समाजशास्त्र की गहरी समझ: दैनिक 25 प्रश्नों का महा-अभ्यास!
नमस्ते, भविष्य के समाजशास्त्रियों! अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 गहन प्रश्न, जो आपकी आगामी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइए, देखें कि आज आप अपनी तैयारी में कितना इजाफा करते हैं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को किसने प्राथमिक महत्व दिया और इसे व्यक्तियों के परस्पर संबंधों के स्थिर पैटर्न के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- ताल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ताल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक संरचना (Social Structure) की अवधारणा को अपने “संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक” (Structural-Functional) सिद्धांत में केंद्रीय स्थान दिया। उन्होंने इसे समाज में व्यक्तियों के परस्पर संबंधित और स्थिर भूमिकाओं और स्थिति (Status-Role) के एक जटिल जाल के रूप में देखा।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का मानना था कि ये संरचनाएं समाज को स्थिरता और व्यवस्था प्रदान करती हैं। उनकी प्रमुख कृतियों जैसे “The Social System” में इस पर विस्तार से चर्चा की गई है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक संरचना को उत्पादन के साधनों और उत्पादन संबंधों के आधार पर परिभाषित किया (वर्ग संरचना)। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया पर जोर दिया, और दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) जैसे पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, समाजशास्त्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- सामाजिक घटनाओं का सामान्यीकरण करना
- सामाजिक क्रियाओं को समझना और उनकी व्याख्या करना
- सामाजिक समस्याओं के समाधान खोजना
- सामाजिक परिवर्तनों के भविष्य का अनुमान लगाना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को “सामाजिक क्रियाओं की व्याख्यात्मक समझ” (Interpretive Understanding of Social Action) के रूप में परिभाषित किया। उनका मानना था कि समाजशास्त्र का लक्ष्य व्यक्तियों द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए जाने वाले अर्थों को समझना है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की यह अवधारणा “वेरस्टेहेन” (Verstehen) के नाम से जानी जाती है, जो समाजशास्त्रियों को व्यक्तिपरक अर्थों को समझने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी (Positivist) दृष्टिकोण से भिन्न है।
- गलत विकल्प: सामान्यीकरण (a) और भविष्यवाणी (d) प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के तत्व हैं, जबकि समस्या-समाधान (c) एक व्यावहारिक उद्देश्य है, न कि वेबर के अनुसार समाजशास्त्र का प्राथमिक उद्देश्य।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम ने समाज को एक “जैविक” इकाई के रूप में देखने के बजाय उसे क्या माना?
- एक व्यक्तिपरक निर्माण
- एक सामूहिक चेतना का मूर्त रूप
- एक आर्थिक व्यवस्था
- एक राजनीतिक ढांचा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: दुर्खीम ने समाज को व्यक्तियों के योग से अधिक एक “सामूहिक चेतना” (Collective Consciousness) या “सामाजिक तथ्यों” (Social Facts) के रूप में देखा। ये सामाजिक तथ्य बाहरी, बाध्यकारी और वस्तुनिष्ठ होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक “The Rules of Sociological Method” में उन्होंने सामाजिक तथ्यों को “चीजों की तरह” (as things) अध्ययन करने पर जोर दिया। उन्होंने समाज को एक “भौतिक वास्तविकता” (Moral Reality) माना जो व्यक्तियों से स्वतंत्र रूप से मौजूद है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिपरक निर्माण (a) वेबर के दृष्टिकोण के करीब है। आर्थिक (c) और राजनीतिक (d) ढाँचे समाज के पहलू हैं, लेकिन दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” और “सामूहिक चेतना” पर समाज की स्वतंत्र सत्ता के रूप में जोर दिया।
प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में मुख्य संघर्ष किस वर्ग के बीच होता है?
- बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग)
- प्रशासनिक वर्ग और आम जनता
- सेना और नागरिक
- भूमिपति और किसान
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद का विश्लेषण मुख्य रूप से दो प्रमुख वर्गों के बीच संघर्ष के आधार पर किया: बुर्जुआ (Bourgeoisie), जो उत्पादन के साधनों के मालिक हैं, और सर्वहारा (Proletariat), जो केवल अपनी श्रम शक्ति बेचते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह वर्ग संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का इंजन है। उनकी कृति “दास कैपिटल” (Das Kapital) में इस पर विस्तृत चर्चा है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प (b, c, d) विभिन्न सामाजिक या राजनीतिक विभाजनों को दर्शाते हैं, लेकिन मार्क्स के सिद्धांत का केंद्रीय ध्रुवीकरण बुर्जुआ और सर्वहारा के बीच है।
प्रश्न 5: “सिम्बॉलिक इंटरेक्शनिज्म” (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है, जिसने “सेल्फ” (Self) और “मी” (Me) के बीच अंतर किया?
