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समाजशास्त्र की गहरी समझ: आपकी दैनिक परीक्षा

समाजशास्त्र की गहरी समझ: आपकी दैनिक परीक्षा

समाजशास्त्र के प्रतिस्पर्धी परीक्षा के महासागर में, अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल ही आपकी नौका हैं। आज, हम आपके ज्ञान की गहराई को परखेंगे 25 अनूठे प्रश्नों के साथ, जो समाजशास्त्र के मूल सिद्धांतों, विचारकों और समकालीन मुद्दों को समाहित करते हैं। तो, अपनी कलम उठाइए और इस बौद्धिक यात्रा में गोता लगाइए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के संदर्भ में, मार्क्सवादी दृष्टिकोण मुख्य रूप से किस पर जोर देता है?

  1. वर्ग संघर्ष और उत्पादन के साधनों का स्वामित्व
  2. सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान
  3. शक्ति का वितरण और राजनीतिक प्रभाव
  4. कल्याणकारी नीतियों का कार्यान्वयन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, सामाजिक स्तरीकरण का मूल आधार उत्पादन के साधनों का स्वामित्व और उससे उत्पन्न होने वाला वर्ग संघर्ष है। समाज मुख्य रूप से उन लोगों में विभाजित है जो उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने) के मालिक हैं (पूंजीपति वर्ग) और जो केवल अपनी श्रम शक्ति बेचते हैं (सर्वहारा वर्ग)।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी कृति ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) में पूंजीवादी समाज के इस द्विआधारी विभाजन और अंतर्निहित संघर्ष का विस्तार से वर्णन किया है। यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) क्रमशः मैक्स वेबर के विचारों (जैसे, प्रतिष्ठा, शक्ति) से अधिक संबंधित हैं, जबकि मार्क्सवाद का केंद्रीय बिंदु आर्थिक संरचना और वर्ग है। विकल्प (d) आधुनिक सामाजिक कल्याण प्रणालियों से संबंधित है, न कि मार्क्स के स्तरीकरण के सिद्धांत से।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम ने ‘एकात्मता’ (Solidarity) की किस अवधारणा का प्रयोग दो अलग-अलग प्रकार के समाजों में सामाजिक बंधनों की व्याख्या करने के लिए किया?

  1. यांत्रिक और जैविक एकात्मता
  2. यांत्रिक और साव्यवी एकात्मता
  3. जैविक और श्रम विभाजन आधारित एकात्मता
  4. समूह और व्यक्तिगत एकात्मता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में दो प्रकार की सामाजिक एकात्मता का वर्णन किया है: ‘यांत्रिक एकात्मता’ (Mechanical Solidarity) जो समानता, सामूहिक चेतना और सजातीयता पर आधारित होती है (आदिम समाजों में पाई जाती है) और ‘साव्यवी एकात्मता’ (Organic Solidarity) जो श्रम के विभाजन, परस्परावलंबन और भिन्नता पर आधारित होती है (आधुनिक समाजों में पाई जाती है)।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, आधुनिक समाज श्रम के विभाजन के कारण अधिक जटिल हो जाते हैं, जिससे सदस्यों के बीच परस्परावलंबन बढ़ता है, जो एक प्रकार की ‘साव्यवी’ (जैविक अंग की तरह) एकता पैदा करता है।
  • गलत विकल्प: ‘जैविक एकात्मता’ (biological solidarity) एक अपरिचित शब्द है। ‘श्रम विभाजन आधारित एकात्मता’ साव्यवी एकात्मता का वर्णन करती है, लेकिन ‘यांत्रिक’ के साथ इसका सही युग्म (b) है। ‘समूह और व्यक्तिगत एकात्मता’ दुर्खीम के मुख्य वर्गीकरण को सही ढंग से नहीं दर्शाते।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) का क्या अर्थ है?

  1. सामाजिक घटनाओं का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण
  2. अध्ययन किए जा रहे व्यक्तियों के दृष्टिकोण को समझना
  3. सांख्यिकीय डेटा का संकलन
  4. सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) को समाजशास्त्रीय पद्धति के एक केंद्रीय सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ है मानव क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों, इरादों और प्रेरणाओं को समझना। यह सहानुभूतिपूर्ण समझ पर आधारित है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र को केवल बाहरी व्यवहारों का अवलोकन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन सांस्कृतिक और व्यक्तिगत अर्थों को भी खोजना चाहिए जो इन व्यवहारों को प्रेरित करते हैं। यह व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का आधार है।
  • गलत विकल्प: (a) वस्तुनिष्ठ विश्लेषण पॉज़िटिविस्ट (Auguste Comte, Durkheim) दृष्टिकोण के करीब है। (c) सांख्यिकीय डेटा संकलन मात्रात्मक अनुसंधान का हिस्सा है, वर्टेहेन गुणात्मक है। (d) सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन कई समाजशास्त्री करते हैं, लेकिन वर्टेहेन का मुख्य जोर क्रिया के व्यक्तिपरक अर्थों पर है।

प्रश्न 4: आर. के. मर्टन द्वारा प्रस्तुत ‘अनुकूलन’ (Modes of Adaptation) की अवधारणा, किस सामाजिक संरचनात्मक सिद्धांत का हिस्सा है?

