समाजशास्त्र की गहन पड़ताल: दैनिक अभ्यास प्रश्नोत्तरी
क्या आप समाजशास्त्र की गहरी समझ और वैचारिक स्पष्टता का परीक्षण करने के लिए तैयार हैं? पेश है आज की विशेष प्रश्नोत्तरी, जो UPSC, PSCs, UGC-NET और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के आकांक्षियों के लिए तैयार की गई है। अपनी तैयारी को नई धार दें और समाजशास्त्रीय ज्ञान के सागर में गोता लगाएँ!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को किसने समाज के ‘दीर्घकालिक’ (enduring) और ‘स्थिर’ (stable) पहलुओं के रूप में परिभाषित किया है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ए. आर. रैडक्लिफ-ब्राउन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ए. आर. रैडक्लिफ-ब्राउन, एक ब्रिटिश मानवविज्ञानी और संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-functionalism) के प्रमुख प्रस्तावक, ने सामाजिक संरचना को एक ‘दीर्घकालिक’ और ‘स्थिर’ पैटर्न के रूप में देखा, जो समाज के व्यक्तियों और समूहों के बीच संबंधों से बनता है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने सामाजिक संरचना को समाज के ‘स्थिर’ और ‘तार्किक’ (logical) पैटर्न के रूप में देखा, जो सामाजिक व्यवस्था और निरंतरता को बनाए रखता है। उनके लिए, समाज व्यक्तियों के समूह से अधिक है; यह उनके बीच संबंधों की एक अमूर्त संरचना है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स सामाजिक परिवर्तन और संघर्ष पर जोर देते हैं, दुर्खीम सामाजिक एकजुटता पर, और वेबर सामाजिक क्रिया और अर्थ पर। जबकि वे सभी संरचना की बात करते हैं, रैडक्लिफ-ब्राउन का ध्यान इस पर अधिक था कि कैसे संरचनाएं समाज को टिकाए रखती हैं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा समाज में व्यक्तिगत इच्छाओं और सामाजिक मानदंडों के बीच असंतुलन के कारण उत्पन्न होने वाली अवस्था को दर्शाती है?
- अलगाव (Alienation)
- अनोमी (Anomie)
- विभेदीकरण (Differentiation)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अनोमी’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग तब किया जब समाज में मजबूत, साझा नैतिक विश्वासों और सामाजिक नियमों का अभाव होता है। ऐसी स्थिति में, व्यक्ति दिशाहीन और हताश महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में अनोमी का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या तीव्र विकास के दौरान, जब पुराने मानदंड टूट जाते हैं और नए स्थापित नहीं होते, तो अनोमी की स्थिति उत्पन्न होती है।
- गलत विकल्प: ‘अलगाव’ (Alienation) कार्ल मार्क्स से संबंधित है। ‘विभेदीकरण’ (Differentiation) समाजशास्त्र में एक प्रक्रिया है जहाँ समाज के विभिन्न भागों को विशेष कार्य करने के लिए अलग किया जाता है। ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ एक अलग सैद्धांतिक दृष्टिकोण है।
प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- उच्च जातियों के रीति-रिवाजों और परंपराओं को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
- शहरीकरण का प्रभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ को एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है जहाँ निचली या मध्यम जातियों के सदस्य किसी उच्च, ‘द्विजा’ (twice-born) जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, जीवन शैली और विचारों को अपनाते हैं ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में इस अवधारणा का पहली बार प्रयोग किया। यह सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का एक रूप है, विशेषकर भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमी संस्कृति को अपनाना’ पश्चिमीकरण (Westernization) है, ‘आधुनिकीकरण’ एक व्यापक अवधारणा है, और ‘शहरीकरण’ केवल शहरों की ओर पलायन है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय विधि अनुसंधानकर्ता को अध्ययन किए जा रहे समूह के सदस्यों के रूप में स्वयं को शामिल करके सामाजिक घटनाओं को समझने पर जोर देती है?
