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समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज का ज़ोरदार अभ्यास

समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज का ज़ोरदार अभ्यास

तैयारी के इस सफ़र में, अपनी अवधारणाओं को परखने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने का समय आ गया है! हर दिन एक नया बौद्धिक挑战, नए प्रश्न और गहन विश्लेषण। आइए, आज समाजशास्त्र के जटिल संसार में गोता लगाएँ और अपनी विशेषज्ञता को और मज़बूत करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: समाजशास्त्र में ‘वर्स्तीयन’ (Verstehen) की अवधारणा किसने दी, जिसका अर्थ है कि समाजशास्त्री को अपने अध्ययनों में व्यक्तियों द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए जाने वाले आत्मनिष्ठ अर्थों को समझने का प्रयास करना चाहिए?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: मैक्स वेबर ने ‘वर्स्तीयन’ की अवधारणा दी, जो समाजशास्त्रीय पद्धति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका अर्थ है व्यक्तिपरक समझ या सहानुभूतिपूर्ण समझ, जिसके माध्यम से समाजशास्त्री सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे अर्थों और इरादों को समझते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि सामाजिक विज्ञान को केवल बाह्य व्यवहार का अध्ययन नहीं करना चाहिए, बल्कि उस व्यवहार के पीछे के अर्थों को भी समझना चाहिए। यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) की नींव है, जिसका विस्तार उनकी कृति ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ में देखा जा सकता है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी (positivist) दृष्टिकोण से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘वर्ग संघर्ष’ के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (anomie) की अवधारणा दी। जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (symbolic interactionism) के प्रमुख सिद्धांतकार हैं।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द किस प्रक्रिया का वर्णन करता है?

  1. उच्च जाति के रीति-रिवाजों और विश्वासों को अपनाकर निम्न जाति द्वारा अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार का प्रयास।
  2. पश्चिमी जीवन शैली और व्यवहार को अपनाना।
  3. औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण होने वाले सामाजिक परिवर्तन।
  4. जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: संस्कृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तावित, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जाति या जनजाति उच्च जाति, विशेष रूप से द्विजा (twice-born) जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जो सामाजिक गतिशीलता की ओर ले जा सकती है, लेकिन यह संरचनात्मक परिवर्तन की ओर इंगित नहीं करती।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। आधुनिकीकरण एक व्यापक अवधारणा है जो तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों से जुड़ी है। जाति व्यवस्था का उन्मूलन एक अलग सामाजिक परिवर्तन है, न कि संस्कृतिकरण।

प्रश्न 3: पारसन्स के ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज की स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कार्य (function) प्राथमिक है?

  1. संघर्ष और क्रांति
  2. सामाजिक परिवर्तन के लिए तीव्र अनुकूलन
  3. सामूहिक प्रतिनिधित्व (Collective Representation)
  4. सामाजिक एकीकरण (Social Integration)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: टैल्कॉट पारसन्स, एक प्रमुख संरचनात्मक प्रकार्यावादी, समाज की स्थिरता और निरंतरता के लिए सामाजिक एकीकरण को महत्वपूर्ण मानते थे। उनके अनुसार, समाज के विभिन्न हिस्से (संरचनाएं) एक साथ मिलकर काम करते हैं और समाज को एक संपूर्ण (whole) बनाए रखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पारसन्स का AGIL मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) समाज की चार आवश्यक क्रियाओं का वर्णन करता है, जिनमें से ‘एकीकरण’ सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष और क्रांति व्यवस्था को बाधित करते हैं। तीव्र अनुकूलन आवश्यक हो सकता है, लेकिन निरंतरता के लिए एकीकरण अधिक प्राथमिक है। सामूहिक प्रतिनिधित्व दुर्खीम का एक केंद्रीय विचार है, न कि पारसन्स का प्राथमिक ध्यान।

प्रश्न 4: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से, ‘कुटुंब’ (Family) को किस रूप में समझा जाता है?

