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समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज का विशेष प्रश्नोत्तरी

समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज का विशेष प्रश्नोत्तरी

समाजशास्त्र के ज्ञान को परखने और अपनी तैयारी को नई धार देने के लिए तैयार हो जाइए! हम लेकर आए हैं आपके लिए आज का विशेष प्रश्नोत्तरी, जो विभिन्न महत्वपूर्ण अवधारणाओं, विचारकों और भारतीय समाज के अनूठे पहलुओं को कवर करती है। अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को चुनौती दें और इन 25 प्रश्नों के माध्यम से अपनी समाजशास्त्रीय पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा का संबंध किस प्रमुख समाजशास्त्री से है, जिन्होंने इसे वस्तुनिष्ठ और बाहरी के रूप में परिभाषित किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. Émile Durkheim
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: Émile Durkheim ने ‘सामाजिक तथ्यों’ को समाजशास्त्र का मुख्य अध्ययन क्षेत्र बताया। उन्होंने इन्हें व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालने वाली, सामान्यता या रुग्णता की स्थिति में व्यक्त होने वाली और सामूहिक चेतना से उत्पन्न होने वाली चीजें माना।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” में विस्तार से बताई गई है। वे समाज को व्यक्तियों के योग से अधिक मानते थे और मानते थे कि समाजशास्त्र को एक विज्ञान की तरह इन वस्तुनिष्ठ तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) और ‘कर्मकांडीय समझ’ (Verstehen) पर जोर दिया, जो व्यक्तिपरक अर्थों पर केंद्रित थे। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद की बात की।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
  2. आधुनिक तकनीकों का प्रयोग
  3. निचली जातियों द्वारा उच्च जातियों की रीतियों और विश्वासों को अपनाकर सामाजिक स्थिति में सुधार का प्रयास
  4. शहरी जीवन शैली को अपनाना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: संस्कृतीकरण, एम.एन. श्रीनिवास की एक प्रमुख अवधारणा है, जो भारतीय समाज में निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और विचारधाराओं को अपनाकर सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर उठने की प्रक्रिया का वर्णन करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा का प्रयोग पहली बार अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में किया था। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता का।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण का अर्थ पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति को अपनाना है। आधुनिकीकरण एक व्यापक अवधारणा है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। शहरीकरण शहरों की ओर पलायन को दर्शाता है।

प्रश्न 3: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, समाज के विभिन्न अंगों का एक-दूसरे से संबंध और समाज की स्थिरता बनाए रखने में उनकी भूमिका का अध्ययन क्या कहलाता है?

  1. संघर्ष सिद्धांत
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  3. संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक विश्लेषण
  4. कृत्यवाद (Rationalism)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रॉबर्ट मर्टन, जिन्होंने दुर्खीम और पार्सन्स के प्रकार्यात्मक विचारों को परिष्कृत किया, संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक विश्लेषण के प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्होंने सामाजिक संरचनाओं के ‘प्रकार्य’ (functions) और ‘प्रतिकार्य’ (dysfunctions) का विश्लेषण किया, तथा ‘प्रकट प्रकार्य’ (manifest functions) और ‘अप्रकट प्रकार्य’ (latent functions) के बीच अंतर स्पष्ट किया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को एक जैविक जीव के समान देखता है, जहाँ प्रत्येक अंग (सामाजिक संस्थाएं) एक विशेष कार्य (प्रकार्य) करता है जो पूरे समाज की स्थिरता और संतुलन में योगदान देता है। मर्टन ने इस प्रकार्यवाद को अधिक अनुभवजन्य और आलोचनात्मक बनाया।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) समाज में शक्ति, असमानता और संघर्ष पर केंद्रित है (जैसे मार्क्स)। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) व्यक्तियों के बीच अर्थ और प्रतीकों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है (जैसे मीड)। कृत्यवाद एक दार्शनिक या ज्ञानमीमांसीय दृष्टिकोण है।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर द्वारा ‘प्रोटेस्टेंट नीति और पूंजीवाद की भावना’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) नामक पुस्तक में किस मुख्य विचार का प्रतिपादन किया गया है?

