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समाजशास्त्र की कसौटी: दैनिक अभ्यास

समाजशास्त्र की कसौटी: दैनिक अभ्यास

समाजशास्त्र के हर आकांक्षी के लिए, यह है आपकी दैनिक वैचारिक अग्निपरीक्षा! अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को परखें, गहन विश्लेषण करें और प्रमुख परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को नई धार दें। क्या आप आज की चुनौतियों के लिए तैयार हैं?

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) या ‘समझ’ की अवधारणा को किसने प्रस्तुत किया, जो समाजशास्त्रियों से यह समझने की मांग करती है कि लोग अपने कार्यों से क्या व्यक्तिपरक अर्थ जोड़ते हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्रीय पद्धति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके अनुसार समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों और प्रेरणाओं को समझना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र का आधार है और इसे उनकी कृति ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ में विस्तार से बताया गया है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद (Positivism) के विपरीत है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे, एमिल दुर्खीम ने ‘एनामी’ (Anomie) जैसी अवधारणाएं विकसित कीं, और जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) पर काम किया।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना
  2. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  3. निम्न जातियों का उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाकर सामाजिक सीढ़ी में उच्च स्थान प्राप्त करने का प्रयास
  4. तकनीकी प्रगति के कारण सामाजिक परिवर्तन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निचली सामाजिक-जाति या जनजाति के लोग उच्च जातियों की जीवन शैली, पूजा पद्धतियों, खान-पान और रीति-रिवाजों को अपनाते हैं ताकि वे जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को सुधार सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: (a) पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) है। (b) और (d) ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) के व्यापक आयाम हैं, जो केवल सांस्कृतिक नहीं बल्कि तकनीकी और संस्थागत परिवर्तन से जुड़े हैं।

प्रश्न 3: समाज में व्यक्तियों के बीच सामाजिक संबंधों के प्रतिमानों को क्या कहा जाता है?

  1. सामाजिक स्तरीकरण
  2. सामाजिक संरचना
  3. सांस्कृतिक विप्रवण
  4. सामाजिक विघटन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) समाज में व्यक्तियों और समूहों के बीच स्थापित, अपेक्षाकृत स्थायी संबंधों और अंतःक्रियाओं के व्यवस्थित प्रतिमान को संदर्भित करती है। यह समाज का ढांचा प्रदान करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर दिया, जो समाज के भीतर स्थायित्व और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) समाज के विभिन्न स्तरों में असमान वितरण से संबंधित है। ‘सांस्कृतिक विप्रवण’ (Cultural Lag) आगस्टे फोंटेस की एक अवधारणा है जो भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति के बीच परिवर्तन की दर में अंतर को दर्शाती है। ‘सामाजिक विघटन’ (Social Disorganization) समाज में व्यवस्था के क्षरण को दर्शाता है।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का मुख्य कारण क्या है?

  1. पूंजीवादी उत्पादन की प्रक्रिया
  2. धार्मिक विश्वास
  3. पारंपरिक मूल्य
  4. सामाजिक असमानता

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक द्वारा अनुभव किए जाने वाले ‘अलगाव’ का वर्णन किया। उनका तर्क था कि उत्पादन के साधनों से वंचित होने के कारण, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, स्वयं और अन्य मनुष्यों से अलगाव महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘इकॉनॉमिक एंड फिलॉसॉफिक मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में पाई जाती है। यह पूंजीवाद की अंतर्निहित समस्या है।
  • गलत विकल्प: यद्यपि धार्मिक विश्वास (b), पारंपरिक मूल्य (c) और सामाजिक असमानता (d) अप्रत्यक्ष रूप से अलगाव में योगदान कर सकते हैं, मार्क्स के सिद्धांत में अलगाव का प्राथमिक और प्रत्यक्ष कारण पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया है।

प्रश्न 5: ‘एनामी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों में शिथिलता या अनुपस्थिति की स्थिति को दर्शाती है, किससे जुड़ी है?