- इर्विंग गॉफमैन
- हरबर्ट ब्लूमर
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख संस्थापकों में से एक माना जाता है। उन्होंने “सेल्फ” (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से समझा, जिसमें “मी” (Me) सामाजिक अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और “आई” (I) तत्काल प्रतिक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के विचारों को उनकी मृत्यु के बाद उनके छात्रों द्वारा “Mind, Self, and Society” नामक पुस्तक में संकलित किया गया।
- गलत विकल्प: इर्विंग गॉफमैन (a) ने “ड्रामाटर्जी” (Dramaturgy) का सिद्धांत दिया। हरबर्ट ब्लूमर (b) ने “सिम्बॉलिक इंटरेक्शनिज्म” शब्द गढ़ा और इसे व्यवस्थित किया। चार्ल्स कूली (c) ने “लुकिंग-ग्लास सेल्फ” (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी।
प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था का अध्ययन करते समय, आधुनिकीकरण के संदर्भ में “संवर्धन” (Sanskritization) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- आंद्रे बेतेई
- एम.एन. श्रीनिवास
- ई.वी. रामासामी पेरियार
- गु.नार मिर्डल
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने “संवर्धन” (Sanskritization) की अवधारणा दी। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों की धार्मिक मान्यताओं, कर्मकांडों, रिवाजों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में इस अवधारणा को पहली बार प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: आंद्रे बेतेई (a) ने भारत में जाति और वर्ग पर काम किया। पेरियार (c) एक सामाजिक सुधारक थे जिन्होंने जाति का विरोध किया। गु.नार मिर्डल (d) ने “एशियन ड्रामा” में भारत पर लिखा।
- रॉबर्ट मर्टन
- किंग्सले डेविस
- एमिल दुर्खीम
- एडवर्ड सैपिर
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “अनॉमी” (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि जब समाज में सामाजिक नियम (Norms) या तो कमजोर हो जाते हैं या अनुपस्थित होते हैं, तो व्यक्ति अनिश्चितता और दिशाहीनता का अनुभव करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Suicide” में प्रमुखता से पाई जाती है, जहाँ उन्होंने दर्शाया कि कैसे सामाजिक नियंत्रण के कमजोर पड़ने से आत्महत्या की दरें बढ़ सकती हैं।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन (a) ने अनॉमी को “उपायों और लक्ष्यों” के बीच विसंगति के रूप में विस्तारित किया। डेविस (b) और सैपिर (d) क्रमशः सामाजिक स्तरीकरण और भाषा/संस्कृति से जुड़े हैं।
- परिवार
- शिक्षा
- जाति
- धर्म
- सत्यता: परिवार, शिक्षा और धर्म समाज में मूलभूत “सामाजिक संस्थाएं” (Social Institutions) हैं, जिनके स्पष्ट नियम, भूमिकाएँ और उद्देश्य होते हैं। जाति एक सामाजिक स्तरीकरण की व्यवस्था है, न कि अपने आप में एक संस्था।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएं समाज के मुख्य कार्यों को पूरा करने वाले स्थायी और संरचित तरीके हैं। जाति एक व्यवस्था है जो व्यक्तियों की स्थिति निर्धारित करती है और अंतःक्रियाओं को प्रभावित करती है, लेकिन इसे अन्य संस्थाओं जैसे परिवार या धर्म की तरह परिभाषित नहीं किया जाता।
- गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म स्पष्ट रूप से समाज की प्रमुख संस्थाएं हैं।
- श्रमिक अपने उत्पाद से अलग हो जाता है।
- श्रमिक अपनी श्रम प्रक्रिया से अलग हो जाता है।
- श्रमिक अपनी प्रजाति-प्रकृति (species-nature) से अलग हो जाता है।
- श्रमिक अपने साथी श्रमिकों से अलग नहीं होता, बल्कि उनसे घनिष्ठ संबंध बनाता है।
- सत्यता: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक न केवल अपने उत्पाद, अपनी श्रम प्रक्रिया और अपनी “मानवीय सार” (Human Essence) से अलग होता है, बल्कि यह अलगाव उसे अपने साथी श्रमिकों से भी अलग-थलग कर देता है, क्योंकि प्रतिस्पर्धा और शोषण का माहौल होता है। इसलिए, विकल्प (d) गलत है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में अलगाव के चार रूपों का वर्णन किया था।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) अलगाव के वे रूप हैं जिनका वर्णन मार्क्स ने किया था।
- ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- ब्रॉनिस्लॉ मैलिनोस्की
- रॉबर्ट के. मर्टन
- अल्फ्रेड शुट्ज़
- सत्यता: रेडक्लिफ-ब्राउन (a), मैलिनोस्की (b) और मर्टन (c) सभी प्रमुख संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावादी (Structural-functionalist) या प्रकार्यवाद (Functionalism) के विचारक माने जाते हैं। अल्फ्रेड शुट्ज़ (d) एक फेनोमेनोलॉजिस्ट (Phenomenologist) थे।
- संदर्भ और विस्तार: प्रकार्यवाद समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न अंग (संस्थाएं) एक साथ कार्य करके समाज को स्थिर और सुचारू रूप से चलाने में योगदान करते हैं।
- गलत विकल्प: शुट्ज़ (d) फेनोमेनोलॉजी और ज्ञानात्मक समाजशास्त्र (Cognitive Sociology) के संस्थापक थे, न कि प्रकार्यवाद के।
- किसी व्यक्ति का अपनी वर्तमान भूमिकाओं में अच्छी तरह से समाजीकृत होना
- किसी व्यक्ति का भविष्य की भूमिकाओं के लिए स्वयं को तैयार करना
- बच्चों का अपने माता-पिता से सीखना
- व्यक्तियों द्वारा समूह मानदंडों का पालन करना
- सत्यता: प्रत्याशात्मक सामाजिकीकरण (Anticipatory Socialization) वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति भविष्य में धारण की जाने वाली या वांछित भूमिकाओं, स्थिति और समूहों के मानदंडों, मूल्यों और व्यवहारों को सीखना शुरू कर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर तब होता है जब व्यक्ति किसी ऐसी भूमिका की ओर बढ़ता है जिसे वह अभी तक निभा नहीं रहा है, जैसे कि सेना में शामिल होने से पहले सैन्य जीवन के बारे में सीखना।
- गलत विकल्प: (a) वर्तमान भूमिकाओं का समाजीकरण है। (c) प्रारंभिक समाजीकरण का एक रूप है। (d) अनुरूपता (Conformity) है।
- राज्य का सभी धर्मों से पूर्ण अलगाव
- राज्य का सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहना
- राज्य का एक विशेष धर्म को बढ़ावा देना
- राज्य का सभी धर्मों को समान सम्मान और समर्थन देना
- सत्यता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता (Indian Secularism) यूरोपीय मॉडल से भिन्न है। यह राज्य को सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और समर्थन देने पर आधारित है, न कि पूर्ण अलगाव (a) या तटस्थता (b) पर। यह किसी विशेष धर्म को बढ़ावा (c) भी नहीं देता।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान राज्य को सभी धर्मों के प्रति “समान व्यवहार” (Equal Treatment) करने की आज्ञा देता है, जो इसे एक सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता बनाता है।
- गलत विकल्प: (a), (b) और (c) भारतीय धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति का सही वर्णन नहीं करते।
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं द्वारा
- व्यक्तिगत और सामूहिक क्रियाओं के माध्यम से
- भौतिक और आर्थिक शक्तियों द्वारा
- संस्थागत नियमों और विनियमों द्वारा
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, समाज विभिन्न व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं (Meaningful Interactions) के माध्यम से बनता है। व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) का उपयोग करके अर्थ उत्पन्न करते हैं और अपने व्यवहार को समायोजित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को स्थैतिक संरचनाओं के बजाय गतिमान अंतःक्रियाओं के परिणाम के रूप में देखता है।
- गलत विकल्प: (a), (c) और (d) बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं, आर्थिक शक्तियों या संस्थागत नियमों पर जोर देते हैं, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के मुख्य फोकस से भिन्न हैं।
- विलियम एफ. ओगबर्न
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्त
- सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने तर्क दिया कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य, संस्थाएं) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: रेडफील्ड (b) लोक संस्कृति और शहरी संस्कृति का अध्ययन किया। वेबर (c) ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर काम किया। कॉम्त (d) को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है।
