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समाजशास्त्र का दैनिक अभ्यास: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र का दैनिक अभ्यास: अपनी पकड़ मजबूत करें!

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्रियों! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। अपनी समाजशास्त्रीय समझ को परखने, महत्वपूर्ण अवधारणाओं को दोहराने और परीक्षा की तैयारी को एक नई दिशा देने के लिए तैयार हो जाइए। प्रत्येक प्रश्न आपके ज्ञान की गहराई को मापेगा और विस्तृत स्पष्टीकरण आपको हर अवधारणा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। आइए, आज के इस बौद्धिक सफर की शुरुआत करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को किसने समाज के ‘बडे पैमाने पर संगठन’ के रूप में परिभाषित किया, जिसमें सामाजिक संस्थान, भूमिकाएँ और समूह शामिल हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. इमाइल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. टॉल्कोट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: टॉल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक संरचना को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा, जिसमें विभिन्न सामाजिक संस्थान, समूह और भूमिकाएँ एक दूसरे से जुड़ी होती हैं और समाज के बड़े पैमाने पर संगठन को बनाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स एक प्रमुख संरचनात्मक-प्रकारवादी (Structural-Functionalist) थे। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में इन संरचनात्मक घटकों की भूमिका पर जोर दिया। उनकी कृति ‘The Social System’ में यह अवधारणा विस्तार से मिलती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक संरचना को मुख्य रूप से उत्पादन के साधनों और वर्ग-संघर्ष के लेंस से देखा। इमाइल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) पर जोर दिया, जो बाहरी और बाध्यकारी होते हैं, लेकिन उनकी संरचना की परिभाषा पार्सन्स जितनी व्यापक नहीं थी। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया (Social Action) और उसके अर्थों को महत्व दिया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘सत्यापन’ (Verstehen) की विधि प्रस्तुत की, जो कि सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर केंद्रित है?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. जी. एच. मीड
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘सत्यापन’ (Verstehen) की अवधारणा का प्रतिपादन किया। यह समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तियों के इरादों, विश्वासों और प्रेरणाओं को गहराई से समझने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, समाजशास्त्र का लक्ष्य सामाजिक क्रियाओं की व्याख्या करना है, और इस व्याख्या के लिए कर्ता के दृष्टिकोण से कार्य को समझना आवश्यक है। यह ‘वस्तूनिष्ठ’ (Objective) वैज्ञानिकता की पारंपरिक धारणा से अलग एक ‘अर्थपूर्ण’ (Interpretive) दृष्टिकोण है।
  • गलत विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्यों’ को वस्तुनिष्ठ रूप से अध्ययन करने का समर्थन किया। जी. एच. मीड ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) से जुड़े थे, जिसने अर्थों को महत्व दिया, लेकिन ‘सत्यापन’ शब्द वेबर से जुड़ा है। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास पर विकासवादी दृष्टिकोण अपनाया।

प्रश्न 3: भारत में जाति व्यवस्था की एक ऐसी विशेषता क्या है जो इसे अन्य समाजों की वर्ग व्यवस्था से अलग करती है?

  1. जन्म पर आधारित सदस्यता
  2. पेशा का विविधीकरण
  3. सामाजिक गतिशीलता की संभावना
  4. आर्थिक असमानता

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारत में जाति व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि सदस्यता पूरी तरह से जन्म पर आधारित होती है। एक बार जन्म लेने के बाद, व्यक्ति अपनी जाति नहीं बदल सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था एक बंद स्तरीकरण प्रणाली (Closed Stratification System) है, जहाँ गतिशीलता अत्यंत सीमित होती है। इसके विपरीत, वर्ग व्यवस्था (Class System) में, जन्म के अतिरिक्त, व्यक्ति अपनी उपलब्धियों या असफलताओं के माध्यम से अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदल सकता है।
  • गलत विकल्प: पेशा का विविधीकरण (b) पारंपरिक जाति व्यवस्था में सीमित था, लेकिन यह मुख्य अंतर नहीं है। सामाजिक गतिशीलता की संभावना (c) जाति में बहुत कम होती है, जबकि वर्ग में अधिक। आर्थिक असमानता (d) वर्ग व्यवस्था का भी एक प्रमुख लक्षण है, इसलिए यह जाति को विशेष रूप से अलग नहीं करता।

