समाजशास्त्र की गहन परीक्षा: आपकी तैयारी को परखें
नमस्ते, भावी समाजशास्त्री! अपनी अवधारणाओं की गहराई और विश्लेषणात्मक कौशल को चुनौती देने के लिए तैयार हो जाइए। आज का यह अभ्यास सत्र आपको समाजशास्त्र के विस्तृत क्षेत्र में ले जाएगा, जहाँ हम प्रमुख विचारकों, सिद्धांतों और भारतीय समाज की बारीकियों को जानेंगे। आइए, इस बौद्धिक यात्रा की शुरुआत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जो समाज में भौतिक संस्कृति में तेजी से आए परिवर्तन और अभौतिक संस्कृति में सुस्ती के बीच के अंतर को दर्शाती है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” (1922) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा पेश की। यह समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) और अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड, कानून, नैतिकता) के बीच परिवर्तन की गति में अंतर को संदर्भित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, भौतिक संस्कृति अक्सर तेजी से बदलती है, जबकि अभौतिक संस्कृति इस बदलाव के साथ तालमेल बिठाने में पीछे रह जाती है, जिससे सामाजिक समस्याएं और तनाव पैदा होता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक संरचना पर था। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और सत्ता के प्रकारों का विश्लेषण किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और एनोमी जैसे विचारों पर काम किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति, व्यक्तिपरक अर्थों और सामाजिक क्रियाओं के पीछे के इरादों को समझने पर जोर देती है?
- प्रत्याशित समाजशास्त्र (Positivist Sociology)
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (या जिसे मैक्स वेबर ने ‘वरस्टेहेन’ या आत्मीय बोध कहा) समाजशास्त्रियों से यह अपेक्षा करता है कि वे सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तियों के व्यक्तिगत अर्थों, प्रेरणाओं और इरादों को समझें।
- संदर्भ और विस्तार: यह पद्धति समाज को केवल बाहरी, अवलोकनीय घटनाओं के रूप में देखने के बजाय, उसमें संलग्न व्यक्तियों के अनुभवों और दृष्टिकोणों के माध्यम से समझने का प्रयास करती है।
- गलत विकल्प: प्रत्याशित समाजशास्त्र प्राकृतिक विज्ञानों की विधियों को समाज पर लागू करने का प्रयास करता है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न हिस्से मिलकर काम करते हैं। संघर्ष सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था को सत्ता और प्रभुत्व के संघर्ष के परिणाम के रूप में देखता है।
प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया मुख्य रूप से किससे संबंधित है?
- उच्च जाति द्वारा निम्न जाति के रीति-रिवाजों को अपनाना
- निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च, द्विजा (Twice-born) जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाना
- पश्चिम का अनुकरण
- औद्योगीकरण का प्रभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया जहाँ निम्न जातियों या जनजातियाँ किसी उच्च, विशेषकर द्विजा जातियों की जीवन शैली, पूजा पद्धतियों, परंपराओं और मूल्यों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रमुखता से आई। यह जाति व्यवस्था में गतिशीलता का एक उदाहरण है, यद्यपि यह संरचनात्मक परिवर्तन के बजाय सांस्कृतिक परिवर्तन पर अधिक केंद्रित है।
- गलत विकल्प: उच्च जाति द्वारा निम्न जाति के रीति-रिवाजों को अपनाना संस्कृतीकरण का विपरीत है। पश्चिम का अनुकरण ‘पश्चिमीकरण’ कहलाता है। औद्योगीकरण का प्रभाव ‘आधुनिकीकरण’ से अधिक जुड़ा है।
प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में अलगाव (Alienation) का प्राथमिक स्रोत क्या है?
