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समाजशास्त्र की दैनिक अग्निपरीक्षा: 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों से अपनी समझ को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक अग्निपरीक्षा: 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों से अपनी समझ को परखें!

नमस्कार, युवा समाजशास्त्रियों! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को धार देने के लिए तैयार हो जाइए। हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 चुनिंदा बहुविकल्पीय प्रश्न, जो सीधे आपकी परीक्षा की तैयारी को मजबूत करेंगे। अपनी गति और सटीकता का परीक्षण करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र का मुख्य विषय माना?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. इमाइल दुर्खीम
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा दी। उन्होंने इसे सामाजिक जीवन के अध्ययन की मुख्य इकाई माना।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक होते हैं, जो व्यक्ति पर सामाजिक नियंत्रण का कार्य करते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) जैसी अवधारणाओं पर जोर दिया।

प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सा कथन ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के संदर्भ में सबसे उपयुक्त है?

  1. समाज में सत्ता और विशेषाधिकार कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में केंद्रित होते हैं।
  2. समाज में सत्ता का वितरण समान होता है।
  3. समाज में सत्ता का वितरण पूरी तरह से यादृच्छिक (random) होता है।
  4. सत्ता का वितरण वर्ग संघर्ष पर आधारित होता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: अभिजन सिद्धांतकारों जैसे गैैटानो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो और सी. राइट मिल्स का मानना है कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, सत्ता और विशेषाधिकार का एक छोटा, शासक वर्ग (अभिजन) के हाथों में केंद्रित होना स्वाभाविक है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि समाज में हमेशा एक शासक और एक शासित वर्ग होता है, और शासक वर्ग की अपनी योग्यताएँ और कारण होते हैं जिनकी वजह से वे सत्ता पर काबिज होते हैं। सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘द पावर एलिट’ में अमेरिकी समाज के संदर्भ में इस विचार को प्रतिपादित किया।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) अभिजन सिद्धांत के विपरीत हैं। विकल्प (d) मार्क्सवादी दृष्टिकोण के अधिक करीब है, जो वर्ग संघर्ष को सत्ता के वितरण का मुख्य कारण मानता है, न कि कुछ चुनिंदा लोगों के स्वाभाविक प्रभुत्व को।

प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. उच्च जातियों की प्रथाओं, रीति-रिवाजों और विश्वासों को अपनाकर सामाजिक स्थिति में सुधार करना
  3. औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरीकरण की प्रक्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतीकरण’ की अवधारणा को समझाया कि निम्न जातियों द्वारा उच्च, विशेष रूप से द्विजातीय (twice-born) जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों, पूजा पद्धतियों और सामाजिक व्यवहारों को अपनाना, ताकि वे जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में देखी जाती है। यह उनके कार्य ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रमुखता से वर्णित है।
  • गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण (Westernization) का अर्थ है पश्चिमी संस्कृति के तत्वों को अपनाना। (c) और (d) सामाजिक परिवर्तन की अन्य प्रक्रियाएं हैं जिनका संसारीकरण से सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) का अर्थ क्या है?

  1. सामाजिक घटनाओं का मात्रात्मक विश्लेषण
  2. सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तिपरक अर्थ को समझना
  3. सार्वभौमिक सामाजिक नियमों की खोज
  4. सामाजिक संरचनाओं का कार्यात्मक विश्लेषण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘वेरस्टेहेन’ जर्मन शब्द है जिसका अर्थ है ‘समझना’। मैक्स वेबर के लिए, समाजशास्त्र का उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थ को समझना था, यानी कर्ता (actor) जो अर्थ जोड़ रहा है, उसे जानना।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) की आधारशिला है। वेबर का मानना था कि सामाजिक वैज्ञानिक को मानव व्यवहार के पीछे छिपे इरादों, विश्वासों और मूल्यों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
  • गलत विकल्प: (a) मात्रात्मक विश्लेषण सकारात्मकतावाद (Positivism) से जुड़ा है। (c) सार्वभौमिक नियमों की खोज दुर्खीम जैसे समाजशास्त्रियों का लक्ष्य था। (d) कार्यात्मक विश्लेषण दुर्खीम और पार्सन्स से अधिक संबंधित है।

प्रश्न 5: निम्नांकित में से कौन सी पुस्तक रॉबर्ट ई. पार्क (Robert E. Park) से संबंधित है?

