समाजशास्त्र की गहराई में उतरें: आज की अचूक 25 प्रश्नोत्तरी!
अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज की विशेष प्रश्नोत्तरी आपके अवधारणों को स्पष्ट करने और परीक्षा की तैयारी को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन की गई है। आइए, विश्लेषण की इस बौद्धिक यात्रा पर एक साथ चलें और देखें कि आप अवधारणाओं पर कितनी महारत हासिल कर चुके हैं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को सर्वप्रथम किस समाजशास्त्री ने विस्तार से प्रतिपादित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- टालकोट पार्सन्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टालकोट पार्सन्स ने सामाजिक संरचना की अवधारणा को व्यवस्थित रूप से विकसित किया, जिसमें उन्होंने समाज को विभिन्न अंतर्संबंधित भागों (जैसे संस्थान, भूमिकाएँ, मानदंड) के एक जटिल जाल के रूप में देखा जो एक स्थिर व्यवस्था बनाए रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक’ सिद्धांत में सामाजिक संरचना केंद्रीय है। उन्होंने अपनी कृति ‘द सोशल सिस्टम’ (The Social System) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया, जहाँ उन्होंने सामाजिक क्रिया को व्यवस्था के संदर्भ में विश्लेषित किया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संरचना’ और ‘संघर्ष’ पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘सत्ता’ पर ध्यान केंद्रित किया। इमाइल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकता’ (सामाजिक सामंजस्य) और ‘सामूहिक चेतना’ पर बल दिया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- उच्च जातियों की रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और जीवन शैली को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
- शहरीकरण का प्रभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे भारतीय समाज में निम्न जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विचारों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रमुखता से प्रस्तुत की गई। यह भारतीय जाति व्यवस्था में होने वाले सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। ‘आधुनिकीकरण’ व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों को संदर्भित करता है। ‘शहरीकरण’ ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के प्रवास की प्रक्रिया है।
प्रश्न 3: किस समाजशास्त्री ने ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा को सामाजिक विघटन और व्यक्तिगत अलगाव की स्थिति को समझाने के लिए प्रयोग किया?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इमाइल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा का उपयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज में पारंपरिक नियमों और मूल्यों का अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और नैतिक अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में इस अवधारणा का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि औद्योगिक समाजों में श्रम के विभाजन से पारंपरिक सामाजिक बंधन कमजोर पड़ सकते हैं, जिससे अराजकता बढ़ सकती है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘अराजकता’ की चर्चा नहीं की। कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की बात की, जो उत्पादन के साधनों से श्रमिकों के विच्छेदन से जुड़ा है। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘आत्म’ (Self) और ‘सामाजिक अंतःक्रिया’ पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 4: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य प्रतिपादक कौन है?
- ए.एच. सैल्सबरी
- जी.एच. मीड
- इर्विंग गॉफमैन
- हरबर्ट ब्लूमर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हरबर्ट ब्लूमर को ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ने और इस दृष्टिकोण को एक सुसंगत सिद्धांत के रूप में विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों को आगे बढ़ाया।
- संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने तीन मुख्य आधार बताए: व्यक्ति अर्थों पर कार्य करता है, ये अर्थ अंतःक्रिया से उत्पन्न होते हैं, और ये अर्थ व्याख्यात्मक प्रक्रिया द्वारा संशोधित होते हैं। यह सिद्धांत सूक्ष्म-स्तरीय सामाजिक अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: ए.एच. सैल्सबरी प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं। जी.एच. मीड इसके संस्थापक विचारों में से एक थे (जैसे ‘मी’ और ‘आई’), लेकिन ब्लूमर ने इसे सिद्धांत के रूप में व्यवस्थित किया। इर्विंग गॉफमैन का ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) दृष्टिकोण इससे प्रेरित था लेकिन वह एक अलग प्रतिपादक थे।
प्रश्न 5: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द का प्रयोग किसने किया और इसे किस रूप में वर्गीकृत किया?
