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समाजशास्त्र की तैयारी: आज का महा-क्विज़!

समाजशास्त्र की तैयारी: आज का महा-क्विज़!

नमस्ते, भविष्य के समाजशास्त्र के महारथियों! अपनी अवधारणाओं को पैना करने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन एक नया मौका है अपनी समाजशास्त्रीय समझ की गहराई को परखने और महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को एक नई धार देने का। आइए, आज के इस ज्ञानवर्धक क्विज़ में गोता लगाएँ!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा का संबंध किस प्रमुख समाजशास्त्री से है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हर्बर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा पेश की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे विचार, भावनाएँ और क्रियाएँ समाज में मौजूद होती हैं और व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालती हैं। ये व्यक्ति से स्वतंत्र होते हैं और उनका अध्ययन वस्तुनिष्ठ (objective) तरीके से किया जाना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा की व्याख्या की है। उनका उद्देश्य समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करना था, जिसके अध्ययन की अपनी वस्तु (सामाजिक तथ्य) और अपनी पद्धति हो।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया (social action) और उसके व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को समझने पर जोर दिया (Verstehen)। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद और सामाजिक विकास पर काम किया।

प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, शक्ति (Power) के तीन आदर्श प्रकारों (ideal types) में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल नहीं है?

  1. परंपरागत प्रभुत्व (Traditional Domination)
  2. करिश्माई प्रभुत्व (Charismatic Domination)
  3. तर्कसंगत-कानूनी प्रभुत्व (Rational-Legal Domination)
  4. आर्थिक प्रभुत्व (Economic Domination)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने प्रभुत्व (Domination) या वैधतापूर्ण शक्ति (Legitimate Power) के तीन आदर्श प्रकार बताए थे: परंपरागत, करिश्माई और तर्कसंगत-कानूनी। ‘आर्थिक प्रभुत्व’ उनके द्वारा बताए गए प्रभुत्व के प्रकारों में से एक नहीं है, हालांकि आर्थिक कारक शक्ति को प्रभावित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इन तीन प्रकारों के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया कि लोग क्यों शासकों की आज्ञा का पालन करते हैं। परंपरागत प्रभुत्व पुरानी प्रथाओं और परंपराओं पर आधारित होता है (जैसे राजशाही), करिश्माई प्रभुत्व नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित होता है (जैसे धार्मिक नेता), और तर्कसंगत-कानूनी प्रभुत्व नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होता है (जैसे आधुनिक नौकरशाही)।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) वेबर द्वारा वर्णित प्रभुत्व के वैध प्रकार हैं। आर्थिक प्रभुत्व एक प्रकार की शक्ति हो सकती है, लेकिन वेबर ने इसे प्रभुत्व के एक विशिष्ट आदर्श प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया है।

प्रश्न 3: ‘अनुकूलन’ (Adaptation) और ‘एकीकरण’ (Integration) किस समाजशास्त्रीय उपागम (approach) के प्रमुख घटक हैं?

  1. संघर्ष उपागम (Conflict Approach)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक उपागम (Structural-Functional Approach)
  4. लोक-पद्धति विज्ञान (Ethnomethodology)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ‘अनुकूलन’ (Adaptation – पर्यावरण के साथ संबंध) और ‘एकीकरण’ (Integration – समाज के विभिन्न भागों के बीच सामंजस्य) टैलकोट पार्सन्स द्वारा प्रस्तावित AGIL प्रतिमान (AGIL paradigm) के चार प्रमुख प्रकार्यात्मक (functional) आवश्यकताओं में से दो हैं। संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक उपागम समाज को एक जटिल तंत्र के रूप में देखता है जिसके विभिन्न भाग (संरचनाएं) मिलकर समाज के अस्तित्व और स्थिरता के लिए प्रकार्य (functions) करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: AGIL मॉडल के अन्य दो घटक लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment) और व्यवस्था विधान (Latency/Pattern Maintenance) हैं। यह उपागम समाज की स्थिरता और व्यवस्था पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष उपागम शक्ति, संघर्ष और सामाजिक परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से अर्थ निर्माण पर जोर देता है। लोक-पद्धति विज्ञान रोजमर्रा की बातचीत में सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के तरीकों का अध्ययन करता है।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का प्रयोग किस संदर्भ में किया?

