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समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज का विशेष अभ्यास

समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज का विशेष अभ्यास

अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज की यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपके लिए समाजशास्त्र के विभिन्न महत्वपूर्ण सिद्धांतों, विचारकों और अवधारणाओं पर आधारित 25 अनूठे प्रश्न लेकर आई है। अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारें और जानें कि आप इस क्षेत्र में कहाँ खड़े हैं। आइए, आज के इस बौद्धिक अभ्यास का प्रारंभ करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य’ (Functional Perspective) के अनुसार, समाज को विभिन्न परस्पर निर्भर भागों से बना एक जटिल तंत्र माना जाता है। इस परिप्रेक्ष्य का समर्थन करने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: हरबर्ट स्पेंसर को अक्सर समाज के लिए एक ‘जैविक अनुरूपता’ (organic analogy) प्रस्तुत करने और सामाजिक विकास के जैविक सिद्धांतों को लागू करने के लिए जाना जाता है, जो कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य की नींव रखता है। उन्होंने समाज को एक ऐसे जीव के रूप में देखा जिसके विभिन्न अंग (संस्थाएँ) अपने-अपने कार्य (function) करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर का कार्य, विशेष रूप से उनकी कृति ‘Principles of Sociology’, ने सामाजिक विकास के एक विस्तृत सिद्धांत को प्रस्तुत किया। वेबर और मार्क्स मुख्य रूप से शक्ति, संघर्ष और सामाजिक क्रिया पर केंद्रित थे, जबकि दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और संस्थाओं के कार्यों पर जोर दिया, लेकिन स्पेंसर को कार्यात्मकता के शुरुआती समर्थकों में से एक माना जाता है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) के प्रमुख समर्थक थे। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और शक्ति पर ध्यान केंद्रित किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और सामूहिक चेतना पर काम किया, और उनके काम में कार्यात्मकता के तत्व थे, लेकिन स्पेंसर को अक्सर इस दृष्टिकोण के लिए अधिक सीधे तौर पर जोड़ा जाता है।

प्रश्न 2: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के संबंध में, किसने यह तर्क दिया कि यह समाज में शक्ति, विशेषाधिकार और प्रतिष्ठा के असमान वितरण का परिणाम है, जो अक्सर वर्गों के बीच संघर्ष को जन्म देता है?

  1. टालकॉट पार्सन्स
  2. कार्ल मार्क्स
  3. ई. क्रेटन कोलमैन
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक स्तरीकरण को उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर समाज के वर्गों में विभाजित होने के रूप में देखा। उनके अनुसार, यह विभाजन शोषण और वर्ग संघर्ष (class struggle) का मूल कारण है, जिससे समाज में असमानता बनी रहती है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का यह विचार उनके वर्ग सिद्धांत (Class Theory) का केंद्रीय तत्व है, जो उन्होंने अपनी प्रमुख रचनाओं जैसे ‘Das Kapital’ में प्रस्तुत किया। उन्होंने बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक) वर्गों के बीच ऐतिहासिक संघर्ष का वर्णन किया।
  • गलत विकल्प: टालकॉट पार्सन्स एक संरचनात्मक-कार्यात्मकतावादी (structural-functionalist) थे जिन्होंने स्तरीकरण को समाज के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक माना। मैक्स वेबर ने वर्ग, स्थिति (status) और शक्ति (party) के आधार पर स्तरीकरण की बहुआयामी समझ प्रस्तुत की। ई. क्रेटन कोलमैन एक समकालीन समाजशास्त्री हैं जिन्होंने सामाजिक संरचना पर काम किया है।

प्रश्न 3: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) या ‘समझ’ (Understanding) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो शोधकर्ताओं को सामाजिक क्रियाओं के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर बल देती है?