  1. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. टी. पर्सन्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘एनामी’ (Anomie) की अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा विकसित की गई थी। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज के सदस्यों के लिए कोई स्पष्ट सामाजिक मानक या नैतिक दिशा-निर्देश नहीं होते, जिससे समाज में अव्यवस्था और व्यक्तिगत निराशा उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में इस अवधारणा का उपयोग सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) के क्षरण और इसके परिणामों को समझाने के लिए किया।
  • गलत विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, मैक्स वेबर ने वेर्टेहेन और बुर्जुआ समाज, और टी. पार्सन्स ने संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) पर काम किया।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की एक विशेषता नहीं है?

  1. अंतर्विवाह (Endogamy)
  2. व्यवसाय का परंपरागत निर्धारण
  3. जाति के भीतर गतिशीलता (Mobility)
  4. जाति-आधारित खान-पान और सामाजिक संबंध के नियम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता कठोरता और सामाजिक गतिशीलता (Mobility) की अनुपस्थिति है। व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, उसी में रहता है और उसी के व्यवसायों व नियमों का पालन करता है। हालांकि, आधुनिकीकरण और आन्दोलनों के कारण कुछ सीमा तक गतिशीलता बढ़ी है, पर यह इसकी मुख्य ऐतिहासिक विशेषता नहीं रही है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित है, जहाँ विवाह (अंतर्विवाह), व्यवसाय, सामाजिक संपर्क और खान-पान के नियम तय होते हैं।
  • गलत विकल्प: अंतर्विवाह (a) जाति की एक प्रमुख विशेषता है, जहाँ व्यक्ति अपनी जाति के भीतर ही विवाह करता है। व्यवसाय का परंपरागत निर्धारण (b) भी एक महत्वपूर्ण लक्षण है। जाति-आधारित खान-पान और सामाजिक संबंध के नियम (d) स्पष्ट रूप से जाति व्यवस्था के नियम हैं।

प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख विचारक कौन हैं?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. हरबर्ट ब्लूमर
  4. रॉबर्ट मर्टन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: हरबर्ट ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द को गढ़ा और इसे विकसित किया। यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और कैसे ये अंतःक्रियाएं सामाजिक वास्तविकता का निर्माण करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों को आगे बढ़ाया, जो स्वयं इस दृष्टिकोण के अग्रदूत माने जाते हैं। यह सिद्धांत सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) सामाजिक विश्लेषण पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम प्रकार्यवाद से, वेबर व्याख्यात्मक समाजशास्त्र से, और मर्टन अपने मध्यावधि सिद्धांत (Middle-Range Theory) से जुड़े हैं।

प्रश्न 8: टोटेमिज्म (Totemism) की अवधारणा, जो एक समूह और एक प्राकृतिक वस्तु (जैसे जानवर या पौधा) के बीच एक पवित्र संबंध का वर्णन करती है, को किस समाजशास्त्री ने विस्तृत रूप से समझाया?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  4. फ्रैंक फूटेनी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ रिलिजियस लाइफ’ (The Elementary Forms of Religious Life) में टोटेमिज्म का गहन विश्लेषण किया। उन्होंने इसे समाज के प्रारंभिक रूपों में धर्म का सबसे सरल रूप माना और तर्क दिया कि टोटेम वास्तव में समाज का ही प्रतीक है, जिससे सामूहिक चेतना की उत्पत्ति होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, धर्म केवल अलौकिक में विश्वास नहीं था, बल्कि यह समाज के भीतर सामूहिकता और एकता को बनाए रखने का एक तरीका था।
  • गलत विकल्प: रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद के प्रतिपादक थे जिन्होंने संरचना के कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर और फूटेनी के सामाजिक अध्ययन के अन्य क्षेत्र थे।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा सामाजिक व्यवस्था (Social Order) के लिए ‘कार्यों’ (Functions) का महत्व बताती है?

