समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज का अभ्यास प्रश्नोत्तरी
तैयारी को धार देने के लिए तैयार हो जाइए! यह दैनिक प्रश्नोत्तरी आपकी समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, विचारकों और भारतीय समाज की जटिलताओं पर पकड़ को मजबूत करने का एक अनूठा अवसर है। आइए, अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता को परखें और ज्ञान के क्षितिज का विस्तार करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को किसने समाज के विभिन्न भागों के बीच स्थिर और अंतर्संबंधित संबंधों के रूप में परिभाषित किया है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- टैल्कॉट पार्सन्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक संरचना को समाज के विभिन्न उप-प्रणालियों (जैसे अर्थव्यवस्था, राजनीति, परिवार) के बीच अपेक्षाकृत स्थायी और अंतर्संबंधित संबंधों के एक प्रतिमान (pattern) के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण (Structural-Functionalism) के प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में संरचनाओं की भूमिका पर जोर दिया। उनकी कृति ‘द सोशल सिस्टम’ (The Social System) में यह अवधारणा विस्तृत है।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स के लिए सामाजिक संरचना का आधार आर्थिक व्यवस्था और वर्ग संघर्ष था। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (social solidarity) और सामूहिक चेतना (collective consciousness) पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया (social action) और उसके अर्थों को समझने पर बल दिया।
प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति व्यक्ति को सामाजिक मानदंडों और मूल्यों से अलग-थलग महसूस कराती है, जिससे अपराध और आत्महत्या की दर बढ़ सकती है?
- अभिजात्य वर्ग (Elitism)
- एकीकरण (Integration)
- अनियंत्रण (Anomie)
- अविभेदीकरण (De-differentiation)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अनियंत्रण’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग उस सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज के सदस्य अपने कार्यों को निर्देशित करने वाले कोई स्पष्ट सामाजिक मानदंड या नियम नहीं पाते हैं। यह सामाजिक विघटन और दिशाहीनता की स्थिति है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में अन्यायोचित (anomic) आत्महत्या की चर्चा की है, जो सामाजिक नियमों के टूटने या कमजोर पड़ने के कारण होती है।
- अincorrect विकल्प: ‘एकीकरण’ (Integration) का संबंध समाज से जुड़ाव से है, जो अनियंत्रण के विपरीत है। ‘अभिजात्य वर्ग’ सामाजिक स्तरीकरण का एक पहलू है, और ‘अविभेदीकरण’ समाजशास्त्रीय रूप से एक प्रमुख अवधारणा नहीं है।
प्रश्न 3: ‘सत्यापन’ (Verstehen) की पद्धति, जिसका अर्थ है कि समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों को समझना चाहिए, किस विचारक से जुड़ी है?
- इमाइल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- जी.एच. मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘सत्यापन’ (Verstehen) या ‘समझ’ को समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय पद्धति के रूप में प्रस्तावित किया। इसका उद्देश्य केवल सामाजिक घटनाओं का अवलोकन करना नहीं, बल्कि उन लोगों के दृष्टिकोण को समझना है जो इन घटनाओं में भाग लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि सामाजिक विज्ञानों को प्राकृतिक विज्ञानों से भिन्न होना चाहिए क्योंकि वे मानवीय क्रियाओं के अर्थों से संबंधित हैं। यह अवधारणा उनकी ‘व्याख्यात्मक समाजशास्त्र’ (Interpretive Sociology) का मूल है।
- अincorrect विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों के वस्तुनिष्ठ अध्ययन पर जोर दिया। मार्क्स ने ऐतिहासिक भौतिकवाद और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। जी.एच. मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख विचारक थे, जिनका फोकस सामाजिक मनोविज्ञान पर अधिक था।
प्रश्न 4: भारतीय समाज में ‘सांस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाने की प्रक्रिया है, किसने प्रतिपादित की?
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- एम.एन. श्रीनिवास
- ई.जे. थॉमसन
- एस.सी. रॉय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने ‘सांस्कृतिकरण’ शब्द को गढ़ा। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जातियों या जनजातियाँ उच्च जातियों की जीवनशैली, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा को पहली बार अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत किया था। यह भारतीय समाज में गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है।
- अincorrect विकल्प: सुरेंद्रनाथ बनर्जी एक राष्ट्रवादी नेता थे। ई.जे. थॉमसन एक ब्रिटिश इतिहासकार थे, और एस.सी. रॉय एक मानवविज्ञानी थे जिन्होंने भारतीय जनजातियों पर काम किया, लेकिन सांस्कृतिकरण की अवधारणा से सीधे तौर पर नहीं जुड़े थे।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की विशेषता नहीं है?
