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समाजशास्त्र की गहरी समझ: दैनिक अभ्यास के लिए 25 महत्वपूर्ण प्रश्न

समाजशास्त्र की गहरी समझ: दैनिक अभ्यास के लिए 25 महत्वपूर्ण प्रश्न

नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! अपने ज्ञान की गहराई को मापने और परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को पुख्ता करने के लिए तैयार हो जाइए। आज का यह विशेष सत्र आपको समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण सिद्धांतों, विचारकों और अवधारणाओं पर अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगा। आइए, कलम और कागज़ उठाइए और इस बौद्धिक यात्रा में डूब जाइए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसमें व्यक्ति अपने सामाजिक परिवेश में दूसरों के व्यवहार को ध्यान में रखकर कार्य करता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. ई. ई. एम. दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. हरबर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ की अवधारणा को समाजशास्त्र का केंद्रीय बिंदु माना। उनके अनुसार, सामाजिक क्रिया वह क्रिया है जो व्यक्ति अपने कर्ता-धर्ता (actor) के व्यक्तिपरक अर्थ (subjective meaning) के अनुसार करता है और वह क्रिया दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होती है या दूसरों के व्यवहार को निर्देशित करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर की यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का आधार है, जिसे उन्होंने अपनी कृति ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ में विस्तार से समझाया है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी (positivist) दृष्टिकोण से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। ई. ई. एम. दुर्खीम ने सामाजिक एकता और अनॉमी जैसे विषयों पर काम किया। हरबर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (symbolic interactionism) में ‘स्व’ (self) और ‘मैं’ (I) की अवधारणा विकसित की।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism) का मूल तत्व नहीं है?

  1. वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
  2. आर्थिक निर्धारणवाद (Economic Determinism)
  3. प्रतीकात्मक अंतःक्रिया (Symbolic Interaction)
  4. सर्वहारा की तानाशाही (Dictatorship of the Proletariat)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के अनुसार, समाज का विकास आर्थिक आधार (base) और अधिरचना (superstructure) के बीच निरंतर संघर्ष से होता है। वर्ग संघर्ष, आर्थिक निर्धारणवाद और सर्वहारा की तानाशाही उनके सिद्धांत के प्रमुख तत्व हैं। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद जॉर्ज हर्बर्ट मीड और अन्य से जुड़ा है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, उत्पादन के संबंध (relations of production) ही समाज की आर्थिक संरचना का निर्माण करते हैं, और यही संरचना राजनीतिक, कानूनी और सांस्कृतिक अधिरचना को निर्धारित करती है।
  • गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व को लेकर शोषक और शोषित वर्गों के बीच का संघर्ष है। आर्थिक निर्धारणवाद यह मानता है कि आर्थिक कारक सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन को निर्धारित करते हैं। सर्वहारा की तानाशाही पूंजीवाद से समाजवाद में संक्रमण का एक चरण है।

प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. उच्च जातियों की रीति-रिवाजों और कर्मकांडों को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरी जीवन शैली को अपनाना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द का प्रयोग यह बताने के लिए किया कि कैसे निम्न जातियां या जनजातियां उच्च जातियों के अनुकरण में अपने रीति-रिवाजों, पूजा-पाठ, जीवन शैली और विचारों को बदलने का प्रयास करती हैं, ताकि वे सामाजिक सीढ़ी में ऊपर चढ़ सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उन्होंने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की। संस्कृतिकरण सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता (structural mobility) का।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक अवधारणा है जिसमें तकनीकी, औद्योगिक और संस्थागत परिवर्तन शामिल हैं। शहरी जीवन शैली को अपनाना केवल एक पहलू है।

प्रश्न 4: दुर्खीम के अनुसार, समाज की एकता (Social Solidarity) के विभिन्न प्रकार कौन से हैं?

