समाजशास्त्र की दैनिक अग्निपरीक्षा: अपनी पकड़ को परखें!
नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्री! क्या आप अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को पैना करने और अपनी वैचारिक स्पष्टता को चुनौती देने के लिए तैयार हैं? आज की यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपको सीधे मुख्य अवधारणाओं, विचारकों और भारतीय समाज के जटिल ताने-बाने में ले जाएगी। आइए, एक-एक करके प्रश्नों को हल करें और अपनी परीक्षा की तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को किसने विस्तृत रूप से विकसित किया और इसे समाज के प्रमुख अंगों के बीच संबंधों के एक जटिल जाल के रूप में देखा?
- कार्ल मार्क्स
- डेविड ई. अप्पेलबी
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन, एक प्रमुख ब्रिटिश मानवविज्ञानी और संरचनात्मक-प्रकार्यवादी (Structural-Functionalist) विचारक थे, जिन्होंने ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को व्यवस्थित रूप से विकसित किया। उन्होंने इसे समाज के विभिन्न भागों (व्यक्तियों और समूहों) के बीच अपेक्षाकृत स्थायी संबंधों के समुच्चय के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: रेडक्लिफ-ब्राउन का मानना था कि सामाजिक संरचना समाज के सदस्यों के बीच परस्पर निर्भरता को बनाए रखती है और सामाजिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है। उनका दृष्टिकोण सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता पर जोर देता था।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और आर्थिक संरचना पर था। डेविड ई. अप्पेलबी एक इतिहासकार थे जिनके समाजशास्त्र में योगदान अलग थे। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और नौकरशाही जैसी अवधारणाओं पर जोर दिया, न कि सामाजिक संरचना पर रेडक्लिफ-ब्राउन जैसे व्यवस्थित जोर के साथ।
प्रश्न 2: ‘अमीनो’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और मानदंडों की कमी की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से सबसे घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अमीनो’ (Anomie) की अवधारणा को अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में विस्तृत रूप से समझाया। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज के सदस्यों के बीच सामान्य सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का अभाव होता है, जिससे दिशाहीनता और अलगाव की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, समाज में तीव्र परिवर्तन (जैसे औद्योगिकीकरण) या श्रम विभाजन के अत्यधिक विशेषीकरण से अमीनो उत्पन्न हो सकती है। यह आत्महत्या के कारणों में से एक के रूप में भी देखी गई।
- अincorrect विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) और ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) जैसी अवधारणाएँ दीं। कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) और ‘वर्ग संघर्ष’ पर ध्यान केंद्रित किया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए ‘जैविक विकासवाद’ (Social Darwinism) के विचारों को लागू किया।
प्रश्न 3: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘धर्म’ की अवधारणा के अनुसार, किसी व्यक्ति के पेशे और सामाजिक स्थिति का निर्धारण जन्म से होता है। यह किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया है?
- एम. एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- जी. एस. घुरिये
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जी. एस. घुरिये, भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन में एक प्रमुख नाम हैं। उन्होंने अपनी कई रचनाओं में यह बताया कि भारतीय समाज में जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है, जो व्यक्ति के पेशे, सामाजिक स्थिति और विवाह को भी निर्धारित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: घुरिये ने जाति के छः प्रमुख लक्षण बताए थे, जिनमें से एक जन्म से सदस्यता और संलग्नता है। उन्होंने जाति को भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता माना।
- अincorrect विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा दी। इरावती कर्वे ने नातेदारी और दक्षिण एशिया के लोगों के मानव विज्ञान पर काम किया। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने जाति के उन्मूलन और समानता की वकालत की, लेकिन ‘धर्म’ की अवधारणा के अनुसार जन्म-आधारित पेशे को विश्लेषण का बिंदु बनाया, न कि उसका प्रतिपादन किया।
प्रश्न 4: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में, ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर होता है?
