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समाजशास्त्र का दैनिक मॉक टेस्ट: अपनी तैयारी को परखें!

समाजशास्त्र का दैनिक मॉक टेस्ट: अपनी तैयारी को परखें!

आइए, समाजशास्त्र की दुनिया में एक और ज्ञानवर्धक यात्रा शुरू करें! आज के मॉक टेस्ट के साथ अपने संकल्पनात्मक ज्ञान और विश्लेषणात्मक कौशल की धार तेज करें। हर प्रश्न एक नई चुनौती है, और हर स्पष्टीकरण ज्ञान का एक नया द्वार खोलता है। तैयार हैं आप?

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाजशास्त्रियों के लिए अपने कार्यों से जुड़े व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की आवश्यकता पर बल देती है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्रियों के लिए अपने कार्यों से जुड़े व्यक्तिपरक अर्थों और प्रेरणाओं को समझने की आवश्यकता पर जोर देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का केंद्रीय तत्व है और इसे उनकी कृति ‘अर्थव्यवस्था और समाज’ (Economy and Society) में विस्तार से समझाया गया है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है।
  • गलत विकल्प: ‘एनोमी’ (Anomie) एमिल दुर्खीम द्वारा विकसित एक अवधारणा है, न कि वेबर द्वारा। ‘वर्ग संघर्ष’ (Class conflict) कार्ल मार्क्स का एक केंद्रीय विचार है।

प्रश्न 2: एम. एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द क्या संदर्भित करता है?

  1. पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना
  2. जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त करने के लिए निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाना
  3. तकनीकी विकास और शहरीकरण की प्रक्रिया
  4. सभी वर्गों का समान सामाजिक-आर्थिक स्तर प्राप्त करना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: संस्कृतीकरण, जैसा कि एम. एन. श्रीनिवास ने परिभाषित किया है, वह प्रक्रिया है जिसमें एक निम्न जाति या जनजाति, जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त करने के उद्देश्य से, एक उच्चतर, प्रायः द्विजातीय, जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, कर्मकांडों, और विश्वासों को अपनाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘दक्षिण भारत के कूर्गों के बीच धर्म और समाज’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रस्तुत की थी। यह संरचनात्मक गतिशीलता के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने को संदर्भित करता है, जबकि ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से संबंधित एक व्यापक अवधारणा है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण की एक प्रमुख विशेषता नहीं है?

  1. यह एक सामाजिक विशेषता है, जो व्यक्तिगत भिन्नताओं से परे है।
  2. यह पीढ़ियों तक बना रहता है।
  3. यह असमानता के विचार को जन्म देता है।
  4. यह केवल आर्थिक कारकों पर आधारित है।

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: सामाजिक स्तरीकरण केवल आर्थिक कारकों पर आधारित नहीं है; इसमें शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा, जातीयता, लिंग आदि जैसे अन्य कारक भी शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण समाज की एक विशेषता है जो व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक है; यह पीढ़ियों से चली आ रही है और इसने असमानताओं को जन्म दिया है। यह एक सार्वभौमिक घटना है, हालांकि इसके रूप भिन्न होते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सामाजिक स्तरीकरण की सही विशेषताएँ हैं। स्तरीकरण समाज का संरचनात्मक पहलू है, जो व्यक्तिगत प्रयासों से स्वतंत्र होता है, पीढ़ियों तक हस्तांतरित होता है, और स्वाभाविक रूप से असमानताओं को दर्शाता है।

प्रश्न 4: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के विघटन या स्पष्टता की कमी को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से सर्वाधिक जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. ऑगस्ट कॉम्ते
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा का प्रयोग उन स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज के नियम या तो मौजूद नहीं हैं या कमजोर पड़ गए हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और सामाजिक अलगाव की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी कृतियों, विशेषकर ‘आत्महत्या’ (Suicide) में विस्तृत है, जहाँ उन्होंने एनोमिक आत्महत्या का विश्लेषण किया है। यह सामाजिक एकजुटता (social solidarity) की कमी से जुड़ी है।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ और ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) जैसी अवधारणाएं दीं। ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद (Social Darwinism) का विचार प्रस्तुत किया।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक संस्थान’ (Social Institution) नहीं है?

