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समाजशास्त्र की तैयारी: दैनिक प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी धार तेज़ करें!

समाजशास्त्र की तैयारी: दैनिक प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी धार तेज़ करें!

नमस्ते, भविष्य के समाजशास्त्री! आज आपके लिए लेकर आए हैं समाजशास्त्र की दुनिया के 25 चुनिंदा प्रश्न, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार किए गए हैं। अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए इस दैनिक अभ्यास में शामिल हों और ज्ञान की अपनी यात्रा को मज़बूत बनाएं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक अपनी मेहनत से निर्मित वस्तुओं और स्वयं की मानव प्रकृति से किस अवस्था में दूर हो जाता है?

  1. अलगाव (Alienation)
  2. अनोमी (Anomie)
  3. विभेदीकरण (Differentiation)
  4. सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को समझाया है। उनके अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक उत्पादन की प्रक्रिया, उत्पादन के साधनों, अपने उत्पाद, और स्वयं अपनी प्रजाति-सार (species-being) से अलग-थलग महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेषकर ‘इकोनॉमिक एंड फिलॉसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में प्रमुखता से मिलती है। अलगाव पूंजीवादी शोषण का परिणाम है।
  • गलत विकल्प: ‘अनोमी’ एमिल दुर्खीम की अवधारणा है जो सामाजिक मानदंडों की अनुपस्थिति या दुर्बलता को दर्शाती है। ‘विभेदीकरण’ और ‘सामाजिक स्तरीकरण’ अलग-अलग सामाजिक संरचना और असमानता से संबंधित अवधारणाएं हैं।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम ने समाज के ‘एकजुटता’ (Solidarity) के दो प्रकार बताए हैं, जो समाज के विकास के साथ बदलते हैं। ये कौन से हैं?

  1. यांत्रिक एकजुटता और साव्यवी एकजुटता
  2. प्रारंभिक एकजुटता और आधुनिक एकजुटता
  3. आदिम एकजुटता और औद्योगिक एकजुटता
  4. समरूप एकजुटता और विषमरूप एकजुटता

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दुर्खीम ने ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) और ‘साव्यवी एकजुटता’ (Organic Solidarity) की बात की। यांत्रिक एकजुटता सरल, पूर्व-औद्योगिक समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग समान होते हैं और सामूहिक चेतना मजबूत होती है। साव्यवी एकजुटता जटिल, औद्योगिक समाजों में पाई जाती है जहाँ श्रम विभाजन के कारण लोग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, जैसे शरीर के अंग।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की प्रसिद्ध पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में वर्णित है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प प्रासंगिक तो हैं, लेकिन दुर्खीम द्वारा प्रयुक्त विशिष्ट शब्दावली नहीं हैं। ‘समरूप’ और ‘विषमरूप’ क्रमशः यांत्रिक और साव्यवी एकजुटता की विशेषताएँ हैं, न कि स्वयं एकजुटता के प्रकार।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की सबसे प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. अनौपचारिक संबंध
  2. व्यक्तिगत निर्णय
  3. पदानुक्रमित संरचना और स्पष्ट नियम
  4. भावनात्मक जुड़ाव

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: वेबर ने आदर्श-प्रकार (Ideal-type) के रूप में नौकरशाही की विशेषताओं का वर्णन किया, जिसमें पदानुक्रमित अधिकार संरचना (Hierarchical structure) और स्पष्ट, लिखित नियम (written rules) प्रमुख हैं। यह दक्षता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ (Economy and Society) में नौकरशाही को आधुनिक समाज के तर्कसंगत-वैधीकरण (Rationalization) का एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना।
  • गलत विकल्प: अनौपचारिक संबंध, व्यक्तिगत निर्णय और भावनात्मक जुड़ाव नौकरशाही की विशेषताओं के विपरीत हैं; ये इसे अकुशल और पक्षपाती बनाते हैं।

प्रश्न 4: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) के अनुसार, दो व्यक्तियों का समूह (dyad) और तीन व्यक्तियों का समूह (triad) में क्या अंतर है?