  1. केवल जैविक संबंधों पर आधारित एक संस्था।
  2. एक सार्वभौमिक सामाजिक संस्था जो बच्चों के समाजीकरण और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने का कार्य करती है।
  3. एक निजी क्षेत्र जो सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह अलग है।
  4. ऐतिहासिक रूप से अपरिवर्तनीय एक इकाई।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: समाजशास्त्र में, कुटुंब को एक सार्वभौमिक सामाजिक संस्था के रूप में देखा जाता है जो समाज के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करती है, जैसे प्रजनन, बच्चों का समाजीकरण, आर्थिक सहयोग और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना।
  • संदर्भ और विस्तार: विभिन्न समाजशास्त्रियों ने कुटुंब के कार्यों और स्वरूपों का अध्ययन किया है। जॉर्ज पीटर मर्डॉक ने कुटुंब को “एक घरेलू समूह जिसमें पुरुष और महिला होते हैं, जो यौन संबंधों के लिए व्यवस्थित होते हैं, और कम से कम दो बच्चे होते हैं जो अपनी माँ से या अपने पिता या दोनों से मिलकर बने होते हैं” के रूप में परिभाषित किया। यह परिभाषा पारिवारिक जीवन की सार्वभौमिकता और उसके कार्यों पर जोर देती है।
  • गलत विकल्प: कुटुंब में जैविक संबंधों के साथ-साथ सामाजिक और कानूनी संबंध भी शामिल होते हैं। यह निजी होते हुए भी सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करता है। कुटुंब का स्वरूप ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बदलता रहता है।

प्रश्न 5: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में ‘अलगाव’ (Alienation) का मुख्य कारण क्या है?

  1. मजदूरों के बीच अत्यधिक प्रतिस्पर्धा।
  2. उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों का स्वामित्व और श्रम प्रक्रिया पर नियंत्रण का अभाव।
  3. राज्य द्वारा लगाया गया अनावश्यक नियंत्रण।
  4. धर्म का बढ़ता प्रभाव।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: कार्ल मार्क्स का मानना था कि पूंजीवाद में मजदूर अपने श्रम, अपने उत्पादों, अपने साथियों और अपनी मानव सार (human essence) से अलग (alienated) हो जाता है। इसका मूल कारण उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों का मालिकाना हक और श्रम प्रक्रिया पर श्रमिक के नियंत्रण का अभाव है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी शुरुआती रचनाओं, विशेषकर ‘इकोनॉमिक एंड फिलोसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में अलगाव के चार प्रमुख रूपों का वर्णन किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन क्रिया से अलगाव, अपने प्रजाति-सार से अलगाव, और मानव-से-मानव अलगाव।
  • गलत विकल्प: मजदूरों के बीच प्रतिस्पर्धा अलगाव का एक परिणाम हो सकती है, लेकिन मूल कारण नहीं। राज्य का नियंत्रण या धर्म का प्रभाव मार्क्सवाद में अन्य महत्वपूर्ण तत्व हैं, लेकिन अलगाव का मुख्य कारण उत्पादन संबंध हैं।

प्रश्न 6: एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग किस सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया?

  1. सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का क्षरण, जिससे व्यक्ति को दिशाहीनता महसूस होती है।
  2. समाज में अत्यधिक नियंत्रण और दमन।
  3. व्यक्तियों के बीच मजबूत संबंध और सामूहिकता।
  4. आर्थिक असमानता का चरम स्तर।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जब समाज के सदस्यों के बीच सामान्य रूप से स्वीकृत नियमों और मानकों का अभाव होता है, या जब ये नियम स्पष्ट नहीं होते, जिससे व्यक्ति को दिशाहीनता और अनिश्चितता का अनुभव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में एनामी की अवधारणा पर चर्चा की। उन्होंने इसे आत्महत्या के एक प्रकार (anomic suicide) के कारण के रूप में भी पहचाना, जो तब होता है जब सामाजिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं, जैसे कि आर्थिक संकट या अचानक समृद्धि के दौरान।
  • गलत विकल्प: अत्यधिक नियंत्रण ‘अधिनायकवाद’ (authoritarianism) या ‘सर्वाधिकारवाद’ (totalitarianism) का लक्षण है। मजबूत संबंध ‘सामूहिकता’ (solidarity) को दर्शाते हैं। आर्थिक असमानता सामाजिक स्तरीकरण का परिणाम है, न कि सीधे तौर पर एनामी की परिभाषा।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था को समझने के लिए, एम.एन. श्रीनिवास ने किस प्रकार के ‘क्षेत्र’ (Jajmani System) का वर्णन किया?