  1. ई. एम. हमीर
  2. मैक्स वेबर
  3. जी. एच. मीड
  4. रॉबर्ट ई. पार्क

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ की अवधारणा को विकसित किया, जिसका अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह के दृष्टिकोण से दुनिया को समझना। यह समाजशास्त्र को एक व्याख्यात्मक विज्ञान (interpretive science) बनाने का एक तरीका है, जो सामाजिक क्रियाओं के अर्थों को समझने पर केंद्रित है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र को सामाजिक क्रियाओं का अध्ययन करना चाहिए, और सामाजिक क्रिया को उसके व्यक्तिपरक अर्थ के अनुसार समझा जाना चाहिए। यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Economy and Society’ में विस्तार से बताई गई है।
  • गलत विकल्प: जी. एच. मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के एक प्रमुख विचारक हैं, जिन्होंने ‘सेल्फ’ (self) और ‘माइंड’ (mind) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से समझाया। ई. एम. हमीर समाजशास्त्रीय अनुसंधान विधियों पर काम करते हैं। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल के एक प्रभावशाली व्यक्ति थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र पर काम किया।

प्रश्न 4: भारतीय समाज में, ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के अध्ययन में एम. एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाकर सामाजिक गतिशीलता प्राप्त करने की प्रक्रिया।
  2. उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाना।
  3. शहरों की ओर प्रवास करने वाले ग्रामीण लोगों का शहरी संस्कृति में घुलना-मिलना।
  4. आधुनिकीकरण के कारण पारंपरिक संस्थाओं का कमजोर होना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया जिसमें निम्न जातियों के समूह (जैसे, निम्न वर्ण या आदिवासी समुदाय) उच्च जातियों, विशेष रूप से द्विजातियों (twice-born castes), के अनुष्ठानों, व्यवहारों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पेश की गई थी। संस्लेषण समाजीकरण का एक रूप है, जहां व्यक्ति या समूह उस सामाजिक स्थिति को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं जो उनसे उच्च मानी जाती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) इसका विपरीत है। विकल्प (c) ‘शहरीकरण’ (Urbanization) या ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) से संबंधित है। विकल्प (d) ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह संस्लेषण की सीधी परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 5: ‘अमी’ (Anomie) की अवधारणा, जिसका अर्थ है सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का क्षरण या अभाव, विशेष रूप से तीव्र सामाजिक परिवर्तन के समय, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. अगस्त कॉम्टे
  2. एमिल दुर्खीम
  3. हारॉल्ड गार्फिंकेल
  4. चार्ल्स एच. कूली

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अमी’ की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया, खासकर अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में। उनके अनुसार, जब सामाजिक नियम या तो अनुपस्थित होते हैं या कमजोर हो जाते हैं, तो व्यक्ति दिशाहीन और सामाजिक नियंत्रण से मुक्त महसूस करते हैं, जिससे अमी की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अमी को आत्महत्या के कारणों में से एक के रूप में पहचाना, विशेष रूप से ‘anomic suicide’ की श्रेणी में। यह तब होता है जब व्यक्ति को समाज से उचित रूप से एकीकृत या विनियमित महसूस नहीं होता है।
  • गलत विकल्प: अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘सामाजिक स्थति विज्ञान’ (social statics) और ‘सामाजिक गति विज्ञान’ (social dynamics) जैसी अवधारणाएं दीं। हारॉल्ड गार्फिंकेल ने ‘एथनोग्राफी’ (ethnomethodology) को विकसित किया, जो रोजमर्रा की जिंदगी में लोगों द्वारा बनाए गए अर्थों पर केंद्रित है। चार्ल्स एच. कूली ने ‘looking-glass self’ की अवधारणा दी।

प्रश्न 6: समाजशास्त्रीय सिद्धांत में, ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर होता है?

  1. सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं का समाज पर प्रभाव।
  2. सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में शक्ति और संघर्ष की भूमिका।
  3. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से अर्थ-निर्माण।
  4. समाज के विभिन्न भागों के परस्पर संबंध और उनके कार्य।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख विचारक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन हैं, इस बात पर जोर देता है कि व्यक्ति समाज को प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से सीखते हैं और इन प्रतीकों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं। इसी अंतःक्रिया से सामाजिक वास्तविकता का निर्माण होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: हर्बर्ट ब्लूमर ने इस दृष्टिकोण को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया। यह सिद्धांत व्यक्ति के आत्म (self) के विकास और सामाजिक व्यवहार को समझने के लिए सूक्ष्म (micro-level) विश्लेषण पर केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद से संबंधित है। विकल्प (b) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) से संबंधित है। विकल्प (d) भी संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद का हिस्सा है।

प्रश्न 7: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जिसे कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में पूंजीवादी समाज में श्रमिकों के अलगाव के चार रूपों (उत्पाद से, उत्पादन प्रक्रिया से, स्वयं से, और दूसरों से) का वर्णन करने के लिए उपयोग किया, किस पुस्तक में प्रमुखता से पाई जाती है?