  1. आर्थिक कारक ही सामाजिक परिवर्तन के एकमात्र निर्धारक हैं।
  2. धर्म (विशेषकर प्रोटेस्टेंटवाद) ने पूंजीवाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. पूंजीवाद सामाजिक असमानता का मुख्य कारण है।
  4. धार्मिक सहिष्णुता आर्थिक समृद्धि लाती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: वेबर ने तर्क दिया कि कैल्विनवाद जैसे प्रोटेस्टेंट संप्रदायों के कुछ नैतिक सिद्धांत, जैसे कठोर परिश्रम, सादगी, और धन को ईश्वर का आशीर्वाद मानने की भावना, ने आधुनिक पूंजीवाद के विकास के लिए आवश्यक “पूंजीवाद की भावना” को बढ़ावा दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह वेबर का एक क्रांतिकारी विचार था जिसने मार्क्स के आर्थिक निर्धारणवाद को चुनौती दी, यह सुझाव देते हुए कि विचार (धर्म) भी आर्थिक संरचनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने इसे “कार्य-कारण संबंध” (elective affinity) का मामला बताया।
  • गलत विकल्प: मार्क्स का मानना था कि आर्थिक कारक ही परिवर्तन के मुख्य निर्धारक हैं (विकल्प a, मार्क्स के विचार के करीब है, वेबर के नहीं)। वेबर ने स्वयं पूंजीवाद को एक जटिल घटना माना जिसके कई कारण थे, न कि केवल सामाजिक असमानता का स्रोत।

प्रश्न 5: समाजशास्त्रीय शब्दावली में ‘अनॉमी’ (Anomie) का क्या अर्थ है?

  1. सामाजिक व्यवस्था का अभाव और नियमों का टूटना
  2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिरेक
  3. सामाजिक समूहों का विखंडन
  4. प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘अनॉमी’ शब्द का प्रयोग Émile Durkheim ने समाज की उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ सामाजिक नियम शिथिल हो जाते हैं या उनका कोई प्रभाव नहीं रह जाता, जिससे व्यक्तियों में अनिश्चितता, दिशाहीनता और सामाजिक नियंत्रण की कमी महसूस होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, अनॉमी अपराध, आत्महत्या (विशेष रूप से अनॉमिक आत्महत्या) और सामाजिक अव्यवस्था का कारण बन सकती है। यह विशेष रूप से तब उत्पन्न होती है जब समाज में तीव्र परिवर्तन होते हैं और पुराने नियम अप्रचलित हो जाते हैं जबकि नए नियम अभी तक स्थापित नहीं हुए होते।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिरेक (b) अनॉमी का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं अनॉमी की परिभाषा नहीं है। सामाजिक समूहों का विखंडन (c) भी संबंधित हो सकता है, लेकिन मुख्य जोर नियमों के अभाव पर है। प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन (d) अनॉमी से विपरीत हो सकता है।

प्रश्न 6: जजमानी व्यवस्था (Jajmani System) भारतीय ग्रामीण समाज की किस विशेषता से संबंधित है?

  1. भूमि स्वामित्व का समान वितरण
  2. पारंपरिक श्रम विभाजन और सेवाओं का आदान-प्रदान
  3. जाति-आधारित शिक्षा
  4. किसानों का शहरीकरण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जजमानी व्यवस्था भारतीय गांवों में एक पारंपरिक प्रणाली थी जिसमें विभिन्न जातियां या परिवार (जजमान) अन्य जातियों (कमीन) को उनकी पारंपरिक व्यावसायिक सेवाओं (जैसे कुम्हार, लोहार, नाई, धोबी) के बदले में वस्तु या सेवा के रूप में भुगतान करते थे। यह एक पारस्परिक, अक्सर वंशानुगत, संबंध था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था जाति व्यवस्था, आत्मनिर्भर ग्राम अर्थव्यवस्था और सेवाओं के गैर-मौद्रिक आदान-प्रदान से गहराई से जुड़ी हुई थी। डब्ल्यू.एच. वाइजर जैसे नृवंशविज्ञानियों ने इसका विस्तृत अध्ययन किया।
  • गलत विकल्प: यह भूमि के समान वितरण (a) या जाति-आधारित शिक्षा (c) से संबंधित नहीं है, बल्कि सेवाओं के आदान-प्रदान से है। किसानों का शहरीकरण (d) जजमानी व्यवस्था के पतन का एक कारण हो सकता है।

प्रश्न 7: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएं किससे संबंधित हैं?