- समग्र सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण
- व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय सामाजिक अंतःक्रियाओं और प्रतीकों का अर्थ
- सामाजिक संस्थानों का प्रकार्य (Function)
- वर्ग संघर्ष के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और अर्ल्विंग गोफमैन जैसे विचारकों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य है। यह इस बात पर केंद्रित है कि लोग प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव, वस्तुएँ) के माध्यम से कैसे संवाद करते हैं और इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से वे अपने स्वयं के अर्थों और वास्तविकताओं का निर्माण कैसे करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि समाज व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं का परिणाम है, और इन अंतःक्रियाओं में प्रतीक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) समग्र सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण मुख्य रूप से संरचनात्मक प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद से जुड़ा है। (c) सामाजिक संस्थानों का प्रकार्य संरचनात्मक प्रकार्यवाद का केंद्र बिंदु है। (d) वर्ग संघर्ष मार्क्सवाद की मुख्य अवधारणा है।
प्रश्न 5: ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा, जिसे एम. एन. श्रीनिवास ने प्रतिपादित किया, भारतीय समाज में किस प्रकार की गतिशीलता को दर्शाती है?
- राजनीतिक गतिशीलता
- आर्थिक गतिशीलता
- सामाजिक-सांस्कृतिक गतिशीलता
- शैक्षिक गतिशीलता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को समझाते हुए कहा कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें निम्न या मध्य जातियाँ उच्च, अक्सर ‘द्विज’ (twice-born) जातियों के अनुष्ठानों, अनुष्ठानों, मान्यताओं और जीवन शैली को अपनाती हैं ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठा सकें। यह सामाजिक-सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया केवल अनुकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक स्थिति में बदलाव का प्रयास भी शामिल है। यह भारत में जातिगत पदानुक्रम के भीतर सामाजिक गतिशीलता का एक प्रमुख तंत्र रहा है।
- अincorrect विकल्प: यह सीधे तौर पर राजनीतिक, आर्थिक या केवल शैक्षिक गतिशीलता से संबंधित नहीं है, बल्कि इन सबसे ऊपर एक सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रिया है जो सामाजिक स्थिति को प्रभावित करती है।
प्रश्न 6: मैक्स वेबर ने किस शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया जिसके द्वारा तर्कसंगतता, दक्षता और मानकीकरण आधुनिक समाजों की विशेषता बन गए?
- पूंजीवाद (Capitalism)
- नौकरशाही (Bureaucracy)
- जादुई विवेक का ह्रास (Disenchantment of the world)
- तर्कसंगत-कानूनी प्राधिकार (Rational-legal authority)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘जादुई विवेक का ह्रास’ (Disenchantment of the world) या ‘विविधता का ह्रास’ (Disenchantment) शब्द का प्रयोग पश्चिमी समाजों में तर्कसंगतता (rationality) और वैज्ञानिक सोच के बढ़ते प्रभुत्व के कारण धार्मिक और जादुई विश्वासों के पतन को समझाने के लिए किया। इसी के साथ तर्कसंगत-कानूनी प्राधिकार और नौकरशाही का उदय हुआ, जो दक्षता और मानकीकरण पर आधारित थे।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आधुनिक समाज में, तर्कसंगतता के विस्तार ने दुनिया को ‘जादुई’ या अलौकिक व्याख्याओं से मुक्त कर दिया, जिससे जीवन अधिक ‘गंभीर’ और ‘तर्कसंगत’ हो गया।
- अincorrect विकल्प: पूंजीवाद एक आर्थिक व्यवस्था है। नौकरशाही शासन की एक विधि है। तर्कसंगत-कानूनी प्राधिकार एक प्रकार का अधिकार है। जबकि ये तीनों वेबर के कार्यों के लिए केंद्रीय हैं, ‘जादुई विवेक का ह्रास’ वह व्यापक प्रक्रिया है जो इन सबको समाहित करती है।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘किनशिप’ (Kinship) व्यवस्था, विशेष रूप से पितृवंशीय (Patrilineal) समाजों में, किस प्रकार की वंशरेखा पर आधारित होती है?
