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समाजशास्त्र की गहन समझ: आज का 25 प्रश्नों का अभ्यास

समाजशास्त्र की गहन समझ: आज का 25 प्रश्नों का अभ्यास

नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। यह दैनिक अभ्यास सत्र आपको समाजशास्त्र के विशाल क्षेत्र में गहराई तक ले जाएगा, विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर आपके ज्ञान को चुनौती देगा। आइए, आज के विचारोत्तेजक प्रश्नों के साथ अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को सबसे अच्छी तरह किसने परिभाषित किया है, जो समाज के भीतर व्यक्तियों और समूहों के बीच व्यवस्थित पैटर्न और संबंधों पर बल देता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमीले दुर्खीम
  4. टेल्कोट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: टेल्कोट पार्सन्स ने “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को समाज के स्थिर और व्यवस्थित पैटर्न के रूप में परिभाषित किया, जिसमें सामाजिक क्रियाएं, भूमिकाएं और संस्थाएं शामिल हैं। उन्होंने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जिसके विभिन्न हिस्से एक साथ कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स, संरचनात्मक-प्रकार्यवाद के प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्होंने “द स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन” (1937) जैसी अपनी कृतियों में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया, जिसमें समाज को एक ऐसे तंत्र के रूप में देखा गया जो संतुलन और व्यवस्था बनाए रखता है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने “वर्ग संघर्ष” और आर्थिक व्यवस्था पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने “सामाजिक क्रिया” और “वर्टेहेन” (Verstehen) पर ध्यान केंद्रित किया। एमीले दुर्खीम ने “सामाजिक एकजुटता” और “सामूहिकता” जैसे विचारों को प्रस्तुत किया, हालांकि वे भी सामाजिक संरचना की बात करते थे, पर पार्सन्स ने इसे अधिक व्यवस्थित रूप से विकसित किया।

प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी नौकरशाही (Bureaucracy) की विशेषता नहीं है?

  1. स्पष्ट पदानुक्रमित संरचना
  2. विशेषज्ञता और श्रम विभाजन
  3. अव्यक्त नियम और प्रक्रियाएं
  4. व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित निर्णय

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-वैधानिक अधिकार (Rational-Legal Authority) पर आधारित एक आदर्श प्रकार (Ideal Type) के रूप में वर्णित किया। इसमें व्यक्तिगत संबंधों, भावनाओं या पक्षपात के लिए कोई स्थान नहीं है; निर्णय वस्तुनिष्ठ नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक “अर्थव्यवस्था और समाज” (Economy and Society) में नौकरशाही के चार प्रमुख लक्षण बताए: (1) पदानुक्रमित व्यवस्था, (2) लिखित नियमों पर आधारित संचालन, (3) विशेषज्ञता और अर्हता के आधार पर चयन, और (4) अलगाव (Impersonality)।
  • गलत विकल्प: स्पष्ट पदानुक्रम, विशेषज्ञता और अव्यक्त नियम (जो स्पष्ट और लिखित होते हैं) सभी वेबर द्वारा बताई गई नौकरशाही की विशेषताएं हैं। व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित निर्णय वेबर की नौकरशाही के बिल्कुल विपरीत हैं, जो निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता पर आधारित है।

प्रश्न 3: “एनामिक” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों में शिथिलता या अभाव की स्थिति का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. ऑगस्ट कॉम्टे
  3. एमीले दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमीले दुर्खीम ने “एनामिक” (Anomie) की अवधारणा को प्रस्तुत किया। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ समाज के सदस्यों के लिए कोई स्पष्ट नियम या नैतिक दिशा-निर्देश नहीं रह जाते, जिससे समाज में अव्यवस्था और व्यक्तिवाद बढ़ जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “आत्महत्या” (Suicide) में एनामिक आत्महत्या (Anomic Suicide) के रूप में इस अवधारणा का विस्तार से अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि आर्थिक मंदी या अभूतपूर्व समृद्धि जैसी सामाजिक उथल-पुथल की स्थितियाँ एनामी को जन्म दे सकती हैं।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था। ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने “प्रत्यक्षवाद” (Positivism) का सिद्धांत दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए “सामाजिक डार्विनवाद” की अवधारणा प्रस्तुत की।

प्रश्न 4: किस समाजशास्त्री ने “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के परिप्रेक्ष्य को विकसित किया, जो सामाजिक जीवन में प्रतीकों और अंतःक्रियाओं के महत्व पर जोर देता है?