  1. परिवार
  2. धर्म
  3. राजनीति
  4. मानव कोशिका

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: मानव कोशिका एक जैविक इकाई है, न कि एक सामाजिक संस्था। सामाजिक संस्थाएं समाज के मुख्य कार्यों को पूरा करने के लिए स्थापित, संगठित और स्थायी पैटर्न हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार, धर्म और राजनीति समाज की महत्वपूर्ण सामाजिक संस्थाएँ हैं जो सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करती हैं, संस्कृति का संचार करती हैं और समाज की संरचना को बनाए रखती हैं।
  • गलत विकल्प: परिवार, धर्म और राजनीति समाज की प्रमुख संस्थाएँ हैं। कोशिका एक जैविक संरचना है।

प्रश्न 6: ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के प्रमुख प्रस्तावक कौन माने जाते हैं, जो समाज को शक्ति और प्रभुत्व पर आधारित मानते हैं?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. टालकोट पार्सन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: कार्ल मार्क्स को संघर्ष सिद्धांत का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उनका मानना था कि समाज मुख्य रूप से आर्थिक उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के आधार पर वर्ग-विभाजित है, और इन वर्गों के बीच संघर्ष समाज में परिवर्तन का मुख्य चालक है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच का संघर्ष ही समाज को साम्यवाद की ओर ले जाएगा।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम प्रकार्यवाद (Functionalism) से जुड़े हैं। वेबर शक्ति और नौकरशाही पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं, लेकिन मार्क्स की तरह वर्ग संघर्ष पर इतना जोर नहीं देते। पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के प्रमुख सिद्धांतकार हैं।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा को परिभाषित किया, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामाजिक जीवन का अध्ययन करने के लिए व्यवस्थित तरीके से देखा जाना चाहिए?

  1. मैक्स वेबर
  2. ऑगस्ट कॉम्ते
  3. एमिल दुर्खीम
  4. सिगमंड फ्रायड

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को समाजशास्त्र के अध्ययन की मूल इकाई के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे “विचार करने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके जो व्यक्ति पर बाहरी होते हैं और जिनके पास एक बाध्यकारी शक्ति होती है” के रूप में वर्णित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण (positivist approach) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समाजशास्त्र को विज्ञान के रूप में स्थापित करना था। ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाजशास्त्र की पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं जिनमें यह अवधारणा वर्णित है।
  • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर दिया। ऑगस्ट कॉम्ते प्रत्यक्षवाद के संस्थापक हैं लेकिन ‘सामाजिक तथ्य’ शब्द का प्रयोग दुर्खीम ने किया। सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण (psychoanalysis) के जनक हैं।

प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) को निम्नलिखित में से किस रूप में समझा जा सकता है?

  1. एक खुला वर्ग तंत्र
  2. एक बंद स्तरीकरण प्रणाली
  3. केवल एक धार्मिक पहचान
  4. एक आर्थिक व्यवस्था

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: भारतीय जाति व्यवस्था को एक ‘बंद स्तरीकरण प्रणाली’ (closed stratification system) के रूप में समझा जाता है, जहाँ सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है और इसमें गतिशीलता (mobility) बहुत सीमित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में व्यक्ति की पहचान, व्यवसाय, विवाह और सामाजिक अंतःक्रियाएं उसकी जाति से बंधी होती हैं। इसके विपरीत, एक खुला वर्ग तंत्र (open class system) जन्म की परवाह किए बिना व्यक्तिगत उपलब्धि के आधार पर गतिशीलता की अनुमति देता है।
  • गलत विकल्प: जाति एक बंद प्रणाली है, खुली नहीं। यह केवल धार्मिक या आर्थिक व्यवस्था से कहीं अधिक है; यह एक जटिल सामाजिक संरचना है।

प्रश्न 9: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर है?