  1. धर्म के प्रति लोगों का मोह
  2. पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक का अपनी मेहनत, उत्पाद, सहकर्मियों और स्वयं से अलग हो जाना
  3. व्यक्ति का परिवार से अलगाव
  4. राजनीतिक व्यवस्था से असंतोष

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ की अवधारणा का प्रयोग विशेष रूप से पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया। उनका मानना था कि पूँजीवाद में, श्रमिक अपनी मेहनत के उत्पाद (जिसे वह बेच देता है), अपनी स्वयं की रचनात्मक शक्ति (जो मशीन या उत्पादन प्रक्रिया का एक हिस्सा बन जाती है), अपने सहकर्मियों (प्रतिस्पर्धा के कारण), और अंततः स्वयं से अलग (alienated) हो जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की प्रारंभिक रचनाओं, विशेषकर ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में प्रमुख है। मार्क्स के लिए, अलगाव पूँजीवाद की एक अंतर्निहित समस्या थी जो मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति के विरुद्ध थी।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सामाजिक अलगाव के अन्य रूप हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के ‘अलगाव’ की अवधारणा का प्राथमिक ध्यान उत्पादन की प्रक्रिया और पूँजीवादी व्यवस्था से उत्पन्न होने वाले अलगाव पर था।

प्रश्न 5: ‘प्रतीक’ (Symbol) और ‘अर्थ’ (Meaning) के महत्व पर जोर देने वाला समाजशास्त्रीय उपागम कौन सा है?

  1. संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता
  2. संघर्ष सिद्धांत
  3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  4. सामाजिक विनिमय सिद्धांत

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) वह समाजशास्त्रीय उपागम है जो मानता है कि समाज व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं पर आधारित है, और ये अंतःक्रियाएँ प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के आदान-प्रदान पर निर्भर करती हैं। इस उपागम के अनुसार, व्यक्ति इन प्रतीकों के माध्यम से अर्थ (meaning) का निर्माण करते हैं और उन्हें अपने व्यवहार को निर्देशित करने के लिए उपयोग करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस उपागम के प्रमुख विचारक हैं। ब्लूमर ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के तीन बुनियादी अनुमान बताए: (1) मनुष्य वस्तुओं (और स्वयं) के प्रति उन तरीकों से व्यवहार करते हैं जो उनके लिए उन वस्तुओं के अर्थ पर आधारित होते हैं; (2) ये अर्थ उन सामाजिक अंतःक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं जो व्यक्ति दूसरों के साथ करते हैं; (3) इन अर्थों की व्याख्या और संशोधन उस प्रक्रिया में किया जाता है जिसका व्यक्ति अपने स्वयं के अंतःक्रियाओं के साथ सामना करने में उपयोग करता है।
  • गलत विकल्प: संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता समाज की संरचनाओं और उनके प्रकार्यों पर ध्यान केंद्रित करती है। संघर्ष सिद्धांत समाज में शक्ति और संघर्ष पर जोर देता है। सामाजिक विनिमय सिद्धांत मानता है कि सामाजिक संबंध पुरस्कार और लागत के विनिमय पर आधारित होते हैं।

प्रश्न 6: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘अभिप्रायहीनता’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण हो
  2. जब सामाजिक मानदंडों (norms) और मूल्यों में अचानक परिवर्तन या उनका क्षरण हो जाए
  3. जब व्यक्ति पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो
  4. जब समाज में बहुत अधिक रूढ़िवाद हो

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दुर्खीम के अनुसार, अभिप्रायहीनता (Anomie) एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ सामाजिक मानदंडों (norms) की स्पष्टता का अभाव होता है, या जब ये मानदंड प्रभावी नहीं रह जाते। यह स्थिति विशेष रूप से तब उत्पन्न होती है जब समाज में बड़े पैमाने पर या अचानक परिवर्तन होते हैं (जैसे आर्थिक संकट या तीव्र प्रगति), जिससे लोगों को यह समझ नहीं आता कि उन्हें कैसा व्यवहार करना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाज के विभाजन’ (The Division of Labour in Society) जैसी पुस्तकों में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। वह इसे आधुनिक औद्योगिक समाजों में एक प्रमुख समस्या मानते थे।
  • गलत विकल्प: (a) अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण ‘अभिप्रायहीनता’ के बजाय ‘नियमन’ (regulation) की अधिकता से जुड़ा है। (c) आत्मनिर्भरता व्यक्तिगत स्तर पर अलगाव का कारण बन सकती है, लेकिन अभिप्रायहीनता एक सामाजिक स्थिति है। (d) रूढ़िवाद स्वयं में अभिप्रायहीनता का कारण नहीं है; बल्कि, जब स्थापित रूढ़ियाँ टूटती हैं या प्रभावी नहीं रहतीं, तब यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

प्रश्न 7: निम्न में से कौन सा कथन ‘प्रतीक’ (Symbol) के बारे में सही नहीं है?