  1. The Polish Peasant in Europe and America
  2. The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism
  3. The City
  4. The Interpretation of Dreams

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘The City’ (1925) शिकागो स्कूल के एक प्रमुख सदस्य रॉबर्ट ई. पार्क के सह-लिखित कार्यों में से एक है, जिसने शहरी समाजशास्त्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पार्क ने शहर को एक सामाजिक प्रयोगशाला के रूप में देखा और शहरीकरण, सामाजिक विघटन, और सामुदायिक जीवन जैसे विषयों का अध्ययन किया। उन्होंने ‘मानव पारिस्थितिकी’ (Human Ecology) के दृष्टिकोण का प्रयोग किया।
  • गलत विकल्प: (a) थॉमस और ज़्नानीकी द्वारा लिखी गई। (b) मैक्स वेबर द्वारा लिखी गई। (d) सिग्मंड फ्रायड (मनोवैज्ञानिक) द्वारा लिखी गई।

प्रश्न 6: ‘सुसंस्कृत अंतर’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. विलियम एफ. ओगबर्न
  2. एल्बियन स्मॉल
  3. चार्ल्स हॉर्टन कूली
  4. हर्बर्ट स्पेंसर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में ‘सुसंस्कृत अंतर’ की अवधारणा प्रस्तुत की।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इसका अर्थ है कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड, कानून, सामाजिक संस्थाएं) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में तालमेल की कमी या ‘अंतर’ पैदा होता है।
  • गलत विकल्प: एल्बियन स्मॉल शिकागो स्कूल के संस्थापक थे। चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘प्राइमरी ग्रुप्स’ (Primary Groups) और ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-glass Self) की अवधारणाएँ दीं। हर्बर्ट स्पेंसर का संबंध विकासवाद से है।

प्रश्न 7: निम्न में से कौन सा सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का आधार नहीं है?

  1. धन
  2. शक्ति
  3. शिक्षा
  4. धर्म

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जबकि धर्म सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कभी-कभी सामाजिक समूहों को अलग करने का कारण बनता है, यह सामाजिक स्तरीकरण का प्रत्यक्ष और सार्वभौमिक आधार नहीं है, जैसा कि धन, शक्ति और प्रतिष्ठा (जिसे अक्सर शिक्षा से मापा या प्रभावित किया जाता है) के मामले में होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण उन प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों को पदानुक्रमित स्तरों में व्यवस्थित करता है। आधुनिक समाजशास्त्रियों द्वारा धन, शक्ति और प्रतिष्ठा को स्तरीकरण के मुख्य आयाम (Max Weber) के रूप में पहचाना जाता है।
  • गलत विकल्प: धन (आर्थिक संपत्ति), शक्ति (निर्णय लेने की क्षमता) और शिक्षा (सामाजिक प्रतिष्ठा, ज्ञान, कौशल) सीधे तौर पर लोगों को समाज में ऊँचे या नीचे स्थान पर रखते हैं। धर्म व्यक्तिगत विश्वास प्रणाली है, जो व्यक्तिगत या समूह की स्थिति को सीधे तौर पर निर्धारित नहीं करती, यद्यपि धार्मिक समूह अपने अधिकार का उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 8: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख समर्थक कौन हैं?

  1. डेविड ई. अप्टर
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. रॉबर्ट मर्टन
  4. टैल्कोट पार्सन्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक संस्थापक व्यक्ति माना जाता है। उनकी पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ इस दृष्टिकोण के लिए मौलिक है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं और कैसे वे समाज में अर्थ का निर्माण करते हैं। मीड ने ‘सेल्फ’ (Self) के विकास में सामाजिक अंतःक्रिया की भूमिका पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: डेविड ई. अप्टर राजनीतिक समाजशास्त्र से जुड़े हैं। रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) और ‘प्रकार्यवादी’ (functionalist) विश्लेषण में योगदान दिया। टैल्कोट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के प्रमुख प्रतिपादक हैं।

प्रश्न 9: भारतीय समाज में ‘नातेदारी’ (Kinship) व्यवस्था का अध्ययन करने वाले समाजशास्त्रियों में से कौन नहीं है?