प्रश्न 4: ‘एनाॅमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों में कमी या अनुपस्थिति की स्थिति को दर्शाती है, किसने विकसित की?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. इमाइल दुर्खीम
  4. रॉबर्ट मर्टन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने ‘एनाॅमी’ की अवधारणा का प्रयोग किया। उन्होंने इसे समाज में सामाजिक नियमों और मूल्यों के कमजोर पड़ने या टूटने की स्थिति के रूप में परिभाषित किया, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में एनाॅमी की चर्चा की है। उनके अनुसार, अत्यधिक या तीव्र सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट, या श्रम के अत्यधिक विभाजन से एनाॅमी उत्पन्न हो सकती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की बात की। रॉबर्ट मर्टन ने भी एनाॅमी का उपयोग किया, लेकिन उन्होंने इसे व्यक्ति की सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच विसंगति के रूप में विस्तारित किया। वेबर ने ‘अतार्किकता’ (Irrationality) जैसी अवधारणाओं पर काम किया।

  • प्रश्न 5: ‘सबल्टरन स्टडीज’ (Subaltern Studies) नामक पुस्तक श्रृंखला में भारतीय समाज के किन वर्गों के अध्ययन पर जोर दिया गया है?

    1. अभिजन वर्ग
    2. शहरी मध्यम वर्ग
    3. वंचित और हाशिए पर पड़े समूह
    4. औद्योगिक श्रमिक

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘सबल्टरन स्टडीज’ मुख्य रूप से उन लोगों के इतिहास और अनुभवों पर केंद्रित है जो सत्ता संरचनाओं से बाहर हैं – जैसे किसान, आदिवासी, दलित, महिलाएं और अन्य हाशिए पर पड़े समूह।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अध्ययन समूह, जिसमें रामचंद्र गुहा, रणजीत गुहा जैसे विद्वान शामिल हैं, भारत के औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक इतिहास को ‘नीचे से’ (from below) देखने का प्रयास करता है, न कि केवल अभिजात वर्ग के दृष्टिकोण से।
    • गलत विकल्प: अभिजन वर्ग (a) और शहरी मध्यम वर्ग (b) ‘सबल्टरन’ (Subaltern) की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते। औद्योगिक श्रमिक (d) कुछ संदर्भों में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अध्ययन का दायरा इससे कहीं अधिक व्यापक है।

    प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के सिद्धांत से सबसे अच्छी तरह मेल खाता है?

    1. समाज व्यक्तियों के बीच संबंधों के पैटर्न पर आधारित है।
    2. व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से अर्थ बनाते हैं और अंतःक्रिया करते हैं।
    3. सामाजिक संरचनाएँ सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखती हैं।
    4. संघर्ष समाज में परिवर्तन का मुख्य चालक है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद मानता है कि मनुष्य वस्तुओं, घटनाओं और स्वयं के बारे में अर्थों के अनुसार कार्य करते हैं। ये अर्थ प्रतीकों (भाषा, हावभाव, चित्र) के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यक्ति के अंतःक्रिया में उत्पन्न, बनाए रखे और संशोधित किए जाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रस्तावक हैं। यह सूक्ष्म-स्तरीय (Micro-level) समाजशास्त्र का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो व्यक्ति के आत्म (self) के निर्माण और समाज में उसकी भूमिका पर प्रकाश डालता है।
    • गलत विकल्प: (a) सामान्य समाजशास्त्र को दर्शाता है। (c) संरचनात्मक-प्रकारवाद (Structural-Functionalism) से जुड़ा है। (d) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का सार है।

    प्रश्न 7: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘लॉन्ग-टर्म’ (Legitimacy) के तीन आदर्श प्रकारों में से कौन सा प्रकार ‘परंपरा’ पर आधारित है?

