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समाजशास्त्र का दैनिक अभ्यास: अपने ज्ञान को परखें!

समाजशास्त्र का दैनिक अभ्यास: अपने ज्ञान को परखें!

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समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने विकसित किया, जिसने समाज को व्यक्तियों से स्वतंत्र एक वस्तुनिष्ठ वास्तविकता माना?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. अगस्त कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा पेश की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्तियों से बाहर स्थित होते हैं और उन पर बाध्यकारी शक्ति का प्रयोग करते हैं, जैसे कि कानून या रीति-रिवाज।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को स्पष्ट किया। उनका उद्देश्य समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करना था, जिसकी अपनी विशिष्ट अध्ययन वस्तु हो।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था, जबकि मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर बल दिया। अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उन्होंने ‘सामाजिक तथ्य’ की यह विशिष्ट परिभाषा नहीं दी।

प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की विशेषता क्या नहीं है?

  1. स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम
  2. मानकीकृत नियम और प्रक्रियाएँ
  3. व्यक्तिगत निर्णय और विवेक
  4. विशेषज्ञता और श्रम विभाजन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: वेबर के आदर्श नौकरशाही मॉडल में, व्यक्तिगत निर्णय और विवेक को न्यूनतम किया जाता है। इसके बजाय, मानकीकृत नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को एक अत्यधिक कुशल, तर्कसंगत और पूर्व-निर्धारित संरचना के रूप में वर्णित किया, जो आधुनिक समाजों के उदय में महत्वपूर्ण थी। उनकी ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा नौकरशाही को समझने में सहायक है।
  • गलत विकल्प: स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम, मानकीकृत नियम और प्रक्रियाएँ, तथा विशेषज्ञता व श्रम विभाजन, ये सभी वेबर द्वारा वर्णित नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 3: ‘अभिजात वर्ग का परिभ्रमण’ (Circulation of Elites) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?

  1. विलफ्रेडो पैरेटो
  2. सी. राइट मिल्स
  3. टी. पार्सन्स
  4. रॉबर्ट मिशेल्स

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विलफ्रेडो पैरेटो ने ‘अभिजात वर्ग का परिभ्रमण’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि किसी भी समाज में अभिजात वर्ग का एक छोटा समूह सत्ता रखता है, और समय के साथ, यह अभिजात वर्ग बदलता रहता है (परिभ्रमण)।
  • संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने तर्क दिया कि इतिहास ऐसे अभिजातों के उत्थान और पतन का चक्र है। उन्होंने दो प्रकार के अभिजात वर्ग का भी वर्णन किया: ‘लायन’ (शेर, जो बलशाली होते हैं) और ‘फॉक्स’ (लोमड़ी, जो चालाक होते हैं)।
  • गलत विकल्प: सी. राइट मिल्स ने ‘शक्ति अभिजात वर्ग’ (Power Elite) की अवधारणा दी, रॉबर्ट मिशेल्स ने ‘अल्पतंत्र का लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) दिया, और टी. पार्सन्स ने संरचनात्मक-प्रकार्यवादी सिद्धांत पर काम किया।

प्रश्न 4: भारतीय समाज में ‘सजातीयता’ (Homogenization) की प्रक्रिया किस कारक से सर्वाधिक प्रभावित हुई है?

  1. पारंपरिक जाति व्यवस्था
  2. वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण
  3. ग्रामीण अर्थव्यवस्था
  4. क्षेत्रीय भाषाएँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय समाज में विभिन्न सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक तत्वों के एकीकरण को बढ़ावा दिया है, जिससे कुछ हद तक सजातीयता की भावना बढ़ी है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीडिया, उपभोग पैटर्न (consumption patterns) और आधुनिक जीवन शैली के प्रसार ने पारंपरिक भिन्नताओं को कम किया है और सार्वभौमिक (universal) प्रवृत्तियों को बढ़ाया है।
  • गलत विकल्प: पारंपरिक जाति व्यवस्था भारतीय समाज की विविधता को बनाए रखती है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थानीय विशिष्टताओं से जुड़ी है, और क्षेत्रीय भाषाएँ सांस्कृतिक भिन्नता को दर्शाती हैं।

प्रश्न 5: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य बल किस पर होता है?