  1. एक औपचारिक, बाज़ार-आधारित विनिमय प्रणाली।
  2. एक पारंपरिक, वंशानुगत सेवा विनिमय प्रणाली जिसमें विभिन्न जातियों के बीच पारस्परिक दायित्व होते हैं।
  3. एक सामंती भूमि-स्वामित्व प्रणाली।
  4. आधुनिक औद्योगिक उत्पादन का स्वरूप।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: जाति व्यवस्था के अध्ययन में, ‘क्षेत्र’ या ‘जजमानी प्रणाली’ एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह एक पारंपरिक, वंशानुगत सेवा विनिमय प्रणाली का वर्णन करती है, जहाँ विभिन्न जातियों के बीच सेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है, जो आमतौर पर जाति पदानुक्रम पर आधारित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने विलियम वाइजर (William Wiser) के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए जजमानी प्रणाली के सामाजिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला। इस प्रणाली में, ‘जजमान’ (आमतौर पर उच्च जाति का व्यक्ति) ‘कमाइन’ (जाति-आधारित सेवा प्रदाता, जैसे नाई, धोबी, कुम्हार) को सेवा के बदले में वस्तुएँ (जैसे अनाज) और सुरक्षा प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: जजमानी प्रणाली औपचारिक बाज़ार प्रणाली नहीं थी। यह सामंती व्यवस्था से भिन्न थी, हालांकि इसमें भी पदानुक्रमित संबंध थे। यह आधुनिक औद्योगिक उत्पादन का स्वरूप नहीं था।

प्रश्न 8: एल.टी. हॉबहाउस (L.T. Hobhouse) ने सामाजिक विकास के किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया?

  1. सामाजिक विकास एक सीधी रेखा में प्रगति करता है, जो निम्न से उच्च स्तर की ओर बढ़ता है।
  2. सामाजिक विकास चक्रीय होता है, जिसमें उत्थान और पतन के चक्र होते हैं।
  3. सामाजिक विकास रैखिक (linear) न होकर बहु-रेखीय (multi-linear) होता है, जहाँ विभिन्न समाज विभिन्न दरों पर विकसित होते हैं।
  4. सामाजिक विकास का कोई निश्चित पैटर्न नहीं होता।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सहीता: एल.टी. हॉबहाउस, अपने काम ‘डेमोक्रेसी एंड मोरल इन सोसाइटी’ में, सामाजिक विकास के बहु-रेखीय सिद्धांत के समर्थक थे। उन्होंने तर्क दिया कि सामाजिक विकास कोई सीधी रेखा में नहीं होता, बल्कि विभिन्न समाजों में भिन्न-भिन्न गति और दिशाओं में होता है, और यह केवल ‘प्रगति’ के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: हॉबहाउस ने ‘मानसिक विकास’ को सामाजिक विकास का मुख्य चालक माना। उन्होंने यह भी कहा कि समाज प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, राजनीतिक संगठन और संस्कृति जैसे विभिन्न आयामों में भिन्न-भिन्न रूप से विकसित हो सकता है।
  • गलत विकल्प: सीधी रेखा में प्रगति का सिद्धांत उन्नीसवीं सदी के विकासवादी (evolutionary) विचारों से जुड़ा था, जिसे बाद में हॉबहाउस जैसे विचारकों ने चुनौती दी। चक्रीय सिद्धांत (जैसे स्पेंगलर) और विकास के पैटर्न की अनुपस्थिति के सिद्धांत भी सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में मौजूद हैं, लेकिन हॉबहाउस का मुख्य योगदान बहु-रेखीयता पर था।

प्रश्न 9: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर होता है?

  1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं और संस्थानों का विश्लेषण।
  2. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं, अर्थों के निर्माण और प्रतीकों के उपयोग का अध्ययन।
  3. समाज में शक्ति संबंधों और संघर्ष का विश्लेषण।
  4. सांख्यिकीय डेटा का संग्रह और विश्लेषण।
  5. उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और चार्ल्स कुले जैसे विचारकों से जुड़ा है। यह व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं, इन अंतःक्रियाओं के दौरान निर्मित होने वाले अर्थों और इन अर्थों को संप्रेषित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) पर केंद्रित है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, व्यक्ति अपने सामाजिक यथार्थ का निर्माण स्वयं करता है, न कि यह केवल बाहरी संरचनाओं द्वारा निर्धारित होता है। ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) की अवधारणाएं, या ‘looking-glass self’ (जैसा कि कुले ने कहा) जैसे विचार इस पद्धति के महत्वपूर्ण तत्व हैं।
    • गलत विकल्प: बड़े पैमाने पर संरचनाएं प्रकार्यवाद (functionalism) और मार्क्सवाद का विषय हैं। शक्ति संबंध और संघर्ष मार्क्सवाद और संघर्ष सिद्धांत (conflict theory) के मुख्य केंद्र हैं। सांख्यिकीय डेटा संग्रह एक विधि है, न कि एक सैद्धांतिक दृष्टिकोण।

    प्रश्न 10: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का क्या अर्थ है?