- आमने-सामने का संबंध
- निकट और स्थायी संबंध
- सदस्यों के बीच ‘हम’ की भावना
- औपचारिकता और अलगाव
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्राथमिक समूह (जैसे परिवार, मित्र मंडली) की विशेषताएँ हैं – आमने-सामने का संबंध, सदस्यों के बीच निकटता, भावनात्मक जुड़ाव, ‘हम’ की भावना और दीर्घकालिक संबंध। ‘औपचारिकता और अलगाव’ द्वितीयक समूहों (Secondary Groups) की विशेषताएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स कूले (Charles Cooley) ने प्राथमिक समूह की अवधारणा को विकसित किया, जो उन्होंने अपनी पुस्तक ‘सोशल ऑर्गनाइजेशन’ (Social Organization) में प्रस्तुत की थी।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी प्राथमिक समूहों की विशिष्ट विशेषताएँ हैं। विकल्प (d) ‘औपचारिकता और अलगाव’ द्वितीयक समूहों का वर्णन करता है, जो उद्देश्य-उन्मुख होते हैं और उनमें भावनात्मक जुड़ाव कम होता है।
प्रश्न 6: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज में श्रमिकों के बढ़ते अलगाव (Alienation) के चार मुख्य रूपों की पहचान की। निम्नलिखित में से कौन सा इनमें शामिल नहीं है?
- उत्पाद से अलगाव
- उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव
- अपने श्रम के सार (Essence of Labour) से अलगाव
- सरकार से अलगाव
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक परिवर्तन की एक ‘अभिजन-प्रेरित’ (Elite-Driven) या ‘शीर्ष-नीचे’ (Top-Down) प्रक्रिया का उदाहरण है?
- जन आंदोलन
- सामुदायिक लामबंदी
- सरकारी नीतियां और सुधार
- गांवों में परंपराओं का प्रसार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सरकारी नीतियां और सुधार, जो अक्सर अभिजात वर्ग या शासक वर्ग द्वारा शुरू किए जाते हैं, सामाजिक परिवर्तन की ‘शीर्ष-नीचे’ (Top-Down) प्रक्रिया का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यह परिवर्तन ऊपर से नीचे की ओर निर्देशित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, जन आंदोलन और सामुदायिक लामबंदी ‘नीचे-ऊपर’ (Bottom-Up) परिवर्तन की प्रक्रियाएँ हैं, जो आम लोगों द्वारा शुरू की जाती हैं।
- अincorrect विकल्प: जन आंदोलन, सामुदायिक लामबंदी और परंपराओं का प्रसार (यदि यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है) अक्सर जमीनी स्तर से शुरू होने वाले परिवर्तन के रूप होते हैं।
प्रश्न 8: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से आप क्या समझते हैं?
- समाज के सदस्यों के बीच अंतर-व्यक्तिगत संबंध
- समाज को असमान स्तरों या परतों में व्यवस्थित करना
- सामाजिक समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा
- सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों को उनकी शक्ति, धन, प्रतिष्ठा या अन्य सामाजिक पुरस्कारों के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करता है। यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है।
- संदर्भ और विस्तार: विभिन्न समाजशास्त्री जैसे कार्ल मार्क्स (वर्ग पर आधारित), मैक्स वेबर (वर्ग, दर्जा, शक्ति), और किग्सले डेविस व विल्बर्ट मूर (कार्यात्मक सिद्धांत) ने स्तरीकरण के विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) अंतर-व्यक्तिगत संबंध सामाजिक संपर्क का हिस्सा हैं। (c) प्रतिस्पर्धा सामाजिक क्रिया का एक रूप है, न कि स्तरीकरण। (d) सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन विचलन (deviance) कहलाता है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के सामाजिक प्रभाव से संबंधित है?