    1. करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
    2. कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority)
    3. पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority)
    4. इनमें से कोई नहीं

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘पारंपरिक सत्ता’ (Traditional Authority) को उस सत्ता के रूप में पहचाना जो ‘यह हमेशा से चला आ रहा है’ (it has always been this way) के विश्वास पर आधारित होती है। यह सत्ता परंपराओं, रीति-रिवाजों और ऐतिहासिक रूप से स्थापित नियमों से प्राप्त होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई (किसी व्यक्ति के असाधारण गुणों पर आधारित) और कानूनी-तर्कसंगत (नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित, जैसे नौकरशाही)।
    • गलत विकल्प: करिश्माई सत्ता (a) किसी नेता के व्यक्तिगत आकर्षण और असाधारण क्षमताओं पर निर्भर करती है। कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (b) नियमों और प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त होती है, न कि परंपरा से।

    प्रश्न 8: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिक के अलगाव, किसने कार्ल मार्क्स के पूंजीवाद के विश्लेषण में एक केंद्रीय तत्व के रूप में प्रस्तुत की?

    1. मैक्स वेबर
    2. इमाइल दुर्खीम
    3. जी. एच. मीड
    4. कार्ल मार्क्स

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ की अवधारणा को अपने प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में विकसित किया। उनके अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली श्रमिक को उसके श्रम, उत्पादन के उत्पाद, अपनी प्रजाति (species-being) और अन्य मनुष्यों से अलग कर देती है।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि श्रमिक अपनी मेहनत से जो उत्पाद बनाते हैं, वह उनका अपना नहीं रह जाता, बल्कि पूंजीपति की संपत्ति बन जाता है। इससे उनमें अपने ही श्रम के प्रति उदासीनता और विरक्ति पैदा होती है।
    • गलत विकल्प: वेबर, दुर्खीम और मीड ने विभिन्न समाजशास्त्रीय अवधारणाओं का विकास किया, लेकिन अलगाव की केंद्रीयता मार्क्स के कार्य में सबसे अधिक प्रमुख है।

    प्रश्न 9: भारत में ‘आधुनिकता’ (Modernity) की प्रक्रिया का अध्ययन करते समय, एम. एन. श्रीनिवास ने किस शब्द का प्रयोग किया, जिसका अर्थ है निम्न जातियाँ उच्च जातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाती हैं?

    1. पश्चिमीकरण (Westernization)
    2. संस्थानीकरण (Institutionalization)
    3. शहरीकरण (Urbanization)
    4. संस्कृतिकरण (Sanskritization)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द का प्रयोग किया। यह वह प्रक्रिया है जिसमें निचली या मध्यम जातियाँ उच्च, अक्सर ‘द्विजा’ (twice-born) जातियों की जीवन शैली, पूजा पद्धतियों, खान-पान और व्यवहार को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है, जो सांस्कृतिक अनुकरण पर आधारित है।
    • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (a) पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को दर्शाता है। शहरीकरण (c) जनसंख्या के गांवों से शहरों की ओर जाने की प्रक्रिया है। संस्थानीकरण (b) किसी व्यवहार को सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्थापित बनाने की प्रक्रिया है।

    प्रश्न 10: इमाइल दुर्खीम के अनुसार, ‘कार्यात्मक एकता’ (Functional Unity) या ‘सामाजिक एकजुटता’ (Social Solidarity) के दो मुख्य प्रकार क्या हैं, विशेषकर श्रम के विभाजन से संबंधित?

    1. यांत्रिक एकजुटता और जैविक एकजुटता
    2. जैविक एकजुटता और समन्वयकारी एकजुटता
    3. यांत्रिक एकजुटता और सावयवी एकजुटता
    4. समूह एकजुटता और व्यक्तिगत एकजुटता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) और ‘सावयवी एकजुटता’ (Organic Solidarity) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं। यांत्रिक एकजुटता सरल, सजातीय समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग समान कार्य करते हैं और उनमें समान मान्यताएँ होती हैं। सावयवी एकजुटता आधुनिक, जटिल समाजों में पाई जाती है, जहाँ लोग एक-दूसरे पर विशिष्ट कार्यों के लिए निर्भर होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे शरीर के विभिन्न अंग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकजुटता ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की प्रबलता पर आधारित होती है, जबकि सावयवी एकजुटता श्रम के विभाजन और अंतर-निर्भरता पर आधारित होती है।
    • गलत विकल्प: ‘जैविक एकजुटता’ (b) और ‘समन्वयकारी एकजुटता’ (b) दुर्खीम द्वारा प्रयुक्त पारिभाषिक शब्द नहीं हैं। ‘व्यक्तिगत एकजुटता’ (d) उनकी मुख्य वर्गीकरण का हिस्सा नहीं है।