  1. यांत्रिक और जैविक
  2. सांस्कृतिक और सामाजिक
  3. प्रतीकात्मक और वास्तविक
  4. जैविक और कार्यात्मक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: ई. ई. एम. दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में समाज की एकता के दो मुख्य प्रकार बताए: यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity), जो समानता और श्रम के निम्न विभाजन वाले समाजों में पाई जाती है, और जैविक एकता (Organic Solidarity), जो श्रम के उच्च विभाजन और अंतर-निर्भरता वाले जटिल समाजों में पाई जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकता सामूहिक चेतना (collective consciousness) पर आधारित होती है, जबकि जैविक एकता व्यक्तिगत विशिष्टता और परस्पर निर्भरता पर आधारित होती है।
  • गलत विकल्प: सांस्कृतिक और सामाजिक, प्रतीकात्मक और वास्तविक, या जैविक और कार्यात्मक प्रकार की एकता दुर्खीम ने नहीं बताई।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता ‘एकीकृत समाज’ (Integrated Society) के सिद्धांत से संबंधित है, जैसा कि टॉलकोट पार्सन्स ने प्रस्तुत किया?

  1. संघर्ष और अस्थिरता
  2. नियंत्रण और सामाजिक व्यवस्था
  3. अराजकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
  4. अज्ञातवाद और अनिश्चितता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: टॉलकोट पार्सन्स एक संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक (structural-functionalist) विचारक थे। उन्होंने समाज को एक ऐसे तंत्र के रूप में देखा जो संतुलन और व्यवस्था बनाए रखता है। उनके अनुसार, समाज में एकीकरण (integration) और नियंत्रण (control) व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने ‘Action Theory’ का विकास किया और समाज को चार प्रमुख प्रकार्यात्मक आवश्कताओं (Functional Prerequisites) में विभाजित किया: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और अव्यय (Latency) – जिसे AGIL मॉडल कहते हैं।
  • गलत विकल्प: संघर्ष और अस्थिरता, अराजकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता, तथा अज्ञातवाद और अनिश्चितता संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) या अन्य दृष्टिकोणों से संबंधित हैं, न कि पार्सन्स के प्रकार्यात्मकतावाद से।

प्रश्न 6: ‘अजनबी’ (The Stranger) की अवधारणा, जो एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन करती है जो समाज में रहता है लेकिन उससे पूरी तरह से जुड़ा या आत्मसात नहीं हुआ है, किस समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गई?

  1. जॉर्ज सिमेल
  2. हर्बर्ट ब्लूमर
  3. एर्विंग गॉफमैन
  4. सी. राइट मिल्स

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: जॉर्ज सिमेल ने अपनी कृति ‘The Philosophy of Money’ और अन्य लेखों में ‘अजनबी’ की अवधारणा को विकसित किया। अजनबी एक ऐसा व्यक्ति होता है जो समाज का सदस्य तो है, पर उसकी भूमिकाएं और संबंध बाहरी व्यक्ति जैसे होते हैं, जो समाज को एक अलग दृष्टिकोण से देखने में मदद करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सिमेल के अनुसार, अजनबी समाज में निकटता और दूरी दोनों का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है, जिससे वह समाज के आंतरिक कामकाज को अधिक तटस्थता से देख पाता है।
  • गलत विकल्प: हर्बर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं। एर्विंग गॉफमैन ने ‘द्रश्य समाजशास्त्र’ (dramaturgical sociology) और ‘कुल संस्थाओं’ (total institutions) पर काम किया। सी. राइट मिल्स ने ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (sociological imagination) की अवधारणा दी।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘वर्ण’ व्यवस्था की उत्पत्ति की व्याख्या करने वाले प्रमुख सिद्धांत में से एक कौन सा है?

  1. धार्मिक अनुष्ठान
  2. राजनीतिक वर्चस्व
  3. कर्म और पुनर्जन्म
  4. आनुवंशिक विभेदन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही क्यों: भारतीय समाजशास्त्रीय विचार में, वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति की व्याख्या मुख्य रूप से कर्म (क्रिया) और पुनर्जन्म (rebirth) के सिद्धांत से जुड़ी है। यह माना जाता है कि व्यक्ति के पूर्व जन्मों के कर्म उसके वर्तमान जन्म की जाति और स्थिति को निर्धारित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण भगवद गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है, जो कर्म को जीवन के नियामक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत करता है। हालांकि, ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय व्याख्याओं में राजनीतिक और आर्थिक कारक भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
  • गलत विकल्प: केवल धार्मिक अनुष्ठान, राजनीतिक वर्चस्व या आनुवंशिक विभेदन अकेले वर्ण व्यवस्था की जटिल उत्पत्ति की पूरी व्याख्या नहीं करते, बल्कि कर्म और पुनर्जन्म का सिद्धांत इसके धार्मिक और नैतिक आधार के रूप में प्रमुखता से सामने आता है।

  • प्रश्न 8: ‘अनॉमी’ (Anomie) की अवधारणा, जिसका अर्थ है सामाजिक मानदंडों का क्षरण या अभाव, किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी है?

