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समाजशास्त्र की गहराई में उतरें: 25 प्रश्न, 25 समाधान

समाजशास्त्र की गहराई में उतरें: 25 प्रश्न, 25 समाधान

तैयारी के इस रोमांचक सफर में एक बार फिर आपका स्वागत है! आज हम आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान की कसौटी पर खरा उतरने के लिए 25 नए और चुनौतीपूर्ण प्रश्नों का संकलन लेकर आए हैं। अपनी अवधारणाओं को पैना करें, विभिन्न सिद्धांतों की समझ को परखें और भारतीय समाज के जटिल ताने-बाने को समझने की अपनी क्षमता को निखारें। चलिए, आज के इस बौद्धिक महासंग्राम में अपनी पकड़ मजबूत करते हैं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा किसने विकसित की, जिसमें उन्होंने समाज को व्यक्तियों के बीच संबंधों के एक जटिल जाल के रूप में देखा?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने ‘सामाजिक संरचना’ की अवधारणा को विस्तृत रूप से विकसित किया। उन्होंने समाज को ऐसे भागों (संस्थानों, भूमिकाओं, मानदंडों) के एक व्यवस्थित रूप में देखा जो एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स को संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक “The Social System” (1951) में सामाजिक संरचना के अपने सिद्धांत को विस्तार से समझाया, जिसमें उन्होंने समाज को एक गतिशील प्रणाली के रूप में देखा जो संतुलन बनाए रखने का प्रयास करती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान मुख्य रूप से ‘वर्ग संघर्ष’ और आर्थिक संरचना पर था। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकता’ (social solidarity) और ‘एनामी’ (anomie) जैसी अवधारणाओं पर काम किया। मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) और सत्ता (authority) की अवधारणाओं पर जोर दिया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?

  1. एमिल दुर्खीम – एनामी (Anomie)
  2. कार्ल मार्क्स – अलगाव (Alienation)
  3. मैक्स वेबर – आदर्श प्रारूप (Ideal Type)
  4. जॉर्ज सिमेल – आत्म-दर्पण (Looking-glass Self)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘आत्म-दर्पण’ (Looking-glass Self) की अवधारणा चार्ल्स कूली (Charles Horton Cooley) ने विकसित की थी, न कि जॉर्ज सिमेल ने।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली के अनुसार, हम खुद को दूसरों के दृष्टिकोण से देखते हैं (जैसे कि हम उन्हें दिखाई देते हैं) और फिर अपने बारे में एक भावना विकसित करते हैं। जॉर्ज सिमेल ने शहरीकरण, धन और आधुनिक समाज के प्रभाव पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन ‘आत्म-दर्पण’ उनकी प्रमुख अवधारणा नहीं है।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (सामाजिक मानदंडों के अभाव की स्थिति) को समझाया। कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद के तहत श्रमिकों के ‘अलगाव’ (Alienation) की बात की। मैक्स वेबर ने सामाजिक घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) का उपयोग किया।

प्रश्न 3: भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. यह धर्म की सार्वजनिक भूमिका में कमी को दर्शाता है।
  2. यह तर्कसंगतता और विज्ञान की प्रधानता को बढ़ावा देता है।
  3. यह अक्सर पश्चिमीकरण का एक स्वाभाविक परिणाम माना जाता है।
  4. यह हमेशा धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं के पूर्ण परित्याग की ओर ले जाता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: धर्मनिरपेक्षीकरण का अर्थ आवश्यक रूप से धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं का पूर्ण परित्याग नहीं है। यह धर्म की सार्वजनिक और राजनीतिक क्षेत्र में भूमिका को कम करने और व्यक्तिगत जीवन में अधिक महत्व देने की प्रक्रिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया व्यक्तिवादीकरण, तर्कसंगतता और वैज्ञानिक सोच के प्रसार से जुड़ी है। भारतीय संदर्भ में, यह जटिल है क्योंकि धर्म अक्सर सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बना रहता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) धर्मनिरपेक्षीकरण की सामान्य समझ से मेल खाते हैं। धर्म की सार्वजनिक भूमिका कम होती है, तर्कसंगतता बढ़ती है, और यह अक्सर आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण के साथ-साथ चलता है।

प्रश्न 4: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब एक व्यक्ति को?