  1. Das Kapital
  2. The German Ideology
  3. Economic and Philosophic Manuscripts of 1844
  4. The Communist Manifesto

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ (जिसे ‘पेरिस पांडुलिपियाँ’ भी कहा जाता है) में अलगाव की अवधारणा का गहराई से विश्लेषण किया। यहाँ उन्होंने पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक के अपने श्रम के उत्पाद, श्रम की क्रिया, अपनी प्रजाति-सार (species-essence) और अन्य मनुष्यों से अलगाव का वर्णन किया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक मार्क्स के शुरुआती विचारों को दर्शाती है और पूंजीवाद के मानवीय लागतों पर एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
  • गलत विकल्प: ‘Das Kapital’ पूंजीवादी उत्पादन के आर्थिक विश्लेषण पर केंद्रित है। ‘The German Ideology’ हेगेलियन दर्शन से मार्क्स के अलगाव की। ‘The Communist Manifesto’ राजनीतिक उद्घोषणा है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘पारिवारिक संस्था’ (Family Institution) के अध्ययन से संबंधित है, जो विभिन्न संस्कृतियों में विवाह, वंशानुक्रम और नातेदारी (kinship) के पैटर्न का वर्णन करती है?

  1. अभिजात्य वर्ग (Elite Class)
  2. अभिजात-तंत्र (Aristocracy)
  3. नातेदारी प्रणाली (Kinship System)
  4. सामाजिक विभेदन (Social Differentiation)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: नातेदारी प्रणाली (Kinship System) वह संरचना है जो विवाह, रक्त संबंध या गोद लेने से उत्पन्न होने वाले व्यक्तियों के बीच संबंधों को परिभाषित करती है। यह परिवार, वंश और उत्तराधिकार के नियमों को निर्धारित करती है, जो विभिन्न समाजों में परिवार संस्था के अध्ययन का एक मुख्य घटक है।
  • संदर्भ और विस्तार: मानवशास्त्री और समाजशास्त्री नातेदारी के विभिन्न प्रकारों, जैसे कि मातृवंशीय (matrilineal) और पितृवंशीय (patrilineal) प्रणालियों, का अध्ययन करते हैं ताकि यह समझा जा सके कि कैसे सामाजिक संरचनाएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार और समुदाय को व्यवस्थित करती हैं।
  • गलत विकल्प: अभिजात्य वर्ग और अभिजात-तंत्र विशेषाधिकार प्राप्त सामाजिक समूहों से संबंधित हैं। सामाजिक विभेदन विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच अंतर को दर्शाता है, लेकिन यह नातेदारी जितनी विशेष रूप से परिवार संस्था से नहीं जुड़ा है।

प्रश्न 9: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘नमूनाकरण’ (Sampling) का क्या महत्व है?

  1. यह सुनिश्चित करना कि अध्ययन में सभी इकाइयाँ शामिल हों।
  2. एक बड़ी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले छोटे उपसमूह का चयन करना।
  3. अनुसंधान के परिणामों को पूर्वाग्रह से मुक्त रखना।
  4. अनुसंधान की गति को धीमा करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: नमूनाकरण (Sampling) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी बड़ी जनसंख्या (population) का प्रतिनिधित्व करने के लिए उस जनसंख्या का एक छोटा, सुव्यवस्थित उपसमूह (sample) चुना जाता है। इसका उद्देश्य पूरी जनसंख्या का अध्ययन किए बिना ही जनसंख्या के बारे में निष्कर्ष निकालना है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रभावी नमूनाकरण यह सुनिश्चित करता है कि चयनित नमूना पूरी जनसंख्या के समान विशेषताओं को दर्शाता है, जिससे अनुसंधान के निष्कर्ष सामान्यीकृत (generalizable) हो सकें।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘जनगणना’ (census) का वर्णन करता है, जो पूरी जनसंख्या का अध्ययन है। जबकि पूर्वाग्रह से मुक्त रखना (c) अच्छे नमूनाकरण का लक्ष्य है, यह परिभाषा नहीं है। विकल्प (d) नमूनाकरण का उद्देश्य अक्सर दक्षता बढ़ाना है, गति धीमा करना नहीं।