  1. इर्विंग गॉफमैन
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. चार्ल्स हॉर्टन कूली
  4. हरबर्ट ब्लूमर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का जनक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि व्यक्ति अपनी स्वयं की चेतना और आत्म-बोध (Self) को सामाजिक अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से विकसित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने “दि माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” (Mind, Self and Society) में अपने विचारों को प्रस्तुत किया। उन्होंने ‘आई’ (I) और ‘मी’ (Me) के बीच अंतर स्पष्ट किया, जहाँ ‘मी’ समाज के सामान्यीकृत अन्य (Generalized Other) का प्रतिनिधित्व करता है, और ‘आई’ उस पर हमारी प्रतिक्रिया है।
  • गलत विकल्प: इर्विंग गॉफमैन ने “नाटकशास्त्र” (Dramaturgy) के माध्यम से सामाजिक अंतःक्रियाओं का अध्ययन किया। चार्ल्स हॉर्टन कूली ने “लुक-ग्लास सेल्फ” (Looking-glass Self) की अवधारणा दी, जो मीड के विचारों से काफी मिलती-जुलती है, लेकिन मीड को मुख्य प्रस्तावक माना जाता है। हरबर्ट ब्लूमर ने “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” शब्द गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित रूप दिया।

प्रश्न 5: भारत में “जाति व्यवस्था” (Caste System) की निम्नलिखित में से कौन सी प्रमुख विशेषता नहीं है?

  1. अंतर्विवाह (Endogamy)
  2. पेशागत विशिष्टता
  3. सामाजिक गतिशीलता की स्वतंत्रता
  4. जातिगत शुद्धता और प्रदूषण की अवधारणा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता कठोर सामाजिक स्तरीकरण है, जिसमें सामाजिक गतिशीलता (एक जाति से दूसरी जाति में ऊपर या नीचे जाना) लगभग असंभव या अत्यंत कठिन है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में अंतर्विवाह (अपनी जाति के भीतर विवाह), पेशागत विशिष्टता (जन्म से निर्धारित व्यवसाय), और शुद्धता-अशुद्धता की भावनाएं प्रमुख हैं। यह व्यवस्था जन्म पर आधारित है और व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को निर्धारित करती है।
  • गलत विकल्प: अंतर्विवाह, पेशागत विशिष्टता और शुद्धता-अशुद्धता की अवधारणाएं जाति व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं हैं। सामाजिक गतिशीलता की स्वतंत्रता इसके बिल्कुल विपरीत है; जाति व्यवस्था गतिशीलता को सीमित करती है।

  • प्रश्न 6: “संरचनात्मक-प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जाता है जिसके विभिन्न भाग मिलकर सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता में योगदान करते हैं। इस सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. मैक्स वेबर
    3. एमीले दुर्खीम
    4. टेल्कोट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: टेल्कोट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद के दो सबसे प्रभावशाली विचारक हैं। उन्होंने समाज को विभिन्न अंतःसंबंधित भागों (संस्थाएं, भूमिकाएं, मूल्य) की एक प्रणाली के रूप में देखा, जिनका प्रत्येक का एक विशेष कार्य (Function) होता है जो संपूर्ण प्रणाली के अस्तित्व और संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था, स्वचालन (Equilibration) और सामाजिक नियंत्रण पर जोर दिया। मर्टन ने “प्रकट कार्य” (Manifest Functions) और “प्रच्छन्न कार्य” (Latent Functions) तथा “विपर्यास कार्य” (Dysfunctions) जैसी अवधारणाएं विकसित कीं, जिन्होंने प्रकार्यवाद की आलोचनात्मक समझ को बढ़ाया।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर मुख्य रूप से संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) और व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) से जुड़े हैं, न कि संरचनात्मक-प्रकार्यवाद से, हालांकि दुर्खीम के कार्य इस दिशा में प्रारंभिक थे।

    प्रश्न 7: “पाश्चात्त्यीकरण” (Westernization) की अवधारणा, जिसका प्रयोग भारत में सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में एम.एन. श्रीनिवास द्वारा किया गया, क्या दर्शाती है?