- एक विशिष्ट भाषा और बोली
- विजातीय विवाह (Exogamy) का प्रचलन
- स्थायी कृषि पर अत्यधिक निर्भरता
- एक अलग सांस्कृतिक पहचान
- सत्यता: आदिवासी समुदायों में अक्सर शिकार, संग्रहण, झूम कृषि (Slash-and-burn cultivation) या अस्थाई कृषि जैसी निर्वाह पद्धतियाँ अधिक प्रचलित रही हैं, बजाय कि स्थायी कृषि पर अत्यधिक निर्भरता के। उनकी विशिष्ट भाषा, विजातीय विवाह और अलग सांस्कृतिक पहचान प्रमुख विशेषताएं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि कुछ आदिवासी समुदाय अब स्थायी कृषि की ओर बढ़ रहे हैं, यह उनकी पारंपरिक या सामान्यतः पहचानी जाने वाली विशेषता नहीं है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सामान्यतः आदिवासी समुदायों की प्रमुख विशेषताएं हैं।
- वर्ग (Class)
- प्रस्थिति समूह (Status Group)
- जाति (Caste)
- उपाधि (Estate)
- सत्यता: जाति व्यवस्था (Caste System) जन्म पर आधारित एक कठोर स्तरीकरण प्रणाली है, जिसमें किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, व्यवसाय और अंतःक्रियाएँ उसके जन्म से निर्धारित होती हैं और इसमें सामाजिक गतिशीलता (ऊपर या नीचे की ओर) बहुत सीमित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुखता से पाई जाती है।
- गलत विकल्प: वर्ग (a) में अधिक गतिशीलता होती है। प्रस्थिति समूह (b) और उपाधि (d) भी स्तरीकरण के रूप हैं, लेकिन जाति की तरह जन्म-आधारित कठोरता और गतिशीलता की कमी इसमें नहीं होती।
- ऑस्कर लेविस
- जॉन केनेथ गलब्रेथ
- एमिल दुर्खीम
- अर्नेस्ट बर्गस
- सत्यता: ऑस्कर लेविस (Oscar Lewis) ने “संस्कृति-वि-गरीबी” (Culture of Poverty) की अवधारणा को विकसित किया। उनका तर्क था कि गरीबी केवल आर्थिक अभाव नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पैटर्न भी है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता है, जिससे व्यक्ति गरीबी के चक्र में फंस जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि उनकी अवधारणा विवादास्पद रही है, इसने गरीबी को एक जटिल सामाजिक-सांस्कृतिक घटना के रूप में देखने पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: गलब्रेथ (b) ने “नया औद्योगिक राज्य” पर लिखा। दुर्खीम (c) ने सामाजिक तथ्यों पर। बर्गस (d) ने शहरी पारिस्थितिकी (Urban Ecology) पर काम किया।
- गहन सामाजिक संबंध (Gemeinschaft)
- औपचारिक सामाजिक नियंत्रण
- समरूपता (Homogeneity)
- श्रम का विशेषीकरण (Specialization of Labour)
- सत्यता: ग्रामीण समाजों में आमतौर पर अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण (जैसे जनमत, प्रतिष्ठा, सामाजिक दबाव) अधिक प्रभावी होता है, जबकि औपचारिक नियंत्रण (जैसे पुलिस, कानून) शहरी समाजों की विशेषता है। गहन संबंध, समरूपता और प्राथमिक समूह ग्रामीण समाजों की सामान्य विशेषताएं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: फर्डीनेंड टोनीस (Ferdinand Tönnies) नेGemeinschaft (समुदाय) और Gesellschaft (समाज) के बीच अंतर किया, जहाँ Gemeinschaft ग्रामीण जीवन का प्रतिनिधित्व करता है।
- गलत विकल्प: (a), (c) ग्रामीण समाजों की विशेषताएं हैं, जबकि (b) शहरी समाजों की अधिक विशेषता है।
- वर्ग (Class)
- गुट (Faction)
- उपाधि (Estate)
- सम्पर्क (Contact)
- सत्यता: उपाधि (Estate) या सामंती व्यवस्था (Feudal System) एक ऐसी पदानुक्रमित सामाजिक व्यवस्था है जिसमें व्यक्ति अपनी स्थिति जन्म से प्राप्त करता है और इसके साथ विशेषाधिकार और दायित्व जुड़े होते हैं (जैसे पादरी, कुलीन वर्ग, सामान्य जन)।
- संदर्भ और विस्तार: मध्यकालीन यूरोप में यह व्यवस्था प्रमुख थी।
- गलत विकल्प: वर्ग (a) आर्थिक स्थिति पर आधारित होता है जिसमें अधिक गतिशीलता होती है। गुट (b) एक छोटा अनौपचारिक समूह है। सम्पर्क (d) का कोई विशिष्ट सामाजिक अर्थ नहीं है।
- समूहों के बीच सामाजिक अंतःक्रिया
- सामाजिक संरचना में परिवर्तन
- व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी में जाना
- सामाजिक मानदंडों का विकास