- बी.आर. अम्बेडकर; दलित
- एम.एन. श्रीनिवास; आदिम
- गांधीजी; हरिजन
- लेवी-स्ट्रॉस; बहिष्कृत
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने पारंपरिक भारतीय समाज में उन बहिष्कृत समूहों के लिए ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द का प्रयोग किया जो जाति पदानुक्रम के बाहर रखे गए थे और जिन्हें सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक रूप से बहिष्कृत किया गया था। उन्होंने स्वयं के लिए ‘दलित’ (वंचित या टूटा हुआ) शब्द को बढ़ावा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: अम्बेडकर ने जाति की उत्पत्ति और उसके उन्मूलन के लिए संघर्ष किया। उन्होंने जाति को सामाजिक बीमारी माना और इसे समाप्त करने की वकालत की।
- गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘अछूत’ शब्द का प्रयोग नहीं किया, हालांकि उन्होंने जाति का अध्ययन किया। गांधीजी ने ‘हरिजन’ (ईश्वर के लोग) शब्द का प्रयोग किया, जो अम्बेडकर के ‘अछूत’ या ‘दलित’ से भिन्न था। लेवी-स्ट्रॉस संरचनात्मक मानवविज्ञान से जुड़े हैं।
प्रश्न 6: मैकियावेली के राजनीतिक चिंतन के अनुसार, शासक का प्रमुख लक्ष्य क्या होना चाहिए?
- जनता की भलाई
- राज्य की स्थिरता और शक्ति बनाए रखना
- धार्मिक नियमों का पालन
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: निकोलो मैकियावेली, अपनी प्रसिद्ध कृति ‘द प्रिंस’ (The Prince) में, शासक को राज्य की शक्ति और स्थिरता बनाए रखने के लिए व्यावहारिक और कभी-कभी क्रूर साधनों का उपयोग करने की सलाह देते हैं, भले ही वे पारंपरिक नैतिकता के विपरीत हों।
- संदर्भ और विस्तार: मैकियावेली ने राजनीति को नैतिकता से अलग करने का प्रयास किया, जिसे ‘मैकियावेलियनिज़्म’ कहा जाता है। उनका मानना था कि शासक को ‘लोमड़ी की तरह चालाक’ और ‘शेर की तरह मजबूत’ होना चाहिए।
- गलत विकल्प: मैकियावेली के अनुसार, शासक का प्राथमिक उद्देश्य जनता की भलाई या धार्मिक नियमों का पालन करना नहीं, बल्कि राज्य की सत्ता और अस्तित्व को सुनिश्चित करना था।
प्रश्न 7: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा का संबंध किससे है?
- व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध
- समाज में धन और विशेषाधिकारों का असमान वितरण
- सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार
- समूहों के बीच सहयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण समाज को विभिन्न पदानुक्रमित स्तरों या ‘परतों’ में विभाजित करने की प्रक्रिया है, जिसमें इन स्तरों के सदस्यों के बीच धन, शक्ति, प्रतिष्ठा और अवसरों का असमान वितरण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा विभिन्न सामाजिक प्रणालियों जैसे वर्ग, जाति, लिंग आदि के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। यह समाज में असमानता को समझने का एक प्रमुख उपकरण है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत संबंध सामाजिक अंतःक्रिया का हिस्सा हैं। सांस्कृतिक मूल्य समाज में साझा विश्वास और व्यवहार हैं। सहयोग समूह एकीकरण को दर्शाता है।
प्रश्न 8: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) अवधारणा में, व्यक्ति के दैनिक जीवन को किससे तुलना की है?
- एक वैज्ञानिक प्रयोग
- एक जेल की कोठरी
- एक मंच प्रदर्शन
- एक जंगल का जीवन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के दृष्टिकोण से यह तर्क दिया कि व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में सामाजिक भूमिकाओं को इस प्रकार निभाते हैं मानो वे एक रंगमंच पर अभिनेता हों, जहाँ वे ‘सामने के मंच’ (front stage) पर अपनी एक विशिष्ट छवि प्रस्तुत करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘मुखौटा’ (mask), ‘भूमिका’ (role), ‘श्रोता’ (audience) और ‘पर्दा’ (curtain) जैसे नाट्यमंचीय शब्दों का उपयोग करके सामाजिक अंतःक्रियाओं का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प गॉफमैन की अवधारणा के अनुरूप नहीं हैं।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की प्रमुख विशेषता क्या है?