  1. इरावती कर्वे
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. ए.आर. देसाई
  4. के.एम. कपाड़िया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ए.आर. देसाई (A.R. Desai) मुख्य रूप से भारतीय समाज में सामाजिक परिवर्तन, सामंतवाद, ग्राम अर्थव्यवस्था, और औपनिवेशिक नीतियों के प्रभावों के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं, न कि नातेदारी व्यवस्था के विस्तृत अध्ययन के लिए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इरावती कर्वे (Iravati Karve) ने अपनी पुस्तक ‘Kinship Organization in India’ में भारतीय नातेदारी संरचनाओं का तुलनात्मक और विस्तृत अध्ययन किया। के.एम. कपाड़िया (K.M. Kapadia) ने भी विवाह और परिवार पर महत्वपूर्ण काम किया, जिसमें नातेदारी का भी समावेश था। एम.एन. श्रीनिवास ने भी अपने क्षेत्रीय कार्यों में नातेदारी संबंधों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: इरावती कर्वे, एम.एन. श्रीनिवास और के.एम. कपाड़िया भारतीय नातेदारी व्यवस्था पर अपने मौलिक अध्ययनों के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 10: ‘अमीबीय उपागम’ (Amoebic Approach) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो सामाजिक गतिशीलता को दर्शाती है?

  1. गैैटानो मोस्का
  2. विल्फ्रेडो परेटो
  3. एम.एन. श्रीनिवास
  4. विलियम एफ. ओगबर्न

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता का वर्णन करने के लिए ‘अमीबीय उपागम’ (Amoebic Approach) शब्द का प्रयोग किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह उपागम बताता है कि भारतीय समाज में जातियों के बीच गतिशीलता एक सीधी रेखा में नहीं, बल्कि अमीबा की तरह फैलती और सिकुड़ती हुई होती है, जहाँ जातियाँ अपने पड़ोसी जातियों के व्यवहार को अपनाकर धीरे-धीरे अपनी स्थिति बदलती हैं।
  • गलत विकल्प: मोस्का और परेटो अभिजन सिद्धांत के समर्थक हैं। ओगबर्न ने सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag) की बात की।

प्रश्न 11: निम्न में से कौन सा ‘रॉबर्ट मर्टन’ (Robert Merton) द्वारा प्रतिपादित ‘प्रकार्य’ (Function) का प्रकार नहीं है?

  1. प्रकट प्रकार्य (Manifest Function)
  2. अव्यक्त प्रकार्य (Latent Function)
  3. अकार्य (Dysfunction)
  4. अप्रत्यक्ष प्रकार्य (Indirect Function)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकट प्रकार्य’ (जो सामाजिक क्रिया के इच्छित और ज्ञात परिणाम होते हैं) और ‘अव्यक्त प्रकार्य’ (जो अनपेक्षित और अनजाने परिणाम होते हैं) के बीच अंतर किया। उन्होंने ‘अकार्य’ (Dysfunction) को भी परिभाषित किया, जो सामाजिक व्यवस्था को बाधित करता है। ‘अप्रत्यक्ष प्रकार्य’ मर्टन द्वारा दी गई शब्दावली का हिस्सा नहीं है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने समाजशास्त्र में प्रकार्यवादी विश्लेषण को परिष्कृत किया और ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) पर बल दिया, जो अमूर्त सिद्धांतों और प्रत्यक्ष अवलोकन के बीच एक पुल का काम करता है।
  • गलत विकल्प: प्रकट प्रकार्य, अव्यक्त प्रकार्य और अकार्य मर्टन द्वारा परिभाषित प्रमुख प्रकार्यवादी अवधारणाएँ हैं।

प्रश्न 12: ‘आदिम समाज’ (Primitive Society) के अध्ययन में ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) का प्रमुख योगदान किसका है?