प्रश्न 10: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

  1. किसी समाज में शक्ति का वितरण।
  2. व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर या एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना।
  3. सामाजिक संस्थाओं की भूमिका और कार्य।
  4. सामाजिक परिवर्तनों की दर।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों के सामाजिक पदानुक्रम (social hierarchy) में ऊपर या नीचे जाने, या समाज के भीतर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में स्थान परिवर्तन को दर्शाती है। इसमें ऊर्ध्वाधर (vertical) और क्षैतिज (horizontal) गतिशीलता दोनों शामिल हो सकती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, किसी गरीब परिवार में पैदा हुए व्यक्ति का अमीर बनना ऊर्ध्वाधर गतिशीलता है, जबकि एक डॉक्टर का वकील बनना क्षैतिज गतिशीलता हो सकती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) सामाजिक स्तरीकरण या शक्ति संरचना से संबंधित है। विकल्प (c) कार्यात्मकता या संस्थागत अध्ययन से है। विकल्प (d) सामाजिक परिवर्तन की गति से है।

प्रश्न 11: अगस्त कॉम्टे, जिन्हें समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, ने समाज को समझने के लिए किस ‘तीन अवस्थाओं’ (Law of Three Stages) का सिद्धांत प्रतिपादित किया?

  1. धार्मिक, औद्योगिक, तकनीकी
  2. धार्मिक, अमूर्त/तात्विक, प्रत्यक्ष/वैज्ञानिक
  3. सामंतवाद, पूंजीवाद, समाजवाद
  4. आदिम, पारंपरिक, आधुनिक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कॉम्टे के ‘तीन अवस्थाओं के नियम’ के अनुसार, मानव विचार और समाज तीन प्रमुख अवस्थाओं से गुजरते हैं: 1. धार्मिक या काल्पनिक अवस्था (Theological/Fictitious Stage), जहाँ अलौकिक शक्तियों को घटनाओं का कारण माना जाता है; 2. अमूर्त या तात्विक अवस्था (Metaphysical Stage), जहाँ प्राकृतिक शक्तियों को अमूर्त सत्ताओं के रूप में माना जाता है; और 3. प्रत्यक्ष या वैज्ञानिक अवस्था (Positive/Scientific Stage), जहाँ वैज्ञानिक अवलोकन और तर्क के आधार पर घटनाओं की व्याख्या की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत कॉम्टे के ‘Cours de Philosophie Positive’ (Course of Positive Philosophy) में प्रस्तुत किया गया है और समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने की उनकी दृष्टि का आधार था।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक विकास या राजनीतिक-आर्थिक व्यवस्थाओं के अन्य सिद्धांतों से संबंधित हैं।

प्रश्न 12: ‘पूँजीवाद’ (Capitalism) की आलोचना में, मैक्स वेबर ने किस अवधारणा का प्रयोग किया, जिसमें यह तर्क दिया गया कि प्रोटेस्टेंट नैतिकता (विशेष रूप से जेसुइटवाद और केल्विनवाद) ने आधुनिक पूँजीवादी व्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?