  1. तीन व्यक्तियों का समूह अधिक स्थिर होता है।
  2. दो व्यक्तियों के समूह में सामाजिक संबंध अधिक जटिल होते हैं।
  3. तीन व्यक्तियों के समूह में मध्यस्थता (mediation) और नियंत्रण (control) की संभावना बढ़ जाती है।
  4. दोनों समूहों में सामाजिक गतिशीलता समान होती है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सिमेल ने सामाजिक समूहों के आकार के महत्व पर जोर दिया। तीन व्यक्तियों के समूह (triad) में, दो व्यक्ति तीसरे को नियंत्रित कर सकते हैं या उसके माध्यम से अपनी बात मनवा सकते हैं (मध्यस्थता)। यह दो व्यक्तियों के समूह (dyad) से अलग है जहाँ संबंध सीधे और पारस्परिक होते हैं, और समूह का अस्तित्व सदस्यों की व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विश्लेषण सिमेल के ‘फिलॉसफी ऑफ मनी’ (Philosophy of Money) और ‘द सोशियोलॉजी ऑफ जॉर्ज सिमेल’ (The Sociology of Georg Simmel) जैसे कार्यों में पाया जाता है।
  • गलत विकल्प: दो व्यक्तियों का समूह (dyad) अत्यधिक नाजुक होता है; एक सदस्य के हट जाने पर समूह समाप्त हो जाता है। तीन व्यक्तियों का समूह अधिक स्थिर हो सकता है और मध्यस्थता की संभावनाएँ खोलता है।

प्रश्न 5: टॉकॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) ने समाज को एक प्रणाली के रूप में देखा, जिसके चार आवश्यक कार्य (functions) होते हैं। इन कार्यों का संक्षिप्त नाम क्या है?

  1. AGIL
  2. LIPE
  3. FACT
  4. CORE

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: पार्सन्स ने ‘AGIL’ प्रतिमान (pattern) प्रस्तुत किया, जो चार कार्यात्मक आवश्यकताओं को दर्शाता है: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य-प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकृतता (Integration), और गुप्तता-रखरखाव (Latency/Pattern Maintenance)। समाज को इन चार कार्यों को पूरा करके ही जीवित रहना संभव है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जिसे पार्सन्स ने अपने कार्यों जैसे ‘द सोशल सिस्टम’ (The Social System) में विकसित किया।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प काल्पनिक संक्षिप्त नाम हैं और पार्सन्स के AGIL प्रतिमान से मेल नहीं खाते।

प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. उच्च जातियों के रीति-रिवाजों और कर्मकांडों का निम्न जातियों द्वारा अपनाना
  3. सभी जातियों का समान सामाजिक दर्जा प्राप्त करना
  4. धर्मनिरपेक्षता की ओर बढ़ना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा दी, जो भारतीय संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता (social mobility) का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इसके तहत, निम्न जातियां या समूह किसी उच्च, प्रभावशाली जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विचारधारा और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘रिलीजन एंड सोसाइटी अमंग द कूर्ग्स ऑफ साउथ इंडिया’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रमुखता से सामने आई।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाना है। ‘सभी जातियों का समान दर्जा’ या ‘धर्मनिरपेक्षता’ संस्कृतिकरण का प्रत्यक्ष अर्थ नहीं हैं, बल्कि यह एक विशिष्ट प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।

प्रश्न 7: सामाजिक व्यवस्था में विचलन (Deviance) का अध्ययन करते समय, रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने ‘लक्ष्यों’ (Goals) और ‘साधनों’ (Means) के बीच विसंगति को क्या नाम दिया?

  1. संरचनात्मक तनाव (Structural Strain)
  2. अनोमी (Anomie)
  3. असामाजिक व्यवहार (Antisocial Behavior)
  4. प्रकार्य (Function)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मर्टन ने ‘संरचनात्मक तनाव’ (Structural Strain) का सिद्धांत दिया। उनके अनुसार, जब समाज अपने सदस्यों के लिए कुछ सांस्कृतिक लक्ष्यों (जैसे धन कमाना, सफलता प्राप्त करना) को निर्धारित करता है, लेकिन इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वैध साधन (जैसे शिक्षा, कड़ी मेहनत) सभी को समान रूप से उपलब्ध नहीं कराता, तो तनाव उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मर्टन के ‘सोशल थ्योरी एंड सोशल स्ट्रक्चर’ (Social Theory and Social Structure) में विस्तृत है। तनाव के कारण व्यक्ति या तो इन लक्ष्यों को अस्वीकार कर सकता है या अनैतिक साधनों का उपयोग कर सकता है।
  • गलत विकल्प: ‘अनोमी’ दुर्खीम की अवधारणा है, हालांकि मर्टन ने इसे विस्तारित किया। ‘असामाजिक व्यवहार’ एक सामान्य शब्द है, और ‘प्रकार्य’ (Function) समाजशास्त्रीय विश्लेषण का एक घटक है, विचलन का कारण नहीं।

प्रश्न 8: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के प्रकारों में से, ‘वर्ग’ (Class) किस आधार पर निर्धारित होता है?

