समाजशास्त्र की गहराई में उतरें: आज का गहन अभ्यास
परीक्षा की तैयारी के इस सफर में, आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने का समय आ गया है! आज के दैनिक समाजशास्त्र अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है, जहाँ हम आपके ज्ञान की सीमाओं को चुनौती देंगे और आपको अपनी तैयारी को एक नया आयाम देने के लिए प्रेरित करेंगे। आइए, एक-एक प्रश्न के साथ अपनी समझ को और पैना करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने विकसित की, जिसने समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में स्थापित करने पर जोर दिया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- Émile Durkheim
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: Émile Durkheim ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य बाहरी होते हैं, व्यक्तियों पर दबाव डालते हैं, और समाज की विशेषताएँ हैं, न कि व्यक्तिगत मनोविज्ञान की। उन्होंने समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने के लिए इन्हें अध्ययन का केंद्रीय विषय बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “समाजशास्त्रीय विधि के नियम” (The Rules of Sociological Method) में विस्तृत है। यह वस्तुनिष्ठता और समाज को एक ‘चीज़’ के रूप में देखने पर जोर देती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और अलगाव पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, शक्ति (Power) का वह रूप क्या है जो करिश्माई नेतृत्व (Charismatic Leadership) पर आधारित होता है?
- पारंपरिक प्राधिकार (Traditional Authority)
- वैध-तार्किक प्राधिकार (Rational-Legal Authority)
- करिश्माई प्राधिकार (Charismatic Authority)
- नौकरशाही (Bureaucracy)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने प्राधिकार (Authority) के तीन मुख्य प्रकार बताए: पारंपरिक, वैध-तार्किक और करिश्माई। करिश्माई प्राधिकार असाधारण व्यक्तिगत गुणों, जैसे वीरता, पवित्रता या नायकत्व पर आधारित होता है, और अनुयायी इस व्यक्ति का अनुसरण करते हैं क्योंकि वे उसके गुणों में विश्वास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इसे “Economy and Society” जैसी कृतियों में समझाया। यह प्राधिकार का सबसे अस्थिर रूप माना जाता है, क्योंकि यह नेता के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है।
- गलत विकल्प: पारंपरिक प्राधिकार रीति-रिवाजों और विरासत पर आधारित होता है (जैसे राजशाही)। वैध-तार्किक प्राधिकार नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होता है (जैसे आधुनिक राज्य)। नौकरशाही एक प्रकार की संस्थागत व्यवस्था है जो वैध-तार्किक प्राधिकार पर टिकती है।
प्रश्न 3: “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से उत्पादन के साधनों से श्रमिक के अलगाव की, किस समाजशास्त्रीय विचारक से प्रमुखता से जुड़ी है?
- Émile Durkheim
- Karl Marx
- Talcott Parsons
- George Herbert Mead
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों के अलगाव की गहराई से व्याख्या की। उन्होंने बताया कि कैसे श्रमिक अपने श्रम, उत्पादन के उत्पाद, अपने साथी श्रमिकों और अंततः अपनी मानवीय प्रकृति से अलग-थलग महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके शुरुआती लेखन, विशेष रूप से “आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844” (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में महत्वपूर्ण है। मार्क्स के लिए, अलगाव पूंजीवाद की एक अंतर्निहित समस्या है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने एनोमी (anomie) और सामाजिक एकता पर काम किया। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और प्रकार्यवाद पर ध्यान केंद्रित किया। मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (symbolic interactionism) के विकास में योगदान दिया।
प्रश्न 4: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो प्रौद्योगिकी और गैर-भौतिक संस्कृति के बीच के अंतर को दर्शाती है?
