समाजशास्त्र की कसौटी: आज अपनी अवधारणाओं को परखें!
नमस्ते, भावी समाजशास्त्रियों! एक नए दिन के साथ समाजशास्त्र की दुनिया में गोता लगाने और अपनी वैचारिक स्पष्टता को निखारने का समय आ गया है। आज का यह अभ्यास सत्र आपकी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को तेज करने और परीक्षा की तैयारी को एक कदम और आगे बढ़ाने का एक शानदार अवसर है। आइए, इन 25 प्रश्नों के साथ अपनी समाजशास्त्रीय यात्रा को और मज़बूत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने विकसित की?
- ए.एल. क्रॉबर
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- एच.जी. वेल्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विलियम एफ. ओग्बर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड, परंपराएं) की तुलना में तेजी से होता है, जिससे दोनों के बीच एक अंतर या ‘विलंब’ उत्पन्न होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: ओग्बर्न ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ (1922) में इस अवधारणा का विस्तृत वर्णन किया। यह सामाजिक परिवर्तन को समझने में एक महत्वपूर्ण विश्लेषण है।
- अincorrect विकल्प: ए.एल. क्रॉबर ने संस्कृति और व्यक्तित्व के अध्ययन में योगदान दिया। रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘लोक संस्कृति’ और ‘शहरी संस्कृति’ के बीच अंतर का विश्लेषण किया। एच.जी. वेल्स एक प्रसिद्ध लेखक थे, जिन्होंने समाजशास्त्र में प्रत्यक्ष योगदान नहीं दिया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण की एक प्रमुख विशेषता नहीं है?
- यह एक समाज की विशेषता है, व्यक्ति की नहीं।
- यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहता है।
- यह सार्वभौमिक होते हुए भी परिवर्तनशील है।
- यह व्यक्तिगत योग्यता पर आधारित होता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण समाज की एक विशेषता है, न कि किसी व्यक्ति की। यह समाज के सदस्यों को विभिन्न स्तरों या पदानुक्रमों में व्यवस्थित करता है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहता है (जैसे वंशानुगत स्थिति) और सार्वभौमिक होते हुए भी इसके रूप बदलते रहते हैं (जैसे दासता से जाति, और फिर वर्ग)।
- संदर्भ एवं विस्तार: स्तरीकरण व्यक्तिगत योग्यता पर आधारित नहीं होता, बल्कि अक्सर जन्म, धन, शक्ति या प्रतिष्ठा जैसे कारकों से तय होता है। योग्यता (meritocracy) स्तरीकरण का एक आदर्श रूप हो सकता है, लेकिन यथार्थ में समाज इससे भिन्न होते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) स्तरीकरण की प्रमुख विशेषताएँ हैं। (d) गलत है क्योंकि स्तरीकरण व्यक्तिगत योग्यता के बजाय अलिखित नियमों या संरचना पर आधारित होता है।
प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के अंतर्गत अलगाव (Alienation) का सबसे प्रमुख रूप कौन सा है?
- उत्पाद से अलगाव
- उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव
- अपने श्रम के सार से अलगाव
- अन्य मनुष्यों से अलगाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स के लिए, अलगाव का मूल कारण ‘अपने श्रम के सार’ (species-being) से अलगाव है। पूंजीवादी व्यवस्था में, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, स्वयं श्रम प्रक्रिया, अपनी मानवीय प्रकृति (सार), और अंततः अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है। उत्पाद से अलगाव, प्रक्रिया से अलगाव और अन्य मनुष्यों से अलगाव, इसी मूल अलगाव के परिणाम हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में अलगाव की चार प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन किया है: उत्पाद से, उत्पादन कार्य से, अपने सार (species-essence) से, और दूसरे मनुष्यों से। सबसे गहरा अलगाव मानवीय सार से अलगाव है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) अलगाव के रूप हैं, लेकिन (c) मार्क्स के अनुसार अलगाव का सबसे मौलिक या मूल कारण है, जिससे अन्य सभी प्रकार के अलगाव उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 4: मैकाइवर और पेज के अनुसार, समाज की निम्नलिखित में से कौन सी परिभाषा सबसे सटीक है?
- यह एक अमूर्त विचार है।
- यह अनेक अंतःक्रियाओं (Interactions) का योग है।
- यह व्यक्तियों का एक समूह है।
- यह सामाजिक संबंधों का जाल है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैकाइवर और पेज ने अपनी पुस्तक ‘Society: An Introduction’ में समाज को ‘सामाजिक संबंधों का एक जटिल जाल’ (a complex of relationships) के रूप में परिभाषित किया है। उनके अनुसार, समाज केवल व्यक्तियों का संग्रह नहीं है, बल्कि उनके बीच स्थापित होने वाले संबंधों और अंतःक्रियाओं की व्यवस्था है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह परिभाषा समाज की गतिशीलता और व्यक्तियों के बीच संबंधों की महत्वता को दर्शाती है। संबंध ही समाज को बनाते और बदलते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) समाज अमूर्त है, लेकिन यह उसकी पूर्ण परिभाषा नहीं है। (b) अंतःक्रियाएं समाज का निर्माण करती हैं, लेकिन समाज स्वयं अंतःक्रियाओं का योग मात्र नहीं, बल्कि संबंधों का जाल है। (c) व्यक्ति समाज का निर्माण करते हैं, लेकिन समाज व्यक्तियों के समूह से कहीं अधिक है; यह उनके संबंधों की संरचना है।
प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘अनोमी’ (Anomie) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
- समाज में कानून व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।
- व्यक्ति अपने लक्ष्यों के प्रति अत्यधिक प्रेरित हो जाते हैं।
- सामाजिक मानदंड (Social Norms) अस्पष्ट या शिथिल हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति को मार्गदर्शन नहीं मिलता।
- समाज में अत्यधिक सामूहिकता (Collectivism) आ जाती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम के अनुसार, अनोमी एक ऐसी सामाजिक अवस्था है जिसमें समाज के सदस्यों के बीच कोई नियम या सामान्य मानदंड नहीं होते, या वे इतने शिथिल और अस्पष्ट हो जाते हैं कि व्यक्ति को सही-गलत या व्यवहार का कोई स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं मिलता। यह स्थिति अक्सर तीव्र सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकट के समय उत्पन्न होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ जैसी पुस्तकों में इस अवधारणा का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि यांत्रिक एकता वाले समाजों में अनोमी कम होती है, जबकि आधुनिक, श्रम-विभाजन वाले समाजों में यह अधिक पाई जाती है।
- अincorrect विकल्प: (a) कानून व्यवस्था का समाप्त होना अराजकता (anarchy) है, न कि अनोमी। (b) लक्ष्यों के प्रति अत्यधिक प्रेरणा सामाजिक नियंत्रण की कमी का परिणाम हो सकती है, लेकिन अनोमी की मूल परिभाषा मानदंडों की कमी है। (d) सामूहिकता अनोमी के विपरीत है।
प्रश्न 6: भारतीय संदर्भ में, ‘जाति’ (Caste) को निम्नलिखित में से किस रूप में सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है?
- केवल एक धार्मिक व्यवस्था
- सामाजिक स्तरीकरण का एक बंद (Closed) रूप
- एक आर्थिक वर्ग प्रणाली
- केवल सांस्कृतिक विभेदीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण का एक अत्यंत जटिल और ‘बंद’ (closed) स्वरूप है। इसमें व्यक्ति का सामाजिक स्थान जन्म से ही निर्धारित हो जाता है और इसमें गतिशीलता (mobility) बहुत सीमित होती है। यह केवल एक धार्मिक या आर्थिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आयामों को भी समाहित करती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था विशुद्धता जन्म पर आधारित है, जिसमें व्यवसाय, खान-पान, विवाह और सामाजिक संपर्क पर कठोर नियम होते हैं। जी.एस. घुरिये, एम.एन. श्रीनिवास, और अन्य समाजशास्त्रियों ने इसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह धार्मिक है, लेकिन केवल धार्मिक नहीं। (c) इसका आर्थिक प्रभाव है, लेकिन यह केवल आर्थिक वर्ग नहीं है। (d) यह सांस्कृतिक विभेदीकरण का एक रूप है, लेकिन इसके सामाजिक स्तरीकरण और बंद प्रकृति को अनदेखा करता है।
प्रश्न 7: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) के प्राथमिक अभिकर्ताओं (Agencies) में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं है?
- परिवार
- विद्यालय
- राज्य
- मनोरंजन उद्योग
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: परिवार, विद्यालय और राज्य समाज में सामाजिक नियंत्रण के प्राथमिक अभिकर्ताओं के रूप में कार्य करते हैं। वे सदस्यों को समाज के मानदंडों, मूल्यों और नियमों के अनुसार व्यवहार करना सिखाते हैं। मनोरंजन उद्योग का भी अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है, लेकिन यह प्राथमिक अभिकर्ताओं की श्रेणी में नहीं आता।
- संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है। अभिकर्ता वे संस्थाएं या समूह हैं जो इस नियंत्रण को लागू करते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक नियंत्रण स्थापित करते हैं। (d) मनोरंजन उद्योग मुख्य रूप से मनोरंजन और कभी-कभी अप्रत्यक्ष सांस्कृतिक प्रभाव के लिए होता है, न कि प्रत्यक्ष सामाजिक नियंत्रण के लिए।
प्रश्न 8: चार्ल्स कूली द्वारा प्रस्तुत ‘looking-glass self’ (दर्पण-आत्म) की अवधारणा के अनुसार, व्यक्ति अपने बारे में आत्म-बोध (Self-concept) कैसे विकसित करता है?
- अपने ही विचारों और भावनाओं के माध्यम से।
- दूसरों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर, जैसे वे हमें देखते हैं।
- समाज के स्थापित नियमों और कानूनों को पढ़कर।
- अपनी जैविक आवश्यकताओं को संतुष्ट करके।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चार्ल्स कूली के अनुसार, ‘looking-glass self’ तीन मुख्य चरणों से बनता है: (1) हम कल्पना करते हैं कि दूसरे हमें कैसे देखते हैं, (2) हम कल्पना करते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या निर्णय लेते हैं, और (3) हम उस निर्णय के आधार पर अपने बारे में भावनाएं विकसित करते हैं (जैसे गर्व या शर्म)। यह पूरी प्रक्रिया दूसरों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: कूली ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Human Nature and the Social Order’ (1902) में दी थी। यह दर्शाता है कि हमारा आत्म-बोध एक सामाजिक प्रक्रिया है।
- अincorrect विकल्प: (a) केवल अपने विचारों से आत्म-बोध अधूरा है। (c) नियमों को पढ़ना सामाजिक नियंत्रण है, आत्म-बोध नहीं। (d) जैविक आवश्यकताएं प्राथमिक हैं, लेकिन आत्म-बोध सामाजिक है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को दर्शाती है?
- धार्मिक कर्मकांडों का पालन बढ़ाना
- औद्योगिकरण और शहरीकरण
- जाति-आधारित विवाहों का सख्ती से पालन
- पारंपरिक कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगिकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, धर्मनिरपेक्षता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास शामिल है। (b) औद्योगिकरण और शहरीकरण आधुनिकीकरण के प्रमुख संकेतक हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया पश्चिमीकरण से भिन्न हो सकती है, हालांकि कई बार दोनों साथ-साथ चलती हैं। आधुनिकीकरण में मुख्य रूप से समाज की संरचनात्मक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन शामिल होता है।
- अincorrect विकल्प: (a) और (c) पारंपरिक या रूढ़िवादी प्रवृत्तियाँ हैं जो आधुनिकीकरण के विपरीत हो सकती हैं। (d) कुटीर उद्योगों का पुनर्जीवन पारंपरिक या गैर-औद्योगिक हो सकता है।
प्रश्न 10: सामाजिक संरचना (Social Structure) की सबसे उपयुक्त परिभाषा क्या है?
- समाज में व्यक्तियों का कुल योग
- समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकार की प्रथाएँ और परंपराएँ
- समाज में व्यक्तियों और समूहों के बीच स्थिर और स्थायी संबंध पैटर्न
- किसी भी समाज के सभी सामाजिक संस्थानों का समूह
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज में व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं के बीच अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी संबंधों के पैटर्न से है, जो समाज को एक विशेष आकार और व्यवस्था प्रदान करते हैं। यह एक प्रकार का खाका या ढाँचा है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सरल शब्दों में, यह बताता है कि समाज के विभिन्न हिस्से कैसे जुड़े हुए हैं और वे कैसे कार्य करते हैं। तालकॉट पार्सन्स जैसे संरचनात्मक-क्रियावादियों ने इस पर बहुत जोर दिया है।
- अincorrect विकल्प: (a) व्यक्तियों का योग केवल जनसंख्या है, संरचना नहीं। (b) प्रथाएँ संरचना का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन संरचना स्वयं इन प्रथाओं का एक व्यवस्थित पैटर्न है। (d) सामाजिक संस्थान संरचना के तत्व हैं, लेकिन संरचना इन सभी संस्थाओं के बीच के संबंधों का पैटर्न है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘परिवार’ (Family) की एक कार्यात्मक परिभाषा के अनुसार परिवार का कार्य नहीं है?
- प्रजनन
- आर्थिक सहयोग
- बालकों का समाजीकरण
- मनोरंजन और आश्रय
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पारंपरिक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, परिवार के मुख्य कार्यों में प्रजनन, बच्चों का समाजीकरण, आर्थिक सहयोग, सामाजिक सुरक्षा और भावनात्मक समर्थन शामिल हैं। मनोरंजन और आश्रय (housing) महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन्हें अक्सर परिवार के अन्य कार्यों (जैसे सुरक्षा, भावनात्मक समर्थन) में समाहित माना जाता है या ये अन्य संस्थाओं (जैसे आवास बाज़ार) द्वारा भी प्रदान किए जा सकते हैं। हालांकि, कुछ आधुनिक व्याख्याओं में मनोरंजन को एक कार्य के रूप में देखा जा सकता है। यहाँ सबसे कम प्रत्यक्ष या प्रमुख कार्य (d) है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जॉर्ज पीटर मर्डोक ने परिवार के चार सार्वभौमिक कार्यों का उल्लेख किया है: यौन, प्रजनन, समाजीकरण और आर्थिक।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) परिवार के मुख्य और सार्वभौमिक कार्य माने जाते हैं। (d) आश्रय एक आवश्यकता है, और मनोरंजन एक माध्यमिक या उभरता हुआ कार्य हो सकता है, लेकिन यह अन्य कार्यों जितना मौलिक नहीं है।
प्रश्न 12: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की विशेषता क्या नहीं है?
- स्पष्ट श्रम विभाजन
- पदानुक्रमित अधिकार संरचना
- अवैयक्तिक संबंध (Impersonal relations)
- नियमों और विनियमों पर आधारित स्वचालन (Automatism)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने आदर्श प्रकार की नौकरशाही की विशेषताओं में स्पष्ट श्रम विभाजन, पदानुक्रम, लिखित नियम, नियुक्ति योग्यता पर आधारित, और अवैयक्तिक संबंध बताए। ‘स्वचालन’ (Automatism) नौकरशाही की विशेषता नहीं है, बल्कि नियम-आधारित संचालन (Operation based on rules) है। स्वचालन का अर्थ स्वतः होना है, जबकि नौकरशाही नियमों का सचेत और व्यवस्थित अनुप्रयोग है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को आधुनिक समाज में तर्कसंगतता और दक्षता लाने के एक कुशल तरीके के रूप में देखा, लेकिन इसके अमानवीयकरण के खतरों के प्रति आगाह भी किया।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएं हैं। (d) ‘स्वचालन’ शब्द का प्रयोग वेबर ने नहीं किया; उन्होंने ‘नियमों और विनियमों का पालन’ (adherence to rules and regulations) को विशेषता बताया।
प्रश्न 13: समाजशास्त्र में ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जी.एच. मीड
- टोल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (G.H. Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। हालांकि उन्होंने स्वयं इस शब्द का प्रयोग नहीं किया, उनके विचारों ने हर्बर्ट ब्लूमर जैसे अनुयायियों को इस दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए प्रेरित किया। यह दृष्टिकोण इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और स्वयं की समझ का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड ने ‘Mind, Self, and Society’ (1934) में अपने विचार प्रस्तुत किए, जो मृत्युोपरांत प्रकाशित हुए।
- अincorrect विकल्प: दुर्खीम (कार्यात्मकता), मार्क्स (संघर्ष सिद्धांत), और पार्सन्स (संरचनात्मक-कार्यात्मकता) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से संबंधित नहीं हैं, बल्कि उनके अपने अलग-अलग सैद्धांतिक ढांचे हैं।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आपका क्या तात्पर्य है?
- समाज में लोगों की आवाजाही (Movement)
- एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में व्यक्ति या समूह का स्थानांतरण
- समाज में होने वाले सांस्कृतिक परिवर्तन
- लोगों का किसी एक स्थान पर स्थिर हो जाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह का समाज में एक स्तर से दूसरे स्तर पर, या एक स्थिति से दूसरी स्थिति में ऊपर या नीचे जाना। यह ऊर्ध्वाधर (vertical) या क्षैतिज (horizontal) हो सकती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: गतिशीलता समाज की खुली या बंद प्रकृति को दर्शाती है। जैसे, खुली व्यवस्थाओं में अधिक गतिशीलता पाई जाती है।
- अincorrect विकल्प: (a) केवल आवाजाही गतिशीलता नहीं है, स्थिति में परिवर्तन महत्वपूर्ण है। (c) सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन का हिस्सा है, लेकिन गतिशीलता व्यक्तिगत/समूहिक स्थिति परिवर्तन से संबंधित है। (d) यह गतिशीलता के विपरीत है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का उदाहरण नहीं है?
- साक्षात्कार (Interviews)
- फोकस समूह (Focus Groups)
- सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण (Statistical Data Analysis)
- प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गुणात्मक विधियाँ गहन समझ और अर्थों को खोजने पर केंद्रित होती हैं, जबकि मात्रात्मक विधियाँ संख्यात्मक डेटा और सांख्यिकीय विश्लेषण का उपयोग करती हैं। साक्षात्कार, फोकस समूह और प्रतिभागी अवलोकन सभी गुणात्मक विधियाँ हैं क्योंकि वे लोगों के अनुभवों, विचारों और व्यवहारों की गहरी जानकारी प्रदान करती हैं। सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण एक मात्रात्मक विधि है।
- संदर्भ एवं विस्तार: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में दोनों विधियों का महत्व है, और अक्सर मिश्रित विधि (mixed methods) का भी प्रयोग किया जाता है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) गुणात्मक विधियों के उदाहरण हैं। (c) सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण मुख्य रूप से मात्रात्मक (quantitative) होता है।
प्रश्न 16: भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
- सभी नागरिकों के लिए एक समान राज्य धर्म का होना
- राज्य का किसी भी धर्म का पक्ष न लेना और सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहना
- सभी धर्मों को समाप्त करके एक नई सर्व-धर्मीय व्यवस्था स्थापित करना
- धार्मिक अनुष्ठानों को सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंधित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा राज्य और धर्म के पृथक्करण पर आधारित है, जहाँ राज्य सभी धर्मों को समान सम्मान देता है और किसी एक धर्म का समर्थन या विरोध नहीं करता। राज्य सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से थोड़ा भिन्न है जहाँ धर्म और राज्य के बीच अधिक कठोर अलगाव होता है। भारतीय मॉडल ‘सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता’ (positive secularism) पर अधिक जोर देता है।
- अincorrect विकल्प: (a) भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं है। (c) धर्मों को समाप्त करने का विचार धर्मनिरपेक्षता का हिस्सा नहीं है। (d) धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाना धर्मनिरपेक्षता का प्रत्यक्ष अर्थ नहीं है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है।
प्रश्न 17: ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) का सबसे अच्छा समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?
- लोगों का किसी संगठन में अलग-अलग भूमिकाएँ निभाना।
- समाज में व्यक्तियों या समूहों को विभिन्न स्तरों या क्रमों में व्यवस्थित करना, जहाँ कुछ दूसरों से ऊँचे या नीचे होते हैं।
- यह तय करना कि कौन व्यक्ति नेतृत्व करेगा।
- सभी सामाजिक संस्थाओं के बीच संबंध।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पदानुक्रम किसी भी सामाजिक व्यवस्था में एक मूलभूत अवधारणा है, जहाँ सत्ता, प्रतिष्ठा, धन या अन्य सामाजिक संसाधनों के आधार पर लोगों या समूहों को विभिन्न स्तरों पर रखा जाता है। यह एक ‘ऊपर-नीचे’ (super-subordinate) की व्यवस्था होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था, वर्ग व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था सभी में पदानुक्रम पाया जाता है।
- अincorrect विकल्प: (a) भूमिकाएँ निर्वहन करना श्रम विभाजन का हिस्सा है, पदानुक्रम का नहीं। (c) नेतृत्व पदानुक्रम का परिणाम हो सकता है, लेकिन पदानुक्रम स्वयं नेतृत्व तय करने की प्रक्रिया नहीं है। (d) संस्थाओं के बीच संबंध सामाजिक संरचना का हिस्सा है, पदानुक्रम उसका एक आयाम है।
प्रश्न 18: सामाजिक परिवर्तन के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं?
- हरबर्ट स्पेंसर
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स को सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष सिद्धांत का सबसे प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उनके अनुसार, समाज वर्ग संघर्षों के माध्यम से बदलता है, जहाँ शोषित वर्ग (proletariat) शोषक वर्ग (bourgeoisie) के खिलाफ क्रांति करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स का मानना था कि इतिहास भौतिकवाद (historical materialism) और वर्ग संघर्ष की एक श्रृंखला है।
- अincorrect विकल्प: स्पेंसर (विकासवाद), दुर्खीम (कार्यात्मकता, सामूहिकता), और कॉम्टे (सकारात्मकवाद) सामाजिक परिवर्तन की अलग-अलग व्याख्याएँ देते हैं, न कि संघर्ष-आधारित।
प्रश्न 19: ‘जाति व्यवस्था’ के संबंध में ‘संवर्णीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी?
- इरावती कर्वे
- एम.एन. श्रीनिवास
- आंद्रे बेतेई
- राजेन्द्र सिंह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने ‘संवर्णीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जातियाँ या जनजातियाँ उच्च, प्रायः द्विजातियों, के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, जीवन शैली और मूल्यों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में विकसित की।
- अincorrect विकल्प: इरावती कर्वे ने नातेदारी और दक्षिण एशिया के मानवशास्त्र पर काम किया। आंद्रे बेतेई और राजेन्द्र सिंह अन्य महत्वपूर्ण समाजशास्त्री हैं जिन्होंने भारतीय समाज पर काम किया है, लेकिन संवर्णीकरण की अवधारणा एम.एन. श्रीनिवास की है।
प्रश्न 20: सामाजिक अनुसंधान में ‘चर’ (Variable) से क्या तात्पर्य है?
- एक अध्ययन किए जाने वाले विषय का मुख्य बिंदु।
- एक ऐसी विशेषता या गुण जो विभिन्न व्यक्तियों या स्थितियों में भिन्न हो सकता है।
- अनुसंधान का अंतिम निष्कर्ष।
- सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक अनुसंधान में, चर (Variable) कोई भी ऐसी विशेषता, गुण या मात्रा है जो विभिन्न व्यक्तियों, समूहों, घटनाओं या समयों के बीच भिन्न होती है और जिसे मापा या वर्गीकृत किया जा सकता है। जैसे, आयु, आय, शिक्षा का स्तर, लिंग।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुसंधान में स्वतंत्र चर (Independent Variable) और आश्रित चर (Dependent Variable) के बीच संबंध का अध्ययन किया जाता है।
- अincorrect विकल्प: (a) मुख्य बिंदु विषय-वस्तु है, चर नहीं। (c) निष्कर्ष अनुसंधान के अंत में आता है, चर नहीं। (d) उपकरण सांख्यिकीय प्रक्रियाएँ हैं, चर स्वयं डेटा हैं।
प्रश्न 21: ‘समूह’ (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के लिए सबसे आवश्यक तत्व क्या है?
- समान स्थान पर रहने वाले लोगों का समूह।
- दो या दो से अधिक ऐसे व्यक्तियों का संग्रह जो एक-दूसरे के प्रति सचेत हों, एक-दूसरे से अंतःक्रिया करते हों और जिन्होंने स्वयं को एक ‘हम’ (We) के रूप में पहचाना हो।
- समान रुचि वाले लोगों का संग्रह।
- एक सामान्य उद्देश्य के लिए एकत्र हुए लोगों का समूह।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, एक समूह केवल लोगों का संग्रह नहीं है। इसके लिए आवश्यक है कि व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति सचेत हों (awareness of each other), उनके बीच नियमित अंतःक्रिया (interaction) हो, और उनमें एक साझा पहचान या ‘हम’ की भावना (sense of belonging) हो।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह परिभाषा प्राथमिक समूह (primary group) और द्वितीयक समूह (secondary group) दोनों पर लागू होती है।
- अincorrect विकल्प: (a) और (c) केवल समानता दर्शाते हैं, अंतःक्रिया और साझा पहचान नहीं। (d) सामान्य उद्देश्य होना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह ऊपर (b) में दी गई अधिक व्यापक परिभाषा का हिस्सा है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के अध्ययन से संबंधित नहीं है?
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
- एम.एन. श्रीनिवास
- महात्मा गांधी
- महात्मा ज्योतिबा फुले
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, महात्मा गांधी और महात्मा ज्योतिबा फुले ने भारत में अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण वैचारिक और सामाजिक कार्य किया। एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज, जाति और धर्म पर महत्वपूर्ण अध्ययन किए, जिसमें संवर्णीकरण जैसी अवधारणाएँ शामिल हैं, लेकिन उनका मुख्य ध्यान अस्पृश्यता के उन्मूलन की वकालत पर नहीं था, बल्कि इसके सामाजिक-सांस्कृतिक विश्लेषण पर था।
- संदर्भ एवं विस्तार: अम्बेडकर ने अस्पृश्यता को एक सामाजिक और आर्थिक समस्या के रूप में देखा और इसके विरुद्ध तीव्र संघर्ष किया। फुले ने भी जाति विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया। गांधी ने हरिजन शब्द का प्रयोग किया और अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिए ‘हरिजन सेवक संघ’ की स्थापना की।
- अincorrect विकल्प: (a), (c), और (d) सभी ने अस्पृश्यता के विरुद्ध आवाज़ उठाई और काम किया। (b) श्रीनिवास ने भारतीय समाज के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन उनका मुख्य सरोकार अस्पृश्यता को दूर करने की वकालत करना नहीं था।
प्रश्न 23: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
- किसी व्यक्ति को समाज के अत्यधिक नियम मानने पड़ते हैं।
- एक ही व्यक्ति से भिन्न-भिन्न भूमिकाओं को पूरा करने के लिए परस्पर विरोधी अपेक्षाएँ रखी जाती हैं।
- कोई व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति से संतुष्ट नहीं होता।
- लोग अपनी भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से नहीं निभा पाते।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब होता है जब किसी एक व्यक्ति से दो या दो से अधिक भूमिकाओं के संबंध में ऐसी माँगें की जाती हैं जो एक-दूसरे के साथ असंगत होती हैं। उदाहरण के लिए, एक प्रबंधक को अपने कर्मचारियों की भलाई और कंपनी के लाभ दोनों को सुनिश्चित करना होता है, जो कभी-कभी विरोधी हो सकते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह सामाजिक मनोविज्ञान और भूमिका सिद्धांत (Role Theory) का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- अincorrect विकल्प: (a) अत्यधिक नियम पालन ‘भूमिका निर्वहन’ (role performance) से संबंधित हो सकता है, संघर्ष से नहीं। (c) असंतोष एक भावना है, भूमिका संघर्ष नहीं। (d) भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से न निभा पाना ‘भूमिका तनाव’ (role strain) का परिणाम हो सकता है, लेकिन भूमिका संघर्ष का प्रत्यक्ष कारण नहीं।
प्रश्न 24: नगरीय जीवन की प्रमुख विशेषताओं में से एक क्या है, जैसा कि रॉबर्ट पार्क जैसे शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों ने बताया?
- मजबूत सामुदायिक भावना और घनिष्ठ सामाजिक संबंध।
- उच्च स्तर की सामाजिक एकरूपता और परंपराओं का कड़ाई से पालन।
- व्यक्तिवाद, अनाम्यता (Anonymity) और सामाजिक संबंधों का सतहीपन।
- पारंपरिक संस्थाओं पर अधिक निर्भरता।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों (जैसे रॉबर्ट पार्क, अर्नेस्ट बर्गेस) ने नगरीय जीवन की विशेषताओं का अध्ययन किया और पाया कि शहरों में व्यक्तिवाद, अनाम्यता (लोग एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते), और सामाजिक संबंधों का सतहीपन (impersonal, fleeting relationships) आम है। यह ग्रामीण जीवन की तुलना में अधिक जटिल और भिन्न होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने शहरी वातावरण को एक ‘मानव प्रयोगशाला’ के रूप में देखा जो सामाजिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करती है।
- अincorrect विकल्प: (a) और (b) ग्रामीण या पारंपरिक समाजों की विशेषताएँ हैं। (d) शहरों में पारंपरिक संस्थाओं पर निर्भरता कम हो जाती है, जबकि आधुनिक संस्थाओं का प्रभाव बढ़ता है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी ‘संस्कृति’ (Culture) की एक विशेषता नहीं है?
- यह सीखी जाती है, जन्मजात नहीं होती।
- यह समाज की विशेषता है, व्यक्ति की नहीं।
- यह सदैव स्थिर रहती है और कभी नहीं बदलती।
- यह साझा की जाती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्कृति सीखी जाती है (learned), यह जन्मजात नहीं होती। यह हमेशा साझा (shared) होती है और समाज का एक अभिन्न अंग है, जो व्यक्तियों को प्रभावित करता है। हालाँकि, संस्कृति कभी भी स्थिर नहीं रहती; यह परिवर्तनशील (changeable) होती है क्योंकि समाज और उसके सदस्य लगातार अनुकूलन और नवाचार करते रहते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: संस्कृति में मूल्य, विश्वास, मानदंड, प्रतीक, कला, भाषा, और जीवन जीने का तरीका शामिल है, और यह पीढ़ियों से हस्तांतरित होती है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ हैं। (c) संस्कृति परिवर्तनशील होती है, न कि सदैव स्थिर।