समाजशास्त्र की चुनौती: रोज़ाना अवधारणाओं का महासंग्राम!
समाजशास्त्र के उम्मीदवारों, अपनी अवधारणाओं की धार तेज करने के लिए तैयार हो जाइए! हर दिन एक नया अवसर है अपने ज्ञान का परीक्षण करने का और उन पेचीदा सिद्धांतों को समझने का जो आपकी परीक्षा की सफलता की कुंजी हैं। आइए, आज के इस ज्ञानवर्धक महासंग्राम में कूद पड़ें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो बताती है कि समाज के गैर-भौतिक तत्व (जैसे विश्वास, मूल्य) भौतिक तत्वों (जैसे प्रौद्योगिकी) की तुलना में धीमी गति से बदलते हैं?
- ई. कोलमैन
- डब्ल्यू.एफ. ओगबर्न
- टी. पर्सन्स
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: डब्ल्यू.एफ. ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” (1922) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। वे तर्क देते हैं कि भौतिक संस्कृति (जैसे मशीनें, तकनीक) में परिवर्तन तीव्र गति से होता है, जबकि अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज, विश्वास) धीमी गति से अनुकूलित होती है, जिससे समाज में तनाव और असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा प्रौद्योगिकी के सामाजिक प्रभाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। ओगबर्न ने इस विलंब के कारण सामाजिक समस्याओं के उत्पन्न होने की बात कही।
- गलत विकल्प: (a) ई. कोलमैन ने सामाजिक नेटवर्क और “एथनोमेथडोलॉजी” पर काम किया। (c) टी. पर्सन्स ने “स्ट्रक्चरल फंक्शनलिज़्म” का विकास किया और सामाजिक व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया। (d) रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरी समाजशास्त्र में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “सांकेतिक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का एक प्रमुख प्रस्तावक है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को सांकेतिक अंतःक्रियावाद का संस्थापक पिता माना जाता है। उन्होंने इस सिद्धांत के मूल विचारों का विकास किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि व्यक्ति समाज में अपनी पहचान और आत्म-अवधारणा को दूसरों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से, विशेष रूप से प्रतीकों (जैसे भाषा) के माध्यम से निर्मित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के विचार, विशेष रूप से उनके मरणोपरांत प्रकाशित कार्य “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” में, यह बताते हैं कि ‘स्व’ (self) एक सामाजिक उत्पाद है जो दूसरों की प्रतिक्रियाओं को आंतरिक बनाने से उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: (a) एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता (Social Solidarity) और प्रकार्यवाद (Functionalism) पर काम किया। (b) कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष (Class Struggle) और ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। (d) ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है और उन्होंने “पोज़िटिविज़्म” का विकास किया।
प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत “संस्कृति-करण” (Sanskritization) की प्रक्रिया का संबंध किससे है?
- उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाना
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर सामाजिक स्थिति ऊपर उठाना
- जाति व्यवस्था का उन्मूलन
- शहरीकरण के कारण सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में “संस्कृति-करण” शब्द गढ़ा। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न या मध्यम हिंदू जातियां या अन्य समूह, एक उच्च या द्विजाति (dominant) जाति के अनुष्ठानों, जीवन शैली, पूजा पद्धतियों और सामाजिक आचार-व्यवहार को अपनाते हैं, ताकि उनकी सामाजिक स्थिति में वृद्धि हो सके।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का एक महत्वपूर्ण रूप है, हालांकि यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक है, संरचनात्मक नहीं।
- गलत विकल्प: (a) यह प्रक्रिया उच्च जाति द्वारा निम्न जाति को अपनाने की नहीं, बल्कि निम्न द्वारा उच्च को अपनाने की है। (c) संस्कृति-करण जाति व्यवस्था को समाप्त नहीं करता, बल्कि उसके भीतर स्थिति सुधारने का प्रयास है। (d) शहरीकरण से संबंधित अवधारणा “पश्चिमीकरण” या “आधुनिकीकरण” हो सकती है, संस्कृति-करण नहीं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन के “मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत” (Theories of the Middle Range) से संबंधित है?
- संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था का सिद्धांत
- एक समाज की संरचना और उसके प्रकार्यों का संपूर्ण विश्लेषण
- प्रायोगिक समाजशास्त्र के लिए विशिष्ट, छोटे पैमाने की घटनाओं का विश्लेषण
- सामाजिक संरचना और व्यक्ति के बीच संबंध का एक सामान्यीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने “मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत” पर जोर दिया। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को अत्यधिक व्यापक “महान सिद्धांतों” (Grand Theories) या केवल छोटे, अव्यवस्थित अवलोकनों के बजाय, एक विशिष्ट सामाजिक घटना के अवलोकन योग्य पहलुओं पर केंद्रित सिद्धांत विकसित करने चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत अनुभवजन्य अनुसंधान (Empirical Research) से जुड़े होते हैं और उन्हें परीक्षण योग्य बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, “अभिजात वर्ग का नेतृत्व”, “ब्यूरोक्रेसी के सिद्धांत” आदि।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) “महान सिद्धांतों” या अत्यधिक व्यापक सामान्यीकरणों की ओर इशारा करते हैं, जिन्हें मर्टन ने आलोचना की थी। जैसे कि स्पेंसर या पार्सन्स के व्यापक सिद्धांत।
प्रश्न 5: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की अवधारणा के संबंध में, किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर का सिद्धांत किससे संबंधित है?
- सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवाद (Functional Theory of Social Stratification)
- वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
- संसाधनों का असमान वितरण
- सामाजिक गतिशीलता का सिद्धांत
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर ने 1945 में “Some Principles of Stratification” नामक एक प्रसिद्ध लेख में सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रकार्यात्मक सिद्धांत प्रस्तुत किया। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी समाज में कुछ पद दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और उनके लिए अधिक विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
- संदर्भ और विस्तार: समाज को इन पदों को भरने के लिए उन्हें विशेष पुरस्कार (धन, प्रतिष्ठा, शक्ति) प्रदान करने के लिए प्रेरित करना पड़ता है, जिससे स्तरीकरण (Stratification) उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: (b) वर्ग संघर्ष का सिद्धांत मुख्य रूप से कार्ल मार्क्स से जुड़ा है। (c) संसाधनों का असमान वितरण स्तरीकरण का परिणाम या कारण हो सकता है, लेकिन यह डेविस-मूर के सिद्धांत का मूल तर्क नहीं है। (d) सामाजिक गतिशीलता एक संबंधित अवधारणा है, लेकिन सिद्धांत का केंद्रीय बिंदु स्तरीकरण की आवश्यकता और कार्यप्रणाली है।
प्रश्न 6: किस समाजशास्त्री ने “ज्ञान का समाज” (Knowledge Society) की अवधारणा विकसित की, यह बताते हुए कि ज्ञान और सूचना आर्थिक विकास के मुख्य चालक बन गए हैं?
- मैनुअल कैस्टल्स
- जीन बॉड्रिलार्ड
- पियरे बॉर्डियू
- लुई ऑल्थ्यूसर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैनुअल कैस्टल्स ने “The Information Age: Economy, Society and Culture” त्रयी में “नेटवर्क सोसाइटी” और “ज्ञान का समाज” जैसी अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। वे तर्क देते हैं कि सूचना प्रौद्योगिकी ने आधुनिक अर्थव्यवस्था और समाज को मौलिक रूप से बदल दिया है।
- संदर्भ और विस्तार: कैस्टल्स के अनुसार, ज्ञान और सूचना उत्पादन, वितरण और उपभोग के केंद्र में आ गए हैं, जिससे उत्पादन के नए तरीके और सामाजिक संबंध विकसित हुए हैं।
- गलत विकल्प: (b) बॉड्रिलार्ड उत्तर-आधुनिकता (Postmodernity) और सिमुलेशन (Simulation) पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं। (c) बॉर्डियू ने “हैबिटस”, “कैपिटल” और “फील्ड” जैसी अवधारणाएं विकसित कीं, जो सामाजिक असमानता को समझने में मदद करती हैं। (d) ऑल्थ्यूसर मार्क्सवादी सिद्धांतकार थे जिन्होंने “प्रतिनिधि राज्य उपकरण” (Ideological State Apparatuses) की अवधारणा दी।
प्रश्न 7: “सामूहिकता” (Collectivism) और “व्यक्तिवाद” (Individualism) के बीच अंतर करने वाली समाजशास्त्रीय कसौटी क्या है, जिसे लुई ड्यूमोंट ने अपनी पुस्तक “Homo Hierarchicus” में प्रस्तुत किया?