- William Ogburn
- Robert Merton
- Charles Horton Cooley
- Alfred Schütz
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विलियम ओगबर्न (William Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे नियम, मूल्य, सामाजिक संस्थाएं) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक असंतुलन या विलंब पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में इस विचार को विकसित किया। उदाहरण के लिए, कारों का आविष्कार भौतिक संस्कृति का हिस्सा है, जबकि सड़क सुरक्षा नियम (गैर-भौतिक संस्कृति) अक्सर इसे अपनाने के बाद ही विकसित होते हैं।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘अनुकूलित विचलन’ (manifest and latent functions) जैसी अवधारणाएं दीं। सी. एच. कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (looking-glass self) की अवधारणा दी। अल्फ्रेड श्टुट्ज़ एक घटनाविज्ञानी थे।
प्रश्न 5: भारत में जाति व्यवस्था के अध्ययन में, ‘संसक्तिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करती है?
- G.S. Ghurye
- M.N. Srinivas
- A.R. Desai
- Louis Dumont
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने ‘संसक्तिकरण’ की अवधारणा दी। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निम्न या मध्य जातियों के सदस्य उच्च, विशेष रूप से द्विजातियों (जैसे ब्राह्मण) की प्रथाओं, अनुष्ठानों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” (1952) में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है, लेकिन यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक है, न कि संरचनात्मक।
- गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये ने जाति और जनजाति पर महत्वपूर्ण कार्य किया। ए.आर. देसाई ने भारतीय समाज पर मार्क्सवादी दृष्टिकोण से लिखा। लुई डुमॉन्ट ने ‘High and Low’ जैसी अवधारणाओं के साथ जाति का विस्तृत विश्लेषण किया।
प्रश्न 6: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के प्रकार्यवाद (Functionalist) दृष्टिकोण के अनुसार, असमानता क्यों आवश्यक है?
- यह समाज के शक्तिशाली वर्गों को लाभ पहुँचाने के लिए है।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी सदस्यों को समान अवसर मिलें।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे योग्य व्यक्ति आकर्षित हों।
- यह समाज में वर्ग संघर्ष को कम करने के लिए है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: किन्स्ले डेविस और विलमूर मूर (Kingsley Davis and Wilbert Moore) जैसे प्रकार्यवादियों का तर्क है कि सामाजिक स्तरीकरण आवश्यक है क्योंकि यह समाज में सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे योग्य व्यक्तियों को प्रेरित और पुरस्कृत करता है। असमानता (वेतन, प्रतिष्ठा में) एक प्रेरक के रूप में कार्य करती है।
- संदर्भ और विस्तार: उनका “Theory of Social Stratification” (1945) इस विचार को प्रस्तुत करता है। वे मानते हैं कि समाज को कार्य करने के लिए कुछ पद दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और उनके लिए अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: यह दृष्टिकोण शक्तिशाली वर्गों को लाभ पहुँचाने या वर्ग संघर्ष को कम करने की बात नहीं करता। समान अवसर के बजाय, यह असमानता को एक आवश्यक तंत्र मानता है।
प्रश्न 7: “एनोमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के ढीले पड़ने या अनुपस्थित होने की स्थिति का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- Karl Marx
- Max Weber
- Émile Durkheim
- Robert Park
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: Émile Durkheim ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को अपनी रचनाओं, विशेषकर “Suicide” (1897) और “The Division of Labour in Society” (1893) में विस्तार से समझाया। इसका अर्थ है समाज में स्पष्ट नियमों या सामान्य नैतिक दिशा-निर्देशों का अभाव, जिससे व्यक्तियों में अनिश्चितता और दिशाहीनता की भावना उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: एनोमी अनियंत्रित इच्छाओं या सामाजिक विघटन के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकती है। दुर्खीम का मानना था कि आधुनिक समाजों में, विशेष रूप से जब वे तेजी से परिवर्तन से गुजरते हैं, एनोमी बढ़ सकती है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने अलगाव और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने प्राधिकार और नौकरशाही का विश्लेषण किया। रॉबर्ट पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरी समाजशास्त्र पर काम किया।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन भारत में “आदिवासी समाज” (Tribal Society) की एक विशेषता *नहीं* है?