    1. पश्चिमी देशों के रीति-रिवाजों, जीवन शैली और विचारों का अनुकरण
    2. तकनीकी प्रगति को अपनाना
    3. शहरीकरण की प्रक्रिया
    4. आधुनिक शिक्षा प्रणाली को अपनाना

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने “पाश्चात्त्यीकरण” की अवधारणा का प्रयोग ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय समाज में आए परिवर्तनों को समझाने के लिए किया। यह मुख्य रूप से पश्चिमी जीवन शैली, रीति-रिवाजों, मूल्यों, प्रौद्योगिकी और विचारों को अपनाने की प्रक्रिया को दर्शाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज इन मॉडर्न इंडिया” (Social Change in Modern India) में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की। यह संस्कृतीकरण (Sanskritization) से भिन्न है, जहाँ निम्न जातियाँ उच्च जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाती हैं।
    • गलत विकल्प: तकनीकी प्रगति को अपनाना “आधुनिकीकरण” (Modernization) का हिस्सा है। शहरीकरण एक अलग प्रक्रिया है। जबकि पाश्चात्त्यीकरण में कुछ हद तक आधुनिक शिक्षा शामिल हो सकती है, इसका मुख्य अर्थ पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण है।

    प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का आधार नहीं है?

    1. धन और संपत्ति
    2. पेशा
    3. जाति
    4. लोकप्रियता

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण समाज को विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित करने की एक व्यवस्था है, जो असमानता पर आधारित होती है। धन, संपत्ति, पेशा और जाति जैसे कारक समाज में शक्ति, विशेषाधिकार और प्रतिष्ठा के असमान वितरण को दर्शाते हैं, जो स्तरीकरण का आधार बनते हैं। लोकप्रियता एक व्यक्तिगत गुण है, न कि सामाजिक स्तरीकरण का स्थायी आधार।
    • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण व्यवस्थाएं जैसे वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि समाजों में असमानता को संस्थागत बनाती हैं। लोकप्रियता अस्थायी हो सकती है और यह शक्ति या संसाधन-आधारित स्तरीकरण को परिभाषित नहीं करती है।
    • गलत विकल्प: धन, संपत्ति, पेशा और जाति सभी सामाजिक स्तरीकरण के महत्वपूर्ण आधार हैं। लोकप्रियता सामाजिक मान्यता का एक रूप हो सकती है, लेकिन यह एक प्रणालीगत स्तरीकरण का आधार नहीं है।

    प्रश्न 9: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त लाभों को संदर्भित करती है, किस समाजशास्त्री से प्रमुख रूप से जुड़ी है?

    1. पियरे बॉर्डियू
    2. जेम्स कोलमन
    3. रॉबर्ट पटनम
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पटनम जैसे प्रमुख समाजशास्त्रियों द्वारा किया गया है, हालांकि उन्होंने अपने-अपने तरीके से इस पर जोर दिया। बॉर्डियू ने इसे व्यक्तिगत संसाधन के रूप में देखा, कोलमन ने इसे सामाजिक संरचना का एक गुण माना, और पटनम ने सामुदायिक जीवन और नागरिक जुड़ाव के महत्व पर प्रकाश डाला।
    • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक पूंजी के बीच संबंध दिखाया। कोलमन ने इसे “सामाजिक संरचनाओं के पहलू जो सामाजिक कर्ताओं (व्यक्तियों या सामूहिक कर्ताओं) के भीतर कुछ क्रियाएं करने में सक्षम बनाते हैं” के रूप में परिभाषित किया। पटनम ने “मेकिंग डेमोक्रेसी वर्क” (Making Democracy Work) में नागरिक जुड़ाव और सामाजिक पूंजी के महत्व पर जोर दिया।
    • गलत विकल्प: तीनों ही विचारक इस अवधारणा के विकास से गहराई से जुड़े हैं, इसलिए केवल एक को चुनना अपूर्ण होगा।

    प्रश्न 10: समाज में “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों के अलगाव की बात, किस समाजशास्त्री ने की है?