  1. प्रतीक मानव व्यवहार के लिए सर्वव्यापी होते हैं।
  2. प्रतीक केवल भाषा तक ही सीमित होते हैं।
  3. प्रतीक विचारों और भावनाओं को संप्रेषित करते हैं।
  4. प्रतीक सामाजिक अंतःक्रिया को संभव बनाते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: प्रतीक केवल भाषा तक ही सीमित नहीं होते हैं। इनमें हावभाव, चित्र, वस्तुएं, रंग, ध्वनियाँ आदि शामिल हो सकते हैं जो किसी विचार, भावना या अवधारणा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, प्रतीक ही सामाजिक जीवन का आधार हैं। भाषा, इशारे, और अन्य गैर-मौखिक संकेत सभी प्रतीकों के उदाहरण हैं जो हमें एक-दूसरे के साथ संवाद करने और समाज को बनाने में मदद करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) प्रतीक वास्तव में मानव व्यवहार के लिए सर्वव्यापी हैं, क्योंकि हम हर समय प्रतीकों का उपयोग और व्याख्या करते हैं। (c) प्रतीक हमें जटिल विचारों और भावनाओं को संप्रेषित करने की अनुमति देते हैं। (d) बिना प्रतीकों के, एक-दूसरे के इरादों को समझना या साझा अर्थ बनाना असंभव होगा, जिससे सामाजिक अंतःक्रिया संभव नहीं होगी।

प्रश्न 8: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के अध्ययन में किस अवधारणा को महत्वपूर्ण माना है?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. लोकतंत्र (Democracy)
  3. अर्बनाइजेशन (Urbanization)
  4. शहरीकरण (Urbanization)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने भारतीय समाज में परिवर्तन को समझने के लिए ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा पेश की। यह तब होता है जब निम्न जाति या जनजाति के लोग उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम में उच्च दर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया से गुजरते हैं। (नोट: प्रश्न में विकल्प (c) और (d) समान हैं, संभवतः टाइपिंग त्रुटि है। श्रीनिवास का कार्य मुख्य रूप से पश्चिमीकरण और संस्कृतिकरण पर केंद्रित था)।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा को भी लोकप्रिय बनाया, जो पश्चिमीकरण के समान है लेकिन यह भारतीय संदर्भ में निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के व्यवहार को अपनाने से संबंधित है। पश्चिमीकरण, जैसा कि श्रीनिवास ने उपयोग किया, ब्रिटिश उपनिवेशवाद के प्रभाव से पश्चिमी संस्कृति के तत्वों को अपनाने की व्यापक प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
  • गलत विकल्प: (b) लोकतंत्र एक राजनीतिक प्रणाली है, सामाजिक परिवर्तन की विशिष्ट अवधारणा नहीं। (c) और (d) शहरीकरण (Urbanization) एक महत्वपूर्ण सामाजिक प्रक्रिया है, लेकिन श्रीनिवास के मौलिक योगदान पश्चिमीकरण और संस्कृतिकरण को समझने में थे।

प्रश्न 9: ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्रीय विचारक से है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. अगस्त कॉम्ते

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा को मैक्स वेबर ने विकसित किया था। यह एक विश्लेषणात्मक उपकरण है जिसका उपयोग समाजशास्त्री वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने और उनका विश्लेषण करने के लिए करते हैं। यह किसी घटना के कुछ विशिष्ट लक्षणों का अतिरंजित (exaggerated) चित्र होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (bureaucracy), पूंजीवाद (capitalism) और प्रभुत्व (domination) जैसे सामाजिक फेनोमेना को समझने के लिए आदर्श प्रारूपों का उपयोग किया। यह जरूरी नहीं कि वह “आदर्श” (perfect) हो, बल्कि यह विश्लेषण के लिए एक “शुद्ध” (pure) या “तार्किक” (logical) निर्माण है।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और सामूहिक चेतना जैसी अवधारणाओं पर काम किया। कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र के संस्थापक पिताओं में से एक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (positivism) की वकालत की।

प्रश्न 10: किंशिप (Kinship) संरचना के अध्ययन में ‘गोत्र’ (Lineage) और ‘वंश’ (Descent) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