  1. लेस्ली व्हाइट
  2. बी. मैलिनोवस्की
  3. कैरी ब्रैडफोर्ड
  4. मार्शल सलिन्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ब्रॉनिस्लॉ मैलिनोवस्की (Bronisław Malinowski) को कार्यात्मक मानवशास्त्र (Functional Anthropology) का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने विशेष रूप से आदिम समाजों (जैसे ट्रोब्रिएंड द्वीप समूह के लोग) के अध्ययन में, संस्थाओं और प्रथाओं के कार्यों का विश्लेषण किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मैलिनोवस्की का मानना था कि प्रत्येक सामाजिक संस्था का एक कार्य होता है जो मानव की बुनियादी आवश्यकताओं (जैविक और मनोवैज्ञानिक) को पूरा करता है। उन्होंने ‘मानव आवश्यकता’ (Human Need) पर बल दिया।
  • गलत विकल्प: लेस्ली व्हाइट और मार्शल सलिन्स सांस्कृतिक विकास और प्रकार्यवाद पर काम करने वाले अन्य प्रमुख मानवशास्त्री हैं, लेकिन मैलिनोवस्की विशेष रूप से आदिम समाजों के कार्यात्मक विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। कैरी ब्रैडफोर्ड इस संदर्भ में प्रमुख नहीं हैं।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘कार्ल मार्क्स’ (Karl Marx) के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism) से संबंधित नहीं है?

  1. वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
  2. अलगाव (Alienation)
  3. उत्पादन की शक्तियाँ (Forces of Production)
  4. अर्थव्यवस्था का ‘सुपरस्ट्रक्चर’ (Superstructure)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मार्क्स ने ‘बुनियाद’ (Base) और ‘अधिरचना’ (Superstructure) की अवधारणा दी, जहाँ अधिरचना (राजनीति, कानून, संस्कृति, धर्म, विचारधारा) का निर्माण आर्थिक बुनियाद (उत्पादन के संबंध) द्वारा होता है। ‘अर्थव्यवस्था का सुपरस्ट्रक्चर’ एक विरोधाभासी वाक्यांश है क्योंकि मार्क्स के अनुसार अर्थव्यवस्था (बुनियाद) ही सुपरस्ट्रक्चर को निर्धारित करती है, न कि इसका कोई ‘सुपरस्ट्रक्चर’ होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: द्वंद्वात्मक भौतिकवाद मार्क्स का वह दार्शनिक दृष्टिकोण है जो मानता है कि इतिहास भौतिक परिस्थितियों और वर्ग संघर्ष के द्वंद्व के माध्यम से आगे बढ़ता है। वर्ग संघर्ष, अलगाव (श्रमिक का उत्पादन, स्वयं, और अन्य से), और उत्पादन की शक्तियाँ (श्रम बल, उपकरण, तकनीक) उनके केंद्रीय विचार हैं।
  • गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष (a), अलगाव (b), और उत्पादन की शक्तियाँ (c) सभी मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद और ऐतिहासिक भौतिकवाद के महत्वपूर्ण घटक हैं।

प्रश्न 14: ‘गॉडफादर’ (Godfather) जैसे इतालवी-अमेरिकी समुदाय में देखी जाने वाली विस्तारित परिवार की संरचना, किस प्रकार के परिवार का उदाहरण है?

  1. एकीकृत (Conjugal) परिवार
  2. पितृसत्तात्मक (Patriarchal) परिवार
  3. विस्तारित (Extended) परिवार
  4. एकल (Nuclear) परिवार

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘गॉडफादर’ जैसे चित्रणों में अक्सर दिखाया जाने वाला विस्तृत, बहु-पीढ़ीगत और अक्सर अनौपचारिक रूप से संगठित परिवार, एक ‘विस्तारित परिवार’ का उदाहरण है, जहाँ परिवार के सदस्य एक साथ या निकटता से रहते हैं और सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक समर्थन साझा करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: विस्तारित परिवार में माता-पिता, बच्चे, दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई-बहन आदि एक साथ या घनिष्ठ संबंध में रहते हैं। यह संरचना विशेष रूप से उन समुदायों में पाई जाती है जो अपनी पारंपरिक जड़ों को बनाए रखते हैं।
  • गलत विकल्प: एकीकृत परिवार (Conjugal Family) वह परिवार है जो मुख्य रूप से पति-पत्नी और उनके बच्चों पर केंद्रित होता है। एकल परिवार (Nuclear Family) में केवल माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे होते हैं। पितृसत्तात्मक परिवार एक व्यापक शब्द है जो पिता के प्रभुत्व को दर्शाता है, लेकिन विस्तृत परिवार की संरचना को पूरी तरह से परिभाषित नहीं करता।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का अर्थ क्या है?