  1. सामाजिक संरचना के प्रकार
  2. आत्म (Self) के विकास की प्रक्रिया
  3. सांस्कृतिक मूल्य
  4. समाजशास्त्रीय अनुसंधान विधियाँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारक, ने आत्म (Self) के विकास को एक सामाजिक प्रक्रिया के रूप में समझाया। उन्होंने ‘आत्म’ को दो भागों में बांटा: ‘मैं’ (I) जो हमारी तात्कालिक, अप्रत्याशित प्रतिक्रियाओं और व्यक्तित्व का सक्रिय पक्ष है; और ‘मुझे’ (Me) जो सामाजिक अपेक्षाओं, दूसरों के दृष्टिकोण और समाज द्वारा आत्मसात किए गए नियमों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, बच्चा पहले ‘खेल’ (Play) अवस्था में दूसरों की भूमिकाओं को अपनाना सीखता है, और फिर ‘खेल’ (Game) अवस्था में ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) के दृष्टिकोण को समझना सीखता है, जिससे ‘मुझे’ का विकास होता है। ‘मैं’ और ‘मुझे’ के बीच की बातचीत से व्यक्ति का आत्म और व्यवहार बनता है।
  • गलत विकल्प: ये सामाजिक संरचना (a), सांस्कृतिक मूल्य (c) या अनुसंधान विधियों (d) से सीधे संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किसने और क्यों किया?

  1. महात्मा गांधी ने, दलितों को ईश्वर का पुत्र कहकर संबोधित करने के लिए।
  2. बी.आर. अम्बेडकर ने, बहिष्कृत समुदायों को संगठित करने के लिए।
  3. ई.वी. रामासामी ‘पेरियार’ ने, जाति व्यवस्था का विरोध करने के लिए।
  4. स्वामी विवेकानंद ने, सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: महात्मा गांधी ने अछूत माने जाने वाले समुदायों को ‘हरिजन’ (ईश्वर के पुत्र) शब्द से संबोधित किया। उनका उद्देश्य समाज में व्याप्त इस गहरी सामाजिक बुराई के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना और इन समुदायों को गरिमा और सम्मान प्रदान करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने अपने साप्ताहिक समाचार पत्र का नाम भी ‘हरिजन’ रखा था। यद्यपि यह शब्द उनके सद्भावनापूर्ण इरादे से आया था, कुछ दलित नेताओं ने बाद में इसे थोपा हुआ और बाहरी माना और ‘दलित’ (The Oppressed) जैसे शब्दों को प्राथमिकता दी।
  • गलत विकल्प: बी.आर. अम्बेडकर ने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ जैसे संगठनों की स्थापना की और दलितों को संगठित करने पर जोर दिया। पेरियार ने आत्म-सम्मान आंदोलन चलाया। स्वामी विवेकानंद ने भी समाज सुधार का कार्य किया, लेकिन ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग गांधीजी से जुड़ा है।

प्रश्न 9: ‘व्यवस्था’ (System) की अवधारणा समाजशास्त्र में क्या दर्शाती है?

  1. व्यक्तियों का एक समूह
  2. आपस में संबंधित और अंतःक्रिया करने वाले भागों का एक जटिल जाल जो एक समग्र के रूप में कार्य करता है
  3. बिना किसी संगठन के व्यक्तियों का जमावड़ा
  4. सामाजिक असमानता का ढाँचा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में ‘व्यवस्था’ (System) का अर्थ उन घटकों या भागों का एक समूह है जो एक-दूसरे से संबंधित हैं, एक-दूसरे पर निर्भर हैं, और एक-दूसरे के साथ इस प्रकार अंतःक्रिया करते हैं कि वे एक एकीकृत समग्र (whole) के रूप में कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण, विशेष रूप से, समाज को एक जटिल व्यवस्था के रूप में देखता है जहाँ प्रत्येक संस्था (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) एक विशेष कार्य करती है जो व्यवस्था की समग्रता और स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तियों का समूह (a) एक व्यवस्था हो सकता है, लेकिन व्यवस्था की मुख्य विशेषता भागों की अंतःक्रिया और समग्रता है। बिना संगठन के जमावड़ा (c) अव्यवस्था है, व्यवस्था नहीं। सामाजिक असमानता का ढाँचा (d) एक व्यवस्था का हिस्सा हो सकता है, लेकिन स्वयं व्यवस्था की परिभाषा नहीं।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन एक ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) का उदाहरण है?