  1. जन्म और वंश
  2. पवित्रता और अपवित्रता
  3. आर्थिक स्थिति और धन
  4. ज्ञान और कौशल

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण के विभिन्न आधार होते हैं। ‘वर्ग’ (Class) मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति, धन, आय, संपत्ति और उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर निर्धारित होता है, जैसा कि मार्क्सवादी और वेबरियन दृष्टिकोणों में देखा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स ने वर्ग को उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर (बुर्जुआ और सर्वहारा) परिभाषित किया, जबकि मैक्स वेबर ने वर्ग को आर्थिक अवसरों से जोड़ा।
  • गलत विकल्प: ‘जन्म और वंश’ जाति व्यवस्था (Caste) का आधार है। ‘पवित्रता और अपवित्रता’ भी जाति व्यवस्था की शुद्धि और अशुद्धि की अवधारणाओं से संबंधित है। ‘ज्ञान और कौशल’ व्यवसाय या स्थिति का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन वर्ग का मुख्य निर्धारक नहीं।

प्रश्न 9: इरावती कर्वे (Iravati Karve) ने भारत में किस सामाजिक संरचना के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया?

  1. भारतीय जाति व्यवस्था
  2. परिवार और नातेदारी
  3. ग्रामीण समुदाय
  4. औद्योगीकरण का प्रभाव

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: इरावती कर्वे एक अग्रणी मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री थीं जिन्होंने भारत में ‘परिवार और नातेदारी’ (Family and Kinship) संरचनाओं के तुलनात्मक अध्ययन में विशेष योगदान दिया। उनकी पुस्तक ‘हिंदू सोसाइटी: एन एनालिसिस ऑफ प्रिस्क्रिप्टिव वैल्यूज’ (Hindu Society: An Analysis of Prescriptive Values) में इस पर विस्तृत चर्चा है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विवाह प्रथाओं, वंशानुक्रम और नातेदारी संबंधों का गहन अध्ययन किया।
  • गलत विकल्प: हालांकि उन्होंने जाति, समुदाय आदि पर भी काम किया, लेकिन परिवार और नातेदारी उनकी विशेषज्ञता का मुख्य क्षेत्र था।

प्रश्न 10: सामाजिक संरचना (Social Structure) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज में व्यक्तियों के बीच प्रेमपूर्ण संबंध
  2. समाज में सामाजिक संस्थाओं, समूहों और उनकी भूमिकाओं का अपेक्षाकृत स्थिर पैटर्न
  3. सांस्कृतिक मूल्यों और मानदंडों का समूह
  4. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज के विभिन्न अंगभूत (जैसे परिवार, शिक्षा, सरकार), सामाजिक समूहों (जैसे वर्ग, समुदाय), उनकी भूमिकाओं (roles) और स्थिति (status) के बीच पाए जाने वाले अपेक्षाकृत स्थिर और व्यवस्थित संबंधों के प्रतिमान (pattern) से है। यह समाज के ढांचे को संदर्भित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और अन्य संरचनावादी समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना पर जोर दिया है।
  • गलत विकल्प: ‘प्रेमपूर्ण संबंध’ व्यक्तिगत स्तर पर है। ‘सांस्कृतिक मूल्य’ संरचना का हिस्सा हैं लेकिन पूरी संरचना नहीं। ‘सामाजिक परिवर्तन’ संरचना में होने वाले बदलाव को दर्शाता है, न कि स्वयं संरचना को।

प्रश्न 11: लुसियन पाई (Lucian Pye) ने आधुनिकीकरण (Modernization) के संदर्भ में किस प्रमुख सामाजिक परिवर्तन की चर्चा की है?