  1. ‘कठोर संभ्रांतवाद’ (Iron Cage)
  2. ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization)
  3. ‘नैतिक सापेक्षवाद’ (Moral Relativism)
  4. ‘प्रबोधन’ (Enlightenment)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने अपनी कृति ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ में तर्कसंगतता (Rationalization) की व्यापक प्रक्रिया पर प्रकाश डाला, जो आधुनिक पश्चिमी समाज की विशेषता है। उन्होंने विशेष रूप से तर्कसंगत, कुशल और व्यवस्थित विधियों (जैसे पूंजीवादी उद्यम) के बढ़ते प्रभुत्व पर ध्यान केंद्रित किया, जिसे उन्होंने प्रोटेस्टेंट नैतिकता के उदय से जोड़ा।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के लिए, तर्कसंगतता का अर्थ पारंपरिक, भावनात्मक या अलौकिक तरीकों के बजाय नियमों, दक्षता और गणना पर आधारित कार्रवाई और संगठन का प्रभुत्व था।
  • गलत विकल्प: ‘कठोर संभ्रांतवाद’ (Iron Cage) एक ऐसी स्थिति का वर्णन करता है जहाँ तर्कसंगतता व्यक्तियों को जकड़ लेती है। ‘नैतिक सापेक्षवाद’ नैतिक सत्य की सार्वभौमिकता को नकारता है। ‘प्रबोधन’ एक ऐतिहासिक काल है।

प्रश्न 13: भारतीय समाज में, ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा, जो राज्य को धार्मिक मामलों से अलग रखने और सभी धर्मों को समान सम्मान देने पर जोर देती है, की व्याख्या किस प्रकार की जाती है?

  1. सभी नागरिकों को एक धर्म मानने के लिए बाध्य करना।
  2. धार्मिक संस्थानों को सरकारी नियंत्रण में लेना।
  3. राज्य और धर्म के बीच अलगाव और सभी धर्मों के प्रति तटस्थता।
  4. धर्म को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह समाप्त कर देना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है राज्य का किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार न करना, सभी धर्मों को समान रूप से मानना और उनकी रक्षा करना, और धार्मिक मामलों में राज्य का हस्तक्षेप न करना (जब तक कि वे सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य को प्रभावित न करें)। यह राज्य और धर्म के बीच अलगाव और तटस्थता का सिद्धांत है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता को एक मूल सिद्धांत के रूप में स्थापित करता है। यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से भिन्न है जहाँ चर्च और राज्य के बीच अधिक स्पष्ट अलगाव है; भारत में, राज्य धर्म के साथ अधिक सक्रिय रूप से जुड़ सकता है ताकि सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प धर्मनिरपेक्षता के विपरीत अर्थों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 14: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘मानदंड’ (Norms) क्या भूमिका निभाते हैं?

  1. वे समाज के ऐतिहासिक विकास की व्याख्या करते हैं।
  2. वे व्यक्तियों के लिए अपेक्षित व्यवहार के नियम और अपेक्षाएँ निर्धारित करते हैं।
  3. वे सामाजिक संस्थाओं के मूल सिद्धांतों को बताते हैं।
  4. वे सामाजिक परिवर्तन के कारणों का विश्लेषण करते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक मानदंड (Social Norms) किसी विशेष समाज या समूह में स्वीकृत और अपेक्षित व्यवहार के नियम या दिशानिर्देश होते हैं। ये हमें बताते हैं कि क्या स्वीकार्य है और क्या नहीं, और अक्सर इन मानदंडों का पालन करने के लिए सामाजिक दबाव (जैसे स्वीकृति या दंड) होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मानदंड अनौपचारिक (जैसे शिष्टाचार) या औपचारिक (जैसे कानून) हो सकते हैं। वे सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने और लोगों के व्यवहार का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) इतिहासशास्त्र का विषय है। विकल्प (c) संस्थागत सिद्धांत का हिस्सा हो सकता है। विकल्प (d) सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांतों से संबंधित है।

प्रश्न 15: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘जैविक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) किस प्रकार के समाजों में पाई जाती है?

  1. जहाँ श्रम विभाजन बहुत अधिक होता है।
  2. जहाँ समाज के सदस्य समान प्रकार के श्रम करते हैं और समान विश्वासों और मूल्यों को साझा करते हैं।
  3. जहाँ तकनीकी विकास बहुत अधिक होता है।
  4. जहाँ व्यक्तिवादी चेतना प्रबल होती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: दुर्खीम ने ‘जैविक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) को सरल, पूर्व-औद्योगिक या आदिम समाजों से जोड़ा है। इन समाजों में, लोगों के जीवन का तरीका, उनके विश्वास और मूल्य बहुत हद तक समान होते हैं, और श्रम विभाजन न्यूनतम होता है। एकजुटता लोगों की समानता पर आधारित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह उनकी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में प्रस्तुत की गई अवधारणा है। इसके विपरीत, ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) अधिक जटिल, औद्योगिक समाजों में पाई जाती है जहाँ श्रम विभाजन अधिक होता है और लोग अपनी विशिष्ट भूमिकाओं के माध्यम से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) की विशेषताएँ हैं, न कि ‘जैविक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) की।

प्रश्न 16: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का एक समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?