  1. संघर्ष सिद्धांत
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  3. प्रकार्यवादी सिद्धांत
  4. नारीवाद

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘प्रकार्यवादी सिद्धांत’ (Functionalist Theory) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसके विभिन्न अंग (जैसे संस्थाएँ) सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने के लिए विशिष्ट कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम, टालकोट पार्सन्स, और रॉबर्ट मर्टन इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रतिपादक हैं। यह मानता है कि समाज के प्रत्येक हिस्से का कोई न कोई कार्य होता है जो पूरे समाज के संतुलन में योगदान देता है।
  • गलत विकल्प: ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) (जैसे मार्क्सवाद) समाज में शक्ति और संघर्ष पर केंद्रित है। ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। ‘नारीवाद’ (Feminism) लैंगिक असमानता और शक्ति संबंधों का विश्लेषण करता है।

प्रश्न 10: भारतीय संदर्भ में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का संबंध किससे है?

  1. भूमि सुधार
  2. औद्योगिक उत्पादन
  3. ग्रामीण समुदाय में पारंपरिक सेवा-आदान-प्रदान का नेटवर्क
  4. शहरी नियोजन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘जजमानी प्रणाली’ भारतीय ग्रामीण समाज में एक पारंपरिक व्यवस्था थी जहाँ विभिन्न जातियों के लोग एक-दूसरे को सेवाएं प्रदान करते थे और बदले में वस्तु या सेवा के रूप में भुगतान प्राप्त करते थे। यह एक अंतर-जातीय सेवा-आदान-प्रदान का नेटवर्क था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली में, उच्च जातियों के ‘जजमान’ (Patron) निम्न जातियों के ‘कुम्बीन’ (Service Provider) को सेवा के बदले में अनाज, कपड़े या धन देते थे। यह संबंध अक्सर वंशानुगत होता था।
  • गलत विकल्प: यह प्रणाली सीधे तौर पर भूमि सुधार (a), औद्योगिक उत्पादन (b) या शहरी नियोजन (d) से संबंधित नहीं है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संबंधों के एक विशिष्ट रूप से संबंधित है।

प्रश्न 11: रॉबर्ट मर्टन द्वारा प्रस्तावित ‘मध्यवर्ती-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theories) का उद्देश्य क्या है?

  1. समग्र समाज के व्यापक सिद्धांतों का निर्माण
  2. किसी विशेष घटना या सामाजिक समूह से संबंधित विशिष्ट, परीक्षण योग्य सिद्धांतों का निर्माण
  3. मानव व्यवहार की जैविक व्याख्या
  4. वैश्विक पूंजीवाद का आलोचनात्मक विश्लेषण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने तर्क दिया कि समाजशास्त्र को न तो बहुत सामान्य (जैसे मार्क्स या स्पेंसर के सिद्धांत) और न ही बहुत विशिष्ट (केवल व्यक्तिगत व्यवहार) सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बल्कि ‘मध्यवर्ती-श्रेणी के सिद्धांतों’ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो विशिष्ट सामाजिक घटनाओं या प्रक्रियाओं को समझाते हैं और जिन्हें अनुभवजन्य रूप से परखा जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका उदाहरण ‘एनामी’ की अवधारणा का सामाजिक अपराधों के अध्ययन में उपयोग है। यह बड़े पैमाने पर सिद्धांतों और अनुभवजन्य अनुसंधान के बीच एक पुल का काम करता है।
  • गलत विकल्प: (a) समग्र समाज के व्यापक सिद्धांतों का निर्माण मर्टन के अनुसार बहुत अमूर्त था। (c) और (d) उनके दृष्टिकोण से मेल नहीं खाते।

प्रश्न 12: भारत में, ‘हरिजन’ (Harijan) शब्द किसने गढ़ा और यह किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ?