- साक्षात्कार (Interviews)
- सर्वेक्षण (Surveys)
- सहभागी अवलोकन (Participant Observation)
- सामग्री विश्लेषण (Content Analysis)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सहभागी अवलोकन एक गुणात्मक अनुसंधान विधि है जिसमें शोधकर्ता अध्ययन के तहत सामाजिक या सांस्कृतिक समूह में प्रवेश करता है, उनसे सीखता है, और यथासंभव उनके जीवन में सहभागी बनता है। इसका उद्देश्य अध्ययन किए जा रहे लोगों के दृष्टिकोण से दुनिया को समझना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि विशेष रूप से मानवविज्ञान और समाजशास्त्र में उपयोगी है, जहाँ शोधकर्ता किसी जनजाति, समुदाय या उपसंस्कृति के जीवन में गहराई से उतरते हैं। यह ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) या ‘समझ’ के वेबरियन विचार से मेल खाती है।
- गलत विकल्प: साक्षात्कार में प्रत्यक्ष बातचीत होती है, सर्वेक्षण में बड़े नमूने से डेटा एकत्र किया जाता है, और सामग्री विश्लेषण में मौजूदा दस्तावेजों का अध्ययन किया जाता है। इनमें से कोई भी समूह के जीवन में प्रत्यक्ष भागीदारी पर जोर नहीं देता।
प्रश्न 5: “समाज एक जीवित प्राणी की तरह है, जिसके विभिन्न अंग (जैसे परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) मिलकर एक साथ काम करते हैं और समाज को जीवित रखते हैं।” यह कथन किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism)
- लोक-विधि विज्ञान (Ethnomethodology)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: यह कथन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद का सार है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, समाज कई परस्पर संबंधित भागों से बना होता है, जिनमें से प्रत्येक समाज की समग्र स्थिरता और कार्यप्रणाली में योगदान देता है।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम (सामाजिक एकजुटता पर जोर), टैल्कॉट पार्सन्स (सामाजिक व्यवस्था पर जोर), और रॉबर्ट किंग मर्टन (कार्य और अव्यवस्था के बीच अंतर) इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। वे समाज को एक व्यवस्थित इकाई के रूप में देखते हैं।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत समाज को शक्ति और संघर्ष के इर्द-गिर्द देखता है, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है, और लोक-विधि विज्ञान दैनिक जीवन की समझ की सामाजिक रचना पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रश्न 6: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी समाज में सर्वहारा वर्ग (Proletariat) के अनुभव को किस अवधारणा द्वारा सबसे अच्छी तरह समझाया जा सकता है?
- अनोमी (Anomie)
- अलगाव (Alienation)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रिया (Symbolic Interaction)
- सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, स्वयं से और साथी श्रमिकों से अलग-थलग महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिक अपने श्रम पर नियंत्रण नहीं रखते, वे केवल उत्पादन का एक माध्यम बन जाते हैं। उत्पादन का उत्पाद उनका अपना नहीं होता, और इस प्रक्रिया में, वे अपनी मानवीय क्षमता से भी कट जाते हैं। यह उनके अपने जीवन के अर्थ और उद्देश्य के नुकसान की ओर ले जाता है।
- गलत विकल्प: अनोमी दुर्खीम से संबंधित है, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद रोजमर्रा की बातचीत पर केंद्रित है, और सामाजिक गतिशीलता सामाजिक स्थिति में परिवर्तन है।
प्रश्न 7: मैक्स वेबर ने ‘सत्ता’ (Authority) के तीन प्रमुख प्रकारों का वर्णन किया है। निम्नलिखित में से कौन सा इन तीन प्रकारों में से एक नहीं है?