  1. सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन
  2. समूहों के बीच संघर्ष
  3. व्यक्तियों के बीच अर्थों के निर्माण और संचार की प्रक्रिया
  4. पूंजीवाद का विश्लेषण

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सहीता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख प्रस्तावक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर आदि हैं, इस बात पर जोर देता है कि मनुष्य प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ कैसे अंतःक्रिया करते हैं और कैसे इन अंतःक्रियाओं से वे सामाजिक वास्तविकता का अर्थ बनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत छोटे पैमाने की अंतःक्रियाओं (micro-level interactions) पर केंद्रित है और मानता है कि व्यक्ति समाज को निष्क्रिय रूप से स्वीकार नहीं करते, बल्कि सक्रिय रूप से उसे अर्थ प्रदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद का केंद्र है। समूहों के बीच संघर्ष संघर्ष सिद्धांत का विषय है। पूंजीवाद का विश्लेषण मार्क्सवाद से जुड़ा है।

  • प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का उदाहरण है?

    1. विद्यालय का छात्र संगठन
    2. एक राजनीतिक दल
    3. परिवार
    4. एक ऑनलाइन फोरम

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: परिवार एक प्राथमिक समूह का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। प्राथमिक समूह वे होते हैं जहाँ आमने-सामने, व्यक्तिगत संबंध, घनिष्ठता और सहयोग होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स कूले ने इस अवधारणा को पेश किया था। इन समूहों में सदस्य एक-दूसरे के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, जो व्यक्तिगत पहचान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • गलत विकल्प: विद्यालय छात्र संगठन, राजनीतिक दल और ऑनलाइन फोरम आमतौर पर द्वितीयक समूह (secondary groups) के उदाहरण हैं, जहाँ संबंध अधिक अनौपचारिक, उद्देश्य-आधारित और अवैयक्तिक होते हैं।

    प्रश्न 11: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया आम तौर पर किस ओर ले जाती है?

    1. पारंपरिक समाज की ओर वापसी
    2. औद्योगीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता में वृद्धि
    3. कृषि पर अधिक निर्भरता
    4. जाति आधारित पदानुक्रम का सुदृढ़ीकरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें समाज पारंपरिक, कृषि-आधारित व्यवस्था से हटकर औद्योगिक, शहरी और अधिक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था की ओर बढ़ता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें तकनीकी विकास, शिक्षा का प्रसार, नौकरशाही का विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों का उदय जैसी विशेषताएँ शामिल होती हैं।
    • गलत विकल्प: आधुनिकीकरण पारंपरिक समाज की ओर वापसी नहीं है। यह कृषि पर निर्भरता कम करता है और जाति जैसी पारंपरिक संरचनाओं को कमजोर कर सकता है, बजाय उन्हें मजबूत करने के।

    प्रश्न 12: ‘संस्कृति’ (Culture) के समाजशास्त्रीय अर्थ में क्या शामिल है?

    1. केवल कला और साहित्य
    2. लोगों द्वारा सीखे गए और साझा किए गए व्यवहार, विश्वास, मूल्य, ज्ञान और सामग्री का कुल योग
    3. केवल वैज्ञानिक ज्ञान
    4. व्यक्ति की आनुवंशिक विरासत

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: समाजशास्त्र में, संस्कृति मानव व्यवहार का सीखा हुआ और साझा किया गया पहलू है, जिसमें विश्वास, मूल्य, भाषा, कला, कानून, रीति-रिवाज, आदतें और अन्य क्षमताएं शामिल हैं जो समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: संस्कृति वह तरीका है जिससे लोग अपने आसपास की दुनिया को समझते हैं और उसमें कार्य करते हैं। यह जन्मजात नहीं, बल्कि सीखी जाती है और पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
    • गलत विकल्प: संस्कृति केवल कला या साहित्य तक सीमित नहीं है, न ही यह केवल वैज्ञानिक ज्ञान है। यह व्यक्ति की आनुवंशिक विरासत से भी अलग है।

    प्रश्न 13: भारतीय समाज में ‘विवाह’ (Marriage) किस प्रकार की संस्था है?