    1. समाज में व्यक्तियों के बीच आपसी सहयोग।
    2. समाज में असमानता की व्यवस्थित व्यवस्था, जिसमें विभिन्न समूह स्तरों पर रखे जाते हैं।
    3. समाज में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया।
    4. सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाली सामूहिक चेतना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज को विभिन्न स्तरों या परतों (strata) में विभाजित किया जाता है, और यह विभाजन व्यक्तियों और समूहों को असमान पहुँच प्रदान करता है। इसमें अक्सर धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, जाति, वर्ग आदि के आधार पर पदानुक्रमित व्यवस्था शामिल होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विभिन्न समाजों में पाई जाती है, जैसे जाति, वर्ग, लिंग, या जातीयता पर आधारित। यह सामाजिक असमानता के अध्ययन का एक केंद्रीय विषय है।
    • गलत विकल्प: आपसी सहयोग समाजीकरण या सामाजिक एकीकरण का हिस्सा हो सकता है। सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन ‘सामाजिक प्रगति’ या ‘विकास’ का हिस्सा है। सामूहिक चेतना दुर्खीम का एक विचार है।

    प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा विचारक ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. एमिल दुर्खीम
    3. हरबर्ट ब्लूमर
    4. इमाइल दुर्खीम

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: हरबर्ट ब्लूमर को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों को व्यवस्थित किया और इस दृष्टिकोण को ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ नाम दिया।
    • संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने इस सिद्धांत के तीन मुख्य आधार बताए: (1) मनुष्य वस्तुओं, लोगों और स्थितियों के प्रति व्यवहार उस प्रतीकात्मक अर्थ के आधार पर करता है जो वह उन्हें प्रदान करता है; (2) ये अर्थ अंतःक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं; (3) ये अर्थ संशोधन (modification) और परिवर्तन के अधीन होते हैं।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत से संबंधित हैं। एमिल दुर्खीम प्रकार्यवाद और सामाजिक तथ्यों से संबंधित हैं (दो बार सूचीबद्ध)।

    प्रश्न 12: किस समाजशास्त्री ने ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा विकसित की, जिसका उपयोग सामाजिक घटनाओं को व्यवस्थित और तुलनात्मक अध्ययन के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में किया जाता है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स
    4. अगस्त कॉम्ते

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा को एक महत्वपूर्ण विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में विकसित किया। यह एक तार्किक रूप से सुसंगत, अतिरंजित (exaggerated) और व्यवस्थित चित्र है जो किसी विशेष घटना की प्रमुख विशेषताओं को उजागर करता है, लेकिन यह वास्तविक दुनिया का सटीक प्रतिबिंब नहीं होता।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इसका उपयोग नौकरशाही, पूंजीवाद, या प्रभुत्व के विभिन्न रूपों (पारंपरिक, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत) के अध्ययन के लिए किया। आदर्श प्रारूप शोधकर्ताओं को वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने और उनका विश्लेषण करने के लिए एक वैचारिक ढांचा प्रदान करता है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्य और एनामी जैसी अवधारणाएं दीं। मार्क्स वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद के सिद्धांतकार हैं। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक पिता में से एक हैं और प्रत्यक्षवाद (positivism) के समर्थक थे।

    प्रश्न 13: भारतीय समाज में ‘आधुनिकता’ (Modernity) की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू क्या है?

    1. पारंपरिक जादू-टोने पर निर्भरता में वृद्धि।
    2. तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद का प्रसार।
    3. भूमि-आधारित सामंती व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण।
    4. ग्राम-आधारित सामाजिक संरचनाओं का विस्तार।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: आधुनिकता की प्रक्रिया में तर्कसंगतता (rationality), वैज्ञानिक सोच, धर्मनिरपेक्षता (secularization), व्यक्तिवाद (individualism) और शहरीकरण जैसे तत्वों का प्रसार शामिल है। यह पारंपरिक मूल्यों और संस्थानों से एक विचलन का प्रतीक है।
    • संदर्भ और विस्तार: विशेष रूप से भारत जैसे समाजों में, आधुनिकीकरण ने शिक्षा, प्रौद्योगिकी, शासन और सामाजिक संबंधों को प्रभावित किया है, जिससे पारंपरिक संरचनाओं में परिवर्तन आया है।
    • गलत विकल्प: जादू-टोने पर निर्भरता आधुनिकता के विपरीत है। भूमि-आधारित सामंती व्यवस्था और ग्राम-आधारित संरचनाएं पारंपरिक समाज की विशेषताएं हैं, न कि आधुनिकता की।

    प्रश्न 14: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) के संबंध में, दुर्खीम का मुख्य जोर किस पर था?