  1. गोत्र केवल मातृवंशीय होता है, जबकि वंश पितृवंशीय।
  2. गोत्र एक विशिष्ट पूर्वज से प्राप्त संबंध बताता है, जबकि वंश यह बताता है कि हम अपने माता-पिता से कैसे संबंधित हैं।
  3. गोत्र में सभी सदस्यों के बीच प्रत्यक्ष, ज्ञात संबंध होते हैं, जबकि वंश में संबंध अधिक अस्पष्ट हो सकते हैं।
  4. गोत्र केवल विवाह से संबंधित होता है, जबकि वंश जन्म से।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: गोत्र (Lineage) वंश का एक विशिष्ट रूप है जहां सभी सदस्य एक विशेष, ऐतिहासिक रूप से ज्ञात पूर्वज से अपनी वंशावली को प्रत्यक्ष रूप से ट्रैक कर सकते हैं। वंश (Descent) एक व्यापक अवधारणा है जो यह संदर्भित करती है कि व्यक्ति अपने माता-पिता या पूर्वजों से किस प्रकार संबंधित हैं, चाहे वह पितृवंशीय, मातृवंशीय या द्विपक्षीय (bilateral) हो। गोत्र वंश के भीतर एक अधिक निश्चित और ट्रेस करने योग्य श्रृंखला है।
  • संदर्भ और विस्तार: नृविज्ञान (Anthropology) और समाजशास्त्र में, वंश समूह (descent groups) वे समूह हैं जो वंश के सामान्य पूर्वज के आधार पर परिभाषित होते हैं। वंश के प्रकारों में पितृवंशीय (Patrilineal), मातृवंशीय (Matrilineal) और द्विपक्षीय (Bilateral) वंश शामिल हैं। गोत्र, वंश का एक विशिष्ट रूप है जहां प्रत्यक्ष संबंध स्थापित किए जा सकते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) गोत्र मातृवंशीय या पितृवंशीय हो सकता है। (b) यह एक अस्पष्टीकरण है; गोत्र अपने आप में पूर्वज से संबंधित है, लेकिन प्रत्यक्ष संबंध के साथ। (d) दोनों ही जन्म और/या विवाह से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन गोत्र अपने प्रत्यक्ष ट्रेसबिलिटी पर अधिक केंद्रित है।

प्रश्न 11: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज में सामाजिक असमानता का अध्ययन
  2. लोगों के बीच सामाजिक संबंधों का अध्ययन
  3. किसी समाज के सांस्कृतिक मूल्यों का अध्ययन
  4. समाज में अपराध की दर का अध्ययन

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण समाज में लोगों को उनकी स्थिति, विशेषाधिकारों, संसाधनों और शक्ति के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह समाज में असमानता का एक व्यवस्थित और संस्थागत रूप है, जो संपत्ति, आय, शिक्षा, व्यवसाय, जाति, वर्ग आदि जैसे कारकों पर आधारित हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख सिद्धांतकारों में कार्ल मार्क्स (वर्ग के आधार पर), मैक्स वेबर (वर्ग, प्रतिष्ठा और शक्ति के आधार पर) और कार्ल the (कार्यात्मक दृष्टिकोण से) शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: (b) सामाजिक संबंध सामाजिक संरचना का हिस्सा हैं, लेकिन स्तरीकरण मुख्य रूप से असमानता से संबंधित है। (c) सांस्कृतिक मूल्य स्तरीकरण को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन वे स्वयं स्तरीकरण नहीं हैं। (d) अपराध दर सामाजिक समस्या का अध्ययन है, न कि स्तरीकरण का।

प्रश्न 12: निम्न में से कौन सा सामाजिक संस्था (Social Institution) का उदाहरण नहीं है?

  1. परिवार
  2. शिक्षा
  3. धर्म
  4. बाजार

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जबकि बाज़ार एक महत्वपूर्ण आर्थिक संस्था है, इसे पारंपरिक रूप से परिवार, शिक्षा और धर्म जैसी सार्वभौमिक सामाजिक संस्थाओं के साथ एक ही श्रेणी में नहीं रखा जाता है, जो समाज के मूल संरचनात्मक और सांस्कृतिक कार्यों को पूरा करती हैं। हालाँकि, कुछ समाजशास्त्री आर्थिक संस्थाओं को भी सामाजिक संस्थाओं का हिस्सा मानते हैं। यदि दिए गए विकल्पों में से सबसे कम ‘पारंपरिक’ या ‘मुख्य’ सामाजिक संस्था के रूप में देखा जाए तो बाज़ार को चुना जा सकता है। (यह प्रश्न थोड़े विवादास्पद हो सकता है, लेकिन मुख्यधारा की समाजशास्त्रीय परिभाषाओं के अनुसार, परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था (व्यापक रूप से) प्रमुख सामाजिक संस्थाएं मानी जाती हैं)।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएं वे स्थापित और स्वीकृत प्रणालियाँ हैं जो समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। परिवार प्रजनन और समाजीकरण के लिए, शिक्षा ज्ञान के हस्तांतरण के लिए, और धर्म जीवन को अर्थ प्रदान करने और सामाजिक नियंत्रण के लिए कार्य करते हैं।
  • गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म सभी प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं जिनके स्पष्ट कार्य और संरचनाएं हैं। बाज़ार मुख्य रूप से एक आर्थिक व्यवस्था है, हालांकि इसके सामाजिक प्रभाव होते हैं।

प्रश्न 13: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल है?