  1. एक संगठन जो लाभ कमाने के लिए काम करता है।
  2. किसी समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित और निरंतर चलने वाले सामाजिक पैटर्न, नियम और प्रथाओं का एक स्थापित रूप।
  3. सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों का एक समूह।
  4. व्यक्तियों के बीच अल्पकालिक सामाजिक अंतःक्रियाएँ।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक संस्थाएँ समाज की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे कि प्रजनन (परिवार), ज्ञान हस्तांतरण (शिक्षा), सुरक्षा (राज्य/सरकार), और विश्वास (धर्म) को पूरा करने के लिए विकसित स्थायी सामाजिक पैटर्न, नियम, मूल्य और भूमिकाओं के समूह हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरणों में परिवार, शिक्षा प्रणाली, अर्थव्यवस्था, सरकार और धर्म शामिल हैं। ये संस्थाएँ समाज को स्थिर और व्यवस्थित रखने में मदद करती हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प एक सामाजिक संस्था की पूर्ण और सटीक परिभाषा नहीं देते हैं।

प्रश्न 17: निम्नलिखित समाजशास्त्रियों में से किसे ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) के सिद्धांत के लिए सबसे अधिक जाना जाता है, जिसमें उन्होंने सामाजिक क्रिया को व्यक्ति के व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जो दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. ई. एम. थॉमस
  3. मैक्स वेबर
  4. लुई अल्थुसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया को समाजशास्त्र की केंद्रीय अवधारणा के रूप में परिभाषित किया। उनके अनुसार, सामाजिक क्रिया वह क्रिया है जो व्यक्ति अपने उद्देश्यपूर्ण व्यवहार में दूसरों के व्यवहार से अर्थपूर्ण रूप से संबंधित होता है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष, अतीत, वर्तमान या भविष्य।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र का उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं को समझना और उनकी व्याख्या करना है। यह उनकी ‘व्याख्यात्मक समाजशास्त्र’ (interpretive sociology) का आधार है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। ई. एम. थॉमस (विलियम आइज़क थॉमस) ने ‘थॉमस प्रमेय’ (Thomas Theorem – “यदि स्थितियाँ वास्तविक मानी जाती हैं, तो वे वास्तविक परिणाम उत्पन्न करती हैं”) का सूत्रपात किया। लुई अल्थुसर एक मार्क्सवादी थे जिन्होंने संरचनावाद पर काम किया।

प्रश्न 18: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को अक्सर किन विशेषताओं से जोड़ा जाता है?

  1. कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था, ग्रामीण जीवन शैली, और पारंपरिक सामाजिक संरचनाएँ।
  2. औद्योगिक विकास, शहरीकरण, तर्कसंगतता, और सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि।
  3. बाहरी शक्तियों द्वारा सामाजिक या राजनीतिक नियंत्रण में वृद्धि।
  4. धार्मिक विश्वासों और अनुष्ठानों का अत्यधिक पालन।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल होते हैं। इसकी मुख्य विशेषताओं में औद्योगिकरण, शहरीकरण, प्रौद्योगिकी का विकास, शिक्षा का प्रसार, तर्कसंगतता का उदय, और पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का क्षरण शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द अक्सर पश्चिम के औद्योगिक क्रांति के बाद के विकास और दुनिया भर में इसी तरह के परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) पारंपरिक समाजों की विशेषता है। विकल्प (c) ‘उपनिवेशवाद’ (Colonialism) या ‘वैश्वीकरण’ (Globalization) के नकारात्मक पहलुओं से संबंधित हो सकता है। विकल्प (d) धार्मिकता से जुड़ा है, जो आधुनिकीकरण के साथ बदलता रहता है।

प्रश्न 19: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का प्राथमिक उद्देश्य क्या होता है?