  1. समाज द्वारा निर्धारित भूमिकाओं को पूरा करने में कठिनाई होती है।
  2. एक ही भूमिका के भीतर परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है।
  3. विभिन्न भूमिकाओं के लिए परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है।
  4. अपनी भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी होती है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) तब होता है जब किसी व्यक्ति की विभिन्न भूमिकाओं (जैसे, माता-पिता, कर्मचारी, दोस्त) की अपेक्षाएं एक-दूसरे के साथ असंगत होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को काम पर देर रात तक रुकना पड़ सकता है, लेकिन उसी समय उसे अपने बच्चे की स्कूल की पार्टी में जाना हो। इसके विपरीत, ‘भूमिका तनाव’ (Role Strain) तब होता है जब एक ही भूमिका के भीतर की अपेक्षाएं परस्पर विरोधी होती हैं।
  • गलत विकल्प: (a) भूमिका निर्वहन में कठिनाई को ‘भूमिका तनाव’ कहा जा सकता है। (b) एक ही भूमिका के भीतर परस्पर विरोधी अपेक्षाएं ‘भूमिका तनाव’ कहलाती हैं। (d) संसाधनों की कमी को ‘संसाधन अभाव’ कहा जा सकता है, जो भूमिका निर्वहन को प्रभावित करता है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘सबलीकरण’ (Empowerment) की अवधारणा का प्रयोग उन सामाजिक प्रक्रियाओं के वर्णन के लिए किया जिनके माध्यम से व्यक्तियों और समूहों को अपनी परिस्थितियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. मिशेल फूको
  3. मैनुअल कैस्टेल्स
  4. अल्फ्रेड शूत्ज़

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मिशेल फूको ने शक्ति (power) और ज्ञान (knowledge) के बीच संबंधों की जांच करते हुए उन प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला जिनसे व्यक्तियों को अपनी परिस्थितियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है, जिसे व्यापक अर्थों में सबलीकरण से जोड़ा जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: फूको का कार्य अक्सर सामाजिक नियंत्रण, प्रतिरोध और स्वयं के निर्माण (self-formation) से संबंधित रहा है, जो सबलीकरण की अवधारणा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने ‘ज्ञान-शक्ति’ (power-knowledge) के विचार को प्रस्तुत किया, जहां सत्ता संरचनाएं ज्ञान को कैसे आकार देती हैं और इसके विपरीत, ज्ञान कैसे शक्ति का स्रोत बनता है।
  • गलत विकल्प: पियरे बॉर्डियू ने ‘पूंजी’ (habitus, cultural capital) की अवधारणाएं दीं। मैनुअल कैस्टेल्स नेटवर्क समाज पर अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं। अल्फ्रेड शूत्ज़ ने घटना विज्ञान (phenomenology) के क्षेत्र में कार्य किया।

प्रश्न 6: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ के संदर्भ में, ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द का प्रयोग किस समुदाय के लिए किया जाता था?

  1. ब्राह्मण
  2. क्षत्रिय
  3. वैश्य
  4. दलित

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘अछूत’ शब्द का प्रयोग ऐतिहासिक रूप से उन समुदायों के लिए किया जाता था जिन्हें पारंपरिक भारतीय जाति व्यवस्था में सबसे नीचे रखा गया था और जिन्हें ‘दलित’ कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘दलित’ शब्द का अर्थ ‘दबा हुआ’ या ‘कुचला हुआ’ है और यह आत्म-पहचान का प्रतीक है। इन समुदायों को सदियों से सामाजिक बहिष्कार, भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ा है।
  • गलत विकल्प: ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य उच्च वर्णों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 7: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसके अनुसार समाज के गैर-भौतिक पहलू (जैसे मानदंड, मूल्य) भौतिक पहलुओं (जैसे प्रौद्योगिकी) की तुलना में धीरे-धीरे बदलते हैं?