- तर्कसंगत-वैधानिक सत्ता (Rational-Legal Authority)
- परंपरागत सत्ता (Traditional Authority)
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
- आर्थिक सत्ता (Economic Authority)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन प्रकार बताए: करिश्माई (व्यक्तिगत आकर्षण और असाधारण गुणों पर आधारित), परंपरागत (दीर्घकालिक रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित), और तर्कसंगत-वैधानिक (स्पष्ट रूप से परिभाषित नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित)। ‘आर्थिक सत्ता’ उनके द्वारा बताए गए सत्ता के प्रकारों में से एक नहीं है, हालांकि आर्थिक कारक अन्य प्रकार की सत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने यह समझने की कोशिश की कि लोग क्यों नेताओं या संस्थाओं की आज्ञा मानते हैं। उन्होंने देखा कि यह विश्वास कि नेतृत्व वैध है, सत्ता का आधार बनता है।
- गलत विकल्प: तर्कसंगत-वैधानिक सत्ता आधुनिक नौकरशाही और कानून व्यवस्था का आधार है। परंपरागत सत्ता राजशाही या पारिवारिक नेतृत्व में देखी जाती है। करिश्माई सत्ता धार्मिक नेताओं या क्रांतिकारी नेताओं में पाई जाती है।
प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) की व्यवस्था को समझने के लिए, निम्न में से किस समाजशास्त्री ने ‘अशुद्धता और शुद्धता’ (Purity and Pollution) के सिद्धांत को महत्वपूर्ण माना है?
- इरावती कर्वे
- एम.एन. श्रीनिवास
- लोविस डूमोंट
- जी.एस. घुरिये
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लोविस डूमोंट, एक फ्रांसीसी मानवविज्ञानी, ने भारतीय जाति व्यवस्था की अपनी विस्तृत व्याख्या में ‘अशुद्धता और शुद्धता’ के सिद्धांत को केंद्र में रखा। उन्होंने तर्क दिया कि यह पदानुक्रम (hierarchy) इन अवधारणाओं पर आधारित है, जो पवित्र और अपवित्र के बीच अंतर पैदा करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: डूमोंट की पुस्तक ‘Homo Hierarchicus’ में, वे इस विचार पर ज़ोर देते हैं कि जातिगत नियम केवल आर्थिक या राजनीतिक नहीं हैं, बल्कि धार्मिक और पवित्रता-अशुद्धता के विचारों से गहराई से जुड़े हुए हैं।
- गलत विकल्प: इरावती कर्वे ने जाति को एक भौगोलिक और सामाजिक इकाई के रूप में देखा। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण और पश्चिमीकरण पर काम किया। जी.एस. घुरिये ने जाति के कई पहलुओं का अध्ययन किया, लेकिन डूमोंट का जोर ‘पवित्रता/अशुद्धता’ पर अधिक था।
प्रश्न 9: रॉबर्ट किंग मर्टन की ‘मध्य-सीमा सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- समग्र समाज के भव्य सिद्धांतों का निर्माण
- विशिष्ट, अनुभवजन्य रूप से परीक्षण योग्य सामाजिक घटनाओं के लिए सिद्धांत विकसित करना
- समाजशास्त्रीय सिद्धांतों का दार्शनिक आधार प्रदान करना
- समाजशास्त्रीय अनुसंधान में नैतिक चिंताओं को दूर करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘मध्य-सीमा सिद्धांत’ का प्रस्ताव रखा। उनका मानना था कि बहुत व्यापक या ‘भव्य’ सिद्धांत (Grand Theory) अनुभवजन्य रूप से जांचना मुश्किल होता है, और बहुत संकीर्ण सिद्धांत समाज के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान नहीं करते। इसलिए, उन्होंने विशिष्ट सामाजिक घटनाओं (जैसे, संदर्भ समूह, अनौपचारिक संगठन) के लिए मध्यम स्तर के सिद्धांत विकसित करने का सुझाव दिया।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन के अनुसार, ये मध्य-सीमा सिद्धांत समाज के बारे में हमारे ज्ञान के लिए एक आधार प्रदान करते हैं और अंततः एक अधिक व्यापक सिद्धांत के निर्माण में योगदान कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) ग्रैंड थ्योरी की ओर जाता है, (c) दार्शनिक आधार है, और (d) अनुसंधान नैतिकता से संबंधित है, जो मर्टन के मध्य-सीमा सिद्धांत का प्रत्यक्ष उद्देश्य नहीं था।
प्रश्न 10: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रवर्तक कौन माने जाते हैं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक पिताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति समाज और स्वयं के बारे में अपनी समझ अपने अंतःक्रियाओं में प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के विचारों को उनके छात्रों, विशेष रूप से हर्बर्ट ब्लूमर द्वारा व्यवस्थित किया गया, जिन्होंने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द को गढ़ा। उन्होंने ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएं पेश कीं, जो स्वयं के विकास में सामाजिक अंतःक्रिया की भूमिका को दर्शाती हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर प्रमुख शास्त्रीय समाजशास्त्री हैं, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक माने जाते हैं।
प्रश्न 11: समाज में ‘पारिवारिक विघटन’ (Family Disorganization) की व्याख्या करते समय, समाजशास्त्री प्रायः किन कारणों पर विचार करते हैं?