  1. परिवार
  2. मित्र मंडली
  3. राजनीतिक दल
  4. पड़ोसी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: द्वितीयक समूह वे समूह होते हैं जो आमतौर पर बड़े, अवैयक्तिक, औपचारिक और विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बनाए जाते हैं। सदस्य इनमें अक्सर अपनी विशेष भूमिकाओं के कारण जुड़े होते हैं। राजनीतिक दल, कार्यालय, क्लब आदि इसके उदाहरण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स कूली ने प्राथमिक समूह (Primary Group) और द्वितीयक समूह (Secondary Group) के बीच अंतर किया था। प्राथमिक समूह वे होते हैं जो आमने-सामने, घनिष्ठ और स्थायी संबंधों पर आधारित होते हैं, जैसे परिवार और मित्र मंडली (विकल्प a और b)। पड़ोसी (d) अक्सर प्राथमिक समूह के करीब होते हैं, खासकर यदि संबंध घनिष्ठ हों।
  • गलत विकल्प: परिवार (a) और मित्र मंडली (b) प्राथमिक समूह हैं क्योंकि संबंध घनिष्ठ, व्यक्तिगत और व्यापक होते हैं। पड़ोसी (d) भी अक्सर प्राथमिक समूह के लक्षणों के करीब होते हैं। राजनीतिक दल (c) एक विशिष्ट लक्ष्य (जैसे चुनाव जीतना) के लिए गठित एक बड़े, औपचारिक संगठन का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह एक द्वितीयक समूह है।

प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) की व्यवस्था के संबंध में, ‘अशुद्धता’ (Purity) और ‘पवित्रता’ (Pollution) की अवधारणाएं किससे सबसे अधिक जुड़ी हुई हैं?

  1. आर्थिक स्थिति
  2. पेशा
  3. धार्मिक कर्मकांड और सामाजिक अलगाव
  4. राजनीतिक शक्ति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था में, पवित्रता और अशुद्धता की धारणाएं सबसे महत्वपूर्ण रही हैं। उच्च जातियां स्वयं को अधिक शुद्ध मानती थीं और निम्न जातियों को अशुद्ध। यह शुद्धता-अशुद्धता का विचार धार्मिक कर्मकांडों, खान-पान, सामाजिक संपर्क और विवाह (अंतर्विवाह) पर प्रतिबंधों का आधार बनता था, जिससे जातियों के बीच अलगाव बना रहता था।
  • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास और अन्य नृवंशविज्ञानियों ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे इन धार्मिक-जैसी धारणाओं ने जाति पदानुक्रम को बनाए रखा और सामाजिक दूरी को परिभाषित किया।
  • गलत विकल्प: आर्थिक स्थिति (a), पेशा (b) और राजनीतिक शक्ति (d) जातियों से जुड़े थे, लेकिन पवित्रता-अशुद्धता की केंद्रीय अवधारणाएं मुख्य रूप से धार्मिक और सामाजिक अलगाव से उत्पन्न हुईं।

प्रश्न 12: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘सांख्यिकीय विश्लेषण’ (Statistical Analysis) का उपयोग किस प्रकार की विधियों के लिए अधिक उपयुक्त है?

  1. नृवंशविज्ञान (Ethnography)
  2. साक्षात्कार (Interview)
  3. सर्वेक्षण (Survey)
  4. लघु-स्तरीय समुदाय अध्ययन (Micro-level Community Study)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सांख्यिकीय विश्लेषण बड़ी मात्रा में संख्यात्मक डेटा (numerical data) का विश्लेषण करने के लिए उपयुक्त है, जो आमतौर पर सर्वेक्षण अनुसंधान (Survey Research) से प्राप्त होता है। सर्वेक्षणों में अक्सर प्रश्नावली का उपयोग करके बड़ी आबादी के बारे में डेटा एकत्र किया जाता है, जिसे फिर सांख्यिकीय तकनीकों से विश्लेषणित किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सांख्यिकी का उपयोग रुझानों (trends) की पहचान करने, चरों (variables) के बीच संबंधों का परीक्षण करने, परिकल्पनाओं (hypotheses) की पुष्टि करने और निष्कर्षों को सामान्यीकृत करने के लिए किया जाता है।
  • गलत विकल्प: नृवंशविज्ञान (a) और लघु-स्तरीय समुदाय अध्ययन (d) गुणात्मक (qualitative) विधियों पर अधिक निर्भर करते हैं, जिनमें गहन अवलोकन और व्यक्तिगत अनुभवों को समझना शामिल है। साक्षात्कार (b) भी गुणात्मक हो सकता है, या यदि संरचित हो तो मात्रात्मक डेटा उत्पन्न कर सकता है, लेकिन सर्वेक्षण आम तौर पर सांख्यिकी का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता होता है।