- राज्य की शक्ति
- धार्मिक मान्यताएँ
- उत्पादन की प्रक्रिया में श्रमिकों का अलगाव
- सामाजिक असमानता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद में अलगाव को उत्पादन की प्रक्रिया में श्रमिकों के अपने श्रम, उत्पादन, स्वयं और अन्य मनुष्यों से विमुख हो जाने के रूप में परिभाषित किया। पूंजीपति उत्पादन के साधनों के मालिक होते हैं, जबकि श्रमिक केवल अपनी श्रम शक्ति बेचते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स की “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में यह अवधारणा महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद को नियंत्रित नहीं करते, न ही उत्पादन की प्रक्रिया पर उनका नियंत्रण होता है, जिससे उनमें अलगाव की भावना पैदा होती है।
- गलत विकल्प: राज्य की शक्ति और धार्मिक मान्यताएँ अलगाव के सहायक कारण हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार प्राथमिक कारण उत्पादन प्रक्रिया से श्रमिकों का विच्छेद है। सामाजिक असमानता अलगाव का परिणाम या एक जटिल पहलू है, न कि उसका प्राथमिक स्रोत।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म समाजशास्त्र के क्लासिकल सिद्धांतकारों और उनकी प्रमुख अवधारणाओं का सही मिलान नहीं करता है?
- एमिल दुर्खीम – एनोमी (Anomie)
- मैक्स वेबर – प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद की भावना
- कार्ल मार्क्स – सामाजिक तथ्य (Social Facts)
- जी. एच. मीड – प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा एमिल दुर्खीम ने दी थी, न कि कार्ल मार्क्स ने। दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति पर बाह्य दबाव डालने वाले, समाज-व्यापी व्यवहार के तरीके हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक “The Rules of Sociological Method” (1895) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन है।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (सामाजिक विघटन या नियमहीनता) की अवधारणा दी। मैक्स वेबर ने ‘प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद की भावना’ पर काम किया। जी. एच. मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अग्रदूतों में से एक माना जाता है।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में, जाति व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक कारक किसे माना जाता है?
- धन और आय
- शिक्षा का स्तर
- जन्म और वंशानुक्रम
- राजनीतिक शक्ति
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था पारंपरिक रूप से जन्म पर आधारित है। एक व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, वही उसकी जाति निर्धारित करती है, और यह स्थिति सामान्यतः आजीवन बनी रहती है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था जन्म, व्यवसाय, खान-पान के नियम, विवाह (अंतर्विवाही समूह) और सामाजिक दूरी के कठोर नियमों द्वारा परिभाषित होती है। यद्यपि आधुनिकता के प्रभाव से अन्य कारक (जैसे धन, शिक्षा) अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभा सकते हैं, जन्म का आधार अभी भी केंद्रीय है।
- गलत विकल्प: धन, शिक्षा और राजनीतिक शक्ति आधुनिक समाजों में सामाजिक स्तरीकरण के महत्वपूर्ण कारक हैं, लेकिन भारतीय जाति व्यवस्था का मूल आधार जन्म ही है।
प्रश्न 7: किंशिप (Kinship) के अध्ययन में, ‘द्विपक्षीय वंशानुक्रम’ (Bilateral Kinship) का अर्थ क्या है?
- वंशानुक्रम केवल पिता की ओर से चलता है।
- वंशानुक्रम केवल माता की ओर से चलता है।
- वंशानुक्रम माता और पिता दोनों की ओर से समान महत्व रखता है।
- वंशानुक्रम केवल पैतृक भूमि से संबंधित है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: द्विपक्षीय वंशानुक्रम वह व्यवस्था है जहाँ व्यक्ति अपने माता और पिता दोनों के परिवारों से वंशानुगत संबंध, संपत्ति और अधिकार प्राप्त करता है। इसमें माता और पिता दोनों के वंश को समान महत्व दिया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पैतृक (Patrilineal – पिता से) या मातृवंशीय (Matrilineal – माता से) वंशानुक्रम से भिन्न है। पश्चिमी समाजों में अक्सर द्विपक्षीय वंशानुक्रम देखा जाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) क्रमशः पैतृक और मातृवंशीय वंशानुक्रम का वर्णन करते हैं। विकल्प (d) केवल भूमि के स्वामित्व से संबंधित है, न कि समग्र वंशानुक्रम से।
प्रश्न 8: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में विभिन्न पदों और भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से भरने के लिए असमान पुरस्कार (वेतन, प्रतिष्ठा, शक्ति) आवश्यक हैं?