  1. विलियम ग्राहम समनर
  2. एल्बिन टॉफलर
  3. ऑगस्ट कॉम्टे
  4. हर्बर्ट स्पेंसर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner) ने अपनी पुस्तक “Folkways” (1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा पेश की।
  • संदर्भ और विस्तार: समनर ने बताया कि समाज में नवाचार (जैसे नई प्रौद्योगिकियां) भौतिक संस्कृति को तेजी से बदलते हैं, लेकिन गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक रीति-रिवाज, नैतिक मूल्य) को इन परिवर्तनों के अनुरूप ढलने में अधिक समय लगता है, जिससे सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
  • गलत विकल्प: एल्बिन टॉफलर ‘फ्यूचर शॉक’ और ‘थर्ड वेव’ के लिए जाने जाते हैं। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘वैज्ञानिक पद्धति’ पर जोर दिया। हर्बर्ट स्पेंसर ने ‘सामाजिक डार्विनवाद’ का विचार विकसित किया।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था का प्राथमिक कार्य समाज के सदस्यों को ज्ञान, कौशल और मूल्यों को हस्तांतरित करना है?

  1. परिवार
  2. धर्म
  3. शिक्षा
  4. राजनीति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: शिक्षा प्रणाली का प्राथमिक कार्य औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीकों से समाज के सदस्यों को ज्ञान, कौशल, मूल्यों और मानदंडों को सिखाना है, जिससे वे समाज में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हो सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: शिक्षा सामाजिकीकरण (socialization) की एक प्रमुख एजेंसी है, जो अगली पीढ़ी को समाज की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के अनुसार ढालती है।
  • गलत विकल्प: परिवार भी समाजीकरण में भूमिका निभाता है, लेकिन ज्ञान और कौशल का औपचारिक हस्तांतरण मुख्य रूप से शिक्षा का कार्य है। धर्म विश्वास और नैतिकता सिखाता है, और राजनीति सत्ता और शासन से संबंधित है।

प्रश्न 9: ‘वर्चस्व’ (Hegemony) की अवधारणा, जो सामाजिक नियंत्रण के एक रूप का वर्णन करती है जहाँ शासक वर्ग अपनी विचारधारा को सर्वमान्य बना देता है, किसने विकसित की?

  1. जर्गेन हैबरमास
  2. सिएन्ट के. डोनोवन
  3. एंटोनियो ग्राम्शी
  4. ई.पी. थॉम्पसन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एंटोनियो ग्राम्शी (Antonio Gramsci) ने ‘वर्चस्व’ (Hegemony) की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि कैसे शासक वर्ग केवल बल या आर्थिक शक्ति से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और वैचारिक प्रभुत्व से भी शासन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ग्राम्शी के अनुसार, प्रभुत्व तब स्थापित होता है जब शासक वर्ग के विचार और मूल्य समाज के बड़े हिस्से द्वारा स्वीकार्य और स्वाभाविक माने जाने लगते हैं, जिससे मौजूदा शक्ति संरचनाएं बनी रहती हैं। उन्होंने इस पर अपनी “Prison Notebooks” में लिखा।
  • गलत विकल्प: जर्गेन हैबरमास ने ‘संचार क्रिया’ (communicative action) का सिद्धांत दिया। सिएन्ट के. डोनोवन और ई.पी. थॉम्पसन इतिहासकार हैं जिन्होंने सामाजिक आंदोलनों और वर्ग पर काम किया।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा भारत में ‘आदिवासी समाजों’ (Tribal Societies) की एक प्रमुख विशेषता नहीं है?