प्रश्न 13: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज का विभिन्न वर्गों में विभाजन
  2. समाज में अवसरों की समान उपलब्धता
  3. समाज में व्यक्तियों या समूहों को उनकी स्थिति के आधार पर व्यवस्थित रूप से वर्गीकृत और पदानुक्रमित करना
  4. सामाजिक गतिशीलता की अनुपस्थिति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज में व्यक्तियों या समूहों को उनकी आय, शिक्षा, शक्ति, जाति, लिंग या अन्य सामाजिक विशेषताओं के आधार पर एक पदानुक्रमित क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। यह समाज में असमानता की स्थायी संरचनाओं को जन्म देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के मुख्य रूप दासता, जाति, वर्ग और संपदा (estate) हैं। ये संरचनाएं न केवल धन और शक्ति के वितरण को प्रभावित करती हैं, बल्कि जीवन के अवसरों और अनुभवों को भी गहराई से आकार देती हैं।
  • गलत विकल्प: समाज का विभिन्न वर्गों में विभाजन (a) स्तरीकरण का एक परिणाम है, लेकिन पूरी परिभाषा नहीं। अवसरों की समान उपलब्धता (b) स्तरीकरण के विपरीत है। सामाजिक गतिशीलता की अनुपस्थिति (d) एक स्थिर स्तरीकृत समाज की विशेषता हो सकती है, लेकिन स्तरीकरण स्वयं गतिशील भी हो सकता है।

प्रश्न 14: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया समाजशास्त्र में किस बदलाव को इंगित करती है?

  1. धर्म का राजनीतिकरण
  2. सार्वजनिक और निजी जीवन में धर्म के प्रभाव और महत्व में कमी
  3. धार्मिक संस्थानों का विस्तार
  4. आध्यात्मिकता में वृद्धि

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: धर्मनिरपेक्षीकरण एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें धर्म की भूमिका सार्वजनिक जीवन, राजनीति, शिक्षा और कला जैसे क्षेत्रों में कम हो जाती है, और लोग व्यक्तिगत जीवन में भी धर्म के प्रति कम झुकाव रखने लगते हैं। यह तर्कसंगतता और विज्ञान के बढ़ते प्रभाव से जुड़ा हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री जैसे पीटर बर्जर ने इस पर विचार किया है कि कैसे आधुनिकता ने धर्म की केंद्रीयता को चुनौती दी है। हालांकि, यह एक जटिल प्रक्रिया है और इसका अर्थ हर समाज में भिन्न हो सकता है।
  • गलत विकल्प: धर्म का राजनीतिकरण (a) और धार्मिक संस्थानों का विस्तार (c) धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत या समानांतर प्रक्रियाएं हो सकती हैं। आध्यात्मिकता में वृद्धि (d) व्यक्तिगत हो सकती है और जरूरी नहीं कि यह धर्मनिरपेक्षीकरण को रोके।

प्रश्न 15: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जो कार्ल मार्क्स के विचारों का एक केंद्रीय तत्व है, का संबंध किससे है?

  1. समाज में व्यक्ति की बढ़ी हुई शक्ति
  2. पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिक का अपने श्रम, उत्पाद, स्वयं और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करना
  3. सामाजिक नियमों का पालन करने में आसानी
  4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की प्राप्ति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद से, अपनी श्रम प्रक्रिया से, अपनी मानवता से (क्योंकि वह केवल एक मशीन का हिस्सा बन जाता है), और अंततः अन्य श्रमिकों और समाज से अलग-थलग महसूस करता है। यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों के स्वामित्व के कारण होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपि 1844’ में पाई जाती है। अलगाव श्रमिक को उसके श्रम के वास्तविक मूल्य और उसकी रचनात्मक क्षमता से वंचित करता है।
  • गलत विकल्प: यह शक्ति (a), नियमों के पालन में आसानी (c) या स्वतंत्रता (d) के बजाय उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिक की निराशाजनक स्थिति का वर्णन करता है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन एक ‘अवलोकन’ (Observation) विधि का प्रकार नहीं है?