    1. एक व्यक्तिगत पसंद
    2. सामाजिक नियंत्रण का एक साधन
    3. समानता पर आधारित एक अनुबंध
    4. केवल एक जैविक आवश्यकता

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: भारतीय समाज में, विवाह केवल एक व्यक्तिगत पसंद या जैविक आवश्यकता नहीं है; यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है जो नातेदारी (kinship) संबंधों को स्थापित करती है, वंशानुक्रम को परिभाषित करती है, और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इस प्रकार यह सामाजिक नियंत्रण का एक साधन भी है।
    • संदर्भ और विस्तार: पारंपरिक रूप से, विवाह को अक्सर दो परिवारों के बीच एक गठबंधन के रूप में देखा जाता था, और इसमें व्यक्तिगत पसंद से अधिक सामाजिक और सामुदायिक अपेक्षाएं शामिल होती थीं।
    • गलत विकल्प: जबकि व्यक्तिगत पसंद अब अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, पारंपरिक रूप से विवाह सामाजिक व्यवस्था का एक अभिन्न अंग रहा है। यह केवल एक जैविक आवश्यकता या समानता पर आधारित अनुबंध से कहीं अधिक है।

    प्रश्न 14: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) कब उत्पन्न होता है?

    1. जब एक व्यक्ति एक ही समय में कई भूमिकाएँ निभा रहा हो।
    2. जब किसी व्यक्ति से उसकी भूमिकाओं से जुड़े परस्पर विरोधी या असंगत व्यवहारों की अपेक्षा की जाती है।
    3. जब एक व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति से संतुष्ट न हो।
    4. जब समाज में सामाजिक मानदंड स्पष्ट न हों।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: भूमिका संघर्ष तब होता है जब एक व्यक्ति से ऐसी अपेक्षाएँ की जाती हैं जो उसकी एक या एक से अधिक भूमिकाओं के साथ असंगत होती हैं। उदाहरण के लिए, एक प्रबंधक जो एक ही समय में अपने कर्मचारियों का दोस्त भी होना चाहता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह ‘भूमिका प्रतिबल’ (role strain) से भिन्न है, जो एक ही भूमिका के भीतर परस्पर विरोधी मांगों से उत्पन्न होता है।
    • गलत विकल्प: (a) कई भूमिकाएँ निभाना ‘भूमिका अधिभार’ (role overload) का कारण बन सकता है, भूमिका संघर्ष का नहीं। (c) असंतोष भूमिका संघर्ष का प्रत्यक्ष कारण नहीं है। (d) स्पष्ट मानदंडों की कमी ‘एनोमी’ से अधिक संबंधित है।

    प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘माध्यमिक समूह’ (Secondary Group) का उदाहरण है?

    1. परिवार
    2. मित्र मंडली
    3. कार्यस्थल का सहकर्मी समूह
    4. पड़ोस

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: कार्यस्थल का सहकर्मी समूह एक माध्यमिक समूह का एक विशिष्ट उदाहरण है। माध्यमिक समूह आमतौर पर बड़े, अधिक अवैयक्तिक, उद्देश्य-उन्मुख और अस्थायी होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: इन समूहों में संबंध अक्सर भूमिका-आधारित होते हैं और एक विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बनाए जाते हैं, न कि घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंधों के लिए।
    • गलत विकल्प: परिवार, मित्र मंडली और पड़ोस आमतौर पर प्राथमिक समूह होते हैं जहाँ व्यक्तिगत, घनिष्ठ संबंध पाए जाते हैं।

    प्रश्न 16: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) को सबसे अच्छी तरह से कैसे परिभाषित किया जा सकता है?