  1. पारंपरिक से आधुनिक समाज की ओर परिवर्तन
  2. औपनिवेशीकरण की प्रक्रिया
  3. तकनीकी विकास पर जोर
  4. राष्ट्र-राज्यों का उदय

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: लुसियन पाई ने आधुनिकीकरण को ‘एक समाज के राजनीतिक विकास से जुड़ी एक बहुआयामी प्रक्रिया’ के रूप में देखा, जिसमें पारंपरिक समाजों से आधुनिक समाजों की ओर संक्रमण शामिल है। इसमें शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, लोकतांत्रिकरण और राष्ट्रीय एकीकरण जैसे पहलू शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वे आधुनिकीकरण को केवल पश्चिमीकरण के रूप में नहीं देखते, बल्कि विकासशील देशों के लिए एक विशेष प्रक्रिया मानते हैं।
  • गलत विकल्प: औपनिवेशीकरण एक अलग प्रक्रिया है। तकनीकी विकास और राष्ट्र-राज्यों का उदय आधुनिकीकरण के अंग हो सकते हैं, लेकिन आधुनिकीकरण स्वयं एक व्यापक परिवर्तन है।

प्रश्न 12: समाजशास्त्र में ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) की मुख्य विशेषता क्या है?

  1. संख्यात्मक डेटा का विश्लेषण
  2. बड़े नमूना आकार का उपयोग
  3. प्रतिभागियों के दृष्टिकोण और अनुभवों को समझना
  4. सांख्यिकीय विधियों पर अत्यधिक निर्भरता

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: गुणात्मक अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक घटनाओं के पीछे छिपे अर्थों, विचारों, भावनाओं और अनुभवों को गहराई से समझना है। इसमें अक्सर साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी आदि का उपयोग किया जाता है, जहां डेटा संख्यात्मक नहीं, बल्कि वर्णनात्मक होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मुख्य रूप से व्याख्यात्मक (interpretive) समाजशास्त्र से जुड़ा है, जो व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: संख्यात्मक डेटा, बड़े नमूना आकार और सांख्यिकीय विधियाँ मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) की विशेषताएँ हैं।

  • प्रश्न 13: भारत में ‘अछूत’ (Untouchables) या दलितों (Dalits) के प्रति ब्रिटिश शासन की नीति कैसी रही?

    1. उन्होंने जाति व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त करने का प्रयास किया।
    2. उन्होंने दलितों के लिए विशेष आरक्षण और प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की।
    3. उन्होंने जाति व्यवस्था को अनदेखा किया और पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं को बनाए रखा।
    4. उन्होंने केवल मिशनरियों को दलितों के उत्थान की अनुमति दी।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ब्रिटिश शासन ने भारत की पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं को पूरी तरह से बदलने का प्रयास नहीं किया, लेकिन उन्होंने दलितों की स्थिति पर कुछ हद तक ध्यान दिया। उन्होंने जनगणनाओं में जातियों की सूची बनाना शुरू किया और बाद में, राजनीतिक सुधारों के तहत, दलितों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल (separate electorates) और सीटों के आरक्षण (reserved seats) का प्रस्ताव दिया (जैसे पूना पैक्ट से पहले)।
  • संदर्भ और विस्तार: बी.आर. अम्बेडकर ने दलितों के अधिकारों और प्रतिनिधित्व के लिए महत्वपूर्ण संघर्ष किया, जिसने ब्रिटिश नीति को भी प्रभावित किया।
  • गलत विकल्प: ब्रिटिशों ने जाति व्यवस्था को समाप्त नहीं किया, बल्कि कुछ हद तक इसे संस्थागत भी बनाया (जैसे जनगणना द्वारा)। केवल मिशनरियों पर छोड़ना भी सही नहीं है।

  • प्रश्न 14: चार्ल्स कूली (Charles Cooley) ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी, जो सामाजिक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत का हिस्सा है। इसके अनुसार, व्यक्ति का स्व-बोध (self-concept) कैसे विकसित होता है?

    1. अपने आंतरिक विचारों और भावनाओं से
    2. दूसरों की प्रतिक्रियाओं (प्रशंसा, आलोचना) को प्रतिबिंबित करके
    3. समूह के शक्तिशाली सदस्यों का अनुकरण करके
    4. कड़ी प्रतिस्पर्धा और संघर्ष के माध्यम से

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कूली के ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ के अनुसार, व्यक्ति का आत्म-बोध तीन चरणों में विकसित होता है: (1) हम यह कल्पना करते हैं कि हम दूसरों की नज़रों में कैसे दिखते हैं, (2) हम दूसरों की दूसरों की नज़रों में हमारे बारे में की गई आलोचना या प्रशंसा का अनुमान लगाते हैं, और (3) हम अपने स्व-बोध को विकसित करते हैं, जो इन कथित प्रतिक्रियाओं से प्रभावित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा कूली की पुस्तक ‘ह्यूमन नेचर एंड द सोशल ऑर्डर’ (Human Nature and the Social Order) में प्रस्तुत की गई है।
  • गलत विकल्प: स्व-बोध मुख्य रूप से दूसरों की प्रतिक्रियाओं से आकार लेता है, न कि केवल आंतरिक विचारों या शक्तिशाली सदस्यों के अनुकरण से।

  • प्रश्न 15: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी, जो दर्शाती है कि संस्कृति के विभिन्न तत्व अलग-अलग गति से बदलते हैं?