- उत्पादन की विधियाँ
- प्रतीकात्मक व्यवस्था और अनुष्ठान
- धार्मिक विश्वास
- सामाजिक वर्ग संरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: लुई ड्यूमोंट ने अपनी पुस्तक “Homo Hierarchicus” में भारतीय जाति व्यवस्था का विश्लेषण करते हुए तर्क दिया कि पश्चिमी समाज “व्यक्तिवादी” (Individualist) हैं, जहाँ व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि पारंपरिक भारतीय समाज “सामूहिकतावादी” (Holist) है, जहाँ व्यक्ति को एक बड़े, अधिक महत्वपूर्ण पूरे (जैसे जाति) के हिस्से के रूप में देखा जाता है। यह भेद मुख्य रूप से मूल्यों, विश्वासों और सामाजिक व्यवस्था के प्रतीकात्मक अर्थों में निहित है।
- संदर्भ और विस्तार: ड्यूमोंट के अनुसार, पश्चिमी व्यक्तिवाद स्वतंत्रता और समानता पर आधारित है, जबकि भारतीय सामूहिकतावाद पदानुक्रम (Hierarchy) और पवित्रता (Purity) पर आधारित है, जो एक समग्र (Holistic) दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: (a) उत्पादन की विधियाँ मार्क्सवादी विश्लेषण का मुख्य केंद्र हैं। (c) धार्मिक विश्वास एक कारक हो सकते हैं, लेकिन ड्यूमोंट ने मूल्यों और प्रतीकात्मक व्यवस्था पर अधिक जोर दिया। (d) सामाजिक वर्ग संरचना पश्चिमी समाजों के लिए अधिक प्रासंगिक है, और ड्यूमोंट ने जाति को एक अलग प्रकार की सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली के रूप में देखा।
प्रश्न 8: “अमीबा” (Amoeba) के रूप में समुदाय को संदर्भित करने वाला शब्द, जो बिना किसी निश्चित आकार या संरचना के लगातार बदलता रहता है, किसने गढ़ा?
- रॉबर्ट पार्क
- अर्नेस्ट बर्गेस
- ई. डब्ल्यू. बर्ग्स (E.W. Burgess)
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट पार्क, शिकागो स्कूल के एक प्रमुख समाजशास्त्री, ने शहरी वातावरण की गतिशीलता और अस्थिरता का वर्णन करने के लिए “अमीबा” (Amoeba) शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने शहरी जीवन को एक ऐसे क्षेत्र के रूप में देखा जहाँ प्रतिस्पर्धा, आक्रमण और अनुकूलन (competition, invasion, and succession) जैसी प्रक्रियाएं लगातार घटित होती रहती हैं, जिससे समुदाय का स्वरूप अनिश्चित और परिवर्तनशील बना रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार शहरीकरण की अनियंत्रित प्रकृति और सामाजिक प्रक्रियाओं पर इसके प्रभाव को उजागर करता है।
- गलत विकल्प: (b) अर्नेस्ट बर्गेस ने “समकेंद्रीय क्षेत्र सिद्धांत” (Concentric Zone Theory) विकसित किया, जो शहर के विकास को दर्शाता है। (c) ई.डब्ल्यू. बर्ग्स भी शिकागो स्कूल से जुड़े थे लेकिन इस विशिष्ट शब्दावली का प्रयोग पार्क से अधिक जुड़ा है। (d) चार्ल्स हॉर्टन कूली “प्राथमिक समूह” (Primary Group) और “दूसरा स्व” (Looking-glass self) जैसी अवधारणाओं के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 9: इर्विंग गॉफमैन की “सामना-से-सामना अंतःक्रिया” (Face-to-face Interaction) के विश्लेषण में, “चेहरे की गरिमा” (Face-work) का क्या अर्थ है?
- लोगों की शारीरिक सुंदरता
- व्यक्ति द्वारा अपनी सामाजिक छवि को बनाए रखने या पुनर्स्थापित करने के लिए किए गए प्रयास
- सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार के नियम
- संचार में प्रतीकों का उपयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक “Interaction Ritual: Essays on Face to Face Behavior” में “चेहरे की गरिमा” (Face-work) की अवधारणा को समझाया। यह उन कार्यों को संदर्भित करता है जो व्यक्ति अपनी और दूसरों की “गरिमा” (Face) को बनाए रखने या पुनर्प्राप्त करने के लिए करते हैं। गरिमा व्यक्ति की वह सार्वजनिक छवि या मुखौटा है जो वह सामाजिक अंतःक्रियाओं में प्रदर्शित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: जब कोई व्यक्ति दूसरे से मिलता है, तो वह एक निश्चित गरिमा प्रस्तुत करता है, और गरिमा को बनाए रखने या खोने से बचाने के लिए दोनों पक्ष सचेत या अचेत प्रयास करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह सौंदर्य से संबंधित नहीं है। (c) सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार के नियम (Etiquette) इसका एक हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन यह संपूर्ण अवधारणा नहीं है। (d) संचार में प्रतीकों का उपयोग गॉफमैन के काम का हिस्सा है, लेकिन “चेहरे की गरिमा” का विशिष्ट अर्थ नहीं।
प्रश्न 10: “पवित्र” (Sacred) और “अपवित्र” (Profane) के बीच द्वंद्व (Dichotomy) समाजशास्त्र में किस अवधारणा का आधार है, जिसे एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” में प्रस्तुत किया?