    प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा सामाजिक अनुसंधान में एक ‘गुणात्मक’ (Qualitative) अनुसंधान विधि का उदाहरण है?

    1. सर्वेक्षण (Survey)
    2. प्रायोगिक अनुसंधान (Experimental Research)
    3. भागवत अवलोकन (Participant Observation)
    4. सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: भागवत अवलोकन (Participant Observation) एक गुणात्मक अनुसंधान विधि है। इसमें शोधकर्ता स्वयं उस समूह या समुदाय का सदस्य बनकर या उसके साथ रहकर डेटा एकत्र करता है, जिसके व्यवहार और जीवन शैली का वह अध्ययन कर रहा है। यह गहन समझ प्रदान करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक अनुसंधान का उद्देश्य ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का पता लगाना होता है, न कि ‘कितना’। यह व्याख्यात्मक और वर्णनात्मक होता है।
    • गलत विकल्प: सर्वेक्षण (a) में अक्सर मात्रात्मक डेटा एकत्र किया जाता है। प्रायोगिक अनुसंधान (b) में चर (variables) को नियंत्रित करके कारण-प्रभाव संबंध स्थापित किए जाते हैं, जो मात्रात्मक होता है। सांख्यिकीय विश्लेषण (d) मात्रात्मक डेटा पर आधारित होता है।

    प्रश्न 12: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से, ‘परिवार’ (Family) को आमतौर पर निम्न में से किस रूप में वर्गीकृत किया जाता है?

    1. एक प्राकृतिक संस्था
    2. एक राजनीतिक संस्था
    3. एक सामाजिक संस्था
    4. एक आर्थिक संस्था

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, परिवार को एक प्राथमिक सामाजिक संस्था (Primary Social Institution) माना जाता है। यह समाज की संरचना का एक मूलभूत अंग है जो सदस्यों के समाजीकरण, प्रजनन, भावनात्मक समर्थन और आर्थिक सहयोग जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: परिवार व्यक्ति के समाजीकरण का पहला अभिकरण है। यह विवाह, नातेदारी और वंशानुक्रम के नियमों द्वारा परिभाषित होता है और समाज के मूल्यों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाता है।
    • गलत विकल्प: परिवार प्राकृतिक (a) नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से निर्मित होता है। इसे प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक (b) या आर्थिक (d) संस्था नहीं कहा जाता, हालांकि यह दोनों से प्रभावित होता है और उनके कार्य भी करता है।

    प्रश्न 13: ‘आधुनिक समाज’ (Modern Society) की प्रमुख विशेषताओं में से एक क्या मानी जाती है?

    1. धार्मिक अनुष्ठानों की प्रधानता
    2. उच्च स्तर की परंपरावादिता
    3. विभेदित संस्थाएँ (Differentiated Institutions)
    4. सामूहिक चेतना की प्रबलता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिक समाज की एक मुख्य विशेषता ‘विभेदित संस्थाएँ’ हैं। इसका अर्थ है कि परिवार, शिक्षा, धर्म, राजनीति और अर्थव्यवस्था जैसी विभिन्न संस्थाओं के अपने विशिष्ट कार्य, नियम और संरचनाएँ होती हैं, जो सरल समाजों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने सरल समाजों में संस्थाओं के कम विभेदन और आधुनिक समाजों में इसके बढ़ने की बात की थी।
    • गलत विकल्प: धार्मिक अनुष्ठानों की प्रधानता (a) पारंपरिक समाजों की विशेषता है। परंपरावादिता (b) भी आधुनिक समाज की तुलना में पारंपरिक समाजों में अधिक पाई जाती है। सामूहिक चेतना (d) दुर्खीम के अनुसार, सरल समाजों की विशेषता है, जबकि आधुनिक समाजों में व्यक्तिवाद और भिन्नता बढ़ जाती है।

    प्रश्न 14: भारत में ‘दलित’ (Dalit) शब्द का प्रयोग किस सामाजिक समूह को संदर्भित करने के लिए किया जाता है?