  1. विशिष्ट भाषा और संस्कृति
  2. भूमि और वन संसाधनों पर निर्भरता
  3. एक सजातीय सामाजिक-राजनीतिक संरचना
  4. जटिल नातेदारी व्यवस्था

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: आदिवासी समाजों में एक सजातीय (homogeneous) सामाजिक-राजनीतिक संरचना का होना उनकी विशेषता नहीं है। वास्तव में, उनमें अक्सर विभिन्न प्रकार की सामाजिक-राजनीतिक प्रणालियाँ पाई जाती हैं, जो वंशानुगत, सामुदायिक या परिषदों पर आधारित हो सकती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: आदिवासी समुदाय अपनी विशिष्ट भाषा, संस्कृति, भूमि और वन पर निर्भरता, और जटिल नातेदारी प्रणालियों के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, उनकी राजनीतिक संरचनाएं अक्सर गैर-आदिवासी समाजों की तुलना में अधिक विकेन्द्रीकृत या पारंपरिक हो सकती हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे पूरी तरह से सजातीय हों।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) आदिवासी समाजों की सामान्य और स्वीकृत विशेषताएं हैं।

  • प्रश्न 11: ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) की अवधारणा क्या है?

    1. यह विश्वास कि एक संस्कृति अपनी ही मान्यताओं और मूल्यों के आधार पर दूसरों का मूल्यांकन करती है।
    2. यह विश्वास कि सभी संस्कृतियाँ स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ होती हैं।
    3. यह विश्वास कि किसी संस्कृति को उसके अपने संदर्भ में समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी मानक से।
    4. यह विश्वास कि सभी संस्कृतियाँ अंततः एक सामान्य, सार्वभौमिक संस्कृति में विलीन हो जाएंगी।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद यह मानता है कि किसी भी संस्कृति का मूल्यांकन उसके अपने सांस्कृतिक संदर्भ, मानदंडों और मूल्यों के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि किसी अन्य संस्कृति (विशेषकर अपनी संस्कृति) के मानकों के आधार पर।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मानव विज्ञान (anthropology) और समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण है ताकि पूर्वाग्रहों से बचते हुए विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं को समझा जा सके। इसका उद्देश्य अन्य संस्कृतियों के प्रति सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देना है।
    • गलत विकल्प: (a) यह ‘सांस्कृतिक आत्म-केन्द्रवाद’ (ethnocentrism) का विपरीत है। (b) सभी संस्कृतियों का श्रेष्ठ होना एक अमान्य दावा है। (d) यह ‘सांस्कृतिक अभिसरण’ (cultural convergence) का विचार है।

    प्रश्न 12: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अध्ययन करने वाले समाजशास्त्रियों के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक वर्ग (Social Class) की एक प्रमुख विशेषता है?

    1. यह पूरी तरह से वंशानुगत होता है।
    2. यह पूरी तरह से धर्म पर आधारित होता है।
    3. यह मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति और जीवन शैली से जुड़ा होता है।
    4. यह केवल व्यक्तिगत योग्यता पर निर्भर करता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक वर्ग (Social Class) की अवधारणा मुख्य रूप से व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति, धन, आय और जीवन शैली के आधार पर समाज में उनके स्थान को दर्शाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स ने वर्ग को उत्पादन के साधनों के स्वामित्व से जोड़ा, जबकि मैक्स वेबर ने इसमें प्रतिष्ठा (status) और शक्ति (power) को भी शामिल किया। हालांकि वंशानुगत कारक (जैसे विरासत में मिली संपत्ति) भूमिका निभा सकते हैं, वर्ग मुख्य रूप से आर्थिक और जीवन शैली पर आधारित है, न कि विशुद्ध रूप से वंशानुगत या धार्मिक।
    • गलत विकल्प: (a) कुछ हद तक वंशानुगत प्रभाव होता है, लेकिन यह पूरी तरह से वंशानुगत नहीं है। (b) धर्म सामाजिक स्तरीकरण में भूमिका निभा सकता है, लेकिन वर्ग मुख्य रूप से आर्थिक है। (d) व्यक्तिगत योग्यता महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन वर्ग संरचनाएं व्यक्ति की क्षमताओं से परे होती हैं।