  1. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर; दलितों के उत्पीड़न के विरोध में
  2. महात्मा गांधी; अछूतों को ईश्वर के जन कहने के संदर्भ में
  3. जवाहरलाल नेहरू; भारतीय समाज सुधार के प्रयासों के संदर्भ में
  4. सरोजिनी नायडू; महिलाओं के उत्थान के संदर्भ में

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: महात्मा गांधी ने ‘हरिजन’ (ईश्वर के जन) शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया जिन्हें पारंपरिक रूप से ‘अछूत’ माना जाता था। यह शब्द उनके प्रति सम्मान और उनके सामाजिक बहिष्कार को समाप्त करने की गांधी की इच्छा को दर्शाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: गांधी ने हरिजन सेवक संघ की स्थापना करके इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि, यह शब्द स्वयं दलित समुदाय के कुछ वर्गों द्वारा स्वीकार्य नहीं था, जिन्होंने ‘दलित’ (ₚressured/oppressed) शब्द को प्राथमिकता दी।
  • गलत विकल्प: डॉ. अम्बेडकर ने स्वयं को ‘दलित’ के रूप में परिभाषित किया और जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए काम किया। नेहरू और नायडू के विचार भारतीय समाज सुधार से जुड़े थे, पर ‘हरिजन’ शब्द गांधी से जुड़ा है।

प्रश्न 13: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के ‘प्रकार्यवादी’ दृष्टिकोण के अनुसार, असमानता का अस्तित्व क्यों आवश्यक है?

  1. यह सामाजिक संघर्ष को बढ़ावा देता है।
  2. यह सुनिश्चित करता है कि सबसे महत्वपूर्ण पदों पर सबसे योग्य व्यक्ति रहें।
  3. यह संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करता है।
  4. यह सामाजिक गतिशीलता को पूरी तरह से रोकता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: किग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर जैसे प्रकार्यवादियों ने तर्क दिया कि सामाजिक स्तरीकरण (असमानता) समाज के लिए कार्यात्मक है। उनके अनुसार, समाज को यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पदों को अलग-अलग पुरस्कृत करना पड़ता है कि सबसे महत्वपूर्ण और कठिन पदों पर सबसे सक्षम और योग्य व्यक्ति आकर्षित हों और बने रहें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘योग्यता के आधार पर पुरस्कार’ (Meritocracy) के विचार से जुड़ा है।
  • गलत विकल्प: यह सामाजिक संघर्ष (a) को बढ़ावा देने के बजाय उसे कम करने का दावा करता है (यद्यपि आलोचक इससे सहमत नहीं हैं)। यह असमानता (c) को स्वीकार करता है, समान वितरण को नहीं। यह सामाजिक गतिशीलता को पूरी तरह से रोकता नहीं है (b) बल्कि उसे निर्देशित करता है।

प्रश्न 14: विवाह के किस रूप में एक व्यक्ति के एक ही समय में एक से अधिक जीवनसाथी हो सकते हैं?

  1. मोनोगैमी (एकविवाह)
  2. पॉलीगेमी (बहुविवाह)
  3. पोलिएंड्री (एकपत्नीत्व)
  4. मोनोआंद्री (एकपतित्व)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘पॉलीगेमी’ (Polygeny) एक व्यापक शब्द है जो एक व्यक्ति के एक से अधिक जीवनसाथी रखने की प्रथा को संदर्भित करता है। इसके दो मुख्य रूप हैं: ‘पॉलीजिनी’ (Polygyny) जहाँ एक पुरुष की कई पत्नियाँ होती हैं, और ‘पोलिएंड्री’ (Polyandry) जहाँ एक महिला के कई पति होते हैं। प्रश्न में ‘बहुविवाह’ (Polygeny) सामान्य अर्थ में पूछा गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह कई संस्कृतियों में पाया जाता है। विकल्प (c) पोलिएंड्री (एकपत्नीत्व) पॉलीगेमी का एक विशिष्ट रूप है।
  • गलत विकल्प: ‘मोनोगैमी’ (a) एक समय में केवल एक जीवनसाथी रखना है। ‘मोनोआंद्री’ (d) एक विशिष्ट शब्द नहीं है, संभवतः ‘मोनोगैमी’ का अर्थ लेना चाहिए था।

प्रश्न 15: मैक्स वेबर के अनुसार, सामाजिक क्रिया (Social Action) की कितनी श्रेणियां हैं?