- आत्मसात्करण (Assimilation)
- धर्म का समाजशास्त्र
- सामाजिक नियंत्रण
- अनोमी (Anomie)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने धर्म के समाजशास्त्र में “पवित्र” और “अपवित्र” के बीच भेद को सबसे मौलिक और सार्वभौमिक धार्मिक विचार के रूप में पहचाना। उन्होंने तर्क दिया कि समाज किसी भी चीज़ को “पवित्र” घोषित करके उसे “अपवित्र” (दैनिक, सामान्य) से अलग करता है, और यह अलगाव ही धर्म का मूल है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, “पवित्र” को विशेष सम्मान और सावधानी की आवश्यकता होती है, जबकि “अपवित्र” को सामान्य और तुच्छ माना जाता है। यह भेद समाज को एकजुट करने और सामूहिक चेतना को मजबूत करने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: (a) आत्मसात्करण एक समूह द्वारा दूसरे समूह की संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है। (c) सामाजिक नियंत्रण समाज में व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया है। (d) अनोमी तब होती है जब समाज के नियम या मानक अस्पष्ट या कमजोर हो जाते हैं।
प्रश्न 11: भारतीय समाज में “अछूतों” (Untouchables) की समस्या को दूर करने के लिए बी.आर. अम्बेडकर द्वारा सुझाए गए मुख्य तरीकों में से एक क्या था?
- पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना
- जाति-आधारित विवाह को बढ़ावा देना
- बौद्ध धर्म अपनाना और शिक्षा पर जोर देना
- अपने पारंपरिक व्यवसायों में बने रहना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न से मुक्ति के लिए कई उपायों की वकालत की। उन्होंने जाति व्यवस्था को जड़ से उखाड़ने के लिए बौद्ध धर्म को अपनाने और सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन करने का आह्वान किया। वे शिक्षा को दलितों के उत्थान के लिए सबसे शक्तिशाली उपकरण मानते थे।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने “जाति का उन्मूलन” (Annihilation of Caste) जैसी रचनाओं में इस पर विस्तार से लिखा। बौद्ध धर्म को उन्होंने समानता, स्वतंत्रता और करुणा के मूल्यों के कारण एक बेहतर विकल्प माना।
- गलत विकल्प: (a) पारंपरिक अनुष्ठानों का पालन करने से जाति व्यवस्था मजबूत होती। (b) जाति-आधारित विवाह जाति की समस्या को और गहरा करता। (d) पारंपरिक व्यवसायों में बने रहना भी अक्सर अपमानजनक और कम आय वाले थे, इसलिए उन्होंने इससे बाहर निकलने का मार्ग दिखाया।
प्रश्न 12: “अनोमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने या अभाव की स्थिति का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री से सबसे निकटता से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने “अनोमी” की अवधारणा को अपने कार्यों, विशेष रूप से “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में विकसित किया। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ व्यक्ति को कोई स्पष्ट नैतिक दिशा-निर्देश या सामाजिक मानदंड नहीं मिलते, जिससे वह दिशाहीन और अनिश्चित महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने आत्महत्या के विभिन्न प्रकारों में अनोमीक आत्महत्या का उल्लेख किया, जो सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के दौरान बढ़ती है जब पुराने नियम टूट जाते हैं और नए स्थापित नहीं हो पाते।
- गलत विकल्प: (a) मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष और अलगाव पर था। (b) वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) और सत्ता (Authority) पर काम किया। (d) स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद (Social Darwinism) का समर्थन किया।
प्रश्न 13: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के संदर्भ में, “स्व” (Self) की अवधारणा का विकास कैसे होता है?