    1. मैक्स वेबर
    2. एमीले दुर्खीम
    3. कार्ल मार्क्स
    4. सिगमंड फ्रायड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद के तहत श्रमिकों द्वारा अनुभव किए जाने वाले अलगाव की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव बताए: उत्पादन के साधन से, उत्पादन की प्रक्रिया से, अपनी मानव प्रजाति से, और अन्य मनुष्यों से।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी “आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ 1844” (Economic and Philosophical Manuscripts of 1844) में अलगाव की अवधारणा को विकसित किया। उनके अनुसार, पूंजीवाद श्रमिकों को उनके श्रम के उत्पाद, सृजनात्मक प्रक्रिया, अपनी मानवता और अन्य लोगों से अलग कर देता है।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता के कारण होने वाले अलगाव पर कुछ विचार व्यक्त किए, लेकिन मार्क्स का विश्लेषण अधिक केंद्रीय और व्यापक है। एमीले दुर्खीम ने “एनामी” की बात की, जो अलगाव से संबंधित है पर समान नहीं है। सिगमंड फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे।

    प्रश्न 11: “संस्कृति” (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें क्या शामिल है?

    1. केवल कला, संगीत और साहित्य
    2. लोगों के सीखने के तरीके, विश्वास, मूल्य, व्यवहार और सामग्री वस्तुएं
    3. केवल सामाजिक संरचनाएं और संस्थाएं
    4. समाज में शक्ति का वितरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, संस्कृति एक व्यापक शब्द है जो किसी समाज के सदस्यों द्वारा साझा की जाने वाली सीखी हुई व्यवहार पद्धतियों, विश्वासों, मूल्यों, प्रतीकों, भाषा, कला, साहित्य, ज्ञान, नैतिकता, कानून और अन्य क्षमताओं और आदतों का समग्र रूप है। यह वह सब कुछ है जो सीखा जाता है और समाज द्वारा प्रसारित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा मानवशास्त्री ई.बी. टायलर के काम से भी प्रभावित है, जिन्होंने संस्कृति को “वह जटिल संपूर्णता जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं, जो समाज के सदस्य के रूप में मनुष्य द्वारा अर्जित की जाती हैं।”
    • गलत विकल्प: संस्कृति कला, संगीत और साहित्य से कहीं अधिक है। यह केवल सामाजिक संरचनाएं या शक्ति वितरण भी नहीं है। संस्कृति में सीखी गई व्यवहार पद्धतियाँ और सामग्री वस्तुएं शामिल हैं।

    प्रश्न 12: “प्रतीकात्मक प्रकार्यवाद” (Symbolic Functionalism) के दृष्टिकोण से, समाज का अस्तित्व निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है?

    1. वर्ग संघर्ष और क्रांति
    2. प्रमुख समूहों द्वारा अपने प्रभुत्व को बनाए रखना
    3. लोगों द्वारा दैनिक जीवन में अर्थ और अंतःक्रियाओं का निर्माण
    4. सामाजिक संस्थानों द्वारा स्थिरता बनाए रखना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: प्रतीकात्मक प्रकार्यवाद (जो मीड और ब्लूमर से जुड़ा है) मानता है कि समाज व्यक्तियों द्वारा प्रतीकों और अर्थों के माध्यम से की जाने वाली अंतःक्रियाओं से निर्मित होता है। लोग अपने आसपास की दुनिया को समझने के लिए प्रतीकों का उपयोग करते हैं और इन प्रतीकों के माध्यम से एक-दूसरे से संवाद करते हैं, जिससे समाज का ताना-बाना बुना जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, सामाजिक वास्तविकता स्थिर नहीं है, बल्कि लगातार लोगों द्वारा अर्थ बनाने और सामाजिक संदर्भों में कार्य करने की प्रक्रिया में निर्मित होती रहती है।
    • गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष (मार्क्स), प्रभुत्व (संघर्ष सिद्धांत) या केवल संस्थानों द्वारा स्थिरता (संरचनात्मक प्रकार्यवाद) पर प्रतीकात्मक प्रकार्यवाद का मुख्य जोर नहीं है। यह व्यक्तियों द्वारा अर्थ-निर्माण पर केंद्रित है।

    प्रश्न 13: “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) की अवधारणा, जो समाज को उत्पादन के साधनों के स्वामित्व पर आधारित विरोधी वर्गों में विभाजित करती है, किस समाजशास्त्री का केंद्रीय विचार है?