  1. बड़े पैमाने की सामाजिक संरचनाएँ
  2. व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाएँ और प्रतीकों का अर्थ
  3. समाज का समग्र कार्यात्मक संतुलन
  4. संघर्ष और शक्ति संबंध

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं (micro-level interactions) और उन अंतःक्रियाओं में उपयोग किए जाने वाले प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के अर्थ निर्माण पर केंद्रित है।
  • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर जैसे विचारकों ने इस दृष्टिकोण को विकसित किया। यह मानता है कि समाज और स्वयं (self) प्रतीकात्मक अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होते हैं।
  • गलत विकल्प: बड़े पैमाने की सामाजिक संरचनाएँ (जैसे मार्क्सवाद), समाज का समग्र कार्यात्मक संतुलन (जैसे संरचनात्मक-प्रकार्यवाद), और संघर्ष व शक्ति संबंध (जैसे संघर्ष सिद्धांत) अन्य प्रमुख समाजशास्त्रीय दृष्टिकोणों के केंद्र में हैं।

प्रश्न 6: मैरियन जे. लेवी (Marion J. Levy) ने ‘आधुनिकता’ (Modernity) को किस प्रकार परिभाषित किया है?

  1. यह एक विशिष्ट यूरोपीय सांस्कृतिक विकास है।
  2. यह सामाजिक परिवर्तनों की एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है जिसमें गैर-कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का प्रभुत्व होता है।
  3. यह पारंपरिक समाजों का पूर्णतः पश्चिमीकरण है।
  4. यह केवल तकनीकी प्रगति का परिणाम है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैरियन जे. लेवी ने आधुनिकता को एक सार्वभौमिक प्रक्रिया के रूप में देखा, जिसकी मुख्य पहचान एक गैर-कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, उच्च स्तर का औद्योगीकरण और जटिल संगठनात्मक संरचनाओं का विकास है।
  • संदर्भ और विस्तार: लेवी का कार्य आधुनिकता को एक सांस्कृतिक या भौगोलिक घटना के बजाय एक प्रकार के सामाजिक संगठन के रूप में समझने पर केंद्रित था।
  • गलत विकल्प: इसे केवल यूरोपीय घटना मानना ​​या पूर्णतः पश्चिमीकरण मानना ​​अधूरा है। तकनीकी प्रगति आधुनिकता का एक महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन यह एकमात्र निर्धारक नहीं है।

प्रश्न 7: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी?

  1. एलविन गोल्डनर
  2. विलियम एफ. ओगबर्न
  3. रॉबर्ट किंग मर्टन
  4. इमाइल दुर्खीम

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, कानून, रीति-रिवाज) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक असंतुलन या विलंब पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके 1922 के लेख “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में प्रमुखता से सामने आई।
  • गलत विकल्प: एलविन गोल्डनर ने ‘लॉजिकल रिलिजन’ पर काम किया, रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘विचलित व्यवहार के सिद्धांत’ (Theory of Deviant Behavior) और ‘अनुकूलित व्यवहार’ (Modes of Adaptation) दिए, और दुर्खीम ने ‘एनोमी’ जैसी अवधारणाएँ दीं।

प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ (Disguised Unemployment) किस क्षेत्र में सर्वाधिक पाई जाती है?

  1. संगठित विनिर्माण क्षेत्र
  2. सेवा क्षेत्र
  3. कृषि क्षेत्र
  4. सरकारी क्षेत्र

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रच्छन्न बेरोजगारी, जहाँ अधिक श्रमिक अपनी उत्पादकता के बिना काम कर रहे होते हैं, भारतीय कृषि क्षेत्र की एक प्रमुख विशेषता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अक्सर, किसी परिवार के लिए जितने श्रम की आवश्यकता होती है, उससे कहीं अधिक सदस्य उस काम में लगे रहते हैं। यदि कुछ लोगों को हटा भी दिया जाए, तो भी उत्पादन प्रभावित नहीं होता।
  • गलत विकल्प: संगठित विनिर्माण, सेवा और सरकारी क्षेत्रों में आम तौर पर बेरोजगारी प्रत्यक्ष (open) होती है, न कि प्रच्छन्न।

प्रश्न 9: ‘अविच्छिन्नता का निरंतरता’ (Continuity of Indivision) का सिद्धांत, जो भारतीय परिवार व्यवस्था की व्याख्या करता है, किसने प्रस्तुत किया?