- माता की वंशरेखा
- पिता की वंशरेखा
- माता और पिता दोनों की वंशरेखा (Bilaterals)
- कोई निश्चित वंशरेखा नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: पितृवंशीय (Patrilineal) किनशिप व्यवस्था वह है जहाँ वंश, संपत्ति और उपाधि पिता से पुत्र तक, यानी पिता की वंशरेखा के माध्यम से संचालित होती है। भारत के अधिकांश पारंपरिक समाजों में यही व्यवस्था प्रचलित है।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था में, बच्चे को अपने पिता की जाति, कुल और संपत्ति का अधिकार मिलता है। परिवार का मुखिया भी पिता या सबसे बड़ा पुरुष सदस्य होता है।
- अincorrect विकल्प: (a) मातृवंशीय (Matrilineal) व्यवस्था में वंश माता से संतान तक जाता है। (c) द्विपक्षीय (Bilateral) व्यवस्था में दोनों पक्षों की वंशावली को समान महत्व दिया जाता है, जो पश्चिमी समाजों में अधिक आम है। (d) भारतीय समाज में नातेदारी व्यवस्था अत्यधिक व्यवस्थित और नियमबद्ध होती है।
प्रश्न 8: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘मात्रात्मक अनुसंधान’ (Quantitative Research) का मुख्य उपकरण क्या है?
- साक्षात्कार (Interviews)
- भागिदार अवलोकन (Participant Observation)
- सर्वेक्षण और सांख्यिकीय विश्लेषण (Surveys and Statistical Analysis)
- सांस्कृतिक वस्तुनिष्ठता (Cultural Artifacts)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मात्रात्मक अनुसंधान में, उद्देश्य चर (variables) के बीच संबंधों का मापन करना और सामान्यीकरण (generalization) करना होता है। इसके लिए सर्वेक्षण (जैसे प्रश्नावली) और आँकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण सबसे सामान्य उपकरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें बड़ी संख्या में लोगों से डेटा एकत्र किया जाता है ताकि पैटर्न और प्रवृत्तियों की पहचान की जा सके। निष्कर्षों को अक्सर सांख्यिकीय रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
- अincorrect विकल्प: साक्षात्कार और भागिदार अवलोकन गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) के मुख्य उपकरण हैं, जो गहराई से समझ विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। सांस्कृतिक वस्तुनिष्ठता (जैसे कलाकृतियाँ, दस्तावेज) भी गुणात्मक अनुसंधान का हिस्सा हो सकती है।
प्रश्न 9: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकार्यों’ (Functions) को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया: वे जो स्पष्ट और प्रत्यक्ष होते हैं, और वे जो अनपेक्षित और छुपे हुए होते हैं। इन श्रेणियों के नाम क्या हैं?
- स्पष्ट प्रकार्य (Manifest Functions) और अव्यक्त प्रकार्य (Latent Functions)
- प्रारंभिक प्रकार्य (Primary Functions) और द्वितीयक प्रकार्य (Secondary Functions)
- रचनात्मक प्रकार्य (Constructive Functions) और विनाशकारी प्रकार्य (Destructive Functions)
- प्रत्यक्ष प्रकार्य (Direct Functions) और अप्रत्यक्ष प्रकार्य (Indirect Functions)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यों को ‘स्पष्ट प्रकार्य’ (Manifest Functions) – जो किसी सामाजिक संस्था या क्रिया के उद्देश्यपूर्ण और मान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं, और ‘अव्यक्त प्रकार्य’ (Latent Functions) – जो अनपेक्षित, गैर-इरादतन और अक्सर छुपे हुए परिणाम होते हैं, में विभाजित किया।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का स्पष्ट प्रकार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि अव्यक्त प्रकार्य नए दोस्त बनाना या करियर के अवसर पैदा करना हो सकता है। उन्होंने ‘प्रकारीय विचलन’ (Functional Deviance) या ‘कुप्रकार्यों’ (Dysfunctions) की भी बात की, जो समाज के लिए नकारात्मक परिणाम होते हैं।
- अincorrect विकल्प: अन्य विकल्प प्रकार्यों के विभाजन के मर्टन के सटीक शब्दावली से मेल नहीं खाते।
प्रश्न 10: भारत में, ‘जाति व्यवस्था‘ की एक प्रमुख विशेषता ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) है। इसका क्या अर्थ है?