    प्रश्न 13: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रवर्तक किसे माना जाता है, जिन्होंने ‘स्व’ (Self) के विकास में प्रतीकों और अंतःक्रियाओं की भूमिका पर जोर दिया?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
    4. इर्विंग गॉफमैन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख संस्थापक माना जाता है। उन्होंने “Mind, Self, and Society” (1934) में ‘स्व’ (Self) के विकास की व्याख्या की, जिसमें उन्होंने ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) की अवधारणाएं प्रस्तुत कीं।
    • संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, ‘स्व’ सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है, जहाँ व्यक्ति दूसरों के साथ संवाद करने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा) का उपयोग करते हैं। वे दूसरों की प्रतिक्रियाओं को आत्मसात करके और ‘अन्य की सामान्यीकृत भूमिका’ (generalized other) को अपनाकर अपने बारे में एक समझ बनाते हैं।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर विभिन्न समाजशास्त्रीय दृष्टिकोणों से जुड़े हैं। इर्विंग गॉफमैन ‘नाटकीयता’ (dramaturgy) के लिए जाने जाते हैं, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से प्रभावित है।

    प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

    1. यह अक्सर पश्चिमीकरण से जुड़ा होता है।
    2. यह तर्कसंगतता, औद्योगीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा देता है।
    3. यह पारंपरिक संस्थाओं (जैसे परिवार, जाति) को मजबूत करता है।
    4. यह शिक्षा और प्रौद्योगिकी के प्रसार से प्रभावित होता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पारंपरिक संस्थाओं (जैसे परिवार, जाति) को मजबूत करने के बजाय उन्हें अक्सर रूपांतरित या कमजोर करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण औद्योगीकरण, शहरीकरण, पश्चिमीकरण, तर्कसंगतता, नौकरशाही का उदय, और शिक्षा व प्रौद्योगिकी के प्रसार जैसी प्रक्रियाओं से जुड़ा है। ये कारक अक्सर पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं और मूल्यों को चुनौती देते हैं और उनमें बदलाव लाते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) आधुनिकीकरण की सही विशेषताएं हैं।

    प्रश्न 15: ‘विस्थापन’ (Displacement) के सामाजिक प्रभावों का अध्ययन करने वाले समाजशास्त्री के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख परिणाम हो सकता है?

    1. पारंपरिक सामुदायिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण
    2. भूमि से जुड़ाव का गहरा होना
    3. सामाजिक-आर्थिक अलगाव और पहचान का संकट
    4. सांस्कृतिक जड़ों का मजबूत होना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जब लोग अपनी पारंपरिक भूमि या समुदायों से विस्थापित होते हैं (जैसे बांधों के निर्माण, विकास परियोजनाओं या संघर्षों के कारण), तो वे अक्सर सामाजिक-आर्थिक अलगाव, आजीविका के नुकसान और पहचान के संकट का अनुभव करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: विस्थापन से व्यक्ति अपनी जड़ों, समुदाय की सुरक्षा और पारंपरिक जीवन शैली से कट जाते हैं, जिससे नई सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के अनुकूल ढलने में कठिनाई होती है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) विस्थापन के सामान्य परिणाम नहीं हैं; इसके विपरीत, ये अनुभव अक्सर विस्थापित समुदायों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं।

    प्रश्न 16: ‘एनामी’ (Anomie) की अवधारणा, जो समाज में मानदंडों के कमजोर पड़ने और सामाजिक नियंत्रण में कमी की स्थिति का वर्णन करती है, किसने विकसित की?