    1. मैक्स वेबर
    2. एमिल दुर्खीम
    3. रॉबर्ट मर्टन
    4. चाल्र्स हॉर्टन कूली

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: एमिल दुर्खीम ने ‘अनॉमी’ की अवधारणा को समाज में उत्पन्न होने वाली उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जब सामाजिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं, या जब व्यक्ति और समाज के बीच संबंध टूट जाता है, जिससे दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना पैदा होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने यह अवधारणा अपनी कृतियों जैसे ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में प्रस्तुत की। उन्होंने दिखाया कि कैसे अनॉमी आत्महत्या की दर को प्रभावित कर सकती है।
    • गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘अनॉमी’ को सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच विसंगति के रूप में विकसित किया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया पर जोर दिया। चाल्र्स हॉर्टन कूली ने ‘प्राइमरी ग्रुप्स’ और ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ की अवधारणा दी।

    प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा परिवार का एक प्रकार है जिसमें पति और पत्नी दोनों के अपने-अपने मूल परिवारों के प्रति मजबूत निष्ठा होती है, जिससे नव-विवाहित जोड़े को दोनों परिवारों के बीच संतुलन साधना पड़ता है?

    1. पितृस्थानीय (Patrilocal)
    2. मातृस्थानीय (Matrilocal)
    3. द्विस्थानीय (Bilocality)
    4. संस्कारस्थानीय (Neolocal)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: द्विस्थानीय (Bilocality) व्यवस्था में, नव-विवाहित जोड़ा पति और पत्नी दोनों के मूल परिवारों के साथ समय बिताता है या उनकी निष्ठा दोनों के प्रति बनी रहती है। यह स्थिति किसी एक स्थान पर स्थायी रूप से बसने की बजाय दोनों परिवारों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था उन समाजों में देखी जा सकती है जहाँ संयुक्त परिवार का प्रभाव अधिक होता है या जहाँ संपत्ति का उत्तराधिकार दोनों पक्षों से महत्वपूर्ण होता है।
    • गलत विकल्प: पितृस्थानीय में पत्नी पति के घर जाती है, मातृस्थानीय में पति पत्नी के घर जाता है, और संस्कारस्थानीय में जोड़ा अपना अलग निवास स्थान बनाता है।

    प्रश्न 10: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘सापेक्ष वंचन’ (Relative Deprivation) का सिद्धांत क्या समझाने में मदद करता है?

    1. सामाजिक गतिशीलता की दर
    2. वर्गों के बीच आय असमानता
    3. सामाजिक आंदोलनों का उद्भव
    4. व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक स्थिति

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: सापेक्ष वंचन का सिद्धांत यह बताता है कि जब लोग महसूस करते हैं कि उनके पास उन संसाधनों या अवसरों की कमी है जो दूसरों के पास हैं (जिनसे वे अपनी तुलना करते हैं), तो इससे असंतोष पैदा होता है जो सामाजिक आंदोलनों या विरोधों को जन्म दे सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा अक्सर सामाजिक आंदोलनों के कारणों को समझने के लिए उपयोग की जाती है, जहाँ सामूहिक शिकायतें और असमानताओं की धारणाएं लोगों को संगठित होने के लिए प्रेरित करती हैं।
    • गलत विकल्प: हालांकि सापेक्ष वंचन का आय असमानता या व्यक्तिगत मनोविज्ञान से संबंध हो सकता है, यह मुख्य रूप से सामाजिक आंदोलनों के उद्भव की व्याख्या के लिए एक प्रमुख समाजशास्त्रीय सिद्धांत है।

    प्रश्न 11: ‘संस्था’ (Institution) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?