  1. संघर्ष सिद्धांत
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  3. संरचनात्मक प्रकार्यवाद
  4. नारीवाद

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: आर. के. मर्टन, एक संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के प्रमुख विचारक थे। उन्होंने ‘अनुकूलन’ (Modes of Adaptation) की अवधारणा को ‘एनोमी’ (Anomie) के अपने सिद्धांत को विस्तारित करने के लिए विकसित किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे व्यक्ति सामाजिक संरचना के लक्ष्यों और साधनों के बीच असंतुलन पर प्रतिक्रिया करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘अभिनवीकरण’, ‘अनुष्ठानवाद’, ‘पलायनवाद’ और ‘विद्रोह’ जैसे अनुकूलन के तरीके बताए, यह दर्शाता है कि कैसे व्यक्ति सामाजिक लक्ष्यों (जैसे धन) और वैध साधनों (जैसे कड़ी मेहनत) के बीच संबंध के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) वर्ग संघर्ष पर केंद्रित है। (b) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के अर्थ पर केंद्रित है। (d) नारीवाद (Feminism) लैंगिक असमानता पर केंद्रित है।

  • प्रश्न 5: चार्ल्स कूले द्वारा विकसित ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

    1. व्यक्ति की सामाजिक गतिशीलता
    2. आत्म-अवधारणा का निर्माण दूसरों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर
    3. सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन
    4. परिवार के सदस्यों के बीच संबंध

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: चार्ल्स कूले का ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ सिद्धांत बताता है कि हमारा ‘स्व’ (self) या आत्म-अवधारणा, दूसरों के साथ हमारी अंतःक्रियाओं से निर्मित होती है। हम कल्पना करते हैं कि दूसरे हमें कैसे देखते हैं, उसी के अनुसार अपना मूल्यांकन करते हैं, और इसी के आधार पर अपनी भावनाएं और आत्म-छवि विकसित करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दर्शाता है कि आत्म-पहचान कोई स्थिर चीज़ नहीं है, बल्कि एक सामाजिक उत्पाद है जो लगातार सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से आकार लेता है।
    • गलत विकल्प: (a) सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) समाज में व्यक्तियों या समूहों की स्थिति परिवर्तन से संबंधित है। (c) सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन ‘विचलन’ (Deviance) का विषय है। (d) परिवार के सदस्यों के बीच संबंध एक विशेष सामाजिक संस्था है, जबकि ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ आत्म-निर्माण की एक सामान्य प्रक्रिया है।

    प्रश्न 6: जी.एच. मीड के अनुसार, ‘प्ले स्टेज’ (Play Stage) और ‘गेम स्टेज’ (Game Stage) का महत्व क्या है?

    1. ये आत्म-विकास के दो महत्वपूर्ण चरण हैं
    2. ये सामाजिक नियमों को सीखने के चरण हैं
    3. ये सामाजिक नियंत्रण की प्रक्रियाएं हैं
    4. ये पहचान निर्माण के चरण हैं

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के एक प्रमुख विचारक, ने आत्म (Self) के विकास को दो महत्वपूर्ण चरणों में विभाजित किया: ‘प्ले स्टेज’ (Play Stage) जहाँ बच्चा महत्वपूर्ण दूसरों (Significant Others) जैसे माता-पिता की भूमिकाओं को ग्रहण करना सीखता है, और ‘गेम स्टेज’ (Game Stage) जहाँ बच्चा ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की भूमिकाओं को समझना शुरू करता है, अर्थात् समाज द्वारा अपेक्षित भूमिकाओं और दृष्टिकोणों को। ये दोनों चरण पहचान निर्माण (Identity Formation) के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: मीड का मानना था कि ये चरण बच्चों को समाज में अपनी भूमिकाओं को समझने और एक आत्म-जागरूक व्यक्ति बनने में मदद करते हैं।
    • गलत विकल्प: हालांकि ये सामाजिक नियमों को सीखने (b) और आत्म-विकास (a) के चरण हैं, पहचान निर्माण (d) इन सभी का एक व्यापक परिणाम है जो मीड के सिद्धांत के केंद्र में है। (c) ये सीधे तौर पर सामाजिक नियंत्रण की प्रक्रियाएं नहीं हैं, बल्कि आत्म-विकास के माध्यम से सामाजिक नियमों को आत्मसात करने की प्रक्रियाएं हैं।

    प्रश्न 7: इरावती कर्वे ने भारत में नातेदारी (Kinship) के अध्ययन में किस प्रमुख प्रतिमान (Pattern) को पहचाना?