- पारंपरिक भूमिकाओं में परिवर्तन
- आर्थिक अस्थिरता
- शिक्षा के स्तर में वृद्धि
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पारिवारिक विघटन एक बहुआयामी अवधारणा है। पारंपरिक भूमिकाओं में परिवर्तन (जैसे महिला शिक्षा और रोजगार), आर्थिक अस्थिरता (जैसे बेरोजगारी, गरीबी), और शिक्षा के स्तर में वृद्धि (जो सामाजिक अपेक्षाओं को बदलती है) – ये सभी कारक परिवार की पारंपरिक संरचना और कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे विघटन हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री परिवार को एक सामाजिक संस्था के रूप में देखते हैं जो बदलते सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संदर्भों के साथ अनुकूलित होती है। इन परिवर्तनों को कभी-कभी “विघटन” के रूप में देखा जाता है, जबकि वे वास्तव में नए रूपों का निर्माण भी हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: इनमें से कोई भी विकल्प अकेला कारण नहीं है; बल्कि, ये सभी एक साथ या अलग-अलग परिवार की संरचना को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘समाज में परिवर्तन’ (Social Change) के संदर्भ में, उन प्रमुख शक्ति या बल का वर्णन करती है जो समाज को एक दिशा में धकेलते हैं, जैसे कि तकनीकी प्रगति या सामाजिक आंदोलन?
- सामाजिक सामंजस्य (Social Cohesion)
- सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)
- सामाजिक गति (Social Momentum)
- सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘सामाजिक गति’ (Social Momentum) एक ऐसी अवधारणा है जो समाज में परिवर्तन की अंतर्निहित शक्ति या ‘गति’ को इंगित करती है। यह उन ताकतों को संदर्भित कर सकती है जो एक बार शुरू होने के बाद समाज में बदलाव लाती रहती हैं। हालांकि यह एक मुख्यधारा की अवधारणा नहीं है, यह परिवर्तन की दिशा और उसकी निरंतरता को समझाने का प्रयास करती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, औद्योगिक क्रांति या डिजिटल क्रांति जैसी घटनाओं ने एक ‘सामाजिक गति’ उत्पन्न की जिसने समाज को तेजी से बदला। सामाजिक आंदोलन भी समाज में गति उत्पन्न कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: सामाजिक सामंजस्य समाज को एक साथ रखने वाले बंधन हैं। सामाजिक स्तरीकरण समाज में असमानता है। सामाजिक गतिशीलता एक व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी में जाने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 13: “धर्म एक अफीम है जो जनता को सुलाती है।” यह प्रसिद्ध कथन किस समाजशास्त्री से जुड़ा है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: यह कथन कार्ल मार्क्स का है। मार्क्स धर्म को उत्पादन के साधनों की तरह ही उत्पादन के सामाजिक संबंधों का एक उत्पाद मानते थे। उनके अनुसार, धर्म दमनकारी सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करता है, लोगों को उनकी वर्तमान दुर्दशा के लिए स्वीकार करने और स्वर्ग में पुरस्कार की आशा करने के लिए प्रेरित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि धर्म “जनता की अफीम” है क्योंकि यह लोगों को अन्याय और शोषण के खिलाफ लड़ने के बजाय उनकी चिंताओं को दूर करता है और उन्हें निष्क्रिय बनाता है।
- गलत विकल्प: वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के बीच संबंध का अध्ययन किया, दुर्खीम ने समाज में धर्म के प्रकार्यों (functions) का विश्लेषण किया, और कॉम्टे एक सकारात्मक दार्शनिक थे।
प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के अध्ययन में, किन पहलुओं को प्रमुखता से देखा जाता है?