  1. केवल कला और साहित्य
  2. केवल भौतिक वस्तुएँ (जैसे कार, कंप्यूटर)
  3. लोगों द्वारा सीखी गई और साझा की गई मान्यताओं, मूल्यों, ज्ञान, मानदंडों, कलाकृतियों और व्यवहारों का एक समग्र समूह
  4. केवल भाषा और संचार के तरीके

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: संस्कृति का समाजशास्त्रीय अर्थ बहुत व्यापक है। इसमें न केवल अमूर्त (non-material) तत्व जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा, ज्ञान, और सामाजिक मानदंड शामिल हैं, बल्कि भौतिक (material) तत्व जैसे कलाकृतियाँ, उपकरण, भवन और अन्य मानव निर्मित वस्तुएं भी शामिल हैं। यह सब कुछ सीखा और साझा किया जाता है, न कि जैविक रूप से विरासत में मिला।
  • संदर्भ और विस्तार: टाइलर की प्रसिद्ध परिभाषा के अनुसार, “संस्कृति वह जटिल संपूर्ण है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और वे अन्य क्षमताएँ और आदतें शामिल हैं जो मनुष्य समाज के सदस्य के रूप में अर्जित करता है।”
  • गलत विकल्प: (a) संस्कृति केवल कला और साहित्य तक सीमित नहीं है। (b) संस्कृति में भौतिक वस्तुएं शामिल हैं, लेकिन यह केवल भौतिक वस्तुएं नहीं है। (d) भाषा संचार का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, लेकिन संस्कृति का केवल एक हिस्सा है।

प्रश्न 14: ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से गहराई से जुड़ी है?

  1. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  2. मैक्स वेबर
  3. टैलकोट पार्सन्स
  4. अल्फ्रेड शू्ट्ज़

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने आधुनिक पश्चिमी समाज के उदय के विश्लेषण में ‘तर्कसंगतता’ की अवधारणा को केंद्रीय माना। उनके अनुसार, आधुनिक समाज का विकास तर्कसंगतता (जैसे दक्षता, गणना, अनुमानितता) के सिद्धांतों पर आधारित प्रणालियों (जैसे नौकरशाही, पूंजीवाद) के विस्तार द्वारा चिह्नित है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) जैसी अपनी कृतियों में दिखाया कि कैसे धार्मिक विचारों ने तर्कसंगत आर्थिक व्यवहार को बढ़ावा दिया, और कैसे यह आधुनिक पूंजीवाद के विकास का एक महत्वपूर्ण कारक बना। तर्कसंगतता का अर्थ है कि निर्णय और क्रियाएं तर्क, गणना और दक्षता पर आधारित होती हैं, न कि भावना, परंपरा या जादू पर।
  • गलत विकल्प: (a) रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता और नृविज्ञान से जुड़े थे। (c) पार्सन्स ने वेबर के काम पर विस्तार किया, लेकिन वेबर तर्कसंगतता के मूल प्रस्तावक थे। (d) शू्ट्ज़ फेनोमेनोलॉजी और लोक-पद्धति विज्ञान से जुड़े थे।

प्रश्न 15: भारतीय संदर्भ में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषताएँ उसे एक अनूठी सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली बनाती हैं?

  1. पेशा का निर्धारण जन्म से होता है (Endogamy and Hereditary Occupation)।
  2. विभिन्न जातियों के बीच सामाजिक संपर्क और खान-पान पर कड़े नियम (Rules of social interaction and commensality)।
  3. जातियों का एक पदानुक्रमित क्रम (Hierarchical order of castes)।
  4. उपरोक्त सभी।

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था की उपरोक्त सभी विशेषताएँ उसे एक अनूठी और जटिल सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली बनाती हैं। जन्म से पेशा निर्धारण, विभिन्न जातियों के बीच खान-पान और सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंध (जैसे अंतर्विवाह – Endogamy), और जातियों का एक सुस्पष्ट पदानुक्रम (जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और बहिष्कृत वर्ग) इसकी प्रमुख पहचान हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था भारतीय समाज में हजारों वर्षों से सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन को प्रभावित करती रही है। हालाँकि आधुनिक भारत में इसमें परिवर्तन आ रहे हैं, फिर भी इसके प्रभाव अभी भी देखे जा सकते हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि (a), (b), और (c) सभी सही हैं और जाति व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