    1. बल और दंड के माध्यम से नियंत्रण।
    2. सामूहिक चेतना और साझा नैतिक मूल्यों के माध्यम से अनौपचारिक नियंत्रण।
    3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप।
    4. बाजार की अदृश्य शक्तियों द्वारा स्वतः विनियमन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे रीति-रिवाज, नैतिकता, सामूहिक चेतना) दोनों रूपों पर जोर दिया। हालांकि, उन्होंने विशेष रूप से ‘सामूहिक चेतना’ (collective consciousness) और साझा नैतिक मूल्यों को समाज में व्यवस्था और सुसंगतता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना, जो अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण के रूप में कार्य करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का मानना था कि समाज में एक साझा नैतिक व्यवस्था होनी चाहिए ताकि व्यक्ति समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और सामाजिक नियमों का पालन करें। विशेष रूप से पारंपरिक समाजों में, जहाँ यांत्रिक एकता (mechanical solidarity) होती है, सामूहिक चेतना अधिक मजबूत होती है।
    • गलत विकल्प: केवल बल और दंड अधिनायकवादी नियंत्रण है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप उदारवादी विचार है। बाजार की शक्तियाँ आर्थिक विनियमन से संबंधित हैं।

    प्रश्न 15: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘व्यक्तिनिष्ठता’ (Subjectivity) के महत्व पर किसने बल दिया?

    1. ऑगस्ट कॉम्ते
    2. कार्ल मार्क्स
    3. मैक्स वेबर
    4. हर्बर्ट स्पेंसर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को ‘समझने वाला विज्ञान’ (interpretive science) माना और व्यक्तिनिष्ठ अर्थों (subjective meanings) को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके लिए, व्यक्तिनिष्ठता समाजशास्त्रीय विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण पहलू थी।
    • संदर्भ और विस्तार: जैसा कि प्रश्न 1 में ‘वर्स्तीयन’ (Verstehen) के तहत चर्चा की गई है, वेबर ने इस बात पर जोर दिया कि समाजशास्त्री को केवल बाह्य व्यवहारों का निरीक्षण नहीं करना चाहिए, बल्कि सामाजिक कर्ताओं (social actors) द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए जाने वाले व्यक्तिनिष्ठ अर्थों को भी समझना चाहिए।
    • गलत विकल्प: कॉम्टे और स्पेंसर प्रत्यक्षवादी (positivist) दृष्टिकोण के अधिक समर्थक थे, जो वस्तुनिष्ठता (objectivity) पर जोर देता है। मार्क्स ने वर्ग चेतना पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन वेबर ने व्यक्तिनिष्ठ अर्थों की व्यवस्थित समझ पर अधिक जोर दिया।

    प्रश्न 16: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें क्या शामिल है?

    1. केवल कला, संगीत और साहित्य।
    2. केवल भौतिक वस्तुएं (जैसे उपकरण, मशीनें)।
    3. लोगों के जीवन जीने का तरीका, जिसमें उनके ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं।
    4. केवल व्यक्तिगत भावनाएँ और विचार।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: समाजशास्त्र में, संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जो किसी समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए सभी सीखा हुआ व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य, मानदंड, प्रतीक और भौतिक वस्तुएं शामिल करती है। एडवर्ड बर्नेट टायलर (E.B. Tylor) की प्रसिद्ध परिभाषा के अनुसार, “संस्कृति वह जटिल समग्रता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं, जिन्हें मनुष्य समाज के एक सदस्य के रूप में प्राप्त करता है।”
    • संदर्भ और विस्तार: संस्कृति सामाजिक संरचना के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसे पीढ़ी दर पीढ़ी सीखा और प्रसारित किया जाता है।
    • गलत विकल्प: संस्कृति में केवल कला, संगीत या भौतिक वस्तुएं ही शामिल नहीं हैं, बल्कि गैर-भौतिक (मानसिक/वैचारिक) पहलू भी महत्वपूर्ण हैं। व्यक्तिगत भावनाएं संस्कृति का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन पूरी संस्कृति नहीं।

    प्रश्न 17: मार्क्सवाद के अनुसार, ‘पूंजीवाद’ (Capitalism) की अंतर्निहित समस्या क्या है?