- किसी व्यक्ति को अपनी जाति से बाहर विवाह करने की स्वतंत्रता
- किसी व्यक्ति का केवल अपनी जाति या उप-जाति के भीतर ही विवाह करना
- विभिन्न जातियों के बीच विवाह को प्रोत्साहन
- बिना किसी सामाजिक बंधन के विवाह
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: अंतर्विवाह (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी सामाजिक समूह (जाति, उप-जाति, धर्म, जनजाति) के भीतर ही विवाह करना होता है। यह भारतीय जाति व्यवस्था की एक अत्यंत महत्वपूर्ण और बाध्यकारी विशेषता रही है।
- संदर्भ और विस्तार: इस नियम का पालन करने से जातियों की शुद्धता बनी रहती है और पदानुक्रम भी सुदृढ़ होता है। इससे प्रत्येक जाति के सदस्य आपस में ही वैवाहिक संबंध स्थापित करते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है अपने समूह से बाहर विवाह करना, जो भारत में गोत्र (gotra) या ग्राम (village) के स्तर पर लागू होता है, जाति के स्तर पर नहीं। (c) विभिन्न जातियों के बीच विवाह (अंतरजातीय विवाह) को पारंपरिक रूप से हतोत्साहित किया जाता रहा है। (d) यह एक पूरी तरह से अनियंत्रित स्थिति होगी जो जाति व्यवस्था के विपरीत है।
प्रश्न 11: एमिल दुर्खीम ने समाज को एक ‘जैविक’ के समान माना, जहाँ प्रत्येक अंग (सामाजिक संस्थाएं) समाज के अस्तित्व के लिए एक विशिष्ट ‘प्रकार्य’ (Function) का निर्वहन करता है। यह किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत से संबंधित है?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
- तर्कसंगत विकल्प सिद्धांत
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम को संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने समाज को एक जटिल तंत्र के रूप में देखा, जिसके विभिन्न अंग (जैसे धर्म, शिक्षा, परिवार) समग्र रूप से समाज को बनाए रखने के लिए कार्य करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा दी, जिन्हें समाज की संरचनात्मक विशेषताओं के रूप में देखा जा सकता है जो व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं। उनके लिए, सामाजिक तथ्य समाज की व्यवस्था और एकीकरण (integration) बनाए रखने में मदद करते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। (c) द्वंद्वात्मक भौतिकवाद कार्ल मार्क्स के सिद्धांत का हिस्सा है। (d) तर्कसंगत विकल्प सिद्धांत अर्थशास्त्र में अधिक प्रयोग होता है।
प्रश्न 12: इरावती कर्वे ने भारतीय समाज को किन आधारों पर वर्गीकृत किया, विशेष रूप से उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के बीच अंतर करते हुए?
- आर्थिक विकास के स्तर
- जाति पदानुक्रम और विवाह नियम
- राजनीतिक संरचना
- धार्मिक आचरण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इरावती कर्वे, एक प्रसिद्ध मानवविज्ञानी, ने अपनी पुस्तक “Hindu Society: An Interpretation” में भारतीय समाज के क्षेत्रीय विभाजन का विश्लेषण करते हुए मुख्य रूप से विवाह नियमों (जैसे कि विवाह के लिए गोत्र या गांव का नियम) और जाति पदानुक्रम के बीच भिन्नताओं को आधार बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने दिखाया कि ये मानदंड भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कैसे भिन्न होते हैं, जिससे एक प्रकार का सांस्कृतिक और सामाजिक-संबंधी विभाजन होता है।
- अincorrect विकल्प: जबकि आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक कारक भी क्षेत्रीय भिन्नता में भूमिका निभाते हैं, कर्वे का मुख्य ध्यान नातेदारी, विवाह और जाति पर था।
प्रश्न 13: समाजशास्त्र में, ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) की प्रक्रिया को समझने के लिए कौन सा सिद्धांत सामाजिक संरचनाओं में अंतर्निहित तनावों और संघर्षों पर प्रकाश डालता है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- द्वंद्वात्मक समाजशास्त्र (Conflict Sociology)
- तर्कसंगत विकल्प सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: द्वंद्वात्मक समाजशास्त्र (Conflict Sociology), विशेष रूप से कार्ल मार्क्स के विचारों से प्रभावित, इस बात पर जोर देता है कि समाज में विभिन्न समूहों (जैसे वर्ग) के बीच शक्ति, संसाधनों और हितों के संघर्ष से सामाजिक परिवर्तन होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह संघर्ष सामाजिक व्यवस्था को लगातार बाधित करता है और अंततः क्रांतिकारी परिवर्तनों की ओर ले जाता है। अन्य द्वंद्वात्मक सिद्धांतकार भी संघर्ष को सामाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण चालक मानते हैं।
- अincorrect विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद स्थिरता और एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है। तर्कसंगत विकल्प सिद्धांत व्यक्तिगत निर्णयों पर केंद्रित है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अर्थों पर केंद्रित है।
प्रश्न 14: ‘व्यक्ति-केंद्रित‘ (Individualistic) उपागम के विपरीत, समाजशास्त्र अक्सर ‘सामाजिक तथ्य‘ (Social Facts) का अध्ययन करता है, जैसा कि एमिल दुर्खीम ने प्रस्तावित किया था। सामाजिक तथ्य क्या हैं?