प्रश्न 16: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. किसी समाज का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
  2. लोगों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर या क्षैतिज रूप से जाना।
  3. लोगों का अपने सामाजिक परिवेश में स्थिर रहना।
  4. समाज में होने वाले सांस्कृतिक परिवर्तनों का अध्ययन।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य व्यक्तियों या समूहों द्वारा समाज के भीतर उनकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन से है। यह परिवर्तन ऊर्ध्वाधर (vertical) (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (horizontal) (एक समान स्तर पर) हो सकता है। ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में वर्ग, आय, प्रतिष्ठा या शक्ति में परिवर्तन शामिल हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि समाज में अवसर कितने खुले हैं और सामाजिक संरचना कितनी स्थिर या गतिशील है।
  • गलत विकल्प: (a) यह भौगोलिक गतिशीलता है। (c) स्थिर रहना सामाजिक गतिशीलता का अभाव दर्शाता है। (d) यह सांस्कृतिक परिवर्तन का अध्ययन है।

प्रश्न 17: ‘पैटर्न मेंटेनेंस’ (Pattern Maintenance) और ‘एकीकरण’ (Integration) में, ‘पैटर्न मेंटेनेंस’ का क्या अर्थ है?

  1. समाज के विभिन्न भागों को एक साथ लाना।
  2. बाहरी वातावरण के अनुकूल ढलना।
  3. समाज के सांस्कृतिक पैटर्न (जैसे मूल्य, विश्वास) को बनाए रखना और अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करना।
  4. समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: टैलकोट पार्सन्स के AGIL मॉडल में, ‘पैटर्न मेंटेनेंस’ (या Latency) उस प्रकार्यात्मक आवश्यकता को संदर्भित करता है जो समाज के मूल सांस्कृतिक पैटर्न, विशेष रूप से उसके मूल्यों और विश्वासों को बनाए रखने और उन्हें सामाजिक सदस्यों में आरोपित करने (internalize) से संबंधित है। यह समाजीकरण (socialization) की प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रकार्य समाज को अपनी पहचान और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, शिक्षा प्रणाली, परिवार और धार्मिक संस्थाएँ अक्सर पैटर्न रखरखाव में योगदान करती हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘एकीकरण’ (Integration) का वर्णन करता है। (b) यह ‘अनुकूलन’ (Adaptation) का वर्णन करता है। (d) यह ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment) का वर्णन करता है।

प्रश्न 18: ‘समाज का लोकतंत्रीकरण’ (Democratization of Society) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज में केवल राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना।
  2. समाज में शक्ति, विशेषाधिकार और अवसरों के अधिक समान वितरण की ओर बढ़ना।
  3. समाज में पारंपरिक संस्थाओं का मजबूत होना।
  4. समाज में अत्यधिक केंद्रीकरण।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: समाज का लोकतंत्रीकरण केवल राजनीतिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी शक्ति, विशेषाधिकार और अवसरों के अधिक समान वितरण की ओर एक व्यापक प्रक्रिया को इंगित करता है। इसमें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी और सामाजिक असमानताओं में कमी शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक संरचनाएं, संस्थाएं और दृष्टिकोण अधिक समावेशी और समान बनते जाते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह लोकतंत्रीकरण का एक संकीर्ण दृष्टिकोण है। (c) लोकतंत्रीकरण अक्सर पारंपरिक, गैर-समान संस्थाओं को चुनौती देता है। (d) लोकतंत्रीकरण आमतौर पर सत्ता के विकेंद्रीकरण से जुड़ा होता है, न कि केंद्रीकरण से।

प्रश्न 19: निम्नांकित में से कौन सा एक ‘सामाजिक समूह’ (Social Group) का उदाहरण है?

  1. किसी बस स्टॉप पर खड़े लोगों का समूह
  2. किसी सिनेमा हॉल में दर्शक
  3. एक परिवार
  4. किसी परीक्षा हॉल में बैठे छात्र