  1. किसी व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति
  2. किसी व्यक्ति के सामाजिक नेटवर्क और उनसे प्राप्त लाभ
  3. समाज में किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति
  4. समाज में किसी व्यक्ति का राजनीतिक प्रभाव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी से तात्पर्य उन संसाधनों से है जो लोगों को उनके सामाजिक नेटवर्क (जैसे परिवार, दोस्त, सहकर्मी, सहयोगी) के माध्यम से सुलभ होते हैं। इसमें विश्वास, आपसी सहयोग और संबंधों से उत्पन्न होने वाले लाभ शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu), जेम्स कोलमन (James Coleman) और रॉबर्ट पाटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित की गई है। सामाजिक पूंजी का उपयोग व्यक्तिगत या सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) वित्तीय संपत्ति वित्तीय पूंजी है। (c) सामाजिक स्थिति व्यक्तिगत या सामाजिक होती है, लेकिन आवश्यक रूप से सामाजिक नेटवर्क से प्राप्त लाभ को नहीं दर्शाती। (d) राजनीतिक प्रभाव एक प्रकार का प्रभाव है, लेकिन सामाजिक पूंजी का केवल एक पहलू हो सकता है।

प्रश्न 16: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की प्रमुख विशेषताओं में से कौन सी एक नहीं है?

  1. तर्कवाद (Rationalism)
  2. धर्मनिरपेक्षता (Secularism)
  3. सामूहिकतावाद (Collectivism)
  4. व्यक्तिवाद (Individualism)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: आधुनिकता को अक्सर तर्कवाद, विज्ञान, औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद के उदय से जोड़ा जाता है। सामूहिकतावाद, विशेष रूप से पारंपरिक या सामंती समाजों की विशेषता हो सकती है, हालांकि आधुनिकता के कुछ रूप (जैसे राष्ट्रीयता) सामूहिक पहचान को भी बढ़ावा देते हैं, लेकिन यह व्यक्तिवाद जितना प्रमुख नहीं है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आधुनिकता एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जिसे समाजशास्त्र में विभिन्न विद्वानों जैसे मैक्स वेबर, एमिल दुर्खीम, और बाद में समाजशास्त्री जैसे एंथोनी गिडेंस और जुरगेन हबर्नास ने विश्लेषित किया है।
  • गलत विकल्प: तर्कवाद, धर्मनिरपेक्षीकरण और व्यक्तिवाद आधुनिकता के प्रमुख संकेतकों में से हैं, जबकि सामूहिकतावाद (विशेषकर पारंपरिक अर्थ में) आधुनिकता की एक विशिष्ट विशेषता नहीं है।

प्रश्न 17: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. खुलापन और गतिशीलता
  2. जन्म पर आधारित पेशा
  3. अंतर्विवाही समूह (Endogamy)
  4. अनिवार्य पेशे का परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था की कई विशेषताओं में से एक प्रमुख विशेषता यह है कि व्यक्ति का पेशा, सामाजिक स्थिति और व्यवहार काफी हद तक उसके जन्म से निर्धारित होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि जाति एक जटिल संरचना है जिसमें प्रतिबंध (जैसे अंतर्विवाह – endogamy) और क्रम-व्यवस्था (hierarchy) भी शामिल हैं, जन्म के आधार पर पेशे का आवंटन (traditional occupation by birth) इसके महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक रहा है।G.एस. घुरिये (G.S. Ghurye) ने जाति की सात मुख्य विशेषताओं का उल्लेख किया था, जिनमें से एक ‘व्यवसायों का विभाजन’ (Division of Labour) था।
  • गलत विकल्प: जाति व्यवस्था पारंपरिक रूप से ‘बंद’ (closed) रही है, जिसमें गतिशीलता (mobility) सीमित थी (a)। अंतर्विवाही समूह (Endogamy) (c) भी एक महत्वपूर्ण विशेषता है, लेकिन जन्म आधारित पेशा (b) सीधे तौर पर समाज के आर्थिक और सामाजिक संगठन से जुड़ा है। पेशे का अनिवार्य परिवर्तन (d) इसकी विशेषता नहीं है।