  1. दो
  2. तीन
  3. चार
  4. पांच

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने चार प्रकार की सामाजिक क्रियाओं का वर्णन किया: 1. लक्ष्य-तर्कसंगत क्रिया (Goal-rational action), 2. मूल्य-तर्कसंगत क्रिया (Value-rational action), 3. भावनात्मक क्रिया (Affectual action), और 4. पारंपरिक क्रिया (Traditional action)।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि इन क्रियाओं को समझकर ही हम समाज को समझ सकते हैं। ये प्रकार वास्तविकता को वर्गीकृत करने के लिए वैचारिक उपकरण हैं।
  • गलत विकल्प: दिए गए विकल्पों में चार सही संख्या है।

प्रश्न 16: समाजशास्त्र में ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. जेम्स कॉलमैन
  3. रॉबर्ट पटनम
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पटनम जैसे कई समाजशास्त्रियों द्वारा स्वतंत्र रूप से या एक-दूसरे के काम से प्रभावित होकर किया गया है। बॉर्डियू ने इसे सामाजिक नेटवर्क और उससे प्राप्त लाभों के रूप में देखा, कॉलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं में निहित विश्वास और पारस्परिकताओं के रूप में परिभाषित किया, और पटनम ने नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन में इसके महत्व पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: तीनों ने अलग-अलग पहलुओं पर प्रकाश डाला, लेकिन मूल विचार यह है कि सामाजिक संबंध, नेटवर्क, और उन नेटवर्कों में निहित विश्वास और सहयोग के माध्यम से व्यक्तियों या समूहों को लाभ होता है।
  • गलत विकल्प: चूंकि तीनों ही इस अवधारणा से जुड़े हैं, इसलिए (d) सही है।

प्रश्न 17: भारतीय समाज में, ‘आधुनिकता’ (Modernity) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता प्रत्यक्ष रूप से नहीं जुड़ी है?

  1. तर्कसंगतता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
  2. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)
  3. जाति-आधारित पदानुक्रम की प्रबलता
  4. पूंजीवाद और औद्योगीकरण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: आधुनिकता मुख्य रूप से तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षीकरण, व्यक्तिवाद, औद्योगीकरण और पूंजीवाद जैसी विशेषताओं से जुड़ी है। जाति-आधारित पदानुक्रम की प्रबलता भारतीय समाज की पारंपरिक संरचना का हिस्सा है, जो आधुनिकता के साथ अक्सर टकराव में रहती है, न कि सीधे तौर पर आधुनिकता की विशेषता के रूप में पहचानी जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में आधुनिकीकरण के साथ जाति व्यवस्था में बदलाव आए हैं, लेकिन उसकी प्रबलता आधुनिकता की विशेषता नहीं बल्कि उसके सामने एक चुनौती रही है।
  • गलत विकल्प: तर्कसंगतता (a), धर्मनिरपेक्षीकरण (b), और पूंजीवाद/औद्योगीकरण (d) सभी आधुनिकता के प्रमुख तत्व हैं।

प्रश्न 18: ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा, जिसका उपयोग वास्तविकता का विश्लेषण करने के लिए एक वैचारिक उपकरण के रूप में किया जाता है, किस समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गई?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा मैक्स वेबर द्वारा विकसित की गई थी। यह कोई नैतिक आदर्श या सामान्य विचार नहीं है, बल्कि वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने के लिए बनाए गए अमूर्त, अतिरंजित अवधारणात्मक मॉडल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy), पूंजीवाद, और प्रभुत्व के प्रकारों (Authority Types) जैसे विषयों का अध्ययन करने के लिए आदर्श प्रकारों का उपयोग किया।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और प्रकार्यवाद पर, मार्क्स ने संघर्ष सिद्धांत पर, और सिमेल ने सामाजिक रूपों पर काम किया।

प्रश्न 19: भारत में ‘जनजातीय एकीकरण’ (Tribal Integration) की नीति का मुख्य उद्देश्य क्या रहा है?