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- भूमिका सिद्धांत
- कार्यात्मक सिद्धांत (Functional Theory)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर जैसे समाजशास्त्रियों ने कार्यात्मक सिद्धांत के तहत तर्क दिया कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के कामकाज के लिए आवश्यक है। उनके अनुसार, अधिक महत्व या कौशल की आवश्यकता वाले पदों को आकर्षित करने के लिए अधिक पुरस्कार (जैसे वेतन, प्रतिष्ठा) दिए जाने चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत समाज की स्थिरता और दक्षता बनाए रखने के लिए असमानता की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत असमानता को उत्पीड़न और शोषण का परिणाम मानता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। भूमिका सिद्धांत सामाजिक भूमिकाओं के निर्वहन पर जोर देता है, न कि विशेष रूप से स्तरीकरण के औचित्य पर।
प्रश्न 9: ‘समाजशास्त्र का जनक’ किसे माना जाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ऑगस्ट कॉम्टे, एक फ्रांसीसी दार्शनिक, को “समाजशास्त्र का जनक” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने 19वीं शताब्दी में इस नए विज्ञान को नाम दिया और वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करके समाज का अध्ययन करने की वकालत की।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने ‘पॉजिटिविज़्म’ (प्रत्यक्षवाद) का सिद्धांत विकसित किया, जिसके अनुसार समाज को प्राकृतिक विज्ञानों के समान वस्तुनिष्ठता और वैज्ञानिक नियमों के साथ समझा जा सकता है। उन्होंने समाजशास्त्र को “सामाजिक भौतिकी” के रूप में भी संदर्भित किया।
- गलत विकल्प: मार्क्स, वेबर और दुर्खीम समाजशास्त्र के अन्य प्रमुख संस्थापक सिद्धांतकार हैं, लेकिन कॉम्टे ने इस विषय को सबसे पहले व्यवस्थित रूप से स्थापित किया।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारतीय समाज में विवाह के ‘अनिवार्य’ स्वरूप को बनाए रखने में सहायक रही है?
- आधुनिकीकरण
- शिक्षण संस्थान
- जाति व्यवस्था
- शहरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था पारंपरिक रूप से विवाह को एक अंतर्विवाही समूह (Endogamous Group) के भीतर ही अनिवार्य बनाती है। विवाह को जाति के भीतर अपनी स्थिति बनाए रखने या सुधारने के लिए एक आवश्यक सामाजिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था अक्सर विवाह को एक सामाजिक और धार्मिक कर्तव्य के रूप में देखती है, जिसे परिवार और समुदाय के दबाव में पूरा किया जाता है, जिससे यह व्यक्तिगत पसंद से अधिक एक सामाजिक अनिवार्यता बन जाती है।
- गलत विकल्प: आधुनिकीकरण और शहरीकरण अक्सर व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देते हैं और विवाह की अनिवार्यता को कम कर सकते हैं। शिक्षण संस्थान शिक्षा का प्रसार करते हैं, लेकिन सीधे तौर पर विवाह की अनिवार्यता को बनाए नहीं रखते।
प्रश्न 11: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
- एक सामाजिक वर्ग से दूसरे में संक्रमण
- समूहों के बीच विचारों का आदान-प्रदान
- जनसंख्या का भौगोलिक स्थानांतरण
- सामाजिक मानदंडों में परिवर्तन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक पदानुक्रम में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने से है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक गरीब व्यक्ति का अमीर बनना ऊर्ध्वाधर गतिशीलता है। एक डॉक्टर का दूसरे अस्पताल में डॉक्टर बनना क्षैतिज गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: विचारों का आदान-प्रदान सांस्कृतिक प्रसार है। जनसंख्या का भौगोलिक स्थानांतरण प्रवासन है। सामाजिक मानदंडों में परिवर्तन सामाजिक विकास का हिस्सा है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के बारे में सत्य है?