    1. भूमिहीन कृषक
    2. आदिवासी समूह
    3. जाति-आधारित बहिष्कृत और उत्पीड़ित समूह
    4. पिछड़ी जातियाँ

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘दलित’ शब्द का अर्थ है ‘कुचले हुए’ या ‘दबे हुए’। यह उन भारतीय सामाजिक समूहों के लिए प्रयोग किया जाता है जिन्हें ऐतिहासिक रूप से जाति व्यवस्था के कारण अस्पृश्य माना गया और सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से बहिष्कृत किया गया।
    • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द, विशेष रूप से 20वीं सदी में, आत्म-सम्मान और राजनीतिक पहचान के प्रतीक के रूप में उभरा। यह पारंपरिक रूप से ‘अछूत’ या ‘शूद्र’ से नीचे माने जाने वाले समूहों को संबोधित करता है।
    • गलत विकल्प: भूमिहीन कृषक (a) या आदिवासी समूह (b) भी वंचित हो सकते हैं, लेकिन ‘दलित’ शब्द विशेष रूप से जाति-आधारित उत्पीड़न और बहिष्करण से जुड़ा है। पिछड़ी जातियाँ (d) भी वंचित होती हैं, लेकिन ‘दलित’ शब्द अधिक विशिष्ट है।

    प्रश्न 15: समाजशास्त्री रॉबर्ट मर्टन ने ‘स्पष्ट कार्य’ (Manifest Function) और ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Function) की अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं। इनमें से ‘अव्यक्त कार्य’ क्या हैं?

    1. किसी सामाजिक संस्था के जानबूझकर और पहचाने गए परिणाम।
    2. किसी सामाजिक संस्था के अनजाने और अनपेक्षित परिणाम।
    3. समाज में होने वाले नकारात्मक परिणाम।
    4. समाज में होने वाले प्रत्यक्ष और स्पष्ट परिणाम।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Functions) वे परिणाम हैं जो किसी सामाजिक व्यवस्था या व्यवहार के अनजाने और अनपेक्षित होते हैं। इसके विपरीत, ‘स्पष्ट कार्य’ (Manifest Functions) वे होते हैं जो जानबूझकर और पहचाने जाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘Social Theory and Social Structure’ में इन अवधारणाओं को विस्तार से समझाया। उदाहरण के लिए, किसी कॉलेज में जाने का स्पष्ट कार्य शिक्षा प्राप्त करना है, जबकि अव्यक्त कार्य नए सामाजिक संबंध बनाना या जीवनसाथी खोजना हो सकता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) स्पष्ट कार्य (Manifest Function) को परिभाषित करते हैं। (c) ‘प्रकटीकरण’ (Dysfunction) का वर्णन करता है।

    प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक प्रक्रिया ‘नगरीयता’ (Urbanism) के अध्ययन का केंद्रीय विषय है?

    1. ग्रामीण समुदायों का अध्ययन
    2. शहरी जीवन शैली और सामाजिक संबंधों की प्रकृति
    3. कृषि विकास की प्रक्रिया
    4. पारंपरिक जीवन शैलियों का अध्ययन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: नगरीयता (Urbanism) का अध्ययन मुख्य रूप से शहरी वातावरण में विकसित होने वाली अनूठी जीवन शैलियों, सामाजिक अंतःक्रियाओं, सामाजिक समस्याओं और सामाजिक परिवर्तनों पर केंद्रित होता है। लुईस वर्थ जैसे समाजशास्त्रियों ने शहरी जीवन की अनौपचारिकता, नवीनता और व्यक्तिगत संबंधों की क्षणभंगुरता पर जोर दिया।
    • संदर्भ और विस्तार: यह केवल शहरों की भौतिक संरचना का अध्ययन नहीं है, बल्कि शहर में रहने के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का विश्लेषण भी है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) ग्रामीण समाजशास्त्र या कृषि अर्थशास्त्र से संबंधित हैं, न कि नगरीयता से।

    प्रश्न 17: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ‘विज्ञान’ (Science) को आम तौर पर कैसे परिभाषित किया जाता है?