    1. उत्तरी और दक्षिणी भारत की भिन्न नातेदारी व्यवस्था
    2. पूर्व और पश्चिम भारत की भिन्न नातेदारी व्यवस्था
    3. आदिवासी और गैर-आदिवासी नातेदारी व्यवस्था
    4. पित्रवंशीय और मातृवंशीय नातेदारी व्यवस्था

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: इरावती कर्वे, भारत में मानवविज्ञान और समाजशास्त्र की अग्रणी अध्येता थीं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘हिंदू सोसाइटी: एन इंट्रोडक्शन’ (Hindu Society: An Introduction) और अन्य कार्यों में भारतीय नातेदारी व्यवस्था के विस्तृत अध्ययन के आधार पर उत्तरी और दक्षिणी भारत के बीच नातेदारी के नियमों, शब्दावली और संरचनाओं में महत्वपूर्ण भिन्नताओं को रेखांकित किया।
    • संदर्भ और विस्तार: उत्तरी भारत में आमतौर पर ‘गोट्र’ (Gotra) व्यवस्था, अंतर्विवाह (Endogamy) और बहिर्विवाह (Exogamy) के विशिष्ट नियम पाए जाते हैं, जबकि दक्षिण भारत में ‘सापिन’ (Sapinda) संबंध और मातृवंशीय (Matrilineal) प्रभाव के कुछ रूप देखने को मिलते हैं।
    • गलत विकल्प: (b) और (c) भी कुछ भिन्नताएं दिखाते हैं, लेकिन कर्वे का मुख्य और सबसे प्रसिद्ध योगदान (a) में उल्लिखित उत्तर-दक्षिण विभाजन है। (d) पित्रवंशीय (Patrilineal) व्यवस्था अधिक सामान्य है, हालांकि कुछ मातृवंशीय समाजों का अस्तित्व है, लेकिन यह पूरे भारत की मुख्य भिन्नता नहीं है जिसे कर्वे ने उजागर किया।

    प्रश्न 8: एम. एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?

    1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
    2. उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
    3. आधुनिकता के मूल्यों को अपनाना
    4. धर्मनिरपेक्षता की ओर बढ़ना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) शब्द गढ़ा, जिसका अर्थ है कि निम्न या मध्यम जातियों द्वारा किसी उच्च, विशेष रूप से द्विजा (Twice-born) जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों, कर्मकांडों, देवताओं और कभी-कभी दार्शनिक विचारों को अपनाना, ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार कर सकें और जाति पदानुक्रम (Caste Hierarchy) में ऊपर उठ सकें।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा पहली बार उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता (Cultural Mobility) है।
    • गलत विकल्प: (a) पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) है। (c) आधुनिकता (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें प्रौद्योगिकी, औद्योगीकरण और धर्मनिरपेक्षता शामिल हैं। (d) धर्मनिरपेक्षता (Secularization) धर्म के बढ़ते अलगाव से संबंधित है।

    प्रश्न 9: भारत में जाति व्यवस्था की ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) की प्रथा का तात्पर्य है:

    1. एक ही गोत्र में विवाह
    2. अपनी जाति के भीतर विवाह
    3. अपनी जाति के बाहर विवाह
    4. अपने कुल (Lineage) के भीतर विवाह

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जाति व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जाति या उप-जाति के भीतर ही विवाह करना होता है। यह जाति की अखंडता और पदानुक्रम को बनाए रखने का एक प्रमुख साधन है।
    • संदर्भ और विस्तार: अंतर्विवाह जाति की पहचान को मजबूत करता है और विभिन्न जातियों के बीच सामाजिक दूरी बनाए रखता है। इसके विपरीत, ‘बहिर्विवाह’ (Exogamy) का अर्थ है जाति के बाहर विवाह करना, जैसे कि गोत्र या गांव बहिर्विवाही हो सकते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) गोत्र बहिर्विवाही (Exogamous) होता है। (c) जाति के बाहर विवाह ‘बहिर्विवाह’ का उदाहरण होगा। (d) कुल (Lineage) का संबंध भी बहिर्विवाह से जुड़ा हो सकता है, लेकिन जाति के भीतर विवाह (b) ही अंतर्विवाह का सही अर्थ है।

    प्रश्न 10: ‘सामुदायिक जीवन’ (Gemeinschaft) और ‘सांस्कृतिक जीवन’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ किसने विकसित कीं?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. एमिल दुर्खीम
    3. मैक्स वेबर
    4. फर्डिनेंड टोनीज़