- अविभेदीकृत आर्थिक व्यवस्था (Undifferentiated Economy)
- बड़े पैमाने पर राजनीतिक संगठन (Large-scale Political Organization)
- विशिष्ट भाषा (Distinct Language)
- प्रकृति पूजा (Worship of Nature)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामान्यतः, आदिवासी समाजों की विशेषताएँ एक छोटे, अंतरंग समूह, विशिष्ट भाषा, प्रकृति पूजा, अनौपचारिक नेतृत्व संरचनाएँ और अविभेदीकृत आर्थिक प्रणालियाँ (जहाँ उत्पादन, उपभोग, वितरण अक्सर परिवार या समुदाय द्वारा एक साथ प्रबंधित होते हैं) होती हैं। बड़े पैमाने पर, जटिल राजनीतिक संगठन आमतौर पर आधुनिक राज्यों या राज्यों की प्रारंभिक अवस्थाओं से जुड़े होते हैं, न कि पारंपरिक आदिवासी समाजों से।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि कुछ आदिवासी समूहों ने जटिल सामाजिक-राजनीतिक संरचनाएँ विकसित कीं, “बड़े पैमाने पर” राजनीतिक संगठन एक सामान्यीकृत विशेषता नहीं है।
- गलत विकल्प: अविभेदीकृत अर्थव्यवस्था, विशिष्ट भाषा, और प्रकृति पूजा को अक्सर आदिवासी समाजों की प्रमुख विशेषताओं के रूप में पहचाना जाता है।
प्रश्न 9: “ज्ञान की सामाजिक रचना” (Social Construction of Knowledge) का सिद्धांत किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से सबसे अधिक जुड़ा है?
- प्रकार्यवाद (Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- नौकरशाही (Bureaucracy)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, विशेष रूप से पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन की “The Social Construction of Reality” (1966) जैसी कृतियों के माध्यम से, यह बताता है कि ज्ञान, वास्तविकता और अर्थ सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होते हैं। हम प्रतीकों का उपयोग करके दुनिया को समझते हैं और उस पर अर्थ आरोपित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि समाजशास्त्रियों को लोगों के द्वारा अपनी दुनिया को कैसे परिभाषित किया जाता है, इस पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये परिभाषाएँ ही उनके व्यवहार को निर्देशित करती हैं।
- गलत विकल्प: प्रकार्यवाद सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता पर केंद्रित है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। नौकरशाही मैक्स वेबर के प्राधिकार के विश्लेषण से जुड़ी है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी एक “सामाजिक संस्था” (Social Institution) का उदाहरण है?
- एक शहर
- एक राजनीतिक दल
- परिवार
- ज्ञान
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक संस्थाएं समाज की मूलभूत संरचनाएं हैं जो कुछ प्रमुख सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित व्यवहारों, नियमों और भूमिकाओं का एक स्थायी पैटर्न हैं। परिवार, विवाह, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था और सरकार प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार समाज की प्रजनन, समाजीकरण और भावनात्मक सुरक्षा जैसी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- गलत विकल्प: एक शहर एक भौगोलिक इकाई है। एक राजनीतिक दल एक संगठन है। ज्ञान एक अमूर्त अवधारणा है, संस्था नहीं, हालांकि ज्ञान प्रदान करने के लिए शैक्षिक संस्थाएं मौजूद हैं।
प्रश्न 11: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का अर्थ क्या है?
- यह विश्वास कि किसी की अपनी संस्कृति श्रेष्ठ है।
- यह विश्वास कि किसी अन्य संस्कृति के व्यवहार को उसकी अपनी सांस्कृतिक प्रणाली के संदर्भ में समझा जाना चाहिए।
- यह विश्वास कि सभी संस्कृतियाँ अंततः एक समान बन जाएँगी।
- यह विश्वास कि सांस्कृतिक भिन्नताएँ केवल संयोग हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद वह दृष्टिकोण है जो मानता है कि किसी व्यक्ति के विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं को उसकी अपनी संस्कृति के संदर्भ में समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी सांस्कृतिक मानक के आधार पर। यह किसी भी संस्कृति को स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ या निकृष्ट मानने से इनकार करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा अक्सर नृवंशविज्ञान (ethnography) और मानव विज्ञान (anthropology) में प्रयोग की जाती है ताकि विभिन्न संस्कृतियों के प्रति निष्पक्षता और समझ को बढ़ावा दिया जा सके।
- गलत विकल्प: (a) ‘जातिवाद’ (Ethnocentrism) का वर्णन करता है। (c) और (d) सांस्कृतिक सापेक्षवाद के विपरीत हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अनुसंधान पद्धति (Sociological Research Method) गुणात्मक (Qualitative) डेटा एकत्र करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है?