    1. तर्क और अंतर्ज्ञान पर आधारित विश्वासों का समूह।
    2. एक व्यवस्थित, अनुभवजन्य (Empirical) और तार्किक जांच प्रक्रिया।
    3. अज्ञात को जानने के लिए धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन।
    4. व्यक्तिगत अनुभव और भावनाओं की अभिव्यक्ति।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: विज्ञान एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसमें अवलोकन, परिकल्पना निर्माण, परीक्षण और सिद्धांत निर्माण के माध्यम से दुनिया को अनुभवजन्य (empirical) और तार्किक रूप से समझने का प्रयास किया जाता है। यह वस्तुनिष्ठता और सत्यापन पर जोर देता है।
    • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र, एक सामाजिक विज्ञान के रूप में, इन वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग सामाजिक दुनिया का अध्ययन करने के लिए करता है।
    • गलत विकल्प: (a) विश्वास या दर्शन को दर्शाता है। (c) धर्म या धर्मशास्त्र का वर्णन करता है। (d) कला या व्यक्तिगत मनोविज्ञान से अधिक संबंधित है।

    प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के अध्ययन में ‘संरचनात्मक-प्रकारवादी’ (Structural-Functionalist) दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, जो इसे समाज के विभिन्न भागों के बीच एक ‘संतुलित’ प्रणाली के रूप में देखता है?

    1. ए. आर. देसाई
    2. एम. एन. श्रीनिवास
    3. जी. एस. घुरिये
    4. फ्रेडरिक जेम्सन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जी. एस. घुरिये को अक्सर भारतीय जाति व्यवस्था के अध्ययन में एक पारंपरिक या संरचनात्मक-प्रकारवादी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। उन्होंने जाति को भारतीय समाज का एक अभिन्न और व्यवस्थित अंग माना, जिसकी अपनी भूमिकाएँ और संरचनात्मक विशेषताएँ हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: घुरिये ने जाति की ‘पवित्रता’ और ‘अपवित्रता’ (Purity and Pollution), प्रतिबंधात्मक अंतर्विवाह (Endogamy), व्यवसायों का निर्धारण और संस्तरण (Hierarchy) जैसी विशेषताओं पर जोर दिया।
    • गलत विकल्प: ए. आर. देसाई (a) एक मार्क्सवादी विचारक थे जिन्होंने जाति को वर्ग-संघर्ष के संदर्भ में देखा। एम. एन. श्रीनिवास (b) ने संस्कृतिकरण और निर्णायक लघु परंपराओं (Dominant Caste) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाएं दीं, जो घुरिये के पारंपरिक दृष्टिकोण से भिन्न हैं। फ्रेडरिक जेम्सन (d) साहित्य सिद्धांतकार हैं, समाजशास्त्री नहीं।

    प्रश्न 19: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के अध्ययन में, ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जहाँ भौतिक संस्कृति (भौतिक वस्तुएँ, प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (विचार, मूल्य, मान्यताएँ) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, किसने प्रस्तुत की?