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: फर्डिनेंड टोनीज़ (Ferdinand Tönnies) ने अपनी 1887 की पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ में इन दो महत्वपूर्ण अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। ‘सामुदायिक जीवन’ (Gemeinschaft) घनिष्ठ, भावनात्मक, पारंपरिक और परिवार/समुदाय-आधारित संबंधों को दर्शाता है, जबकि ‘सांस्कृतिक जीवन’ (Gesellschaft) अवैयक्तिक, साधन-साध्य, तर्कसंगत और व्यक्तिगत लाभ-आधारित संबंधों को दर्शाता है जो आधुनिक, औद्योगिक समाजों की विशेषता है।
    • संदर्भ और विस्तार: टोनीज़ ने इन अवधारणाओं के माध्यम से समाज के पारंपरिक से आधुनिक अवस्था में परिवर्तन का विश्लेषण किया।
    • गलत विकल्प: मार्क्स, दुर्खीम और वेबर सभी ने समाजशास्त्र में मौलिक योगदान दिया है, लेकिन ये विशिष्ट अवधारणाएँ टोनीज़ से संबंधित हैं।

    प्रश्न 11: सामाजिक अनुसंधान में ‘रिलायबिलिटी’ (Reliability) से क्या तात्पर्य है?

    1. शोध के निष्कर्षों की सत्यता
    2. शोध प्रक्रिया की स्थिरता और पुनरुत्पादकता
    3. शोध की प्रासंगिकता
    4. शोध के निष्कर्षों की वैधता

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक अनुसंधान में ‘रिलायबिलिटी’ (Reliability) का अर्थ है कि यदि समान शोध प्रक्रिया को दोहराया जाए, तो समान या बहुत समान परिणाम प्राप्त होने की संभावना कितनी है। यह शोध उपकरण (जैसे प्रश्नावली, साक्षात्कार अनुसूची) की स्थिरता और पुनरुत्पादकता (Reproducibility) से संबंधित है।
    • संदर्भ और विस्तार: एक विश्वसनीय उपकरण बार-बार उपयोग करने पर भी सुसंगत परिणाम देगा।
    • गलत विकल्प: (a) सत्यता (Truthfulness) ‘वैलिटी’ (Validity) से संबंधित है। (c) प्रासंगिकता (Relevance) का अर्थ है कि शोध कितना महत्वपूर्ण है। (d) वैलिटी (Validity) का अर्थ है कि शोध वास्तव में वही मापता है जो मापने का दावा करता है।

    प्रश्न 12: ‘सोशल फैक्ट्स’ (Social Facts) की अवधारणा, जिसे दुर्खीम ने अपने समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण का आधार बनाया, का अर्थ क्या है?

    1. व्यक्तिगत अनुभव और भावनाएं
    2. सांस्कृतिक मूल्य और आदर्श
    3. ऐसे तरीके के व्यवहार, सोचने और महसूस करने जो व्यक्ति के लिए बाहरी हों और उस पर बाध्यकारी प्रभाव डालते हों
    4. आर्थिक प्रणालियाँ

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) को समाजशास्त्र के अध्ययन की मूल इकाई माना। उनका अर्थ था व्यवहार, विचार और भावनाओं के ऐसे तरीके जो व्यक्ति के लिए बाहरी (external) हों और उन पर बाध्यकारी (coercive) प्रभाव डालते हों। ये सामाजिक संरचनाओं और मानदंडों से उत्पन्न होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द रूल्स ऑफ सोशियोलॉजिकल मेथड’ (The Rules of Sociological Method) में विस्तार से बताया कि सामाजिक तथ्यों को वस्तु (thing) की तरह अध्ययन किया जाना चाहिए, जैसे कि वे प्राकृतिक घटनाओं को अध्ययन करते हैं। जैसे, ‘अनोमी’ या ‘आत्महत्या दर’ सामाजिक तथ्य हैं।
    • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत अनुभव व्यक्तिपरक होते हैं, सामाजिक तथ्य वस्तुनिष्ठ। (b) सांस्कृतिक मूल्य सामाजिक तथ्यों के कारण हो सकते हैं, लेकिन स्वयं पूर्णतः सामाजिक तथ्य नहीं हैं जब तक कि वे बाध्यकारी न हों। (d) आर्थिक प्रणालियाँ सामाजिक तथ्यों का एक उदाहरण हो सकती हैं, लेकिन यह पूरी परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 13: एल. कोजर (Lewis Coser) के अनुसार, सामाजिक संघर्ष का कौन सा कार्य समाज को लाभ पहुँचा सकता है?