- व्यक्तियों के व्यक्तिगत विचार और भावनाएँ
- समाज पर हावी होने वाले बाह्य और बाध्यकारी सामाजिक पैटर्न
- सांस्कृतिक वस्तुएँ और कलाकृतियाँ
- व्यक्तिगत अनुभव और अर्थ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य समाज पर हावी होने वाले व्यवहार के ऐसे तरीके, विचार और भावनाएँ हैं जो बाहरी और व्यक्ति से स्वतंत्र होते हैं, और जो व्यक्तियों पर एक बाध्यकारी शक्ति का प्रयोग करते हैं। वे समाज की संरचना का हिस्सा हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, कानून, रीति-रिवाज, नैतिकता, और सामाजिक संस्थाएं सभी सामाजिक तथ्य हैं। दुर्खीम का तर्क था कि समाजशास्त्र को इन सामाजिक तथ्यों का वस्तुनिष्ठ रूप से अध्ययन करना चाहिए, जैसे कि वे ‘वस्तुओं’ हों।
- अincorrect विकल्प: (a), (c) और (d) में बताए गए तत्व सामाजिक तथ्यों की बाहरी और बाध्यकारी प्रकृति से मेल नहीं खाते, या वे स्वयं सामाजिक तथ्यों के परिणाम हो सकते हैं।
प्रश्न 15: भारत में ‘आधुनिकता‘ (Modernity) की प्रक्रिया में प्रमुख परिवर्तन क्या देखे गए हैं?
- पारंपरिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
- ग्राम-आधारित समुदायों की प्रमुखता
- तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षीकरण और शहरीकरण का उदय
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आधुनिकता एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें तर्कसंगतता (जैसे नौकरशाही, वैज्ञानिक सोच), धर्मनिरपेक्षीकरण (धार्मिक प्रभाव में कमी), और शहरीकरण (ग्रामीण से शहरी जीवन की ओर स्थानांतरण) जैसी विशेषताएँ शामिल हैं। भारत में भी ये परिवर्तन देखे गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगिकीकरण, शिक्षा का प्रसार और संचार माध्यमों के विकास ने पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं और विश्वासों को चुनौती दी है, जिससे आधुनिकता की ओर झुकाव बढ़ा है।
- अincorrect विकल्प: आधुनिकता पारंपरिक संस्थाओं को कमजोर करती है, शहरीकरण ग्राम-आधारित जीवन पर हावी होता है, और हालांकि जाति व्यवस्था को चुनौती मिली है, इसका पूर्ण उन्मूलन अभी नहीं हुआ है।
प्रश्न 16: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘स्व’ (Self) के विकास की किस प्रक्रिया को समझाया, जिसमें व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाना सीखता है?