  1. जनजातीय समुदायों को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग रखना
  2. जनजातीय समुदायों को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ना और उनकी पहचान बनाए रखना
  3. सभी जनजातीय भाषाओं को समाप्त करना
  4. जनजातीय क्षेत्रों का पूर्ण अलगाव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारत में ‘जनजातीय एकीकरण’ की नीति का उद्देश्य जनजातीय समुदायों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ना रहा है, लेकिन साथ ही उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान, भाषा और परंपराओं को भी संरक्षित रखना। यह आत्मसातीकरण (Assimilation) के बजाय एकीकरण (Integration) पर जोर देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नीति स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार की ओर से अपनाई गई, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों के विकास और उन्हें राष्ट्रीय समाज में शामिल करने के प्रयास किए गए।
  • गलत विकल्प: पूर्ण अलगाव (a), भाषाओं का उन्मूलन (c), या पूर्ण अलगाव (d) इस नीति के उद्देश्य नहीं रहे हैं।

प्रश्न 20: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह भौतिक संपत्ति या वित्तीय धन के समान है।
  2. यह व्यक्तियों के बीच सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिकताओं से उत्पन्न होता है।
  3. यह केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों का परिणाम है।
  4. यह व्यक्तिगत लाभ के लिए ही उपयोग किया जा सकता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक पूंजी, जैसा कि बॉर्डियू, कॉलमैन और पटनम जैसे विचारकों ने समझाया है, व्यक्तियों के सामाजिक नेटवर्क, उन नेटवर्कों में मौजूद विश्वास, और सहयोग की क्षमता से उत्पन्न होने वाली संसाधन है, जो सामूहिक या व्यक्तिगत लाभ में मदद कर सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह वित्तीय या भौतिक पूंजी से भिन्न है, हालांकि यह इनके रूपांतरण में सहायक हो सकती है।
  • गलत विकल्प: यह वित्तीय धन (a) नहीं है। यह व्यक्तिगत नेटवर्क और संबंधों से उत्पन्न होता है (c) न कि केवल व्यक्तिगत उपलब्धि से। इसका उपयोग व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों लाभों के लिए हो सकता है (d)।

प्रश्न 21: एमिल दुर्खीम के अनुसार, आधुनिक समाजों में कौन सा कारक सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का आधार बनता है?

  1. समान श्रम विभाजन
  2. अत्यधिक विशिष्टीकृत श्रम विभाजन
  3. धार्मिक समानता
  4. सभी का एक जैसा जीवन यापन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: दुर्खीम ने ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) की अवधारणा दी, जो आधुनिक, जटिल समाजों में पाई जाती है। यह श्रम के अत्यधिक विशिष्टीकृत विभाजन के कारण उत्पन्न होती है, जहाँ लोग अपनी विभिन्न भूमिकाओं और कार्यों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पारंपरिक समाजों की ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) के विपरीत है, जो समानता और साझा चेतना पर आधारित होती है।
  • गलत विकल्प: समान श्रम विभाजन (a) यांत्रिक एकजुटता से संबंधित है। धार्मिक समानता (c) या सभी का एक जैसा जीवन यापन (d) आधुनिक समाजों की विशेषता नहीं है, जो विविधता पर आधारित हैं।

प्रश्न 22: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक संरचना’ को ‘सामाजिक संबंधों के ताने-बाने’ (Web of Social Relationships) के रूप में परिभाषित किया?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. सी.एच. कूली
  4. अगस्ट कॉम्ते