- औद्योगिकीकरण और शहरीकरण
- धर्मनिरपेक्षता और तर्कसंगतता
- लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न परिवर्तन शामिल होते हैं। औद्योगिकीकरण (फैक्ट्रियों का विकास), शहरीकरण (गांवों से शहरों की ओर पलायन), धर्मनिरपेक्षता (राजनीति और जीवन से धर्म का अलगाव), तर्कसंगतता (तर्क और विज्ञान पर आधारित निर्णय), और लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास (प्रतिनिधि सरकार, अधिकार) – ये सभी आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पश्चिमी देशों से भिन्न रही है, जहाँ पारंपरिक और आधुनिक दोनों तत्व सह-अस्तित्व में रहते हैं।
- गलत विकल्प: ये सभी पहलू आधुनिकीकरण का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए कोई भी विकल्प अकेला सही नहीं है।
प्रश्न 15: ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology) के क्षेत्र में, ‘भू-संबंध’ (Land Relations) का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?
- यह दर्शाता है कि भूमि का स्वामित्व और उपयोग ग्रामीण समुदायों में शक्ति, धन और सामाजिक स्थिति को कैसे वितरित करता है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण के स्तर को मापता है।
- यह ग्रामीण समुदायों में विवाह प्रथाओं का विश्लेषण करता है।
- यह शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण संपर्क का अध्ययन करता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ग्रामीण समाजशास्त्र में भू-संबंधों का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि भूमि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। भूमि का स्वामित्व (किसके पास है), उसका वितरण (कितना है), और उसका उपयोग (कैसे होता है) ग्रामीण समाज के भीतर शक्ति संरचनाओं, वर्ग संबंधों, आर्थिक असमानताओं और सामाजिक पदानुक्रम को निर्धारित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत जैसे कृषि प्रधान देशों में, भूमि सुधार, काश्तकारी, और भूमिहीनता जैसे मुद्दे सीधे तौर पर ग्रामीण सामाजिक संरचना और संघर्षों से जुड़े होते हैं।
- गलत विकल्प: (b) पर्यावरण प्रदूषण ग्रामीण समाजशास्त्र का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह भू-संबंध का मुख्य अध्ययन नहीं है। (c) विवाह प्रथाएं अध्ययन का विषय हो सकती हैं, लेकिन भू-संबंध सीधे तौर पर इनका निर्धारण नहीं करते। (d) शहरी संपर्क महत्वपूर्ण है, लेकिन भू-संबंध ग्रामीण संरचना को अधिक गहराई से परिभाषित करते हैं।
प्रश्न 16: ‘सामुदायिक संगठन’ (Community Organization) की अवधारणा, जिसका उपयोग प्रायः सामाजिक कार्य और ग्रामीण विकास में किया जाता है, का मूल उद्देश्य क्या है?
- व्यक्तिगत समस्याओं को हल करना
- समूह के सदस्यों को सामूहिक रूप से अपनी समस्याओं की पहचान करने और उनका समाधान खोजने के लिए सशक्त बनाना
- सरकार की नीतियों को लागू करना
- बाहरी विशेषज्ञों द्वारा समस्याओं का समाधान प्रदान करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामुदायिक संगठन का मुख्य उद्देश्य समुदाय के सदस्यों को उनकी साझा समस्याओं को पहचानने, उन पर चर्चा करने और सामूहिक रूप से समाधान खोजने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाना है। यह स्व-सहायता और आत्म-निर्भरता पर जोर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह लोगों को अपनी स्थानीय परिस्थितियों के बारे में निर्णय लेने और अपने स्वयं के विकास को गति देने की शक्ति देता है। इसका लक्ष्य सामुदायिक भागीदारी और सहभागिता को बढ़ाना है।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान सामाजिक कार्य का हिस्सा है, लेकिन सामुदायिक संगठन सामूहिक पर केंद्रित है। (c) यह सरकारी नीतियों को लागू करने की एक विधि नहीं है, बल्कि समुदाय-संचालित पहल है। (d) यह बाहरी विशेषज्ञता पर निर्भरता को कम करता है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘मान्यता’ (Assumptions) से संबंधित है?