    1. व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह
    2. समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वीकृत और स्थायी सामाजिक पैटर्न
    3. सरकार द्वारा बनाए गए नियम
    4. धार्मिक विश्वासों का समूह

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: समाजशास्त्र में, एक संस्था (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) को सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और व्यवहारों के एक स्थापित, स्थायी और स्वीकृत पैटर्न के रूप में परिभाषित किया जाता है जो समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: संस्थाएं समाज को व्यवस्थित और कार्यशील बनाने में मदद करती हैं। इनमें भूमिकाएं, स्थिति, नियम और संगठन शामिल होते हैं।
    • गलत विकल्प: अनौपचारिक समूह, सरकारी नियम या केवल धार्मिक विश्वास एक संस्था की पूर्ण परिभाषा नहीं हैं, बल्कि वे संस्था के घटक या उसके द्वारा प्रभावित हो सकते हैं।

    प्रश्न 12: भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘अंतर-विवाह’ (Endogamy) का अर्थ क्या है?

    1. किसी भी जाति में विवाह करना
    2. अपनी जाति के भीतर विवाह करना
    3. दो भिन्न जातियों के बीच विवाह करना
    4. किसी अन्य धर्म के व्यक्ति से विवाह करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: अंतर-विवाह (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति (sub-caste) के भीतर विवाह करना चाहिए। यह भारतीय जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता है जो जातिगत अलगाव को बनाए रखती है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने गोत्र (gotra) या गांव से बाहर विवाह करना चाहिए।
    • गलत विकल्प: अपनी जाति के भीतर विवाह करना ही अंतर-विवाह है। अन्य विकल्प बहिर्विवाह या अंतर-धार्मिक विवाह जैसी अवधारणाओं से संबंधित हैं।

    प्रश्न 13: ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) की अवधारणा, समाजशास्त्र में सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का वर्णन करने के लिए प्रयोग की जाती है, यह मुख्य रूप से किस पर आधारित होती है?

    1. सामाजिक संबंधों की प्रकृति
    2. सामाजिक स्थिति में ऊँच-नीच का क्रम
    3. व्यक्तिगत प्रतिभा और कौशल
    4. भौगोलिक वितरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ है समाज में लोगों को विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित करना। यह विभाजन अक्सर धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, जाति, वर्ग आदि जैसे कारकों के आधार पर एक पदानुक्रम (ऊँच-नीच का क्रम) में होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: पदानुक्रम समाजशास्त्रीय विश्लेषण में यह समझने में मदद करता है कि कैसे संसाधन और विशेषाधिकार समाज के विभिन्न समूहों के बीच असमान रूप से वितरित होते हैं।
    • गलत विकल्प: सामाजिक संबंधों की प्रकृति, व्यक्तिगत प्रतिभा, या भौगोलिक वितरण पदानुक्रम के *कारण* या *परिणाम* हो सकते हैं, लेकिन पदानुक्रम स्वयं सामाजिक स्थिति में ऊँच-नीच के क्रम का वर्णन है।

    प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य समाज में किसी व्यक्ति या समूह की ______ में परिवर्तन से है।

    1. सामाजिक स्थिति
    2. आर्थिक स्थिति
    3. राजनीतिक स्थिति
    4. सांस्कृतिक पृष्ठभूमि

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति (social status) में एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाते हैं। यह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी), नीचे की ओर (अधोगामी) या क्षैतिज (horizontal) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: आर्थिक या राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन अक्सर सामाजिक स्थिति में परिवर्तन से जुड़े होते हैं, लेकिन सामाजिक गतिशीलता मुख्य रूप से सामाजिक स्थिति से संबंधित है।
    • गलत विकल्प: जबकि आर्थिक और राजनीतिक स्थिति सामाजिक स्थिति से प्रभावित होती है, सामाजिक गतिशीलता का मुख्य पैमाना स्वयं सामाजिक स्थिति है। सांस्कृतिक पृष्ठभूमि गतिशीलता का कारण या परिणाम हो सकती है, लेकिन यह स्वयं गतिशीलता नहीं है।

    प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) पर सबसे अधिक बल देता है?