    1. अत्यधिक समानता और संसाधनों का समान वितरण।
    2. श्रमिक वर्ग (proletariat) का शोषण और पूंजीपति वर्ग (bourgeoisie) द्वारा अतिरिक्त मूल्य (surplus value) का लाभ उठाना।
    3. पूंजीपतियों के बीच सहयोग और साझा स्वामित्व।
    4. सरकारी विनियमन और नियंत्रण की अधिकता।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: कार्ल मार्क्स का केंद्रीय तर्क यह था कि पूंजीवाद एक शोषणकारी व्यवस्था है जहाँ पूंजीपति वर्ग, उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, मशीनें) का मालिक होता है, श्रमिक वर्ग को कम मजदूरी देकर उनसे अधिक काम करवाता है और उस ‘अतिरिक्त मूल्य’ को लाभ के रूप में हड़प लेता है।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि यह अंतर्निहित शोषण अंततः वर्ग संघर्ष को जन्म देगा और पूंजीवाद के पतन का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) में इस सिद्धांत का विस्तार से वर्णन किया है।
    • गलत विकल्प: पूंजीवाद समानता के बजाय असमानता को बढ़ावा देता है। पूंजीपतियों के बीच सहयोग हो सकता है, लेकिन यह शोषण का मूल कारण नहीं है। सरकारी विनियमन की कमी (laissez-faire) पूंजीवाद की एक विशेषता हो सकती है, लेकिन शोषण इसकी अंतर्निहित समस्या है।

    प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘अल्बर्ट सैमुअल जैकब्स’ (Albert Samuel Jacobs) के कार्य से संबंधित है?

    1. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
    2. जाति-वर्ग संबंध
    3. एकीकृत समाज (Integrated Society)
    4. सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: अल्बर्ट सैमुअल जैकब्स (A.S. Jacobs) भारतीय समाज, विशेषकर दक्षिण भारतीय समाजों में जाति व्यवस्था और उसके वर्ग संबंधों के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। उनकी पुस्तक ‘द डायनामिक्स ऑफ कास्ट एंड क्लास इन इंडिया’ (The Dynamics of Caste and Class in India) इन विषयों पर महत्वपूर्ण है।
    • संदर्भ और विस्तार: जैकब्स ने यह विश्लेषण किया कि कैसे जाति और वर्ग भारतीय समाज में परस्पर क्रिया करते हैं और सामाजिक स्तरीकरण को प्रभावित करते हैं। उन्होंने जाति और वर्ग के बीच के जटिल संबंधों को समझने पर जोर दिया।
    • गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद पारसन्स से जुड़ा है। एकीकृत समाज एक सामान्य अवधारणा है, लेकिन जैकब्स का विशिष्ट योगदान जाति-वर्ग संबंध है। सामाजिक गतिशीलता व्यापक अवधारणा है, लेकिन उनके कार्य का मुख्य केंद्र बिंदु जाति और वर्ग का अंतर्संबंध है।

    प्रश्न 19: समाजशास्त्रीय शोध में ‘साक्षात्कार’ (Interview) पद्धति का उपयोग करते समय, एक शोधकर्ता को निम्नलिखित में से किस पर ध्यान देना चाहिए?

    1. केवल उत्तरदाताओं द्वारा दिए गए तथ्यों पर।
    2. उत्तरदाताओं के दृष्टिकोण, भावनाओं और अनुभवों को समझने पर।
    3. प्रत्येक उत्तर को मात्रात्मक रूप से मापने पर।
    4. साक्षात्कारकर्ता के पूर्वग्रहों को प्रश्न पूछने में शामिल करने पर।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: गुणात्मक (qualitative) अनुसंधान विधियों, जैसे साक्षात्कार, का मुख्य उद्देश्य उत्तरदाताओं के अनुभवों, दृष्टिकोणों, भावनाओं और उनके द्वारा समझे जाने वाले अर्थों को गहराई से समझना होता है। यह केवल तथ्यों को एकत्र करना नहीं है, बल्कि विषय की व्यक्तिनिष्ठता को भी खोजना है।
    • संदर्भ और विस्तार: एक अच्छा साक्षात्कारकर्ता खुले प्रश्न पूछता है, ध्यान से सुनता है, और उत्तरदाताओं को अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह वेबरियन ‘वर्स्तीयन’ (Verstehen) के सिद्धांत के अनुरूप है।
    • गलत विकल्प: केवल तथ्य व्यक्तिनिष्ठ अनुभवों को छोड़ देते हैं। मात्रात्मक माप साक्षात्कार की गहराई को सीमित कर सकता है। साक्षात्कारकर्ता के पूर्वग्रह अनुसंधान को पक्षपाती बना सकते हैं।

    प्रश्न 20: ‘सभ्यता’ (Civilization) की अवधारणा को समाजशास्त्र में किस रूप में समझा जाता है?