    1. संघर्ष हमेशा सामाजिक विघटन की ओर ले जाता है
    2. संघर्ष समूह की एकता और पहचान को मजबूत कर सकता है
    3. संघर्ष व्यवस्था बनाए रखने में सहायक है
    4. संघर्ष हमेशा व्यक्तिगत असंतोष का कारण बनता है

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एल. कोजर, जिन्होंने संघर्ष के प्रकार्यवाद (Functional Theory of Conflict) पर काम किया, के अनुसार, संघर्ष हमेशा विनाशकारी नहीं होता। विशेष रूप से बाहरी समूहों के खिलाफ संघर्ष, समूह के सदस्यों के बीच एकजुटता (cohesion) और पहचान (identity) को मजबूत कर सकता है। यह समूह की सीमाओं को स्पष्ट करता है और आंतरिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
    • संदर्भ और विस्तार: कोजर ने अपनी पुस्तक ‘The Functions of Social Conflict’ में इस विचार का विस्तार से वर्णन किया है।
    • गलत विकल्प: (a) संघर्ष हमेशा विघटन का कारण नहीं होता। (c) संघर्ष व्यवस्था बनाए रखने के बजाय परिवर्तन ला सकता है, हालांकि कुछ संघर्ष व्यवस्था को सुदृढ़ भी कर सकते हैं। (d) संघर्ष व्यक्तिगत असंतोष का कारण बन सकता है, लेकिन इसका मुख्य समाजशास्त्रीय कार्य समूह की एकजुटता को बढ़ाना है।

    प्रश्न 14: ‘पैटर्न मेंटेनेंस’ (Pattern Maintenance) और ‘इंटीग्रेशन’ (Integration) समाज के किन कार्यों के अंतर्गत आते हैं, जैसा कि टैलकॉट पार्सन्स ने प्रस्तुत किया?

    1. ए.जी.आई.एल. मॉडल (AGIL Model)
    2. संघर्ष सिद्धांत
    3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    4. मार्क्सवादी सिद्धांत

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: टैलकॉट पार्सन्स ने समाज को एक प्रणाली (System) के रूप में देखा और समाज के अस्तित्व के लिए चार आवश्यक कार्यों (Functional Prerequisites) का वर्णन करने के लिए ‘ए.जी.आई.एल. मॉडल’ (AGIL Model) प्रस्तुत किया: (A) अनुकूलन (Adaptation), (G) लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), (I) एकात्मता/एकीकरण (Integration), और (L) पैटर्न प्रतिधारण/रखरखाव (Latency/Pattern Maintenance)। ‘पैटर्न मेंटेनेंस’ और ‘इंटीग्रेशन’ इसी मॉडल के दो प्रमुख कार्य हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: पैटर्न मेंटेनेंस समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचनाओं को बनाए रखने से संबंधित है, जैसे कि मूल्य और मानदंड। इंटीग्रेशन विभिन्न उप-प्रणालियों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाज के कार्य या सिद्धांत के विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, न कि पार्सन्स के AGIL मॉडल के विशिष्ट कार्यों का वर्णन।

    प्रश्न 15: भारत में ‘नगरीयता’ (Urbanism) की अवधारणा को समझने के लिए, समाजशास्त्रियों ने किन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है?

    1. शहरीकरण की प्रक्रिया और शहरों की संरचना
    2. ग्रामीण-शहरी निरंतरता (Rural-Urban Continuum)
    3. शहरी जीवन की शैली, सामाजिक संबंध और संस्थान
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: नगरीयता (Urbanism) का अध्ययन केवल शहरीकरण (Urbanization) की प्रक्रिया या शहरों की भौतिक संरचना तक सीमित नहीं है। समाजशास्त्री शहरी जीवन की विशिष्ट जीवन शैली (जैसे, व्यक्तिगतकरण, अवैयक्तिकता), बदलते सामाजिक संबंधों (जैसे, पड़ोस की भूमिका में कमी), और नए सामाजिक संस्थानों (जैसे, शहरी समुदाय, नागरिक समाज) पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि शहर और ग्रामीण क्षेत्र अक्सर एक ‘ग्रामीण-शहरी निरंतरता’ (Rural-Urban Continuum) में परस्पर जुड़े होते हैं। इसलिए, उपरोक्त सभी पहलू नगरीयता की अवधारणा को समझने के लिए आवश्यक हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: लुईस विर्थ (Louis Wirth) ने नगरीयता को एक जीवन शैली के रूप में परिभाषित किया, जो जनसंख्या के आकार, घनत्व और विषमता पर निर्भर करती है।
    • गलत विकल्प: ये सभी पहलू शहरी समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण घटक हैं।

    प्रश्न 16: ‘विचलित व्यवहार’ (Deviant Behavior) के संबंध में, ‘लेबलिंग सिद्धांत’ (Labeling Theory) का मुख्य तर्क क्या है?