- तीन पीढ़ियों का एक साथ रहना
- पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चों का निवास
- व्यक्तियों की स्वतंत्रता पर जोर
- आधुनिकतावादी जीवन शैली
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय सामाजिक व्यवस्था में, संयुक्त परिवार को आम तौर पर तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्यों का एक साथ एक ही छत के नीचे रहना, एक सामान्य रसोई साझा करना और एक सामान्य संपत्ति पर अधिकार रखना माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इरावती कर्वे, एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने भारतीय परिवार प्रणालियों का विस्तार से अध्ययन किया है। संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है, जो सहयोग, साझा दायित्व और बुजुर्गों के प्रति सम्मान पर आधारित है।
- गलत विकल्प: (b) एकल परिवार (nuclear family) की विशेषता है। (c) और (d) आधुनिक और पश्चिमीकृत जीवन शैलियों से जुड़े हैं, जो अक्सर संयुक्त परिवार के विपरीत होते हैं।
प्रश्न 10: किस समाजशास्त्री ने ‘शक्ति’ (Power) को “किसी भी सामाजिक संबंध में, अपने स्वयं के प्रस्तावों को लागू करने की इच्छा के विरुद्ध, उस संबंध के माध्यम से आगे बढ़ने की संभावना” के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- थॉट्सटाइन वेब्लेन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने शक्ति (Macht) की यह परिभाषा दी है। उन्होंने शक्ति को समाजशास्त्र में प्रभुत्व (Domination) और अधिकार (Authority) के विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय अवधारणा माना।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने शक्ति को अक्सर ‘किसी भी सामाजिक संबंध में, अपने स्वयं के प्रस्तावों को लागू करने की इच्छा के विरुद्ध, उस संबंध के माध्यम से आगे बढ़ने की संभावना’ के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने तीन प्रकार के ‘वैध प्रभुत्व’ (Rational-legal, Traditional, Charismatic authority) का भी वर्णन किया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने शक्ति को आर्थिक आधार (उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व) से जोड़ा। दुर्खीम ने सामाजिक नियंत्रण और एकता पर ध्यान केंद्रित किया। वेब्लेन ने ‘उत्सवपूर्ण उपभोग’ (conspicuous consumption) जैसी अवधारणाएं दीं।
प्रश्न 11: ‘समूह’ (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन एक ‘समूह’ बनाने के लिए आवश्यक है?
- समान रुचियां
- जागरूकता और अंतःक्रिया
- समान भौगोलिक स्थिति
- समान पेशा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्र में, एक समूह को व्यक्तियों के एक संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक-दूसरे के प्रति जागरूक होते हैं, एक-दूसरे के साथ नियमित रूप से अंतःक्रिया करते हैं, और जिनमें एक ‘हम’ की भावना होती है।
- संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स कूली, जॉर्ज सिमेल जैसे समाजशास्त्रियों ने समूह की प्रकृति का अध्ययन किया है। केवल समान रुचियों या समान स्थिति वाले लोगों को एक समूह नहीं माना जाता जब तक कि वे आपस में बातचीत न करें।
- गलत विकल्प: समान रुचियां, भौगोलिक स्थिति या पेशा केवल समूह निर्माण की संभावना को बढ़ाते हैं, लेकिन अंतःक्रिया और आपसी जागरूकता इसकी मुख्य कसौटी हैं।
प्रश्न 12: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, इसमें क्या शामिल है?
- केवल भौतिक वस्तुएँ जैसे कार और गैजेट
- केवल अमूर्त विचार जैसे मूल्य और विश्वास
- भौतिक और अभौतिक दोनों तत्व, जो एक समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाते हैं
- केवल कला और साहित्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्र में, संस्कृति को किसी विशेष समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाने वाले ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज, क्षमताएं और आदतों के संपूर्ण समुच्चय के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमें भौतिक (जैसे भवन, उपकरण) और अभौतिक (जैसे भाषा, मूल्य, मानदंड) दोनों तत्व शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एडवर्ड टायलर, ई.बी. टायलर और ए.एल. क्रॉबर जैसे मानवविज्ञानी और समाजशास्त्रियों ने संस्कृति की व्यापक परिभाषाएँ दी हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) संस्कृति के केवल एक पहलू को दर्शाते हैं। (d) संस्कृति का एक उप-भाग है, पूर्ण परिभाषा नहीं।