  1. इरावती कर्वे
  2. एम. एन. श्रीनिवास
  3. ए. आर. देसाई
  4. टी. के. उमन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: इरावती कर्वे ने भारतीय परिवारों के अध्ययन में ‘अविच्छिन्नता का निरंतरता’ (Continuity of Indivision) की अवधारणा का प्रयोग किया। यह सिद्धांत संयुक्त परिवार प्रणाली की लचीलेपन और विस्तार की क्षमता पर जोर देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कर्वे के अनुसार, भारतीय परिवार की एक विशेषता यह है कि यह विस्तार कर सकता है और अपनी संरचना को बनाए रख सकता है, भले ही नए सदस्य जुड़ते रहें।
  • गलत विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) और ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणाएँ दीं। ए. आर. देसाई ने भारतीय समाज में उपनिवेशवाद के प्रभाव का विश्लेषण किया। टी. के. उमन ने ग्रामीण समाजशास्त्र पर काम किया।

प्रश्न 10: ‘वर्ग चेतना’ (Class Consciousness) की अवधारणा किस विचारक के साथ सबसे अधिक गहराई से जुड़ी हुई है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. जी. एच. मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग चेतना’ की अवधारणा पर बहुत अधिक जोर दिया। उनके अनुसार, सर्वहारा वर्ग (proletariat) द्वारा अपने शोषणकारी बुर्जुआ वर्ग (bourgeoisie) के प्रति सामूहिक चेतना विकसित करना सामाजिक क्रांति के लिए आवश्यक है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘स्वयं के लिए वर्ग’ (class-in-itself) और ‘अपने लिए वर्ग’ (class-for-itself) के बीच अंतर किया। वर्ग चेतना का उदय ‘अपने लिए वर्ग’ की स्थिति को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग को आय और संपत्ति के आधार पर देखा, दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर, और मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 11: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के ‘प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण’ (Functionalist Perspective) का प्रमुख तर्क क्या है?

  1. स्तरीकरण शोषण का परिणाम है।
  2. स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक है क्योंकि यह सबसे योग्य व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पदों पर रखता है।
  3. स्तरीकरण केवल ऐतिहासिक अवशेष है।
  4. स्तरीकरण सामाजिक संघर्ष को बढ़ावा देता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: किंकबैल डेविस (Kingsley Davis) और विल्बर्ट मूर (Wilbert Moore) जैसे प्रकार्यवादियों का तर्क है कि सामाजिक स्तरीकरण आवश्यक है क्योंकि यह समाज के लिए महत्वपूर्ण पदों को भरने हेतु सबसे योग्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है, जिन्हें अधिक पुरस्कार (वेतन, प्रतिष्ठा) दिए जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण मानता है कि स्तरीकरण समाज की सुचारू कार्यप्रणाली के लिए एक आवश्यक तंत्र है।
  • गलत विकल्प: शोषण, ऐतिहासिक अवशेष, और संघर्ष को बढ़ावा देना ये संघर्षवादी (conflict) दृष्टिकोण के तर्क हैं, न कि प्रकार्यात्मक।

प्रश्न 12: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों की कमजोरी या अनुपस्थिति की स्थिति का वर्णन करती है, किससे संबंधित है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. रॉबर्ट किंग मर्टन
  4. इमाइल दुर्खीम

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: इमाइल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को समाज में अनिश्चितता, सामाजिक मानदंडों की स्पष्टता की कमी या सामाजिक नियंत्रण के विघटन की स्थिति का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने विशेष रूप से अनियोजित या अत्यधिक तीव्र सामाजिक परिवर्तन के समय एनोमी की वृद्धि देखी, जिससे व्यक्तियों को यह नहीं पता चलता कि क्या अपेक्षा की जाए या कैसे व्यवहार किया जाए।
  • गलत विकल्प: मार्क्स वर्ग संघर्ष पर, वेबर शक्ति और तर्कसंगतता पर, और मर्टन ने एनोमी को उनके ‘अनुकूलित व्यवहार’ मॉडल में एक उप-सांस्कृतिक घटना के रूप में विस्तारित किया, लेकिन मूल अवधारणा दुर्खीम की है।

प्रश्न 13: भारतीय संदर्भ में, ‘शहरीकरण’ (Urbanization) के कारण किस सामाजिक संस्था पर सबसे अधिक परिवर्तन देखा गया है?

  1. जाति व्यवस्था
  2. धर्म
  3. परिवार
  4. शिक्षा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: शहरीकरण ने पारंपरिक संयुक्त परिवार संरचना को कमजोर किया है और एकल परिवार (nuclear family) की ओर झुकाव बढ़ाया है।
  • संदर्भ और विस्तार: शहरों में प्रवास, आर्थिक आवश्यकताएं, और व्यक्तिवाद का उदय संयुक्त परिवार के विघटन और परिवार के आकार, भूमिकाओं और संबंधों में परिवर्तन का कारण बना है।
  • गलत विकल्प: हालांकि अन्य संस्थाएँ भी प्रभावित हुई हैं, परिवार संरचना पर शहरीकरण का प्रभाव सबसे गहरा और व्यापक रहा है।

प्रश्न 14: ‘सबल्टरनेट अध्ययन’ (Subaltern Studies) मुख्य रूप से किस समूह के अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करते हैं?