- यह वह सामान्यीकृत सत्य है जो अनुभवजन्य रूप से सिद्ध होता है।
- यह वह प्रस्ताव है जिसे शोधकर्ता सत्य मानता है, भले ही उसे अनुभवजन्य रूप से सिद्ध न किया गया हो, ताकि अनुसंधान जारी रह सके।
- यह एक मात्र राय है जिसे सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है।
- यह अनुसंधान के परिणामों का सारांश है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, मान्यताएं वे प्रारंभिक कथन या विचार होते हैं जिन्हें शोधकर्ता अनुसंधान शुरू करने से पहले सत्य मानता है। ये मान्यताएं अक्सर सैद्धांतिक दृष्टिकोणों पर आधारित होती हैं और ये अनुसंधान को दिशा देने के लिए आवश्यक होती हैं, भले ही वे सीधे तौर पर सिद्ध न की गई हों।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, यह मानना कि मनुष्य तर्कसंगत होते हैं, व्यवहारिक अर्थशास्त्र में एक मान्यता हो सकती है। समाजशास्त्र में, यह मानना कि सामाजिक संरचनाएँ व्यक्तिगत व्यवहार को प्रभावित करती हैं, एक महत्वपूर्ण मान्यता है।
- गलत विकल्प: (a) यह एक सिद्धांत या निष्कर्ष है। (c) राय एक व्यक्तिपरक विचार है, जबकि मान्यता अक्सर सैद्धांतिक आधार पर होती है। (d) यह अनुसंधान का अंतिम चरण है।
प्रश्न 18: ‘लॉर्ड ऑफ द फ्लाइज़’ (Lord of the Flies) जैसे काल्पनिक कार्य, जिसमें बच्चों के एक समूह को सभ्यता से काट दिया जाता है, समाजशास्त्र में किस अवधारणा के अध्ययन के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य कर सकते हैं?
- पूंजीवाद और अलगाव
- सामाजिक व्यवस्था का अभाव और सभ्यता का पतन
- शहरीकरण और औद्योगिकीकरण
- पारिवारिक संरचना में परिवर्तन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘लॉर्ड ऑफ द फ्लाइज़’ एक समूह के भीतर अनुशासन, कानून और सामाजिक व्यवस्था के टूटने को दर्शाता है जब बाहरी नियामक ढांचा (जैसे वयस्क पर्यवेक्षण, स्थापित नियम) अनुपस्थित होता है। यह दर्शाता है कि कैसे ‘सभ्यता’ या सामाजिक व्यवस्था, मानव व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है, और इसके अभाव में बर्बरता या अराजकता जन्म ले सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक एमिल दुर्खीम की ‘अनोमी’ या थॉमस हॉब्स के ‘प्राकृतिक अवस्था’ (state of nature) के विचारों से जुड़ती है, जहाँ जीवन ‘एक का सबके विरुद्ध’ बन जाता है।
- गलत विकल्प: (a) मार्क्सवाद से संबंधित है। (c) औद्योगिक और शहरी परिवर्तनों से संबंधित है। (d) परिवार से संबंधित है।
प्रश्न 19: भारतीय संदर्भ में ‘आदिवासी समाजों’ (Tribal Societies) की विशिष्टता के संबंध में निम्न में से कौन सा कथन सही है?