- समाज शक्तिहीन बहुमत द्वारा शासित होता है।
- समाज में एक छोटा, विशेषाधिकार प्राप्त समूह सत्ता को नियंत्रित करता है।
- सभी सामाजिक संस्थाएँ समान रूप से शक्तिशाली होती हैं।
- सत्ता का वितरण पूरी तरह से समतावादी होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अभिजन सिद्धांत (जैसे गैएटानो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो, सी. राइट मिल्स) का तर्क है कि हर समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न लगे, एक छोटा, संगठित और विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक वर्ग (अभिजन) सत्ता, संसाधनों और प्रभाव को नियंत्रित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि सत्ता का वितरण स्वाभाविक रूप से असमान है, और यह असमानता सामाजिक व्यवस्था का एक स्थायी पहलू है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (c) और (d) अभिजन सिद्धांत के विपरीत हैं, जो सत्ता के संकेंद्रण और असमान वितरण पर जोर देता है।
प्रश्न 13: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) की प्रक्रिया का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- पारिवारिक संरचना का विस्तार
- कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था
- शहरीकरण और सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि
- पारंपरिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: औद्योगीकरण उत्पादन की विधियों में परिवर्तन लाता है, जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन, कारखानों का विकास और लोगों का ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन (शहरीकरण) होता है। इससे अक्सर पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं में बदलाव और अधिक सामाजिक गतिशीलता देखी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण से व्यक्तिवाद, प्रतिस्पर्धा और वर्ग-आधारित सामाजिक संरचनाएं भी उभर सकती हैं।
- गलत विकल्प: औद्योगीकरण से अक्सर विस्तारित परिवार (Joint Family) का ह्रास होकर एकाकी परिवार (Nuclear Family) को बढ़ावा मिलता है। यह अर्थव्यवस्था को कृषि से उद्योग की ओर ले जाता है। पारंपरिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण अक्सर आधुनिकीकरण के विपरीत होता है।
प्रश्न 14: समाजशास्त्रीय शोध में ‘साक्षात्कार’ (Interview) विधि का उपयोग किस लिए किया जाता है?
- जनसंख्या के बड़े पैमाने पर अवलोकन के लिए
- गहन व्यक्तिगत जानकारी और दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए
- सामाजिक घटनाओं के सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए
- भौतिक संस्कृति का अध्ययन करने के लिए
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: साक्षात्कार विधि का उपयोग शोधकर्ताओं द्वारा उत्तरदाताओं से आमने-सामने या दूरभाष पर बातचीत करके उनकी राय, अनुभवों, भावनाओं और दृष्टिकोणों के बारे में विस्तृत और गहन जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) का एक प्रमुख उपकरण है, जो उत्तरदाताओं के दृष्टिकोण को गहराई से समझने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: बड़े पैमाने पर अवलोकन के लिए सर्वेक्षण या प्रत्यक्ष अवलोकन अधिक उपयुक्त हैं। सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए अक्सर प्रश्नावली या डेटा संग्रह के अन्य मात्रात्मक तरीके उपयोग किए जाते हैं। भौतिक संस्कृति का अध्ययन पुरातात्विक या प्रत्यक्ष अवलोकन से संभव है।
प्रश्न 15: ‘धर्म की समाजशास्त्र’ (Sociology of Religion) के अध्ययन में, एमिल दुर्खीम ने धर्म को मुख्य रूप से किस रूप में देखा?
- व्यक्तिगत आध्यात्मिक अनुभव
- समाज को एकजुट करने वाली शक्ति
- अंधविश्वास और भ्रम
- पूंजीवाद का एक उत्पाद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” (1912) में तर्क दिया कि धर्म समाज को एकजुट करने वाली एक शक्तिशाली शक्ति है। उन्होंने पवित्र (Sacred) और अपवित्र (Profane) के बीच भेद को धर्म का मूल तत्व माना।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान और विश्वास समूह की सामूहिक चेतना को मजबूत करते हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं।
- गलत विकल्प: जबकि धर्म व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकता है, दुर्खीम का मुख्य ध्यान इसके सामाजिक कार्य पर था। अंधविश्वास और भ्रम या पूंजीवाद से संबंध अन्य समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण हो सकते हैं, लेकिन दुर्खीम के लिए प्राथमिक महत्व समाज को एकीकृत करने की क्षमता का था।
प्रश्न 16: ‘लौकिकीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया समाजशास्त्र के किस क्षेत्र से संबंधित है?
- राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन
- धार्मिक संस्थानों और विश्वासों के सार्वजनिक प्रभाव में कमी
- आर्थिक विकास की दर
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रसार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लौकिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, कला, नैतिकता) का धर्म से अलगाव होता है, और धार्मिक संस्थानों तथा विश्वासों का सार्वजनिक जीवन में प्रभाव कम होता जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर आधुनिकीकरण और तर्कसंगतता के विकास से जुड़ा होता है, जहाँ पारंपरिक धार्मिक स्पष्टीकरणों की जगह वैज्ञानिक या धर्मनिरपेक्ष व्याख्याएँ लेती हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाजशास्त्रीय परिवर्तन के महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन लौकिकीकरण विशेष रूप से धर्म और उसके सार्वजनिक प्रभाव में कमी से संबंधित है।
प्रश्न 17: भारतीय समाज में ‘डिजिटल डिवाइड’ (Digital Divide) का क्या तात्पर्य है?
- गांवों और शहरों के बीच कनेक्टिविटी का अंतर
- इंटरनेट और डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुँच और उपयोग में असमानता
- उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के बीच आय का अंतर
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर का अंतर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: डिजिटल डिवाइड से तात्पर्य समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) जैसे इंटरनेट, कंप्यूटर, स्मार्टफोन आदि तक पहुँच, उपयोग और ज्ञान में असमानता से है।
- संदर्भ और विस्तार: यह असमानता अक्सर आर्थिक स्थिति, भौगोलिक स्थिति (शहरी बनाम ग्रामीण), आयु, शिक्षा और सामाजिक पृष्ठभूमि जैसे कारकों से प्रभावित होती है, जिससे अवसरों की असमानता पैदा होती है।
- गलत विकल्प: जबकि कनेक्टिविटी अंतर (a) डिजिटल डिवाइड का एक घटक हो सकता है, यह स्वयं संपूर्ण अवधारणा नहीं है। आय अंतर (c) और शैक्षिक अंतर (d) डिजिटल डिवाइड के कारण या परिणाम हो सकते हैं, लेकिन डिजिटल डिवाइड का अर्थ सीधे तौर पर डिजिटल संसाधनों तक पहुँच में असमानता है।
प्रश्न 18: ‘एकीकरण’ (Integration) की अवधारणा, जैसा कि समाजशास्त्र में उपयोग किया जाता है, मुख्यतः किससे संबंधित है?
- व्यक्तियों का समाज के नियमों का उल्लंघन करना
- किसी समुदाय या समाज के सदस्यों के बीच एकता और सामंजस्य
- समूहों के बीच संघर्ष
- सामाजिक परिवर्तनों का विरोध
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: समाजशास्त्र में एकीकरण (Integration) से तात्पर्य समाज के विभिन्न भागों (जैसे व्यक्ति, समूह, संस्थाएँ) के बीच सामंजस्य, सहयोग और एक-दूसरे पर निर्भरता से है, जो समाज को एक सुसंगत इकाई के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) की अपनी अवधारणा में एकीकरण के महत्व पर प्रकाश डाला।
- गलत विकल्प: नियमों का उल्लंघन विचलन (Deviance) है। संघर्ष (Conflict) एकीकरण के विपरीत है। परिवर्तनों का विरोध एक प्रकार की प्रतिक्रिया है, लेकिन एकीकरण मुख्य रूप से सामंजस्य और एकता से संबंधित है।
प्रश्न 19: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख पैरोकार कौन हैं?