    1. केवल बड़े शहर और विकसित बुनियादी ढाँचा।
    2. ज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक संगठन और कलात्मक अभिव्यक्ति में एक उच्च स्तर की उपलब्धि, जो अक्सर सामाजिक जटिलता से जुड़ी होती है।
    3. आदिम समाजों की सरलता और स्वाभाविकता।
    4. राष्ट्रों के बीच केवल राजनीतिक संबंध।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: सभ्यता को आमतौर पर एक जटिल समाज के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसकी विशेषता शहरीकरण, संगठित सरकार, सामाजिक स्तरीकरण, प्रतीकात्मक लेखन प्रणाली और विकसित कला, वास्तुकला और प्रौद्योगिकी है। यह मानव समाज के विकास का एक उच्च चरण माना जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री जैसे लुईस हेनरी मॉर्गन (Lewis Henry Morgan) ने सामाजिक विकास के चरणों का वर्णन करते समय सभ्यता को एक महत्वपूर्ण चरण माना।
    • गलत विकल्प: सभ्यता केवल शहरीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सांस्कृतिक और वैचारिक विकास भी शामिल है। यह आदिम समाजों की सरलता से भिन्न है। यह केवल राजनीतिक संबंधों से अधिक है।

    प्रश्न 21: भारतीय समाज में ‘पोट्टन’ (Pottan) की अवधारणा किस से संबंधित है?

    1. एक प्रकार का पारंपरिक शिल्प।
    2. एक विशिष्ट जनजाति का नाम।
    3. एक प्रकार का कर्मकांडीय नृत्य, जिसे कुछ समुदायों द्वारा किया जाता है।
    4. कृषि से संबंधित एक परंपरा।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: ‘पोट्टन’ या ‘पोट्टन थय्यम’ केरल के कुछ समुदायों, विशेषकर दलित समुदायों द्वारा किया जाने वाला एक कर्मकांडीय नृत्य (ritual dance) है। यह समाजशास्त्रियों द्वारा लोकनृत्य, अनुष्ठान और सामाजिक पहचान के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह नृत्य अक्सर देवी-देवताओं के प्रति भक्ति व्यक्त करने और सामाजिक/धार्मिक संदेश देने के लिए किया जाता है। यह भारतीय समाज की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक प्रथाओं का एक उदाहरण है।
    • गलत विकल्प: यह केवल शिल्प, जनजाति या कृषि से संबंधित नहीं है, बल्कि एक विशिष्ट अनुष्ठानिक प्रदर्शन है।

    प्रश्न 22: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आपका क्या तात्पर्य है?

    1. समाज में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थिर सामाजिक स्थिति।
    2. समाज में व्यक्तियों या समूहों की एक स्थिति से दूसरी स्थिति में संक्रमण, या सामाजिक स्तरों के बीच ऊपर या नीचे की ओर बढ़ना।
    3. समाज में केवल सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया।
    4. समाज में लोगों का भौगोलिक स्थान बदलना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: सामाजिक गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों की सामाजिक सीढ़ी पर स्थिति बदलने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। यह ऊर्ध्वाधर (vertical) हो सकती है (ऊपर या नीचे की ओर बढ़ना) या क्षैतिज (horizontal) (एक ही स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना)।
    • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्रीय विश्लेषण में, गतिशीलता अक्सर शिक्षा, व्यवसाय, आय और सामाजिक वर्ग जैसे कारकों से जुड़ी होती है।
    • गलत विकल्प: स्थिर स्थिति ‘सामाजिक गतिहीनता’ (social immobility) को दर्शाती है। केवल सामाजिक परिवर्तन एक व्यापक शब्द है। भौगोलिक स्थान परिवर्तन ‘प्रवासन’ (migration) है, न कि सीधे सामाजिक गतिशीलता।

    प्रश्न 23: ‘वैज्ञानिक पद्धति’ (Scientific Method) की समाजशास्त्रीय प्रासंगिकता को समझने के लिए, निम्नलिखित में से कौन सा कदम आवश्यक है?