    1. विलियम ओगबर्न
    2. अगस्त कॉम्टे
    3. एच. स्पेंसर
    4. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: विलियम ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को विकसित किया। उनका तर्क था कि प्रौद्योगिकी और भौतिक नवाचारों की दर अक्सर सामाजिक संस्थाओं, विचारों और मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों की दर से अधिक तेज़ होती है, जिससे सामाजिक तनाव और समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने औद्योगिक क्रांति और उसके बाद हुए परिवर्तनों के संदर्भ में इस अवधारणा को समझाया। उदाहरण के लिए, ऑटोमोबाइल के आविष्कार के बाद यातायात कानूनों और नैतिक मूल्यों को उसके अनुकूल बनाने में समय लगा।
    • गलत विकल्प: अगस्त कॉम्टे (b) समाजशास्त्र के जनक माने जाते हैं और उन्होंने ‘सकारात्मकता’ (Positivism) का सिद्धांत दिया। एच. स्पेंसर (c) ने सामाजिक डार्विनवाद का विकास किया। ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन (d) संरचनात्मक-प्रकारवाद और नातेदारी के अध्ययन से जुड़े थे।

    प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘आत्म’ (Self) के विकास में ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की भूमिका पर प्रकाश डालती है, जो समाजशास्त्री जॉर्ज हर्बर्ट मीड से जुड़ी है?

    1. सामाजिक भूमिका (Social Role)
    2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
    3. ‘आत्म’ का विकास (Development of Self)
    4. सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘आत्म’ (Self) के विकास की प्रक्रिया को समझाया, जिसमें ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच निरंतर अंतःक्रिया होती है। ‘मैं’ आत्म का वह हिस्सा है जो तत्काल प्रतिक्रियाएँ देता है और रचनात्मक है, जबकि ‘मुझे’ समाज के अन्य लोगों की भूमिकाओं और दृष्टिकोणों को आत्मसात करने का परिणाम है (अर्थात, ‘अन्य का सामान्यीकृत रूप’ – Generalized Other)।
    • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के बड़े ढांचे का हिस्सा है, लेकिन ‘मैं’ और ‘मुझे’ विशेष रूप से आत्म के विकास की व्याख्या करते हैं।
    • गलत विकल्प: सामाजिक भूमिका (a) समाज में अपेक्षित व्यवहार है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (b) एक व्यापक सिद्धांत है। सांस्कृतिक सापेक्षवाद (d) यह मानता है कि किसी भी संस्कृति को उसके अपने संदर्भ में समझा जाना चाहिए।

    प्रश्न 21: भारत में ‘पंचायती राज’ व्यवस्था मुख्य रूप से किस संस्था से जुड़ी है?

    1. शहरी स्थानीय स्वशासन
    2. ग्राम स्तर पर स्वशासन
    3. राज्य सरकार का प्रशासनिक अंग
    4. राष्ट्रीय राजनीतिक दल

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: पंचायती राज व्यवस्था भारत में ग्राम स्तर पर स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है। यह स्थानीय समुदायों को उनके अपने मामलों का प्रबंधन करने के लिए सशक्त बनाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम (1992) ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया, जिससे यह भारतीय ग्रामीण शासन की एक महत्वपूर्ण संस्था बन गई।
    • गलत विकल्प: (a) नगरपालिकाओं और नगर निगमों से संबंधित है। (c) पंचायती राज का हिस्सा नहीं है। (d) पंचायती राज राजनीतिक दलों के प्रभाव में हो सकता है, लेकिन यह स्वयं एक राजनीतिक दल नहीं है।

    प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक समूह’ (Social Group) का आवश्यक तत्व है?

    1. समान पृष्ठभूमि
    2. समान विचार
    3. आपसी पहचान और अंतःक्रिया
    4. समान भौगोलिक स्थान

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एक सामाजिक समूह का निर्माण कम से कम दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा होता है जो एक-दूसरे को पहचानते हैं (आपसी पहचान) और जिनके बीच नियमित या कुछ स्तर की अंतःक्रिया (Interaction) होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: केवल समान विचार (b) या स्थान (d) एक समूह नहीं बनाते, जब तक कि उनमें आपसी संबंध और जागरूकता न हो। समान पृष्ठभूमि (a) समूह निर्माण में सहायक हो सकती है, लेकिन आवश्यक नहीं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) समूह निर्माण में सहायक हो सकते हैं, लेकिन ये समूह की पहचान और अंतःक्रिया जितनी निर्णायक नहीं हैं।

    प्रश्न 23: समाजशास्त्री एलियास (Elias) ने ‘सुसंस्कृति प्रक्रिया’ (The Civilizing Process) में किस पर बल दिया?