  1. सहभागी अवलोकन (Participant Observation)
  2. असहभागी अवलोकन (Non-participant Observation)
  3. संरचित अवलोकन (Structured Observation)
  4. प्रश्नावली (Questionnaire)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: अवलोकन विधियों में शोधकर्ता स्वयं सामाजिक घटनाओं, व्यवहारों या स्थितियों को सीधे देखता और रिकॉर्ड करता है। सहभागी अवलोकन में शोधकर्ता समूह का हिस्सा बन जाता है, जबकि असहभागी अवलोकन में वह बाहरी दर्शक होता है। संरचित अवलोकन में पूर्वनिर्धारित अवलोकन मदों का उपयोग किया जाता है। प्रश्नावली (d) एक डेटा संग्रह विधि है जो मुख्य रूप से प्रत्यक्ष अवलोकन पर आधारित नहीं है, बल्कि स्वयं-रिपोर्टिंग पर आधारित है।
  • संदर्भ और विस्तार: अवलोकन प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने की एक विधि है, जबकि प्रश्नावली को उत्तरदाताओं द्वारा भरा जाता है।
  • गलत विकल्प: सहभागी, असहभागी और संरचित अवलोकन सभी अवलोकन की विधियाँ हैं। प्रश्नावली अवलोकन का एक रूप नहीं है।

प्रश्न 17: ‘समूह गतिशीलता’ (Group Dynamics) की अवधारणा का मुख्य रूप से अध्ययन क्या करता है?

  1. समूह के सदस्यों की व्यक्तिगत विशेषताएँ
  2. समूह के भीतर और समूहों के बीच अंतःक्रियाएँ, परिवर्तन और शक्तियाँ
  3. समूह के लक्ष्यों की जटिलता
  4. समूहों का उद्भव और विकास

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समूह गतिशीलता (Group Dynamics) उन प्रक्रियाओं और व्यवहारों का अध्ययन है जो समूहों के भीतर और समूहों के बीच घटित होती हैं। इसमें समूह निर्माण, नेतृत्व, संचार, निर्णय लेना, संघर्ष और परिवर्तन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कर्ट लेविन (Kurt Lewin) को समूह गतिशीलता के क्षेत्र का जनक माना जाता है। यह क्षेत्र समाजशास्त्र, मनोविज्ञान और प्रबंधन में महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत विशेषताएँ (a), लक्ष्यों की जटिलता (c) या केवल उद्भव और विकास (d) समूह गतिशीलता के केवल कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन मुख्य ध्यान समूह के आंतरिक कामकाज और अंतःक्रियाओं पर है।

प्रश्न 18: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, क्या परिवर्तन देखे गए हैं?

  1. पारंपरिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
  2. तर्कसंगतता, नौकरशाही और औद्योगीकरण में वृद्धि
  3. सामंती व्यवस्था की बहाली
  4. ग्राम-आधारित अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण एक जटिल सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है जिसमें तर्कसंगतता (rationality), वैज्ञानिक सोच, नौकरशाही (bureaucracy), औद्योगीकरण (industrialization), शहरीकरण (urbanization) और धर्मनिरपेक्षीकरण (secularization) जैसे तत्व शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में आधुनिकीकरण ने कृषि-आधारित, पारंपरिक समाजों को औद्योगिक और शहरी समाजों में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे सामाजिक संरचनाओं, मूल्यों और व्यवहारों में व्यापक परिवर्तन हुए हैं।
  • गलत विकल्प: पारंपरिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण (a) या सामंती व्यवस्था की बहाली (c) आधुनिकीकरण के विपरीत हैं। ग्राम-आधारित अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार (d) भी इसके विपरीत है।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) से तात्पर्य है:

  1. व्यक्तियों का एक समूह
  2. समाज के विभिन्न भागों या संस्थाओं के बीच अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी पैटर्न या संबंध
  3. समाज के सभी सांस्कृतिक मूल्य
  4. समाज की भौतिक बनावट