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एक परिवार एक सामाजिक समूह का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सामाजिक समूह में कम से कम दो या दो से अधिक व्यक्ति शामिल होते हैं जिनके बीच पारस्परिक संबंध, पहचान की भावना और एक साझा उद्देश्य या साझा लक्ष्य होता है। परिवार में ये सभी विशेषताएँ मौजूद होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अन्य विकल्प ‘सामाजिक समूह’ की तुलना में ‘सामूहिक जमावड़े’ (aggregate) या ‘श्रेणी’ (category) के करीब हैं। बस स्टॉप पर खड़े लोग या सिनेमा हॉल में दर्शक केवल भौतिक रूप से एक साथ हैं, उनमें कोई स्थायी संबंध या पहचान नहीं होती। परीक्षा हॉल में बैठे छात्र एक श्रेणी (छात्र) के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन वे जरूरी नहीं कि एक समूह के रूप में कार्य कर रहे हों।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) अस्थायी या आकस्मिक जमावड़े (aggregates) के उदाहरण हैं, जिनमें सामाजिक समूह की परिभाषित विशेषताएँ (जैसे निरंतर अंतःक्रिया, पहचान की भावना) नहीं होतीं।

प्रश्न 20: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘वस्तुनिष्ठता’ (Objectivity) का क्या महत्व है?

  1. अनुसंधानकर्ता की व्यक्तिगत भावनाओं और पूर्वाग्रहों का प्रभाव बना रहना चाहिए।
  2. अनुसंधानकर्ता को अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों को दूर रखकर तटस्थता से तथ्यों का अवलोकन और विश्लेषण करना चाहिए।
  3. अनुसंधानकर्ता को केवल उन्हीं तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए जो उसकी परिकल्पना (hypothesis) की पुष्टि करते हों।
  4. अनुसंधान को केवल सैद्धांतिक विचारों पर आधारित होना चाहिए, जमीनी हकीकत पर नहीं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक अनुसंधान में वस्तुनिष्ठता का अर्थ है कि अनुसंधानकर्ता को अपने व्यक्तिगत विचारों, भावनाओं, विश्वासों और पूर्वाग्रहों से प्रभावित हुए बिना, स्वतंत्र और तटस्थ होकर तथ्यों का संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या करनी चाहिए। इसका उद्देश्य समाज की यथार्थवादी और सटीक तस्वीर प्रस्तुत करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: वस्तुनिष्ठता वैज्ञानिक अनुसंधान की एक मूलभूत आवश्यकता है। यह शोध निष्कर्षों की विश्वसनीयता और वैधता सुनिश्चित करती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह व्यक्तिनिष्ठता (subjectivity) को बढ़ावा देगा। (c) यह पक्षपातपूर्ण (biased) अनुसंधान होगा। (d) सामाजिक अनुसंधान को सैद्धांतिक और अनुभवजन्य (empirical) दोनों पर आधारित होना चाहिए, न कि केवल सैद्धांतिक।

प्रश्न 21: ‘प्रच्छन्न प्रकार्य’ (Latent Function) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?

  1. रॉबर्ट मर्टन
  2. ऑगस्ट कॉम्ते
  3. इमाइल दुर्खीम
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रच्छन्न प्रकार्य’ (Latent Function) और ‘जाहिर प्रकार्य’ (Manifest Function) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं। जाहिर प्रकार्य किसी संस्था या व्यवहार का वह उद्देश्य होता है जिसे वह स्पष्ट रूप से पूरा करता है, जबकि प्रच्छन्न प्रकार्य वह अप्रत्यक्ष या अनपेक्षित परिणाम होता है जो वह पैदा करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘Social Theory and Social Structure’ में इन अवधारणाओं की व्याख्या की। उदाहरण के लिए, कॉलेज जाने का जाहिर प्रकार्य शिक्षा प्राप्त करना है, लेकिन प्रच्छन्न प्रकार्य नए दोस्त बनाना या विवाह के साथी ढूंढना हो सकता है।
  • गलत विकल्प: (b) कॉम्ते प्रत्यक्षवाद के संस्थापक थे। (c) दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और अभिप्रायहीनता पर काम किया। (d) मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 22: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा एक कथन सही है?

  1. यह केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाने तक सीमित है।
  2. यह एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, लोकतंत्रीकरण और तर्कसंगतता शामिल है।
  3. यह समाज में हमेशा सामाजिक समरसता लाती है।
  4. इसका प्रभाव केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: आधुनिकीकरण एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जो विभिन्न समाजों में औद्योगीकरण, तकनीकी विकास, शहरीकरण, शिक्षा के प्रसार, धर्मनिरपेक्षीकरण (secularization), लोकतंत्रीकरण, तर्कसंगतता और व्यक्तिगत अधिकारों के बढ़ते महत्व जैसे परिवर्तनों को दर्शाती है। यह केवल पश्चिमीकरण का पर्याय नहीं है, बल्कि इसमें विभिन्न सांस्कृतिक और संरचनात्मक अनुकूलन शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से समाज में अक्सर तनाव और संघर्ष भी उत्पन्न होते हैं, और इसका प्रभाव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों पर पड़ता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह पश्चिमीकरण से अधिक व्यापक है। (c) आधुनिकीकरण सामाजिक तनाव और संघर्ष को भी जन्म दे सकता है। (d) इसका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों पर भी पड़ता है, यद्यपि भिन्न रूपों में।

प्रश्न 23: ‘लैंगिक भूमिका’ (Gender Role) क्या है?