    1. एक समाज के सदस्यों में व्यक्तिगत परिवर्तन।
    2. किसी समाज के सामाजिक संरचना, संस्कृति और व्यवहार के पैटर्न में समय के साथ होने वाले परिवर्तन।
    3. केवल तकनीकी प्रगति।
    4. राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: सामाजिक परिवर्तन किसी समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं, जैसे कि उसकी सामाजिक संरचना (जैसे वर्ग, संस्थाएं), संस्कृति (जैसे मूल्य, विश्वास, आदर्श) और व्यवहार के पैटर्न में समय के साथ होने वाले किसी भी व्यवस्थित परिवर्तन को संदर्भित करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक व्यापक शब्द है जिसमें विभिन्न प्रकार के परिवर्तन शामिल हो सकते हैं, जैसे कि आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक या तकनीकी परिवर्तन, और उनके सामाजिक परिणाम।
    • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन का केवल एक छोटा हिस्सा है। (c) तकनीकी प्रगति सामाजिक परिवर्तन का एक कारक हो सकती है, लेकिन यह स्वयं सामाजिक परिवर्तन की पूरी परिभाषा नहीं है। (d) राजनीतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन का एक प्रकार है, न कि पूरी परिभाषा।

    प्रश्न 17: ‘अभिजात वर्ग’ (Elite) की अवधारणा, जो समाज में एक छोटी, विशेषाधिकार प्राप्त और प्रभावशाली अल्पसंख्यक को संदर्भित करती है, के प्रमुख सिद्धांतकार कौन हैं?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. कार्ल मार्क्स
    3. विलफ्रेडो पैरेटो और गैटनो मोस्का
    4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: विलफ्रेडो पैरेटो और गैटनो मोस्का अभिजात वर्ग सिद्धांत के प्रमुख समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि सभी समाजों में हमेशा एक अल्पसंख्यक शासक वर्ग (अभिजात वर्ग) होता है जो शक्ति और विशेषाधिकारों को नियंत्रित करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने ‘अभिजात वर्ग के परिभ्रमण’ (circulation of elites) का सिद्धांत दिया, जिसके अनुसार एक अभिजात वर्ग का पतन दूसरे के उदय से होता है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित करते थे। मार्क्स मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और बुर्जुआ/सर्वहारा वर्ग के द्वंद्व पर ध्यान केंद्रित करते थे। मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।

    प्रश्न 18: ‘समूहों के बीच संबंध’ (Intergroup Relations) का अध्ययन निम्नलिखित में से किस उप-विषय से सबसे अधिक संबंधित है?

    1. ग्रामीण समाजशास्त्र
    2. शहरी समाजशास्त्र
    3. सामाजिक मनोविज्ञान और नस्ल/जाति का समाजशास्त्र
    4. परिवार का समाजशास्त्र

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: समूहों के बीच संबंध, जिसमें पूर्वाग्रह, भेदभाव, नस्लवाद, जातीयता और अंतर-समूह संघर्ष का अध्ययन शामिल है, सामाजिक मनोविज्ञान और नस्ल/जाति के समाजशास्त्र के केंद्रीय विषय हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ये क्षेत्र विश्लेषण करते हैं कि विभिन्न सामाजिक समूह कैसे एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, कैसे सामाजिक पहचान समूहों के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित करती है, और कैसे ये अंतःक्रियाएं सामाजिक संरचना और समानता/असमानता को प्रभावित करती हैं।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प विशिष्ट प्रकार के समाजों (ग्रामीण, शहरी) या विशिष्ट संस्थाओं (परिवार) पर ध्यान केंद्रित करते हैं, न कि समूहों के बीच संबंधों पर।

    प्रश्न 19: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की अवधारणा, जिसमें तर्कसंगत-कानूनी अधिकार, पदसोपान और नियमों का पालन जैसी विशेषताएँ शामिल हैं, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