- ग्रामीण जीवन का सुदृढ़ीकरण
- पारिवारिक संरचना में परिवर्तन (जैसे, विस्तारित परिवार से एकल परिवार की ओर)
- जाति व्यवस्था की बढ़ती प्रासंगिकता
- धार्मिक अंधविश्वासों में वृद्धि
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: औद्योगीकरण के कारण बड़े पैमाने पर शहरीकरण होता है, लोग रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर प्रवास करते हैं। इससे पारंपरिक विस्तारित परिवारों का विघटन होता है और एकल परिवारों (Nuclear Families) का उदय होता है।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण के अन्य सामाजिक प्रभावों में शहरीकरण, वर्ग संरचना में परिवर्तन, पश्चिमीकरण, धर्मनिरपेक्षता में वृद्धि और व्यक्तिगतवाद का उदय शामिल हैं।
- अincorrect विकल्प: औद्योगीकरण ग्रामीण जीवन को कमजोर करता है, जाति व्यवस्था की प्रासंगिकता को अक्सर कम करता है (हालांकि यह जटिल है), और धार्मिक अंधविश्वासों में कमी लाता है क्योंकि धर्मनिरपेक्षता बढ़ती है।
प्रश्न 10: ‘संस्था’ (Institution) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक संस्था’ का उदाहरण है?
- एक राजनीतिक दल
- एक स्थानीय क्रिकेट क्लब
- पारिवारिक व्यवस्था
- एक ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एक सामाजिक संस्था (Social Institution) समाज में कुछ मूलभूत आवश्यकताओं या कार्यों को पूरा करने के लिए स्थापित और व्यापक रूप से स्वीकृत नियमों, विधियों और प्रथाओं का एक स्थायी समूह है। परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था और सरकार प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएँ सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- अincorrect विकल्प: एक राजनीतिक दल, एक क्रिकेट क्लब और एक ऑनलाइन वेबसाइट समूह या संगठन हो सकते हैं, लेकिन वे समाज में मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने वाली व्यापक और स्थायी सामाजिक संस्थाओं के समान नहीं हैं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के उन्मूलन से संबंधित संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन है?
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 किसी भी रूप में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के अभ्यास को प्रतिबंधित करता है और इसके किसी भी रूप में प्रकटीकरण को कानून द्वारा दंडनीय अपराध घोषित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद भारतीय समाज में ऐतिहासिक रूप से व्याप्त भेदभाव को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उपकरण है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करता है। जबकि ये सभी सामाजिक समानता से संबंधित हैं, अस्पृश्यता के विशेष निषेध का उल्लेख अनुच्छेद 17 में है।
प्रश्न 12: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ और संस्थान
- सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने वाले कार्य
- व्यक्ति एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं और प्रतीकों के माध्यम से अर्थ कैसे बनाते हैं
- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य है जो इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं, और कैसे वे भाषा, हाव-भाव और अन्य प्रतीकों का उपयोग करके अर्थ बनाते और साझा करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead), हर्बर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) और इरविंग गॉफमैन (Erving Goffman) इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रस्तावक हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) बड़े पैमाने पर संरचनाओं का अध्ययन प्रकार्यवाद (Functionalism) और संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) द्वारा किया जाता है। (b) सामाजिक व्यवस्था के कार्यों का अध्ययन प्रकार्यवाद से जुड़ा है। (d) आर्थिक कारणों पर मार्क्सवादी सिद्धांत ध्यान केंद्रित करते हैं।
प्रश्न 13: भारतीय समाज में ‘पैट्रिआर्की’ (Patriarchy) से क्या तात्पर्य है?