  1. किसी व्यक्ति का जैविक लिंग (sex)।
  2. समाज द्वारा निर्धारित अपेक्षाएँ और व्यवहार जो पुरुषों और महिलाओं से अपेक्षित होते हैं।
  3. किसी व्यक्ति की यौन पहचान।
  4. केवल महिलाओं से संबंधित सामाजिक अपेक्षाएँ।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: लैंगिक भूमिकाएँ वे सामाजिक रूप से निर्मित अपेक्षाएँ और व्यवहार हैं जिन्हें किसी समाज में पुरुषों और महिलाओं से जोड़ा जाता है। ये जैविक लिंग (sex) से भिन्न होती हैं और सीखने, समाजीकरण और सांस्कृतिक प्रभावों के माध्यम से विकसित होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: समाज में विभिन्न लिंग भूमिकाएँ होती हैं (जैसे पुरुष कमाने वाला, महिला गृहिणी), और ये समय और संस्कृति के साथ बदल सकती हैं।
  • गलत विकल्प: (a) जैविक लिंग (sex) जन्म से निर्धारित होता है, जबकि भूमिकाएँ सीखी जाती हैं। (c) यौन पहचान (sexual identity) व्यक्ति की अपनी पहचान है। (d) लैंगिक भूमिकाओं में पुरुष और महिला दोनों से संबंधित अपेक्षाएँ शामिल होती हैं।

प्रश्न 24: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का क्या अर्थ है?

  1. समाज के सदस्यों को अपनी मर्जी से काम करने देना।
  2. समाज के सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करने और निर्देशित करने के लिए समाज द्वारा अपनाए गए तरीके।
  3. सरकार द्वारा लोगों पर लगाए गए प्रतिबंध।
  4. समाज से अलग-थलग रहना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण वे प्रक्रियाएँ और तंत्र हैं जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है ताकि व्यवस्था, स्थिरता और पूर्वानुमेयता (predictability) बनी रहे। इसमें औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे सामाजिक दबाव, नैतिकता, रीति-रिवाज) दोनों तरह के तंत्र शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक नियंत्रण यह सुनिश्चित करता है कि लोग सामाजिक मानदंडों और मूल्यों के अनुसार व्यवहार करें, जिससे समाज का सुचारू संचालन संभव हो सके।
  • गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक नियंत्रण का अभाव है। (c) यह केवल औपचारिक नियंत्रण का एक हिस्सा है, लेकिन सामाजिक नियंत्रण की पूरी परिभाषा नहीं है। (d) यह अलगाव है, न कि नियंत्रण।

प्रश्न 25: ‘सहभागी अवलोकन’ (Participant Observation) किस प्रकार की अनुसंधान पद्धति का एक उदाहरण है?

  1. मात्रात्मक (Quantitative)
  2. गुणात्मक (Qualitative)
  3. प्रायोगिक (Experimental)
  4. सर्वेक्षण (Survey)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सहभागी अवलोकन गुणात्मक (Qualitative) अनुसंधान पद्धति का एक प्रमुख उदाहरण है। इसमें अनुसंधानकर्ता स्वयं अध्ययन किए जा रहे समूह या समुदाय के जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेता है और साथ ही उनके व्यवहार, संस्कृति और सामाजिक अंतःक्रियाओं का गहन अवलोकन और डेटा संग्रह करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पद्धति नृविज्ञान और समाजशास्त्र में अक्सर उपयोग की जाती है, जिससे शोधकर्ताओं को किसी संस्कृति या समूह की गहरी, प्रामाणिक समझ प्राप्त होती है। इसका उद्देश्य ‘क्या’ हो रहा है, इसके बजाय ‘क्यों’ और ‘कैसे’ हो रहा है, इसे समझना होता है।
  • गलत विकल्प: (a) मात्रात्मक विधियाँ संख्यात्मक डेटा पर ध्यान केंद्रित करती हैं (जैसे सर्वेक्षण, प्रयोग)। (c) प्रायोगिक विधियाँ चर (variables) में हेरफेर करके कारण-प्रभाव संबंधों का अध्ययन करती हैं। (d) सर्वेक्षण आमतौर पर बड़ी आबादी से संक्षिप्त डेटा एकत्र करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

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