- एमिल दुर्खीम और मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
- जी. एच. मीड और हर्बर्ट ब्लूमर
- टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट किंग मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो व्यक्तियों के बीच प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। जी. एच. मीड (जो अपनी मृत्यु के कारण अपनी प्रकाशित रचनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं थे, लेकिन उनके छात्रों ने उनके विचारों को संकलित किया) और हर्बर्ट ब्लूमर (जिन्होंने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द को गढ़ा और विकसित किया) इसके प्रमुख विचारक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि व्यक्ति अपने आस-पास की दुनिया को अर्थ देते हैं, और ये अर्थ सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित और परिवर्तित होते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर क्लासिकल सिद्धांतकार हैं। मार्क्स और एंगेल्स संघर्ष सिद्धांत से जुड़े हैं। पार्सन्स और मर्टन संरचनात्मक प्रकार्यवाद से संबंधित हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था ‘पारिवारिक व्यवस्था’ (Family System) के अध्ययन का हिस्सा नहीं है?
- विवाह
- पितृत्व/मातृत्व (Parentage)
- भतीजा/भतीजी (Nephew/Niece)
- रक्त संबंध (Kinship)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: परिवार का अध्ययन मुख्य रूप से विवाह, पितृत्व/मातृत्व (यानी, माता-पिता के रूप में भूमिकाएं), वंशानुक्रम, और रक्त संबंध (Kinship) से संबंधित होता है। भतीजा/भतीजी (Nephew/Niece) स्वयं परिवार का एक सदस्य नहीं, बल्कि किसी सदस्य का रिश्तेदार होता है (उदा. भाई का बेटा)।
- संदर्भ और विस्तार: पारिवारिक संरचना, कार्य और प्रकारों को समझने के लिए इन संबंधित अवधारणाओं का अध्ययन किया जाता है।
- गलत विकल्प: विवाह परिवार की स्थापना करता है। पितृत्व/मातृत्व परिवार के सदस्यों के बीच संबंध को परिभाषित करता है। रक्त संबंध परिवार के सदस्यों के बीच जैविक या सामाजिक रूप से परिभाषित संबंधों की श्रृंखला को दर्शाता है।
प्रश्न 21: ‘सबकल्चर’ (Subculture) से क्या तात्पर्य है?
- किसी समाज की प्रमुख संस्कृति
- एक बड़े समाज के भीतर मौजूद विशिष्ट मूल्यों, मानदंडों और जीवन शैलियों वाला एक छोटा समूह
- सांस्कृतिक मूल्यों में भारी गिरावट
- सभी संस्कृतियों का मिश्रण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सबकल्चर एक बड़े, प्रमुख सांस्कृतिक ढांचे के भीतर मौजूद विशिष्ट जीवन शैली, मूल्यों, विश्वासों, भाषा और प्रथाओं के एक समूह को संदर्भित करता है। यह समूह उस बड़े समाज से कुछ हद तक अलग होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, युवाओं का एक समूह, किसी विशेष शौक वाले लोगों का समूह, या एक विशिष्ट जातीय पृष्ठभूमि वाले लोगों का समुदाय एक सबकल्चर बना सकता है।
- गलत विकल्प: प्रमुख संस्कृति (a) सबकल्चर से व्यापक होती है। सांस्कृतिक मूल्यों में गिरावट (c) को ‘सांस्कृतिक पतन’ (Cultural Decay) कहा जा सकता है। सभी संस्कृतियों का मिश्रण (d) ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Cultural Pluralism) या ‘सांस्कृतिक संलयन’ (Cultural Fusion) से संबंधित हो सकता है।
प्रश्न 22: रॉबर्ट किंग मर्टन द्वारा प्रस्तावित ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) और ‘सामाजिक कार्य’ (Social Function) के विश्लेषण में, ‘सुप्त कार्य’ (Latent Function) का अर्थ क्या है?