  1. बुद्धिजीवी वर्ग
  2. अभिजात वर्ग
  3. वंचित और हाशिए पर पड़े समूह
  4. व्यापारिक नेता

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सबल्टरनेट अध्ययन का उद्देश्य उन ऐतिहासिक और सामाजिक अनुभवों को सामने लाना है जो पारंपरिक इतिहासलेखन में हाशिए पर रह गए हैं, विशेषकर गरीब, दलित, आदिवासी, महिलाएं और अन्य वंचित समूह।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण उन लोगों की आवाज़ को महत्व देता है जो शक्ति संरचनाओं द्वारा दबाए गए हैं।
  • गलत विकल्प: बुद्धिजीवी, अभिजात वर्ग और व्यापारिक नेता अक्सर समाजशास्त्रीय या ऐतिहासिक अध्ययनों के मुख्य विषय रहे हैं, जबकि सबल्टरनेट अध्ययन उनसे इतर निम्न सामाजिक स्तरों पर केंद्रित होते हैं।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) से क्या तात्पर्य है?

  1. किसी व्यक्ति की भौतिक संपत्ति।
  2. किसी व्यक्ति के सामाजिक संबंधों का नेटवर्क और उनसे प्राप्त होने वाले लाभ।
  3. किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल।
  4. किसी समाज की समग्र आर्थिक समृद्धि।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक पूंजी उन सामाजिक संबंधों, विश्वास, सहयोग और नेटवर्क को संदर्भित करती है जिनका उपयोग व्यक्ति या समूह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) जैसे विचारकों ने इस अवधारणा को विकसित किया, जो दर्शाता है कि कैसे सामाजिक संबंध संसाधनों तक पहुँच प्रदान कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: भौतिक संपत्ति ‘आर्थिक पूंजी’ है, शिक्षा और कौशल ‘मानव पूंजी’ हैं, और आर्थिक समृद्धि एक व्यापक समाजशास्त्रीय या आर्थिक सूचक है।

प्रश्न 16: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की कौन सी विशेषता इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?

  1. वंशानुगत सदस्यता
  2. अंतर्विवाही समूह (Endogamy)
  3. व्यवसाय का निर्धारण
  4. सभी उपरोक्त

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ वंशानुगत सदस्यता (जन्म से तय), अंतर्विवाही समूह (अपने ही समूह में विवाह), और पारंपरिक व्यवसाय का निर्धारण हैं। ये सभी मिलकर इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से विशिष्ट बनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये विशेषताएँ मिलकर जाति को एक अत्यंत कठोर और स्थैतिक (static) प्रणाली बनाती हैं, जहाँ सामाजिक गतिशीलता (social mobility) सीमित होती है।
  • गलत विकल्प: चूंकि ऊपर दिए गए सभी बिंदु सही हैं, इसलिए विकल्प (d) सही उत्तर है।

प्रश्न 17: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) के सिद्धांत के अनुसार, समाज में उत्पन्न होने वाली प्रमुख समस्याएँ किस कारण होती हैं?

  1. भौतिक संस्कृति (जैसे तकनीक) का अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, नियम) से पीछे रहना।
  2. अभौतिक संस्कृति का भौतिक संस्कृति से आगे निकल जाना।
  3. दोनों संस्कृतियों का समान गति से बदलना।
  4. समाज में सांस्कृतिक तत्वों का पूरी तरह से अनुपस्थित होना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जैसा कि विलियम एफ. ओगबर्न ने बताया, सांस्कृतिक विलंब तब होता है जब भौतिक संस्कृति (जैसे नई तकनीकें) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, नैतिकता, कानून) की तुलना में तेज़ी से बदल जाती है, जिससे समाज को इन परिवर्तनों को अपनाने और उनके साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट का तेजी से विकास (भौतिक संस्कृति) और उसके उपयोग से संबंधित नैतिक या कानूनी नियम (अभौतिक संस्कृति) के बीच का अंतर।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प ओगबर्न के सिद्धांत के विपरीत हैं।

प्रश्न 18: ‘समीकृत समुदाय’ (Gemeinschaft) और ‘समाज’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ किसने प्रस्तुत कीं?