- सर्वेक्षण (Survey)
- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
- सहभागी अवलोकन (Participant Observation)
- प्रयोग (Experiment)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सहभागी अवलोकन एक गुणात्मक अनुसंधान पद्धति है जिसमें शोधकर्ता किसी सामाजिक समूह या समुदाय के जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेता है और उनके व्यवहार, अंतःक्रियाओं और सांस्कृतिक प्रथाओं का प्रत्यक्ष अवलोकन करता है। इसका उद्देश्य गहराई से समझ और समृद्ध, वर्णनात्मक डेटा प्राप्त करना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पद्धति नृवंशविज्ञान (ethnography) में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।
- गलत विकल्प: सर्वेक्षण (a) अक्सर मात्रात्मक डेटा एकत्र करते हैं। सांख्यिकीय विश्लेषण (b) मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण है। प्रयोग (d) आम तौर पर नियंत्रित परिस्थितियों में मात्रात्मक डेटा उत्पन्न करता है।
प्रश्न 13: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के महत्व पर जोर देती है, किस विचारक से जुड़ी है?
- Pierre Bourdieu
- James Coleman
- Robert Putnam
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का श्रेय कई समाजशास्त्रियों को जाता है। पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने इसे पहली बार 1970 के दशक में विकसित किया, इसे सामाजिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त संसाधनों के रूप में देखा। जेम्स कोलमैन (James Coleman) ने 1980 के दशक में इसके कार्यात्मक पहलुओं पर जोर दिया, और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) ने अपने कार्य “Bowling Alone” (2000) में इसके क्षरण और समाज पर इसके प्रभाव पर विस्तार से लिखा।
- संदर्भ और विस्तार: तीनों ने सामाजिक नेटवर्क और विश्वास के महत्व को विभिन्न संदर्भों में रेखांकित किया है, जो सामाजिक पूंजी के निर्माण में योगदान करते हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि अवधारणा तीनों से जुड़ी है, इसलिए यह विकल्प सही है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाज की “वर्ण व्यवस्था” (Varna System) की एक विशेषता *नहीं* है?
- जन्म पर आधारित (Based on Birth)
- पेशा पर आधारित (Based on Occupation)
- कठोर पदानुक्रम (Rigid Hierarchy)
- मुख्य रूप से चार वर्णों का उल्लेख (Mention of Primarily Four Varnas)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: वर्ण व्यवस्था मुख्य रूप से एक वैचारिक पदानुक्रम था जो जन्म (जन्मना) पर आधारित था, न कि सीधे तौर पर व्यवसाय पर। हालांकि कुछ व्यवसायों को विशेष वर्णों से जोड़ा गया था, लेकिन यह जन्म से तय होता था। जातियों (Jatis) में व्यवसायों का विभाजन अधिक प्रमुख था। वर्ण व्यवस्था में चार मुख्य वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) बताए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ऋग्वेद और उत्तर-वैदिक काल के ग्रंथ वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति और संरचना का वर्णन करते हैं।
- गलत विकल्प: वर्ण व्यवस्था जन्म पर आधारित थी (a)। इसमें एक कठोर पदानुक्रम था (c)। इसमें चार मुख्य वर्ण थे (d)। व्यवसाय का प्रत्यक्ष निर्धारण इसकी मुख्य विशेषता नहीं थी; यह जाति (Jati) से अधिक जुड़ा था।
प्रश्न 15: “आधुनिकता” (Modernity) की अवधारणा के बारे में कौन सा कथन सही है?