    1. विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner)
    2. एल्बर्ट समनर (Albert Sumner)
    3. विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn)
    4. एच. स्पेंसर (H. Spencer)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, कारें) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, कानून, नैतिकता) की तुलना में तेज़ी से बदलती है। इस अंतर के कारण समाज में तनाव और समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘सोशल चेंज: ए टेक्स्टबुक ऑफ सेकेंडरी सोशियोलॉजिकल थ्योरी’ (Social Change: A Textbook of Secondary Sociological Theory) में प्रस्तुत की गई है।
  • गलत विकल्प: समनर ने ‘फोल्क्वेस’ (folkways) और ‘मोर्स’ (mores) जैसे सांस्कृतिक तत्वों को परिभाषित किया। अल्बर्ट समनर एक काल्पनिक नाम है। हर्बर्ट स्पेंसर एक विकासवादी समाजशास्त्री थे।

  • प्रश्न 16: भारत में, ‘ग्राम सभा’ (Gram Sabha) निम्नलिखित में से किस स्तर पर एक महत्वपूर्ण संस्था है?

    1. पंचायती राज व्यवस्था
    2. शहरी स्थानीय स्वशासन
    3. राज्य सरकार की कार्यकारी शाखा
    4. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ग्राम सभा पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System) की सबसे निचली और महत्वपूर्ण संस्था है। यह ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी मतदाताओं की एक सभा होती है, जो ग्राम स्तर पर लोकतंत्र का आधार है।
  • संदर्भ और विस्तार: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया और ग्राम सभा को सशक्त किया।
  • गलत विकल्प: ग्राम सभा का संबंध शहरी स्वशासन, राज्य या केंद्रीय सरकारों से नहीं है, बल्कि सीधे ग्रामीण स्थानीय स्वशासन से है।

  • प्रश्न 17: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘अनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

    1. जब सामाजिक लक्ष्य स्पष्ट होते हैं लेकिन उन्हें प्राप्त करने के साधन उपलब्ध नहीं होते।
    2. जब समाज में कोई नियम या मानदंड नहीं होते।
    3. जब व्यक्तियों पर सामाजिक नियंत्रण अत्यधिक बढ़ जाता है।
    4. जब सामाजिक मूल्यों और मानदंडों में अचानक और व्यापक परिवर्तन होता है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन हो जाते हैं।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दुर्खीम के अनुसार, अनोमी एक ऐसी अवस्था है जिसमें समाज के नैतिक और सामाजिक नियमों का ढीला पड़ जाना या उनका अभाव हो जाता है। यह विशेष रूप से तब होता है जब समाज में अचानक बड़े पैमाने पर परिवर्तन (जैसे आर्थिक संकट या उछाल) आते हैं, जिससे पुरानी सामाजिक व्यवस्थाएं टूट जाती हैं और नई स्पष्ट नहीं हो पातीं। व्यक्ति दिशाहीन और अनिश्चित महसूस करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ (Suicide) जैसी पुस्तकों में पाई जाती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह मर्टन के संरचनात्मक तनाव से अधिक निकट है। (b) केवल नियमों का अभाव पूर्ण अनोमी नहीं है; परिवर्तन के कारण भी यह होता है। (c) अत्यधिक नियंत्रण प्रतिबंधक हो सकता है, लेकिन अनोमी नहीं।

  • प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था समाज को व्यवस्थित रखने और सदस्यों को अनुशासित करने का कार्य करती है?