- यह जन्म से ही तय होता है और अपरिवर्तनीय होता है।
- यह केवल जैविक प्रवृत्तियों का परिणाम है।
- यह दूसरों के साथ अंतःक्रिया और उनकी प्रतिक्रियाओं को आंतरिक बनाने से विकसित होता है।
- यह समाज द्वारा थोपी गई एक निश्चित भूमिका मात्र है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, “स्व” (Self) एक सामाजिक निर्माण है। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने बताया कि व्यक्ति दूसरों के साथ प्रतीकों (विशेषकर भाषा) के माध्यम से अंतःक्रिया करके, दूसरों के दृष्टिकोण और प्रतिक्रियाओं को ग्रहण करके अपना “स्व” विकसित करता है। “मी” (Me) और “आई” (I) की अवधारणाएं इसी विकास का हिस्सा हैं।
- संदर्भ और विस्तार: “मी” वह सामाजिक भाग है जो दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाता है, जबकि “आई” व्यक्ति की तत्काल, प्रतिक्रियाशील प्रतिक्रिया है। इन दोनों के बीच संतुलन से ही पूर्ण “स्व” बनता है।
- गलत विकल्प: (a) यह जन्मजात या अपरिवर्तनीय नहीं है। (b) जैविक प्रवृत्तियाँ इसका एक हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन केवल जैविक नहीं। (d) समाज भूमिकाएं निर्धारित करता है, लेकिन “स्व” केवल भूमिकाओं का निष्क्रिय प्रतिबिंब नहीं है, बल्कि सक्रिय निर्माण है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म समाजशास्त्री और उनकी प्रमुख अवधारणा का सही मेल नहीं खाता?
- मैक्स वेबर – “तर्कसंगतता” (Rationalization)
- एमिल दुर्खीम – “सामाजिक तथ्य” (Social Fact)
- कार्ल मार्क्स – “अलगाव” (Alienation)
- इर्विंग गॉफमैन – “सामाजिक संरचना” (Social Structure)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इर्विंग गॉफमैन मुख्य रूप से “नाटकीयता” (Dramaturgy), “प्रतिष्ठा” (Stigma), “चेहरे की गरिमा” (Face-work), और “संस्थान” (Institution) जैसे विषयों पर अपने विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को आम तौर पर दुर्खीम, पार्सन्स या अन्य संरचनावादियों से अधिक जोड़ा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने आधुनिक समाज के बढ़ते तर्कसंगतकरण (जैसे नौकरशाही) का विश्लेषण किया। दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्यों” को बाहरी, बाध्यकारी सामाजिक वास्तविकता के रूप में परिभाषित किया। मार्क्स ने पूंजीवाद में श्रमिक के “अलगाव” का विश्लेषण किया।
- अन्य विकल्प: (a), (b), और (c) में दिए गए युग्म सही हैं, क्योंकि वेबर ने तर्कसंगतता, दुर्खीम ने सामाजिक तथ्य और मार्क्स ने अलगाव की अवधारणाओं का प्रमुखता से विश्लेषण किया है।
प्रश्न 15: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के महत्व पर जोर देती है, किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी है?
- रॉबर्ट पूटनम
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉलमैन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विकसित करने में रॉबर्ट पूटनम, पियरे बॉर्डियू और जेम्स कॉलमैन तीनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पूटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन के संदर्भ में देखा, बॉर्डियू ने इसे सामाजिक असमानता और वर्ग संरचना के विश्लेषण में इस्तेमाल किया, और कॉलमैन ने इसे व्यक्तिगत और सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में देखा।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी सामाजिक संबंधों से प्राप्त होने वाले लाभों को संदर्भित करती है। यह लोगों को जानकारी, सहायता और अवसर प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: चूँकि तीनों समाजशास्त्रियों का इस अवधारणा में योगदान है, इसलिए केवल एक विकल्प का चयन करना गलत होगा।
प्रश्न 16: “संरचनात्मक प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जाता है जिसके विभिन्न भाग मिलकर कार्य करते हैं। इस दृष्टिकोण का कौन सा समाजशास्त्रीय विचारक प्रमुख प्रतिनिधि है?
- जॉर्ज सिमेल
- ताल्कोट पार्सन्स
- विलफ्रेडो पैरेटो
- अल्फ्रेड मार्शल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ताल्कोट पार्सन्स को संरचनात्मक प्रकार्यवाद का सबसे प्रमुख और प्रभावशाली प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने जटिल सामाजिक व्यवस्थाओं का विश्लेषण करने के लिए एक व्यापक सैद्धांतिक ढाँचा विकसित किया, जिसमें उन्होंने सामाजिक व्यवस्था, एकीकरण और संतुलन पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल जैसे अपने सिद्धांतों के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया कि कैसे समाज विभिन्न कार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- गलत विकल्प: (a) जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक रूपों (Forms of Social Interaction) और “अजनबी” (The Stranger) जैसी अवधारणाओं पर काम किया। (c) विलफ्रेडो पैरेटो ने अभिजात वर्ग के चक्रीय सिद्धांत (Circulation of Elites) का प्रतिपादन किया। (d) अल्फ्रेड मार्शल एक अर्थशास्त्री थे।
प्रश्न 17: भारतीय समाज में “जजमानी व्यवस्था” (Jajmani System) मुख्य रूप से किस प्रकार के आदान-प्रदान से संबंधित थी?
- आर्थिक विनिमय
- सामाजिक विशेषाधिकारों का विनिमय
- सेवाओं और वस्तुओं का वंशानुगत, पारस्परिक विनिमय
- राजनीतिक सत्ता का वितरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जजमानी व्यवस्था भारतीय ग्रामीण समाज की एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जिसमें विभिन्न जातियों के बीच सेवाओं और वस्तुओं का एक वंशानुगत और पारस्परिक आदान-प्रदान शामिल था। एक जाति (जजमान) दूसरी जाति (कुलिन) को सेवाएँ प्रदान करती थी, और बदले में जजमान कुलिन को आजीविका (अक्सर भोजन या भूमि) प्रदान करता था।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था जाति पदानुक्रम, पारस्परिक निर्भरता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण थी।
- गलत विकल्प: (a) यह विशुद्ध रूप से आर्थिक विनिमय नहीं था, बल्कि इसमें सामाजिक और धार्मिक पहलू भी थे। (b) सामाजिक विशेषाधिकार सीधे विनिमय का आधार नहीं थे, बल्कि व्यवस्था का परिणाम थे। (d) राजनीतिक सत्ता का वितरण सीधे तौर पर जजमानी व्यवस्था का केंद्रबिंदु नहीं था, हालांकि यह सामाजिक संरचना से जुड़ा था।
प्रश्न 18: “आत्म-साक्षात्कार” (Self-Fulfilling Prophecy) की अवधारणा, जिसमें किसी व्यक्ति का विश्वास या अपेक्षाएं अंततः उसी वास्तविकता को जन्म देती हैं, किससे संबंधित है?
- रॉबर्ट मर्टन
- अल्बर्ट बंडुरा
- सिगमंड फ्रायड
- अल्फ्रेड एडलर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने “आत्म-साक्षात्कार” (Self-Fulfilling Prophecy) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। यह वह स्थिति है जब किसी गलत या झूठे परिप्रेक्ष्य से प्रेरित एक व्यवहार, उस परिप्रेक्ष्य को स्वयं सत्य बना देता है।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने इसे “थॉमस प्रमेय” (Thomas Theorem) के विस्तार के रूप में देखा, जिसमें कहा गया है कि “यदि मनुष्य परिस्थितियों को वास्तविक मानते हैं, तो वे वास्तविक हो जाती हैं।” एक क्लासिक उदाहरण यह है कि यदि लोग किसी बैंक के दिवालिया होने की अफवाह पर विश्वास करते हैं, तो वे अपने पैसे निकालने के लिए दौड़ेंगे, जिससे बैंक वास्तव में दिवालिया हो जाएगा।
- गलत विकल्प: (b) अल्बर्ट बंडुरा सामाजिक शिक्षण (Social Learning) सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। (c) सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण (Psychoanalysis) के संस्थापक हैं। (d) अल्फ्रेड एडलर व्यक्तिगत मनोविज्ञान (Individual Psychology) के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी व्यवस्था “प्रारंभिक समाज” (Primitive Society) या “यांत्रिक एकता” (Mechanical Solidarity) वाले समाजों की विशेषता है?
- श्रम का उच्च विभाजन
- कम समरूपता, अधिक भिन्नता
- सामूहिक चेतना की प्रबलता
- जटिल नौकरशाही संरचनाएँ
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने “यांत्रिक एकता” (Mechanical Solidarity) को उन समाजों की विशेषता बताया जहाँ श्रम विभाजन कम होता है और लोग विश्वासों, मूल्यों और जीवन शैली में अत्यधिक समरूप (Homogeneous) होते हैं। ऐसे समाजों में “सामूहिक चेतना” (Collective Consciousness) बहुत प्रबल होती है, जो समाज के सदस्यों को एक साथ बांधती है।
- संदर्भ और विस्तार: इन समाजों में, सामाजिक बंधन समानता और समान अनुभवों पर आधारित होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) श्रम का उच्च विभाजन “कार्बनिक एकता” (Organic Solidarity) की विशेषता है। (b) प्रारंभिक समाज में समरूपता अधिक और भिन्नता कम होती है। (d) जटिल नौकरशाही संरचनाएँ आधुनिक, औद्योगिक समाजों की विशेषता हैं।
प्रश्न 20: “उत्तर-आधुनिकता” (Postmodernity) के संदर्भ में, “हाइपररियलिटी” (Hyperreality) की अवधारणा, जो वास्तविकता और उसका प्रतिनिधित्व (Simulation) के बीच अंतर को धुंधला कर देती है, किस विचारक से जुड़ी है?
- जीन बॉड्रिलार्ड
- माइकल फूको
- जुरगेन हैबरमास
- एंथोनी गिडेंस
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जीन बॉड्रिलार्ड उत्तर-आधुनिकता के प्रमुख विचारक हैं जिन्होंने “हाइपररियलिटी” की अवधारणा विकसित की। उनके अनुसार, आधुनिक समाज में, प्रतीकों और अनुकरणों (Simulations) ने वास्तविकता का स्थान ले लिया है, और हम “वास्तविकता के वास्तविक” (The Real of the Real) के बजाय “हाइपररियल” (Hyperreal) में जीते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीडिया, विज्ञापन और उपभोक्तावाद हाइपररियलिटी के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहाँ प्रतिनिधित्व (Representation) स्वयं प्रतिनिधित्वित चीज़ से अधिक वास्तविक लगने लगता है।
- गलत विकल्प: (b) फूको शक्ति, ज्ञान और प्रवचन (Discourse) के विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। (c) हैबरमास “सार्वजनिक क्षेत्र” (Public Sphere) और “संवाद” (Communicative Action) पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं। (d) गिडेंस “संरचनाकरण” (Structuration) सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 21: किस समाजशास्त्री ने “तुलनात्मक विधि” (Comparative Method) का प्रयोग करके “परिवार के प्रकारों” (Types of Family) का अध्ययन किया और पितृसत्तात्मक (Patriarchal) से मातृसत्तात्मक (Matriarchal) व्यवस्था में संक्रमण का तर्क दिया?
- एच. स्पेंसर
- लुईस मॉर्गन
- एडवर्ड टायलर
- जेम्स फ्रेज़र
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: लुईस हेनरी मॉर्गन (Lewis Henry Morgan) एक अमेरिकी नृवंशविज्ञानी और समाजशास्त्री थे जिन्होंने “Ancient Society” (1877) में मानव समाज के विकास के चरणबद्ध सिद्धांत (Savagery, Barbarism, Civilization) प्रस्तुत किए। उन्होंने परिवार के विकास के चरणों का भी विश्लेषण किया, जिसमें उन्होंने पितृसत्तात्मक व्यवस्था से पहले मातृसत्तात्मक व्यवस्था के अस्तित्व का तर्क दिया।
- संदर्भ और विस्तार: उनका काम मानव समाजशास्त्र और नृविज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण था, हालांकि उनके कुछ निष्कर्षों को बाद में संशोधित किया गया।
- गलत विकल्प: (a) स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद दिया। (c) टायलर ने “एनिमिज्म” (Animism) की अवधारणा दी। (d) फ्रेज़र ने “The Golden Bough” में तुलनात्मक पौराणिक कथाओं का अध्ययन किया।
प्रश्न 22: “ज्ञान का अधिकार” (The Right to Know) और “सूचना का अधिकार” (The Right to Information) जैसे आधुनिक अवधारणाएं किस व्यापक सामाजिक परिवर्तन का संकेत देती हैं?
- पारंपरिक समाजों की ओर वापसी
- आधुनिकीकरण और उत्तर-आधुनिकता
- सामंतवाद का पुनरुत्थान
- सामुदायिक जीवन का अंत
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: “ज्ञान का अधिकार” और “सूचना का अधिकार” जैसी अवधारणाएं पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक सशक्तिकरण पर बढ़ते जोर को दर्शाती हैं, जो आधुनिकीकरण और उत्तर-आधुनिकता के दौर में प्रमुख विशेषताएं हैं। सूचना तक पहुंच और ज्ञान का प्रसार इन समाजों की पहचान बन गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन सूचना प्रौद्योगिकी के विकास, नागरिक समाज के उदय और पारंपरिक सत्ता संरचनाओं के कमजोर पड़ने से जुड़ा है।
- गलत विकल्प: (a) यह पारंपरिक समाजों से दूर जाने का संकेत है। (c) सामंतवाद का पुनरुत्थान इसका विपरीत है। (d) सामुदायिक जीवन का स्वरूप बदल रहा है, लेकिन इसका अंत नहीं, खासकर डिजिटल समुदायों के संदर्भ में।
प्रश्न 23: “पित्रसत्ता” (Patriarchy) की अवधारणा, जो समाज में पुरुषों के वर्चस्व और महिलाओं के अधीनता को संदर्भित करती है, का समाजशास्त्रीय विश्लेषण सबसे पहले किसने गहनता से किया?
- सिमोन डी बोउआर
- फ्रेडरिक एंगेल्स
- आर. डब्ल्यू. कॉन्येल
- जे. आर. लैपियर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: फ्रेडरिक एंगेल्स ने अपनी पुस्तक “The Origin of the Family, Private Property and the State” (1884) में पित्रसत्ता की उत्पत्ति और विकास का मार्क्सवादी दृष्टिकोण से विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने तर्क दिया कि निजी संपत्ति के उद्भव ने महिलाओं को अधीनस्थ स्थिति में धकेल दिया और पितृसत्तात्मक परिवार की नींव रखी।
- संदर्भ और विस्तार: एंगेल्स ने लेविस मॉर्गन के कार्यों पर भी विस्तार से लिखा।
- गलत विकल्प: (a) सिमोन डी बोउआर एक प्रमुख नारीवादी थीं जिन्होंने “The Second Sex” लिखा, लेकिन एंगेल्स ने इस पर सैद्धांतिक आधार तैयार किया। (c) और (d) अन्य समाजशास्त्री हैं लेकिन पित्रसत्ता के मौलिक विश्लेषण के लिए एंगेल्स को श्रेय दिया जाता है।
प्रश्न 24: “भूमिका दूरी” (Role Distance) की अवधारणा, जो किसी व्यक्ति द्वारा अपनी निभाई जा रही भूमिका से अपनी व्यक्तिगत भावनाओं को अलग करने की क्षमता को दर्शाती है, किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से संबंधित है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- संघर्ष सिद्धांत
- नाटकीयता (Dramaturgy)
- सामाजिक विनिमय सिद्धांत
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: “भूमिका दूरी” (Role Distance) इर्विंग गॉफमैन के “नाटकीयता” (Dramaturgy) दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह वह स्थिति है जब व्यक्ति किसी भूमिका को निभाने के दौरान यह संकेत देता है कि वह स्वयं उस भूमिका से अलग है, या यह कि वह भूमिका केवल एक प्रदर्शन है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक पेशेवर जो अपने काम के दौरान मजाकिया या व्यंग्यात्मक टिप्पणी करता है, वह भूमिका दूरी का प्रदर्शन कर रहा होता है। यह व्यक्ति को भूमिका के दबाव से बचाने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज के व्यापक संरचनाओं पर केंद्रित है। (b) संघर्ष सिद्धांत शक्ति और विरोध पर केंद्रित है। (d) सामाजिक विनिमय सिद्धांत लागत-लाभ विश्लेषण पर आधारित है।
प्रश्न 25: भारत में “पंचायती राज” व्यवस्था का उद्देश्य क्या है?
- ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रीय सरकार की शक्ति बढ़ाना
- स्थानीय स्तर पर स्वशासन को बढ़ावा देना और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण
- शहरों में सत्ता का केंद्रीकरण करना
- केवल भूमि सुधारों को लागू करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: पंचायती राज व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर स्वशासन को बढ़ावा देना और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण (Democratic Decentralization) की प्रक्रिया को मजबूत करना है। यह स्थानीय समुदायों को अपने विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया, जिससे वे भारत में स्थानीय स्वशासन की एक महत्वपूर्ण इकाई बन गईं।
- गलत विकल्प: (a) इसका उद्देश्य केंद्रीय शक्ति बढ़ाना नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर सशक्तिकरण करना है। (c) इसका संबंध शहरीकरण या शहरी सत्ता के केंद्रीकरण से नहीं है। (d) भूमि सुधारों को लागू करना इसका एक संभावित कार्य हो सकता है, लेकिन यह इसका एकमात्र या प्राथमिक उद्देश्य नहीं है।