    1. मैक्स वेबर
    2. एमीले दुर्खीम
    3. कार्ल मार्क्स
    4. ऑगस्ट कॉम्टे

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने अपनी ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) की अवधारणा के तहत वर्ग संघर्ष को समाज के विकास का मुख्य इंजन बताया। उनके अनुसार, इतिहास दास-स्वामी, सामंत-किसान और पूंजीपति-श्रमिक जैसे विरोधी वर्गों के बीच संघर्ष का इतिहास रहा है।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने “दास कैपिटल” (Das Kapital) और “कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो” (The Communist Manifesto) जैसी अपनी कृतियों में इस विचार को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने तर्क दिया कि पूंजीपति वर्ग (Bourgeoisie) श्रमिकों (Proletariat) का शोषण करता है, जिससे संघर्ष उत्पन्न होता है।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने वर्ग, स्थिति (Status) और शक्ति (Party) के आधार पर स्तरीकरण को बहुआयामी माना, न कि केवल आर्थिक वर्ग पर आधारित। एमीले दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। ऑगस्ट कॉम्टे प्रत्यक्षवादी थे।

    प्रश्न 14: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

    1. समाज में व्यक्तियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान
    2. व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना
    3. समाज में संस्थाओं का विकास
    4. सामाजिक मानदंडों का पालन करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति (ऊपर या नीचे) बदलते हैं। यह ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) या क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में किसी व्यक्ति का अपनी आय, शिक्षा या व्यवसाय के कारण उच्च या निम्न स्तर पर जाना शामिल है। क्षैतिज गतिशीलता तब होती है जब कोई व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति बदले बिना एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाता है, जैसे कि एक ही पद पर रहते हुए एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरित होना।
    • गलत विकल्प: विचारों का आदान-प्रदान संचार है। संस्थाओं का विकास सामाजिक परिवर्तन का एक पहलू है। सामाजिक मानदंडों का पालन करना सामाजिककरण है।

    प्रश्न 15: “सहयोग” (Cooperation) को समाजशास्त्र में किस प्रकार की सामाजिक प्रक्रिया के रूप में वर्गीकृत किया गया है?

    1. संघर्ष (Conflict)
    2. प्रतिस्पर्धा (Competition)
    3. समानुभूति (Symbiosis)
    4. सहयोग (Association)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, सहयोग (Association) को प्राथमिक सामाजिक प्रक्रियाओं में से एक के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहाँ व्यक्ति या समूह सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करते हैं। यह एक रचनात्मक और एकीकृत प्रक्रिया है।
    • संदर्भ और विस्तार: अन्य प्रमुख सामाजिक प्रक्रियाएं संघर्ष (Conflict), प्रतिस्पर्धा (Competition) और अलगाव (Alienation) या विरोध (Antagonism) हैं। सहयोग सामाजिक व्यवस्था, एकजुटता और प्रगति के लिए आवश्यक है।
    • गलत विकल्प: संघर्ष और प्रतिस्पर्धा नकारात्मक या प्रतिस्पर्धी प्रक्रियाएं हैं। समानुभूति (Symbiosis) आमतौर पर विभिन्न प्रजातियों के बीच सह-अस्तित्व को दर्शाता है, जो यहाँ सबसे उपयुक्त नहीं है। सहयोग (Association) सबसे सटीक वर्गीकरण है।

    प्रश्न 16: “पारिवारिक संरचना” (Family Structure) के संदर्भ में, “संयुक्त परिवार” (Joint Family) की प्रमुख विशेषता क्या है?

    1. पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे
    2. कई पीढ़ियों के सदस्य एक साथ रहते हैं और संपत्ति साझा करते हैं
    3. एकल माता-पिता और उनके बच्चे
    4. पालक माता-पिता और उनके बच्चे

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: संयुक्त परिवार एक ऐसी पारिवारिक इकाई है जिसमें परिवार के कई सदस्य, अक्सर तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य (दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे) एक ही छत के नीचे रहते हैं, एक सामान्य रसोई साझा करते हैं, और संपत्ति तथा आय को संयुक्त रूप से रखते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह संरचना भारत जैसे देशों में पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण रही है। यह साझा उत्तरदायित्व, बुजुर्गों का सम्मान और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अभाव हो सकता है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) नाभिकीय परिवार (Nuclear Family) का वर्णन करता है। विकल्प (c) एकल-माता-पिता परिवार का, और (d) पालक परिवार का।

    प्रश्न 17: “धर्म” (Religion) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, यह केवल व्यक्तिगत विश्वास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें क्या शामिल है?