    1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    2. संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद
    3. संघर्ष सिद्धांत
    4. घटना विज्ञान (Phenomenology)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद (Structural-functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न भाग (संरचनाएं) समाज के अस्तित्व और स्थिरता को बनाए रखने के लिए एक साथ कार्य करते हैं। यह दृष्टिकोण सामाजिक संरचनाओं और उनके प्रकार्यों पर बहुत अधिक बल देता है।
    • संदर्भ और विस्तार: टॉलकोट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन जैसे विचारक इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक रहे हैं। वे सामाजिक व्यवस्था (social order) को बनाए रखने में संरचनाओं की भूमिका पर जोर देते हैं।
    • गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) विश्लेषण और व्यक्तिगत अर्थों पर केंद्रित है। संघर्ष सिद्धांत संरचनाओं में अंतर्निहित संघर्षों पर जोर देता है। घटना विज्ञान व्यक्ति के अनुभव के व्यक्तिपरक अर्थों का अध्ययन करता है।

    प्रश्न 16: ‘सामुदायिक भावना’ (Gemeinschaft) और ‘सहचर्य’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ, जो सरल, घनिष्ठ सामाजिक संबंधों (सामुदायिक भावना) को जटिल, उद्देश्यपूर्ण और अमूर्त संबंधों (सहचर्य) से अलग करती हैं, किसने विकसित कीं?

    1. ई. ई. एम. दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. फर्डिनेंड टोंनीज़
    4. जॉर्ज सिमेल

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: फर्डिनेंड टोंनीज़ ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (Community and Society) में इन दो अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। ये अवधारणाएँ समाज के विकास और मानवीय संबंधों के बदलते स्वरूप को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: सामुदायिक भावना (Gemeinschaft) परिवार, मित्रों और पड़ोसियों के बीच घनिष्ठ, भावनात्मक और पारंपरिक संबंधों को दर्शाती है, जबकि सहचर्य (Gesellschaft) आधुनिक, औद्योगिक समाजों में पाए जाने वाले औपचारिक, अप्रत्यक्ष और व्यक्तिगत लाभ-उन्मुख संबंधों को दर्शाती है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ने यांत्रिक और जैविक एकता, वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता, और सिमेल ने अजनबी और मुद्रा की अवधारणा दी।

    प्रश्न 17: ‘सबलीकरण’ (Empowerment) की अवधारणा, जो सामाजिक न्याय और विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, का क्या अर्थ है?

    1. किसी को शक्ति सौंपना
    2. शक्तिहीन या हाशिए पर पड़े व्यक्तियों या समूहों को अपनी जीवन परिस्थितियों को नियंत्रित करने और बदलने के लिए सक्षम बनाना
    3. सरकारी नीतियों का निर्माण
    4. कानूनी अधिकारों की गारंटी

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: सबलीकरण (Empowerment) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह, विशेष रूप से जो सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक रूप से वंचित हैं, को अधिकार, क्षमताएं और आत्मविश्वास प्राप्त होता है जिससे वे अपने जीवन पर अधिक नियंत्रण रख सकें और परिवर्तन ला सकें।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक कार्य, महिला अध्ययन और वंचित समुदायों के विकास के क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।
    • गलत विकल्प: किसी को शक्ति सौंपना (a) इसका एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह पूर्ण अर्थ नहीं है। सरकारी नीतियों (c) या कानूनी अधिकारों (d) का निर्माण सबलीकरण के साधन हो सकते हैं, लेकिन सबलीकरण स्वयं क्षमता निर्माण की प्रक्रिया है।

    प्रश्न 18: भारत में ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के कारण समाज में निम्नलिखित में से कौन सा परिवर्तन देखा गया है?

    1. पारिवारिक संरचना में विघटन
    2. संयुक्त परिवार का सुदृढ़ीकरण
    3. जाति व्यवस्था का मजबूत होना
    4. सामुदायिक संबंधों का विस्तार

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: औद्योगीकरण ने बड़े पैमाने पर शहरीकरण, प्रवास और रोजगार के नए अवसरों को जन्म दिया। इसने पारंपरिक संयुक्त परिवारों को एकल परिवारों में बदलने, परिवार के सदस्यों के विखंडन और सदस्यों के बीच व्यक्तिगत स्वतंत्रता की वृद्धि में योगदान दिया है, जिससे पारिवारिक संरचना में विघटन देखा गया है।
    • संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण ने महिलाओं को काम करने के अधिक अवसर भी दिए, जिससे उनकी स्थिति में बदलाव आया और पारंपरिक भूमिकाएँ प्रभावित हुईं।
    • गलत विकल्प: औद्योगीकरण ने संयुक्त परिवार को कमजोर किया है, जाति व्यवस्था को कुछ हद तक बदला है (हालांकि पूरी तरह से समाप्त नहीं किया), और सामुदायिक संबंधों को शहरीकरण के कारण बदला है, न कि विस्तार किया है।

    प्रश्न 19: ‘अवज्ञा’ (Deviance) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, यह क्या है?