    1. विचलित व्यवहार अपराध की प्रकृति से उत्पन्न होता है
    2. किसी व्यक्ति को ‘विचलित’ के रूप में लेबल करना उसके भविष्य के व्यवहार को प्रभावित करता है
    3. सामाजिक संरचना विचलन का कारण बनती है
    4. समाज में विचलन को कम करने के लिए सख्त दंड की आवश्यकता है

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: लेबलिंग सिद्धांत (Labeling Theory), जो मुख्य रूप से हॉवर्ड बेकर (Howard Becker) जैसे प्रतीकात्मक अंतःक्रियावादियों से जुड़ा है, का तर्क है कि विचलन (Deviance) केवल क्रिया में नहीं, बल्कि उस पर समाज द्वारा लगाए गए लेबल में निहित है। जब किसी व्यक्ति को ‘विचलित’ के रूप में लेबल किया जाता है, तो यह लेबल उसके आत्म-अवधारणा को बदल सकता है और उसे वास्तव में उसी तरह व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे एक ‘भविष्य कहनेवाला स्व-पूर्णता’ (Self-fulfilling Prophecy) बनती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत विचलन को एक सापेक्ष अवधारणा के रूप में देखता है, जो सामाजिक मानदंडों और उन्हें लागू करने वाले लोगों पर निर्भर करती है।
    • गलत विकल्प: (a) यह सिद्धांत अपराध की प्रकृति पर कम, बल्कि लेबलिंग की प्रक्रिया पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। (c) सामाजिक संरचना कुछ विचलन को बढ़ावा दे सकती है, लेकिन लेबलिंग सिद्धांत का मुख्य बिंदु यह नहीं है। (d) सिद्धांत दंड के बजाय सामाजिक प्रतिक्रियाओं और लेबलों के प्रभाव पर जोर देता है।

    प्रश्न 17: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) का प्राथमिक सरोकार क्या है?

    1. ज्ञान के उत्पादन और प्रसार को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारकों का अध्ययन
    2. दर्शनशास्त्र के सिद्धांतों का अध्ययन
    3. वैज्ञानिक पद्धतियों का विकास
    4. व्यक्तिगत ज्ञान का अन्वेषण

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ज्ञान के समाजशास्त्र (Sociology of Knowledge) का मुख्य सरोकार यह समझना है कि ज्ञान, विचारों और विश्वासों का निर्माण, प्रसार और वैधता कैसे सामाजिक संदर्भों, शक्तियों और संरचनाओं से प्रभावित होती है। यह इस बात की पड़ताल करता है कि हम जो ‘जानते’ हैं, वह हमारे सामाजिक स्थान, वर्ग, लिंग, संस्कृति और अन्य सामाजिक चरों द्वारा कैसे आकार लेता है।
    • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मैनहाइम (Karl Mannheim) इस क्षेत्र के प्रमुख विचारकों में से एक थे, जिन्होंने ‘समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण’ को ज्ञान पर लागू करने का प्रयास किया।
    • गलत विकल्प: (b) दर्शनशास्त्र ज्ञान के स्वरूप पर विचार करता है, लेकिन ज्ञान का समाजशास्त्र ज्ञान के सामाजिक निर्माण पर। (c) वैज्ञानिक पद्धतियों का विकास विज्ञान के समाजशास्त्र (Sociology of Science) का हिस्सा है। (d) व्यक्तिगत ज्ञान व्यक्तिपरक होता है, जबकि यह सिद्धांत ज्ञान के सामाजिक निर्माण पर केंद्रित है।

    प्रश्न 18: ‘आधुनिकीकरण सिद्धांत’ (Modernization Theory) के अनुसार, पारंपरिक समाजों से आधुनिक समाजों की ओर परिवर्तन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

    1. औद्योगीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता
    2. कृषि का विस्तार और ग्रामीण विकास
    3. पारंपरिक संस्थाओं को मजबूत करना
    4. वैयक्तिकरण में कमी

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत, विशेष रूप से 20वीं सदी के मध्य में लोकप्रिय, मानता है कि समाज एक रैखिक पथ का अनुसरण करते हुए पारंपरिक, पूर्व-औद्योगिक अवस्थाओं से आधुनिक, औद्योगिक और उत्तर-औद्योगिक अवस्थाओं की ओर बढ़ते हैं। इस प्रक्रिया की मुख्य विशेषताओं में औद्योगीकरण (Industrialization), शहरीकरण (Urbanization), शिक्षा का प्रसार, लोकतंत्रीकरण (Democratization) और धर्मनिरपेक्षता (Secularization) शामिल हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अक्सर पश्चिमी समाजों के विकास पथ को एक सार्वभौमिक मॉडल के रूप में देखता है।
    • गलत विकल्प: (b) आधुनिकीकरण में कृषि का महत्व घटता है। (c) पारंपरिक संस्थाओं का महत्व अक्सर कम हो जाता है या वे रूपांतरित होती हैं। (d) वैयक्तिकरण (Individualism) आमतौर पर आधुनिक समाजों में बढ़ता है।