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: चार्ल्स हॉर्टन कूली (C.H. Cooley) ने अपनी ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-glass Self) की अवधारणा के साथ-साथ सामाजिक संबंधों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने सामाजिक संरचना को ‘सामाजिक संबंधों के ताने-बाने’ के रूप में वर्णित किया, जो व्यक्तियों की पहचान और समाज को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Groups) की अवधारणा के लिए भी जाने जाते हैं, जहाँ घनिष्ठ, आमने-सामने के संबंध होते हैं और जो सामाजिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • गलत विकल्प: वेबर, दुर्खीम और कॉम्ते समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण योगदानकर्ता थे, लेकिन यह विशेष परिभाषा कूली से अधिक जुड़ी है।

प्रश्न 23: भारतीय समाज में, ‘पैट्रिलीनियल’ (Patrilineal) वंशानुक्रम व्यवस्था का क्या अर्थ है?

  1. वंश और संपत्ति पिता से पुत्री को मिलती है।
  2. वंश और संपत्ति माता से पुत्री को मिलती है।
  3. वंश और संपत्ति पिता से पुत्र को मिलती है।
  4. वंश और संपत्ति माता से पुत्र को मिलती है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘पैट्रिलीनियल’ (Patrilineal) वंशानुक्रम व्यवस्था में, वंश, नाम और संपत्ति मुख्य रूप से पिता से पुत्र को हस्तांतरित होती है। भारतीय समाज में यह व्यवस्था बहुत सामान्य है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘मैट्रिलीनियल’ (Matrilineal) व्यवस्था के विपरीत है, जहाँ वंश माता से संतान को जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) मैट्रिलीनियल व्यवस्था के बारे में गलत हैं, और (d) मिश्रित या गलत जानकारी दे रहा है।

प्रश्न 24: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में, निम्नलिखित में से क्या एक महत्वपूर्ण कारक रहा है?

  1. जटिल नौकरशाही का विकास
  2. पारंपरिक पंचायती राज व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
  3. जाति पर आधारित व्यवसायों का सख्ती से पालन
  4. सामुदायिक भावना को सर्वोपरि रखना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: आधुनिकता की प्रक्रिया अक्सर तर्कसंगत, पदानुक्रमित और नियम-आधारित संगठनों के विकास से जुड़ी होती है, जिन्हें ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) कहा जाता है। भारत में आधुनिकीकरण के साथ-साथ सरकारी, कॉर्पोरेट और अन्य क्षेत्रों में नौकरशाही का विकास एक प्रमुख विशेषता रही है।
  • संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को आधुनिकता का एक प्रमुख तत्व माना था।
  • गलत विकल्प: पारंपरिक पंचायती राज (b) आधुनिकीकरण के साथ बदलता रहा है। जाति-आधारित व्यवसायों (c) का पालन आधुनिकता के विपरीत है। सामुदायिक भावना (d) भी पारंपरिक समाजों की विशेषता रही है, जबकि आधुनिकता व्यक्तिवाद पर अधिक जोर देती है।

प्रश्न 25: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया किसके बिना अधूरी है?

  1. व्यक्तिगत इच्छा
  2. सामाजिक संपर्क और एजेंसी
  3. प्रकृतिवाद
  4. परंपरा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज के मानदंडों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को सीखते हैं और उन्हें अपने व्यक्तित्व में शामिल करते हैं। यह प्रक्रिया सामाजिक संपर्क (Interaction) और सामाजिक एजेंसियों (Agents of Socialization) जैसे परिवार, स्कूल, सहकर्मी समूह और मीडिया के माध्यम से ही संभव है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है जो समाज में व्यक्ति को सक्रिय सदस्य बनने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत इच्छा (a) महत्वपूर्ण है, लेकिन संपर्क के बिना पर्याप्त नहीं है। प्रकृतिवाद (c) जीव विज्ञान से संबंधित है, समाजशास्त्र से नहीं। परंपरा (d) सामाजिकरण का एक हिस्सा हो सकती है, लेकिन यह प्रक्रिया का सार नहीं है।

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