    1. मैक्स वेबर
    2. कार्ल मार्क्स
    3. ई.डी. इवांस-प्रिचार्ड
    4. एमिल दुर्खीम

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने ‘एनामी’ (Anomie) की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में इसका उल्लेख किया।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, एनामी एक ऐसी स्थिति है जहाँ व्यक्ति को यह पता नहीं होता कि समाज के नियम या मानदंड क्या हैं, या जब वे बदलते हैं और व्यक्ति उनके साथ तालमेल बिठाने में असमर्थ होता है। यह सामाजिक विघटन की ओर ले जा सकता है।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ और ‘आदर्श प्रारूप’ पर काम किया। कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘अलगाव’ पर जोर दिया। ई.डी. इवांस-प्रिचार्ड एक मानवविज्ञानी थे जिन्होंने सूडान के नूअर (Nuer) और ज़ुलु (Azande) समाजों का अध्ययन किया।

    प्रश्न 17: ग्रामीण समाजशास्त्र के अनुसार, ‘जजमानी व्यवस्था’ (Jajmani System) निम्नलिखित में से किस पर आधारित थी?

    1. विशिष्ट उद्योगों में श्रम का विभाजन
    2. पारस्परिक सेवाओं और उत्तरदायित्वों का एक वंशानुगत संबंध
    3. बाजार-आधारित विनिमय
    4. सरकारी विनियमन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जजमानी व्यवस्था पारंपरिक भारतीय ग्रामीण समुदायों में एक ऐसी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जहाँ विभिन्न जातियों के बीच सेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान पारस्परिक और वंशानुगत आधार पर होता था। एक जाति (जैसे पुरोहित, नाई, कुम्हार) दूसरी जाति (जैसे किसान, जमींदार) को सेवाएँ प्रदान करती थी और बदले में उन्हें वस्तुएँ या आय मिलती थी।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था जातिगत पदानुक्रम और ग्रामीण आत्मनिर्भरता से जुड़ी थी। यह मुक्त बाजार विनिमय से भिन्न थी क्योंकि इसमें संबंध व्यक्तिगत और वंशानुगत होते थे।
    • गलत विकल्प: (a) श्रम का विभाजन था, लेकिन विशिष्ट रूप से पारम्परिक और वंशानुगत। (c) यह बाजार-आधारित नहीं थी। (d) सरकारी विनियमन मुख्य कारक नहीं था।

    प्रश्न 18: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जिसे कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिक के अनुभव का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया, का अर्थ क्या है?

    1. श्रमिक का अपने उत्पाद से, उत्पादन प्रक्रिया से, अपने साथी मनुष्यों से और स्वयं से अलगाव।
    2. श्रमिक का सरकार से अलगाव।
    3. श्रमिक का अपनी मजदूरी से अलगाव।
    4. श्रमिक का पारंपरिक संस्कृति से अलगाव।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी प्रणाली में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद (जिसे वह बेच देता है), उस श्रम की प्रक्रिया (जो उसकी अपनी रचनात्मकता से रहित होती है), अपने साथी मनुष्यों (जो प्रतिस्पर्धी होते हैं) और अंततः स्वयं की रचनात्मक क्षमता से भी अलग-थलग महसूस करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों के स्वामित्व और श्रम के वस्तुकरण (commodification of labor) का परिणाम है।
    • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) अलगाव के कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स की अवधारणा अधिक व्यापक और मौलिक थी।

    प्रश्न 19: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य को ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social Order) और ‘सामाजिक एकीकरण’ (Social Integration) पर जोर देने के लिए जाना जाता है?

    1. संघर्ष परिप्रेक्ष्य (Conflict Perspective)
    2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
    3. संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism)
    4. नारीवाद (Feminism)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) समाज को परस्पर संबंधित भागों (संरचनाओं) की एक प्रणाली के रूप में देखता है जो सभी मिलकर सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने में योगदान करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: इस परिप्रेक्ष्य के प्रमुख प्रस्तावक टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन थे। वे मानते थे कि समाज में हर संस्था या संरचना का एक ‘कार्य’ (function) होता है जो समाज की समग्र भलाई में योगदान देता है।
    • गलत विकल्प: संघर्ष परिप्रेक्ष्य शक्ति और संघर्ष पर जोर देता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत स्तर पर अर्थ निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। नारीवाद लिंग असमानता और उसके समाधान पर केंद्रित है।

    प्रश्न 20: भारतीय समाज में ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा, जो बाहरी पश्चिमी सांस्कृतिक तत्वों को अपनाने से संबंधित है, किसने विकसित की?