प्रश्न 13: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा दी, जिसे बाहरी और बाध्यकारी माना जाता है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- अगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इमाइल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्यों’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने “समाज के प्रत्येक तरीके से जो व्यक्ति पर बाहरी है और जिसके माध्यम से वह बाध्य होता है” के रूप में परिभाषित किया। यह समाजशास्त्रीय पद्धति का आधार है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक ‘The Rules of Sociological Method’ में इस पर विस्तार से चर्चा की गई है। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्यों का अध्ययन वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए, जैसे कि वे ‘वस्तुएँ’ हों। उदाहरणों में कानून, रीति-रिवाज, नैतिक नियम आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: कॉम्टे ने समाजशास्त्र की नींव रखी लेकिन ‘सामाजिक तथ्य’ की यह विशिष्ट परिभाषा दुर्खीम की है। वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ पर ध्यान केंद्रित किया, और मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ को मुख्य माना।
प्रश्न 14: भारत में ‘भूदान आंदोलन’ के प्रवर्तक कौन थे, जो भूमिहीन किसानों को भूमि वितरित करने का एक सामाजिक-आर्थिक प्रयास था?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- विनोबा भावे
- जय प्रकाश नारायण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आचार्य विनोबा भावे ने 1951 में भूदान आंदोलन (ग्रामदान के साथ) शुरू किया, जिसका उद्देश्य स्वैच्छिक रूप से भूमि दान के माध्यम से भूमि सुधार करना और भूमि के असमान वितरण को संबोधित करना था।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन गांधीवादी दर्शन से प्रेरित था और इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा देना था। इसने जमींदारों से अपनी अतिरिक्त भूमि दान करने का आग्रह किया।
- गलत विकल्प: गांधीजी अहिंसा और सत्याग्रह के प्रतीक थे, लेकिन भूदान आंदोलन विनोबा भावे का नेतृत्व था। नेहरू और जय प्रकाश नारायण के भी अपने-अपने आंदोलन थे, लेकिन भूदान विशेष रूप से भावे से जुड़ा है।
प्रश्न 15: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से औद्योगिक पूंजीवाद के संदर्भ में, किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- स.फ. लॉरेंस
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Entfremdung) की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, अपने साथी श्रमिकों और अंततः अपनी मानवीय क्षमता से अलग हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की प्रारंभिक कृतियों, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में पाई जाती है। मार्क्स के लिए, अलगाव पूंजीवाद की एक अंतर्निहित समस्या थी जो मनुष्य की रचनात्मक और सामाजिक प्रकृति को नष्ट करती है।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘लौह पिंजरे’ (iron cage) की बात की, जो अलगाव से संबंधित हो सकता है, लेकिन अलगाव की यह केंद्रीय अवधारणा मार्क्स की है। दुर्खीम ने ‘अराजकता’ पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 16: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
- जनसंख्या का ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में प्रवास और शहरों का बढ़ता आकार
- शहरी जीवन शैली का त्याग
- पारंपरिक ग्रामीण मूल्यों को अपनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शहरीकरण वह सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करता है, जिससे शहरों का आकार बढ़ता है और शहरी जीवन शैली तथा संस्थाएँ अधिक प्रमुख हो जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लुईस वर्थ जैसे शहरी समाजशास्त्रियों ने शहर को एक अलग प्रकार के सामाजिक जीवन के रूप में अध्ययन किया है। शहरीकरण के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिणाम होते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c) और (d) शहरीकरण की प्रक्रिया को सही ढंग से परिभाषित नहीं करते हैं।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी ‘आत्म’ (Self) के विकास के लिए जॉर्ज हर्बर्ट मीड की महत्वपूर्ण अवधारणा है?