- समाज द्वारा सीधे तौर पर मान्यता प्राप्त या इच्छित परिणाम
- अस्पष्ट या अनपेक्षित परिणाम
- सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध कार्य
- सामाजिक पतन का कारण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने सामाजिक संरचनाओं के कार्यों को दो श्रेणियों में बांटा: प्रकट कार्य (Manifest Functions) जो किसी सामाजिक संस्था या गतिविधि के प्रत्यक्ष, उद्देश्यपूर्ण और मान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं, और सुप्त कार्य (Latent Functions) जो अनपेक्षित, छिपे हुए या अप्रत्यक्ष परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि सुप्त कार्य नए सामाजिक संबंध बनाना या सामाजिक नेटवर्क का विस्तार करना हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) प्रकट कार्य को परिभाषित करता है। (c) और (d) नकारात्मक या गैर-कार्यात्मक परिणाम हैं।
प्रश्न 23: भारतीय ग्रामीण समाज के संदर्भ में, ‘सांवत्सरिक चक्रीयता’ (Cyclical Nature) से क्या तात्पर्य है?
- भूमि सुधारों का वार्षिक पुनर्मूल्यांकन
- कृषि और मौसम पर आधारित जीवन शैली का आवर्ती पैटर्न
- पंचायत चुनावों की नियमित पुनरावृत्ति
- जातिगत अनुष्ठानों का वर्ष भर का चक्र
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय ग्रामीण समाज, विशेष रूप से ऐतिहासिक रूप से, कृषि पर अत्यधिक निर्भर रहा है। इसलिए, जीवन शैली, आर्थिक गतिविधियाँ और सामाजिक अनुष्ठान काफी हद तक कृषि चक्र (बुवाई, रोपण, कटाई) और मौसम (गर्मी, मानसून, सर्दी) के साथ जुड़े हुए हैं, जो एक आवर्ती या चक्रीय पैटर्न बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह चक्रीयता त्यौहारों, कृषि पद्धतियों और सामाजिक जीवन के अन्य पहलुओं में परिलक्षित होती है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प चक्रीय प्रकृति के उदाहरण हो सकते हैं, लेकिन ग्रामीण जीवन की मौलिक चक्रीयता मुख्य रूप से कृषि और मौसम से जुड़ी है।
प्रश्न 24: ‘संस्था’ (Institution) को समाजशास्त्र में किस रूप में परिभाषित किया जाता है?
- लोगों का एक अनौपचारिक समूह
- एक मान्यता प्राप्त और स्थिर सामाजिक पैटर्न, जो कुछ प्रमुख सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करता है
- केवल सरकारी संगठन
- ज्ञान का एक अमूर्त क्षेत्र
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक संस्थाएँ समाज की मूलभूत संरचनाएँ हैं जो कुछ निश्चित, स्थापित और स्थायी सामाजिक पैटर्न, नियमों और प्रक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये पैटर्न समाज की प्रमुख आवश्यकताओं (जैसे प्रजनन, शिक्षा, व्यवस्था) को पूरा करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार, और अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण हैं। ये व्यक्तिपरक न होकर, सामाजिक और सामूहिक रूप से निर्धारित होती हैं।
- गलत विकल्प: (a) एक अनौपचारिक समूह है। (c) केवल सरकारी संगठन एक संस्था का एक प्रकार हो सकता है, लेकिन सभी संस्थाएँ सरकारी नहीं होतीं। (d) ज्ञान का क्षेत्र अमूर्त है, जबकि संस्थाएँ सामाजिक संरचनाएँ हैं।
प्रश्न 25: ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) की अवधारणा किसके सामाजिक और राजनीतिक दर्शन का केंद्रीय तत्व है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- अगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism) के सिद्धांत में वर्ग संघर्ष एक केंद्रीय अवधारणा है। उनके अनुसार, इतिहास उत्पादन के साधनों के स्वामित्व को लेकर विभिन्न वर्गों (जैसे बुर्जुआ वर्ग – पूंजीपति, और सर्वहारा वर्ग – श्रमिक) के बीच निरंतर संघर्ष का परिणाम रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि यह वर्ग संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक है और अंततः साम्यवाद की स्थापना की ओर ले जाएगा, जहाँ वर्गविहीन समाज होगा।
- गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, प्रतिष्ठा और शक्ति के आधार पर स्तरीकरण का विश्लेषण किया, लेकिन मार्क्स जितना वर्ग संघर्ष पर जोर नहीं दिया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे ने प्रत्यक्षवाद और सामाजिक व्यवस्था पर काम किया।