- पितृसत्तात्मक वंशानुक्रम
- समाज में पुरुषों का वर्चस्व और सत्ता
- पिता द्वारा परिवार का संचालन
- पुरुषों और महिलाओं के बीच समान अधिकार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पैट्रिआर्की (पितृसत्ता) एक सामाजिक व्यवस्था है जिसमें पुरुष, विशेष रूप से पिता या वरिष्ठ पुरुष, सत्ता के प्रमुख होते हैं, महिलाओं पर प्रभुत्व रखते हैं, और सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था पर उनका नियंत्रण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक व्यापक सामाजिक संरचना है जो विभिन्न समाजों में भिन्न-भिन्न रूपों में मौजूद है और महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह को जन्म देती है।
- अincorrect विकल्प: (a) पितृसत्तात्मक वंशानुक्रम (Patrilineal inheritance) पैट्रिआर्की का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह स्वयं पैट्रिआर्की नहीं है। (c) पिता द्वारा परिवार का संचालन (Patriarchal family) एक विशेष प्रकार का परिवार है, जबकि पैट्रिआर्की इससे कहीं अधिक व्यापक अवधारणा है। (d) यह पैट्रिआर्की के बिल्कुल विपरीत है।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- समाज के बारे में केवल सैद्धांतिक ज्ञान उत्पन्न करना
- सामाजिक घटनाओं का व्यवस्थित रूप से अध्ययन करके ज्ञान का विस्तार करना और सिद्धांतों को विकसित या परीक्षण करना
- व्यक्तिगत राय और मान्यताओं को बढ़ावा देना
- राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक अनुसंधान का प्राथमिक उद्देश्य सामाजिक दुनिया को समझना है। यह सामाजिक घटनाओं का व्यवस्थित अध्ययन करके नए ज्ञान की खोज करता है, मौजूदा सिद्धांतों का परीक्षण करता है, और नए सिद्धांतों को विकसित करने में मदद करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुसंधान गुणात्मक (qualitative) या मात्रात्मक (quantitative) हो सकता है और इसका उपयोग सामाजिक समस्याओं को हल करने या सामाजिक नीतियों को सूचित करने के लिए भी किया जा सकता है।
- अincorrect विकल्प: केवल सैद्धांतिक ज्ञान (a) अनुसंधान का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह एकमात्र उद्देश्य नहीं है। व्यक्तिगत राय (c) और राजनीतिक एजेंडा (d) वस्तुनिष्ठ अनुसंधान के विपरीत हैं।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संस्कृति’ (Culture) का एक गैर-भौतिक (Non-material) पहलू है?
- कपड़े
- भोजन
- मान्यताएँ (Beliefs)
- इमारतें
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संस्कृति के दो मुख्य पहलू होते हैं: भौतिक संस्कृति (Material Culture) और गैर-भौतिक संस्कृति (Non-material Culture)। गैर-भौतिक संस्कृति में वे सभी अमूर्त तत्व शामिल होते हैं जो किसी समाज के सदस्य साझा करते हैं, जैसे कि विश्वास, मूल्य, मानदंड, भाषा, ज्ञान और कला।
- संदर्भ और विस्तार: कपड़े, भोजन और इमारतें भौतिक संस्कृति के उदाहरण हैं, जिन्हें देखा और छुआ जा सकता है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) भौतिक संस्कृति के उदाहरण हैं। मान्यताएँ (c) अमूर्त हैं और गैर-भौतिक संस्कृति का हिस्सा हैं।
प्रश्न 16: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) के दो मुख्य रूपों का वर्णन किया है। इनमें से कौन सा रूप आदिम या पारंपरिक समाजों में पाया जाता है?
- यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
- जैविक एकजुटता (Organic Solidarity)
- प्रतीकात्मक एकजुटता (Symbolic Solidarity)
- आर्थिक एकजुटता (Economic Solidarity)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम के अनुसार, यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity) आदिम या पारंपरिक समाजों में पाई जाती है, जहाँ लोगों के बीच समानता, समान विश्वास और मूल्य होते हैं, और श्रम का विभाजन बहुत कम होता है। यह सामूहिक चेतना (collective consciousness) पर आधारित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में, दुर्खीम ने तर्क दिया कि आधुनिक, औद्योगिक समाजों में, श्रम के उच्च विभाजन के कारण ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) विकसित होती है, जो अंतर-निर्भरता पर आधारित होती है।
- अincorrect विकल्प: जैविक एकजुटता आधुनिक समाजों की विशेषता है। प्रतीकात्मक और आर्थिक एकजुटता दुर्खीम द्वारा परिभाषित प्रकार नहीं हैं।
प्रश्न 17: ‘भूमिका पुंज’ (Role Set) की अवधारणा किसने विकसित की, जो एक व्यक्ति द्वारा विभिन्न सामाजिक स्थितियों में निभाई जाने वाली भूमिकाओं के संग्रह का वर्णन करती है?
- इर्विंग गॉफमैन
- रॉबर्ट मर्टन
- चार्ल्स कूले
- एच. एच. ब्लाउ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने ‘भूमिका पुंज’ (Role Set) की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति किसी एकल ‘सामाजिक स्थिति’ (Social Status) से जुड़ी विभिन्न भूमिकाएँ निभाता है, और इन भूमिकाओं के संग्रह को भूमिका पुंज कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक शिक्षक की भूमिका पुंज में छात्रों के प्रति भूमिका, सहकर्मियों के प्रति भूमिका, प्रशासकों के प्रति भूमिका आदि शामिल हो सकती हैं।
- अincorrect विकल्प: इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) का सिद्धांत दिया। चार्ल्स कूले ने ‘प्राथमिक समूह’ की अवधारणा दी। एच.एच. ब्लाउ ने सामाजिक विनिमय (Social Exchange) के सिद्धांत पर काम किया।
प्रश्न 18: भारतीय समाज में ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) का मुख्य उद्देश्य क्या रहा है?