  1. मैक्स वेबर
  2. फर्डिनेंड टोनीज़
  3. इमाइल दुर्खीम
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जर्मन समाजशास्त्री फर्डिनेंड टोनीज़ (Ferdinand Tönnies) ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (1887) में इन दो प्रकार के सामाजिक संगठनों का वर्णन किया।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘गेमेन्शाफ्ट’ (सामुदायिक जीवन) व्यक्तिगत संबंधों, साझा विश्वासों और परंपराओं पर आधारित एक घनिष्ठ, जैविक समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। ‘गेसेलशाफ्ट’ (समाज) एक अधिक औपचारिक, तर्कसंगत और स्वार्थी समाज का प्रतिनिधित्व करता है जो अनुबंध और व्यक्तिगत लाभ पर आधारित होता है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने शक्ति और नौकरशाही पर, दुर्खीम ने सामाजिक एकता और एनोमी पर, और सिमेल ने आधुनिकता और महानगरीय जीवन पर काम किया।

प्रश्न 19: टी. एच. मार्शल (T. H. Marshall) ने नागरिकता (Citizenship) के किन तीन आयामों का वर्णन किया है?

  1. राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक
  2. नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक
  3. व्यक्तिगत, सामूहिक, राष्ट्रीय
  4. कानूनी, नैतिक, सांस्कृतिक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: टी. एच. मार्शल ने नागरिकता को तीन मुख्य आयामों में विभाजित किया: नागरिक अधिकार (सिविल राइट्स – व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित), राजनीतिक अधिकार (राजनीतिक भागीदारी से संबंधित), और सामाजिक अधिकार (कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य से संबंधित)।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्शल का मानना ​​था कि आधुनिक पश्चिमी समाजों में नागरिकता का विकास इन तीनों आयामों में क्रमिक रूप से हुआ है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प मार्शल के वर्गीकरण से मेल नहीं खाते।

प्रश्न 20: भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा को समझने में कौन सी प्रमुख चुनौती है?

  1. धर्म का अत्यधिक शक्तिशाली होना और सार्वजनिक जीवन में उसकी भूमिका।
  2. सरकार द्वारा धर्म पर पूर्ण प्रतिबंध।
  3. वैज्ञानिक सोच का अभाव।
  4. जाति व्यवस्था का पूर्णतः समाप्त हो जाना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय संदर्भ में, धर्म जीवन का एक अभिन्न अंग है और सार्वजनिक क्षेत्र में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह पश्चिमी अवधारणा से भिन्न है जहाँ धर्म को निजी क्षेत्र तक सीमित रखा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय धर्मनिरपेक्षता राज्य के सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान (सर्वधर्म समभाव) पर आधारित है, बजाय किसी एक धर्म से दूरी बनाए रखने के। यह धर्म के सार्वजनिक प्रभाव को पूरी तरह से खत्म करने में एक चुनौती पेश करता है।
  • गलत विकल्प: सरकार द्वारा धर्म पर पूर्ण प्रतिबंध एक अलग मॉडल है, वैज्ञानिक सोच का विकास हो रहा है, और जाति व्यवस्था अभी भी एक महत्वपूर्ण सामाजिक कारक है।

प्रश्न 21: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का प्राथमिक कार्य क्या है?

  1. समाज में अनिश्चितता को बढ़ाना।
  2. समाज के सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करना और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना।
  3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूर्ण रूप से समाप्त करना।
  4. सामाजिक संघर्ष को प्रोत्साहित करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक नियंत्रण वे तरीके हैं जिनसे समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को निर्देशित और विनियमित करता है ताकि व्यवस्था बनी रहे और विचलन (deviance) को रोका जा सके।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें अनौपचारिक तरीके (जैसे परिवार, मित्र, जनमत) और औपचारिक तरीके (जैसे कानून, पुलिस, अदालत) शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक नियंत्रण के उद्देश्यों के विपरीत हैं।

प्रश्न 22: ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया में, निम्न जाति के लोग किन तत्वों को अपनाते हैं?