प्रश्न 18: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की शास्त्रीय समझ के अनुसार, ‘पवित्रता’ (Purity) और ‘अपवित्रता’ (Pollution) की अवधारणाएँ किससे जुड़ी हैं?

  1. आर्थिक स्थिति
  2. राजनीतिक शक्ति
  3. पेशा और खान-पान के नियम
  4. शिक्षा का स्तर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था में, पवित्रता और अपवित्रता के विचार मुख्य रूप से विभिन्न जातियों के बीच अनुष्ठानिक शुद्धता के आधार पर पदानुक्रम को बनाए रखने से संबंधित थे। यह अक्सर जातियों के व्यवसायों (विशेष रूप से मैला या ‘अशुद्ध’ माने जाने वाले काम) और उनके बीच खान-पान (eating and drinking) के नियमों से जुड़ा होता था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह एक ‘प्रतिबंधात्मक प्रतिबंध’ (restrictive prohibition) का रूप है, जहाँ निम्न जातियाँ उच्च जातियों के साथ संपर्क से अपवित्र हो सकती हैं। जे.एच. हट्टन (J.H. Hutton) और एल.एस.एस. ओ’माली (L.S.S. O’Malley) जैसे नृवंशविज्ञानियों ने इस पर विस्तार से लिखा है।
  • गलत विकल्प: आर्थिक स्थिति (a), राजनीतिक शक्ति (b) और शिक्षा (d) भी जाति के साथ जुड़ी हो सकती हैं, लेकिन पवित्रता/अपवित्रता की अवधारणा का प्राथमिक संबंध अनुष्ठानिक व्यवस्था, व्यवसाय और सामाजिक संपर्क (जैसे खान-पान) के नियमों से रहा है।

प्रश्न 19: ‘धर्म’ (Religion) को ‘अफीम’ (Opium of the people) किसने कहा?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. फ्रेडरिक नीत्शे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने धर्म को “जनता की अफीम” कहा था। उनका मानना था कि धर्म समाज में मौजूदा असमानताओं और दुखों को कम करने का एक साधन है, जिससे लोग क्रांतिकारी परिवर्तन की मांग करने के बजाय उसे स्वीकार कर लेते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, धर्म एक ‘अधिरचना’ (Superstructure) का हिस्सा है जो आर्थिक ‘बुनियाद’ (Base) से उत्पन्न होता है। यह शोषक वर्ग द्वारा शोषित वर्ग को शांत रखने और उनकी चेतना को धूमिल करने का एक औजार है।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘प्रोटेस्टेंट एथिक’ में धर्म और पूंजीवाद के बीच संबंध का अध्ययन किया। एमिल दुर्खीम ने धर्म को सामाजिक एकता और सामूहिकता के स्रोत के रूप में देखा। फ्रेडरिक नीत्शे ने भी धर्म की आलोचना की, लेकिन ‘जनता की अफीम’ का विशिष्ट वाक्यांश मार्क्स से जुड़ा है।

प्रश्न 20: ‘पंथ’ (Sect) और ‘संप्रदाय’ (Church) में क्या मुख्य अंतर है, जैसा कि समाजशास्त्रियों द्वारा वर्णित है?