    1. केवल पुरोहितों और धार्मिक नेताओं द्वारा निभाई गई भूमिका
    2. सामुदायिक अनुष्ठान, विश्वास प्रणाली और नैतिक संहिताएं जो सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देती हैं
    3. केवल धार्मिक ग्रंथ और उपदेश
    4. व्यक्तिगत मोक्ष की तलाश

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एमीले दुर्खीम जैसे समाजशास्त्रियों ने धर्म को एक “सामूहिक चेतना” (Collective Consciousness) के रूप में देखा, जो पवित्र (Sacred) और अपवित्र (Profane) के बीच अंतर करने वाले विश्वासों और अनुष्ठानों की एक एकीकृत प्रणाली है। यह समाज में सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) और व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “धर्म का प्रारंभिक स्वरूप” (The Elementary Forms of Religious Life) में अनुष्ठानों और सामूहिक भागीदारी के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि ये समाज को एक साथ बांधते हैं।
    • गलत विकल्प: धर्म केवल पुरोहितों, ग्रंथों या व्यक्तिगत मोक्ष तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक जीवन का एक संगठित और सामूहिक पहलू है।

    प्रश्न 18: “शिक्षा” (Education) की समाजशास्त्रीय भूमिका के अनुसार, यह न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि _______ की प्रक्रिया भी है?

    1. सामाजिक विघटन
    2. सामाजिक नियंत्रण
    3. वर्ग संघर्ष को बढ़ावा देना
    4. व्यक्तिगत अलगाव

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्रियों ने माना है कि शिक्षा सामाजिककरण (Socialization) की एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह बच्चों और युवाओं को समाज के मूल्यों, मानदंडों, विश्वासों और व्यवहारों को सिखाती है, जिससे वे समाज के उत्पादक सदस्य बन सकें। यह प्रक्रिया प्रभावी रूप से सामाजिक नियंत्रण का एक रूप है।
    • संदर्भ और विस्तार: पैट्रीसिया डेविस और अन्य जैसे समाजशास्त्रियों ने शिक्षा के “छिपे हुए पाठ्यक्रम” (Hidden Curriculum) का विश्लेषण किया है, जो स्पष्ट रूप से सिखाए जाने वाले अकादमिक ज्ञान के अलावा अन्य चीजें सिखाता है, जैसे कि अनुशासन, आज्ञाकारिता और प्रतिस्पर्धा।
    • गलत विकल्प: शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक विघटन या वर्ग संघर्ष को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि मौजूदा सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखना और उसमें व्यक्ति को एकीकृत करना है। व्यक्तिगत अलगाव शिक्षा का लक्ष्य नहीं है।

    प्रश्न 19: “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) में “गुणात्मक विधि” (Qualitative Method) का उद्देश्य क्या है?

    1. संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और सांख्यिकीय विश्लेषण करना
    2. सामाजिक घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभवों और व्याख्याओं को समझना
    3. पैटर्न की भविष्यवाणी करने के लिए बड़ी आबादी का सर्वेक्षण करना
    4. कारण और प्रभाव संबंधों को स्थापित करना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: गुणात्मक अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक दुनिया की गहराई और जटिलता को समझना है। इसमें अक्सर साक्षात्कार, अवलोकन, केस अध्ययन और “वर्टेहेन” (Verstehen) जैसी विधियों का उपयोग किया जाता है ताकि लोगों के दृष्टिकोण, प्रेरणाओं और अनुभवों की व्याख्या की जा सके।
    • संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक विधियाँ “क्यों” और “कैसे” जैसे प्रश्नों का उत्तर देने में सहायक होती हैं, जो अनुभव के अंतर्निहित अर्थों की पड़ताल करती हैं।
    • गलत विकल्प: संख्यात्मक डेटा और सांख्यिकीय विश्लेषण “मात्रात्मक विधि” (Quantitative Method) से संबंधित हैं। बड़ी आबादी का सर्वेक्षण और भविष्यवाणी भी मात्रात्मक विधियों का हिस्सा हैं। कारण और प्रभाव संबंधों को स्थापित करने में दोनों विधियाँ उपयोगी हो सकती हैं, लेकिन गुणात्मक विधियाँ अर्थ-समझ पर अधिक केंद्रित होती हैं।