  1. केवल उच्च जाति की खान-पान की आदतें।
  2. उच्च जाति के कर्मकांड, अनुष्ठान, और जीवन शैली।
  3. केवल उच्च जाति की भाषा।
  4. आधुनिक पश्चिमी जीवन शैली।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास द्वारा परिभाषित संस्कृतिकरण एक प्रक्रिया है जिसमें एक निम्न जाति या जनजाति के लोग एक उच्च, अक्सर द्विजा (twice-born) जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, देवताओं और जीवन शैली को अपनाते हैं ताकि वे सामाजिक पदानुक्रम (hierarchy) में अपना दर्जा ऊँचा उठा सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: केवल खान-पान या भाषा को अपनाना पर्याप्त नहीं है, और यह आधुनिक पश्चिमी जीवन शैली को अपनाने से भिन्न है (जिसे पश्चिमीकरण कहते हैं)।

प्रश्न 23: ‘ज्ञान समाज’ (Knowledge Society) की अवधारणा का संबंध किस प्रमुख विचारक से है?

  1. मैनुअल कैस्टेल्स
  2. डैनियल बेल
  3. मैक्स वेबर
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: डैनियल बेल (Daniel Bell) को ‘ज्ञान समाज’ (Knowledge Society) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि औद्योगिक समाज के बाद का चरण ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ (Post-Industrial Society) है, जहाँ ज्ञान और सूचना अर्थव्यवस्था का केंद्रीय तत्व बन जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: बेल के अनुसार, इस समाज में ज्ञान का उत्पादन, प्रसार और उपयोग आर्थिक और सामाजिक विकास का मुख्य चालक होता है।
  • गलत विकल्प: मैनुअल कैस्टेल्स ने ‘नेटवर्क समाज’ (Network Society) पर काम किया। वेबर और मार्क्स शास्त्रीय समाजशास्त्री हैं जिनका ध्यान औद्योगिक समाज के विकास और संघर्षों पर था।

प्रश्न 24: ‘सामाजिक वर्ग’ (Social Class) के निर्धारण में मैक्स वेबर ने किन तीन प्रमुख आधारों को महत्व दिया?

  1. आय, शिक्षा, जीवन शैली
  2. वर्ग, प्रतिष्ठा (Status), शक्ति (Party)
  3. उत्पादन के साधन, उत्पादन के संबंध, चेतना
  4. जाति, धर्म, क्षेत्र

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के केवल आर्थिक आधार (उत्पादन के साधन) के विपरीत, मैक्स वेबर ने सामाजिक वर्ग को निर्धारित करने के लिए तीन स्वतंत्र लेकिन परस्पर जुड़े आयामों का सुझाव दिया: वर्ग (आर्थिक स्थिति/बाजार की स्थिति), प्रतिष्ठा (सामाजिक सम्मान/जीवन शैली), और शक्ति (राजनीतिक प्रभाव/पार्टी)।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना ​​था कि केवल आर्थिक स्थिति ही सामाजिक स्तरीकरण को पूरी तरह से नहीं समझा सकती।
  • गलत विकल्प: (a) आय, शिक्षा, जीवन शैली आंशिक रूप से सही हैं लेकिन वेबर का पूरा ढाँचा नहीं हैं। (c) उत्पादन के साधन, संबंध और चेतना कार्ल मार्क्स की अवधारणाएँ हैं। (d) ये भारतीय समाज के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वेबर के वर्ग निर्धारण के सिद्धांत का हिस्सा नहीं हैं।

प्रश्न 25: ‘उत्तर-आधुनिकता’ (Postmodernity) की प्रमुख विशेषताओं में से एक क्या है?

  1. बड़े आख्यानों (Grand Narratives) में विश्वास।
  2. सार्वभौमिक सत्य और ज्ञान में विश्वास।
  3. विविधता, विखंडन और स्थानीय आख्यानों (Local Narratives) पर जोर।
  4. स्थिर सामाजिक संरचनाओं में विश्वास।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: उत्तर-आधुनिकतावादी विचारक बड़े, सार्वभौमिक आख्यानों (जैसे प्रगति, मुक्ति) के प्रति संदेह व्यक्त करते हैं और इसके बजाय वास्तविकता की विविधता, विखंडन, बहुलतावाद और स्थानीय, व्यक्तिगत अनुभवों व आख्यानों पर जोर देते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जीन-फ्रांस्वा ल्योटार्ड (Jean-François Lyotard) जैसे विचारकों ने ‘बड़े आख्यानों के प्रति अविश्वास’ को उत्तर-आधुनिकता की पहचान बताया।
  • गलत विकल्प: बड़े आख्यानों, सार्वभौमिक सत्य और स्थिर सामाजिक संरचनाओं में विश्वास आधुनिकीकरण (Modernity) की विशेषताएँ हैं, न कि उत्तर-आधुनिकता की।

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