    1. एम.एन. श्रीनिवास
    2. टी.के. उमन
    3. इरावती कर्वे
    4. या.जी. युनूस

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा को प्रमुखता से विकसित किया, विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में। उन्होंने अपने अध्ययन “Social Change in Modern India” (1966) में इस पर विस्तार से चर्चा की।
    • संदर्भ और विस्तार: पश्चिमीकरण से तात्पर्य पश्चिमी देशों (जैसे ब्रिटेन) के विचारों, संस्थानों, प्रथाओं, जीवन शैली और प्रौद्योगिकी को अपनाने से है, जो ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में शुरू हुआ। यह संस्कृतिकरण (sanskritization) से भिन्न है, जो भारतीय संदर्भ में उच्च जातियों की नकल है।
    • गलत विकल्प: टी.के. उमन, इरावती कर्वे और या.जी. युनूस अन्य महत्वपूर्ण समाजशास्त्री और मानवविज्ञानी हैं जिन्होंने भारतीय समाज पर काम किया है, लेकिन पश्चिमीकरण की अवधारणा एम.एन. श्रीनिवास से प्रमुखता से जुड़ी है।

    प्रश्न 21: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा क्या है?

    1. एक व्यक्ति की आर्थिक संपत्ति।
    2. समाज में व्यक्तियों के बीच विश्वास, नेटवर्क और संबंधों का योग जो उन्हें लाभ पहुंचाता है।
    3. किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल का स्तर।
    4. सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सामाजिक सुरक्षा।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी व्यक्तियों के बीच मौजूद सामाजिक नेटवर्क, विश्वास, पारस्परिकता और सामान्य मानदंडों को संदर्भित करती है, जो सामूहिक कार्रवाई और व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोगी होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा का विकास किया है। यह एक अमूर्त संपत्ति है जो सहयोग और सामाजिक जुड़ाव के माध्यम से उत्पन्न होती है।
    • गलत विकल्प: (a) आर्थिक पूंजी से भिन्न है। (c) मानव पूंजी (human capital) से संबंधित है। (d) यह सरकारी प्रावधान से अधिक सामाजिक संबंधों पर केंद्रित है।

    प्रश्न 22: शहरी समाजशास्त्र के अनुसार, ‘गेमाईंशाफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गैसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) की अवधारणाएं क्रमशः क्या दर्शाती हैं?

    1. पारंपरिक, घनिष्ठ सामुदायिक संबंध और आधुनिक, व्यक्तिवादी संबंध।
    2. औपचारिक सामाजिक नियंत्रण और अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण।
    3. कृषि-आधारित समाज और उद्योग-आधारित समाज।
    4. आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था और बाजार-आधारित अर्थव्यवस्था।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: फर्डिनेंड टोनीज (Ferdinand Tönnies) ने ‘गेमाईंशाफ्ट’ (सामुदायिक जीवन) और ‘गैसेलशाफ्ट’ (सामंतवादी या समाज) की अवधारणाएं प्रस्तुत कीं। गेमाईंशाफ्ट पारंपरिक, घनिष्ठ, पारिवारिक और सामुदायिक संबंधों को दर्शाता है, जहाँ लोग एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। गैसेलशाफ्ट आधुनिक, बड़े, व्यक्तिवादी और लेन-देन संबंधी संबंधों को दर्शाता है, जहाँ संबंध साधनों के लिए होते हैं, साध्य के लिए नहीं।
    • संदर्भ और विस्तार: टोनीज ने दिखाया कि कैसे औद्योगिक क्रांति और शहरीकरण ने गेमाईंशाफ्ट से गैसेलशाफ्ट की ओर बदलाव को बढ़ावा दिया।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाज के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करते हैं, लेकिन गेमाईंशाफ्ट/गैसेलशाफ्ट का सबसे सटीक वर्णन (a) है।

    प्रश्न 23: भारतीय समाज में ‘सांस्कृतिक परिवर्तन’ (Cultural Change) को प्रभावित करने वाले कारकों में से निम्नलिखित में से कौन सा एक आंतरिक कारक नहीं है?