    1. केवल व्यक्तिगत विश्वासों और अंतर्ज्ञान पर भरोसा करना।
    2. तार्किक तर्क और अनुभवजन्य साक्ष्य (empirical evidence) के आधार पर परिकल्पना (hypothesis) का परीक्षण करना।
    3. किसी भी निष्कर्ष को स्वीकार करने से पहले केवल दार्शनिक तर्कों का उपयोग करना।
    4. समाजशास्त्र में केवल सैद्धांतिक मॉडल का निर्माण करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: समाजशास्त्र, एक विज्ञान के रूप में, वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करता है, जिसमें एक समस्या की पहचान करना, एक परिकल्पना (परीक्षण योग्य कथन) तैयार करना, डेटा एकत्र करने के लिए व्यवस्थित तरीकों (जैसे सर्वेक्षण, प्रयोग, साक्षात्कार) का उपयोग करना, डेटा का विश्लेषण करना और परिकल्पना का परीक्षण करना शामिल है। अनुभवजन्य साक्ष्य (अवलोकन और अनुभव से प्राप्त) सर्वोपरि है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह वस्तुनिष्ठता (objectivity) और पुनरुत्पादकता (reproducibility) सुनिश्चित करता है।
    • गलत विकल्प: व्यक्तिगत विश्वास, केवल दार्शनिक तर्क, या केवल सैद्धांतिक मॉडल वैज्ञानिक पद्धति के अनुभवजन्य और परीक्षण योग्य प्रकृति के विपरीत हैं।

    प्रश्न 24: ‘रैडक्लिफ-ब्राउन’ (Radcliffe-Brown) किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से जुड़े थे?

    1. मार्क्सवाद (Marxism)
    2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
    3. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
    4. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: अल्फ्रेड रैडक्लिफ-ब्राउन एक प्रमुख मानवशास्त्री थे जिन्होंने ब्रिटिश समाजशास्त्र और विशेष रूप से संरचनात्मक प्रकार्यवाद में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने समाज की संरचना और विभिन्न सामाजिक संस्थानों के कार्यों पर जोर दिया, जो समाज को एक संपूर्ण (whole) के रूप में बनाए रखते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: रैडक्लिफ-ब्राउन ने ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ को सामाजिक संरचना के अध्ययन के एक तरीके के रूप में विकसित किया, जिसमें प्रत्येक सामाजिक संस्था का एक कार्य होता है जो समाज की समग्र स्थिरता में योगदान देता है। वे मानव समाज की तुलना जीवित जीवों से करते थे, जहाँ प्रत्येक अंग का अपना कार्य होता है।
    • गलत विकल्प: मार्क्सवाद, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद और संघर्ष सिद्धांत समाजशास्त्र के अन्य प्रमुख दृष्टिकोण हैं, लेकिन रैडक्लिफ-ब्राउन मुख्य रूप से प्रकार्यवाद से जुड़े थे।

    प्रश्न 25: भारत में ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) की समाजशास्त्रीय प्रासंगिकता क्या है?

    1. यह केवल कृषि उत्पादकता में वृद्धि से संबंधित है।
    2. यह ग्रामीण सामाजिक संरचना, शक्ति संबंधों और सामाजिक असमानता को प्रभावित करता है।
    3. यह केवल शहरीकरण को बढ़ावा देने का एक तरीका है।
    4. यह सीधे तौर पर शिक्षा प्रणाली में सुधार से जुड़ा है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सहीता: भारत में भूमि सुधारों का समाजशास्त्रीय रूप से गहरा महत्व है क्योंकि वे ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के स्वामित्व, शक्ति संरचना, जातिगत संबंधों और सामाजिक असमानता को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। भूमि स्वामित्व अक्सर सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभाव का एक प्रमुख स्रोत रहा है।
    • संदर्भ और विस्तार: भूमि सुधारों का उद्देश्य भूमि वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाना, काश्तकारों के अधिकारों की रक्षा करना और सामंती भूमि स्वामित्व पैटर्न को तोड़ना रहा है, जिससे ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं।
    • गलत विकल्प: जबकि भूमि सुधारों का कृषि उत्पादकता पर प्रभाव पड़ सकता है, उनकी समाजशास्त्रीय प्रासंगिकता सामाजिक संरचना और शक्ति पर है। वे सीधे तौर पर शहरीकरण या शिक्षा प्रणाली से संबंधित नहीं हैं, बल्कि ये इसके अप्रत्यक्ष परिणाम हो सकते हैं।

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