- यह केवल तकनीकी प्रगति से संबंधित है।
- यह पारंपरिक समाजों से अलगाव और तर्कसंगतता, व्यक्तिवाद और धर्मनिरपेक्षीकरण जैसे मूल्यों की ओर एक बड़े बदलाव को दर्शाता है।
- यह हमेशा प्रगतिशील और सकारात्मक होती है।
- यह एक सार्वभौमिक और समान अनुभव है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: आधुनिकता एक व्यापक सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन को संदर्भित करती है जो औद्योगिक क्रांति के बाद उभरा। इसमें पारंपरिक समाजों की तुलना में तर्कसंगतता, व्यक्तिवाद, धर्मनिरपेक्षीकरण, शहरीकरण और राष्ट्र-राज्य के विकास जैसी विशेषताएं शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर, एमाइल दुर्खीम, कार्ल मार्क्स और सिगमंड बॉमन जैसे समाजशास्त्रियों ने आधुनिकता के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया है।
- गलत विकल्प: आधुनिकता केवल तकनीकी प्रगति नहीं है (a), बल्कि एक बहुआयामी प्रक्रिया है। यह हमेशा प्रगतिशील नहीं होती (c), इसमें विरोधाभास भी होते हैं। यह एक सार्वभौमिक और समान अनुभव नहीं है (d), क्योंकि इसके अनुभव विभिन्न समाजों और समूहों के लिए भिन्न होते हैं।
प्रश्न 16: “संरचनात्मक प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जाता है जिसके विभिन्न अंग (जैसे संस्थाएं) एक साथ काम करते हैं ताकि ____ को बनाए रखा जा सके।
- सामाजिक संघर्ष
- सामाजिक विघटन
- सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद, जिसे तालकॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित किया गया, समाज को एक जीव या मशीन के रूप में देखता है। इसके सभी भाग (संरचनाएं) मिलकर प्रणाली के समग्र कार्य (जैसे व्यवस्था और स्थिरता) को बनाए रखने में योगदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रत्येक संरचना का एक कार्य (function) होता है जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- गलत विकल्प: प्रकार्यवाद का मुख्य ध्यान व्यवस्था और स्थिरता पर होता है, न कि संघर्ष (a) या विघटन (b) पर। व्यक्तिगत स्वतंत्रता (d) पर भी अप्रत्यक्ष रूप से विचार किया जा सकता है, लेकिन ‘व्यवस्था और स्थिरता’ मुख्य लक्ष्य है।
प्रश्न 17: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मूल विचार क्या है?
- समाज व्यक्ति की अपेक्षाओं को आकार देता है।
- व्यक्ति प्रतीकों और अंतःक्रियाओं के माध्यम से अपनी दुनिया को अर्थ देते हैं।
- सामाजिक संस्थाएं समाज को स्थिर रखती हैं।
- सामाजिक परिवर्तन हमेशा क्रांति से होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस विचार पर जोर देता है कि मनुष्य प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से वे अपनी वास्तविकता और अपने आसपास की दुनिया के लिए अर्थ निर्मित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को इस दृष्टिकोण का जनक माना जाता है। वे “The Self,” “The Other,” और “The Generalized Other” जैसी अवधारणाओं के माध्यम से आत्म (self) के निर्माण को समझाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद के करीब है। (c) संरचनात्मक प्रकार्यवाद है। (d) मार्क्सवादी दृष्टिकोण हो सकता है, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मूल विचार नहीं।
प्रश्न 18: “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) की अवधारणा, जो समाज को विभिन्न आर्थिक वर्गों के बीच निरंतर संघर्ष के रूप में देखती है, किस विचारक का केंद्रीय सिद्धांत है?