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संरचना समाज के उन स्थायी और व्यवस्थित पैटर्न को संदर्भित करती है जो संस्थाओं (जैसे परिवार, राज्य, अर्थव्यवस्था) और सामाजिक संबंधों (जैसे वर्ग, जाति, लिंग) से निर्मित होते हैं। यह समाज के संचालन को आकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और लेवी-स्ट्रॉस जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना पर महत्वपूर्ण काम किया है। यह समाज के “कंकाल” की तरह है जो व्यक्तियों के व्यवहारों और अंतःक्रियाओं को निर्देशित करता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तियों का समूह (a) एक समाज का निर्माण करता है, लेकिन संरचना स्वयं इन व्यक्तियों के बीच के संबंधों का ढाँचा है। सांस्कृतिक मूल्य (c) संरचना का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन संरचना अधिक व्यापक है। भौतिक बनावट (d) सामाजिक संरचना का हिस्सा नहीं है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा **टैल्कोट पार्सन्स** (Talcott Parsons) द्वारा विकसित की गई है?

  1. अनॉमी (Anomie)
  2. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  3. एजील (AGIL) मॉडल
  4. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: टैल्कोट पार्सन्स, एक प्रमुख संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावादी, ने समाज को चार आवश्यक प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने वाली एक प्रणाली के रूप में देखा। उन्होंने इसे **AGIL** मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency/Pattern Maintenance) के रूप में प्रस्तुत किया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मॉडल समाज के विभिन्न उप-प्रणालियों (जैसे अर्थव्यवस्था, राजनीति, समुदाय, संस्कृति) को इन चार प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में उनकी भूमिका के आधार पर वर्गीकृत करता है।
  • गलत विकल्प: अनॉमी (a) दुर्खीम से संबंधित है। संघर्ष सिद्धांत (b) मार्क्स और अन्य से जुड़ा है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (d) मीड, ब्लूमर जैसे विचारकों से जुड़ा है।

प्रश्न 21: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता प्रमुख है?

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि
  2. शहरों की ओर बड़े पैमाने पर प्रवास और शहरों का विस्तार
  3. कृषि गतिविधियों में वृद्धि
  4. पारंपरिक जीवन शैली का प्रभुत्व

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: शहरीकरण मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर जनसंख्या के बड़े पैमाने पर प्रवास और इसके परिणामस्वरूप शहरों के भौगोलिक और जनसांख्यिकीय विस्तार की प्रक्रिया है। यह अक्सर औद्योगीकरण और आर्थिक अवसरों में वृद्धि से जुड़ा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: शहरीकरण जीवन शैली, सामाजिक संबंधों, संस्थानों और सांस्कृतिक मूल्यों में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है।
  • गलत विकल्प: ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि (a) शहरीकरण का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक अलग घटना हो सकती है। कृषि गतिविधियों में वृद्धि (c) या पारंपरिक जीवन शैली का प्रभुत्व (d) शहरीकरण के विपरीत या अप्रभावी हो सकते हैं।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सामाजिक अनुसंधान के लिए एक **गुणात्मक विधि** (Qualitative Method) नहीं है?

  1. गहन साक्षात्कार (In-depth Interview)
  2. फोकस समूह चर्चा (Focus Group Discussion)
  3. मामला अध्ययन (Case Study)
  4. जनगणना (Census)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुणात्मक विधियाँ सामाजिक घटनाओं के ‘अर्थ’, ‘अनुभव’ और ‘समझ’ पर ध्यान केंद्रित करती हैं, अक्सर गैर-संख्यात्मक डेटा का उपयोग करके। गहन साक्षात्कार, फोकस समूह और मामला अध्ययन सभी गुणात्मक विधियों के उदाहरण हैं। जनगणना (Census) मुख्य रूप से एक मात्रात्मक (Quantitative) विधि है, जो बड़ी आबादी के बारे में जनसांख्यिकीय और अन्य संख्यात्मक डेटा एकत्र करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक अनुसंधान अक्सर ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का पता लगाने का प्रयास करता है, जबकि मात्रात्मक अनुसंधान ‘कितना’ और ‘कितनी बार’ पर केंद्रित होता है।
  • गलत विकल्प: साक्षात्कार, फोकस समूह और मामला अध्ययन मुख्य रूप से गुणात्मक डेटा प्राप्त करते हैं। जनगणना एक बड़े पैमाने पर मात्रात्मक डेटा संग्रह का कार्य है।

प्रश्न 23: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) सिद्धांत के अनुसार, समाज का निर्माण कैसे होता है?