- आदर्श पिता
- ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me)
- कठोर सुपर-ईगो
- प्रतीक-प्रतिक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘आत्म’ (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होने वाली एक प्रक्रिया के रूप में समझाया। उन्होंने ‘मैं’ (I) को व्यक्ति की तात्कालिक, रचनात्मक और अप्रत्याशित प्रतिक्रियाओं के रूप में और ‘मी’ (Me) को समाज द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोणों और भूमिकाओं के समाजीकरण से बने हिस्से के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, व्यक्ति ‘मी’ (समाज के दृष्टिकोण को आंतरिक बनाना) और ‘मैं’ (उस पर प्रतिक्रिया करना) के बीच अंतःक्रिया द्वारा अपने ‘आत्म’ का निर्माण करता है। यह प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मूल है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) मनोविश्लेषण (फ्रायड) से संबंधित हैं। (d) भी पूरी तरह से सही नहीं है, हालाँकि प्रतीक अंतःक्रिया में महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 18: ‘वर्ग चेतना’ (Class Consciousness) की अवधारणा, जिसका अर्थ है कि समाज के सदस्यों को अपने वर्ग की स्थिति के बारे में जागरूकता होती है, मुख्य रूप से किस विचारक से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- टालकोट पार्सन्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स के लिए, वर्ग चेतना क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए एक आवश्यक शर्त थी। यह सर्वहारा वर्ग (proletariat) की अपने साझा दमन और शोषक बुर्जुआ वर्ग (bourgeoisie) के विरुद्ध अपनी एकजुटता की जागरूकता को संदर्भित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि जब श्रमिक अपनी सामूहिक शक्ति को पहचान लेते हैं, तो वे पूंजीवाद को उखाड़ फेंक सकते हैं। इसके विपरीत, ‘मिथ्या चेतना’ (False Consciousness) तब होती है जब वर्ग अपने वास्तविक हितों को समझने में विफल रहता है।
- गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग के साथ-साथ ‘दर्जा’ (status) और ‘शक्ति’ (party) को भी सामाजिक स्तरीकरण के निर्धारक माना, लेकिन वर्ग चेतना को मार्क्स की तरह क्रांतिकारी कुंजी नहीं माना। दुर्खीम और पार्सन्स ने मुख्य रूप से सामाजिक सामंजस्य और व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान में अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes) और अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) के लिए आरक्षण का प्रावधान किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15 और 16
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 21
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 (धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता) में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष प्रावधान (आरक्षण) करने की अनुमति दी गई है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के उन्मूलन से संबंधित है। यह प्रावधान सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों को सशक्त बनाने के लिए किए गए थे।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है, लेकिन विशेष प्रावधानों का आधार 15 और 16 हैं। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है।
प्रश्न 20: ‘प्रकार्यवाद’ (Functionalism) या ‘संरचनात्मक-प्रकार्यवाद’ (Structural-Functionalism) के अनुसार, समाज को कैसे देखा जाता है?
- विभिन्न समूहों के बीच संघर्ष का मैदान
- एक जटिल प्रणाली जिसके विभिन्न भाग एक साथ मिलकर कार्य करते हैं
- एक गतिशील संरचना जो केवल परिवर्तन से प्रेरित होती है
- व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं का योग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रकार्यवादियों (जैसे दुर्खीम, पार्सन्स, मर्टन) के अनुसार, समाज एक जटिल प्रणाली है जिसमें विभिन्न अंग (संस्थाएं, सामाजिक संरचनाएं) एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और प्रत्येक अंग का एक विशिष्ट ‘कार्य’ (function) होता है जो संपूर्ण समाज के संतुलन और स्थिरता में योगदान देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को एक जीवित जीव (organic analogy) की तरह देखता है, जहाँ प्रत्येक अंग का अपना महत्व होता है। यह सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का दृष्टिकोण है। (c) परिवर्तन पर अधिक जोर देता है। (d) सूक्ष्म-स्तरीय सिद्धांतों (जैसे प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद) के करीब है।
प्रश्न 21: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या तात्पर्य है?
- समाज में व्यक्तियों की आवाजाही
- लोगों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर तक ऊपर या नीचे जाना
- शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास
- समूहों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता व्यक्तियों या समूहों की एक पीढ़ी के भीतर (intragenerational) या पीढ़ियों के बीच (intergenerational) एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। इसमें ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) और क्षैतिज (समान स्तर पर) गतिशीलता शामिल हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: पीटरसो, सोरोकिन जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन किया है। यह सामाजिक स्तरीकरण और अवसर की समानता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: (a) बहुत सामान्य है। (c) शहरीकरण से संबंधित है। (d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान है, स्थिति में बदलाव नहीं।
प्रश्न 22: ‘अनुकूलन’ (Acculturation) की प्रक्रिया क्या है?
- एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति में पूरी तरह विलीन हो जाना
- दो या दो से अधिक संस्कृतियों के संपर्क में आने पर उनमें परिवर्तन आना, जिसमें दोनों संस्कृतियाँ प्रभावित होती हैं
- संस्कृति को पूरी तरह से अस्वीकार करना
- अत्यधिक आधुनिकीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अनुकूलन दो या दो से अधिक संस्कृतियों के संपर्क के परिणामस्वरूप होने वाले सांस्कृतिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है। इसमें दोनों संस्कृतियाँ एक-दूसरे से कुछ तत्व ग्रहण करती हैं और स्वयं में परिवर्तन लाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री इस प्रक्रिया का अध्ययन करते हैं, जैसे कि आप्रवासी समुदायों द्वारा मेजबान संस्कृति को अपनाना। यह आत्मसातीकरण (assimilation) से भिन्न है, जहाँ एक संस्कृति दूसरी में विलीन हो जाती है।
- गलत विकल्प: (a) आत्मसातीकरण का वर्णन करता है। (c) और (d) अनुकूलन से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 23: ‘जनसंवाद’ (Mass Communication) के सामाजिक प्रभाव के संदर्भ में, ‘पुश’ (Push) और ‘पुल’ (Pull) मॉडल क्या समझाते हैं?