    1. धर्मनिरपेक्षीकरण
    2. पश्चिमीकरण
    3. जाति व्यवस्था में गतिशीलता
    4. तकनीकी नवाचार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: पश्चिमीकरण एक बाहरी कारक है जो भारतीय समाज में सांस्कृतिक परिवर्तन लाता है, न कि यह एक आंतरिक प्रक्रिया है जो भारतीय समाज के भीतर से उत्पन्न होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: धर्मनिरपेक्षीकरण, जाति व्यवस्था में गतिशीलता (जैसे संस्कृतिकरण या जातिगत पहचान का उत्थान) और तकनीकी नवाचार (जैसे संचार, परिवहन) भारतीय समाज के भीतर से उत्पन्न होने वाले या उस पर सीधे प्रभाव डालने वाले आंतरिक कारक हैं जो सांस्कृतिक परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) भारतीय समाज के भीतर होने वाले परिवर्तन या नवाचार हैं।

    प्रश्न 24: ‘जाति’ (Caste) और ‘वर्ग’ (Class) के बीच समाजशास्त्रीय अंतर के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

    1. जाति और वर्ग दोनों ही पूरी तरह से अर्जित स्थितियाँ हैं।
    2. जाति एक प्रदत्त स्थिति (ascribed status) है, जबकि वर्ग एक अर्जित स्थिति (achieved status) है।
    3. जाति एक अर्जित स्थिति है, जबकि वर्ग एक प्रदत्त स्थिति है।
    4. जाति और वर्ग दोनों ही पूरी तरह से प्रदत्त स्थितियाँ हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: भारतीय समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, ‘जाति’ एक प्रदत्त स्थिति (ascribed status) है, जो जन्म से निर्धारित होती है और इसमें सामाजिक गतिशीलता (mobility) सीमित होती है। इसके विपरीत, ‘वर्ग’ (विशेषकर पाश्चात्य समाजों में) मुख्य रूप से एक अर्जित स्थिति (achieved status) है, जो व्यक्तिगत योग्यता, प्रयास, शिक्षा और आर्थिक सफलता पर आधारित होती है, और इसमें सामाजिक गतिशीलता की अधिक संभावना होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: हालांकि आधुनिक भारतीय समाज में वर्ग और जाति के बीच कुछ अंतर्संबंध और गतिशीलता देखी जा सकती है, यह मूलभूत अंतर महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) दोनों प्रणालियों के चरित्र को गलत बताते हैं। (c) जाति और वर्ग की प्रकृति को उलट देता है।

    प्रश्न 25: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा ‘औपचारिक’ (Formal) सामाजिक नियंत्रण का एक उदाहरण है?

    1. परिवार द्वारा बच्चों का पालन-पोषण
    2. दोस्तों के समूह का दबाव
    3. कानून और न्याय प्रणाली
    4. धार्मिक उपदेश

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: कानून, पुलिस, अदालतें और जेल जैसी संस्थाएं औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं। ये संस्थाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित नियमों, दंडों और प्रक्रियाओं के माध्यम से व्यवहार को विनियमित करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण में परिवार, मित्र, समुदाय, धर्म और जनमत शामिल होते हैं, जो प्रशंसा, निंदा, सामाजिक बहिष्कार या परंपराओं के माध्यम से व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) परिवार अनौपचारिक नियंत्रण का उदाहरण है। (b) दोस्तों का समूह भी अनौपचारिक नियंत्रण का एक रूप है। (d) धार्मिक उपदेश और अनुष्ठान अनौपचारिक नियंत्रण के अंतर्गत आते हैं।

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