    1. केवल आपराधिक व्यवहार
    2. सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन
    3. अनैतिक व्यवहार
    4. मानसिक बीमारी

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: समाजशास्त्र में, अवज्ञा (Deviance) को किसी समाज या समूह के स्वीकृत मानदंडों और अपेक्षाओं के उल्लंघन के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह केवल अपराध तक सीमित नहीं है, बल्कि किसी भी ऐसे व्यवहार को शामिल करता है जिसे असामान्य या अनुचित माना जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: व्यवहार को ‘अवज्ञापूर्ण’ या ‘गैर-अवज्ञापूर्ण’ मानने का निर्णय अक्सर सामाजिक संदर्भ और स्वीकृत मानदंडों पर निर्भर करता है।
    • गलत विकल्प: अवज्ञा केवल आपराधिक व्यवहार (a), अनैतिक व्यवहार (c) या मानसिक बीमारी (d) तक सीमित नहीं है, हालांकि ये सभी किसी न किसी रूप में सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन हो सकते हैं।

    प्रश्न 20: ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularization) की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?

    1. सभी धर्मों का उन्मूलन
    2. धर्म का सार्वजनिक जीवन और संस्थाओं से पृथक्करण
    3. केवल एक धर्म को आधिकारिक मानना
    4. धार्मिक अनुष्ठानों में वृद्धि

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है समाज में धर्म के प्रभाव में कमी आना, विशेष रूप से सार्वजनिक जीवन, राजनीति, शिक्षा और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में। यह धर्म के निजीकरण या धर्म और राज्य के अलगाव की प्रक्रिया को दर्शाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब यह नहीं है कि लोग धर्म को छोड़ देते हैं, बल्कि यह कि धर्म का सार्वजनिक महत्व और संस्थागत शक्ति कम हो जाती है।
    • गलत विकल्प: सभी धर्मों का उन्मूलन (a) नास्तिकता से जुड़ा है। केवल एक धर्म को आधिकारिक मानना (c) धर्मतंत्र (theocracy) है। धार्मिक अनुष्ठानों में वृद्धि (d) धर्मनिरपेक्षता के विपरीत है।

    प्रश्न 21: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को किसने लोकप्रिय बनाया, जो किसी व्यक्ति या समूह के सामाजिक नेटवर्क, संबंधों और विश्वासों से प्राप्त लाभों को संदर्भित करती है?

    1. पियरे बोरदिउ
    2. जेम्स कॉलमैन
    3. रॉबर्ट पुटनम
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास पियरे बोरदिउ (1980s) ने किया था, इसे जेम्स कॉलमैन (1988) ने आगे बढ़ाया और रॉबर्ट पुटनम (2000) ने इसे व्यापक रूप से लोकप्रिय बनाया। तीनों समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी लोगों के बीच सहयोग और विश्वास को बढ़ावा देती है, जिससे सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं।
    • गलत विकल्प: जबकि तीनों ने योगदान दिया, वे सभी इस अवधारणा से जुड़े हुए हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सबसे सटीक उत्तर है।

    प्रश्न 22: भारत में ‘पैट्रिलीनियल’ (Patrilineal) वंशानुक्रम प्रणाली का क्या अर्थ है?