    प्रश्न 19: भारत में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ (Project Tiger) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

    1. बाघों की आबादी को बढ़ाना और उनके आवासों का संरक्षण करना
    2. वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा देना
    3. वन उत्पादों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना
    4. वन्यजीवों के अवैध शिकार को रोकना

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ भारत सरकार द्वारा 1973 में शुरू की गई एक विश्व-प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षण परियोजना है। इसका मुख्य और प्राथमिक उद्देश्य भारत में बाघों की आबादी को बढ़ाना और उनके प्राकृतिक आवासों (जैसे बाघ अभयारण्यों) का संरक्षण और प्रबंधन करना है, ताकि विलुप्तप्राय बाघों की प्रजाति को बचाया जा सके।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक व्यापक संरक्षण प्रयास है जिसमें आवास संरक्षण, अवैध शिकार विरोधी गश्ती दल और स्थानीय समुदायों की भागीदारी शामिल है।
    • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) इसके उद्देश्यों में सहायक हो सकते हैं, लेकिन बाघों की आबादी और उनके आवासों का संरक्षण (a) ही परियोजना का मूल और प्राथमिक लक्ष्य है।

    प्रश्न 20: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को किसने प्रमुखता से विकसित किया?

    1. पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu)
    2. जेम्स कॉलमैन (James Coleman)
    3. रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam)
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को कई महत्वपूर्ण समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है। पियरे बॉर्डियू ने इसे व्यक्तिगत लाभ के रूप में देखा जो सामाजिक नेटवर्क से प्राप्त होता है। जेम्स कॉलमैन ने इसे उन संसाधनों के रूप में परिभाषित किया जो सामाजिक संरचनाओं में पाए जाते हैं और लोगों को कुछ करने में सक्षम बनाते हैं। रॉबर्ट पुटनम ने इसे समुदायों में पाए जाने वाले भरोसे, सामाजिक नेटवर्क और सामान्य नियमों के रूप में देखा जो सामूहिक कार्रवाई को सुविधाजनक बनाते हैं। इसलिए, तीनों ने इस अवधारणा को महत्वपूर्ण रूप से विकसित किया है।
    • संदर्भ और विस्तार: तीनों के दृष्टिकोण सामाजिक पूंजी को विभिन्न पहलुओं से परिभाषित करते हैं, लेकिन मूल विचार सामाजिक संबंधों में निहित मूल्य को पहचानना है।
    • गलत विकल्प: हालांकि प्रत्येक का अपना विशिष्ट दृष्टिकोण है, लेकिन इन तीनों ने ही इस अवधारणा को प्रमुखता से विकसित किया है।

    प्रश्न 21: ‘आदिवासियों के समाजशास्त्रीय अध्ययन’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

    1. विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner)
    2. ऑगस्ट कॉम्ते (Auguste Comte)
    3. अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein)
    4. एमिल दुर्खीम (Emile Durkheim)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner) ने अपनी 1906 की पुस्तक ‘फोल्कवेज’ (Folkways) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण) में परिवर्तन अनौपचारिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, मूल्य, नैतिकता) की तुलना में तेज़ी से होता है, जिससे सामाजिक समायोजन में अंतराल या विलंब उत्पन्न होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: समनर ने इसे सामाजिक परिवर्तन के एक सामान्य कारण के रूप में पहचाना, जो अक्सर सामाजिक तनाव या समस्याओं को जन्म देता है।
    • गलत विकल्प: कॉम्ते (समाजशास्त्र के जनक), आइंस्टीन (भौतिक विज्ञानी), और दुर्खीम (प्रमुख समाजशास्त्री) सभी ने समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा समनर से जुड़ी है।

    प्रश्न 22: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया का सबसे उपयुक्त वर्णन क्या है?

    1. यह एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति समाज के मानदंडों, मूल्यों और व्यवहारों को सीखता है
    2. यह केवल बचपन में होने वाली प्रक्रिया है
    3. यह केवल औपचारिक शिक्षा संस्थानों में होती है
    4. यह केवल राजनीतिक विचारधाराओं को सीखने तक सीमित है

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिकरण (Socialization) वह व्यापक, जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज में स्वीकार्य तरीके से सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के कौशल और ज्ञान प्राप्त करता है। यह जन्म से शुरू होती है और मृत्यु तक चलती है, और इसमें परिवार, स्कूल, सहकर्मी समूह, मीडिया आदि जैसे विभिन्न अभिकर्ताओं (agents) की भूमिका होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्ति को समाज का एक सक्षम सदस्य बनने में मदद करती है और सामाजिक निरंतरता सुनिश्चित करती है।
    • गलत विकल्प: (b) यह केवल बचपन तक सीमित नहीं है। (c) यह औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ अनौपचारिक रूप से भी होती है। (d) यह केवल राजनीतिक विचारधाराओं तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्कृति के सभी पहलुओं को शामिल करती है।

    प्रश्न 23: ‘राजनीतिक संस्कृति’ (Political Culture) से क्या तात्पर्य है?