- Max Weber
- Émile Durkheim
- Karl Marx
- Auguste Comte
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स के लिए, इतिहास उत्पादन के साधनों के स्वामित्व को लेकर विभिन्न वर्गों (मुख्यतः बुर्जुआ और सर्वहारा) के बीच संघर्ष का इतिहास है। उनका मानना था कि यह संघर्ष अंततः समाज को साम्यवाद की ओर ले जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा “The Communist Manifesto” (1848) और “Das Kapital” (1867) जैसे उनके प्रमुख कार्यों में केंद्रीय है।
- गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, दर्जा और शक्ति के बीच जटिल संबंधों का विश्लेषण किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे को समाजशास्त्र का संस्थापक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 19: “जाति व्यवस्था” (Caste System) में “अंतर्विवाह” (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- समूह के सदस्यों के बीच विवाह की अनुमति।
- समूह के सदस्यों के बीच विवाह पर प्रतिबंध।
- किसी विशेष जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करने की प्रथा।
- विभिन्न जातियों के सदस्यों के बीच विवाह की अनुमति।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: अंतर्विवाह (Endogamy) का अर्थ है विवाह की वह प्रथा जिसमें व्यक्ति केवल अपने स्वयं के सामाजिक समूह (जैसे जाति, उप-जाति, कबीले, धार्मिक समूह) के भीतर ही विवाह कर सकता है। भारतीय जाति व्यवस्था में, यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विशेषता रही है, जिसने जातियों की अलगाव और अखंडता को बनाए रखने में मदद की है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है अपने समूह के बाहर विवाह करना।
- गलत विकल्प: (a) और (d) बहिर्विवाह (Exogamy) के करीब हैं, जबकि (b) एक निषेधात्मक कथन है। (c) अंतर्विवाह की सटीक परिभाषा देता है।
प्रश्न 20: “प्रवासी समाजशास्त्र” (Urban Sociology) में, “शहरीकरण” (Urbanization) की प्रक्रिया का तात्पर्य क्या है?
- ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि।
- ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण और शहरी क्षेत्रों के आकार और अनुपात में वृद्धि।
- शहरी क्षेत्रों में कृषि गतिविधियों में वृद्धि।
- शहरी क्षेत्रों में पारंपरिक जीवन शैली का पुनरुत्थान।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: शहरीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें मुख्य रूप से लोगों का ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन, शहरी आबादी का प्रतिशत बढ़ना, और शहरी जीवन शैली और संस्कृति का प्रसार शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: रॉबर्ट पार्क और शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों ने शहरीकरण और शहरी जीवन की विशेषताओं का गहन अध्ययन किया।
- गलत विकल्प: (a) केवल एक पहलू है, लेकिन यह शहरीकरण का पूर्ण अर्थ नहीं है। (c) शहरीकरण का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह इसकी परिभाषा नहीं है। (d) शहरीकरण की विपरीत प्रक्रिया हो सकती है।
प्रश्न 21: “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) का वह रूप जो औपचारिक कानूनों, पुलिस, अदालतों और जेलों के माध्यम से लागू किया जाता है, क्या कहलाता है?
- अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण (Informal Social Control)
- नैतिक सामाजिक नियंत्रण (Moral Social Control)
- औपचारिक सामाजिक नियंत्रण (Formal Social Control)
- पारंपरिक सामाजिक नियंत्रण (Traditional Social Control)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण व्यवस्थित, लिखित नियमों और दंडों पर आधारित होता है जो किसी संस्था (जैसे सरकार, कानून प्रवर्तन) द्वारा लागू किए जाते हैं। यह अनौपचारिक नियंत्रण (जैसे परिवार, दोस्तों की राय, सामाजिक बहिष्कार) के विपरीत है।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए सामाजिक नियंत्रण के महत्व का अध्ययन करते हैं।
- गलत विकल्प: अनौपचारिक नियंत्रण (a) में सार्वजनिक राय, परिवार का दबाव, आदि शामिल हैं। नैतिक (b) और पारंपरिक (d) नियंत्रण औपचारिक नियंत्रण के प्रकार नहीं हैं, बल्कि अनौपचारिक नियंत्रण के घटक हो सकते हैं।
प्रश्न 22: “धर्मनिरपेक्षीकरण” (Secularization) की प्रक्रिया का तात्पर्य है:
- सभी समाजों का धीरे-धीरे एक ही धर्म को अपनाना।
- सार्वजनिक जीवन में धर्म की घटती प्रासंगिकता और प्रभाव।
- धर्म का राजनीतिकरण।
- धार्मिक अनुष्ठानों में वृद्धि।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: धर्मनिरपेक्षीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज में धर्म की भूमिका और शक्ति में गिरावट आती है। इसमें धर्म का सार्वजनिक जीवन से हटना, व्यक्तिगत जीवन में उसका महत्व कम होना और तर्कसंगत तथा धर्मनिरपेक्ष संस्थाओं (जैसे राज्य, शिक्षा) का उदय शामिल हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिकता के प्रमुख पहलुओं में से एक माना जाता है, जिसका विश्लेषण विभिन्न समाजशास्त्रियों (जैसे मैक्स वेबर) ने किया है।
- गलत विकल्प: (a) धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत है। (c) धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत है, क्योंकि यह धर्म के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव को दर्शाता है। (d) भी धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत हो सकता है, क्योंकि यह धार्मिकता की निरंतरता या वृद्धि को दर्शाता है।
प्रश्न 23: “जनजातीय भारत” (Tribal India) के संदर्भ में, “अलगाव” (Isolation) का क्या तात्पर्य है?
- जनजातियों का मुख्यधारा के समाज से दूर भौगोलिक रूप से रहना।
- जनजातियों की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाओं और पहचान को बनाए रखना।
- दोनों (a) और (b)
- जनजातियों द्वारा अपनी पारंपरिक अर्थव्यवस्था का पूर्ण त्याग।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जनजातीय भारत के संदर्भ में, अलगाव के दो प्रमुख पहलू हैं: भौगोलिक अलगाव (दूरस्थ या दुर्गम क्षेत्रों में निवास) और सांस्कृतिक अलगाव (अपनी अनूठी प्रथाओं, भाषाओं और पहचान को बनाए रखना, जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से अलग करती है)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव कभी-कभी अनजाने में (संरक्षण के कारण) और कभी-कभी जानबूझकर (अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए) होता है।
- गलत विकल्प: (d) अलगाव का एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन अलगाव का अर्थ स्वयं पारंपरिक अर्थव्यवस्था का त्याग नहीं है, बल्कि बाहरी दुनिया से दूरी है।
प्रश्न 24: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से तात्पर्य है:
- किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना।
- समाज में लोगों के बीच बातचीत की प्रक्रिया।
- समाज में सांस्कृतिक प्रथाओं का प्रसार।
- किसी समुदाय में जनसंख्या का घनत्व।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह समय के साथ एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाते हैं। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक स्तरीकरण के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- गलत विकल्प: (b) सामाजिक अंतःक्रिया (social interaction) है। (c) सांस्कृतिक प्रसार (cultural diffusion) है। (d) जनसंख्या घनत्व (population density) है।
प्रश्न 25: “सामाजिक समस्या” (Social Problem) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?
- कोई भी स्थिति जो किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करती है।
- एक ऐसी स्थिति जिसे समाज के एक महत्वपूर्ण भाग द्वारा समस्या माना जाता है और जिसे सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
- केवल वह स्थिति जो कानून का उल्लंघन करती है।
- ऐसी स्थिति जो समाज की समग्र समृद्धि को बढ़ाती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, एक सामाजिक समस्या केवल व्यक्तिगत कठिनाई नहीं होती, बल्कि एक ऐसी स्थिति होती है जिसे समाज का एक महत्वपूर्ण अंश समस्या के रूप में पहचानता है और जिसे सामूहिक या संस्थागत हस्तक्षेप द्वारा हल करने की आवश्यकता होती है। इसमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक या पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: गरीबी, अपराध, भेदभाव, प्रदूषण आदि सामान्य सामाजिक समस्याएं हैं।
- गलत विकल्प: (a) केवल व्यक्तिगत समस्या है। (c) कानूनी समस्या को दर्शाता है, न कि सामाजिक समस्या को। (d) सामाजिक समस्या के विपरीत है।
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