    1. ऑगस्ट कॉम्ते
    2. कार्ल मार्क्स
    3. एमिल दुर्खीम
    4. मैक्स वेबर

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को आधुनिक समाज में शक्ति और संगठन के एक प्रमुख रूप के रूप में विस्तृत रूप से विश्लेषण किया। उन्होंने इसे तर्कसंगत-कानूनी अधिकार (rational-legal authority) का सबसे शुद्ध रूप बताया।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, एक आदर्श नौकरशाही में पदानुक्रमित संरचना, लिखित नियम, विशेषज्ञता, अवैयक्तिकता और कैरियर-उन्मुख कर्मचारी होते हैं। यह दक्षता के लिए डिज़ाइन की गई है, लेकिन इसमें ‘लोहे का पिंजरा’ (iron cage) बनने की भी प्रवृत्ति होती है।
    • गलत विकल्प: कॉम्ते प्रत्यक्षवाद पर ध्यान केंद्रित करते थे। मार्क्स आर्थिक व्यवस्था और वर्ग संघर्ष का विश्लेषण करते थे। दुर्खीम सामाजिक एकता और एनोमी पर केंद्रित थे।

    प्रश्न 20: भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा के संबंध में क्या सच है?

    1. सभी धार्मिक संस्थाओं का उन्मूलन।
    2. राज्य का सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार और किसी एक धर्म का पक्ष न लेना।
    3. व्यक्ति को किसी भी धर्म का पालन न करने के लिए बाध्य करना।
    4. केवल हिंदू धर्म को राजकीय धर्म घोषित करना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा में राज्य का सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और संरक्षण शामिल है, न कि किसी विशेष धर्म का पक्ष लेना या सभी धर्मों को समाप्त करना। यह सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना है, जहाँ राज्य अपने आप में किसी धर्म का अनुयायी नहीं होता, बल्कि सभी धर्मों का संरक्षक होता है।
    • गलत विकल्प: धर्मनिरपेक्षता का अर्थ धार्मिक संस्थाओं का उन्मूलन या किसी को धर्म पालन न करने के लिए बाध्य करना नहीं है। यह किसी एक धर्म को राजकीय धर्म घोषित करने के विपरीत है।

    प्रश्न 21: ‘मार्जिनाइजेशन’ (Marginalization) या सीमांतकरण का क्या अर्थ है?

    1. किसी व्यक्ति या समूह को समाज के मुख्यधारा से बाहर धकेलना या अलग-थलग कर देना, जिससे उनके संसाधनों, अवसरों और शक्ति तक पहुँच सीमित हो जाती है।
    2. समाज के सभी सदस्यों का पूर्ण समावेश।
    3. एक सामाजिक आंदोलन का गठन।
    4. केवल आर्थिक विकास की प्रक्रिया।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: सीमांतकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह को समाज के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन से व्यवस्थित रूप से बाहर रखा जाता है या उन्हें हाशिये पर धकेल दिया जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर वर्ग, जाति, लिंग, धर्म, जातीयता या अन्य पहचानों के आधार पर होता है, और इसके परिणामस्वरूप हाशिए पर पड़े समूहों को महत्वपूर्ण संसाधनों, अवसरों और शक्ति से वंचित कर दिया जाता है।
    • गलत विकल्प: यह समावेश का विरोधी है, न कि उसका। यह सामाजिक आंदोलन का गठन नहीं है, बल्कि इसका परिणाम हो सकता है। यह केवल आर्थिक विकास की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक सामाजिक प्रक्रिया है।

    प्रश्न 22: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं के बीच समय के अंतर को दर्शाती है, किसने प्रस्तुत की?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. विलियम एफ. ओगबर्न
    3. मैक्स वेबर
    4. सोरोकिन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, कानून, रीति-रिवाज) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, नई तकनीक (जैसे इंटरनेट) के आगमन के बाद, उससे संबंधित कानूनों, नैतिक मानदंडों और सामाजिक व्यवहारों को विकसित होने में समय लगता है।
    • गलत विकल्प: अन्य समाजशास्त्री विभिन्न महत्वपूर्ण अवधारणाओं से जुड़े हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलंब ओगबर्न की एक विशिष्ट अवधारणा है।

    प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘वर्ग’ (Class) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के लिए सबसे उपयुक्त है?