- किसानों की संख्या बढ़ाना
- कृषि उत्पादकता कम करना
- कृषि में असमानता को कम करना और कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार करना
- भूमि का निजीकरण बढ़ाना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारत में भूमि सुधारों का प्राथमिक लक्ष्य ऐतिहासिक रूप से भूमि के वितरण में व्याप्त असमानता को दूर करना, बिचौलियों (जैसे जमींदार) को समाप्त करना, काश्तकारों को स्वामित्व प्रदान करना और कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार करना रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: स्वतंत्रता के बाद से, भारत सरकार ने चकबंदी, भूमि हदबंदी (land ceiling), और पट्टेदारी सुधार जैसे विभिन्न भूमि सुधारों को लागू करने का प्रयास किया है।
- अincorrect विकल्प: भूमि सुधारों का उद्देश्य किसानों की संख्या बढ़ाना (a) या कृषि उत्पादकता कम करना (b) नहीं है। भूमि का निजीकरण बढ़ाना (d) भी इसका सीधा उद्देश्य नहीं है, बल्कि अक्सर भूमि के पुनर्वितरण पर जोर दिया जाता है।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संबंध
- सामाजिक समस्याओं के समाधान के तरीके
- समुदायों के बीच विचारों का आदान-प्रदान
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह का उसकी वर्तमान सामाजिक स्थिति से भिन्न सामाजिक स्थिति में संक्रमण है। यह ऊर्ध्वाधर (vertical – ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (horizontal – एक ही स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता किसी समाज में अवसर की समानता और सामाजिक न्याय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
- अincorrect विकल्प: (b), (c), और (d) सामाजिक गतिशीलता की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी ‘आधुनिकता’ (Modernity) की विशेषता नहीं है?
- वैज्ञानिक तर्क और प्रगति पर विश्वास
- शहरीकरण और औद्योगीकरण
- पारंपरिक संस्थाओं (जैसे धर्म, परिवार) का बढ़ता महत्व
- धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आधुनिकता पारंपरिक समाजों से भिन्न होती है, जहाँ वैज्ञानिक तर्क, तर्कवाद, औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद का उदय होता है। इसके विपरीत, आधुनिकता में अक्सर पारंपरिक संस्थाओं (जैसे धर्म और परिवार) का महत्व घटता है, न कि बढ़ता है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकता को अक्सर उत्तर-औद्योगिक समाज (post-industrial society) और उत्तर-आधुनिकता (post-modernity) से अलग करके देखा जाता है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) सभी आधुनिकता की प्रमुख विशेषताएँ हैं। (c) पारंपरिक संस्थाओं का बढ़ता महत्व आधुनिकता के बजाय पारंपरिक समाजों से अधिक जुड़ा है।
प्रश्न 21: ‘सामाजिक अनुसंधान के लिए नैतिकता’ (Ethics in Social Research) का क्या अर्थ है?
- शोधकर्ताओं को केवल अपने निष्कर्षों पर ध्यान देना चाहिए।
- उत्तरदाताओं की गोपनीयता, सहमति और कल्याण की सुरक्षा करना।
- शोध को यथासंभव गुप्त रखना।
- सिर्फ वही डेटा एकत्र करना जो शोधकर्ता के पूर्वाग्रहों का समर्थन करता हो।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक अनुसंधान में नैतिकता का तात्पर्य है कि शोधकर्ताओं को अपने अध्ययन में शामिल व्यक्तियों की गरिमा, गोपनीयता, सूचित सहमति (informed consent) और कल्याण की रक्षा करनी चाहिए। उन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँचाने से बचना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि अनुसंधान प्रक्रिया मानवीय और सम्मानजनक हो।
- अincorrect विकल्प: (a) केवल निष्कर्षों पर ध्यान देना अनैतिक है। (c) शोध को गुप्त रखना (जब तक कि वह आवश्यक न हो) और (d) पक्षपातपूर्ण डेटा एकत्र करना अनैतिक प्रथाएं हैं।
प्रश्न 22: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद का अंततः उसके आंतरिक अंतर्विरोधों के कारण पतन होगा, और इसके स्थान पर एक नया समाज आएगा। इस नए समाज को क्या कहा जाता है?