    1. परिवार
    2. शिक्षा
    3. राजनीति
    4. सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ये सभी प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं जो समाज को व्यवस्थित रखने और सदस्यों को अनुशासित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परिवार समाजीकरण और नियंत्रण सिखाता है, शिक्षा ज्ञान और सामाजिक मूल्य प्रदान करती है, और राजनीति व्यवस्था, कानून और व्यवस्था बनाए रखती है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ये सभी संस्थाएँ सामाजिक व्यवस्था (social order) बनाए रखने के लिए मिलकर कार्य करती हैं।
  • गलत विकल्प: किसी एक संस्था को चुनना इन सभी के संयुक्त कार्य की उपेक्षा करना होगा।

  • प्रश्न 19: कार्ल मार्क्स ने ‘सर्वहारा की तानाशाही’ (Dictatorship of the Proletariat) की अवधारणा क्यों प्रस्तुत की?

    1. पूंजीपतियों के दमन के लिए
    2. साम्यवाद के अंतिम चरण में पहुंचने से पहले एक संक्रमणकालीन अवस्था के रूप में
    3. बुर्जुआ वर्ग को पूर्ण शक्ति देने के लिए
    4. वर्गहीन समाज की स्थापना को रोकने के लिए

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मार्क्स के सिद्धांत के अनुसार, पूंजीवाद से साम्यवाद की ओर संक्रमण के दौरान, सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) अस्थायी रूप से सत्ता पर कब्जा करेगा और बुर्जुआ वर्ग के प्रतिरोध को दबाने के लिए ‘सर्वहारा की तानाशाही’ स्थापित करेगा। यह अवस्था वर्गहीन, राज्यहीन साम्यवादी समाज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के वर्ग संघर्ष और क्रांति के सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: यह पूंजीपतियों के दमन से अधिक एक संक्रमणकालीन व्यवस्था है। यह बुर्जुआ वर्ग को शक्ति देने के विपरीत है और वर्गहीन समाज की स्थापना को रोकने के बजाय उस ओर एक कदम है।

  • प्रश्न 20: भारतीय समाज में, ‘आधुनिकता’ (Modernity) की प्रक्रिया के बारे में किसने यह कहा कि यह केवल औद्योगीकरण और शहरीकरण नहीं, बल्कि ‘विचारों, मूल्यों और व्यवहारों का परिवर्तन’ भी है?

    1. एम.एन. श्रीनिवास
    2. योगेन्द्र सिंह
    3. टी.बी. बॉटमोर
    4. ई.ई. शिल (E.E. Shils)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: योगेन्द्र सिंह, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने भारतीय संदर्भ में आधुनिकीकरण का अध्ययन किया। उन्होंने तर्क दिया कि भारतीय समाज में आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें पारंपरिक संरचनाओं के साथ-साथ आधुनिक विचारों, मूल्यों और व्यवहारों का एकीकरण शामिल है। यह केवल बाहरी परिवर्तन नहीं, बल्कि आंतरिक परिवर्तन भी है।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘इंडियन सोशियोलॉजी: कंसेप्ट्स, थ्योरीज़ एंड मेथड्स’ (Indian Sociology: Concepts, Theories and Methods) और ‘मॉडर्नाइजेशन ऑफ इंडियन ट्रेडिशन’ (Modernization of Indian Tradition) महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण पर काम किया। बॉटमोर और शिल पश्चिमी समाजशास्त्रियों के रूप में जाने जाते हैं, हालांकि उनके विचार प्रासंगिक हो सकते हैं, लेकिन योगेन्द्र सिंह का विशेष योगदान इस क्षेत्र में भारतीय संदर्भ में है।

  • प्रश्न 21: समाजशास्त्र में ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) की अवधारणा का संबंध किससे है?

    1. व्यक्तियों के बीच समानता
    2. सामाजिक असमानता और शक्ति का वितरण
    3. सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार
    4. समूहों के बीच सहयोग

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: पदानुक्रम (Hierarchy) सामाजिक स्तरीकरण और सामाजिक व्यवस्था का एक प्रमुख पहलू है, जो समाज में विभिन्न स्तरों, समूहों या व्यक्तियों के बीच शक्ति, प्रतिष्ठा, विशेषाधिकार और संसाधनों के असमान वितरण को दर्शाता है। इसमें अक्सर एक शीर्षस्थ और निम्नस्थ श्रेणियां होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था, वर्ग व्यवस्था और नौकरशाही संरचनाएँ पदानुक्रम के प्रमुख उदाहरण हैं।
  • गलत विकल्प: समानता, सांस्कृतिक प्रसार या सहयोग पदानुक्रम की प्रत्यक्ष परिभाषा नहीं हैं।

  • प्रश्न 22: हर्बर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) द्वारा विकसित ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर है?