    1. एक समूह जो समान जातीय पृष्ठभूमि साझा करता है।
    2. एक समूह जो आर्थिक स्थिति, विशेष रूप से आय और धन के आधार पर परिभाषित होता है, और जिसमें कुछ हद तक गतिशीलता संभव है।
    3. एक समूह जो समान धार्मिक विश्वास साझा करता है।
    4. एक समूह जो जन्म से निर्धारित होता है और जिसमें कोई गतिशीलता नहीं होती।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: समाजशास्त्र में, वर्ग को आम तौर पर आर्थिक स्थिति के आधार पर परिभाषित किया जाता है, जिसमें उत्पादन के साधनों के साथ संबंध, आय, धन और व्यवसाय जैसे कारक शामिल होते हैं। वर्गों को अक्सर ‘खुले’ स्तरीकरण प्रणालियों के रूप में देखा जाता है, जो जाति जैसी ‘बंद’ प्रणालियों के विपरीत, व्यक्तियों को अपनी स्थिति बदलने की अनुमति देते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स ने उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर वर्ग (बुर्जुआ और सर्वहारा) को परिभाषित किया, जबकि मैक्स वेबर ने आर्थिक स्थिति, प्रतिष्ठा और शक्ति जैसे बहुआयामी दृष्टिकोण को अपनाया।
    • गलत विकल्प: (a) और (c) क्रमशः जातीयता और धर्म पर आधारित समूह हैं। (d) यह जाति व्यवस्था की परिभाषा के करीब है, वर्ग की नहीं।

    प्रश्न 24: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ क्या है?

    1. समाज में लोगों की शारीरिक हलचल।
    2. लोगों या सामाजिक समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर स्थानांतरण।
    3. किसी समूह के सदस्यों के बीच विचारों का आदान-प्रदान।
    4. समाज में पारंपरिक मूल्यों का संरक्षण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य व्यक्तियों या समूहों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन से है, चाहे वह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो।
    • संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में बेहतर या बदतर आर्थिक स्थिति, व्यवसाय या सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करना शामिल है। क्षैतिज गतिशीलता में समान स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना शामिल है, जैसे एक कंपनी से दूसरी कंपनी में समान पद पर जाना।
    • गलत विकल्प: (a) शारीरिक हलचल एक अलग अवधारणा है। (c) विचारों का आदान-प्रदान संचार से संबंधित है। (d) पारंपरिक मूल्यों का संरक्षण सामाजिक स्थायित्व को दर्शाता है, न कि गतिशीलता को।

    प्रश्न 25: एम. के. गांधी द्वारा भारतीय समाज में किस सामाजिक बुराई की आलोचना पर विशेष जोर दिया गया था?

    1. गरीबी
    2. निरक्षरता
    3. अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था
    4. बाल विवाह

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सहीता: महात्मा गांधी ने भारतीय समाज में अस्पृश्यता (untouchability) और जाति व्यवस्था की गहरी जड़ें जमा चुकी बुराई की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे मानवता के विरुद्ध एक पाप माना और ‘हरिजन’ (ईश्वर के लोग) शब्द का प्रयोग दलितों के लिए किया।
    • संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने छुआछूत के उन्मूलन और सभी जातियों के बीच समानता की वकालत की, इसे भारत के सामाजिक और राष्ट्रीय उत्थान के लिए आवश्यक माना।
    • गलत विकल्प: जबकि गांधीजी ने गरीबी, निरक्षरता और बाल विवाह जैसी अन्य सामाजिक बुराइयों को भी संबोधित किया, अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था उनकी प्रमुख चिंताएँ थीं, जिनसे उन्होंने सबसे तीव्रता से लड़ाई लड़ी।

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