- संस्कृति ग्रहण (Acculturation)
- सामाजिकरण (Socialization)
- भूमिका ग्रहण (Role Taking)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रिया
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मीड ने ‘भूमिका ग्रहण’ (Role Taking) की प्रक्रिया का वर्णन किया, जिसमें बच्चे अपने माता-पिता, शिक्षकों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों (Significant Others) की भूमिकाओं को निभाना सीखते हैं। यह ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ‘स्व’ (Self) का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की अवधारणा भी दी, जो समाज के सामान्य दृष्टिकोणों और अपेक्षाओं का प्रतीक है। यह सब प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का हिस्सा है।
- अincorrect विकल्प: (a) संस्कृति ग्रहण एक संस्कृति के तत्वों को दूसरी संस्कृति में अपनाना है। (b) सामाजिकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें भूमिका ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटक है। (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक व्यापक सिद्धांत है, जबकि भूमिका ग्रहण ‘स्व’ के विकास की एक विशिष्ट प्रक्रिया है।
प्रश्न 17: ‘प्रच्छन्न (छुपे हुए) उपदेश‘ (Latent Curriculum) शब्द का संबंध शिक्षा के किस पहलू से है?
- स्कूलों द्वारा स्थापित औपचारिक पाठ्यक्रम
- छात्रों के व्यवहार और सामाजिक मानदंडों को आकार देने वाली अनौपचारिक शिक्षा
- स्कूलों का भौतिक बुनियादी ढाँचा
- शैक्षिक नीतियों का निर्माण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रच्छन्न उपदेश (Latent Curriculum) से तात्पर्य उन अनौपचारिक शिक्षाओं और मूल्यों से है जो छात्र स्कूल में भाग लेते समय प्राप्त करते हैं, जैसे कि अनुशासन, अनुरूपता, अधिकार का सम्मान, और सामाजिक कौशल। यह औपचारिक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, यह शिक्षा प्रणाली को सामाजिक नियंत्रण और सामाजिक सामंजस्य बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में देखता है।
- अincorrect विकल्प: (a) औपचारिक पाठ्यक्रम वह है जो पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण योजनाओं में निर्धारित होता है। (c) और (d) शिक्षा के भौतिक और नीतिगत पहलुओं से संबंधित हैं।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक विश्लेषण‘ (Social Analysis) में ‘समूह’ (Group) को परिभाषित करने के लिए क्या आवश्यक है?
- समान पृष्ठभूमि वाले लोग
- समान रुचियों वाले लोग
- आपसी जागरूकता, अंतःक्रिया और सामान्य उद्देश्य/पहचान वाले लोगों का संग्रह
- एक ही स्थान पर रहने वाले लोग
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, एक समूह को लोगों के ऐसे संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनमें आपसी जागरूकता होती है, वे एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं, और उनका एक सामान्य उद्देश्य या पहचान होती है। केवल समान रुचियाँ या समान स्थान होने से समूह नहीं बनता।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, क्रिकेट देखने वाले लोग (समान रुचि) एक समूह नहीं हैं जब तक कि वे आपस में संवाद न करें और एक साझा पहचान न बनाएं (जैसे ‘समर्थक’)। परिवार, दोस्ती समूह, या खेल टीमें वास्तविक समूह हैं।
- अincorrect विकल्प: (a), (b) और (d) समूह निर्माण के लिए पर्याप्त या आवश्यक शर्तें नहीं हैं।
प्रश्न 19: ‘सर्वहारा‘ (Proletariat) और ‘बुर्जुआ’ (Bourgeoisie) की अवधारणाएं किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत का मूल हैं?
- प्रकार्यवादी सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (मार्क्सवाद)
- सामाजिक विनिमय सिद्धांत
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग, जो उत्पादन के साधनों के मालिक होते हैं) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग, जो अपनी श्रम शक्ति बेचते हैं)। यह द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (मार्क्सवाद) का केंद्रीय विचार है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, इन दोनों वर्गों के बीच का संघर्ष पूंजीवादी व्यवस्था को चलाता है और अंततः एक वर्गहीन समाज की ओर ले जाता है।
- अincorrect विकल्प: (a) प्रकार्यवाद स्थिरता पर जोर देता है। (b) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अर्थों पर केंद्रित है। (d) सामाजिक विनिमय सिद्धांत लाभ-लागत विश्लेषण पर आधारित है।
प्रश्न 20: ‘सामाजिक विचलन‘ (Social Deviation) को अक्सर सामाजिक मानदंडों से विचलन के रूप में परिभाषित किया जाता है। ‘बाइंडिंग समाज‘ (Bonding Society) के समाजशास्त्रीय संदर्भ में, इसका क्या अर्थ हो सकता है?