    1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं पर
    2. व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रिया और प्रतीकों पर
    3. औद्योगीकरण के प्रभाव पर
    4. सामाजिक नियंत्रण के साधनों पर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद समाज को व्यक्तियों के बीच निरंतर चलने वाली अंतःक्रियाओं (interactions) की एक प्रक्रिया के रूप में देखता है, जिसमें वे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव, वस्तुएं) का उपयोग करके अर्थ पैदा करते हैं, साझा करते हैं और बदलते हैं। यह सामाजिक वास्तविकता के निर्माण में व्यक्तिपरक अर्थों के महत्व पर जोर देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) के विचारों को विकसित करके इस सिद्धांत को औपचारिक रूप दिया।
  • गलत विकल्प: यह सिद्धांत बड़े पैमाने पर संरचनाओं, औद्योगीकरण या प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण के बजाय सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।

  • प्रश्न 23: भारत में, ‘जनजातीय पहचान’ (Tribal Identity) को समझने के लिए समाजशास्त्रियों ने किन दो प्रमुख दृष्टिकोणों का उपयोग किया है?

    1. अलगाववादी और एकीकरणवादी
    2. पृथक्करणवादी और आत्मसात्करणवादी
    3. संरचनात्मक और सांस्कृतिक
    4. आत्मसात और विरोध

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जनजातीय पहचान को समझने में दो प्रमुख दृष्टिकोण रहे हैं: ‘पृथक्करणवादी’ (Isolationist/Segregationist), जो जनजातियों को शेष समाज से अलग रखना चाहते हैं, और ‘आत्मसात्करणवादी’ (Assimilationist), जो उन्हें मुख्यधारा के समाज में पूरी तरह से विलीन करने पर जोर देते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये दृष्टिकोण ऐतिहासिक रूप से ब्रिटिश शासन की नीतियों से लेकर स्वतंत्रता के बाद की विकास नीतियों तक को प्रभावित करते रहे हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प प्रासंगिक हो सकते हैं, लेकिन ये दो मुख्य विरोधी दृष्टिकोण हैं जो जनजातीय समाजों के प्रति सरकारी और सामाजिक नीति को परिभाषित करते हैं।

  • प्रश्न 24: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘विश्वसनीयता’ (Reliability) से क्या तात्पर्य है?

    1. क्या मापा जा रहा है, उसका सही मापन
    2. यह सुनिश्चित करना कि परिणाम पूर्वाग्रह मुक्त हों
    3. यह सुनिश्चित करना कि समान विधियों का उपयोग करने पर बार-बार समान या समान परिणाम प्राप्त हों
    4. यह सुनिश्चित करना कि अध्ययन के निष्कर्ष उस बड़ी आबादी पर लागू होते हैं जिससे नमूना लिया गया था।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विश्वसनीयता (Reliability) का अर्थ है कि यदि किसी माप या अनुसंधान पद्धति को बार-बार लागू किया जाए, तो उसके परिणाम सुसंगत (consistent) होने चाहिए। यह मापन की स्थिरता (stability) को दर्शाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: विश्वसनीयता मात्रात्मक अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण गुण है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘वैधता’ (Validity) का अर्थ है कि क्या मापा जा रहा है, उसका सही मापन। (b) पूर्वाग्रह मुक्ति शुद्धता (Accuracy) से संबंधित है। (d) यह ‘प्रयोज्यता’ (Generalizability) या वैधता का हिस्सा है।

  • प्रश्न 25: समाजशास्त्र में ‘श्रम विभाजन’ (Division of Labour) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से सबसे गहरा है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. मैक्स वेबर
    3. एमिल दुर्खीम
    4. हरबर्ट स्पेंसर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम को श्रम विभाजन पर उनके विस्तृत कार्य के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ में श्रम विभाजन को सामाजिक एकजुटता (Solidarity) के विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में विश्लेषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने बताया कि कैसे श्रम विभाजन समाजों को यांत्रिक एकजुटता से साव्यवी एकजुटता की ओर ले जाता है।
  • गलत विकल्प: मार्क्स ने भी श्रम विभाजन पर चर्चा की, खासकर अलगाव के संदर्भ में। वेबर ने नौकरशाही और शक्ति के संदर्भ में श्रम विभाजन की बात की। स्पेंसर ने सामाजिक विकास में श्रम विभाजन के महत्व पर बल दिया, लेकिन दुर्खीम का काम इस विषय पर सबसे मौलिक और व्यापक माना जाता है।
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