- उनकी एक समान संस्कृति और जीवन शैली होती है।
- वे प्रायः एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े होते हैं और उनकी अपनी भाषा, रीति-रिवाज और सामाजिक संस्थाएं होती हैं।
- वे हमेशा मुख्यधारा के समाज से कटे हुए रहते हैं।
- उनकी आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से शिकारी और संग्राहक जीवन पर आधारित होती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आदिवासी समाजों की एक प्रमुख विशेषता उनका एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ा होना, उनकी अपनी अनूठी भाषा, विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाएं (रीति-रिवाज, मान्यताएं, कला), और अपनी पारंपरिक सामाजिक संस्थाएं (जैसे पंचायत, कुलों की व्यवस्था) होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी आदिवासी समान नहीं होते; उनकी अपनी विविधताएँ होती हैं। वे हमेशा पूरी तरह से कटे हुए नहीं रहते और न ही उनकी आर्थिक व्यवस्था हमेशा आदिम प्रकार की ही होती है; कई आधुनिकता से प्रभावित हुए हैं।
- गलत विकल्प: (a) विविधताएँ होती हैं। (c) वे मुख्यधारा से संपर्क में आते हैं। (d) उनकी अर्थव्यवस्थाएं विविध हो सकती हैं, जिसमें कृषि या शिल्पकारी भी शामिल है।
प्रश्न 20: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) को समझने के लिए, निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘वर्ग’ (Class), ‘संपदा’ (Status), और ‘शक्ति’ (Party) की तीन-आयामी अवधारणा प्रस्तुत की?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- टैल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने समाज में असमानता को केवल आर्थिक वर्ग (जैसा कि मार्क्स ने माना) तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने ‘संपदा’ (एक व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा या सम्मान) और ‘शक्ति’ (किसी व्यक्ति की इच्छा को लागू करने की क्षमता, भले ही प्रतिरोध हो) को भी स्तरीकरण के महत्वपूर्ण आयाम माना।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, ये तीनों आयाम (वर्ग, संपदा, शक्ति) मिलकर समाज में व्यक्ति की स्थिति और शक्ति का निर्धारण करते हैं। एक व्यक्ति आर्थिक रूप से गरीब हो सकता है लेकिन समाज में उच्च संपदा या शक्ति रख सकता है, और इसके विपरीत भी हो सकता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने मुख्य रूप से आर्थिक वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और कार्य पर जोर दिया। पार्सन्स ने व्यवस्था के कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 21: ‘लोक-विधि विज्ञान’ (Ethnomethodology) का मुख्य सरोकार क्या है?
- समाज के बड़े पैमाने पर संरचनात्मक पैटर्न का अध्ययन करना
- लोगों द्वारा अपने दैनिक जीवन में साझा अर्थ और वास्तविकता कैसे बनाई जाती है, इसका अध्ययन करना
- ज्ञान के विकास में वैज्ञानिक विधि की भूमिका का विश्लेषण करना
- शास्त्रीय समाजशास्त्रीय सिद्धांतों की आलोचना करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लोक-विधि विज्ञान (Ethnomethodology) समाजशास्त्र का एक दृष्टिकोण है जो इस बात का अध्ययन करता है कि आम लोग अपने दैनिक जीवन में सामान्य ज्ञान, सामान्य समझ और तरीकों का उपयोग करके सामाजिक दुनिया को कैसे बनाते, बनाए रखते और समझते हैं। यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि लोग ‘सब कुछ को कैसे जानते हैं’ या ‘कैसे जानते हैं कि क्या हो रहा है’।
- संदर्भ और विस्तार: हारोल्ड गार्फिंकेल इस पद्धति के प्रमुख प्रतिपादक हैं। वे लोगों के सामाजिक व्यवहार में अंतर्निहित, अनकहे नियमों और साझा समझ पर ज़ोर देते हैं।
- गलत विकल्प: (a) बड़े संरचनात्मक पैटर्न का अध्ययन संरचनात्मक प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद का विषय है। (c) वैज्ञानिक विधि का अध्ययन विज्ञान के समाजशास्त्र में हो सकता है। (d) यह शास्त्रीय सिद्धांतों की आलोचना नहीं, बल्कि व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं से समाज को समझने का एक तरीका है।
प्रश्न 22: ‘संदर्भ समूह’ (Reference Group) की अवधारणा, जो समाजीकरण और सामाजिक तुलना में महत्वपूर्ण है, को किसने विकसित किया?