- संदेश को आगे बढ़ाने के लिए जनसंवाद माध्यम की क्षमता (Push) और दर्शकों की सामग्री की मांग (Pull)
- जनसंवाद प्रसारकों की व्यक्तिगत पसंद (Push) और बाजार की मांग (Pull)
- सरकारी नियंत्रण (Push) और स्वतंत्र बाजार (Pull)
- तकनीकी उन्नयन (Push) और उपयोगकर्ता गोद लेना (Pull)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जनसंवाद में, ‘पुश’ मॉडल इंगित करता है कि कैसे माध्यम (जैसे टीवी चैनल, रेडियो स्टेशन) सक्रिय रूप से सामग्री उत्पन्न और वितरित करते हैं, इसे दर्शकों पर ‘धकेलते’ हैं। ‘पुल’ मॉडल बताता है कि कैसे दर्शक सक्रिय रूप से अपनी रुचि की सामग्री की तलाश करते हैं (जैसे इंटरनेट पर), इसे ‘खींचते’ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह मॉडलों को जनसंवाद के सिद्धांत और अभ्यास को समझने में मदद करता है, विशेष रूप से डिजिटल युग में जहाँ पुल रणनीतियाँ अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प जनसंवाद के इन विशिष्ट मॉडलों का सटीक वर्णन नहीं करते हैं।
प्रश्न 24: भारत में ‘संरक्षण’ (Reservation) नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- सभी नागरिकों के लिए समान अवसर प्रदान करना
- समाज के ऐतिहासिक रूप से वंचित और पिछड़े वर्गों को ऊपर उठाना और उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाना
- गरीबी उन्मूलन
- जाति व्यवस्था को मजबूत करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में आरक्षण नीति का प्राथमिक उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े समुदायों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST), साथ ही अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ऐतिहासिक अन्याय को दूर करना और उन्हें मुख्यधारा में लाना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नीति सकारात्मक कार्रवाई (affirmative action) का एक रूप है जो संविधान के तहत सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देती है।
- गलत विकल्प: (a) आरक्षण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन मुख्य उद्देश्य नहीं। (c) गरीबी उन्मूलन एक व्यापक लक्ष्य है, जिसका आरक्षण से सीधा संबंध नहीं है। (d) आरक्षण जाति व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास करता है, उसे मजबूत करने का नहीं।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के अध्ययन में, ‘चक्रीय सिद्धांत’ (Cyclical Theory) के प्रमुख समर्थक कौन माने जाते हैं?
- कार्ल मार्क्स
- अगस्ट कॉम्टे
- विल्फ्रेडो परेटो और ओसवाल्ड स्पेंगलर
- ए.एल. क्रॉबर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विल्फ्रेडो परेटो (जिन्होंने अभिजन वर्ग के चक्रीय संचलन की बात की) और ओसवाल्ड स्पेंगलर (जिन्होंने सभ्यताओं के जन्म, विकास और पतन के चक्रीय सिद्धांत प्रस्तुत किए) को सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धांतों के प्रमुख समर्थकों में गिना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: चक्रीय सिद्धांत मानते हैं कि सामाजिक परिवर्तन एक सीधी रेखा में नहीं होता, बल्कि यह दोहराव वाले चक्रों में होता है, जैसे कि उत्थान और पतन, वृद्धि और गिरावट।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स परिवर्तन के रैखिक (द्वंद्वात्मक भौतिकवाद) सिद्धांत के समर्थक थे। अगस्ट कॉम्टे ने तीन अवस्थाओं का नियम (Theological, Metaphysical, Positivist) प्रस्तुत किया, जो एक रैखिक विकास को दर्शाता है। ए.एल. क्रॉबर ने संस्कृति के अध्ययन में योगदान दिया।
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