    प्रश्न 20: “एम.एन. श्रीनिवास” ने “संरक्षण” (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो _____ के संदर्भ में सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन का एक रूप है।

    1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
    2. उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाना
    3. शहरी जीवन शैली को अपनाना
    4. तकनीकी नवाचारों को अपनाना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने “संरक्षण” (Sanskritization) को वह प्रक्रिया बताया जिसके द्वारा निम्न हिंदू जातियाँ या जनजातियाँ उच्च, विशेष रूप से द्विजातियों (Brahmins) के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, देवताओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा जाति व्यवस्था के भीतर गतिशीलता को दर्शाती है, जहाँ सांस्कृतिक अनुकरण के माध्यम से सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर चढ़ने की कोशिश की जाती है। यह “पाश्चात्त्यीकरण” से भिन्न है।
    • गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण पाश्चात्त्यीकरण है। शहरी जीवन शैली और तकनीकी नवाचार आधुनिकीकरण से संबंधित हैं।

    प्रश्न 21: “सामाजिक परिवर्तन” (Social Change) के “संघर्ष सिद्धांत” (Conflict Theory) के अनुसार, परिवर्तन का मुख्य स्रोत क्या है?

    1. नए विचारों और नवाचारों का प्रसार
    2. समाज में विभिन्न समूहों के बीच शक्ति, संसाधन और विशेषाधिकार के लिए संघर्ष
    3. धीरे-धीरे अनुकूलन और विकास
    4. पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखने का प्रयास

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: संघर्ष सिद्धांत (जैसे कार्ल मार्क्स का) मानता है कि समाज में असमानता, प्रभुत्व और संसाधनों के वितरण को लेकर विभिन्न समूहों के बीच निरंतर संघर्ष होता है। यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक है, जो अक्सर क्रांति या प्रमुख सामाजिक पुनर्गठन की ओर ले जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, समाज स्थिर नहीं है, बल्कि शक्ति संतुलन में बदलाव और वर्चस्व के लिए संघर्षों से निरंतर बदलता रहता है।
    • गलत विकल्प: नए विचार (नवाचार) प्रसार के माध्यम से परिवर्तन ला सकते हैं, लेकिन संघर्ष सिद्धांत इसे प्राथमिक चालक नहीं मानता। धीरे-धीरे अनुकूलन प्रकार्यवाद से संबंधित है। पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखने का प्रयास अक्सर परिवर्तन का विरोध करता है।

    प्रश्न 22: “ग्रामीण समाजशास्त्र” (Rural Sociology) के अध्ययन का मुख्य विषय क्या है?

    1. शहरी जीवन की जटिलताएं
    2. ग्रामीण समुदायों की सामाजिक संरचना, संस्थाएं और प्रक्रियाएं
    3. अंतरराष्ट्रीय संबंध
    4. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का विश्लेषण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ग्रामीण समाजशास्त्र ग्रामीण क्षेत्रों की विशिष्ट सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विशेषताओं का अध्ययन करता है। इसमें ग्रामीण जीवन शैली, परिवार, समुदाय, अर्थव्यवस्था, भूमि संबंध, और ग्रामीण-शहरी अंतरक्रियाएं शामिल हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह उन सामाजिक पैटर्न और संस्थाओं को समझने पर ध्यान केंद्रित करता है जो ग्रामीण सेटिंग में प्रमुख हैं।
    • गलत विकल्प: शहरी जीवन शहरी समाजशास्त्र का विषय है। अंतरराष्ट्रीय संबंध और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था व्यापक विषय हैं जो सीधे तौर पर ग्रामीण समाजशास्त्र के मुख्य केंद्र में नहीं हैं, हालांकि वे प्रभावित कर सकते हैं।

    प्रश्न 23: “लिंग” (Gender) की समाजशास्त्रीय समझ के अनुसार, यह क्या है?