    1. राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली
    2. राजनीतिक नेताओं का व्यवहार
    3. किसी राष्ट्र के नागरिकों के राजनीतिक विश्वासों, मूल्यों और भावनाओं का समुच्चय
    4. सरकारी नीतियों का क्रियान्वयन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: राजनीतिक संस्कृति (Political Culture) किसी समाज के सदस्यों के राजनीतिक व्यवस्था के प्रति साझा दृष्टिकोण, विश्वासों, मूल्यों और भावनाओं को संदर्भित करती है। यह प्रभावित करती है कि नागरिक अपनी सरकार, नेतृत्व, नीतियों और नागरिक कर्तव्यों को कैसे समझते और उनका जवाब देते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाज की राजनीतिक विचारधारा, सार्वजनिक राय और राजनीतिक व्यवहार के पैटर्न को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) राजनीतिक व्यवस्था के घटक हैं, लेकिन राजनीतिक संस्कृति नागरिकों के अंतर्निहित दृष्टिकोणों और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है।

    प्रश्न 24: ‘गुलामगिरी’ (Slavery) पर कार्ल मार्क्स का दृष्टिकोण क्या था?

    1. यह एक सामाजिक संस्था है जो हमेशा मौजूद रहेगी
    2. यह समाज में अलगाव (Alienation) का चरम रूप है
    3. यह उत्पादन का एक सामंती तरीका है
    4. यह एक आर्थिक विनिमय प्रणाली है

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा पर बहुत जोर दिया, खासकर पूंजीवाद के संदर्भ में। गुलाम व्यवस्था में, जहां व्यक्ति को वस्तु की तरह खरीदा और बेचा जाता है, वह न केवल उत्पादन के साधनों से, बल्कि अपने श्रम के उत्पाद से, अपनी मानव प्रजाति से और स्वयं से पूरी तरह से अलग (alienated) होता है। मार्क्स के लिए, यह अलगाव का सबसे विकट और पूर्ण रूप था।
    • संदर्भ और विस्तार: हालांकि मार्क्स मुख्य रूप से पूंजीवाद पर केंद्रित थे, लेकिन वे ऐतिहासिक उत्पादन विधियों (Modes of Production) का विश्लेषण करते थे, और दासता को एक ऐसी प्रणाली के रूप में देखते थे जो लोगों की मानव गरिमा को छीन लेती है।
    • गलत विकल्प: (a) मार्क्स मानते थे कि सभी उत्पादन विधियाँ (दासता सहित) ऐतिहासिक रूप से उत्पन्न होती हैं और परिवर्तनशील हैं। (c) मार्क्स दासता को एक आदिम या पूर्व-पूंजीवादी उत्पादन विधि के रूप में मानते थे, लेकिन उनका मुख्य फोकस पूंजीवादी अलगाव पर था। (d) यह आर्थिक विनिमय से कहीं अधिक है, यह मानव को वस्तु बनाना है।

    प्रश्न 25: ‘नृजातीयता’ (Ethnicity) का अर्थ क्या है?

    1. किसी व्यक्ति की प्रजाति (Race)
    2. किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता
    3. सांस्कृतिक, भाषाई, धार्मिक और राष्ट्रीय मूल पर आधारित साझा पहचान
    4. केवल भाषा पर आधारित साझा पहचान

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: नृजातीयता (Ethnicity) एक जटिल अवधारणा है जो लोगों के एक समूह की साझा पहचान को संदर्भित करती है, जो आमतौर पर साझा सांस्कृतिक विशेषताओं जैसे कि भाषा, धर्म, परंपराएं, इतिहास, पूर्वजों की भावना (sense of ancestry) और कभी-कभी भौगोलिक मूल पर आधारित होती है। यह प्रजाति (Race) से भिन्न है, जो अक्सर शारीरिक लक्षणों पर आधारित होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: नृजातीय पहचान सामाजिक समूहों के निर्माण और उनके बीच संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • गलत विकल्प: (a) प्रजाति (Race) एक अलग, हालांकि संबंधित, अवधारणा है। (b) राष्ट्रीयता (Nationality) राज्य से संबंधित नागरिकता को दर्शाती है। (d) भाषा एक महत्वपूर्ण घटक हो सकती है, लेकिन नृजातीयता केवल भाषा तक सीमित नहीं है; इसमें अन्य सांस्कृतिक और सामाजिक कारक भी शामिल होते हैं।

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