  1. सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना और विश्लेषण करना।
  2. घटनाओं के बीच कारण-कार्य संबंधों को मापना।
  3. सामाजिक घटनाओं के अर्थ, अनुभव और संदर्भों को गहराई से समझना।
  4. एक बड़ी आबादी के निष्कर्षों को सामान्यीकृत करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) का उद्देश्य सामाजिक दुनिया की गहरी समझ प्राप्त करना है, जिसमें लोगों के अनुभव, दृष्टिकोण, व्यवहारों के पीछे के अर्थ और सामाजिक घटनाओं के संदर्भ शामिल हैं। यह अक्सर साक्षात्कार, अवलोकन, समूह चर्चा और केस स्टडी जैसी विधियों का उपयोग करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘मात्रात्मक अनुसंधान’ (Quantitative Research) के विपरीत है, जो संख्याओं और सांख्यिकीय विश्लेषण पर केंद्रित होता है। गुणात्मक अनुसंधान ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (d) मात्रात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ हैं। विकल्प (b) भी मात्रात्मक अनुसंधान का एक मुख्य उद्देश्य है।

प्रश्न 20: ‘रॉबर्ट ई. पार्क’ और ‘अर्नेस्ट बर्गेस’ किस समाजशास्त्रीय उपागम से जुड़े हैं, जिन्होंने शहरी विकास और सामाजिक संगठन के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया?

  1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  2. संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद
  3. शिकागो स्कूल (The Chicago School)
  4. संघर्ष सिद्धांत

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रॉबर्ट ई. पार्क और अर्नेस्ट बर्गेस शिकागो स्कूल ऑफ सोशियोलॉजी के प्रमुख सदस्य थे। उन्होंने शहरी जीवन, आप्रवासन, अपराध और सामाजिक विघटन जैसे विषयों पर अपने अनुभवजन्य (empirical) शोध के लिए ख्याति प्राप्त की। उन्होंने ‘शहरी पारिस्थितिकी’ (urban ecology) का सिद्धांत विकसित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: शिकागो स्कूल को अक्सर पहला प्रमुख अमेरिकी समाजशास्त्रीय उपागम माना जाता है, जिसने प्रत्यक्ष अवलोकन और केस स्टडी जैसी विधियों पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रतिनिधित्व जी. एच. मीड जैसे विचारकों ने किया। संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद पार्सन्स से जुड़ा है। संघर्ष सिद्धांत मार्क्स और वेबर जैसे विचारकों से जुड़ा है।

प्रश्न 21: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में किस समाजशास्त्रीय उपागम का उपयोग किया?

  1. संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद
  2. नाटकशास्त्र (Dramaturgy)
  3. साक्ष्य-विज्ञान (Ethnomethodology)
  4. मार्क्सवाद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) का उपागम प्रस्तुत किया, जो रोजमर्रा की सामाजिक अंतःक्रियाओं को एक रंगमंच के प्रदर्शन के रूप में देखता है। उन्होंने तर्क दिया कि लोग अपनी सामाजिक भूमिकाओं को निभाने के लिए ‘सामने’ (front stage) और ‘पीछे’ (back stage) जैसे विभिन्न ‘मंचों’ का उपयोग करते हैं, और वे अपने ‘आत्म’ (self) को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह उपागम प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से प्रभावित है और यह समझने का प्रयास करता है कि लोग वास्तविक दुनिया में अपने सामाजिक जीवन का प्रबंधन कैसे करते हैं।
  • गलत विकल्प: संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद, साक्ष्य-विज्ञान और मार्क्सवाद अलग-अलग समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण हैं।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक समस्या ‘लड़कियों की शिक्षा’ से सीधे तौर पर नहीं जुड़ी है?