    1. प्रौद्योगिकी का विकास
    2. राज्य शक्ति का केंद्रीकरण और शिष्टाचार (Etiquette) का विकास
    3. वर्ग-संघर्ष का अंत
    4. ज्ञानोदय का प्रसार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: नोरबर्ट एलियास ने अपनी पुस्तक ‘The Civilizing Process’ में तर्क दिया कि मध्य युग के अंत से लेकर आधुनिक काल तक, यूरोपीय समाजों में शक्ति का धीरे-धीरे राज्यों के हाथों में केंद्रीकरण हुआ। इसके साथ ही, व्यक्तियों के व्यवहार, भावनाओं और शारीरिक कार्यों पर नियंत्रण बढ़ा, जिससे शिष्टाचार (etiquette) और आत्म-नियंत्रण (self-control) के नए मानक विकसित हुए।
    • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया बाहरी सामाजिक दबावों (जैसे शाही दरबार और राज्य के नियम) के माध्यम से आंतरिक मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों को लाती है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं, लेकिन एलियास के विश्लेषण के केंद्र में राज्य शक्ति और शिष्टाचार का विकास है। (c) वर्ग-संघर्ष का अंत उनके मुख्य तर्क का हिस्सा नहीं है।

    प्रश्न 24: भारत में ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Communities) के अध्ययन में, ‘अलगाव’ (Isolation) के सिद्धांत के बजाय ‘एकीकरण’ (Integration) की प्रक्रिया पर जोर देने वाले समाजशास्त्री कौन हैं?

    1. वरिएर एलविन
    2. एन. के. बोस
    3. एम. एन. श्रीनिवास
    4. इरावती कर्वे

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एन. के. बोस (Nirmal Kumar Bose) एक प्रमुख मानवशास्त्री और समाजशास्त्री थे जिन्होंने भारतीय जनजातियों के अध्ययन में ‘अलगाव’ (Isolation) या ‘संरक्षण’ (Preservation) के बजाय ‘एकीकरण’ (Integration) की नीति की वकालत की। उन्होंने सुझाव दिया कि जनजातियों को भारतीय समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के अवसर दिए जाने चाहिए।
    • संदर्भ और विस्तार: बोस ने गांधीवादी विचारों से प्रेरणा ली और आदिवासियों के लिए स्वदेशी विकास तथा राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा बनने पर जोर दिया।
    • गलत विकल्प: वरिएर एलविन (a) को अक्सर आदिवासियों की ‘सुरक्षा’ और ‘अलगाव’ की वकालत करने वाले के रूप में देखा जाता है। श्रीनिवास (c) और कर्वे (d) ने भी महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन आदिवासियों के एकीकरण के मुद्दे पर बोस का योगदान विशिष्ट है।

    प्रश्न 25: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

    1. समाज में व्यक्तियों का विभिन्न समूहों में विभाजन।
    2. समाज में शक्ति और विशेषाधिकारों के असमान वितरण के आधार पर व्यक्तियों और समूहों की पदानुक्रमित व्यवस्था।
    3. विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच संघर्ष।
    4. समाज में सामाजिक मानदंडों का निर्माण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी प्रणाली है जिसमें समाज अपने सदस्यों को धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा, जाति या वर्ग जैसी विभिन्न सामाजिक या आर्थिक कसौटियों के आधार पर पदानुक्रमित (hierarchical) तरीके से व्यवस्थित करता है। यह संसाधनों के असमान वितरण का परिणाम है।
    • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के प्रमुख रूप जाति, वर्ग, स्थिति (status) और शक्ति हैं। यह समाज में असमानता का एक व्यवस्थित पैटर्न है।
    • गलत विकल्प: (a) सामान्य विभाजन को दर्शाता है, न कि पदानुक्रमित। (c) वर्ग-संघर्ष (Class Conflict) एक संबंधित लेकिन अलग अवधारणा है। (d) सामाजिक मानदंडों का निर्माण समाजीकरण या संस्थाकरण से संबंधित है।

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