  1. बड़े पैमाने की सामाजिक संरचनाओं द्वारा
  2. व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं में निर्मित अर्थों और प्रतीकों के माध्यम से
  3. भौतिक और आर्थिक शक्तियों द्वारा
  4. राज्य द्वारा अधिरोपित नियमों द्वारा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मानना है कि समाज व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं के माध्यम से लगातार निर्मित और पुनर्निर्मित होता है। इस अंतःक्रिया में, लोग प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) का उपयोग करके अर्थ बनाते हैं और साझा करते हैं, जो उनके व्यवहार और सामाजिक वास्तविकता को आकार देते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हर्बर्ट ब्लूमर इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रस्तावक थे। वे आत्म (self), समाज और स्वयं के निर्माण में प्रतीकों की भूमिका पर जोर देते थे।
  • गलत विकल्प: यह बड़े पैमाने की संरचनाओं (a), भौतिक/आर्थिक शक्तियों (c) या राज्य के नियमों (d) पर उतना जोर नहीं देता जितना कि व्यक्ति-से-व्यक्ति की अंतःक्रिया और अर्थ-निर्माण पर।

प्रश्न 24: भारतीय समाज में, ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की संरचना की प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. विवाह के बाद नव-स्थानांतरण (Neolocal residence)
  2. एक छत के नीचे कई पीढ़ियों का एक साथ रहना और संपत्ति का साझा स्वामित्व
  3. पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चों का छोटा परिवार
  4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अत्यधिक जोर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: संयुक्त परिवार भारतीय समाज की एक पारंपरिक और प्रमुख संस्था है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि इसमें एक छत के नीचे तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य (दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे) एक साथ रहते हैं, एक सामान्य रसोई साझा करते हैं, और अक्सर संपत्ति का साझा स्वामित्व और एक आम मुखिया होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: आई.पी. देसाई और अन्य समाजशास्त्रियों ने संयुक्त परिवार के बदलते स्वरूप पर भी प्रकाश डाला है। यह परिवार के सदस्यों के बीच मजबूत बंधन, पारस्परिक समर्थन और साझा जिम्मेदारी का प्रतीक है।
  • गलत विकल्प: नव-स्थानांतरण (a) छोटे परिवार की विशेषता है। पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चों का छोटा परिवार (c) ‘नाभिकीय परिवार’ (Nuclear Family) है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अत्यधिक जोर (d) संयुक्त परिवार की तुलना में नाभिकीय परिवार की विशेषता हो सकती है।

प्रश्न 25: सामाजिक अनुसंधान में ‘साहित्य समीक्षा’ (Literature Review) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. अपने शोध विषय पर वर्तमान ज्ञान की सीमा को समझना और शोध अंतराल (research gap) की पहचान करना
  2. अपने शोध को दूसरों से अलग बनाना
  3. केवल पुराने विद्वानों के विचारों को सूचीबद्ध करना
  4. अपने डेटा संग्रह को अंतिम रूप देना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: साहित्य समीक्षा शोधकर्ता को अपने चुने हुए विषय पर पहले से किए गए अध्ययनों, सिद्धांतों और निष्कर्षों से परिचित कराती है। इससे शोध को एक सैद्धांतिक आधार मिलता है, मौजूदा ज्ञान में कमियों (शोध अंतराल) की पहचान होती है, और शोधकर्ता अपने अध्ययन को उसी संदर्भ में स्थापित कर पाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शोध प्रश्न (research question) और परिकल्पना (hypothesis) को परिष्कृत करने में भी मदद करती है।
  • गलत विकल्प: दूसरों से अलग बनाना (b) एक परिणाम हो सकता है, लेकिन मुख्य उद्देश्य ज्ञान की समझ है। पुराने विद्वानों के विचारों को सूचीबद्ध करना (c) केवल एक हिस्सा है, और यह वर्तमान साहित्य को भी शामिल करता है। डेटा संग्रह को अंतिम रूप देना (d) साहित्य समीक्षा के बाद का चरण है।

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