  1. पंथ एक बड़ा, समावेशी और व्यापक समूह है, जबकि संप्रदाय छोटा, विशेष और बहिष्कृत करने वाला है।
  2. पंथ एक छोटा, विशेष और बहिष्कृत करने वाला समूह है, जबकि संप्रदाय बड़ा, समावेशी और व्यापक है।
  3. पंथ धर्म का अधिक औपचारिक रूप है, जबकि संप्रदाय अधिक अनौपचारिक है।
  4. पंथ में सदस्यों का चुनाव होता है, जबकि संप्रदाय में जन्म से सदस्यता मिलती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: समाजशास्त्रीय वर्गीकरण में, एक ‘पंथ’ (Sect) आमतौर पर एक छोटा, बहिष्कृत (exclusive), और अत्यधिक संगठित समूह होता है जो मुख्यधारा के धर्म से अलग हो जाता है, और अपने सदस्यों से उच्च स्तर की प्रतिबद्धता की मांग करता है। इसके विपरीत, एक ‘संप्रदाय’ (Church) एक बड़ा, समावेशी (inclusive) और व्यापक समूह होता है जो समाज का एक स्थापित हिस्सा होता है और जिसकी सदस्यता अक्सर जन्म से होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अर्नेस्ट ट्रेलट्श (Ernst Troeltsch) और बाद में होयट हॉक (Hoyt Hoyt) जैसे समाजशास्त्रियों ने इन अवधारणाओं को विकसित किया। पंथ अक्सर अपने सदस्यों को ‘चुने हुए’ या ‘धार्मिक’ मानते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) गलत हैं क्योंकि वे पंथ और संप्रदाय की भूमिकाओं को पलट देते हैं या गलत बताते हैं। (d) हालांकि पंथ में सदस्यों का चुनाव या स्वैच्छिक प्रवेश अधिक होता है, यह अंतर (b) जितना मौलिक नहीं है, जो समूह की प्रकृति और आकार पर अधिक केंद्रित है।

प्रश्न 21: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) के औपचारिक साधनों में निम्नलिखित में से कौन सा एक शामिल है?

  1. जनमत
  2. रूढ़ियाँ (Customs)
  3. लोकगीत (Folklore)
  4. कानून और पुलिस

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण वे तरीके हैं जिनसे समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है। औपचारिक साधनों में वे तरीके शामिल होते हैं जो व्यवस्थित, संस्थागत और लिखित नियमों पर आधारित होते हैं, जैसे कानून, पुलिस, न्यायालय और कारागार।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनौपचारिक साधनों में जनमत, सामाजिक बहिष्कार, रीति-रिवाज, शिष्टाचार, और परिवार व समुदाय का दबाव शामिल है।
  • गलत विकल्प: जनमत (a), रूढ़ियाँ (b), और लोकगीत (c) अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण के उदाहरण हैं। कानून और पुलिस (d) औपचारिक नियंत्रण के स्पष्ट उदाहरण हैं।

प्रश्न 22: ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) भारत में किस प्रकार के सामाजिक परिवर्तन का एक उदाहरण है?

  1. सांस्कृतिक परिवर्तन
  2. संरचनात्मक परिवर्तन
  3. विकास संबंधी परिवर्तन
  4. प्रक्रियात्मक परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भूमि सुधार, जैसे भूमि का पुनर्वितरण, भू-स्वामित्व के पैटर्न में बदलाव, और काश्तकारी कानूनों में संशोधन, सीधे तौर पर समाज की आर्थिक और सामाजिक संरचना को प्रभावित करते हैं। ये बड़े पैमाने पर सामाजिक असमानताओं, शक्ति संबंधों और ग्रामीण जीवन की व्यवस्थाओं में बदलाव लाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संरचनात्मक परिवर्तन वे होते हैं जो समाज की मूल व्यवस्थाओं, जैसे संस्थाओं, पदानुक्रमों और आर्थिक वितरण को मौलिक रूप से बदलते हैं।
  • गलत विकल्प: सांस्कृतिक परिवर्तन (a) मूल्यों, विश्वासों और प्रथाओं में परिवर्तन से संबंधित है। विकास संबंधी परिवर्तन (c) अधिक व्यापक है। प्रक्रियात्मक परिवर्तन (d) किसी कार्य या प्रणाली के संचालन के तरीके में बदलाव को दर्शाता है, जो संरचनात्मक परिवर्तन जितना गहरा नहीं होता।

प्रश्न 23: ‘उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण’ (LPG) की नीतियों ने भारतीय समाज में किस प्रकार के परिवर्तन को प्रेरित किया है?

