि और संसाधनों से वंचित करने का सामना करना पड़ा है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव अक्सर उनकी विशिष्ट पहचान, भाषा और सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने में बाधा डालता है।
  • अincorrect विकल्प: आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाना (a) एक चुनौती हो सकती है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से मुख्य समस्या अलगाव और शोषण रही है। भूमि का संरक्षण (c) एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन अलगाव अधिक व्यापक है। शिक्षा का उच्च स्तर (d) अक्सर उनकी एक समस्या रही है, न कि चुनौती।

प्रश्न 21: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में ‘भूमिका’ (Role) का क्या अर्थ है?

  1. समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति।
  2. किसी पद से जुड़ी अपेक्षित व्यवहार की श्रृंखला।
  3. सामाजिक समूह का आकार।
  4. सामाजिक अंतःक्रिया की आवृत्ति।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में, ‘भूमिका’ (Role) किसी विशेष ‘स्थिति’ (Status) से जुड़े अपेक्षित व्यवहारों, कर्तव्यों और अधिकारों का एक समूह है। जब कोई व्यक्ति किसी विशेष स्थिति में होता है, तो उससे उस भूमिका के अनुसार व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक ‘पिता’ की स्थिति (Status) से जुड़ी भूमिका (Role) में बच्चों का पालन-पोषण, उनकी देखभाल करना और उन्हें शिक्षा देना शामिल हो सकता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) स्थिति (Status) का वर्णन करता है। (c) और (d) सामाजिक संरचना और अंतःक्रिया के अन्य पहलू हैं।

प्रश्न 22: एंथोनी गिडेंस (Anthony Giddens) का ‘संरचनात्मकता’ (Structuration) सिद्धांत क्या समझाने का प्रयास करता है?

  1. सामाजिक संरचनाएं व्यक्तियों को पूरी तरह से निर्धारित करती हैं।
  2. व्यक्ति सामाजिक संरचनाओं को पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से बनाते हैं।
  3. संरचनाएं और व्यक्ति एक-दूसरे को बनाने और बदलने में सक्षम हैं (Dualité de structure)।
  4. केवल आर्थिक कारक ही सामाजिक संरचनाओं को आकार देते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: गिडेंस का संरचनात्मकता सिद्धांत इस विचार को चुनौती देता है कि समाजशास्त्रीय विश्लेषण को या तो व्यक्तिवाद (methodological individualism) या समग्रतावाद (holism) के बीच चुनना चाहिए। वे ‘संरचना की द्वैतता’ (Dualité de structure) का प्रस्ताव करते हैं, जिसका अर्थ है कि सामाजिक संरचनाएं (नियम और संसाधन) मानव कर्ताओं (agency) के माध्यम से उत्पन्न और पुन: उत्पन्न होती हैं, और कर्ता भी संरचनाओं के माध्यम से ही कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत संरचना और कर्ता (structure and agency) के बीच द्वंद्वात्मक संबंध पर जोर देता है, जो न तो निर्धारितवादी है और न ही पूर्णतः स्वच्छंद।
  • अincorrect विकल्प: (a) संरचनावाद (Structuralism) का अतिवादी रूप है। (b) कर्तावाद (Agency) का अतिवादी रूप है। (d) मार्क्सवाद का अतिवादी रूप है।

प्रश्न 23: समाजशास्त्र में ‘एनॉमी’ (Anomie) की अवधारणा का संबंध किससे है?

  1. सामाजिक नियमों का अभाव या कमजोरी, जिससे समाज में दिशाहीनता उत्पन्न होती है।
  2. वर्ग संघर्ष के कारण होने वाली सामाजिक उथल-पुथल।
  3. व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक तनाव।
  4. तकनीकी प्रगति के कारण सामाजिक परिवर्तन।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनॉमी’ की अवधारणा को समझाया, जिसका अर्थ है एक ऐसी सामाजिक स्थिति जहाँ पारंपरिक सामाजिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है। यह व्यक्ति में दिशाहीनता, अनिश्चितता और अव्यवस्था की भावना पैदा करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इसे आत्महत्या (suicide) के एक प्रकार के कारण के रूप में भी पहचाना। एनॉमी अक्सर तेजी से सामाजिक परिवर्तन के समय उत्पन्न होती है, जब पुराने नियम अप्रचलित हो जाते हैं और नए अभी स्थापित नहीं हुए होते।
  • अincorrect विकल्प: (b) वर्ग संघर्ष का परिणाम है, जो एनॉमी से भिन्न है। (c) एनॉमी का परिणाम हो सकता है, लेकिन स्वयं एनॉमी सामाजिक स्थिति को दर्शाता है। (d) तकनीकी प्रगति एनॉमी का एक कारण हो सकती है, लेकिन एनॉमी स्वयं नियमों की कमजोरी है।

प्रश्न 24: पूंजीवादी समाज में ‘अलगाव’ (Alienation) के विभिन्न रूपों का उल्लेख करने वाले मार्क्स के मुख्य कार्य का नाम क्या है?

  1. ‘द सोशल कॉन्ट्रैक्ट’
  2. ‘दास कैपिटल’
  3. ‘द ​फेनोलॉजी ऑफ़ द ​स्पिरिट’
  4. ‘इकोनॉमिक एंड ​फिलोसॉफिकल ​मैनुस्क्रिप्ट्स ऑफ़ 1844’

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने अपने शुरुआती लेखन, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड ​फिलोसॉफिकल ​मैनुस्क्रिप्ट्स ऑफ़ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में पूंजीवादी उत्पादन के तहत श्रमिकों के अलगाव (Alienation) के सिद्धांत को विस्तृत रूप से प्रतिपादित किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस कृति में, उन्होंने उत्पाद, उत्पादन प्रक्रिया, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति और अन्य मनुष्यों से श्रमिक के अलगाव पर चर्चा की। ‘दास कैपिटल’ (b) में भी अलगाव का उल्लेख है, लेकिन 1844 की पांडुलिपियों में यह अधिक प्रारंभिक और गहन रूप से विश्लेषित है।
  • अincorrect विकल्प: (a) रूसो का काम है, (c) हीगल का काम है, और दोनों मार्क्स के अलगाव सिद्धांत से सीधे संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 25: समाजशास्त्र में ‘विविधता’ (Diversity) का क्या महत्व है?

  1. यह सामाजिक सामंजस्य को कम करती है।
  2. यह विभिन्न संस्कृतियों, दृष्टिकोणों और अनुभवों को समझने में मदद करती है।
  3. यह केवल सतही अंतरों को उजागर करती है।
  4. यह सामाजिक परिवर्तन को रोकती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में विविधता का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें समाज के विभिन्न समूहों (जाति, वर्ग, लिंग, धर्म, जातीयता आदि) के अनूठे अनुभवों, सांस्कृतिक प्रथाओं और दृष्टिकोणों को समझने में सक्षम बनाता है। यह अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण में सहायक है।
  • संदर्भ और विस्तार: विविधता सामाजिक जटिलता का एक स्वाभाविक हिस्सा है और समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए एक समृद्ध क्षेत्र प्रदान करती है।
  • अincorrect विकल्प: विविधता सामाजिक सामंजस्य को कम नहीं करती, बल्कि इसे विभिन्न तरीकों से प्रभावित करती है (a)। यह सतही अंतरों से कहीं अधिक गहरी होती है (c) और सामाजिक परिवर्तन को रोकती नहीं, बल्कि अक्सर प्रेरित करती है (d)।

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