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति, धन, या शक्ति के पद में एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाते हैं। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical) या क्षैतिज (Horizontal) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज की खुलीपन (Openness) या बंदपन (Closedness) को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सामाजिक गतिशीलता को सीधे तौर पर परिभाषित नहीं करते।
- सी. राइट मिल्स
- गैतानो मोस्का
- विलफ्रेडो पारेतो
- एंटोनियो ग्राम्स्की
- सत्यता: गैतानो मोस्का (Gaetano Mosca) और विलफ्रेडो पारेतो (Vilfredo Pareto) को अभिजन वर्ग सिद्धांत के प्रारंभिक और प्रमुख प्रतिपादकों में गिना जाता है। मोस्का ने तर्क दिया कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, हमेशा एक राजनीतिक वर्ग (शासक वर्ग) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: पारेतो ने “शासकों का चक्रीकरण” (Circulation of Elites) का सिद्धांत दिया। सी. राइट मिल्स (a) ने अमेरिकी समाज में “शक्ति अभिजन” (Power Elite) का विश्लेषण किया। ग्राम्स्की (d) ने “वर्चस्व” (Hegemony) की अवधारणा दी।
- गलत विकल्प: मिल्स, पारेतो और ग्राम्स्की अभिजन वर्ग के विचारक हैं, लेकिन मोस्का को उनके “शासक वर्ग” की सर्वव्यापकता के सिद्धांत के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
- समाज के सदस्यों पर समाज का प्रभाव
- सरकार द्वारा लागू किए गए नियम
- व्यक्तिगत व्यवहार पर सामाजिक दबाव
- व्यक्तियों को समाज के मानदंडों के अनुरूप बनाने की प्रक्रिया
- सत्यता: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) उन प्रक्रियाओं और तंत्रों को संदर्भित करता है जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित और विनियमित करता है ताकि वे स्थापित मानदंडों, मूल्यों और नियमों का पालन करें।
- संदर्भ और विस्तार: यह औपचारिक (कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जनमत, सामाजिक बहिष्कार) दोनों तरीकों से हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) सामाजिक नियंत्रण के पहलू हैं, लेकिन (d) इसका सबसे सटीक और व्यापक अर्थ है। (b) केवल औपचारिक नियंत्रण का एक हिस्सा है।
- यह समाज के लिए पूरी तरह से हानिकारक है और इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
- यह समाज के मानदंडों को स्पष्ट करने और मजबूत करने में सहायक हो सकती है।
- यह केवल निम्न वर्गों में ही पाई जाती है।
- यह सामाजिक व्यवस्था के लिए कोई भूमिका नहीं निभाती।
- सत्यता: एमिल दुर्खीम जैसे संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकवादी विचारकों ने तर्क दिया कि विसंगति (Deviance) समाज के लिए पूरी तरह नकारात्मक नहीं है। यह समाज के स्थापित मानदंडों और मूल्यों को स्पष्ट करने, लोगों को उनके प्रति सचेत करने और अंततः सामाजिक एकजुटता को मजबूत करने में सहायक हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक अपराधी को दंडित होते देखना, समाज को यह याद दिलाता है कि कौन से कार्य स्वीकार्य नहीं हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) विसंगति की संभावित सकारात्मक भूमिका को नजरअंदाज करते हैं।
- चार्ल्स कूली
- हरबर्ट ब्लूमर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- एर्विंग गॉफमैन
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने “सेल्फ” (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया का परिणाम माना। उन्होंने “आई” (I) को प्रतिक्रियाशील, सहज और व्यक्तिगत हिस्से के रूप में और “मी” (Me) को सामाजिककृत, संगठित और रूढ़िवादी हिस्से के रूप में वर्णित किया, जो समाज द्वारा आंतरिक किए गए दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करता है।
- संदर्भ और विस्तार: “लुकिंग-ग्लास सेल्फ” (Looking-Glass Self) की अवधारणा चार्ल्स कूली (a) से संबंधित है।
- गलत विकल्प: ब्लूमर (b) ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद को व्यवस्थित किया। गॉफमैन (d) ने ड्रामाटर्जी का सिद्धांत दिया।
- केवल कला, संगीत और साहित्य का संग्रह
- लोगों के सीखने और साझा करने योग्य व्यवहार, विश्वास, ज्ञान और सामग्री का कुल योग
- प्रकृति द्वारा प्रदत्त जीवन शैली
- सरकार द्वारा निर्धारित जीवन जीने का तरीका