    1. वंश पिता से पुत्री की ओर चलता है
    2. वंश पिता से पुत्र की ओर चलता है
    3. वंश माता से पुत्री की ओर चलता है
    4. वंश माता से पुत्र की ओर चलता है

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: पैट्रिलीनियल (Pater Latin से ‘पिता’) वंशानुक्रम प्रणाली में, संपत्ति, पद और वंश पिता से पुत्रों की ओर हस्तांतरित होता है। परिवार का मुखिया भी पिता या उसका पुरुष उत्तराधिकारी होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह भारत सहित दुनिया के कई समाजों में एक आम प्रणाली है।
    • गलत विकल्प: पिता से पुत्री (a), माता से पुत्री (c), या माता से पुत्र (d) की ओर चलने वाली प्रणालियाँ क्रमशः पैट्री-डिस्केंडेंट, मैट्टिलीनियल या मैट्टि-डिस्केंडेंट हो सकती हैं, लेकिन पैट्रिलीनियल का अर्थ पिता से पुत्र की ओर चलना है।

    प्रश्न 23: ‘एकीकरण’ (Integration) की सामाजिक समस्या के रूप में, यह समाज के किन पहलुओं को संदर्भित करती है?

    1. सभी सामाजिक समूहों का सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व
    2. जनसंख्या वृद्धि की दर
    3. आर्थिक विकास की गति
    4. सांस्कृतिक विविधता का ह्रास

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: समाजशास्त्रीय संदर्भ में, एकीकरण (Integration) का अर्थ है समाज के विभिन्न घटकों (जैसे विभिन्न समूह, संस्थाएं, उप-संस्कृतियाँ) का आपस में सामंजस्यपूर्ण ढंग से जुड़ना और एक साथ काम करना, जिससे समाज की समग्र स्थिरता और कार्यप्रणाली बनी रहे।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक विघटन (social disintegration) के विपरीत, एकीकरण समाज में व्यवस्था, स्थिरता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है।
    • गलत विकल्प: जनसंख्या वृद्धि (b), आर्थिक विकास (c) या सांस्कृतिक विविधता का ह्रास (d) अपने आप में एकीकरण की परिभाषा नहीं हैं, हालांकि वे एकीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं या उसके परिणाम हो सकते हैं।

    प्रश्न 24: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में क्या शामिल है?

    1. केवल कला और संगीत
    2. किसी समाज द्वारा साझा किए गए ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएँ और आदतें
    3. केवल धार्मिक मान्यताएँ
    4. किसी राष्ट्र की आर्थिक संपत्ति

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: यह एडवर्ड बर्नेट टायलर द्वारा दी गई एक शास्त्रीय परिभाषा है। संस्कृति में वह सब कुछ शामिल है जिसे मनुष्य समाज का सदस्य होने के नाते सीखता है, साझा करता है और पारित करता है। इसमें भौतिक (जैसे उपकरण) और अभौतिक (जैसे मूल्य, भाषा) दोनों पहलू शामिल हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: संस्कृति समाज की पहचान और उसके सदस्यों के व्यवहार को आकार देती है।
    • गलत विकल्प: कला और संगीत (a), केवल धार्मिक मान्यताएँ (c) या आर्थिक संपत्ति (d) संस्कृति के केवल विशिष्ट या आंशिक पहलू हैं, न कि उसकी संपूर्ण परिभाषा।

    प्रश्न 25: ‘गुटबंदी’ (Factionalism) सामाजिक व्यवस्था के किस पहलू से संबंधित है?

    1. संगठित हित समूह का निर्माण
    2. सामाजिक एकता और सामंजस्य को बढ़ाना
    3. किसी संगठन या समूह के भीतर सत्ता या प्रभाव के लिए आंतरिक संघर्ष
    4. सामाजिक परिवर्तन को रोकना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही क्यों: गुटबंदी (Factionalism) किसी भी संगठित समूह, जैसे राजनीतिक दल, समुदाय या संस्था के भीतर छोटे, अक्सर विरोधी समूहों के बनने की प्रक्रिया है, जो अपने विशिष्ट हितों को साधने के लिए आपस में संघर्ष करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: गुटबंदी अक्सर निर्णय लेने की प्रक्रिया को बाधित करती है और समूह के भीतर एकता को कमजोर करती है।
    • गलत विकल्प: यह व्यवस्थित हित समूहों (a) के निर्माण से भिन्न है। गुटबंदी सामाजिक एकता (b) को कम करती है, बढ़ाती नहीं। यह सामाजिक परिवर्तन को रोक भी सकती है और कभी-कभी उसे गति भी दे सकती है, लेकिन इसका मुख्य अर्थ आंतरिक संघर्ष है।

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