- विचलन को बढ़ावा देना
- विचलन का दमन करना
- विचलन को स्वीकार करना और उसका जश्न मनाना
- विचलन का कोई प्रभाव न होना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘बाइंडिंग समाज’ (Bonding Society) एक ऐसा समाज है जो अपने सदस्यों को सामाजिक मानदंडों और अपेक्षाओं के माध्यम से एक साथ बांधता है। ऐसे समाज में, विचलन को अक्सर खतरे के रूप में देखा जाता है जो सामाजिक एकता को कमजोर कर सकता है, और इसलिए इसे नियंत्रित या दबाया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम जैसे समाजशास्त्री मानते थे कि विचलन (अपराध सहित) सामाजिक मानदंडों को स्पष्ट करने और सामूहिक चेतना को सुदृढ़ करने में एक प्रकार का ‘प्रकार्य’ (function) भी निभा सकता है, लेकिन इसका मुख्य प्रभाव समाज को मानदंडों के प्रति अधिक सचेत करना और उन्हें लागू करना होता है।
- अincorrect विकल्प: विचलन को बढ़ावा देना या जश्न मनाना ऐसे समाज की प्रकृति के विपरीत होगा जो बंधन पर जोर देता है। विचलन का कोई प्रभाव न होना संभव नहीं है।
प्रश्न 21: “शहरीकरण” (Urbanization) की प्रक्रिया से संबंधित एक महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या क्या है?
- पारंपरिक सामुदायिक बंधन मजबूत होना
- जनसंख्या का ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित होना
- असुरक्षा, भीड़भाड़ और मलिन बस्तियों का निर्माण
- पारंपरिक सामाजिक नियंत्रण का बढ़ना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: शहरीकरण, यानी ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर लोगों के प्रवास की प्रक्रिया, अक्सर शहरों में तेजी से जनसंख्या वृद्धि की ओर ले जाती है। इसके परिणामस्वरूप आवास की कमी, भीड़भाड़, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और मलिन बस्तियों का निर्माण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनियंत्रित शहरीकरण से सामाजिक तनाव, अपराध दर में वृद्धि और पर्यावरणीय समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।
- अincorrect विकल्प: शहरीकरण पारंपरिक सामुदायिक बंधनों को कमजोर करता है, जनसंख्या को शहरों की ओर केंद्रित करता है, और पारंपरिक सामाजिक नियंत्रण में कमी आती है।
प्रश्न 22: “सामाजिक जीवन” (Social Life) को व्यवस्थित करने में ‘सामाजिक संस्थाएं‘ (Social Institutions) की क्या भूमिका है?
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करना
- समाज के मूल कार्यों को पूरा करने के लिए संरचित और स्थायी तरीके प्रदान करना
- लोगों के बीच यादृच्छिक अंतःक्रिया को बढ़ावा देना
- सामाजिक नियंत्रण को समाप्त करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक संस्थाएं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था, राजनीति) समाज के मुख्य कार्यों (जैसे प्रजनन, समाजीकरण, व्यवस्था बनाए रखना) को पूरा करने के लिए स्थापित, संरचित और स्थायी प्रणालियाँ हैं। ये सामाजिक जीवन को व्यवस्थित और अनुमानित बनाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएं सामाजिक व्यवस्था, एकीकरण और निरंतरता के लिए आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, परिवार बच्चों के समाजीकरण का कार्य करता है, और शिक्षा ज्ञान और कौशल प्रदान करती है।
- अincorrect विकल्प: संस्थाएं व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित कर सकती हैं, लेकिन उनका मुख्य कार्य समाज के लिए आवश्यक कार्यों को पूरा करना है। वे यादृच्छिक अंतःक्रिया को नहीं, बल्कि संरचित अंतःक्रिया को बढ़ावा देती हैं, और सामाजिक नियंत्रण को बढ़ाती हैं, समाप्त नहीं करतीं।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक संरचना‘ (Social Structure) और ‘सामाजिक संस्कृति’ (Social Culture) के बीच संबंध को समझने के लिए ‘डेमेंट‘ (Element) या ‘अवयव’ (Component) का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है?
- अवयव संस्कृति का निर्माण करते हैं, संरचना का नहीं।
- अवयव संरचना का निर्माण करते हैं, संस्कृति का नहीं।
- अवयव (जैसे मानदंड, मूल्य, भूमिकाएँ, संस्थाएं) संरचना और संस्कृति दोनों के निर्माण खंड हैं।
- अवयव सामाजिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार होते हैं, संरचना या संस्कृति के लिए नहीं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक संरचना और सामाजिक संस्कृति दोनों ही विभिन्न अवयवों या घटकों (components) से मिलकर बनते हैं। इन अवयवों में सामाजिक मानदंड, मूल्य, विश्वास, भूमिकाएँ, संस्थाएं, और प्रतीक शामिल हैं। ये अवयव एक ओर समाज की संरचना (लोगों के बीच संबंध) को परिभाषित करते हैं, और दूसरी ओर संस्कृति (जीवन जीने का तरीका) को भी।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, ‘विवाह’ एक संस्था (संरचना का हिस्सा) है, लेकिन विवाह से जुड़े रीति-रिवाज, अपेक्षाएँ और मूल्य संस्कृति का हिस्सा हैं, जो दोनों को प्रभावित करते हैं।
- अincorrect विकल्प: अवयव संरचना और संस्कृति दोनों के लिए आवश्यक हैं। वे केवल एक के लिए जिम्मेदार नहीं होते।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक संगठन‘ (Social Organization) के संबंध में, ‘सामाजिक प्रक्रियाएं‘ (Social Processes) क्या भूमिका निभाती हैं?
- वे सामाजिक संगठन को बाधित करती हैं
- वे समाज को स्थिर रखती हैं
- वे व्यक्तियों के बीच अंतःक्रिया को सुगम बनाती हैं और संगठन को गतिशीलता प्रदान करती हैं
- वे केवल संघर्ष को जन्म देती हैं
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक प्रक्रियाएं (जैसे सहयोग, प्रतिस्पर्धा, संघर्ष, आत्मसात्करण, समायोजन) वे तरीके हैं जिनसे लोग और समूह एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं। ये प्रक्रियाएं न केवल समाज के संगठन को बनाए रखने में मदद करती हैं, बल्कि उसमें गतिशीलता भी लाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, सहयोग सामाजिक संगठन को मजबूत करता है, जबकि प्रतिस्पर्धा और संघर्ष परिवर्तन के उत्प्रेरक हो सकते हैं। ये सभी समाज की गतिशील प्रकृति का हिस्सा हैं।
- अincorrect विकल्प: ये प्रक्रियाएं समाज को पूरी तरह से स्थिर नहीं रखतीं, न ही वे केवल बाधा डालती हैं या संघर्ष को जन्म देती हैं। वे अंतःक्रिया को सुगम बनाती हैं और संगठन को बदलती रहती हैं।
प्रश्न 25: “सामाजिक मूल्य मापन” (Social Value Measurement) में, ‘सामाजिक सूचकांक‘ (Social Index) का क्या महत्व है?
- यह केवल व्यक्तिगत प्राथमिकताओं को मापता है।
- यह विभिन्न सामाजिक चर (variables) को एक समग्र माप में एकीकृत करता है।
- यह केवल गुणात्मक डेटा का विश्लेषण करता है।
- यह सामाजिक संरचना के बजाय व्यक्तिगत व्यवहार पर केंद्रित होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक सूचकांक (Social Index) का उपयोग विभिन्न सामाजिक चरों (जैसे आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा) को मिलाकर किसी समाज या उसके उप-समूहों की समग्र सामाजिक स्थिति या कल्याण का एक एकीकृत माप प्रदान करने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये सूचकांक सामाजिक प्रगति, विकास और असमानताओं का विश्लेषण करने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, मानव विकास सूचकांक (HDI)।
- अincorrect विकल्प: यह केवल व्यक्तिगत प्राथमिकताओं या केवल गुणात्मक डेटा को नहीं मापता, और इसका दायरा व्यक्तिगत व्यवहार से कहीं अधिक व्यापक होता है।