- सत्यता: समाजशास्त्र में, संस्कृति को व्यापक अर्थों में लिया जाता है, जिसमें लोगों के सीखने योग्य व्यवहार, विश्वास, मूल्य, ज्ञान, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और किसी समाज के सदस्यों द्वारा अर्जित अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक “साझा” और “सीखा” हुआ पैटर्न है।
- गलत विकल्प: (a) केवल संस्कृति के भौतिक या अभिव्यक्ति वाले पहलू को दर्शाता है। (c) और (d) प्रकृति या सरकार पर निर्भरता दर्शाते हैं, जबकि संस्कृति मुख्य रूप से सामाजिक निर्माण है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 7: “अनॉमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों की कमजोरी या अनुपस्थिति को दर्शाती है, मुख्य रूप से किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी एक सामाजिक संस्था नहीं है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 9: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, जिसे मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिक के अनुभव के रूप में वर्णित किया, के संदर्भ में क्या सही नहीं है?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा एक “प्रकार्यवाद” (Functionalism) का प्रमुख विचारक नहीं है?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 11: सामाजिक अनुसंधान में “प्रत्याशात्मक सामाजिकीकरण” (Anticipatory Socialization) की अवधारणा किससे संबंधित है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 12: भारत में “धर्मनिरपेक्षता” (Secularism) की अवधारणा को कैसे समझा जाता है, विशेषकर समकालीन भारत के संदर्भ में?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 13: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के अनुसार, समाज का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 14: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा, जो प्रौद्योगिकी और संस्कृति के अन्य तत्वों के बीच असमान विकास को दर्शाती है, का श्रेय किसे दिया जाता है?
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 15: भारत में “आदिवासी समुदाय” (Tribal Communities) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता सामान्यतः नहीं पाई जाती?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 16: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का वह रूप कौन सा है जो जन्म पर आधारित होता है और जिसमें गतिशीलता (Mobility) बहुत कम या नगण्य होती है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 17: “पॉवरिटाइजेशन” (Poor Laws) के संदर्भ में, गरीबी को केवल व्यक्तिगत असफलता के बजाय एक सामाजिक समस्या के रूप में देखने का श्रेय किस विचारक को जाता है, जिन्होंने “गरीबी का चक्र” (Cycle of Poverty) जैसी अवधारणाओं का भी उल्लेख किया?
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी एक “ग्रामीण समाज” (Rural Society) की विशेषता नहीं है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 19: “पदानुक्रमित सामाजिक व्यवस्था” (Hierarchical Social Order) जिसमें वंशानुगत विशेषाधिकार और दायित्व होते हैं, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 20: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 21: “अभिजन वर्ग सिद्धांत” (Elite Theory) के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक कौन हैं, जिन्होंने कहा कि समाज हमेशा एक शासक और शासित वर्ग में विभाजित रहा है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 22: “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) का अर्थ क्या है?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 23: “संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता” (Structural-Functionalism) के अनुसार, समाज में “विसंगति” (Deviance) की क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 24: किस समाजशास्त्री ने “गिग,आई,मी” (I, Me) के माध्यम से “सेल्फ” (Self) के विकास की व्याख्या की?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 25: “संस्कृति” (Culture) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या: