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समाजशास्त्र का दैनिक रणक्षेत्र: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

समाजशास्त्र का दैनिक रणक्षेत्र: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्रियों! अपने ज्ञान की गहराई को परखने और अवधारणात्मक स्पष्टता को निखारने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन एक नया अवसर है अपने आप को चुनौती देने का। आज के 25 प्रश्नों के इस मॉक टेस्ट में उतरें और देखें कि आप समाजशास्त्र के किन पहलुओं में महारत हासिल कर चुके हैं और कहाँ और अभ्यास की आवश्यकता है। आपकी यात्रा में हमारा साथ है!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (Social Facts) को परिभाषित करते हुए कहा कि वे ऐसे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित किया जाता है। इसके संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा एक सामाजिक तथ्य का सबसे उपयुक्त उदाहरण है?

  1. एक व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत राय
  2. किसी विशेष संस्कृति में विवाह का संस्थागत स्वरूप
  3. किसी व्यक्ति द्वारा अपने दैनिक जीवन में किए गए निर्णय
  4. किसी विशेष समाज में अपराध दर की व्यक्तिगत व्याख्या

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य वे हैं जो बाह्य होते हैं और व्यक्ति पर एक अनिवार्य शक्ति रखते हैं। ‘किसी विशेष संस्कृति में विवाह का संस्थागत स्वरूप’ एक बाहरी, सामान्यीकृत और बाध्यकारी वास्तविकता है जो व्यक्ति के विवाह संबंधी निर्णयों को प्रभावित करती है, भले ही व्यक्ति उसकी अवहेलना करे।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने इसे “समाज की वह विशेषता जो व्यक्ति से स्वतंत्र रूप से मौजूद है और उसे कुछ निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए मजबूर करती है।” के रूप में परिभाषित किया। यह व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र है।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत राय व्यक्ति की आंतरिक चेतना का हिस्सा है। (c) दैनिक जीवन के निर्णय व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा से हो सकते हैं, न कि किसी बाह्य सामाजिक बाध्यता से। (d) अपराध दर की व्यक्तिगत व्याख्या अमूर्त हो सकती है, लेकिन संस्थागत स्वरूप की तरह प्रत्यक्ष बाध्यकारी सामाजिक तथ्य नहीं है।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक समाज में वर्ग-संघर्ष (Class Struggle) का मूल कारण है?

  1. सांस्कृतिक भिन्नताएँ
  2. आर्थिक उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
  3. धार्मिक विश्वासों में अंतर
  4. राजनीतिक सत्ता का असमान वितरण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism) के सिद्धांत के अनुसार, समाज का आधार उसकी आर्थिक व्यवस्था होती है, विशेष रूप से उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने, मशीनें) पर स्वामित्व। जिनके पास ये साधन होते हैं (पूंजीपति वर्ग) और जो अपनी श्रम शक्ति बेचते हैं (श्रमिक वर्ग), उनके बीच स्वाभाविक रूप से हित का टकराव होता है, जिससे वर्ग-संघर्ष उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की सबसे केंद्रीय मानी जाती है और उनकी कृतियों जैसे “दास कैपिटल” (Das Kapital) और “कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो” (The Communist Manifesto) में विस्तार से मिलती है।
  • गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक भिन्नताएँ संघर्ष का कारण बन सकती हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार यह प्राथमिक कारण नहीं है। (c) धार्मिक विश्वासों को मार्क्स ने ‘जनता की अफीम’ कहा था, जो वर्ग-संघर्ष को छिपाने का काम कर सकती है, न कि उसका मूल कारण। (d) राजनीतिक सत्ता का असमान वितरण आर्थिक असमानता का परिणाम हो सकता है, न कि उसका मूल कारण।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) को किस प्रकार की सत्ता (Authority) का सबसे तर्कसंगत और कुशल रूप माना है?

  1. परंपरागत सत्ता (Traditional Authority)
  2. करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
  3. वैध-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority)
  4. जादुई सत्ता (Magical Authority)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: परंपरागत, करिश्माई और वैध-तर्कसंगत। उन्होंने नौकरशाही को ‘वैध-तर्कसंगत सत्ता’ का अवतार माना, जहाँ अधिकार नियमों, कानूनों और प्रक्रियाओं पर आधारित होता है, न कि किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत गुण या परंपरा पर।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने “अर्थव्यवस्था और समाज” (Economy and Society) जैसे अपने कार्यों में नौकरशाही की विशेषताओं (जैसे पदानुक्रम, विशेषज्ञता, लिखित नियम, अवैयक्तिक संबंध) का विस्तृत विश्लेषण किया, जिसे उन्होंने आधुनिक समाज में दक्षता का प्रतीक माना।
  • गलत विकल्प: (a) परंपरागत सत्ता वंशानुगत या रीति-रिवाजों पर आधारित होती है (जैसे राजा)। (b) करिश्माई सत्ता नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित होती है। (d) जादुई सत्ता आधुनिक समाजशास्त्र में वेबर द्वारा वर्गीकृत नहीं है, और यदि अर्थ लिया जाए तो यह करिश्माई या परंपरागत के करीब हो सकती है।

प्रश्न 4: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव
  2. निचली जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं और कर्मकांडों को अपनाना
  3. किसी व्यक्ति की सामाजिक गतिशीलता
  4. राष्ट्रवाद का उदय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को समझाया कि कैसे भारत में निचली या मध्य जातियों के समूह, सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए, उच्च जातियों (विशेषकर द्विजातियों) के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैली को अपनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “धर्म और सहसंबद्ध समाज” (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रमुखता से आई। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जिसके द्वारा समूह सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर जाने का प्रयास करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा है। (c) यद्यपि सांस्कृतिकरण सामाजिक गतिशीलता का एक परिणाम हो सकता है, यह स्वयं गतिशीलता की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि उसे प्राप्त करने का एक तरीका है। (d) राष्ट्रवाद एक व्यापक राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन है।

प्रश्न 5: एर्लिंग मैक्कलुहान के अनुसार, “माध्यम ही संदेश है” (The Medium is the Message) का क्या अर्थ है?

  1. संदेश का विषयवस्तु सबसे महत्वपूर्ण है।
  2. संदेश का वितरण माध्यम समाज और व्यक्ति को प्रभावित करता है।
  3. संचार अप्रत्यक्ष होता है।
  4. संचार के लिए केवल लिखित माध्यम ही प्रभावी है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मार्शल मैक्कलुहान, संचार सिद्धांतकार, ने तर्क दिया कि किसी संदेश की सामग्री (content) की तुलना में, जिस माध्यम (medium) से वह प्रसारित होता है, उसका समाज पर और व्यक्ति की सोच पर कहीं अधिक गहरा और मौलिक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, टेलीविजन देखने का अनुभव रेडियो सुनने से बहुत अलग होता है, भले ही दोनों एक ही समाचार प्रसारित कर रहे हों।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत उनकी पुस्तक “गटनबर्ग गैलेक्सी: द मेकिंग ऑफ टाइपोग्राफिक मैन” (The Gutenberg Galaxy: The Making of Typographic Man) और “अंडरस्टैंडिंग मीडिया” (Understanding Media) में मिलता है। वे माध्यम के ‘स्वरूप’ को संदेश की ‘विषयवस्तु’ से अधिक प्रभावशाली मानते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह मैक्कलुहान के सिद्धांत के विपरीत है। (c) संचार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों हो सकता है, लेकिन मुख्य बिंदु माध्यम का प्रभाव है। (d) मैक्कलुहान ने विभिन्न माध्यमों के प्रभाव का अध्ययन किया, न कि केवल लिखित माध्यम का।

प्रश्न 6: निम्न में से कौन सा युग्म वेबर के सत्ता के प्रकारों (Types of Authority) से असंगत है?

  1. परंपरागत – पैतृक शासन
  2. करिश्माई – रानी एलिजाबेथ
  3. वैध-तर्कसंगत – आधुनिक राष्ट्रपति
  4. सभी युग्म संगत हैं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर के अनुसार, परंपरागत सत्ता राजाओं, सरदारों आदि में पाई जाती है, जहाँ अधिकार परंपराओं और स्थापित रीति-रिवाजों पर आधारित होता है। करिश्माई सत्ता नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुणों, जैसे कि ईश्वरीय प्रेरणा या असाधारण शक्ति में विश्वास पर आधारित होती है (जैसे पैगंबर, युद्ध नायक)। वैध-तर्कसंगत सत्ता नियमों, कानूनों और प्रक्रियाओं पर आधारित होती है (जैसे आधुनिक लोकतान्त्रिक सरकारें, नौकरशाही)। रानी एलिजाबेथ, संवैधानिक राजतंत्र के रूप में, परंपरागत सत्ता और वैध-तर्कसंगत सत्ता (संविधान के तहत) का मिश्रण थीं, लेकिन उन्हें विशुद्ध रूप से करिश्माई नहीं माना जा सकता, हालाँकि उसमें करिश्माई गुण हो सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का विश्लेषण सत्ता के स्रोतों पर केंद्रित था। परंपरागत सत्ता में शक्ति का स्रोत ‘हमेशा से ऐसा ही रहा है’ का विश्वास है। करिश्माई सत्ता में ‘नेता के अद्वितीय गुण’ कारण हैं। वैध-तर्कसंगत सत्ता में ‘नियमों और प्रक्रियाओं का पालन’ मुख्य है।
  • गलत विकल्प: (a) पैतृक शासन परंपरागत सत्ता का उत्कृष्ट उदाहरण है। (c) आधुनिक राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री वैध-तर्कसंगत सत्ता के उदाहरण हैं। (d) चूंकि (b) असंगत है, इसलिए यह विकल्प गलत है।

प्रश्न 7: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने ‘स्व’ (Self) के विकास को समझने के लिए किस प्रक्रिया का वर्णन किया?

  1. संज्ञानात्मक विकास
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. नियमों का उल्लंघन
  4. सामाजिक संरचना का अनुकरण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक पिताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने समझाया कि ‘स्व’ (Self) एक सामाजिक उत्पाद है, जो व्यक्तियों के बीच भाषा, प्रतीकों और अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है। ‘मैं’ (I – तात्कालिक प्रतिक्रिया) और ‘मुझे’ (Me – सामाजिककृत आत्म) के बीच द्वंद्व के माध्यम से व्यक्ति अपनी पहचान बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक “मन, स्व और समाज” (Mind, Self, and Society) में उन्होंने ‘टेकनानी (taking the role of the other)’ की प्रक्रिया का वर्णन किया, जिसमें बच्चा दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाना सीखता है।
  • गलत विकल्प: (a) संज्ञानात्मक विकास जीन पियाजे से संबंधित है। (c) नियमों का उल्लंघन विचलन (deviance) से संबंधित है, न कि ‘स्व’ के विकास की मूल प्रक्रिया से। (d) सामाजिक संरचना का अनुकरण एक ढीला विचार है; मीड ने ‘दूसरों की भूमिका लेना’ पर जोर दिया।

प्रश्न 8: टैल्कोट पार्सन्स (Talcott Parsons) ने परिवार के किन दो मुख्य कार्यों पर बल दिया, जो आधुनिक औद्योगिक समाजों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं?

  1. आर्थिक उत्पादन और प्रजनन
  2. सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा
  3. यौन समायोजन और बच्चों का समाजीकरण
  4. धार्मिक अनुष्ठान और राजनीतिक व्यवस्था

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: टैल्कोट पार्सन्स ने तर्क दिया कि आधुनिक औद्योगिक समाजों में, परिवार के दो मुख्य कार्य हैं: (1) यौन समायोजन (sexual adjustment), जहाँ व्यक्ति को यौन संतुष्टि और भावनात्मक संबंध मिलते हैं, और (2) बच्चों का समाजीकरण (socialization of children), जहाँ बच्चे समाज के मूल्यों, मानदंडों और भूमिकाओं को सीखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) का दृष्टिकोण समाज को एक प्रणाली के रूप में देखता है जहाँ प्रत्येक संस्था का एक विशिष्ट कार्य होता है। उन्होंने परिवार को ‘प्राथमिक समाजीकरण की एजेंसी’ माना।
  • गलत विकल्प: (a) आर्थिक उत्पादन अब मुख्य रूप से परिवार के बजाय कारखानों या फर्मों द्वारा किया जाता है। (b) सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा अब राज्य या अन्य संस्थाओं द्वारा अधिक निभाई जाती है। (d) धार्मिक अनुष्ठान और राजनीतिक व्यवस्था परिवार के अन्य कार्य हो सकते हैं, लेकिन पार्सन्स के अनुसार ये दो मुख्य कार्य नहीं हैं।

प्रश्न 9: समाजशास्त्र में प्रत्यक्षवाद (Positivism) का दृष्टिकोण किससे प्रेरित है?

  1. आध्यात्मिक सत्य की खोज
  2. वैज्ञानिक विधि और अनुभवजन्य साक्ष्य
  3. दार्शनिक अटकलें
  4. व्यक्तिपरक व्याख्याएँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: प्रत्यक्षवाद, जिसका श्रेय ऑगस्ट कॉम्ते को दिया जाता है और जिसे एमिल दुर्खीम ने आगे बढ़ाया, मानता है कि सामाजिक घटनाओं को समझने के लिए प्राकृतिक विज्ञानों (जैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान) में उपयोग की जाने वाली वैज्ञानिक विधि और अनुभवजन्य साक्ष्य (empirical evidence) का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्षवादी समाजशास्त्री अवलोकन, प्रयोग और सांख्यिकीय विश्लेषण पर जोर देते हैं। वे मानते हैं कि सामाजिक दुनिया को वस्तुनिष्ठ रूप से मापा और समझा जा सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह धार्मिक या आध्यात्मिक दृष्टिकोण है। (c) दार्शनिक अटकलें प्रत्यक्षवाद से भिन्न हैं, जो अनुभव पर आधारित है। (d) व्यक्तिपरक व्याख्याएँ व्याख्यात्मक (interpretive) समाजशास्त्र का हिस्सा हैं, प्रत्यक्षवाद का नहीं।

प्रश्न 10: भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की निम्नलिखित में से कौन सी एक विशेषता है?

  1. खुला स्तरीकरण
  2. अंतर्विवाह (Endogamy)
  3. व्यवसाय की स्वतंत्रता
  4. कठोर गतिशीलता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक ‘अंतर्विवाह’ है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति केवल अपनी जाति के भीतर ही विवाह कर सकता है। यह जाति की निरंतरता और अलगाव बनाए रखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है जहाँ सदस्यता जन्म से तय होती है और एक अत्यंत कठोर पदानुक्रम होता है। व्यवसाय भी अक्सर वंशानुगत होते हैं, हालाँकि आधुनिक युग में इसमें बदलाव आया है।
  • गलत विकल्प: (a) जाति व्यवस्था एक बंद स्तरीकरण है, खुला नहीं। (c) व्यवसाय जाति के अनुसार तय होते थे, जिससे स्वतंत्रता सीमित थी। (d) जाति व्यवस्था में गतिशीलता अत्यंत सीमित या नगण्य थी, इसलिए ‘कठोर गतिशीलता’ का अर्थ हो सकता है कि यह संभव नहीं है, लेकिन ‘अंतर्विवाह’ इसकी अधिक प्रत्यक्ष और परिभाषित विशेषता है।

प्रश्न 11: रॉबर्ट किंग मर्टन (Robert K. Merton) के अनुसार, ‘संरचनात्मक तनाव सिद्धांत’ (Strain Theory) के संदर्भ में, जब व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधनों को अस्वीकार कर देता है, तो उसे क्या कहा जाता है?

  1. अनुरूपता (Conformity)
  2. अभिनववाद (Innovation)
  3. अनुष्ठानवाद (Ritualism)
  4. पलायनवाद (Retreatism)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने विचलन (deviance) को समझाने के लिए तनाव सिद्धांत विकसित किया। उनके अनुसार, जब समाज में सांस्कृतिक लक्ष्य (जैसे धन, सफलता) और संस्थागत साधन (जैसे शिक्षा, कड़ी मेहनत) के बीच एक विसंगति या तनाव होता है, तो व्यक्ति विभिन्न तरीकों से प्रतिक्रिया कर सकता है। ‘अभिनववाद’ वह स्थिति है जब व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को स्वीकार करता है, लेकिन उन्हें प्राप्त करने के लिए अनैतिक या अवैध साधनों का उपयोग करता है (जैसे चोर, जालसाज)।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने पांच प्रकार के अनुकूलन बताए: अनुरूपता (लक्ष्य और साधन दोनों स्वीकार), अभिनववाद (लक्ष्य स्वीकार, साधन अस्वीकार), अनुष्ठानवाद (साधन स्वीकार, लक्ष्य अस्वीकार), पलायनवाद (लक्ष्य और साधन दोनों अस्वीकार), और विद्रोह (लक्ष्य और साधन दोनों को बदलने का प्रयास)।
  • गलत विकल्प: (a) अनुरूपता में लक्ष्य और साधन दोनों स्वीकार किए जाते हैं। (c) अनुष्ठानवाद में व्यक्ति लक्ष्यों को त्यागकर केवल साधनों का पालन करता है (जैसे निम्न-स्तरीय क्लर्क)। (d) पलायनवाद में व्यक्ति दोनों को अस्वीकार कर देता है (जैसे नशा करने वाला, बेघर)।

प्रश्न 12: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) ने सामाजिक समूहों के आकार के महत्व पर जोर दिया। एक ‘द्वंद्व’ (Dyad) की क्या विशेषता है?

  1. इसमें तीन सदस्य होते हैं।
  2. यह सबसे स्थिर सामाजिक समूह है।
  3. इसमें दो सदस्य होते हैं और संबंधों की तीव्रता अधिक होती है।
  4. समूह का दबाव नगण्य होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक रूपों (social forms) का अध्ययन किया, जिसमें समूह का आकार एक महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने ‘द्वंद्व’ (दो सदस्यों का समूह) को सबसे प्रारंभिक और अंतरंग समूह के रूप में वर्णित किया, जहाँ संबंध अक्सर व्यक्तिगत, तीव्र और प्रत्यक्ष होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने दिखाया कि जैसे-जैसे समूह का आकार बढ़ता है (जैसे त्रिक – Triad), संबंधों की प्रकृति बदल जाती है; समूह अधिक स्थायी हो सकता है लेकिन व्यक्तिगत संबंध उतने तीव्र नहीं रहते। द्वंद्व में, प्रत्येक सदस्य समूह के लिए आवश्यक होता है, और किसी एक सदस्य के चले जाने से समूह समाप्त हो जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) तीन सदस्य ‘त्रिक’ (Triad) बनाते हैं। (b) द्वंद्व अस्थिर हो सकता है क्योंकि किसी भी सदस्य के जाने से यह भंग हो जाता है; त्रिक या बड़े समूह अधिक स्थिर होते हैं। (d) समूह का दबाव प्रत्यक्ष न होकर भी मौजूद हो सकता है, लेकिन यह समूह के आकार पर भी निर्भर करता है।

प्रश्न 13: एमिल दुर्खीम के अनुसार, धर्म का प्राथमिक कार्य क्या है?

  1. व्यक्तिगत मोक्ष प्राप्त करना
  2. समाज में सामूहिक चेतना और एकजुटता को बढ़ावा देना
  3. नैतिकता के लिए एक आधार प्रदान करना
  4. अलौकिक शक्तियों की पूजा करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “धार्मिक जीवन के प्रारंभिक रूप” (The Elementary Forms of Religious Life) में तर्क दिया कि धर्म का सबसे महत्वपूर्ण कार्य समाज के सदस्यों को एक साथ लाना, साझा विश्वासों और अनुष्ठानों के माध्यम से ‘सामूहिक चेतना’ (collective consciousness) को मजबूत करना और ‘सामाजिक एकजुटता’ (social solidarity) को बढ़ावा देना है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने पवित्र (sacred) और अपवित्र (profane) के बीच भेद को धर्म का सार माना। उनके लिए, पवित्र वस्तुएं वे हैं जिन्हें समाज द्वारा विशेष रूप से सम्मानित और संरक्षित किया जाता है, और उन्हें एक साथ मनाना ही सामाजिक एकता को बढ़ाता है।
  • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत मोक्ष धार्मिक अनुष्ठानों का एक उप-उत्पाद हो सकता है, लेकिन दुर्खीम के अनुसार समाजशास्त्रीय रूप से यह प्राथमिक नहीं है। (c) नैतिकता का आधार प्रदान करना धर्म का एक कार्य है, लेकिन यह सामूहिक एकजुटता के बड़े कार्य का हिस्सा है। (d) अलौकिक शक्तियों की पूजा बाहरी रूप है, जबकि दुर्खीम का जोर धर्म की सामाजिक भूमिका पर था।

प्रश्न 14: भारत में कृषि समाज की संरचना को समझने के लिए, ‘भू-स्वामी’ (Landlord) और ‘काश्तकार’ (Tenant) के बीच का संबंध किस प्रकार के सामाजिक स्तरीकरण का सूचक है?

  1. जाति-आधारित
  2. वर्ग-आधारित
  3. धर्म-आधारित
  4. समानता-आधारित

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भू-स्वामी और काश्तकार के बीच का संबंध मुख्य रूप से उत्पादन के साधनों (भूमि) पर नियंत्रण और उससे उत्पन्न आर्थिक लाभ के वितरण पर आधारित होता है। यह संबंध विशुद्ध रूप से आर्थिक और शक्ति-आधारित है, जो ‘वर्ग’ (Class) की अवधारणा के अंतर्गत आता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्सवादी समाजशास्त्र भू-स्वामी और काश्तकार के बीच के संबंध को उत्पादन के संबंध (relations of production) के रूप में देखता है, जो वर्ग-संघर्ष की ओर ले जाता है। हालाँकि जाति भी भूमि स्वामित्व और कृषि श्रम में भूमिका निभा सकती है, लेकिन मुख्य रूप से यह संबंध आर्थिक स्थिति और शक्ति का सूचक है।
  • गलत विकल्प: (a) यद्यपि जाति भूमि स्वामित्व को प्रभावित कर सकती है, लेकिन भू-स्वामी/काश्तकार संबंध स्वयं जाति से परिभाषित नहीं होता। (c) यह संबंध धर्म से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है। (d) यह एक असमान संबंध है, समानता-आधारित नहीं।

प्रश्न 15: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) के संदर्भ में, यदि कोई व्यक्ति अपनी पीढ़ी के भीतर अपनी सामाजिक स्थिति में बदलाव लाता है, तो उसे क्या कहा जाता है?

  1. ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
  2. क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
  3. अंतर-पीढ़ी गतिशीलता (Inter-generational Mobility)
  4. अंतः-पीढ़ी गतिशीलता (Intra-generational Mobility)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘अंतः-पीढ़ी गतिशीलता’ (Intra-generational Mobility) का अर्थ है एक ही पीढ़ी के भीतर किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति गरीब घर में पैदा हुआ और बाद में अमीर बन गया, तो यह अंतः-पीढ़ी गतिशीलता है। ‘अंतर-पीढ़ी गतिशीलता’ (Inter-generational Mobility) का अर्थ है माता-पिता और बच्चों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
  • संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर बदलाव है, जबकि क्षैतिज गतिशीलता समान स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में बदलाव है।
  • गलत विकल्प: (a) ऊर्ध्वाधर गतिशीलता परिवर्तन की दिशा (ऊपर/नीचे) बताती है, न कि समय-सीमा। (b) क्षैतिज गतिशीलता समान स्तर पर होती है। (c) अंतर-पीढ़ी गतिशीलता का संबंध पिछली पीढ़ियों से होता है।

प्रश्न 16: टैल्कोट पार्सन्स के सामाजिक प्रणाली सिद्धांत (Social System Theory) में, ‘ए.जी.आई.एल.’ (A.G.I.L.) प्रतिमान का क्या अर्थ है?

  1. समाज की चार मुख्य सामाजिक संस्थाएँ
  2. किसी भी सामाजिक प्रणाली द्वारा सामना की जाने वाली चार कार्यात्मक आवश्यकताएँ
  3. सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के चार मुख्य कारक
  4. राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के चार तरीके

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: पार्सन्स ने तर्क दिया कि किसी भी सामाजिक प्रणाली (जैसे समाज, संगठन) को जीवित रहने और कार्य करने के लिए चार मुख्य कार्यात्मक आवश्यकताओं (functional prerequisites) को पूरा करना होता है। ये हैं: अनुकूलन (Adaptation – A), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment – G), एकीकरण (Integration – I), और अव्यवस्था/मानसिकता (Latency/Pattern Maintenance – L)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रतिमान (AGIL schema) उनके संरचनात्मक प्रकार्यवाद का केंद्रीय हिस्सा है, जो यह समझने में मदद करता है कि समाज कैसे अपनी स्थिरता और कार्यप्रणाली बनाए रखता है। प्रत्येक आवश्यकता को समाज की विभिन्न संस्थाओं द्वारा पूरा किया जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) यह चार संस्थाओं को सीधे तौर पर नहीं बताता, बल्कि आवश्यकताओं को पूरा करने वाली संस्थाओं को इंगित करता है। (c) ये कारक सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ‘आवश्यकताएँ’ हैं, न कि केवल ‘कारक’। (d) यह राजनीतिक सत्ता से संबंधित नहीं है, बल्कि प्रणाली की सभी आवश्यकताओं से है।

प्रश्न 17: मैक्स वेबर द्वारा प्रस्तावित ‘फेर्स्टेहेन’ (Verstehen) का अर्थ क्या है?

  1. सामाजिक घटनाओं का मात्रात्मक विश्लेषण
  2. सामाजिक कर्ताओं द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए जाने वाले व्यक्तिपरक अर्थों को समझना
  3. समाज में नियमों और कानूनों का पालन
  4. वैज्ञानिक पद्धति का कठोर अनुप्रयोग

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘फेर्स्टेहेन’ (जर्मन में ‘समझना’) मैक्स वेबर की व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) की प्रमुख अवधारणा है। यह समाजशास्त्रियों से अपेक्षा करती है कि वे केवल बाहरी व्यवहारों का अवलोकन ही न करें, बल्कि उन व्यक्तिपरक अर्थों, प्रेरणाओं और इरादों को भी समझें जिन्हें लोग अपनी क्रियाओं से जोड़ते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि मानवीय क्रियाओं को समझने के लिए उनके पीछे के ‘अर्थ’ को समझना आवश्यक है, जो प्राकृतिक विज्ञानों से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: (a) यह प्रत्यक्षवाद (positivism) का हिस्सा है। (c) नियमों का पालन नौकरशाही या व्यवस्था बनाए रखने का हिस्सा हो सकता है। (d) वैज्ञानिक पद्धति का कठोर अनुप्रयोग प्रत्यक्षवाद से अधिक जुड़ा है, जबकि फेर्स्टेहेन व्यक्तिपरकता पर केंद्रित है।

प्रश्न 18: समाजशास्त्र में, ‘सामग्री संस्कृति’ (Material Culture) और ‘अभौतिक संस्कृति’ (Non-material Culture) के बीच अंतर क्या है?

  1. सामग्री संस्कृति ठोस वस्तुएं हैं, अभौतिक संस्कृति अमूर्त विचार।
  2. सामग्री संस्कृति पुराने विचारों से संबंधित है, अभौतिक संस्कृति नए विचारों से।
  3. सामग्री संस्कृति राजनीतिक है, अभौतिक संस्कृति आर्थिक।
  4. इनमें कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: संस्कृति के दो मुख्य घटक होते हैं: सामग्री संस्कृति (Material Culture), जिसमें समाज द्वारा बनाई गई भौतिक वस्तुएं शामिल हैं जैसे औजार, भवन, वस्त्र, कलाकृतियाँ; और अभौतिक संस्कृति (Non-material Culture), जिसमें अमूर्त तत्व शामिल हैं जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा, प्रतीक, मानदंड, ज्ञान।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विभाजन समाजशास्त्रीय विश्लेषण का आधार बनता है, जिससे यह समझा जा सके कि कैसे भौतिक वातावरण और अमूर्त विचार परस्पर क्रिया करते हैं और समाज को आकार देते हैं।
  • गलत विकल्प: (b) यह अंतर संस्कृति के तत्वों का सही विभाजन नहीं है। (c) यह राजनीतिक/आर्थिक विभाजन संस्कृति के तत्वों का सटीक वर्णन नहीं करता। (d) यह अंतर संस्कृति को समझने के लिए मौलिक है।

प्रश्न 19: भारतीय समाज में ‘जनजाति’ (Tribe) की निम्नलिखित में से कौन सी एक विशिष्ट विशेषता है?

  1. सभी जनजातियों की एक समान भाषा है।
  2. वे मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में निवास करती हैं।
  3. उनकी एक विशिष्ट भौगोलिक सीमा, एक सामान्य भाषा, एक संस्कृति और राजनीतिक संगठन का अभाव होता है।
  4. उनकी एक विशिष्ट पहचान, सामान्यतः एक सामान्य भाषा, साझा संस्कृति और विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में निवास होता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जनजातियों को आमतौर पर एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में निवास करने वाले, एक सामान्य भाषा बोलने वाले, एक साझा संस्कृति और अपने स्वयं के पारंपरिक राजनीतिक संगठन वाले समुदायों के रूप में परिभाषित किया जाता है। उनकी अपनी एक विशिष्ट पहचान होती है जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से अलग करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में विभिन्न जनजातीय समूह हैं, जिनमें अनूठी परंपराएँ, भाषाएँ और सामाजिक संरचनाएँ हैं। उनकी पहचान अक्सर उनकी भूमि, वनों और संसाधनों से जुड़ी होती है।
  • गलत विकल्प: (a) जनजातियों की भाषाएँ भिन्न होती हैं। (b) अधिकांश जनजातियाँ ग्रामीण या वन क्षेत्रों में निवास करती हैं। (c) यह कथन जनजातियों की विशेषताओं का गलत वर्णन करता है; वास्तव में, उनमें अक्सर सामान्य भाषा, संस्कृति और राजनीतिक संगठन पाए जाते हैं।

प्रश्न 20: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद (Capitalism) का अंत और साम्यवाद (Communism) की स्थापना किस प्रक्रिया के माध्यम से होगी?

  1. शांतिपूर्ण राजनीतिक सुधार
  2. बुर्जुआजी द्वारा स्वेच्छा से सत्ता त्याग
  3. श्रमिक वर्ग द्वारा क्रांति
  4. तकनीकी नवाचारों का प्रसार

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मार्क्स का मानना था कि पूंजीवाद अपने आंतरिक अंतर्विरोधों और बढ़ते वर्ग-संघर्ष के कारण समाप्त हो जाएगा। उन्होंने भविष्यवाणी की कि श्रमिक वर्ग (proletariat) अपने उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट होगा और क्रांति के माध्यम से बुर्जुआजी (bourgeoisie – पूंजीपति वर्ग) को उखाड़ फेंकेगा, जिससे साम्यवाद की स्थापना होगी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद (historical materialism) के सिद्धांत का एक प्रमुख निष्कर्ष है, जो समाज के विकास को उत्पादन की शक्तियों और उत्पादन के संबंधों के बीच संघर्ष के रूप में देखता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b) और (d) मार्क्सवादी सिद्धांत के अनुसार परिवर्तन की धीमी या अपर्याप्त विधियाँ हैं। मार्क्स ने क्रांति को एक आवश्यक कदम माना।

प्रश्न 21: मैक्स वेबर ने आधुनिक पश्चिमी समाज की एक प्रमुख विशेषता के रूप में ‘तर्कसंगतीकरण’ (Rationalization) का उल्लेख किया। इसका क्या तात्पर्य है?

  1. भावनाओं और परंपराओं का बढ़ता प्रभाव
  2. कुशलता, भविष्यवाणी और गणितीय गणना पर जोर
  3. सामाजिक असमानता में वृद्धि
  4. आध्यात्मिक विश्वासों का प्रसार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: वेबर के अनुसार, तर्कसंगतीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के सभी पहलुओं – अर्थव्यवस्था, राजनीति, धर्म, कला – को कुशलता, भविष्यवाणी, गणितीय गणना और नौकरशाही सिद्धांतों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। यह ‘जादू से मुक्ति’ (disenchantment of the world) की प्रक्रिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा वेबर की ‘प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) जैसी कृतियों में परिलक्षित होती है, जहाँ उन्होंने दिखाया कि कैसे एक विशेष धार्मिक नैतिकता ने पूंजीवाद के तार्किक विकास को बढ़ावा दिया।
  • गलत विकल्प: (a) यह तर्कसंगतीकरण के विपरीत है। (c) सामाजिक असमानता में वृद्धि तर्कसंगतीकरण का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं है, हालाँकि नौकरशाही में शक्ति केंद्रित हो सकती है। (d) आध्यात्मिक विश्वासों का प्रसार तर्कसंगतीकरण की बजाय अंधविश्वास या परंपरा से जुड़ता है।

प्रश्न 22: समाजशास्त्र में, शिक्षा को अक्सर एक महत्वपूर्ण ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) क्यों माना जाता है?

  1. क्योंकि यह केवल ज्ञान प्रदान करती है।
  2. क्योंकि यह सामाजिक नियंत्रण के साधन के रूप में कार्य करती है।
  3. क्योंकि यह संस्कृति, मूल्यों और सामाजिक मानदंडों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाती है।
  4. क्योंकि यह राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को सीधे नियंत्रित करती है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: शिक्षा एक सामाजिक संस्था के रूप में कार्य करती है क्योंकि इसका मुख्य कार्य न केवल अकादमिक ज्ञान प्रदान करना है, बल्कि यह बच्चों और युवाओं को समाज के स्वीकृत मूल्यों, विश्वासों, मानदंडों और भूमिकाओं को सिखाकर उनका समाजीकरण (socialization) भी करती है, जिससे संस्कृति का निरंतरता बनी रहती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने शिक्षा को समाजीकरण की एक प्रमुख एजेंसी के रूप में देखा, जबकि पार्सन्स ने इसे समाज में भूमिकाओं के विभेदन (differentiation) और चयन (selection) का माध्यम माना।
  • गलत विकल्प: (a) शिक्षा का कार्य ज्ञान से अधिक है। (b) सामाजिक नियंत्रण एक कार्य हो सकता है, लेकिन समाजीकरण अधिक व्यापक अवधारणा है। (d) शिक्षा अर्थव्यवस्था को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है, सीधे नियंत्रित नहीं करती।

प्रश्न 23: भारतीय संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) का अर्थ क्या है?

  1. राज्य का कोई धर्म नहीं होगा और वह सभी धर्मों को समान सम्मान देगा।
  2. राज्य एक विशेष धर्म को बढ़ावा देगा।
  3. सभी नागरिकों को एक ही धर्म का पालन करना होगा।
  4. धर्म को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहेगा, किसी एक धर्म को राजकीय धर्म के रूप में मान्यता नहीं देगा, और सभी नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने, अभ्यास करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता देगा। यह सभी धर्मों को समान सम्मान और संरक्षण प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से थोड़ा भिन्न है जहाँ अक्सर राज्य और धर्म के बीच पूर्ण अलगाव पर जोर दिया जाता है। भारतीय संदर्भ में, राज्य सक्रिय रूप से सभी धर्मों को समान व्यवहार प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: (b) और (c) धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के विपरीत हैं। (d) धर्म को सार्वजनिक जीवन से समाप्त नहीं किया जाता, बल्कि राज्य किसी एक धर्म विशेष का पक्ष नहीं लेता।

प्रश्न 24: सामाजिकरण (Socialization) की प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह केवल बचपन में होने वाली एक प्रक्रिया है।
  2. यह जन्म से मृत्यु तक चलने वाली एक आजीवन प्रक्रिया है।
  3. यह केवल औपचारिक शिक्षा संस्थानों तक सीमित है।
  4. यह समाजों में कभी नहीं बदलती।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने समाज के मूल्यों, विश्वासों, मानदंडों, व्यवहारों और कौशलों को सीखते हैं। यह केवल बचपन तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्ति जीवन भर नए सामाजिक वातावरण, नई भूमिकाओं और ज्ञान के संपर्क में आने पर सीखता रहता है, इसलिए यह एक आजीवन प्रक्रिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक सामाजिकरण (परिवार में) और द्वितीयक सामाजिकरण (स्कूल, कार्यस्थल, मित्र समूह) के अलावा, प्रौढ़ सामाजिकरण भी होता है।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिकरण बचपन के बाद भी जारी रहता है। (c) यह औपचारिक (स्कूल) और अनौपचारिक (परिवार, मीडिया) दोनों तरह के संस्थानों में होता है। (d) सामाजिकरण प्रक्रियाएँ समाज के परिवर्तन के साथ बदलती रहती हैं।

प्रश्न 25: रॉबर्ट मर्टन ने सामाजिक संरचना के दो प्रकार के कार्यों का वर्णन किया है: स्पष्ट कार्य (Manifest Functions) और अव्यक्त कार्य (Latent Functions)। निम्नलिखित में से कौन सा अव्यक्त कार्य का सबसे अच्छा उदाहरण है?

  1. स्कूलों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षित करना है।
  2. एक कारखाने का मुख्य उद्देश्य उत्पाद बनाना और बेचना है।
  3. एक राजनीतिक दल का मुख्य उद्देश्य चुनाव जीतना है।
  4. विश्वविद्यालयों का एक अव्यक्त कार्य छात्रों के लिए सामाजिक नेटवर्क बनाना है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: स्पष्ट कार्य (Manifest Function) किसी सामाजिक संस्था या प्रथा के उद्देश्यपूर्ण, मान्यता प्राप्त और सीधे परिणाम होते हैं। अव्यक्त कार्य (Latent Function) वे अनपेक्षित, अप्रत्यक्ष या अमान्यता प्राप्त परिणाम होते हैं। उपरोक्त विकल्पों में, (a), (b), और (c) स्पष्ट कार्य हैं। (d) में, विश्वविद्यालयों का प्राथमिक उद्देश्य शिक्षा और अनुसंधान है, लेकिन छात्रों के लिए सामाजिक नेटवर्क बनाना एक अनपेक्षित लेकिन महत्वपूर्ण अव्यक्त कार्य है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने इन अवधारणाओं का उपयोग सामाजिक घटनाओं के अप्रत्याशित परिणामों को समझने के लिए किया, जैसे कि अलकापोने का जेल जाना, जो उसके अपराधों का स्पष्ट कार्य था, लेकिन उसके गिरोह के पतन का अव्यक्त कार्य बन गया।
  • गलत विकल्प: (a), (b), (c) ये सभी उदाहरण सीधे तौर पर उन संस्थानों के मुख्य, इरादतन उद्देश्यों को दर्शाते हैं।

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