    1. पूरी तरह से जैविक निर्धारक
    2. एक सामाजिक रूप से निर्मित श्रेणी जिसमें भूमिकाएं, अपेक्षाएं और व्यवहार शामिल हैं
    3. केवल महिलाओं से संबंधित अवधारणा
    4. समाज में शक्ति का केवल एक पहलू

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, लिंग (Gender) को जैविक अंतर (Sex) से अलग माना जाता है। लिंग सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से निर्मित भूमिकाओं, व्यवहारों, अभिव्यक्तियों और पहचानों का एक समूह है जो पुरुषों, महिलाओं और दूसरों के लिए समाज द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र यह पड़ताल करता है कि कैसे ये निर्मित अपेक्षाएं सामाजिक संरचनाओं, संस्थाओं और व्यक्तिगत जीवन को आकार देती हैं।
    • गलत विकल्प: लिंग पूरी तरह से जैविक नहीं है, यद्यपि इसमें जैविक पहलू भी हो सकते हैं। यह केवल महिलाओं से संबंधित नहीं है, बल्कि पुरुषों और अन्य लिंग पहचानों से भी संबंधित है। यह शक्ति का एक पहलू है, लेकिन पूरी तरह से उसी तक सीमित नहीं है।

    प्रश्न 24: “सामाजिक समस्या” (Social Problem) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?

    1. सभी व्यक्तिगत समस्याएं
    2. समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से द्वारा नकारात्मक मानी जाने वाली और जिसके समाधान के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है
    3. केवल सरकार द्वारा परिभाषित समस्याएं
    4. सभी असामान्यताएं

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक समस्या वह स्थिति है जिसे समाज का एक महत्वपूर्ण समूह अवांछनीय मानता है और जिसके समाधान के लिए सामूहिक या संस्थागत कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जाती है। यह व्यक्तिगत नैतिकता से परे, समाज के बड़े ढांचे से जुड़ी होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, गरीबी, अपराध, या असमानता को सामाजिक समस्याएं माना जाता है क्योंकि वे व्यापक सामाजिक कारणों से उत्पन्न होती हैं और पूरे समाज को प्रभावित करती हैं।
    • गलत विकल्प: सभी व्यक्तिगत समस्याएं सामाजिक समस्याएं नहीं होतीं। यह केवल सरकार द्वारा परिभाषित नहीं होती, बल्कि सामाजिक सहमति से बनती है। सभी असामान्यताएं नकारात्मक नहीं होतीं और न ही उनके लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

    प्रश्न 25: “रॉबर्ट ई. पार्क” और “ई.डब्ल्यू. बर्जेस” जैसे समाजशास्त्रियों ने “शहरी समाजशास्त्र” (Urban Sociology) में किस सिद्धांत का विकास किया, जो शहरों को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित होने के रूप में देखता है?

    1. संघर्ष सिद्धांत
    2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    3. सांस्कृतिक भिन्नता सिद्धांत
    4. समकेंद्रीय क्षेत्र सिद्धांत (Concentric Zone Theory)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: रॉबर्ट ई. पार्क और ई.डब्ल्यू. बर्जेस, जो शिकागो स्कूल ऑफ सोशियोलॉजी से जुड़े थे, ने “समकेंद्रीय क्षेत्र सिद्धांत” (Concentric Zone Theory) विकसित किया। इस सिद्धांत के अनुसार, शहर एक केंद्र से शुरू होकर, छल्लों या क्षेत्रों की एक श्रृंखला में फैलता है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट सामाजिक और आर्थिक विशेषताएं होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने शिकागो शहर के विकास का अध्ययन करके यह मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने केंद्रीय व्यापार जिला (Central Business District), संक्रमणकालीन क्षेत्र (Zone of Transition), श्रमिक वर्ग के आवास, मध्य वर्ग के आवास और उपनगरीय क्षेत्र जैसे क्षेत्रों की पहचान की।
    • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद और सांस्कृतिक भिन्नता सिद्धांत शहरों के विभिन्न सामाजिक पहलुओं का अध्ययन करते हैं, लेकिन यह विशेष सिद्धांत (समकेंद्रीय क्षेत्र सिद्धांत) शहर के स्थानिक और सामाजिक विभाजन को समझाने के लिए पार्क और बर्जेस द्वारा विकसित किया गया था।

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