  1. अल्पकालिक, सतही परिवर्तन
  2. मुख्य रूप से सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तन
  3. केवल राजनीतिक परिवर्तन
  4. केवल ग्रामीण सामाजिक संरचना में परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: 1991 के बाद भारत में LPG सुधारों ने आर्थिक क्षेत्र में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया, जिससे बाजार का विस्तार हुआ, उपभोग की संस्कृति को बढ़ावा मिला, और पारंपरिक व्यवसायों पर असर पड़ा। इसने सांस्कृतिक दृष्टिकोण, जीवन शैली और सामाजिक संबंधों को भी गहराई से प्रभावित किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इन नीतियों ने भारतीय समाज में उपभोगवाद (consumerism), शहरीकरण (urbanization), महिलाओं की भूमिकाओं में परिवर्तन (विशेषकर संगठित क्षेत्र में), और सामाजिक असमानताओं के नए रूप (जैसे डिजिटल डिवाइड) जैसे अनेक परिवर्तन लाए।
  • गलत विकल्प: यह परिवर्तन केवल अल्पकालिक (a) या केवल राजनीतिक (c) या केवल ग्रामीण (d) नहीं हैं, बल्कि बहुआयामी और दीर्घकालिक रहे हैं, खासकर सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों में।

प्रश्न 24: ‘भारत में सामाजिक समस्याएँ’ (Social Problems in India) पर अपने लेखन के लिए कौन से समाजशास्त्री जाने जाते हैं?

  1. एम.एन. श्रीनिवास
  2. टी.के. उमाशिवम
  3. रामकृष्ण मुखर्जी
  4. इरावती कर्वे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: रामकृष्ण मुखर्जी (Ramkrishna Mukherjee) भारत में सामाजिक समस्याओं, गरीबी, सामाजिक न्याय और सामाजिक नियोजन के अध्ययन के लिए एक प्रमुख समाजशास्त्री रहे हैं। उन्होंने भारतीय समाज के परिवर्तन और समस्या के विश्लेषण पर महत्वपूर्ण काम किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मुखर्जी ने अपने समाजशास्त्रीय कार्यों में मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य का प्रयोग करते हुए भारत में सामाजिक असमानताओं, वर्ग संबंधों और गरीबी की जड़ों का विश्लेषण किया।
  • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास संसारीकरण और दक्षिण भारत के समुदाय अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। इरावती कर्वे नातेदारी के लिए जानी जाती हैं। टी.के. उमाशिवम भी भारतीय समाज के अध्ययन से जुड़े हैं, लेकिन मुखर्जी का योगदान सामाजिक समस्याओं के समग्र विश्लेषण में अधिक विशिष्ट है।

प्रश्न 25: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) के कारण भारतीय गांवों में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों में निम्नलिखित में से कौन सा एक शामिल है?

  1. पारंपरिक जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
  2. विस्तारित परिवार की संरचना में वृद्धि
  3. पारंपरिक शिल्पों का पुनरुद्धार
  4. एकल परिवार की ओर झुकाव और पश्चिमीकरण

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: शहरीकरण के प्रभाव से अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में एकल परिवार (Nuclear family) की ओर झुकाव बढ़ता है, क्योंकि युवा परिवार अपने आर्थिक अवसरों की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते हैं। इसके साथ ही, शहरों की जीवन शैली और मूल्यों को अपनाने की प्रवृत्ति, जिसे पश्चिमीकरण (Westernization) कहा जा सकता है, भी देखने को मिलती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: शहरीकरण के कारण ग्रामीण समाजों में अनेक परिवर्तन होते हैं, जैसे गतिशीलता में वृद्धि, पारंपरिक संस्थाओं का कमजोर होना, और नई सामाजिक समस्याओं का उदय।
  • गलत विकल्प: पारंपरिक जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण (a) आमतौर पर शहरीकरण से कमजोर होती है। विस्तारित परिवार में वृद्धि (b) के बजाय एकल परिवार की ओर झुकाव देखा जाता है। पारंपरिक शिल्पों का पुनरुद्धार (c) शहरीकरण का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं है, बल्कि कभी-कभी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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