- सामंतवाद (Feudalism)
- समाजवाद/साम्यवाद (Socialism/Communism)
- पूंजीवाद का पुनर्गठन
- सामूहिकवाद (Collectivism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने भविष्यवाणी की थी कि पूंजीवादी व्यवस्था में निहित वर्ग संघर्ष और शोषण अंततः क्रांति को जन्म देगा, जिससे पूंजीवाद का स्थान समाजवाद और अंततः साम्यवाद लेगा, जहाँ उत्पादन के साधनों पर सामूहिक स्वामित्व होगा और वर्गविहीन समाज होगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्सवादी सिद्धांत का केंद्रीय विचार है, जिसे उन्होंने ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) और ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto) जैसी रचनाओं में विस्तार से बताया है।
- अincorrect विकल्प: सामंतवाद पूंजीवाद से पहले की व्यवस्था थी। पूंजीवाद का पुनर्गठन (c) मार्क्स के विचार से भिन्न है, और सामूहिकवाद (d) एक व्यापक शब्द है जो साम्यवाद के समान नहीं है।
प्रश्न 23: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता नहीं है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- व्यवसाय का पारंपरिक निर्धारण
- छुआछूत और प्रदूषण की अवधारणा
- समान अवसर और गतिशीलता
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ हैं – कठोर स्तरीकरण, अंतर्विवाह (समान जाति में विवाह), व्यवसाय का पारंपरिक निर्धारण, छुआछूत और प्रदूषण की अवधारणा, और गतिशीलता का अभाव। ‘समान अवसर और गतिशीलता’ (Equal opportunity and mobility) जाति व्यवस्था की विशेषता नहीं है, बल्कि इसके विपरीत है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में जाति व्यवस्था सदियों से सामाजिक संगठन का आधार रही है, हालांकि आधुनिकता और संवैधानिक सुधारों ने इसमें बदलाव लाए हैं।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) जाति व्यवस्था की वास्तविक विशेषताएँ हैं। (d) समान अवसर और गतिशीलता आधुनिक, अधिक तरल समाजों की विशेषताएँ हैं, न कि पारंपरिक जाति व्यवस्था की।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) से क्या तात्पर्य है?
- समाज में व्यक्तियों का व्यवहार
- समाज द्वारा अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने और निर्देशित करने की प्रक्रिया
- सामाजिक परिवर्तन की गति
- सांस्कृतिक प्रसार की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक नियंत्रण उन तरीकों और प्रक्रियाओं का योग है जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को ऐसे तरीकों से निर्देशित करता है जो सामाजिक मानदंडों, नियमों और मूल्यों के अनुरूप हों। यह अनौपचारिक (जैसे सामाजिक दबाव, उपहास) या औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
- अincorrect विकल्प: (a) केवल व्यक्तियों का व्यवहार सामाजिक नियंत्रण नहीं है। (c) सामाजिक परिवर्तन सामाजिक नियंत्रण का परिणाम या लक्ष्य हो सकता है, लेकिन यह स्वयं नियंत्रण नहीं है। (d) सांस्कृतिक प्रसार संस्कृति के एक रूप से दूसरे रूप में जाने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा ‘ नगरीयता’ (Urbanism) की विशेषता है?
- सामूहिकता और घनिष्ठ सामुदायिक संबंध
- ज्यादातर कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था
- अजनबियों की बड़ी संख्या के साथ अनौपचारिक संबंध
- पारंपरिक मूल्यों और मानदंडों का प्रबल प्रभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: नगरीयता, या शहरी जीवन की विशेषताएँ, अक्सर बड़ी जनसंख्या घनत्व, विविधता, श्रम का उच्च विभाजन, और अजनबियों के साथ अधिक अनौपचारिक और सतही संबंध होती हैं। लुईस वर्थ (Louis Wirth) ने नगरीयता को ‘The Urbanism as a Way of Life’ में विस्तार से समझाया।
- संदर्भ और विस्तार: शहरी वातावरण में, लोग अक्सर अपने समुदाय से अधिक अलगाव महसूस कर सकते हैं, और संबंध कम घनिष्ठ होते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) सामूहिकता और घनिष्ठ संबंध ग्रामीण या छोटे समुदायों की विशेषताएँ हैं। (b) कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्थाएँ ग्रामीण होती हैं, शहरी नहीं। (d) पारंपरिक मूल्यों का प्रभाव शहरीकरण के साथ अक्सर कम हो जाता है।