  1. बाल विवाह
  2. प्रसवकालीन मृत्यु दर
  3. भ्रूण हत्या (Female Foeticide)
  4. महिला सशक्तीकरण

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: महिला सशक्तीकरण (Women Empowerment) लड़कियों की शिक्षा से सीधे तौर पर जुड़ी हुई एक सकारात्मक परिणाम या लक्ष्य है, न कि एक समस्या। लड़कियों की शिक्षा की कमी बाल विवाह, उच्च प्रसवकालीन मृत्यु दर और भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक समस्याओं के कारणों या परिणामों में से एक हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: शिक्षा महिलाओं को सशक्त बनाने, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: बाल विवाह, प्रसवकालीन मृत्यु दर और भ्रूण हत्या वे सामाजिक समस्याएँ हैं जिनका समाधान या निवारण शिक्षा से संभव है।

प्रश्न 23: ‘बहुसंस्कृतिवाद’ (Multiculturalism) की अवधारणा समाज के किस पहलू पर जोर देती है?

  1. सभी नागरिकों का एक ही प्रमुख संस्कृति में समाहित होना।
  2. समाज में विभिन्न संस्कृतियों का सह-अस्तित्व और सम्मान।
  3. राज्य का किसी एक संस्कृति को प्रमुखता देना।
  4. सांस्कृतिक प्रथाओं पर सरकारी नियंत्रण।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: बहुसंस्कृतिवाद एक ऐसी सामाजिक और राजनीतिक नीति है जो एक ही समाज के भीतर विभिन्न जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों के सह-अस्तित्व, समानता और सम्मान पर जोर देती है। यह मानता है कि समाज विभिन्न संस्कृतियों का एक मिश्रण है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आत्मसात्करण (assimilation) के विपरीत है, जहाँ अल्पसंख्यक समूह को बहुसंख्यक संस्कृति में घुलने-मिलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प बहुसंस्कृतिवाद की मुख्य भावना के विपरीत हैं।

प्रश्न 24: समाजशास्त्र में, ‘अभिजात्य वर्ग’ (Elite) के सिद्धांत से कौन सा विचारक सबसे अधिक जुड़ा है, जिसने तर्क दिया कि समाज पर हमेशा एक छोटे, विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक वर्ग का शासन होता है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. विलफ्रेडो पेरेटो
  3. कार्ल मार्क्स
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विलफ्रेडो पेरेटो (Vilfredo Pareto) इतालवी समाजशास्त्री थे जो ‘शासक वर्ग’ (ruling class) या ‘अभिजात वर्ग’ (elite) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि समाज हमेशा शासन करने वालों (governing elite) और शासितों (governed non-elite) में विभाजित होता है, और अभिजात वर्ग के भीतर घूर्णन (circulation of elites) होता रहता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पेरेटो ने अपनी पुस्तक ‘The Mind and Society’ में ‘शासक वर्ग’ की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर काम किया। कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष को आर्थिक उत्पादन के साधनों के स्वामित्व से जोड़ा। मैक्स वेबर ने शक्ति के विभिन्न रूपों का विश्लेषण किया।

प्रश्न 25: भारतीय ग्रामीण समाज में, ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) का मुख्य उद्देश्य क्या रहा है?

  1. भूमि का राष्ट्रीयकरण करना।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगीकरण को बढ़ावा देना।
  3. किसानों के बीच भूमि का पुनर्वितरण और कृषि उत्पादकता में सुधार।
  4. ग्रामीण समुदाय में जाति व्यवस्था को मजबूत करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय भूमि सुधारों का प्राथमिक लक्ष्य कृषि उत्पादन में सुधार करना, भूमिहीन किसानों को भूमि प्रदान करके ग्रामीण आय असमानता को कम करना और सामंती कृषि संबंधों को समाप्त करना रहा है। इसमें विभिन्न उपाय शामिल हैं जैसे कि ज़मींदारी उन्मूलन, पट्टेदारी सुधार और चकबंदी।
  • संदर्भ और विस्तार: ये सुधार भारत में स्वतंत्रता के बाद ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक संरचना में परिवर्तन लाने के महत्वपूर्ण प्रयासों में से रहे हैं, हालांकि इनकी सफलता और प्रभावशीलता विवादास्पद रही है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) भूमि का राष्ट्रीयकरण कम्युनिस्ट देशों की नीति हो सकती है। विकल्प (b) औद्योगीकरण एक अलग प्रक्रिया है। विकल्प (d) जाति व्यवस्था को मजबूत करना भूमि सुधारों का उद्देश्य नहीं है, बल्कि उनका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव हो सकता है।

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