- विलियम ग्राहम समनर
- रॉबर्ट किंग मर्टन
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘संदर्भ समूह’ की अवधारणा का विस्तार से विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि संदर्भ समूह वे समूह होते हैं जिनसे व्यक्ति अपनी पहचान, विश्वासों और व्यवहारों के लिए तुलना करता है, भले ही वह स्वयं उस समूह का सदस्य हो या न हो।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘The Social Structure and Anomie’ में इस अवधारणा को विकसित किया, और इसमें ‘सकारात्मक’ (aspirational) और ‘नकारात्मक’ (dissociative) संदर्भ समूहों के बीच अंतर किया।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने ‘इन-ग्रुप’ (in-group) और ‘आउट-ग्रुप’ (out-group) का विचार दिया। चार्ल्स कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (looking-glass self) की अवधारणा दी। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक रूपों और अंतःक्रियाओं का अध्ययन किया।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के सबसे सटीक रूप से वर्णन करती है?
- एक समाज में विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच की दूरी।
- एक व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में स्थानांतरण।
- समाज में धन का असमान वितरण।
- किसी व्यक्ति के जीवनकाल में आर्थिक विकास का मापन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह की समाज के भीतर सामाजिक सीढ़ी पर ऊपर या नीचे की ओर बढ़ना। इसमें आय, व्यवसाय, शिक्षा या सामाजिक प्रतिष्ठा जैसे आयामों में परिवर्तन शामिल हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता क्षैतिज (एक ही स्तर पर एक समूह से दूसरे समूह में जाना) या ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे की ओर जाना) हो सकती है। अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational mobility) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थिति में परिवर्तन को संदर्भित करती है।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक दूरी है। (c) सामाजिक स्तरीकरण या असमानता है। (d) यह केवल आर्थिक विकास है, न कि समग्र सामाजिक स्थिति का परिवर्तन।
प्रश्न 24: ‘विभेदित साहचर्य’ (Differential Association) का सिद्धांत, जो बताता है कि आपराधिक व्यवहार सीखा जाता है, किस समाजशास्त्री से जुड़ा है?
- एमिल दुर्खीम
- ट्रैविस हिर्शी
- एडविन सदरलैंड
- रॉबर्ट किंग मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एडविन सदरलैंड ने ‘विभेदित साहचर्य’ के सिद्धांत को प्रतिपादित किया। उनके अनुसार, आपराधिक व्यवहार, अन्य सभी व्यवहारों की तरह, उन व्यक्तियों के साथ साहचर्य के माध्यम से सीखा जाता है जो आपराधिक व्यवहार के पक्ष में परिभाषाओं को व्यक्त करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि अपराध करने की प्रवृत्ति व्यक्ति के आस-पास के लोगों के प्रभाव से आती है। यदि किसी व्यक्ति का प्राथमिक संपर्क समूह अपराध को स्वीकार करता है, तो उस व्यक्ति में अपराध करने की अधिक संभावना होती है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने समाज में अपराध को एक सामान्य घटना माना। हिर्शी ने नियंत्रण सिद्धांत (control theory) दिया। मर्टन ने तनाव सिद्धांत (strain theory) और अनौमी का अध्ययन किया।
प्रश्न 25: शहरी समाजशास्त्र (Urban Sociology) में, ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया को मुख्य रूप से कैसे परिभाषित किया जाता है?
- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि पद्धतियों का विकास।
- शहरों की ओर जनसंख्या का बढ़ता पलायन और ग्रामीण से शहरी जीवन शैली में परिवर्तन।
- शहरी क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण की धीमी गति।
- शहरों का भौतिक विस्तार, लेकिन जनसंख्या में कोई वृद्धि नहीं।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: शहरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं। इसके परिणामस्वरूप शहरों का विकास होता है और लोगों के जीवन के तरीके, मूल्यों और सामाजिक संरचनाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं, जो ग्रामीण से शहरी जीवन की ओर स्थानांतरित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: शहरीकरण केवल जनसंख्या का घनत्व बढ़ना नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तन भी है। यह अक्सर औद्योगिकीकरण, बेहतर रोजगार के अवसरों और सेवाओं की तलाश से प्रेरित होता है।
- गलत विकल्प: (a) कृषि से संबंधित है। (c) औद्योगिकीकरण शहरीकरण का कारण हो सकता है, लेकिन यह स्वयं शहरीकरण नहीं है। (d) भौतिक विस्तार और जनसंख्या वृद्धि साथ-साथ चलते हैं।